FUN-MAZA-MASTI छोटी बहन के साथ--14
पहले वाले मर्द ने, जो सबमें उम्र-दराज और शायद लीडर था, आगे बढ़ कर दीवार की तरफ़ मुँह करके खडी हुई जुबैदा को बालों से पकड़ कर अपनी तरफ़ खींचा। बेचारी को उम्मीद नहीं थी कि ऐसा कुछ होगा, सो वो दर्द से चीखी और अपने हाथों को अपनी चुचियों से हटा कर अपने बालों पर ले गई और फ़िर दर्द से बचने के लिए लडखडाते हुए उसके छाती से लग गई। मादरचोद कैमरा वाला, अब घुम कर उसके सामने आ गया था और उसकी छोटी-छोटी चुची के क्लोज-अप लेने लगा था। जुबैदा सांवली लड़की थी और उसकी छाती पर गहरे बूरे रंग का निप्पल था। बिल्कुल सपाट पेट और एक छोटी सी नाभी। फ़ीगर के नाम पर होगा करीब ३२-२२-३२ जैसा कुछ, पाँच फ़ीट दो ईंच के करीब लम्बी थी। उसके काँख के घुंघराले काले बाल अब खुब साफ़ दिख रहे थे, जब उसका हाथ उसके सर पर उसकी चोटी को संभालने में लगा हुआ था। उस मर्द ने उसको लगभग घसीटते हुए बिस्तर पर लाया और फ़िर एक जोर के धक्के से उसको बिस्तर पर गिरा कर उसकी टांगों को पकड़ कर उसको सीधा पलट दिया। जुबैदा अपने टांगों को झटक रही थी, जिससे की वो उसकी गिरफ़्त से छूट सके। पर वो सब मर्द तो ऐसी कई कलियों को रंडी बना चुके थे, सो वो बेचारी कहाँ से छूट पाती। उसको बिस्तर पर तड़फ़डाते हुए देख कर अब उन दोनों ने भी उसकी बहन नसरीन को उठा कर वहीं उसी बिस्तर पर पटक दिया। वो दोनों बहने अब पूरी तरह से घबडा गई थी और अब चुप हो कर दोनों एक दुसरे से चिपक गई। उन मर्दों ने उन दोनों को खुब गालियाँ दी और फ़िर सब एक तरफ़ हो कर अपने कपडे उतारने लगे। दोनों बहन सब समझ कर चुप-चाप उनको देख रही थी। अब वो दोनों उनसे गिड़गिडाने लगी थी कि वो सब उन दोनों को जाने दें। वो दोंनो अब उनको कभी अपना भाई कहती तो कभी अपना बाप।
उनकी बातों को सुन कर उस लीडर ने कहा, "इस सब से कुछ नहीं होगा, हमलोग तो जमाने से यही सब करते आए हैं। निकाह करके तो मैं ही अपनी बीवी को धंधे में लाया, जो इस कोठे की पहली रंडी बनी। फ़िर तो उसने कई को इधर-ऊधर से ला कर धंधे में लगाया।" जुबैदा ने अब एक अंतिम बार अलग हट कर उसके पैर पकड़ कर बोली, "आप तो मेरे अब्बू जैसे हैं, प्लीज आप मुझे जाने दीजिए"। उसने उसको दूर ठेलते हुए कहा, "हट साली, तुम्हारा अब्बू तो तुमको बेच कर कही दारू पी रहा होगा, और मुझे कह रही है कि छोड़ दूँ। जो पैसा तुम लोग के बाप को मिला है, वो तुम्हारे छेद से हीं तो अब हमलोग निकालेंगे। ज्यादा हल्ला की तो सड़क पर ले जाकर कुत्ता से चुदा देंगे, खैर चाहती है तो चुपचाप खड़ी हो कर खुद से अपना पैन्ट खोल नहीं तो मादरचोद, तुम्हारे फ़्राक की तरह तुम्हारा पैन्ट भी फ़ाड़ देंगे और जब तक तू कमाएगी नहीं कुछ पहनने को नहीं रहेगा तुम्हारे पास, नंगी हीं पड़े रहना यहाँ कुतिया के जैसे।" बाकी दोनों मर्दों ने भी कुछ ऐसी ही बात नसरीन से कही जो अब अपने बदन पर के बचे हुए कपड़े को खुब जोर से पकड़ कर सिमट कर बिस्तर पर बैठी थी। तीनों अब नंगे हो कर अपना-अपना लन्ड हिला-हिला कर कड़ा कर रहे थे जिससे की वो भीतर घुस सके। उन दोनों को शान्त बैठे देख कर उस लीडर ने फ़िर