FUN-MAZA-MASTI
आह्ह… क्या खुशबू थी। उसकी इस मदहोश कर देने वाली खुशबू ने मुझे बस उसका दीवाना बना दिया था। मन तो कर रहा था कि अभी उसकी पेन्टी उतार कर उसकी गाण्ड को चाट लूँ। मेरी उत्तेजना और बढ़ गई और मैं अपने आप से बेकाबू होते जा रहा था।
फ़िर सोनू ने भी यही किया, अब वो पहले की तरह डर नहीं रहा था।
इस बार मैंने अपना एक हाथ सुहाना के चूतड़ों पर रख दिया और उसे सहलाने लगा। फ़िर मैं अपनी आँखें बंद करके उसकी मोटी नर्म गाण्ड का आनन्द लेने लगा।
और मैं अपने दूसरे हाथ से ज़ोर-ज़ोर से मूठ मार रहा था।
थोड़ी देर बाद मुझे एहसास हुआ कि मेरी हाथ के पास किसी और का भी हाथ है। जब मैंने आँखें खोली तो देखा कि सोनू भी सुहाना की गाण्ड को छूना चाहता था।
तो मैं मुस्कुराया और सुहाना के एक कूल्हे पर एक हाथ उसका रखवाया और दूसरी गोलाई पर अपना हाथ रखा। इस तरह हम दोनों सुहाना दीदी के चूतड़ों को छूने का मज़ा भी ले रहे थे और मूठ भी मार रहे थे।
कुछ 5-7 मिनट हम ऐसे ही करते रहे और फ़िर झड़ने का समय हो गया था।
मैंने देखा कि सोनू बहुत उलझन में था कि कहाँ झड़ना है तो मैं झट से उठा और सुहाना की गाण्ड से सोनू का हाथ हटा दिया।
फ़िर मैंने अपना लण्ड सुहाना के गाण्ड के पास रखा और ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगा और उसकी गाण्ड के बीचोंबीच अपना मूठ निकाल कर फ़ैला दिया।
फ़िर मैंने सोनू को भी यही करने को कहा। सोनू मुझे एकटक देखता रहा पर कुछ बोला नहीं और उसने भी ऐसा ही किया।
फ़िर मैंने सुहाना के कपड़ों को ठीक किया और हम अपने आप को साफ़ करके फ़िर से टीवी देखने लगे।
फ़िर करीब एक घण्टे बाद सुहाना थोड़ी जागने लगी। मैं इसी मौके का फ़ायदा ऊठाकार सुहाना का सिर हीलाते हुए बोला- सुहाना, रात बहुत हो गई है, तुम अंदर बिस्तर पर जाकर सो जाओ।
सुहाना उठी और अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर दिया। सोनू मेरी तरफ़ देख रहा था और उसने फ़िर एक हल्की सी मुस्कान दी। फ़िर हम भी अपने कमरे में जाकर सो गए।
सुबह हुई, और मैं लेटे हुए आगे की योजना बनाने लगा कि कैसे सुहाना जैसी सीधी-साधी लड़की को राज़ी करके उसे चोदा जाए।
मैं रात को बस अपने अण्डरवीयर मैं ही सोता था और ऊपर कुछ नहीं। बाहर सुहाना के झाड़ू मारने की आवाज़ आ रही थी।
और मेरा लण्ड तो पहले से ही बड़ा होकर फ़ूल गया था जैसे हर लड़के का सुबह-सुबह हो जाता है।
उसका आकार मेरे अण्डरवीयर में से साफ़ दिखाई दे रहा था। मैंने अपने लण्ड को नीचे नहीं किया और इसी अवस्था में अपने आँखें मिचमिचाते हुए बाथरूम जाने लगा, जैसे कि मैं अभी ही उठा हूँ। बाथरूम सुहाना के कमरे से थोड़ा आगे था।
मेरी आँखें अभी भी हल्की सी बंद थी और जैसे ही मैं सुहाना के पास से गुज़र रहा था मुझे लगा कि वो झाड़ू की आवाज़ रूक गई है।
मैंने अपनी आँखें खोल कर देखा तो सुहाना मेरे लण्ड को बड़ी-बड़ी आँखों से देख रही थी जैसे उसने ऐसा पहले कभी नहीं देखा था।
मैं आराम से बाथरूम गया और पेशाब करके वापिस अपने कमरे में आ गया। तब तक सोनू भी उठ चुका था और मैं उसको आगे का प्लान बताने लगा।
मैं- सोनू, अब आज की योजना सुन, आज हमें बहुत कुछ करना है।
सोनू- अब और क्या करना बाकी है? कल से ज्यादा तो और कुछ नहीं कर सकते ना, वरना उसे पता चल जाएगा।
मैं- मुझे पता था तू यही कहेगा। तू ज़रा सोच, अगर कल मैं ना होता तो क्या तू वो सब कर सकता था क्या? नहीं ना ! मेरी बात मान और वैसा ही कर जैसा मैं कहता हूँ, फ़िर देख सुहाना खुद हमारे पास आएगी हमसे चुदवाने के लिए।
मेरी बातें सुनकर सोनू की अण्डरवीयर थोड़ी गीली हो गई थी और लण्ड तन कर खड़ा हो गया था, पूछने लगा- क्या करना है?
मैं- आज हम सुहाना को खूब देखेंगे, उसके नर्म दूध, उसकी मोटी गाण्ड, उसकी चूत का हिस्सा, सब कुछ। वो भी उसके सामने, उसे पता चलना चाहिए कि हम उसे इस नज़र से देख रहे हैं, बस उसे बुरा नहीं लगना चाहिये। उसे पहले थोड़ा अलग ज़रूर लगेगा कि हम उसे ऐसे देख रहे है, पर यह कोई नई बात नहीं है, हम उसे पहले भी ऐसे देख चुके हैं। हर लड़का ऐसा ही होता है, और यह बात उसे भी पता है। उसे बस इतना ही अलग लगेगा कि हम बिना डरे उसके शरीर को चूर रहे हैं।
सोनू- ठीक है, यह मैं कर सकता हूँ, और फ़िर बाद में क्या?
मैं- अबे बाद का तू मुझ पर छोड़ दे।
बस अब हमारी योजना शुरु हुई, हम उसे हर नज़र से देख रहे थे, जब वो खाना बनाती, यहाँ-वहाँ जाती, हर समय हम उसे घूरते रहते, और यह उसे भी पता था।
फ़िर मैं उससे बहुत बातें करने लगा, उसे हंसाता, चिढ़ाता, उसे सब्जी काटने के बहाने छूता। फ़िर मैंने सोनू को भी इसमें शामिल किया और हम पूरे दिन उसका ख्याल रख रहे थे, जैसे कि वो कोई बड़ी महारानी हो, हम उसके साथ बहुत फ़्लर्ट कर रहे थे।
हमने पहले कभी ऐसी बात नहीं की थी उसके साथ, पर फ़िर सब नॉर्मल हो गया।
शाम के 4 बज रहे थे और मैं और सोनू गेम खेल रहे थे, उस वक़्त सुहाना रसोई में थी। तो मैंने हमारे कमरे का दरवाजा थोड़ा खोल दिया ताकि जब भी सुहाना को हमारे कमरे से गुज़रते हुए बाथरूम को जाना हो, तो उसके आने का एहसास हमें हो। मैं चाहता था कि वो हमारी बातें सुने।
मैंने सोनू को पेहले से सब कुछ समझा दिया था कि क्या बोलना है और किस तरह से बोलना है।
फ़िर थोड़ी देर बाद जब सुहाना बथरूम में गई, हमने एक दूसरे से थोड़ा ज़ोर से बातें की।
मैं- लेकिन सोनू, क्या करें यार, वो तो बहुत सुंदर है। मैं उसे जब भी देखता हूँ, अपने आप को कंट्रोल ही नहीं कर सकता। ऐसा लगता है कि उसे अपनी बाहों में लेकर बस जी भर कर प्यार करते रहूँ।
बाथरूम का दरवाजा अभी तक नहीं खुला था तो मुझे पक्का यकीन हो गया कि सुहाना दरवाजे के पीछे छुप कर हमारी बातें सुन रही है।
सोनू- पर वो तो हमारी दीदी है यार, हम उसके बारे में ऐसा कैसे सोच सकते हैं?
