FUN-MAZA-MASTI
सौतेला बाप--22
अब आगे
*********
इतना कहकर वो हंस पड़ी ...उसने खुद ही माहोल को हल्का करने के लिए ऐसा कहा था ..
समीर अपनी बेटी के चेहरे को देखकर उसे समझने की कोशिश कर रहा था की वो उसके ऐसा करने से नाराज़ है या नही ..
काव्या : "ओहो ...मेरे भोले पापा ....ऐसा कोई इश्यू नही है ..आप मेरी ब्रा और पेंटी देख रहे थे तो कोई बात नही...इट्स नॉर्मल ...आई डोंट माइंड ...ये लो ...आराम से देखो ...''
इतना कहकर वो ड्रायर लेकर वहीं शीशे के सामने बैठकर अपने बॉल सुखाने लगी..
और समीर डम्ब सा होकर कभी उसको और कभी अपने हाथ मे पकड़े उसके अंगवस्त्रों को देखता...
वो आराम से बैठी हुई अपने बॉल सूखा रही थी ..
और जब समीर को आश्वासन हो गया की उसे कोई परेशानी नही है तो वो भी थोड़ा नॉर्मल हुआ और वहीं काव्या के पीछे की तरफ, बेड पर बैठ गया..
अब उसने काव्या के शरीर को अपनी आँखो से सेंकना शुरू कर दिया...उसकी सुराहीदार गर्दन ...घने बॉल....गोरे और चिकने कंधे ...और नीचे की तरफ उसकी फैली हुई गांड ..जो गीले टावल मे लिपटे होने की वजह से साफ़ दिखाई दे रही थी ..और वो तिरछी होकर बैठी थी, जिसकी वजह से उसकी मोटी-2 जांघे भी वो देख पा रहा था ...
और अचानक उसकी नज़र सामने शीशे की तरफ चली गयी ...और वहाँ देखते ही उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी ...वो अपनी बेटी काव्या की चूत को साफ़ देख पा रहा था वहाँ से ...बिलकुल चिकनी चूत थी उसकी .....और इतने मोटे-2 लिप्स थे उसकी पुसी के, उसका तो मन किया की उसकी चूत के साथ स्मूच कर ले ...
और काव्या अपनी ही धुन मे अपने बालों को सूखने मे लगी थी ...उसने जब देखा की समीर एकदम से टकटकी लगाकर शीशे मे कुछ देख रहा है तो उसे ये अहसास हुआ की जिस एंगल मे वो बैठी है,उसमे उसकी चूत साफ़ दिख रही होगी उसके बाप को ..वो एकदम से खड़ी हो गयी ..
एक मिनट के लिए ही सही पर उसकी चिकनी चूत को देखकर समीर पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था ..
काव्या एकदम से पलटी और समीर के आगे हाथ फेला कर बोली : "दो ज़रा मुझे ...''
समीर (चौंकते हुए) : " क ... क ...क्या ?"
काव्या (हंसते हुए) : "मेरी पेंटी ....और क्या ...''
उसने डंब सा बनकर अपने हाथ मे पकड़ी हुई पेंटी आगे कर दी..
और अपनी बेशर्मी का परिचय देते हुए काव्या ने समीर के सामने ही अपनी पेंटी पहननी शुरू कर दी..
पहले तो उसके हाथ मे पेंटी देकर वो बाहर जाने लगा ..पर जब उसने देखा की पेंटी को हाथ मे लेते ही उसने उसे पहनना भी शुरू कर दिया है और उसे बाहर जाने के लिए भी नही बोला तो वो उसे उसकी नासमझी और बचपना समझकर वहीं खड़ा हो गया ...क्योंकि जाने का मन तो उसका भी नही था वहाँ से.
काव्या ने बड़े ही सेक्सी तरीके से अपनी एक टाँग उठाकर पेंटी अंदर डाली और फिर दूसरा पैर भी अंदर डाल लिया...और फिर उसे धीरे-2 उपर खींचकर टावल के अंदर ले गयी...और अपनी कमर मटकाते हुए उसने अंदर ही अंदर पेंटी को एडजस्ट किया और उसे पहन लिया ..फिर उसने घूमकर ब्रा भी ली समीर के हाथों से और उसे पहनकर उसने अपनी ब्रा के कप अपनी छातियों पर एडजस्ट किए और धीरे से टावल की गाँठ खोल दी, और टावल को खींचकर अपनी छातियों से नीचे खिसका दिया..और उसकी जगह पर उसने ब्रा के कॅप्स एडजस्ट कर लिए...समीर ने लाख कोशिश की पर उसकी ब्रेस्ट को नही देख पाया ...और इसी बीच टावल खुलकर पूरी तरह से नीचे गिर गया..
अब थी काव्या अपने सेक्सी रूप मे उसके सामने..सिर्फ़ एक छोटी सी लाल चड्डी और पीछे से खुली हुई ब्रा मे..वो पीछे की तरफ चलती हुई समीर तक पहुँची और बोली : "पापा...प्लीज़ .....इसे बंद कर दो पीछे से ....''