से धमकी दी कि वो दोनों अपने हाथ से नंगी हो जाए, वर्ना फ़िर हमेशा के लिए नंगा रहना होगा। इस बार की धमकी के बाद जुबैदा चुपचाप उठी और बिस्तर से उतर कर खड़ी हो कर अपना जंघिया नीचे सरार दी। उसकी बूर पर करीब आधा-पौना ईन्च के कोमल मुलायम काले-काले सबाल थे, जो अभी घुंघराले झाँट बनने शुरु हुए थे। वो लीडर खुश हो कर नसरीन से बोला, "देखो, तुम्हारी बहन कितना समझदार है... तुम भी आराम से हम लोग से सहयोग करके चुदा लो, नहीं तो समझ लेना... मार-मार कर चोदेंगे लगातार हरामजादी।"
मैंने अब विभा को देखा जो टकटकी लगाए फ़िल्म देख रही थी। मैंनें कहा, "विभा, देख लो.... अगर तुम भी हमसे आराम से नहीं चुदवाई तो जैसे यह लड़की चुदेगी वैसे हीं तुमको भी किसी दिन पटक कर हम चोद देंगे। जमाने से मेरे "खड़े लन्ड पर धोखा" दे रही हो तुम।" विभा मेरी तरफ़ एक नजर देखी और फ़िर वो बोली, जिसको सुनने की आस मैं जमाने स एपाले हुए था, "ठीक है, इस बार जब पीरियड खत्म होगा तो एक बार कर लीजिएगा, पर उसके बाद नहीं..."। मैं यह सुन कर उछल पडा और उसको बाहों में भर कर बोल पडा, ’जिओ मेरी जान.... आज तुम कहो तो तुम्हारा रेड सिग्नल तोड़ कर अपना लन्ड तुम्हारी बूर के भीतर पार्क कर दुँगा।" विभा ने शर्माते हुए धत्त... किया और फ़िर मुझे अपने से दूर करते हुए फ़िल्म देखने लगी। जुबैदा ने आत्मसमर्पण कर दिया था और अब उस लीडर के कहे अनुसार, उसका लन्ड चूसने लगी थी। तभी दरवाजा खटखटाया गया और मासीमा के खोलने पर एक २२-२४ साल लडका सबके लिए चाय ले कर आया। सब चाय पीने लगे, पर मासीमा में उन दोनों लड़कियों को चाय देने से मना कर दिया, कि जब तक वो दोनों अब चुदेगी नहीं तब तक कुछ नहीं मिलेगा। जुबैदा को अब बारी-बारी से तीनों के लन्ड चुसने का आदेश हुआ था और वो बेचारी नंगी जमीन पर घुटनों के बल बैठ कर एक-एक कर तीनों के लन्ड चूस रही थी जो अब खुब फ़नफ़ना गया था। मासीमा चाय खत्म करके उठी और जुबैदा के चेहरे को सहलाते हुए प्यार से बोली, "यह तो बहुत अच्छी है रे... सब बात मानती है, इसको प्यार से चोदना तुम सब हरामी लोग", फ़िर उसने उस छोकरे से जो चाय ले कर आया था बोली, ’तू खोल उसकी चूत अब्दुल.... तेरे साथ इसकी जोड़ी ठीक रहेगी, इस सब हरामियों की बेटी की उम्र की यह यह सब, औए देखो साले लोग कैसे अपना खडा किए हुए हैं इस बेचारी के भीतर घुसाने के लिए", और उन तीनों को बोली कि जल्दी से उस वाली को जोर से पेलो और फ़िर बाद में इन बाकी चार का भी सील खोलना है तुम सब को। अब्दुल ने जब सुना कि उसको जुबैदा को चोदना है तो वो तुरन्त से अपनी चाय गटक कर अपना टी-शर्ट और जीन्स खोल्ने लगा और तब मासीमा जुबैदा से बोली, "बेटी, तुम जाओ और अब्दुल का कपडा उतारो और फ़िर उसके साथ चुदाओ पहले.... फ़िर नहा धो कर खाना खा लेना। तुम बेकार में अपनी बहन के चक्कर में लात खाओगी अगर खुशी-खुशी नहीं चुदाओगी। अब्दुल जवान है, तुम्हारे साथ उसका जोड़ा ठीक बैठेगा... और वो खुब प्यार से चोदेगा तुमको... ये तीनों हरामजादे तो तुम्हारे जैसी बच्ची को रगड़ कर रख देंगे, चार दिन तक खडा नहीं हो पाओगी ठीक से।" जुबैदा का तो यह सब सुन कर चेहरा सफ़ेद पड गया और वो धीरे से ऊठ कर अब्दुल के पास चली गई।
