FUN-MAZA-MASTI
हसीन अहसास
दोस्तो, आज मैं आप लोगों को अपनी कहानी सुना रहा हूँ।
मेरी यह कहानी बिल्कुल खरे सोने की तरह सही है।
बात उस वक्त की है जब मैं 19 साल का था। मेरे चाचा का इन्दौर में काम चलता था और उनको कई दिनों तक बाहर रहना पड़ता था।
उनकी शादी हुए 15 साल हो गए थे और उनके एक बच्चा था मेरी चाची सायमा की उम्र करीब 35 साल की होगी।
देखने में वो बस ठीक-ठाक ही थीं।
मैं जवान हो रहा था, मेरे दिल में अक्सर चाची को देख कर पता नहीं क्यों हलचल सी होती थी।
यह हलचल क्या थी..! यह उस वक्त पता नहीं था।
मैं जब भी रात को अकेला लेटता था, तो चाची का ख्याल अक्सर मेरे दिमाग में आ जाता था।
वो बारिश की रात मुझ को आज भी याद है जिसने मेरी ज़िन्दगी को बदल कर रख दिया।
उस दिन सुबह से ही पानी गिर रहा था, चाचा बाहर थे, घर में मैं और चाची थीं और छोटा बच्चा था।
मैंने खाना चाची के साथ ही खाया और सोने को जाने की सोच रहा था, तभी चाची ने मुझको रोक लिया और कहा कि आज मैं उनके कमरे में ही सो जाऊँ।
मैं कभी चाची के कमरे में नहीं सोया था तो मुझको सुन कर अजीब सा भी लगा, मगर अच्छा भी लगा।
मैं ऊपर जाकर अपना बिस्तर उठा लाया और ज़मीन पर ही बिछा लिया।
चाची अभी रसोई में ही थीं, जब तक वो अपना काम निपटा कर आईं, मैं सो चुका था।
रात में करीब एक बजे मेरी नीन्द खुली, किसी की दर्द भरी सिसकारियां सुन कर मैंने ध्यान लगा कर सुना, वो चाची की आवाज़ थी।
कमरे में अंधेरा था, मैंने गौर से देखा चाची बिस्तर पर लेटी थीं और उनकी टाँगों के बीच तकिया दबा था। वो तकिये को अपनी दोनों टाँगों के बीच दबा कर उस को ज़ोर-ज़ोर से हिला रही थीं।
मैं घबरा कर उठ बैठा और चाची से मुखातिब हुआ।
मैं- चाची क्या बात है.. क्या तबियत खराब है?
वो अचानक घबरा गईं और उन्होंने तकिया दूर फेंक दिया।
मैंने अन्दाज़ा लगाया कि चाची ने चड्डी नहीं पहनी है।
वो बोलीं- नहीं रे.. अचानक नीचे ज़ोर का दर्द उठ आया है सो तकिया लगा कर दबा रही थी, पर दर्द जाता नहीं है। तू मेरा एक काम करेगा..?
मैंने कहा- हाँ… आप बोलिए क्या करना है..!
चाची- देख वहाँ कपड़ों पर प्रेस करने वाली प्रेस रखी है.. उसको उठा ला ज़रा।
मैंने कहा- लाईट जला दूँ क्या?
वो- नहीं रे.. बन्द रहने दे..
मैं जाकर प्रेस उठा लाया।
‘देख… तुझको मेरे पेट की सिकाई करना होगी।’
मैंने कहा- ठीक है।
उन्होंने चादर ओढ़ ली। मैंने एक कपड़ा गर्म किया और चाची को दिया तो वो बोलीं- नहीं रे.. तू ही सिकाई कर।
और मेरा हाथ पकड़ कर चादर के अन्दर कर लिया और अपनी दोनों टाँगों के बीच कपड़े को मेरे हाथ समेत दबा लिया और सिसकारी लेने लगीं।
मैंने कहा- दर्द शायद ज्यादा है?
‘हाँ.. रे.. दर्द तो बहुत ज्यादा है। एक काम और करेगा मेरा..?’
‘हाँ.. कहिए क्या करना है?’
‘मैं हिल नहीं पाऊँगी ज़रा मेरी मालिश कर देगा.. तो दर्द कम हो जाएगा !
“हाँ.. क्यों नहीं..!”
मैं जाकर तेल ले आया, तब तक चाची उल्टी लेट गई थीं। मैंने उनकी दोनों टाँगों की मालिश की मगर उनके कूल्हों के नीचे तक चाची के आधे कूल्हे नंगे दिख रहे थे। पर सच कहूँ उस वक्त तक भी मेरे दिल में ऐसा कुछ नहीं आया कि चाची के दिल में क्या है।
फिर चाची पलट गईं और अब उनका सीना सामने की तरफ़ था और मैंने महसूस किया कि वो ज़ोर से हिल रहा था।
उन्होंने कहा- सँभालो साहिल, मुझको कुछ हो रहा है… प्लीज़ कुछ करो..!