मैं- दीदी है तो क्या हुआ, प्यार तो किसी पर भी आ सकता है और सुहाना को देखकर तो कोई भी उस पर मर-मिट जाए। तूने कल रात को देखा था ना सोनू, वो किस तरह से सोई थी। कितनी मस्त लग रही थी, मुझे वो नज़ारा तो अभी भी अपनी आँखों के सामने दिख रहा है।
सोनू- वो तो है, पर इससे पहले मैंने कभी उसे इस नज़र से नहीं देखा। पूरे दुनिया में उसके जैसी लड़की नहीं है। पर आशू, तू जो कह रहा है वो कभी नहीं हो सकता। हमारी दीदी है वो।
मैं- कुछ नहीं होगा, यह बस एक उमर है, जो हर लड़के को आती है। ऐसे वक़्त में अपने आस-पास की खूबसूरत लड़की पर प्यार आ जाता है, फ़िर चाहे वो अपनी दीदी ही क्यों ना हो। थोड़े दिनों के बाद ये सब खत्म हो जाएगा। आज उसके सो जाने के बाद हमें उसे छूना है यहाँ-वहाँ, और अगर मिले तो थोड़ा देख कर मूठ मारनी है।
सोनू थोड़ा चुप रहा, मेरे कहने के मुताबिक वो सोचने का नाटक कर रहा था। और मुझे पक्का पता था कि सुहाना हमारी सारी बातें सुन रही है।
सोनू- मुझे पता नहीं, अगर वो उठ गई और उसे बुरा लगा तो वो मुझसे रूठ जाएगी और कभी बात नहीं करेगी। और अगर ऐसा हुआ तो मैं अपने आप को कभी माफ़ नहीं कर पाऊँगा। वो मेरी दीदी है, मैं भी उसे बहुत प्यार करता हूँ।”
सोनू कि आवाज में सच्चाई और भारीपन, दोनों साफ़ नज़र आ रहे थे। और मुझे विशवास था कि यह सुनकर सुहाना की आँखों में पानी आ गया होगा।
मैं- मुझे पता है सोनू, मैं भी ऐसा नहीं चाहता। पर अगर आज हमने यह नहीं किया तो हम ज़िंदगी भर उसके लिए तड़पते रहेंगे। इस किस्से को आज ही खत्म कर डालना है। हमें हमारी गंदी फ़ीलिंग्स को बाहर फ़ेंकना है। फ़िर सब ठीक हो जाएगा।
फ़िर मैं बाथरूम के बंद दरवाजे की तरफ़ मुँह करते हुए बोला- अगर सुहाना को ये सब होता तो वो भी यही चाहती, आखिर हम उसके भाई ही तो हैं। हमें इस वक़्त वो मदद नहीं करेगी तो और कौन करेगा? सोनू बस आज रात को आखिरी बार कर लेते हैं, कल से फ़िर सब कुछ ठीक हो जाएगा।
सोनू- ठीक है, लेकिन तू शुरु करना, मैं नहीं कर पाऊँगा।
मैं- ठीक है, कोई बात नहीं। और आज बहुत गर्मी है इसलिए हम सिर्फ़ अपनी अण्डरवीयर में ही रहते हैं। सुहाना कुछ नहीं कहेगी, तू डर मत। चल थोड़ी देर गेम खेलते है, सुहाना किचन में होगी। उसका किचन का काम होने से पहले हमें गेम खत्म करना है।
उसके थोड़ी देर बाद बाथरुम का दरवाजा खुला, और मुझे लगा कि हमारी बातें सुनकर सुहाना को कुछ हुआ होगा।
इसलिए मैं शाम को बाहर जाकर केमिस्ट के पास से प्रेगनन्सी रोकने की पिल्स ले आया।
शाम को खाने के समय मैं और सोनू सिर्फ़ अपनी अंडरवीयर में थे। सुहाना ने कुछ नहीं कहा, वो थोड़ी नर्वस लग रही थी पर वो नॉर्मल होने का दिखावा कर रही थी।
अब जब मुझे पता है कि सुहाना ने हमारी बातें सुन ली हैं, मुझे पता था कि उसके दिमाग में क्या चल रहा होगा।
मैं सुहाना को खाना मिलाने में मदद करने लगा, मैं उसको पहले से थोड़ा ज्यादा छूने लगा। अगर उसे हमारी बातों का पता नहीं होता, तो शायद अभी माहोल कुछ और ही होता पर उसने गुस्सा नहीं किया।
वो थोड़ी उदास थी, पर उसे थोड़ा प्यार भी आ रहा था।
मेरा लण्ड पूरा तन गया था और मेरी अण्डरवीयर के बाहर से साफ़ दिखाई दे रहा था, लेकिन मैंने उसे वैसे ही रखा।
करीब 8 बजे हमने खाना खा लिया और आज भी मूवी देखने लगे। मैंने अपना प्लान आगे बढ़ाते हुए सुहाना से कहा- सुहाना, तुम आज टीवी के सामने ही अपना बिस्तर लगा लो और आराम से टीवी देखो। अगर तुम सो भी गई तो हम तुम्हें नहीं उठाएँगे। हम टीवी बंद करके हमारे कमरे में चले जाएँगे, तुम यहीं सो जाना।
सुहाना को सब पता था कि आज उसके साथ क्या-क्या होने वाला है। उसे पता था कि उसके भाई उसे हर जगह हाथ लगाएँगे और देखेंगे।
मैं यही चाहता था कि सुहाना को हमारी बातों का पता चले और वह खुद राज़ी हो जाए। पर उसे यह नहीं पता था कि आज पूरी रात भर उसकी चुदाई होने वाली है।
सुहाना- ठीक है आशु, मैं भी बहुत थकी हुई हूँ। आज मैं आराम से सोऊँगी, मुझे जगाना मत।
बिस्तर मिलने के बाद सुहाना ठीक टीवी के आगे सिर रखके अपने पेट के बल लेट गई। मैं और सोनू बिस्तर पर सुहाना के दोनों तरफ़ बैठे हुए थे।
आधे घण्टे बाद सुहाना ने अपनी आँखें बंद की। मुझे पता था कि वो बस ऐसे ही नाटक कर रही है, मुझे पता था कि उसे इतनी जल्दी नींद तो आएगी नहीं इसलिए मैंने झट से कहा- सोनू, वो सो गई है, देख तो कितनी थकी हुई है। अब इस थकी हुई हालत में तू कुछ भी कर ले, वो नहीं उठने वाली।
मैंने और सोनू ने टीवी की तरफ़ मुँह करते हुए अपनी तिरछी नज़रों से देखा कि यह सुनकर सुहाना ने झट से आँखें खोली और फ़िर जल्दी से बंद कर ली और फ़िर से वो सोने का नाटक करने लगी।
मैं बस मुस्कुराया दिया और सोनू भी खुश था। अब हमारा प्लान सही रास्ते पर चल रहा था।
सोनू- हाँ, लग तो रहा है कि वो मस्त सो गई है। अब क्या?”