अब्दुल उसको अपने से चिपका लिया और उसके कमर से अपने हाथ उपर की तरफ़ सरारने लगा था। नसरीन अपनी बहन को ऐसे अब्दुल के पास जाते देख कर अपनी बहन को भी गाली देने लगी थी, कि तभी मासीमा का एक जोर का थप्पड उसकी गाल पर पडा और तीनों मुस्टन्डे उसकी पर झपटे। दो ने उसको बदोच लिया और एक उसका कपड़ा खोलने लगा। तब मासीमा चीखी, "फ़ाड़ साली कुतिया का कपडा फ़रीद, साली का बूर खून से लाल कर दो हरामजादी का। फ़रीद ने तब ताकत लगा कर उसका साया नीचे से पकड़ कर जोर लगा कर चर्रर्रर्रर्रर्रर्र से फ़ाड दिया और नसरीन की नंगी टांगों का दीदार सब को होने लगा था। नसरीन चीख रही थी, गाली दे रही थी.... पर उन सब ने उसके बदन से साया के फ़टे टुकड़ों को खींच-खींच कर हटाने लगे थे। साया ऊअपर नसरीन की कमर में डोरी से कस कर बंधा हुआ था सो उन सब के हर झटके से उसके कमर की डोरी भी जोर से उसकी कमर को दबाती और अब वो उस दर्द से अपने को बचाने के लिए अपना हाथ चुचियों से हटा कर बार-बार कमर पर साया की डोरी पर ले जाती थी, पर सब तरफ़ से तीनों उसका साया नोच रहे थे और वो अकेली अपने को साये से खींच रहे डोरी के दर्द से बचाने में नाकाम थी। जल्द हीं उस डोरी से तीन-चार छोटे-छोटे कपडे के टुकडे हीं लटक रहे थे। नसरीन अब लगातार रो रही थी और गिडगिडा रही थी। अब वो अपने हथेलियों से अपनी लाज को ढकने की नाकाम से कोशिश कर रही थी। तभी फ़रीद ने खुब ताकत से उसके हाथों को उसकी चूत से हटा दिया और सब को अब आराम से उसकी अनचुदी झाँटों से भरी चूत के दर्शन होने लगे। कैमरामैन ने आराम से उसका क्लोज-अप दिखाया। करीब ३-४ ईंच का झाँटों का जंगल था उसकी बूर के चारों तरफ़। तब मासीमा आगे बढ़ी और उसकी बूर की फ़ाँक को अपने हाथों से खोल दी जिससे की उसकी बूर की लाली कैमरे में कैद हो सके और फ़िर उसने और जोर लगा कर उसकी फ़ंक को जैसे चीड दिया और तब उसकी कुँवारेपन का सबूत लाल झिल्ली जिसमें एक नन्हा सा छेद था, अब चमक कर सामने दिखने लगा। मासीमा ने अपनी एक ऊँगली उसकी उस झिल्ली पर लगा कर उसको दाबा तो नसरीन दर्द से चीख उठी और उसने एक लात मासीमा के बाँह पर लगा दिया।
मासीमा वहाँ से गाली देते हुए हटी और उन सब को आदेश दिया, "फ़ाड़ दो साली का बूर...."। फ़रीद अब उन दोनों को बोला कि वो अब उसको स्थिर करें जिससे वो अपना लन्ड नसरीन की बूर में घुसा सके। तभी कमरे में एक चीख गुंजी, और तब कैमरा घुमा तो दिखा कि अब्दुल अब जुबैदा के भीतर अपना घुसा रहा था। उसका सुपाडा भीतर चला गया था, अब वो अपने को स्थिर रखे हुए था और जुबैदा के थकने के इंतजार में था। उसने जुबैदा को जमीन पर हीं अपने बाहों और टाँगों की मदद से लगभग पूरी तरह से दबोच लिया था। जुबैदा और उसके सीने पर अपने हाथ से धक्का लगा कर उसको अपने ऊपर से उठाने की कोशिश कर रही थी, पर नाकाम थी। जवान अब्दुल की उस मस्त गिरफ़्त से छुटना उसके जैसी नादान कली के बस में नहीं था। मासीमा ने उन तीनों को रुकने का आदेश दिया और अब उन दोनों के पास में बैठ गई और फ़िर