मैं घबरा गया।
मैंने कहा- चाची डाक्टर के यहाँ चलते हैं।
तो वो बोलीं- नहीं रे.. अभी नहीं.. तू तो बस मालिश करता रह.. मैं ठीक हो जाऊँगी।
ऐसा कह कर उन्होंने अपना गाउन ऊपर सरका लिया और वो पहला मौका था जब मैंने चाची की चूत देखी। अंधेरे में एक काला सा कुछ दिख रहा था और मैंने पहली बार अपने लन्ड में हरकत महसूस की।
मेरे कानों में हजारों झींगरों की सी आवाज़ होने लगी थी और हाथ-पैर हल्के से कांपने लगे थे और जुबान लड़खड़ाने लगी थी।
फिर मैंने हिम्मत कर के अपने हाथों में तेल लिया और चाची के पेट पर मलने लगा।
चाची ने अपना गाउन और ऊपर सरका लिया और दोनों टाँगें मोड़ कर फैला लीं और मुझको सामने की तरफ़ कर लिया।
अब चाची की चूत बिल्कुल मेरे सामने थी, पर साफ़ नहीं दिख रही थी। मेरा लन्ड मेरी पैन्ट में रगड़ने लगा था। पता नहीं मुझको चक्कर से आने लगे थे।
अब चाची ने अपना गाउन पूरा ऊपर की तरफ़ करके उतार दिया। अब वो अधेड़ जवानी मेरे सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थी और मैं अपने होश खोता जा रहा था।
अब मैं मालिश भी नहीं कर पा रहा था। जानता था कि यह कुछ और होने वाला है।
‘क्या सोच रहा है रे..?’ चाची ने मुझसे कहा।
मेरे हलक से आवाज़ नहीं निकली, मैं जड़ हो चुका था।
फिर चाची ने अपने हाथों से मुझको अपने करीब खींचा, उनके भी हाथ काँप रहे थे, ‘साहिल मुझसे नाराज़ तो नहीं है ना.. रे..?’
‘नहीं..!’ मेरे हलक से बस इतना ही निकला।
फिर पता नहीं क्या हुआ, चाची कांपने लगीं और रोने लगीं।
मैंने उनका सर अपने कन्धे पर रख लिया। वो अचानक मुझसे चिपक गईं और ज़ोर से रोने लगीं।
मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ..!
मैंने उनकी पीठ पर हाथ फेरना शुरु कर दिया। अचानक उन्होंने मेरे कमीज़ के बटन खोलना शुरु कर दिए।
मैंने कोई हरकत नहीं की, फिर उनका हाथ मेरे सीने पर फिरने लगा।
मैंने हथियार डाल दिए।
फिर उनका हाथ धीरे-धीरे से फिसलता हुआ मेरी पैन्ट की ज़िप पर रुक गया।
मेरा लन्ड अब चाची से छुपा नहीं रहा, वो पैन्ट के ऊपर से दिखने लगा था।
चाची ने मेरी पैन्ट की ज़िप खोलना शुरु की, मैंने अपनी आँखें बन्द कर ली थीं।
ज़िप खोल कर चाची ने मेरा लन्ड बाहर निकाला, मेरा लन्ड चाची के हाथ में था और मेरे शरीर से पसीना बहना शुरु हो गया था।
चाची ने मेरी दोनों टाँगें उठा कर मेरी पैन्ट बाहर निकाल दी। अब मेरा लन्ड चाची के सामने खड़ा था।
एक जवान होता लन्ड और उससे चुदने को तैयार हो रही थी एक अधेड़ जवानी..!
फिर चाची ने मेरा सर पकड़ कर अपने चूचुक से लगा दिया। मैंने पहली बार उन चूचुकों पर अपना मुँह रखा जिनको मैं छुप कर देखा करता था।
आज वो चूचुक खुद चल कर मेरे मुँह में आ गए थे, चाची अपने मम्मों को दोनों हाथों से दबा-दबा कर मेरे मुँह में डाल रही थीं।
मेरी सासें रुकने लगी थीं।
‘साहिल..!’ चाची ने कहा।
मेरी आवाज़ नहीं निकली।
‘अपनी चाची को चोदेगा?’
‘मुझको कुछ हो रहा है चाची..!’ मैंने बहुत मुश्किल से कहा।
‘कुछ नहीं होगा रे..! अभी तूने चुदाई का खेल जो नहीं खेला आज तेरी चाची तुझ को पूरा मर्द बना देगी !’ ऐसा कह कर चाची खड़ी हो गईं और अपनी टाँगें फैला कर मेरा मुँह पकड़ कर अपनी चूत से लगा दिया।
मैंने आँख खोल कर देखा मेरा मुँह उनकी झांटों के बीच में था।
‘इसको चाट रे… तेरी चाची की बहुत तरसी चूत है..!’
ऐसा कह कर उन्होंने दोनों हाथों से अपनी चूत को फैला दिया, मैं उनकी चूत को चाटने लगा।
अजीब सी गन्ध आ रही थी।
करीब दो मिनट चाटा होगा कि चाची ने मेरा मुँह झटके से अलग कर दिया, मेरा मुँह गीला हो गया था।
मैंने चाची के गाउन से मुँह साफ़ किया।
‘खड़ा हो जा रे..!’ चाची ने मुझ से कहा।
मैं खड़ा हो गया, फिर चाची मेरे सामने बैठ गईं, मेरा लण्ड पकड़ कर अपने होंठों पर फेरने लगीं।
मेरे लण्ड से पानी निकलने लगा था।
फिर उन्होंने मेरा लण्ड अपने मुँह में रखा और जुबान से उसको सहलाने लगीं।
मेरे मुँह से बहुत जोरदार आवाज़ निकली- ओह्ह्ह्ह्ह..! चाची यह क्या कर दिया आपने..?