वो बेचारा बड़ी मुश्किल से अपने खड़े हुए लंड को छुपा पा रहा था....वो किसी लंबे डंडे की तरह सामने की तरफ तन कर खड़ा हुआ था...जिसे शायद काव्या ने देख भी लिया था...मज़े लेने के लिए वो एकदम से पीछे हुई और उसने अपने मोटे कूल्हे उसके खड़े हुए लंड पर पिचका दिए ...समीर का खड़ा हुआ लंड उसकी गद्देदार गांड के बीच दबकर रह गया...
समीर भी सोचने लगा की शायद ऐसे खुलेपन मे रहने की आदत है काव्या को, तभी किसी अबोध की तरह उसके सामने ही ब्रा-पेंटी पहन रही है ...और खुद ही उसे ब्रा को बंद करने को भी बोल रही है...कितना भोलापन है उसकी सोतेली बेटी मे..
उसने काँपते हुए हाथों से उसकी ब्रा के स्ट्रेप्स पकड़े और उन्हे आपस मे खींचकर बंद करने लगा..
''अहह .....धीरे पापा .....दर्द होता है ....ये ब्रा थोड़ी छोटी हो गयी है ...इसलिए आराम से करो ...''
समीर : "छोटी हो गयी है तो क्यो पहन रही हो...नयी ले आओ ...''
उसकी उंगलियाँ भी काव्या की पीठ पर नाचने लगी थी अब...वो भी खुलकर मज़े लेने के मूड मे आ चुका था ..
काव्या : "क्या करू पापा...आजकल टाइम ही नही मिलता...मम्मी को भी बोला है कितनी बार..वो भी नही चलती मार्केट ...मुझे अकेले जाने मे शरम सी आती है...सेल्सबॉयस होते हैं ज़्यादातर ...इसलिए ...''
समीर ने क्लिप्स को बंद करते हुए उसे अपनी तरफ घुमा लिया..और बोला : "तुम्हे अगर परेशानी ना हो तो मेरे साथ चलो कभी....मैं दिलवा दूँगा तुम्हे ये सब...''
वो बात तो उससे कर रहा था पर उसकी नज़रें उसकी ब्रा की गहराइयों मे उतरकर उसके मुम्मों का वजन नाप रही थी ..
काव्या : "ओह्ह्ह्ह्ह्ह ...मेरे अच्छे पापा ....''
इतना कहकर वो अपने सोतेले बाप के गले से झूल सी गयी...और अपना लचीला बदन समीर के जिस्म से लपेटकर अपने बदन की गर्मी वहाँ ट्रान्स्फर करने लगी ..
समीर का लंड अब सीधा उसके पेट से टच कर रहा था ....वो भी मचल-2 कर अपने पेट पर खड़े हुए डंडे की गर्मी का मज़ा ले रही थी ..
दोनो को मालूम था की ऐसी परिस्थिति का क्या मतलब होता है...पर दोनो ही अंजान से बनकर, अपने रिश्तों की ओट मे उस अहसास को छुपाने का असफल प्रयास कर रहे थे ..
समीर के हाथ फिसलकर उसके कुल्हों पर जा लगे...तब काव्या को अहसास हुआ की जितना उसने सोचा था ये तो उससे ज़्यादा ही होने लगा है आज ...पर तभी उसका बचाव करते हुए उसकी माँ की आवाज़ गूँजी नीचे से
''काव्या ....... समीर .....कहाँ हो आप दोनो ....जल्दी आओ ...नाश्ता लग चुका है ...''
समीर ने हड़बड़ाकार उसे छोड़ दिया...पर तब तक वो उसके नर्म और मुलायम कुल्हों का मज़ा ले चुका था ....अपनी उंगलियों पर मिले आधे-अधूरे अहसास को अपने दिल मे दबाकर वो भारी मान से नीचे की तरफ चल दिया...
और नाश्ते की टेबल पर आकर बैठ गया..काव्या अपने बाकी के कपडे पहनने लगी तब तक .
इन सबमे तो उसे ये भी याद नही रहा की जिस काम से वो काव्या के कमरे मे गया था वो हुआ ही नही ...उसे तो उस लड़के के बारे मे बात करनी थी काव्या से ...
वो परेशान सा होकर फिर से सोचने लगा की कैसे और कब बात कर सकेगा वो काव्या से ..
समीर को गहरी सोच मे बैठे देखकर रश्मि उसके पास आई और बोली : "क्या हुआ ...आप इतने परेशान से क्यो लग रहे हैं ..''
समीर : "हूँ .... हाँ .... नही तो ...ऐसा कुछ नही है ...''
रश्मि समझ गयी की ज़रूर कोई बात है जो समीर उससे छुपाने की कोशिश कर रहा है ..
रश्मि : " कुछ तो बात है...आप इतना परेशान नही रहते वरना ..कोई बात हुई है क्या ...काव्या ने कुछ कहा ??"
समीर : "अरे नही ...काव्या क्यो कुछ कहेगी ...वो तो इतनी प्यारी बच्ची है ...''
प्यारी शब्द बोलते हुए समीर की आँखों के सामने काव्या नंगी होकर नाच रही थी ..