मैं- चल अपनी अण्डरवीयर उतार देते हैं, और इसे छूना शुरु करते हैं।
हमने पूरे नंगे हो गए और अपनी अण्डरवीयर को एक तरफ़ डाल दिया।
सोनू- अब क्या करें, कहाँ से शुरु करें?
मैं- हमने आज तक किसी को किस नहीं किया, तो वहीं से शुरु करते हैं। चल तू उस साईड लेट जा और मैं इस साईड लेट जाता हूँ।
पहले मैंने सुहाना को पीठ के बल लिटाया, जो पहले पेट के बल लेटी हुई थी। फ़िर हम दोनों उसके अगल-बगल लेट गए, मैं सुहाना की राईट साईड और सोनू उसकी लेफ़्ट साईड, और मैंने सुहाना की तरफ़ मुँह करते हुए अपना एक पैर सुहाना के पैर के ऊपर रख दिया और अपना एक हाथ उसके पेट पर रख दिया। मुझे इस तरह लग रहा था कि जैसे कोई छोटा बच्चा अपनी माँ को लिपट के सोया हो। पर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
और फ़िर सोनू भी मेरी तरह सुहाना को लिपट कर लेट गया।
हम दोनों का लंड सुहाना की कमर पर धंसा हुआ था। आअह… सच्ची दोस्तो, हद से ज़्यादा मजा आ रहा था।
फ़िर मैंने सुहाना के गालों पर एक पप्पी ली और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूमने और चूसने लगा। फ़िर मैं अपनी जीभ उसके पूरे होंठ पर फ़िरा रहा था और बाद में उसकी गर्दन को भी चाटने लगा। मैं तो सातवें आसमान पर था।
सोनू भी दूसरी साईड से सुहाना को गालों पर और गर्दन पर किस कर रहा था। फ़िर मैं भी सुहाना को हर जगह किस करने लगा और चाटने लगा।
हम थोड़ी देर तक उसे किस करते रहे और बाद में रुक गए। हमने सुहाना की तरफ़ देखा तो वो आँखें बंद किए हुए थी और लंबी-लंबी साँसें ले रही थी। मुझे पता था कि वो गर्म हो जाएगी और खुद को कंट्रोल नहीं कर पाएगी। उसके होंठ थोड़े खुले हुए थे पर फ़िर भी आँखें बंद ही थी।
अब मुझे पक्का यकीन था कि अब हम उसके सब कुछ कर सकते हैं और वो अपनी आँखें नहीं खोलेगी और कल पता भी नहीं चलने देगी कि कल रात को कुछ हुआ था।
फ़िर मैंने सोनू को इशारा किया और हमने सुहाना को पेट के बल लिटाया। अब उसकी गाण्ड हमारे सामने थी।
पलटने की वजह से उसकी स्कर्ट काफ़ी ऊपर हो गई थी, और फ़िर मैंने भी उसे थोड़ी ऊपर कर दी, जिससे उसकी गाण्ड साफ़-साफ़ दिख रही थी।
मैंने उसकी टी-शर्ट भी थोड़ी ऊपर कर दी। क्या नज़ारा था…
मैं तो बस अब यही सोच रहा कि कब वो जल्दी से उठे और खुद सामने से चुदवाये। मैं तो बस उसकी प्यारी सी चूत और मोटी गाण्ड को दनादन ठोकना चाहता था।
मैं सुहाना के बगल में लेट गया और एक हाथ से नीचे से उसके दूध दबाने लगा और पेन्टी के ऊपर से उसकी गाण्ड को सहलाने लगा।
दूसरी तरफ़ से सोनू भी मेरी तरह कर रहा था। फ़िर मैं खड़ा हुआ और सुहाना को निहारने लगा। फ़िर मैं उसके ऊपर इस तरह चढ़ गया कि मेरा लण्ड उसकी गाण्ड के बीचों-बीच आए और मेरा पेट उसकी पीठ पर। मैं सुहाना की गाण्ड पर अपना लण्ड रगड़ रहा था और इस तरह धक्का दे रहा था कि जैसे मैं उसे चोद रहा हूँ।
सोनू भी उसके आगे आकर दोनों हाथों से सुहाना के दूध ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था। वो सुहाना के सिर के पास था। कुछ देर बाद वो उसके बालो पें झड़ गया और सुहाना के रेशमी काले बालों पर सोनू क सफ़ेद रस गिरा हुआ था। थोड़ी देर बाद मैं भी सुहाना की गाण्ड पर झड़ गया।
फ़िर हम दोनों रुक गए और थोड़ी लँबी साँसें लेने लगे। पाँच मिनट बाद हमारा लण्ड फ़िर से खड़ा हो गया। सुहाना को देखकर हमारी भूख अभी भी मिटी नहीं थी। फ़िर मैंने सुहाना के गाण्ड पर दोनों हाथ रखे और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। फ़िर मैंने उसकी पेन्टी झट से निकाल कर फ़ेंक दी।
ऊउह्ह… कितने मस्त थे सुहाना के चूतड़ गोल-गोल तरबूज जैसे। मन तो कर रहा था कि अभी उसकी गाण्ड पकड़ कर पूरी खा जाऊँ।
मैंने दोनों हाथों से उसकी गाण्ड फ़ैला दी जिससे उसकी गाण्ड का छेद और चूत साफ़ नज़र आ रही थी। उसकी चूत पर हल्के बाले थे जो पूरे गीले हो गए थे।
ये देख के सोनू भी अपनी बेहेन सुहाना कि गाण्ड देखने आ गया और फ़िर क्या था… हम दोनों मिल कर कभी गाण्ड चाटते तो कभी उसकी चूत !