‘कुछ नहीं होगा.. मेरे राजा..!’ चाची ने कहा और ज़ोर से मेरे टट्टे दबा दिए।
मैं दर्द से तड़प गया।
‘चल अब लेट जा..’ चाची ने कहा।
मैं लेट गया, फिर चाची ने मेरी टाँगों को मोड़ा और मेरे ऊपर आ गईं।
यह 69 की पोजीशन थी। मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर उन्होंने अपनी गीली चूत मेरे मुँह पर रख दी और एकदम शान्त लेट गईं।
चाची की चूत से पानी निकल रहा था और मजबूरी में मुझ को पीना पड़ रहा था।
मेरा लण्ड भी पानी छोड़ रहा था जिसको चाची थोड़ी-थोड़ी देर बाद पी जाती थीं। अब मैं समझ गया था कि क्या चल रहा है और क्या होने वाला है।
फिर चाची सीधी लेट गईं और अपनी टाँगें मोड़ कर फैला लीं, ‘आ साहिल चोद.. आज अपनी चाची को चोद.. मेरे राजा..!’
मैं घुटनों के बल उनके सामने बैठ गया। फिर उन्होंने मुझ को पकड़ कर अपने ऊपर गिरा लिया। मेरा लण्ड सीधा चाची की चूत से टकराया हम दोनों की चीख निकल गई, ‘ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चाची..!’
मेरे मुँह से बस इतना ही निकला।
चाची का बदन बुरी तरह से काँप रहा था। हाल मेरा भी बहुत खराब था, मेरा लण्ड चूत से टकरा कर नीचे बिस्तर की तरफ़ मुड़ गया था।
फिर चाची ने मुझ को ऊपर उठाया और मुझ से कहा- मैं जैसा कहूँ करते जाना.. ओके..!
‘जी..’ बस मेरे मुँह से इतना ही निकला।
फिर उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत से लगाया, इस वक्त मैं बेहोश सा हो गया था। यह कहना गलत नहीं होगा।
‘साहिल..!’
‘जी चाची..!’ मैंने कहा।
‘चाची मत कह… अब मेरे राजा.. उस रिश्ते से अब हम आगे निकल आए हैं। सायमा कह या रानी कह।’ मैं चूत को फैलाती हूँ.. तू अपने लण्ड को इसमें सीधे डालना.. पर आराम से..।’
‘जी..!’ मैंने कहा और घुटनों के बल बैठ गया।
उन्होंने अपनी टाँगें मोड़ कर ऊपर उठाईं और दोनों हाथों से अपनी चूत को चीर लिया। मैंने घबराहट में अपना लण्ड उनकी गीली चूत से लगाया और आगे धकेला.. मेरा लण्ड फिसल कर उनकी गांड से जा टकराया।
‘नहीं रे.. ऐसे नहीं.. अच्छा चल.. नाइट-बल्ब जला ले..!’
मैंने उठ कर बल्ब जला दिया। मैंने देखा चाची मुझको देख रही थीं। मैंने भी उस अधेड़ जवानी को रोशनी में पहली बार देखा।
फिर मैं उनकी टाँगों के सामने जा बैठा, उन्होंने अपने हाथों से अपनी चूत को चीरा और मैंने अपने लण्ड को पकड़ कर उनकी चूत में फंसा दिया और थोड़ा सा ऊपर उठ कर अपने लण्ड को अन्दर धक्का दिया।
मेरा लण्ड एक ही बार में पूरा चाची की चूत में चला गया। बाहर बहुत जोरदार बिजली कड़की और मैंने अपने लण्ड को चाची की चूत में समा कर चाची-भतीजे के रिश्ते को पूरी तरह से खत्म कर दिया। अब हम सिर्फ़ औरत और मर्द थे, मैंने पहली बार चूत की गर्माहट महसूस की, चाची की चूत काफ़ी गरम थी।
‘आह्ह्ह्ह्ह्’ चाची के मुँह से कराह निकली.. ‘साहिल मेरे राजा.. आज दम से चोद.. अपनी इस रानी को… आह.. यह चूत तेरी ही है रे.. चोद..!’
मैं अब अपने लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा था, चाची की चूत से पानी निकलना शुरू हो गया था।
‘ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सायमा मेरी रानी..!’
‘फ़क.. फ़क.. फ़क’ की आवाज़ कमरे में गूँजने लगी थी और यहाँ मैंने अपने झटकों की रफ़्तार बढ़ाई वहाँ बाहर बारिश ने अपनी भी झूम कर बरसना आरम्भ कर दिया था।
‘हाँ.. हाँ.. हाँ.. चोदो मेरे राजा चोदो आज फाड़ दो इस रन्डी चूत को …चोदो.. चोद साहिल.. चोद ..ओह्ह्ह्ह….!’
मेरे मुँह से जोर से आवाजें निकल रही थीं और चाची के मुँह से भी..
और इस शोरगुल की आवाज बाहर बारिश की आवाज में दब गई थी और इस वजह से कोई डर नहीं था।
हम दोनों पसीने से नहा गए थे.