रश्मि : "फिर आप इतने परेशान क्यो हो.... मुझे बताइए, शायद मैं आपकी कोई मदद कर सकूँ ..''
समीर सोचने लगा की रश्मि सही कह रही है .. हो सकता है रश्मि उस परेशानी का कोई समाधान निकाल सके.
समीर थोड़ा गंभीर सा हो गया और बोला : "रश्मि ... जहाँ तुम लोग पहले रहते थे ...वहाँ कोई विक्की नाम का लड़का भी रहता था क्या ..''
रश्मि उसकी बात को सुनकर सोच मे पड़ गयी ... : "विक्की ..... विक्की ...... ...शायद .....हाँ ..बिल्कुल रहता था... याद आया ...वो हमारी ही गली मे रहता था ...बड़ा ही आवारा किस्म का लड़का है वो तो ...हमेशा आने जाने वालो को गंदी नज़रों से देखकर ....''
उसने अपनी बात अधूरी छोड़ दी, क्योंकि उसके दिमाग़ मे वो वाक़या घूमने लगा जब वो एक दिन ऑफीस से घर जा रही थी और तेज बारिश की वजह से उसकी साड़ी उसके बदन से पूरी तरह से चिपक गयी थी ...वो भागती हुई सी अपने घर की तरफ जा रही थी जब उसने देखा की चौराहे पर विक्की खड़ा हुआ उसके बदन को भूखे कुत्ते की तरह देख रहा है ...वो जानती थी की भीगने की वजह से उसकी छातियाँ साफ़ देखि जा सकती है,और हलकी ठण्ड होने जाने की वजह से उसके सेंसेटिव निप्पल भी खड़े हो गए थे,जिन्हे वो अपनी ललचाई हुई नजरों से घूर रहा था
वैसे ये उसका रोज का काम था, वो जब भी ऑफीस जाती थी , वो रोज सुबह और शाम के समय वहीं गली के बाहर खड़ा होकर उसकी एक झलक पाने के लिए बेताब सा रहता था ..रश्मि को ये सब अच्छा नही लगता था, वो एक सभ्य समाज मे रहने वाली शरीफ औरत थी, और वो लड़का उसके बेटे की उम्र का था ... पर वो कर भी क्या सकती थी... कुछ बोलकर वो बिना वजह का झगड़ा नही करना चाहती थी .और रश्मि को अपनी जवान हो रही बेटी काव्या की भी चिंता थी..ऐसे आवारा किस्म के लड़कों से पंगा लेकर वो अपनी बेटी के लिए कोई मुसीबत मोल नही लेना चाहती थी .
वो तो अच्छा हुआ की रश्मि की शादी समीर से हो गयी ..और वो लोग वहां से निकल आए ...वरना उसकी गंदी नज़रों का सामना करते हुए तो रश्मि तंग आ चुकी थी ..
पर बेचारी रश्मि को ये बात कहाँ मालूम थी की वो हरामी किस्म का लड़का उसे तो क्या , मोहल्ले की हर औरत और लड़कियों को देखकर अपने लंड को मसलता है ... और ख़ासकर उसकी बेटी काव्या को देखकर, जिसके बारे मे सोचकर वो हर रात मूठ मारा करता था .
रश्मि हैरान थी की समीर को विक्की के बारे मे कैसे पता, वो कैसे जानता है उसको ..
रश्मि : "पर आप क्यो पूछ रहे हैं ...उसके बारे मे ..आप तो उसको जानते भी नहीं । ''
समीर : "देखो ....कल रात को...काव्या ने मुझे उस लड़के के बारे मे बताया ...''
रश्मि का तो सिर घूम गया वो बात सुनकर... भला उसकी बेटी का उस लफंगे से क्या वास्ता ...वो क्यो लेने लगी उसका नाम समीर के सामने ..
समीर आगे बोला : "वो दरअसल ...उस लड़के के साथ उसकी दोस्ती हो गयी थी शायद .... और दोनो एक दूसरे को पसंद भी करने लगे हैं ...''
इस बात को सुनकर तो रश्मि के सिर पर जैसे कोई पहाड़ सा टूट पड़ा ... ऐसा कैसे हो सकता है ... काव्या भला उस लड़के को क्यो पसंद करने लगी .. कहाँ उसकी राजकुमारी जैसी सुंदर काव्या और कहाँ वो गली का आवारा कुत्ता विक्की ...
उसकी तो समझ मे कुछ नही आ रहा था ... उसका सिर चकराने लगा...वो धम्म से वहीं कुर्सी पर बैठ गयी ..
समीर भागकर उसके पास आया ...उसे पानी दिया और उसके पास बैठकर रश्मि के हाथ को अपने हाथ मे ले लिया और बोला : "मुझे पता है की तुम्हे कैसा फील हो रहा होगा इस वक़्त ..वो बच्ची है अभी ..उसको दुनिया की कोई समझ नही है ...तभी शायद वो उस लड़के की बातों मे आ गयी है ...''