मैंने देखा कि सुहाना बहुत गर्मा गई थी और यह देख कर मैं और भी जोश में आ गया। कभी उसकी चूत और गाण्ड चाटता तो कभी उसकी गाण्ड के अंदर अपनी जीभ घुसेड़ देता जो उसे भी बहुत अच्छा लगता। फ़िर मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली और धीरे से आगे पीछे करने लगा और उसकी गाण्ड को चाटने लगा।
फ़िर मुझे लगा कि अब सुहाना तैयार हो गई है चुदने के लिए, इसलिए हमने उसे फ़िर से सीधा लिटाया। सोनू ने देरी ना करते हुए सुहाना की टी-शर्ट को उतार दिया।
फ़िर मैं जैसे ही सुहाना की चूत के पास अपना लण्ड लाया और डालने कि तैयारी की तो हमारे प्लान के मुताबिक सोनू ने थोड़ा ज़ोर से कहा- अरे आशु, यह क्या कर रहे हो? अगर हमने सुहाना दीदी को चोदा तो वो प्रेगनन्ट हो जाएगी।
मैं- तू डर मत भाई, मैं प्रेगनन्ट रोकने वाली पिल्स लाया हूँ, आज इसको रात भर खूब मस्ती से चोदेंगे और सुबह इसको चाय में पिल्स मिलाकर पिला देंगे, कुछ पता भी नहीं चलेगा।
हमको सुहाना का भी ख्याल रखना था, पर अब उसकी कितनी बजने वाली है वो तो हमें ही पता था।
फ़िर मैंने अपने लण्ड की टोपी उसकी चूत पर रखी और एक ही झट्के में थोड़ा अंदर डाल दिया। सुहाना के मुँह से ज़ोर से आवाज़ आई “आह्ह…”
लेकिन उसने अपना मुँह बंद कर लिया और आवाज़ को दबा दिया। मैंने फ़िर पूरे झटके के साथ अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया और उसकी सील तोड़ दी।
पर वो चिल्लाई नहीं, हो सकता है कि शायद वो भी यही चाहती हो। थोड़ा खून मेरे टोपे पर लग गया पर मैंने अपना लण्ड बाहर नहीं निकाला।
मैं ‘आह और ऊह’ की आवाज़ें करते हुए उसे खूब चोदते रहा पूरे जोश में।
सोनू का लण्ड सुहाना के मुँह के पास था और बहुत फ़ूल गया था। और अब मैं ज़ोर ज़ोर से सुहाना को चोदने लगा। ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत में हूँ।
मुझे सुहाना की चूत का इतना नशा चढ़ने लगा था कि मैं अपनी आँखें बंद करके चोद रहा था। जब मैंने आँखें खोली तो देखा कि सुहाना का मुँह खुला था पर आवाज़ नहीं निकल रही थी।
फ़िर यह देखकर सोनू से भी कंट्रोल नहीं हुआ और उसने सारे रिशते नाते भूलाकर अपना लण्ड सुहाना के मुँह में दे दिया और सुहाना भी अपनी आँखें बंद करकर मजे लेने लगी। उसका पूरा लण्ड सुहाना के मुँह के अंदर जाता और बाहर आता। इससे सुहाना की उत्तेजना बहुत बढ़ गई थी और उसने अपनी चूत में मेरे लण्ड को और ज़ोर से जकड़ लिया था।
कमरे में सिर्फ़ छपक…छपक ! और स्लररप…स्लररप !! की आवाज़ें आ रही थी। ऐसे ही थोड़ी देर चलता रहा और हम झड़ने लगे।
मैं सुहाना की चूत के अंदर ही झड़ गया और सोनू ने अपना लण्ड पूरा उसके मुँह में घुसा दिया और मुँह के अंदर झड़ गया।
सुहाना का पूरा बदन अकड़ रहा था क्योंकि वो भी झड़ रही थी। उसका गर्म गर्म कामरस मुझे अपने लण्ड पर महसूस हो रहा था।
इससे मुझे पता चल गया कि सुहाना को रफ़ सेक्स पसंद है।
हम झड़ने के बाद सुहाना के अंदर से लण्ड निकाल कर उसके साईड में लेट गए और लंबी-लंबी साँसें ले रहे थे। सुहाना की भी साँसें फ़ूल रही थी पर उसने अपनी आँखें नहीं खोली। सच्ची, वो सेक्स अब तक का सबसे मज़ेदार सेक्स था। उस रात हमने सुहाना को 3 बार चोदा, सुबह के 5 बजे तक।
एक बार तो सोनू सुहाना के बगल में लेट गया और उसको अपनी ऊपर ले लिया और उसकी चूत मारने लगा। ये सब देख कर मैं भी ललचा गया, फ़िर मैं क्यों पीछे रहता, और फ़िर मैंने भी अपना तना हुआ लौड़ा सुहाना की गाण्ड में डाल दिया। सुहाना ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी आँखें बंद किये हुए, पर यहाँ कौन रुकने वाला था!
और हम उसे मस्त होकर चोद रहे थे और अंदर ही झड़ गए।
फ़िर हम थक गए थे पर फ़िर भी हमारा मन नहीं भरा था, तो हम फ़िर से उस पर चढ़ गए। इस बार मैं नीचे लेट गया और सोनू ऊपर की पारी संभाल रहा था।
मैं सुहाना की चूत मार रहा था और सोनू उसकी गाण्ड ठोक रहा था। हम पहले से ही झड़ चुके थे इसलिए हमको फ़िर से झड़ने में एक घण्टा लग गया।
वो रात हमारी पूरी चुदाई की रात थी, और सुहाना भी पूरी मजे से चुदवा रही थी।
दूसरे दिन सब ठीक था, सब नोर्मल था, हमने सुहाना को कुछ पता नहीं चलने दिया कि कल रात को कुछ हुआ था। पर हम अब भी उसके सब कुछ कर सकते थे।
जब सुबह वो चाय बना रही थी, तब मैं उसके नज़दीक गया और पीछे से नीचे होकर उसके स्कर्ट को ऊपर किया और पेन्टी को नीचे किया, और उसकी चूत और गाण्ड को चाटने लगा। पर वो कुछ ना बोली और चाय बनाने में लगी हुई थी, जैसे कि उसे कुछ ना हो रहा हो।
बाद में वो बाथरुम में गई पेशाब करने और कमोड पर बैठ गई। फ़िर सोनू भी उसके साथ अंदर गया और जैसे ही वो बैठी, सोनू ने अपना लण्ड निकाला और उसके मुँह के सामने रख दिया। सुहाना ने बिना ऊपर देखे लण्ड को मुँह में ले लिया और पूरा अंदर तक लेकर चूसने लगी। फ़िर सोनू भी पूरे जोश में आकर सुहाना का मुँह चोदने लगा और इस तरह हमारी चुदाई फ़िर से ज़ोर-शोर से शुरु हो गई बाथरुम में।
फ़िर आखिर उस रात को खाना खाने के बाद हमने सुहाना से पूछा- सुहाना, सच्ची बताओ, तुम्हें कैसा लगा? मज़ा आया या नहीं?