फिर कुछ देर बाद मैंने अपना लण्ड चाची की चूत से बाहर निकाला और ऊपर आकर उनके मुँह में डाल दिया और उनके बाल पकड़ कर लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा।
वो रन्डी लण्ड पूरा का पूरा ले रही थी।
मुझ को अपना लण्ड उसके हलक में फंसता हुआ सा महसूस हो रहा था। चाची की आवाज़ निकलना बन्द हो गई थी। उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरा लण्ड पकड़ लिया था और छूटने की कोशिश कर रही थीं।
मैं तो जैसे पागल सा हो गया था। उन्होंने मेरे लण्ड में बहुत ज़ोर से काटा, मैं दर्द से तड़प गया था।
‘साली.. मादरचोद ..रन्डी..!’ कह कर मैंने गुस्से में एक ज़ोरदार चांटा उनके गाल पर लगाया और अपने लण्ड को सहलाने लगा।
उनको शायद अपनी गलती का अहसास हो गया था। वो उठ कर मुझ से चिपक गईं।
‘साहिल मुझ को माफ़ कर दे.. मैं डर गई थी।’ मेरे लण्ड में दर्द हो रहा था।
‘चल तेरे लण्ड की मालिश कर देती हूँ।’ उन्होंने मेरे लण्ड को पकड़ा और तेल से मालिश करने लगीं।
मेरे सामने उनकी गान्ड थी, जो काफ़ी काली थी।
मैंने अपने हाथ में थूक लिया और उनकी गान्ड पर लगा दिया और अपनी उंगली से उस को सहलाने लगा। उनकी सिसकारियां निकलने लगी थीं।
फिर मैंने अपनी एक उंगली उनकी गान्ड में डालने की कोशिश की, गान्ड काफ़ी टाइट थी… मैंने ज़ोर से उंगली अन्दर धकेली। मेरी आधी उंगली उनकी गान्ड में चली गई।
‘आआआह्ह्ह्ह..!’ उनके मुँह से सिस्कारी निकली। उन्होंने अपनी गान्ड को अन्दर भींचा मेरी उंगली अन्दर की तरफ़ चली गई। मैं उंगली को अन्दर-बाहर करने लगा। उनको मज़ा आने लगा था। फिर उन्होंने भी मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया। मैं डर गया.. पर इस बार रन्डी ने काटा नहीं। चाची की चूत से पानी निकल कर बिस्तर पर टपकने लगा था।
‘बस कर मेरे राजा.. क्या उंगली से ही मज़ा दे डालेगा..!’
मैंने उंगली निकाल ली, फिर वो सीधी लेट गई और अपनी टाँगें मोड़ कर फैला लीं।
अब वो अधेड़ चूत चुदने को बेताब थी और मैं अपनी पहली चुदाई का अनुभव एक तजुर्बेकार औरत के साथ लेने जा रहा था।
‘साहिल थोड़ी देर सीधे-सीधे करो.. मैं चाहती हूँ कि तुमको चूत की गर्मी का मज़ा दिया जाए..! फिर कन्डोम पहन लेना..!’
‘जी..!’ मैंने कहा।
उन्होंने हाथों से अपनी चूत को फैलाया, मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उनकी चिरी हुई चूत में अन्दर लगा कर ऊपर-नीचे घुमाया। मेरा लण्ड गीला हो गया।
उन्होंने मुझ को कमर से पकड़ लिया और कहा- चल अब अपने लण्ड को अन्दर घुसेड़….!
मैंने जोरदार धक्का मारा और चाची मेरा लण्ड एक ही बार में पूरा अपनी चूत में ले गई ‘आह्ह्ह्ह्ह् साहीईईईईईल मेरे राजाजाजजा ओह्ह्ह्ह्ह..!’
मेरे मुँह से भी तेज़ आवाज़ निकली। उन्होंने 2-3 जोरदार झटके दिये।
‘फ़क.. फ़क.. फ़क..’ एक बार फिर से कमरे में चुदाई की आवाजें गूँजने लगी थीं।
मैं अब ज़ोरदार धक्के मार रहा था और हर धक्के के साथ उसकी आवाज़ तेज़ होती जा रही थी।
‘आआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह आअह्ह..!’ आवाजें दबाने के लिये चाची ने अपना गाउन अपने मुँह में दबा लिया था, पर आवाजें बढ़ती ही जा रही थीं।
मेरा और उस रन्डी का दिमाग गुम हो चुका था अब मैं कुछ समझने की स्थिति में नहीं था और होश तो वो भी खो चुकी थी।
यहाँ तक कि कन्डोम पहनना भी भूल चुका था।
बाहर बारिश कहर बरसा रही थी और अन्दर हम चुदाई की चरम सीमा पर जा पहुंचे थे।
अचानक मेरे शरीर में बहुत तेज़ अकड़न भरा दर्द हुआ और चाची की एक ज़बर्दस्त चीख निकली और बाहर बिजली गिरी और यहाँ मेरे लण्ड में से बहुत सारा पानी निकल कर चाची की चूत में जा समाया।
‘ओह्ह मर गई.. साहिल में मर गई..!’ वो रन्डी मुझसे चिपक गई।