रश्मि एक दम से फट पड़ी : "वो लड़का एक नंबर का हरामी है ....हमारे मोहल्ले की हर औरत को छेड़ता था ...उसकी गंदी नज़रों को मैं भी आज तक भूली नही हू .... .. उसने मेरी बेटी को ... कैसे ...... मैं छोड़ूँगी नही उस कमीने को ...आज ही मैं उसके घर जाकर …… ''
समीर बीच मे ही बोल पड़ा : "नही ...तुम ऐसा कुछ नही करोगी ...ऐसा करने मे हमारी बेटी की कितनी बदनामी होगी वो तुम शायद नही जानती ... और तुम काव्या से भी कोई बात नही करोगी इस बारे मे ...उसने मुझपर भरोसा करके ये बात बताई है मुझे ...वो शायद तुम्हे नही बताना चाहती थी ये बात, पर मुझे बताकर उसने एक नये रिश्ते की शुरूवात की है मेरे साथ, और तुम ऐसा कोई काम नही करोगी जिसकी वजह से वो कभी भी मुझपर भरोसा करके कोई बात ना कर सके ...समझी ..''
समीर ने लगभग डाँटते हुए उसे ये बात कही थी .
रश्मि की रुलाई फुट गयी ... वो बिलख-2 कर रोने लगी : "मैने अपनी बेटी को दुनिया की हर बुरी नज़र से बचा कर रखा ...पर आख़िर उसपर दुनिया की बुरी नज़र पड़ ही गयी ... पता नही उस कमीने ने उसके साथ क्या-2 किया होगा ..''
समीर : "उसने मुझे सब बताया है..ऐसा कुछ नही हुआ है दोनो के बीच ...पर अगर हमने अभी कोई कदम नही उठाया तो ज़रूर हो जाएगा ...क्योंकि उस लड़के ने काव्या को लवर पॉइंट पर बुलाया है संडे को ..और यही बात सोच-सोचकर काव्या भी परेशान है ... हमारे पास सिर्फ़ 3 दिन का समय है ...इस बीच हमे कुछ करना होगा ताकि काव्या के सिर से उस लड़के का भूत उतर जाए...''
रश्मि भी अब संभाल चुकी थी ...उसे समीर की बातों मे समझदारी दिखाई दे रही थी ... जो भी करना होगा, सोच समझ कर ही करना होगा..
रश्मि ने एकदम से कुछ सोचा और अगले ही पल बोली : "मैं जाकर मिलूंगी उस लड़के से ...और उसे समझाने की कोशिश करूँगी ..''
समीर उसकी बात सुनकर कुछ देर चुप रहा और बोला : "हाँ ....शायद ये ठीक रहेगा ...तुम उस लड़के को समझाओ ...और मैं काव्या को समझाने की कोशिश करता हू ..''
वो ये बात कर ही रहे थे की काव्या अपने कपड़े पहनकर नीचे उतर आई और बोली : "मुझे क्या समझाना है पापा ...''
उसने बड़े ही भोलेपन से समीर की आँखों मे देखते हुए कहा .
रश्मि अपने आँसू पोछते हुए जल्दी से बाथरूम की तरफ चली गयी.
समीर : "अरे तुम आ गयी .... कुछ नही समझाना ...बस मैं तुम्हारी माँ से कह रहा था की तुम्हे शॉपिंग पर लेकर जाना है मुझे आज ...तो वो मना करने लगी की तुम शायद नही चलोगी ...बस वही कह रहा था की मैं समझा दूँगा तुम्हे ..''
शॉपिंग का नाम सुनते ही काव्या की आँखों मे चमक सी आ गयी, वो समझ गयी की समीर किस शॉपिंग की बात कर रहा है .समीर के साथ ब्रा-पेंटी की शॉपिंग के बारे मे सोचते ही उसकी चूत गीली हो उठी और उसमे से सोंधी सी खुश्बू निकलकर पूरे कमरे मे फैल गई.
काव्या : "मैं भला क्यो मना करने लगी ....आज ही शाम को चलेंगे शॉपिंग करने ...मैं कॉलेज से सीधा आपके ऑफीस आ जाउंगी ...ओके ..''
तब तक रश्मि भी आ गयी ...उसने काव्या की बात सुन ली थी ..वो बिना कुछ बोले किचन मे चली गयी...उसे अंदर ही अंदर काव्या पर गुस्सा जो आ रहा था...कैसी नासमझ है उसकी बेटी जो विक्की जैसे लुच्चे के चुंगल मे फँस गयी है ...
समीर और काव्या किस शॉपिंग के बारे मे बात कर रहे थे, वो बेचारी कुछ भी नही जानती थी ..उसके दिमाग़ मे तो बस ये बात घूम रही थी की कैसे वो विक्की को समझाएगी ...
दिन के समय तो पता नही वो कहाँ मिलेगा...शायद वो भी स्कूल या कॉलेज जाता हो...रश्मि ने तो हमेशा उसे सुबह और शाम के वक़्त चौराहे पर ही खड़ा हुआ देखा था, अपने आवारा दोस्तों के साथ ...सुबह का समय तो निकल ही चुका था अब ...उसने सोच लिया की शाम को वो ज़रूर जाएगी ..