वो बोली- उस दिन मैंने तुम्हारी सारी बातें सुन ली थी कि मेरे साथ क्या-क्या होने वाला है। और मैं तब से तुम दोनों के लण्डों काइंतज़ार करने लगी थी कि कब तुम दोनों आकर मुझे चोदो।
फ़िर मैंने उसको हमारे प्लान के बारे में सब कुछ बता दिया, तो उसने एक शैतान भरी मुस्कुराहट दी और बोली- सच में !! ये सब तुम्हारी चाल थी? पर जो भी हो, मुझे बहुत मजा आया। तुमने मेरे अंदर की वासना को जगा दिया है। अब आ जाओ मेरे शेर, मुझे एक राण्ड और कुत्ती की तरह चोदो मेरे बहनचोदो।
यह सुन कर हमारा जोश दुगुना हो गया और हमने भी उसे बहुत गलियों के साथ चोदा।
और हम इस तरह उसे हर दिन, हर रात जी भरकर चोदने लगे, और वो भी मजे लेकर चुदवाती रही। और हमारी वो छुट्टियाँ इसी तरह सुहानी चलती रही।
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मैं, दीदी और चचेरा भाई -2
आह्ह… क्या खुशबू थी। उसकी इस मदहोश कर देने वाली खुशबू ने मुझे बस उसका दीवाना बना दिया था। मन तो कर रहा था कि अभी उसकी पेन्टी उतार कर उसकी गाण्ड को चाट लूँ। मेरी उत्तेजना और बढ़ गई और मैं अपने आप से बेकाबू होते जा रहा था।
फ़िर सोनू ने भी यही किया, अब वो पहले की तरह डर नहीं रहा था।
इस बार मैंने अपना एक हाथ सुहाना के चूतड़ों पर रख दिया और उसे सहलाने लगा। फ़िर मैं अपनी आँखें बंद करके उसकी मोटी नर्म गाण्ड का आनन्द लेने लगा।
और मैं अपने दूसरे हाथ से ज़ोर-ज़ोर से मूठ मार रहा था।
थोड़ी देर बाद मुझे एहसास हुआ कि मेरी हाथ के पास किसी और का भी हाथ है। जब मैंने आँखें खोली तो देखा कि सोनू भी सुहाना की गाण्ड को छूना चाहता था।
तो मैं मुस्कुराया और सुहाना के एक कूल्हे पर एक हाथ उसका रखवाया और दूसरी गोलाई पर अपना हाथ रखा। इस तरह हम दोनों सुहाना दीदी के चूतड़ों को छूने का मज़ा भी ले रहे थे और मूठ भी मार रहे थे।
कुछ 5-7 मिनट हम ऐसे ही करते रहे और फ़िर झड़ने का समय हो गया था।
मैंने देखा कि सोनू बहुत उलझन में था कि कहाँ झड़ना है तो मैं झट से उठा और सुहाना की गाण्ड से सोनू का हाथ हटा दिया।
फ़िर मैंने अपना लण्ड सुहाना के गाण्ड के पास रखा और ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगा और उसकी गाण्ड के बीचोंबीच अपना मूठ निकाल कर फ़ैला दिया।
फ़िर मैंने सोनू को भी यही करने को कहा। सोनू मुझे एकटक देखता रहा पर कुछ बोला नहीं और उसने भी ऐसा ही किया।
फ़िर मैंने सुहाना के कपड़ों को ठीक किया और हम अपने आप को साफ़ करके फ़िर से टीवी देखने लगे।
फ़िर करीब एक घण्टे बाद सुहाना थोड़ी जागने लगी। मैं इसी मौके का फ़ायदा ऊठाकार सुहाना का सिर हीलाते हुए बोला- सुहाना, रात बहुत हो गई है, तुम अंदर बिस्तर पर जाकर सो जाओ।
सुहाना उठी और अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर दिया। सोनू मेरी तरफ़ देख रहा था और उसने फ़िर एक हल्की सी मुस्कान दी। फ़िर हम भी अपने कमरे में जाकर सो गए।
सुबह हुई, और मैं लेटे हुए आगे की योजना बनाने लगा कि कैसे सुहाना जैसी सीधी-साधी लड़की को राज़ी करके उसे चोदा जाए।
मैं रात को बस अपने अण्डरवीयर मैं ही सोता था और ऊपर कुछ नहीं। बाहर सुहाना के झाड़ू मारने की आवाज़ आ रही थी।
और मेरा लण्ड तो पहले से ही बड़ा होकर फ़ूल गया था जैसे हर लड़के का सुबह-सुबह हो जाता है।
उसका आकार मेरे अण्डरवीयर में से साफ़ दिखाई दे रहा था। मैंने अपने लण्ड को नीचे नहीं किया और इसी अवस्था में अपने आँखें मिचमिचाते हुए बाथरूम जाने लगा, जैसे कि मैं अभी ही उठा हूँ। बाथरूम सुहाना के कमरे से थोड़ा आगे था।
मेरी आँखें अभी भी हल्की सी बंद थी और जैसे ही मैं सुहाना के पास से गुज़र रहा था मुझे लगा कि वो झाड़ू की आवाज़ रूक गई है।
मैंने अपनी आँखें खोल कर देखा तो सुहाना मेरे लण्ड को बड़ी-बड़ी आँखों से देख रही थी जैसे उसने ऐसा पहले कभी नहीं देखा था।
मैं आराम से बाथरूम गया और पेशाब करके वापिस अपने कमरे में आ गया। तब तक सोनू भी उठ चुका था और मैं उसको आगे का प्लान बताने लगा।
मैं- सोनू, अब आज की योजना सुन, आज हमें बहुत कुछ करना है।
सोनू- अब और क्या करना बाकी है? कल से ज्यादा तो और कुछ नहीं कर सकते ना, वरना उसे पता चल जाएगा।
मैं- मुझे पता था तू यही कहेगा। तू ज़रा सोच, अगर कल मैं ना होता तो क्या तू वो सब कर सकता था क्या? नहीं ना ! मेरी बात मान और वैसा ही कर जैसा मैं कहता हूँ, फ़िर देख सुहाना खुद हमारे पास आएगी हमसे चुदवाने के लिए।
मेरी बातें सुनकर सोनू की अण्डरवीयर थोड़ी गीली हो गई थी और लण्ड तन कर खड़ा हो गया था, पूछने लगा- क्या करना है?
मैं- आज हम सुहाना को खूब देखेंगे, उसके नर्म दूध, उसकी मोटी गाण्ड, उसकी चूत का हिस्सा, सब कुछ। वो भी उसके सामने, उसे पता चलना चाहिए कि हम उसे इस नज़र से देख रहे हैं, बस उसे बुरा नहीं लगना चाहिये। उसे पहले थोड़ा अलग ज़रूर लगेगा कि हम उसे ऐसे देख रहे है, पर यह कोई नई बात नहीं है, हम उसे पहले भी ऐसे देख चुके हैं। हर लड़का ऐसा ही होता है, और यह बात उसे भी पता है। उसे बस इतना ही अलग लगेगा कि हम बिना डरे उसके शरीर को चूर रहे हैं।
सोनू- ठीक है, यह मैं कर सकता हूँ, और फ़िर बाद में क्या?
मैं- अबे बाद का तू मुझ पर छोड़ दे।
बस अब हमारी योजना शुरु हुई, हम उसे हर नज़र से देख रहे थे, जब वो खाना बनाती, यहाँ-वहाँ जाती, हर समय हम उसे घूरते रहते, और यह उसे भी पता था।
फ़िर मैं उससे बहुत बातें करने लगा, उसे हंसाता, चिढ़ाता, उसे सब्जी काटने के बहाने छूता। फ़िर मैंने सोनू को भी इसमें शामिल किया और हम पूरे दिन उसका ख्याल रख रहे थे, जैसे कि वो कोई बड़ी महारानी हो, हम उसके साथ बहुत फ़्लर्ट कर रहे थे।
हमने पहले कभी ऐसी बात नहीं की थी उसके साथ, पर फ़िर सब नॉर्मल हो गया।
शाम के 4 बज रहे थे और मैं और सोनू गेम खेल रहे थे, उस वक़्त सुहाना रसोई में थी। तो मैंने हमारे कमरे का दरवाजा थोड़ा खोल दिया ताकि जब भी सुहाना को हमारे कमरे से गुज़रते हुए बाथरूम को जाना हो, तो उसके आने का एहसास हमें हो। मैं चाहता था कि वो हमारी बातें सुने।
मैंने सोनू को पेहले से सब कुछ समझा दिया था कि क्या बोलना है और किस तरह से बोलना है।
फ़िर थोड़ी देर बाद जब सुहाना बथरूम में गई, हमने एक दूसरे से थोड़ा ज़ोर से बातें की।
मैं- लेकिन सोनू, क्या करें यार, वो तो बहुत सुंदर है। मैं उसे जब भी देखता हूँ, अपने आप को कंट्रोल ही नहीं कर सकता। ऐसा लगता है कि उसे अपनी बाहों में लेकर बस जी भर कर प्यार करते रहूँ।
बाथरूम का दरवाजा अभी तक नहीं खुला था तो मुझे पक्का यकीन हो गया कि सुहाना दरवाजे के पीछे छुप कर हमारी बातें सुन रही है।
सोनू- पर वो तो हमारी दीदी है यार, हम उसके बारे में ऐसा कैसे सोच सकते हैं?