‘ओह्ह्ह्ह सायमाआआआअ..!’ मैं बहुत ज़ोर से चीखा और मैं अपना होश खो बैठा था। एक अजीब सा दर्द था वो मगर बहुत मीठा दर्द था।
मैं चाची के ऊपर जा गिरा और ज़ोर से साँसें लेने लगा, सासें चाची की भी उखड़ चुकी थीं।
हम काफी देर तक बेसुध एक-दूसरे के ऊपर पड़े रहे।
कुछ देर बाद मेरे लण्ड ने सिकुड़ना शुरु किया और चाची की चूत से बाहर आने लगा और उस के साथ-साथ वीर्य ने भी बाहर आना शुरु कर दिया था और निकल कर बिस्तर पर गिर रहा था।
अब जाकर चाची को भूल का अहसास हुआ था कि कन्डोम नहीं पहना.. मगर चुदाई का हसीन अहसास दोनों के चेहरे पर था।
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हसीन अहसास
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मैं जवान हो रहा था, मेरे दिल में अक्सर चाची को देख कर पता नहीं क्यों हलचल सी होती थी।
यह हलचल क्या थी..! यह उस वक्त पता नहीं था।
मैं जब भी रात को अकेला लेटता था, तो चाची का ख्याल अक्सर मेरे दिमाग में आ जाता था।
वो बारिश की रात मुझ को आज भी याद है जिसने मेरी ज़िन्दगी को बदल कर रख दिया।
उस दिन सुबह से ही पानी गिर रहा था, चाचा बाहर थे, घर में मैं और चाची थीं और छोटा बच्चा था।
मैंने खाना चाची के साथ ही खाया और सोने को जाने की सोच रहा था, तभी चाची ने मुझको रोक लिया और कहा कि आज मैं उनके कमरे में ही सो जाऊँ।
मैं कभी चाची के कमरे में नहीं सोया था तो मुझको सुन कर अजीब सा भी लगा, मगर अच्छा भी लगा।
मैं ऊपर जाकर अपना बिस्तर उठा लाया और ज़मीन पर ही बिछा लिया।
चाची अभी रसोई में ही थीं, जब तक वो अपना काम निपटा कर आईं, मैं सो चुका था।
रात में करीब एक बजे मेरी नीन्द खुली, किसी की दर्द भरी सिसकारियां सुन कर मैंने ध्यान लगा कर सुना, वो चाची की आवाज़ थी।
कमरे में अंधेरा था, मैंने गौर से देखा चाची बिस्तर पर लेटी थीं और उनकी टाँगों के बीच तकिया दबा था। वो तकिये को अपनी दोनों टाँगों के बीच दबा कर उस को ज़ोर-ज़ोर से हिला रही थीं।
मैं घबरा कर उठ बैठा और चाची से मुखातिब हुआ।
मैं- चाची क्या बात है.. क्या तबियत खराब है?
वो अचानक घबरा गईं और उन्होंने तकिया दूर फेंक दिया।
मैंने अन्दाज़ा लगाया कि चाची ने चड्डी नहीं पहनी है।
वो बोलीं- नहीं रे.. अचानक नीचे ज़ोर का दर्द उठ आया है सो तकिया लगा कर दबा रही थी, पर दर्द जाता नहीं है। तू मेरा एक काम करेगा..?
मैंने कहा- हाँ… आप बोलिए क्या करना है..!
चाची- देख वहाँ कपड़ों पर प्रेस करने वाली प्रेस रखी है.. उसको उठा ला ज़रा।
मैंने कहा- लाईट जला दूँ क्या?
वो- नहीं रे.. बन्द रहने दे..
मैं जाकर प्रेस उठा लाया।
‘देख… तुझको मेरे पेट की सिकाई करना होगी।’
मैंने कहा- ठीक है।
उन्होंने चादर ओढ़ ली। मैंने एक कपड़ा गर्म किया और चाची को दिया तो वो बोलीं- नहीं रे.. तू ही सिकाई कर।
और मेरा हाथ पकड़ कर चादर के अन्दर कर लिया और अपनी दोनों टाँगों के बीच कपड़े को मेरे हाथ समेत दबा लिया और सिसकारी लेने लगीं।
मैंने कहा- दर्द शायद ज्यादा है?
‘हाँ.. रे.. दर्द तो बहुत ज्यादा है। एक काम और करेगा मेरा..?’
‘हाँ.. कहिए क्या करना है?’
‘मैं हिल नहीं पाऊँगी ज़रा मेरी मालिश कर देगा.. तो दर्द कम हो जाएगा !
“हाँ.. क्यों नहीं..!”
मैं जाकर तेल ले आया, तब तक चाची उल्टी लेट गई थीं। मैंने उनकी दोनों टाँगों की मालिश की मगर उनके कूल्हों के नीचे तक चाची के आधे कूल्हे नंगे दिख रहे थे। पर सच कहूँ उस वक्त तक भी मेरे दिल में ऐसा कुछ नहीं आया कि चाची के दिल में क्या है।
फिर चाची पलट गईं और अब उनका सीना सामने की तरफ़ था और मैंने महसूस किया कि वो ज़ोर से हिल रहा था।
उन्होंने कहा- सँभालो साहिल, मुझको कुछ हो रहा है… प्लीज़ कुछ करो..!