समीर और काव्या भी शॉपिंग के लिए जा रहे हैं ...अच्छी बात है, काव्या को कोई जवाब नही देना पड़ेगा की वो कहाँ गयी थी ..
उसने ये बात समीर को भी बोल दी की शाम को वो उस लड़के से मिलकर उसे समझाने की कोशिश करेगी ...और तुम शॉपिंग के वक़्त काव्या को समझाने की कोशिश करना ...
यही एक तरीका समझ आ रहा था उन दोनो को..
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और समीर डम्ब सा होकर कभी उसको और कभी अपने हाथ मे पकड़े उसके अंगवस्त्रों को देखता...
वो आराम से बैठी हुई अपने बॉल सूखा रही थी ..
और जब समीर को आश्वासन हो गया की उसे कोई परेशानी नही है तो वो भी थोड़ा नॉर्मल हुआ और वहीं काव्या के पीछे की तरफ, बेड पर बैठ गया..
अब उसने काव्या के शरीर को अपनी आँखो से सेंकना शुरू कर दिया...उसकी सुराहीदार गर्दन ...घने बॉल....गोरे और चिकने कंधे ...और नीचे की तरफ उसकी फैली हुई गांड ..जो गीले टावल मे लिपटे होने की वजह से साफ़ दिखाई दे रही थी ..और वो तिरछी होकर बैठी थी, जिसकी वजह से उसकी मोटी-2 जांघे भी वो देख पा रहा था ...
और अचानक उसकी नज़र सामने शीशे की तरफ चली गयी ...और वहाँ देखते ही उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी ...वो अपनी बेटी काव्या की चूत को साफ़ देख पा रहा था वहाँ से ...बिलकुल चिकनी चूत थी उसकी .....और इतने मोटे-2 लिप्स थे उसकी पुसी के, उसका तो मन किया की उसकी चूत के साथ स्मूच कर ले ...
और काव्या अपनी ही धुन मे अपने बालों को सूखने मे लगी थी ...उसने जब देखा की समीर एकदम से टकटकी लगाकर शीशे मे कुछ देख रहा है तो उसे ये अहसास हुआ की जिस एंगल मे वो बैठी है,उसमे उसकी चूत साफ़ दिख रही होगी उसके बाप को ..वो एकदम से खड़ी हो गयी ..
एक मिनट के लिए ही सही पर उसकी चिकनी चूत को देखकर समीर पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था ..
काव्या एकदम से पलटी और समीर के आगे हाथ फेला कर बोली : "दो ज़रा मुझे ...''
समीर (चौंकते हुए) : " क ... क ...क्या ?"
काव्या (हंसते हुए) : "मेरी पेंटी ....और क्या ...''
उसने डंब सा बनकर अपने हाथ मे पकड़ी हुई पेंटी आगे कर दी..
और अपनी बेशर्मी का परिचय देते हुए काव्या ने समीर के सामने ही अपनी पेंटी पहननी शुरू कर दी..
पहले तो उसके हाथ मे पेंटी देकर वो बाहर जाने लगा ..पर जब उसने देखा की पेंटी को हाथ मे लेते ही उसने उसे पहनना भी शुरू कर दिया है और उसे बाहर जाने के लिए भी नही बोला तो वो उसे उसकी नासमझी और बचपना समझकर वहीं खड़ा हो गया ...क्योंकि जाने का मन तो उसका भी नही था वहाँ से.
काव्या ने बड़े ही सेक्सी तरीके से अपनी एक टाँग उठाकर पेंटी अंदर डाली और फिर दूसरा पैर भी अंदर डाल लिया...और फिर उसे धीरे-2 उपर खींचकर टावल के अंदर ले गयी...और अपनी कमर मटकाते हुए उसने अंदर ही अंदर पेंटी को एडजस्ट किया और उसे पहन लिया ..फिर उसने घूमकर ब्रा भी ली समीर के हाथों से और उसे पहनकर उसने अपनी ब्रा के कप अपनी छातियों पर एडजस्ट किए और धीरे से टावल की गाँठ खोल दी, और टावल को खींचकर अपनी छातियों से नीचे खिसका दिया..और उसकी जगह पर उसने ब्रा के कॅप्स एडजस्ट कर लिए...समीर ने लाख कोशिश की पर उसकी ब्रेस्ट को नही देख पाया ...और इसी बीच टावल खुलकर पूरी तरह से नीचे गिर गया..
अब थी काव्या अपने सेक्सी रूप मे उसके सामने..सिर्फ़ एक छोटी सी लाल चड्डी और पीछे से खुली हुई ब्रा मे..वो पीछे की तरफ चलती हुई समीर तक पहुँची और बोली : "पापा...प्लीज़ .....इसे बंद कर दो पीछे से ....''
वो बेचारा बड़ी मुश्किल से अपने खड़े हुए लंड को छुपा पा रहा था....वो किसी लंबे डंडे की तरह सामने की तरफ तन कर खड़ा हुआ था...जिसे शायद काव्या ने देख भी लिया था...मज़े लेने के लिए वो एकदम से पीछे हुई और उसने अपने मोटे कूल्हे उसके खड़े हुए लंड पर पिचका दिए ...समीर का खड़ा हुआ लंड उसकी गद्देदार गांड के बीच दबकर रह गया...