मैं- दीदी है तो क्या हुआ, प्यार तो किसी पर भी आ सकता है और सुहाना को देखकर तो कोई भी उस पर मर-मिट जाए। तूने कल रात को देखा था ना सोनू, वो किस तरह से सोई थी। कितनी मस्त लग रही थी, मुझे वो नज़ारा तो अभी भी अपनी आँखों के सामने दिख रहा है।
सोनू- वो तो है, पर इससे पहले मैंने कभी उसे इस नज़र से नहीं देखा। पूरे दुनिया में उसके जैसी लड़की नहीं है। पर आशू, तू जो कह रहा है वो कभी नहीं हो सकता। हमारी दीदी है वो।
मैं- कुछ नहीं होगा, यह बस एक उमर है, जो हर लड़के को आती है। ऐसे वक़्त में अपने आस-पास की खूबसूरत लड़की पर प्यार आ जाता है, फ़िर चाहे वो अपनी दीदी ही क्यों ना हो। थोड़े दिनों के बाद ये सब खत्म हो जाएगा। आज उसके सो जाने के बाद हमें उसे छूना है यहाँ-वहाँ, और अगर मिले तो थोड़ा देख कर मूठ मारनी है।
सोनू थोड़ा चुप रहा, मेरे कहने के मुताबिक वो सोचने का नाटक कर रहा था। और मुझे पक्का पता था कि सुहाना हमारी सारी बातें सुन रही है।
सोनू- मुझे पता नहीं, अगर वो उठ गई और उसे बुरा लगा तो वो मुझसे रूठ जाएगी और कभी बात नहीं करेगी। और अगर ऐसा हुआ तो मैं अपने आप को कभी माफ़ नहीं कर पाऊँगा। वो मेरी दीदी है, मैं भी उसे बहुत प्यार करता हूँ।”
सोनू कि आवाज में सच्चाई और भारीपन, दोनों साफ़ नज़र आ रहे थे। और मुझे विशवास था कि यह सुनकर सुहाना की आँखों में पानी आ गया होगा।
मैं- मुझे पता है सोनू, मैं भी ऐसा नहीं चाहता। पर अगर आज हमने यह नहीं किया तो हम ज़िंदगी भर उसके लिए तड़पते रहेंगे। इस किस्से को आज ही खत्म कर डालना है। हमें हमारी गंदी फ़ीलिंग्स को बाहर फ़ेंकना है। फ़िर सब ठीक हो जाएगा।
फ़िर मैं बाथरूम के बंद दरवाजे की तरफ़ मुँह करते हुए बोला- अगर सुहाना को ये सब होता तो वो भी यही चाहती, आखिर हम उसके भाई ही तो हैं। हमें इस वक़्त वो मदद नहीं करेगी तो और कौन करेगा? सोनू बस आज रात को आखिरी बार कर लेते हैं, कल से फ़िर सब कुछ ठीक हो जाएगा।
सोनू- ठीक है, लेकिन तू शुरु करना, मैं नहीं कर पाऊँगा।
मैं- ठीक है, कोई बात नहीं। और आज बहुत गर्मी है इसलिए हम सिर्फ़ अपनी अण्डरवीयर में ही रहते हैं। सुहाना कुछ नहीं कहेगी, तू डर मत। चल थोड़ी देर गेम खेलते है, सुहाना किचन में होगी। उसका किचन का काम होने से पहले हमें गेम खत्म करना है।
उसके थोड़ी देर बाद बाथरुम का दरवाजा खुला, और मुझे लगा कि हमारी बातें सुनकर सुहाना को कुछ हुआ होगा।
इसलिए मैं शाम को बाहर जाकर केमिस्ट के पास से प्रेगनन्सी रोकने की पिल्स ले आया।
शाम को खाने के समय मैं और सोनू सिर्फ़ अपनी अंडरवीयर में थे। सुहाना ने कुछ नहीं कहा, वो थोड़ी नर्वस लग रही थी पर वो नॉर्मल होने का दिखावा कर रही थी।
अब जब मुझे पता है कि सुहाना ने हमारी बातें सुन ली हैं, मुझे पता था कि उसके दिमाग में क्या चल रहा होगा।
मैं सुहाना को खाना मिलाने में मदद करने लगा, मैं उसको पहले से थोड़ा ज्यादा छूने लगा। अगर उसे हमारी बातों का पता नहीं होता, तो शायद अभी माहोल कुछ और ही होता पर उसने गुस्सा नहीं किया।
वो थोड़ी उदास थी, पर उसे थोड़ा प्यार भी आ रहा था।
मेरा लण्ड पूरा तन गया था और मेरी अण्डरवीयर के बाहर से साफ़ दिखाई दे रहा था, लेकिन मैंने उसे वैसे ही रखा।
करीब 8 बजे हमने खाना खा लिया और आज भी मूवी देखने लगे। मैंने अपना प्लान आगे बढ़ाते हुए सुहाना से कहा- सुहाना, तुम आज टीवी के सामने ही अपना बिस्तर लगा लो और आराम से टीवी देखो। अगर तुम सो भी गई तो हम तुम्हें नहीं उठाएँगे। हम टीवी बंद करके हमारे कमरे में चले जाएँगे, तुम यहीं सो जाना।
सुहाना को सब पता था कि आज उसके साथ क्या-क्या होने वाला है। उसे पता था कि उसके भाई उसे हर जगह हाथ लगाएँगे और देखेंगे।
मैं यही चाहता था कि सुहाना को हमारी बातों का पता चले और वह खुद राज़ी हो जाए। पर उसे यह नहीं पता था कि आज पूरी रात भर उसकी चुदाई होने वाली है।
सुहाना- ठीक है आशु, मैं भी बहुत थकी हुई हूँ। आज मैं आराम से सोऊँगी, मुझे जगाना मत।
बिस्तर मिलने के बाद सुहाना ठीक टीवी के आगे सिर रखके अपने पेट के बल लेट गई। मैं और सोनू बिस्तर पर सुहाना के दोनों तरफ़ बैठे हुए थे।
आधे घण्टे बाद सुहाना ने अपनी आँखें बंद की। मुझे पता था कि वो बस ऐसे ही नाटक कर रही है, मुझे पता था कि उसे इतनी जल्दी नींद तो आएगी नहीं इसलिए मैंने झट से कहा- सोनू, वो सो गई है, देख तो कितनी थकी हुई है। अब इस थकी हुई हालत में तू कुछ भी कर ले, वो नहीं उठने वाली।
मैंने और सोनू ने टीवी की तरफ़ मुँह करते हुए अपनी तिरछी नज़रों से देखा कि यह सुनकर सुहाना ने झट से आँखें खोली और फ़िर जल्दी से बंद कर ली और फ़िर से वो सोने का नाटक करने लगी।
मैं बस मुस्कुराया दिया और सोनू भी खुश था। अब हमारा प्लान सही रास्ते पर चल रहा था।
सोनू- हाँ, लग तो रहा है कि वो मस्त सो गई है। अब क्या?”