मैं घबरा गया।
मैंने कहा- चाची डाक्टर के यहाँ चलते हैं।
तो वो बोलीं- नहीं रे.. अभी नहीं.. तू तो बस मालिश करता रह.. मैं ठीक हो जाऊँगी।
ऐसा कह कर उन्होंने अपना गाउन ऊपर सरका लिया और वो पहला मौका था जब मैंने चाची की चूत देखी। अंधेरे में एक काला सा कुछ दिख रहा था और मैंने पहली बार अपने लन्ड में हरकत महसूस की।
मेरे कानों में हजारों झींगरों की सी आवाज़ होने लगी थी और हाथ-पैर हल्के से कांपने लगे थे और जुबान लड़खड़ाने लगी थी।
फिर मैंने हिम्मत कर के अपने हाथों में तेल लिया और चाची के पेट पर मलने लगा।
चाची ने अपना गाउन और ऊपर सरका लिया और दोनों टाँगें मोड़ कर फैला लीं और मुझको सामने की तरफ़ कर लिया।
अब चाची की चूत बिल्कुल मेरे सामने थी, पर साफ़ नहीं दिख रही थी। मेरा लन्ड मेरी पैन्ट में रगड़ने लगा था। पता नहीं मुझको चक्कर से आने लगे थे।
अब चाची ने अपना गाउन पूरा ऊपर की तरफ़ करके उतार दिया। अब वो अधेड़ जवानी मेरे सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थी और मैं अपने होश खोता जा रहा था।
अब मैं मालिश भी नहीं कर पा रहा था। जानता था कि यह कुछ और होने वाला है।
‘क्या सोच रहा है रे..?’ चाची ने मुझसे कहा।
मेरे हलक से आवाज़ नहीं निकली, मैं जड़ हो चुका था।
फिर चाची ने अपने हाथों से मुझको अपने करीब खींचा, उनके भी हाथ काँप रहे थे, ‘साहिल मुझसे नाराज़ तो नहीं है ना.. रे..?’
‘नहीं..!’ मेरे हलक से बस इतना ही निकला।
फिर पता नहीं क्या हुआ, चाची कांपने लगीं और रोने लगीं।
मैंने उनका सर अपने कन्धे पर रख लिया। वो अचानक मुझसे चिपक गईं और ज़ोर से रोने लगीं।
मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ..!
मैंने उनकी पीठ पर हाथ फेरना शुरु कर दिया। अचानक उन्होंने मेरे कमीज़ के बटन खोलना शुरु कर दिए।
मैंने कोई हरकत नहीं की, फिर उनका हाथ मेरे सीने पर फिरने लगा।
मैंने हथियार डाल दिए।
फिर उनका हाथ धीरे-धीरे से फिसलता हुआ मेरी पैन्ट की ज़िप पर रुक गया।
मेरा लन्ड अब चाची से छुपा नहीं रहा, वो पैन्ट के ऊपर से दिखने लगा था।
चाची ने मेरी पैन्ट की ज़िप खोलना शुरु की, मैंने अपनी आँखें बन्द कर ली थीं।
ज़िप खोल कर चाची ने मेरा लन्ड बाहर निकाला, मेरा लन्ड चाची के हाथ में था और मेरे शरीर से पसीना बहना शुरु हो गया था।
चाची ने मेरी दोनों टाँगें उठा कर मेरी पैन्ट बाहर निकाल दी। अब मेरा लन्ड चाची के सामने खड़ा था।
एक जवान होता लन्ड और उससे चुदने को तैयार हो रही थी एक अधेड़ जवानी..!
फिर चाची ने मेरा सर पकड़ कर अपने चूचुक से लगा दिया। मैंने पहली बार उन चूचुकों पर अपना मुँह रखा जिनको मैं छुप कर देखा करता था।
आज वो चूचुक खुद चल कर मेरे मुँह में आ गए थे, चाची अपने मम्मों को दोनों हाथों से दबा-दबा कर मेरे मुँह में डाल रही थीं।
मेरी सासें रुकने लगी थीं।
‘साहिल..!’ चाची ने कहा।
मेरी आवाज़ नहीं निकली।
‘अपनी चाची को चोदेगा?’
‘मुझको कुछ हो रहा है चाची..!’ मैंने बहुत मुश्किल से कहा।
‘कुछ नहीं होगा रे..! अभी तूने चुदाई का खेल जो नहीं खेला आज तेरी चाची तुझ को पूरा मर्द बना देगी !’ ऐसा कह कर चाची खड़ी हो गईं और अपनी टाँगें फैला कर मेरा मुँह पकड़ कर अपनी चूत से लगा दिया।
मैंने आँख खोल कर देखा मेरा मुँह उनकी झांटों के बीच में था।
‘इसको चाट रे… तेरी चाची की बहुत तरसी चूत है..!’
ऐसा कह कर उन्होंने दोनों हाथों से अपनी चूत को फैला दिया, मैं उनकी चूत को चाटने लगा।
अजीब सी गन्ध आ रही थी।
करीब दो मिनट चाटा होगा कि चाची ने मेरा मुँह झटके से अलग कर दिया, मेरा मुँह गीला हो गया था।
मैंने चाची के गाउन से मुँह साफ़ किया।
‘खड़ा हो जा रे..!’ चाची ने मुझ से कहा।
मैं खड़ा हो गया, फिर चाची मेरे सामने बैठ गईं, मेरा लण्ड पकड़ कर अपने होंठों पर फेरने लगीं।
मेरे लण्ड से पानी निकलने लगा था।
फिर उन्होंने मेरा लण्ड अपने मुँह में रखा और जुबान से उसको सहलाने लगीं।
मेरे मुँह से बहुत जोरदार आवाज़ निकली- ओह्ह्ह्ह्ह..! चाची यह क्या कर दिया आपने..?