समीर भी सोचने लगा की शायद ऐसे खुलेपन मे रहने की आदत है काव्या को, तभी किसी अबोध की तरह उसके सामने ही ब्रा-पेंटी पहन रही है ...और खुद ही उसे ब्रा को बंद करने को भी बोल रही है...कितना भोलापन है उसकी सोतेली बेटी मे..
उसने काँपते हुए हाथों से उसकी ब्रा के स्ट्रेप्स पकड़े और उन्हे आपस मे खींचकर बंद करने लगा..
''अहह .....धीरे पापा .....दर्द होता है ....ये ब्रा थोड़ी छोटी हो गयी है ...इसलिए आराम से करो ...''
समीर : "छोटी हो गयी है तो क्यो पहन रही हो...नयी ले आओ ...''
उसकी उंगलियाँ भी काव्या की पीठ पर नाचने लगी थी अब...वो भी खुलकर मज़े लेने के मूड मे आ चुका था ..
काव्या : "क्या करू पापा...आजकल टाइम ही नही मिलता...मम्मी को भी बोला है कितनी बार..वो भी नही चलती मार्केट ...मुझे अकेले जाने मे शरम सी आती है...सेल्सबॉयस होते हैं ज़्यादातर ...इसलिए ...''
समीर ने क्लिप्स को बंद करते हुए उसे अपनी तरफ घुमा लिया..और बोला : "तुम्हे अगर परेशानी ना हो तो मेरे साथ चलो कभी....मैं दिलवा दूँगा तुम्हे ये सब...''
वो बात तो उससे कर रहा था पर उसकी नज़रें उसकी ब्रा की गहराइयों मे उतरकर उसके मुम्मों का वजन नाप रही थी ..
काव्या : "ओह्ह्ह्ह्ह्ह ...मेरे अच्छे पापा ....''
इतना कहकर वो अपने सोतेले बाप के गले से झूल सी गयी...और अपना लचीला बदन समीर के जिस्म से लपेटकर अपने बदन की गर्मी वहाँ ट्रान्स्फर करने लगी ..
समीर का लंड अब सीधा उसके पेट से टच कर रहा था ....वो भी मचल-2 कर अपने पेट पर खड़े हुए डंडे की गर्मी का मज़ा ले रही थी ..
दोनो को मालूम था की ऐसी परिस्थिति का क्या मतलब होता है...पर दोनो ही अंजान से बनकर, अपने रिश्तों की ओट मे उस अहसास को छुपाने का असफल प्रयास कर रहे थे ..
समीर के हाथ फिसलकर उसके कुल्हों पर जा लगे...तब काव्या को अहसास हुआ की जितना उसने सोचा था ये तो उससे ज़्यादा ही होने लगा है आज ...पर तभी उसका बचाव करते हुए उसकी माँ की आवाज़ गूँजी नीचे से
''काव्या ....... समीर .....कहाँ हो आप दोनो ....जल्दी आओ ...नाश्ता लग चुका है ...''
समीर ने हड़बड़ाकार उसे छोड़ दिया...पर तब तक वो उसके नर्म और मुलायम कुल्हों का मज़ा ले चुका था ....अपनी उंगलियों पर मिले आधे-अधूरे अहसास को अपने दिल मे दबाकर वो भारी मान से नीचे की तरफ चल दिया...
और नाश्ते की टेबल पर आकर बैठ गया..काव्या अपने बाकी के कपडे पहनने लगी तब तक .
इन सबमे तो उसे ये भी याद नही रहा की जिस काम से वो काव्या के कमरे मे गया था वो हुआ ही नही ...उसे तो उस लड़के के बारे मे बात करनी थी काव्या से ...
वो परेशान सा होकर फिर से सोचने लगा की कैसे और कब बात कर सकेगा वो काव्या से ..
समीर को गहरी सोच मे बैठे देखकर रश्मि उसके पास आई और बोली : "क्या हुआ ...आप इतने परेशान से क्यो लग रहे हैं ..''
समीर : "हूँ .... हाँ .... नही तो ...ऐसा कुछ नही है ...''
रश्मि समझ गयी की ज़रूर कोई बात है जो समीर उससे छुपाने की कोशिश कर रहा है ..
रश्मि : " कुछ तो बात है...आप इतना परेशान नही रहते वरना ..कोई बात हुई है क्या ...काव्या ने कुछ कहा ??"
समीर : "अरे नही ...काव्या क्यो कुछ कहेगी ...वो तो इतनी प्यारी बच्ची है ...''
प्यारी शब्द बोलते हुए समीर की आँखों के सामने काव्या नंगी होकर नाच रही थी ..
रश्मि : "फिर आप इतने परेशान क्यो हो.... मुझे बताइए, शायद मैं आपकी कोई मदद कर सकूँ ..''
समीर सोचने लगा की रश्मि सही कह रही है .. हो सकता है रश्मि उस परेशानी का कोई समाधान निकाल सके.
समीर थोड़ा गंभीर सा हो गया और बोला : "रश्मि ... जहाँ तुम लोग पहले रहते थे ...वहाँ कोई विक्की नाम का लड़का भी रहता था क्या ..''