मैं- चल अपनी अण्डरवीयर उतार देते हैं, और इसे छूना शुरु करते हैं।
हमने पूरे नंगे हो गए और अपनी अण्डरवीयर को एक तरफ़ डाल दिया।
सोनू- अब क्या करें, कहाँ से शुरु करें?
मैं- हमने आज तक किसी को किस नहीं किया, तो वहीं से शुरु करते हैं। चल तू उस साईड लेट जा और मैं इस साईड लेट जाता हूँ।
पहले मैंने सुहाना को पीठ के बल लिटाया, जो पहले पेट के बल लेटी हुई थी। फ़िर हम दोनों उसके अगल-बगल लेट गए, मैं सुहाना की राईट साईड और सोनू उसकी लेफ़्ट साईड, और मैंने सुहाना की तरफ़ मुँह करते हुए अपना एक पैर सुहाना के पैर के ऊपर रख दिया और अपना एक हाथ उसके पेट पर रख दिया। मुझे इस तरह लग रहा था कि जैसे कोई छोटा बच्चा अपनी माँ को लिपट के सोया हो। पर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
और फ़िर सोनू भी मेरी तरह सुहाना को लिपट कर लेट गया।
हम दोनों का लंड सुहाना की कमर पर धंसा हुआ था। आअह… सच्ची दोस्तो, हद से ज़्यादा मजा आ रहा था।
फ़िर मैंने सुहाना के गालों पर एक पप्पी ली और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूमने और चूसने लगा। फ़िर मैं अपनी जीभ उसके पूरे होंठ पर फ़िरा रहा था और बाद में उसकी गर्दन को भी चाटने लगा। मैं तो सातवें आसमान पर था।
सोनू भी दूसरी साईड से सुहाना को गालों पर और गर्दन पर किस कर रहा था। फ़िर मैं भी सुहाना को हर जगह किस करने लगा और चाटने लगा।
हम थोड़ी देर तक उसे किस करते रहे और बाद में रुक गए। हमने सुहाना की तरफ़ देखा तो वो आँखें बंद किए हुए थी और लंबी-लंबी साँसें ले रही थी। मुझे पता था कि वो गर्म हो जाएगी और खुद को कंट्रोल नहीं कर पाएगी। उसके होंठ थोड़े खुले हुए थे पर फ़िर भी आँखें बंद ही थी।
अब मुझे पक्का यकीन था कि अब हम उसके सब कुछ कर सकते हैं और वो अपनी आँखें नहीं खोलेगी और कल पता भी नहीं चलने देगी कि कल रात को कुछ हुआ था।
फ़िर मैंने सोनू को इशारा किया और हमने सुहाना को पेट के बल लिटाया। अब उसकी गाण्ड हमारे सामने थी।
पलटने की वजह से उसकी स्कर्ट काफ़ी ऊपर हो गई थी, और फ़िर मैंने भी उसे थोड़ी ऊपर कर दी, जिससे उसकी गाण्ड साफ़-साफ़ दिख रही थी।
मैंने उसकी टी-शर्ट भी थोड़ी ऊपर कर दी। क्या नज़ारा था…
मैं तो बस अब यही सोच रहा कि कब वो जल्दी से उठे और खुद सामने से चुदवाये। मैं तो बस उसकी प्यारी सी चूत और मोटी गाण्ड को दनादन ठोकना चाहता था।
मैं सुहाना के बगल में लेट गया और एक हाथ से नीचे से उसके दूध दबाने लगा और पेन्टी के ऊपर से उसकी गाण्ड को सहलाने लगा।
दूसरी तरफ़ से सोनू भी मेरी तरह कर रहा था। फ़िर मैं खड़ा हुआ और सुहाना को निहारने लगा। फ़िर मैं उसके ऊपर इस तरह चढ़ गया कि मेरा लण्ड उसकी गाण्ड के बीचों-बीच आए और मेरा पेट उसकी पीठ पर। मैं सुहाना की गाण्ड पर अपना लण्ड रगड़ रहा था और इस तरह धक्का दे रहा था कि जैसे मैं उसे चोद रहा हूँ।
सोनू भी उसके आगे आकर दोनों हाथों से सुहाना के दूध ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था। वो सुहाना के सिर के पास था। कुछ देर बाद वो उसके बालो पें झड़ गया और सुहाना के रेशमी काले बालों पर सोनू क सफ़ेद रस गिरा हुआ था। थोड़ी देर बाद मैं भी सुहाना की गाण्ड पर झड़ गया।
फ़िर हम दोनों रुक गए और थोड़ी लँबी साँसें लेने लगे। पाँच मिनट बाद हमारा लण्ड फ़िर से खड़ा हो गया। सुहाना को देखकर हमारी भूख अभी भी मिटी नहीं थी। फ़िर मैंने सुहाना के गाण्ड पर दोनों हाथ रखे और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। फ़िर मैंने उसकी पेन्टी झट से निकाल कर फ़ेंक दी।
ऊउह्ह… कितने मस्त थे सुहाना के चूतड़ गोल-गोल तरबूज जैसे। मन तो कर रहा था कि अभी उसकी गाण्ड पकड़ कर पूरी खा जाऊँ।
मैंने दोनों हाथों से उसकी गाण्ड फ़ैला दी जिससे उसकी गाण्ड का छेद और चूत साफ़ नज़र आ रही थी। उसकी चूत पर हल्के बाले थे जो पूरे गीले हो गए थे।
ये देख के सोनू भी अपनी बेहेन सुहाना कि गाण्ड देखने आ गया और फ़िर क्या था… हम दोनों मिल कर कभी गाण्ड चाटते तो कभी उसकी चूत !