जुबैदा के सर को सहलाते हुए, उसको पुचकारने लगी..., "बेटा, अब हल्का सा दर्द होना रानी, फ़िर सब ठीक हो जाएगा... तुम तो बहादूर हो, बस एक सेकेन्ड और बर्दास्त करो।" जुबैदा का ध्यान अब मासीमा की तरफ़ चला गया था, और तभी मासीमा नें अब्दुल को ईशारा किया और उस हरामी ने जुबैदा के बालों को अपने दोनों हाथों से दोनों तरफ़ से जोर से पकड़ लिया और फ़िर एक झटके में अपना लन्ड उसकी कसी हुई बूर में ठेल दिया। जुबैदा जोर से चिल्लाई...., छ्टपटाई..., अप अब्दुल ने अपने लन्ड झटके से भीतर ठेलने के बाद अपने कमर से उसकी कमर को दाब दिया था कि वो हिल भी ना सके। बालों को जोर से जकडे था जिससे वो अगर अपना सर जरा भी हिलाती तो बाल खींचने से दर्द होता। बेचारी की आँखों से मोटे-मोटे आँसू बह निकले, वो अब बेबसी में दो-चार बार कसमसा कर निढाल हो कर शान्त हो गई और हिचकी ले-ले कर रोने लगी। करीब १८-२० सेकेन्ड वैसे हीं अब्दुल उसको दाबे रहा, और फ़िर जब देखा कि अब जुबैदा इतनी टूट चूकी है कि अब कोई विरोध नहीं करेगी तब, उसन अपना गिरफ़्त थोड़ा ढ़ीला किया और उसके बाल छोड कर अपने हाथों के सहारे धीरे से उसके बदन से ऊपर उठा। फ़िर खुब प्यार से जुबैदा के होठ पर अपने होठ रख कर चुमने लगा। जुबैदा रोए जा रही थी और अब्दुल उसके होठ को चुमते जा रहा था, और जब जुबैदा थोड़ा और शान्त हुई तब उसने अपने कमर को उठाया जिससे उसका लन्ड अब बाहर निकलने लगा, क्लोज-अप में उसकी बूर की सील टुटने की गवाही में लन्ड पर लिथडा हुआ लाल-लाल थोड़ा सा खून दिखा। करीब आधा लन्ड बाहर खींच कर अब्दुल ने फ़िर से जोर के धक्के के साथ भीतर पेल दिया और इसबार फ़िर जुबैदा दर्द महसूस की पर अब वो परिस्थिति समझ गई थी सो बस सिसक कर रह गई। अब्दुल अब आराम से उसकी चुदाई करने लगा और वो बेचारी रोते हुए अपनी चुदाई करवा रही थी। पास में खडी बाकी चार लडकियों पर अब कैमरा घुमा तो सब ने सर नीचे झुका लिया, वो सब शान्त हो कर डरी-सहमी जुबैदा की चुदाई देख रही थीं। करीब ४०-५० धक्के खुब आराम-आराम से लगाने के बाद अब्दुल ने उसकी कमर को जकड़ कर तेजी से कुछ और धक्के लगाए और फ़िर उसकी बूर के भीतर हीं झड गया और जब उसने अपना लन्ड बाहर निकाला तो जुबैदा की ताजा चुदी हुई बूर से सफ़ेद-सफ़ेद सा माल निकल कर उसकी गाँड़ की फ़ाँक की तरफ़ बह निकला।
मासीमा ने अब अब्दुल को कहा, "छोड अब उसको, थोडी देर बाद उसकी गाँड़ भी मार देना, पता नहीं कल कौन सा कस्टमर आएगा इसके लिए... सो इसको सब पता तो रहे कि क्या कैसे होगा इसके बेदन के साथ और उसको क्या-क्या बर्दास्त करना है। चल अब आ और इस हरामजादी को ठीक कर.... इन साले बुढ़ों से कुछ नहीं होगा।" कैमरा अब फ़िर से बिस्तर पर था जहाँ नसरीन अब पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और दो लोग उसको कंधे और बाहों से पकड कर, और एक फ़रीद उसकी टांगों को पकड़ कर बिस्तर पर लिटाने की कोशिश कर रहे थे पर अभी तक नाकाम थे। नसरीन ने अब तक उन सब को अपने पर पूरी तरह से काबू नहीं करने दिया था। कई थप्पड उसने खाए पर वो जी-जान लगा कर विरोध कर रही थी। असल में जब जुबैदा