रश्मि उसकी बात को सुनकर सोच मे पड़ गयी ... : "विक्की ..... विक्की ...... ...शायद .....हाँ ..बिल्कुल रहता था... याद आया ...वो हमारी ही गली मे रहता था ...बड़ा ही आवारा किस्म का लड़का है वो तो ...हमेशा आने जाने वालो को गंदी नज़रों से देखकर ....''
उसने अपनी बात अधूरी छोड़ दी, क्योंकि उसके दिमाग़ मे वो वाक़या घूमने लगा जब वो एक दिन ऑफीस से घर जा रही थी और तेज बारिश की वजह से उसकी साड़ी उसके बदन से पूरी तरह से चिपक गयी थी ...वो भागती हुई सी अपने घर की तरफ जा रही थी जब उसने देखा की चौराहे पर विक्की खड़ा हुआ उसके बदन को भूखे कुत्ते की तरह देख रहा है ...वो जानती थी की भीगने की वजह से उसकी छातियाँ साफ़ देखि जा सकती है,और हलकी ठण्ड होने जाने की वजह से उसके सेंसेटिव निप्पल भी खड़े हो गए थे,जिन्हे वो अपनी ललचाई हुई नजरों से घूर रहा था
वैसे ये उसका रोज का काम था, वो जब भी ऑफीस जाती थी , वो रोज सुबह और शाम के समय वहीं गली के बाहर खड़ा होकर उसकी एक झलक पाने के लिए बेताब सा रहता था ..रश्मि को ये सब अच्छा नही लगता था, वो एक सभ्य समाज मे रहने वाली शरीफ औरत थी, और वो लड़का उसके बेटे की उम्र का था ... पर वो कर भी क्या सकती थी... कुछ बोलकर वो बिना वजह का झगड़ा नही करना चाहती थी .और रश्मि को अपनी जवान हो रही बेटी काव्या की भी चिंता थी..ऐसे आवारा किस्म के लड़कों से पंगा लेकर वो अपनी बेटी के लिए कोई मुसीबत मोल नही लेना चाहती थी .
वो तो अच्छा हुआ की रश्मि की शादी समीर से हो गयी ..और वो लोग वहां से निकल आए ...वरना उसकी गंदी नज़रों का सामना करते हुए तो रश्मि तंग आ चुकी थी ..
पर बेचारी रश्मि को ये बात कहाँ मालूम थी की वो हरामी किस्म का लड़का उसे तो क्या , मोहल्ले की हर औरत और लड़कियों को देखकर अपने लंड को मसलता है ... और ख़ासकर उसकी बेटी काव्या को देखकर, जिसके बारे मे सोचकर वो हर रात मूठ मारा करता था .
रश्मि हैरान थी की समीर को विक्की के बारे मे कैसे पता, वो कैसे जानता है उसको ..
रश्मि : "पर आप क्यो पूछ रहे हैं ...उसके बारे मे ..आप तो उसको जानते भी नहीं । ''
समीर : "देखो ....कल रात को...काव्या ने मुझे उस लड़के के बारे मे बताया ...''
रश्मि का तो सिर घूम गया वो बात सुनकर... भला उसकी बेटी का उस लफंगे से क्या वास्ता ...वो क्यो लेने लगी उसका नाम समीर के सामने ..
समीर आगे बोला : "वो दरअसल ...उस लड़के के साथ उसकी दोस्ती हो गयी थी शायद .... और दोनो एक दूसरे को पसंद भी करने लगे हैं ...''
इस बात को सुनकर तो रश्मि के सिर पर जैसे कोई पहाड़ सा टूट पड़ा ... ऐसा कैसे हो सकता है ... काव्या भला उस लड़के को क्यो पसंद करने लगी .. कहाँ उसकी राजकुमारी जैसी सुंदर काव्या और कहाँ वो गली का आवारा कुत्ता विक्की ...
उसकी तो समझ मे कुछ नही आ रहा था ... उसका सिर चकराने लगा...वो धम्म से वहीं कुर्सी पर बैठ गयी ..
समीर भागकर उसके पास आया ...उसे पानी दिया और उसके पास बैठकर रश्मि के हाथ को अपने हाथ मे ले लिया और बोला : "मुझे पता है की तुम्हे कैसा फील हो रहा होगा इस वक़्त ..वो बच्ची है अभी ..उसको दुनिया की कोई समझ नही है ...तभी शायद वो उस लड़के की बातों मे आ गयी है ...''
रश्मि एक दम से फट पड़ी : "वो लड़का एक नंबर का हरामी है ....हमारे मोहल्ले की हर औरत को छेड़ता था ...उसकी गंदी नज़रों को मैं भी आज तक भूली नही हू .... .. उसने मेरी बेटी को ... कैसे ...... मैं छोड़ूँगी नही उस कमीने को ...आज ही मैं उसके घर जाकर …… ''
समीर बीच मे ही बोल पड़ा : "नही ...तुम ऐसा कुछ नही करोगी ...ऐसा करने मे हमारी बेटी की कितनी बदनामी होगी वो तुम शायद नही जानती ... और तुम काव्या से भी कोई बात नही करोगी इस बारे मे ...उसने मुझपर भरोसा करके ये बात बताई है मुझे ...वो शायद तुम्हे नही बताना चाहती थी ये बात, पर मुझे बताकर उसने एक नये रिश्ते की शुरूवात की है मेरे साथ, और तुम ऐसा कोई काम नही करोगी जिसकी वजह से वो कभी भी मुझपर भरोसा करके कोई बात ना कर सके ...समझी ..''