मैंने देखा कि सुहाना बहुत गर्मा गई थी और यह देख कर मैं और भी जोश में आ गया। कभी उसकी चूत और गाण्ड चाटता तो कभी उसकी गाण्ड के अंदर अपनी जीभ घुसेड़ देता जो उसे भी बहुत अच्छा लगता। फ़िर मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली और धीरे से आगे पीछे करने लगा और उसकी गाण्ड को चाटने लगा।
फ़िर मुझे लगा कि अब सुहाना तैयार हो गई है चुदने के लिए, इसलिए हमने उसे फ़िर से सीधा लिटाया। सोनू ने देरी ना करते हुए सुहाना की टी-शर्ट को उतार दिया।
फ़िर मैं जैसे ही सुहाना की चूत के पास अपना लण्ड लाया और डालने कि तैयारी की तो हमारे प्लान के मुताबिक सोनू ने थोड़ा ज़ोर से कहा- अरे आशु, यह क्या कर रहे हो? अगर हमने सुहाना दीदी को चोदा तो वो प्रेगनन्ट हो जाएगी।
मैं- तू डर मत भाई, मैं प्रेगनन्ट रोकने वाली पिल्स लाया हूँ, आज इसको रात भर खूब मस्ती से चोदेंगे और सुबह इसको चाय में पिल्स मिलाकर पिला देंगे, कुछ पता भी नहीं चलेगा।
हमको सुहाना का भी ख्याल रखना था, पर अब उसकी कितनी बजने वाली है वो तो हमें ही पता था।
फ़िर मैंने अपने लण्ड की टोपी उसकी चूत पर रखी और एक ही झट्के में थोड़ा अंदर डाल दिया। सुहाना के मुँह से ज़ोर से आवाज़ आई “आह्ह…”
लेकिन उसने अपना मुँह बंद कर लिया और आवाज़ को दबा दिया। मैंने फ़िर पूरे झटके के साथ अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया और उसकी सील तोड़ दी।
पर वो चिल्लाई नहीं, हो सकता है कि शायद वो भी यही चाहती हो। थोड़ा खून मेरे टोपे पर लग गया पर मैंने अपना लण्ड बाहर नहीं निकाला।
मैं ‘आह और ऊह’ की आवाज़ें करते हुए उसे खूब चोदते रहा पूरे जोश में।
सोनू का लण्ड सुहाना के मुँह के पास था और बहुत फ़ूल गया था। और अब मैं ज़ोर ज़ोर से सुहाना को चोदने लगा। ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत में हूँ।
मुझे सुहाना की चूत का इतना नशा चढ़ने लगा था कि मैं अपनी आँखें बंद करके चोद रहा था। जब मैंने आँखें खोली तो देखा कि सुहाना का मुँह खुला था पर आवाज़ नहीं निकल रही थी।
फ़िर यह देखकर सोनू से भी कंट्रोल नहीं हुआ और उसने सारे रिशते नाते भूलाकर अपना लण्ड सुहाना के मुँह में दे दिया और सुहाना भी अपनी आँखें बंद करकर मजे लेने लगी। उसका पूरा लण्ड सुहाना के मुँह के अंदर जाता और बाहर आता। इससे सुहाना की उत्तेजना बहुत बढ़ गई थी और उसने अपनी चूत में मेरे लण्ड को और ज़ोर से जकड़ लिया था।
कमरे में सिर्फ़ छपक…छपक ! और स्लररप…स्लररप !! की आवाज़ें आ रही थी। ऐसे ही थोड़ी देर चलता रहा और हम झड़ने लगे।
मैं सुहाना की चूत के अंदर ही झड़ गया और सोनू ने अपना लण्ड पूरा उसके मुँह में घुसा दिया और मुँह के अंदर झड़ गया।
सुहाना का पूरा बदन अकड़ रहा था क्योंकि वो भी झड़ रही थी। उसका गर्म गर्म कामरस मुझे अपने लण्ड पर महसूस हो रहा था।
इससे मुझे पता चल गया कि सुहाना को रफ़ सेक्स पसंद है।
हम झड़ने के बाद सुहाना के अंदर से लण्ड निकाल कर उसके साईड में लेट गए और लंबी-लंबी साँसें ले रहे थे। सुहाना की भी साँसें फ़ूल रही थी पर उसने अपनी आँखें नहीं खोली। सच्ची, वो सेक्स अब तक का सबसे मज़ेदार सेक्स था। उस रात हमने सुहाना को 3 बार चोदा, सुबह के 5 बजे तक।
एक बार तो सोनू सुहाना के बगल में लेट गया और उसको अपनी ऊपर ले लिया और उसकी चूत मारने लगा। ये सब देख कर मैं भी ललचा गया, फ़िर मैं क्यों पीछे रहता, और फ़िर मैंने भी अपना तना हुआ लौड़ा सुहाना की गाण्ड में डाल दिया। सुहाना ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी आँखें बंद किये हुए, पर यहाँ कौन रुकने वाला था!
और हम उसे मस्त होकर चोद रहे थे और अंदर ही झड़ गए।
फ़िर हम थक गए थे पर फ़िर भी हमारा मन नहीं भरा था, तो हम फ़िर से उस पर चढ़ गए। इस बार मैं नीचे लेट गया और सोनू ऊपर की पारी संभाल रहा था।
मैं सुहाना की चूत मार रहा था और सोनू उसकी गाण्ड ठोक रहा था। हम पहले से ही झड़ चुके थे इसलिए हमको फ़िर से झड़ने में एक घण्टा लग गया।
वो रात हमारी पूरी चुदाई की रात थी, और सुहाना भी पूरी मजे से चुदवा रही थी।
दूसरे दिन सब ठीक था, सब नोर्मल था, हमने सुहाना को कुछ पता नहीं चलने दिया कि कल रात को कुछ हुआ था। पर हम अब भी उसके सब कुछ कर सकते थे।
जब सुबह वो चाय बना रही थी, तब मैं उसके नज़दीक गया और पीछे से नीचे होकर उसके स्कर्ट को ऊपर किया और पेन्टी को नीचे किया, और उसकी चूत और गाण्ड को चाटने लगा। पर वो कुछ ना बोली और चाय बनाने में लगी हुई थी, जैसे कि उसे कुछ ना हो रहा हो।
बाद में वो बाथरुम में गई पेशाब करने और कमोड पर बैठ गई। फ़िर सोनू भी उसके साथ अंदर गया और जैसे ही वो बैठी, सोनू ने अपना लण्ड निकाला और उसके मुँह के सामने रख दिया। सुहाना ने बिना ऊपर देखे लण्ड को मुँह में ले लिया और पूरा अंदर तक लेकर चूसने लगी। फ़िर सोनू भी पूरे जोश में आकर सुहाना का मुँह चोदने लगा और इस तरह हमारी चुदाई फ़िर से ज़ोर-शोर से शुरु हो गई बाथरुम में।
फ़िर आखिर उस रात को खाना खाने के बाद हमने सुहाना से पूछा- सुहाना, सच्ची बताओ, तुम्हें कैसा लगा? मज़ा आया या नहीं?
वो बोली- उस दिन मैंने तुम्हारी सारी बातें सुन ली थी कि मेरे साथ क्या-क्या होने वाला है। और मैं तब से तुम दोनों के लण्डों काइंतज़ार करने लगी थी कि कब तुम दोनों आकर मुझे चोदो।
फ़िर मैंने उसको हमारे प्लान के बारे में सब कुछ बता दिया, तो उसने एक शैतान भरी मुस्कुराहट दी और बोली- सच में !! ये सब तुम्हारी चाल थी? पर जो भी हो, मुझे बहुत मजा आया। तुमने मेरे अंदर की वासना को जगा दिया है। अब आ जाओ मेरे शेर, मुझे एक राण्ड और कुत्ती की तरह चोदो मेरे बहनचोदो।
यह सुन कर हमारा जोश दुगुना हो गया और हमने भी उसे बहुत गलियों के साथ चोदा।
और हम इस तरह उसे हर दिन, हर रात जी भरकर चोदने लगे, और वो भी मजे लेकर चुदवाती रही। और हमारी वो छुट्टियाँ इसी तरह सुहानी चलती रही।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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