‘कुछ नहीं होगा.. मेरे राजा..!’ चाची ने कहा और ज़ोर से मेरे टट्टे दबा दिए।
मैं दर्द से तड़प गया।
‘चल अब लेट जा..’ चाची ने कहा।
मैं लेट गया, फिर चाची ने मेरी टाँगों को मोड़ा और मेरे ऊपर आ गईं।
यह 69 की पोजीशन थी। मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर उन्होंने अपनी गीली चूत मेरे मुँह पर रख दी और एकदम शान्त लेट गईं।
चाची की चूत से पानी निकल रहा था और मजबूरी में मुझ को पीना पड़ रहा था।
मेरा लण्ड भी पानी छोड़ रहा था जिसको चाची थोड़ी-थोड़ी देर बाद पी जाती थीं। अब मैं समझ गया था कि क्या चल रहा है और क्या होने वाला है।
फिर चाची सीधी लेट गईं और अपनी टाँगें मोड़ कर फैला लीं, ‘आ साहिल चोद.. आज अपनी चाची को चोद.. मेरे राजा..!’
मैं घुटनों के बल उनके सामने बैठ गया। फिर उन्होंने मुझ को पकड़ कर अपने ऊपर गिरा लिया। मेरा लण्ड सीधा चाची की चूत से टकराया हम दोनों की चीख निकल गई, ‘ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चाची..!’
मेरे मुँह से बस इतना ही निकला।
चाची का बदन बुरी तरह से काँप रहा था। हाल मेरा भी बहुत खराब था, मेरा लण्ड चूत से टकरा कर नीचे बिस्तर की तरफ़ मुड़ गया था।
फिर चाची ने मुझ को ऊपर उठाया और मुझ से कहा- मैं जैसा कहूँ करते जाना.. ओके..!
‘जी..’ बस मेरे मुँह से इतना ही निकला।
फिर उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत से लगाया, इस वक्त मैं बेहोश सा हो गया था। यह कहना गलत नहीं होगा।
‘साहिल..!’
‘जी चाची..!’ मैंने कहा।
‘चाची मत कह… अब मेरे राजा.. उस रिश्ते से अब हम आगे निकल आए हैं। सायमा कह या रानी कह।’ मैं चूत को फैलाती हूँ.. तू अपने लण्ड को इसमें सीधे डालना.. पर आराम से..।’
‘जी..!’ मैंने कहा और घुटनों के बल बैठ गया।
उन्होंने अपनी टाँगें मोड़ कर ऊपर उठाईं और दोनों हाथों से अपनी चूत को चीर लिया। मैंने घबराहट में अपना लण्ड उनकी गीली चूत से लगाया और आगे धकेला.. मेरा लण्ड फिसल कर उनकी गांड से जा टकराया।
‘नहीं रे.. ऐसे नहीं.. अच्छा चल.. नाइट-बल्ब जला ले..!’
मैंने उठ कर बल्ब जला दिया। मैंने देखा चाची मुझको देख रही थीं। मैंने भी उस अधेड़ जवानी को रोशनी में पहली बार देखा।
फिर मैं उनकी टाँगों के सामने जा बैठा, उन्होंने अपने हाथों से अपनी चूत को चीरा और मैंने अपने लण्ड को पकड़ कर उनकी चूत में फंसा दिया और थोड़ा सा ऊपर उठ कर अपने लण्ड को अन्दर धक्का दिया।
मेरा लण्ड एक ही बार में पूरा चाची की चूत में चला गया। बाहर बहुत जोरदार बिजली कड़की और मैंने अपने लण्ड को चाची की चूत में समा कर चाची-भतीजे के रिश्ते को पूरी तरह से खत्म कर दिया। अब हम सिर्फ़ औरत और मर्द थे, मैंने पहली बार चूत की गर्माहट महसूस की, चाची की चूत काफ़ी गरम थी।
‘आह्ह्ह्ह्ह्’ चाची के मुँह से कराह निकली.. ‘साहिल मेरे राजा.. आज दम से चोद.. अपनी इस रानी को… आह.. यह चूत तेरी ही है रे.. चोद..!’
मैं अब अपने लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा था, चाची की चूत से पानी निकलना शुरू हो गया था।
‘ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सायमा मेरी रानी..!’
‘फ़क.. फ़क.. फ़क’ की आवाज़ कमरे में गूँजने लगी थी और यहाँ मैंने अपने झटकों की रफ़्तार बढ़ाई वहाँ बाहर बारिश ने अपनी भी झूम कर बरसना आरम्भ कर दिया था।
‘हाँ.. हाँ.. हाँ.. चोदो मेरे राजा चोदो आज फाड़ दो इस रन्डी चूत को …चोदो.. चोद साहिल.. चोद ..ओह्ह्ह्ह….!’
मेरे मुँह से जोर से आवाजें निकल रही थीं और चाची के मुँह से भी..
और इस शोरगुल की आवाज बाहर बारिश की आवाज में दब गई थी और इस वजह से कोई डर नहीं था।
हम दोनों पसीने से नहा गए थे.