समीर ने लगभग डाँटते हुए उसे ये बात कही थी .
रश्मि की रुलाई फुट गयी ... वो बिलख-2 कर रोने लगी : "मैने अपनी बेटी को दुनिया की हर बुरी नज़र से बचा कर रखा ...पर आख़िर उसपर दुनिया की बुरी नज़र पड़ ही गयी ... पता नही उस कमीने ने उसके साथ क्या-2 किया होगा ..''
समीर : "उसने मुझे सब बताया है..ऐसा कुछ नही हुआ है दोनो के बीच ...पर अगर हमने अभी कोई कदम नही उठाया तो ज़रूर हो जाएगा ...क्योंकि उस लड़के ने काव्या को लवर पॉइंट पर बुलाया है संडे को ..और यही बात सोच-सोचकर काव्या भी परेशान है ... हमारे पास सिर्फ़ 3 दिन का समय है ...इस बीच हमे कुछ करना होगा ताकि काव्या के सिर से उस लड़के का भूत उतर जाए...''
रश्मि भी अब संभाल चुकी थी ...उसे समीर की बातों मे समझदारी दिखाई दे रही थी ... जो भी करना होगा, सोच समझ कर ही करना होगा..
रश्मि ने एकदम से कुछ सोचा और अगले ही पल बोली : "मैं जाकर मिलूंगी उस लड़के से ...और उसे समझाने की कोशिश करूँगी ..''
समीर उसकी बात सुनकर कुछ देर चुप रहा और बोला : "हाँ ....शायद ये ठीक रहेगा ...तुम उस लड़के को समझाओ ...और मैं काव्या को समझाने की कोशिश करता हू ..''
वो ये बात कर ही रहे थे की काव्या अपने कपड़े पहनकर नीचे उतर आई और बोली : "मुझे क्या समझाना है पापा ...''
उसने बड़े ही भोलेपन से समीर की आँखों मे देखते हुए कहा .
रश्मि अपने आँसू पोछते हुए जल्दी से बाथरूम की तरफ चली गयी.
समीर : "अरे तुम आ गयी .... कुछ नही समझाना ...बस मैं तुम्हारी माँ से कह रहा था की तुम्हे शॉपिंग पर लेकर जाना है मुझे आज ...तो वो मना करने लगी की तुम शायद नही चलोगी ...बस वही कह रहा था की मैं समझा दूँगा तुम्हे ..''
शॉपिंग का नाम सुनते ही काव्या की आँखों मे चमक सी आ गयी, वो समझ गयी की समीर किस शॉपिंग की बात कर रहा है .समीर के साथ ब्रा-पेंटी की शॉपिंग के बारे मे सोचते ही उसकी चूत गीली हो उठी और उसमे से सोंधी सी खुश्बू निकलकर पूरे कमरे मे फैल गई.
काव्या : "मैं भला क्यो मना करने लगी ....आज ही शाम को चलेंगे शॉपिंग करने ...मैं कॉलेज से सीधा आपके ऑफीस आ जाउंगी ...ओके ..''
तब तक रश्मि भी आ गयी ...उसने काव्या की बात सुन ली थी ..वो बिना कुछ बोले किचन मे चली गयी...उसे अंदर ही अंदर काव्या पर गुस्सा जो आ रहा था...कैसी नासमझ है उसकी बेटी जो विक्की जैसे लुच्चे के चुंगल मे फँस गयी है ...
समीर और काव्या किस शॉपिंग के बारे मे बात कर रहे थे, वो बेचारी कुछ भी नही जानती थी ..उसके दिमाग़ मे तो बस ये बात घूम रही थी की कैसे वो विक्की को समझाएगी ...
दिन के समय तो पता नही वो कहाँ मिलेगा...शायद वो भी स्कूल या कॉलेज जाता हो...रश्मि ने तो हमेशा उसे सुबह और शाम के वक़्त चौराहे पर ही खड़ा हुआ देखा था, अपने आवारा दोस्तों के साथ ...सुबह का समय तो निकल ही चुका था अब ...उसने सोच लिया की शाम को वो ज़रूर जाएगी ..
समीर और काव्या भी शॉपिंग के लिए जा रहे हैं ...अच्छी बात है, काव्या को कोई जवाब नही देना पड़ेगा की वो कहाँ गयी थी ..
उसने ये बात समीर को भी बोल दी की शाम को वो उस लड़के से मिलकर उसे समझाने की कोशिश करेगी ...और तुम शॉपिंग के वक़्त काव्या को समझाने की कोशिश करना ...
यही एक तरीका समझ आ रहा था उन दोनो को..
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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