फिर कुछ देर बाद मैंने अपना लण्ड चाची की चूत से बाहर निकाला और ऊपर आकर उनके मुँह में डाल दिया और उनके बाल पकड़ कर लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा।
वो रन्डी लण्ड पूरा का पूरा ले रही थी।
मुझ को अपना लण्ड उसके हलक में फंसता हुआ सा महसूस हो रहा था। चाची की आवाज़ निकलना बन्द हो गई थी। उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरा लण्ड पकड़ लिया था और छूटने की कोशिश कर रही थीं।
मैं तो जैसे पागल सा हो गया था। उन्होंने मेरे लण्ड में बहुत ज़ोर से काटा, मैं दर्द से तड़प गया था।
‘साली.. मादरचोद ..रन्डी..!’ कह कर मैंने गुस्से में एक ज़ोरदार चांटा उनके गाल पर लगाया और अपने लण्ड को सहलाने लगा।
उनको शायद अपनी गलती का अहसास हो गया था। वो उठ कर मुझ से चिपक गईं।
‘साहिल मुझ को माफ़ कर दे.. मैं डर गई थी।’ मेरे लण्ड में दर्द हो रहा था।
‘चल तेरे लण्ड की मालिश कर देती हूँ।’ उन्होंने मेरे लण्ड को पकड़ा और तेल से मालिश करने लगीं।
मेरे सामने उनकी गान्ड थी, जो काफ़ी काली थी।
मैंने अपने हाथ में थूक लिया और उनकी गान्ड पर लगा दिया और अपनी उंगली से उस को सहलाने लगा। उनकी सिसकारियां निकलने लगी थीं।
फिर मैंने अपनी एक उंगली उनकी गान्ड में डालने की कोशिश की, गान्ड काफ़ी टाइट थी… मैंने ज़ोर से उंगली अन्दर धकेली। मेरी आधी उंगली उनकी गान्ड में चली गई।
‘आआआह्ह्ह्ह..!’ उनके मुँह से सिस्कारी निकली। उन्होंने अपनी गान्ड को अन्दर भींचा मेरी उंगली अन्दर की तरफ़ चली गई। मैं उंगली को अन्दर-बाहर करने लगा। उनको मज़ा आने लगा था। फिर उन्होंने भी मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया। मैं डर गया.. पर इस बार रन्डी ने काटा नहीं। चाची की चूत से पानी निकल कर बिस्तर पर टपकने लगा था।
‘बस कर मेरे राजा.. क्या उंगली से ही मज़ा दे डालेगा..!’
मैंने उंगली निकाल ली, फिर वो सीधी लेट गई और अपनी टाँगें मोड़ कर फैला लीं।
अब वो अधेड़ चूत चुदने को बेताब थी और मैं अपनी पहली चुदाई का अनुभव एक तजुर्बेकार औरत के साथ लेने जा रहा था।
‘साहिल थोड़ी देर सीधे-सीधे करो.. मैं चाहती हूँ कि तुमको चूत की गर्मी का मज़ा दिया जाए..! फिर कन्डोम पहन लेना..!’
‘जी..!’ मैंने कहा।
उन्होंने हाथों से अपनी चूत को फैलाया, मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उनकी चिरी हुई चूत में अन्दर लगा कर ऊपर-नीचे घुमाया। मेरा लण्ड गीला हो गया।
उन्होंने मुझ को कमर से पकड़ लिया और कहा- चल अब अपने लण्ड को अन्दर घुसेड़….!
मैंने जोरदार धक्का मारा और चाची मेरा लण्ड एक ही बार में पूरा अपनी चूत में ले गई ‘आह्ह्ह्ह्ह् साहीईईईईईल मेरे राजाजाजजा ओह्ह्ह्ह्ह..!’
मेरे मुँह से भी तेज़ आवाज़ निकली। उन्होंने 2-3 जोरदार झटके दिये।
‘फ़क.. फ़क.. फ़क..’ एक बार फिर से कमरे में चुदाई की आवाजें गूँजने लगी थीं।
मैं अब ज़ोरदार धक्के मार रहा था और हर धक्के के साथ उसकी आवाज़ तेज़ होती जा रही थी।
‘आआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह आअह्ह..!’ आवाजें दबाने के लिये चाची ने अपना गाउन अपने मुँह में दबा लिया था, पर आवाजें बढ़ती ही जा रही थीं।
मेरा और उस रन्डी का दिमाग गुम हो चुका था अब मैं कुछ समझने की स्थिति में नहीं था और होश तो वो भी खो चुकी थी।
यहाँ तक कि कन्डोम पहनना भी भूल चुका था।
बाहर बारिश कहर बरसा रही थी और अन्दर हम चुदाई की चरम सीमा पर जा पहुंचे थे।
अचानक मेरे शरीर में बहुत तेज़ अकड़न भरा दर्द हुआ और चाची की एक ज़बर्दस्त चीख निकली और बाहर बिजली गिरी और यहाँ मेरे लण्ड में से बहुत सारा पानी निकल कर चाची की चूत में जा समाया।
‘ओह्ह मर गई.. साहिल में मर गई..!’ वो रन्डी मुझसे चिपक गई।
‘ओह्ह्ह्ह सायमाआआआअ..!’ मैं बहुत ज़ोर से चीखा और मैं अपना होश खो बैठा था। एक अजीब सा दर्द था वो मगर बहुत मीठा दर्द था।
मैं चाची के ऊपर जा गिरा और ज़ोर से साँसें लेने लगा, सासें चाची की भी उखड़ चुकी थीं।
हम काफी देर तक बेसुध एक-दूसरे के ऊपर पड़े रहे।
कुछ देर बाद मेरे लण्ड ने सिकुड़ना शुरु किया और चाची की चूत से बाहर आने लगा और उस के साथ-साथ वीर्य ने भी बाहर आना शुरु कर दिया था और निकल कर बिस्तर पर गिर रहा था।
अब जाकर चाची को भूल का अहसास हुआ था कि कन्डोम नहीं पहना.. मगर चुदाई का हसीन अहसास दोनों के चेहरे पर था।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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