की चुदाई हो रही थी तब तो सब वही देखने में मशगुल थे, शायद इसलिए कि तब नसरीन की विडियो नहीं बन पाती। २२ साल के जवान अब्दुल का लन्ड अभी भी सही था, वो जुबैदा की बूर से निकले अपने गीले लन्ड को हिलाया और आराम से बिस्तर पर चढ कर एक झटके से नसरीन की बडी-बड़ी झाँटों को अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया। वो दर्द से बिलबिला गई। उसने नसरीन को, उसकी झांटों के भरोसे हीं काबू में करके, अपना कमर बिस्तर पर स्थिर करने के लिए मजबूर कर दिया। फ़िर अचानक उसने लपक कर उसकी एक चूची अपनी मुट्ठी में पकड कर जोर से दबाई, तो नसरीन फ़िर से दर्द से चीख पडी। अब्दुल ने अपने एक हाथ की मुठ्ठी में नसरीन की चूच्ची और दूसरे हाथ की मुठ्ठी में उसकी झाँट पकड ली थी और जब तब वह इस दोनों मुठ्ठियों के मदद से उसको दर्द से बिल्बिलाने के लिए मजबूर कर रहा था। जहाँ वो जरा भी विरोध करती वो उसकी झाँट को जोर से खींचता और बेचारी चीख कर शान्त हो जाती। जल्दी हीं वो समझ गई कि अब उसका कोई जोर नहीं चलेगा तब वो मजबूरी में रोने लगी और फ़िर फ़रीद ने उसकी जाँघ को फ़ैला दिया और अपने घुटनों के बल उसको चोदने के लिए बैठ गया। नसरीन अब उससे दया के लिए गिडगिड़ाने लगी। पर फ़रीद ने अपने हथेली पर खुब सारा थुक निकाला और फ़िर उसकी बूर की फ़ाँक खोल कर उसकी बूर में उस थुक को ल्गा दिया, फ़िर एक बार अपना थुक निकाल कर इस बार अपने खडे लन्ड पर लगा कर उसकी दोनों जाँघों को अपने कन्धे पर टिका कर अपना लन्ड उसकी बूर की खुली फ़ाँक पर लगाया, तब अब्दुल ने नसरीन के झाँट छोडे और उसकी दूसरी चूच्ची को भी अपने दूसरे हाथ से जकड़ लिया, और उसी समय फ़रीद धीरे-धीरे उसकी बूर में अपना लन्ड दबाने लगा। जल्दी ही उसकी झिल्ली पर जब लन्ड का दबाब पडा तो वो दर्द से बिलबिलाई पर उससे ज्यादा दर्द अब्दुल ने उसकी चूच्चियों को मसल कर दिया और बेचारी चीखती रह गई और उसको शायद पता भी नहीं चला कि कब उसकी बूर की सील टूट गई और कब फ़रीद का पूरा लन्ड भीतर घुस गया। फ़रीद बिना देरी के अब लगातार उसको चोदने लगा था और तब अब्दुल ने उसकी चूचियों को आजाद किया। अब वो भी मजबूर हो कर रो-रो कर अपनी बूर चुदा रही थी। करीब ७-८ मिनट की चुदाई के बाद फ़रीद ने उसकी बूर में अपना माल निकाल दिया और फ़िर हाँफ़ते हुए उसके ऊपर से हट गया। नसरीन भी रोते हुए ऊठी और अपनी बहन के पास जा कर उसके गले लग कर फ़फ़क कर रो पडी।
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पहले वाले मर्द ने, जो सबमें उम्र-दराज और शायद लीडर था, आगे बढ़ कर दीवार की तरफ़ मुँह करके खडी हुई जुबैदा को बालों से पकड़ कर अपनी तरफ़ खींचा। बेचारी को उम्मीद नहीं थी कि ऐसा कुछ होगा, सो वो दर्द से चीखी और अपने हाथों को अपनी चुचियों से हटा कर अपने बालों पर ले गई और फ़िर दर्द से बचने के लिए लडखडाते हुए उसके छाती से लग गई। मादरचोद कैमरा वाला, अब घुम कर उसके सामने आ गया था और उसकी छोटी-छोटी चुची के क्लोज-अप लेने लगा था। जुबैदा सांवली लड़की थी और उसकी छाती पर गहरे बूरे रंग का निप्पल था। बिल्कुल सपाट पेट और एक छोटी सी नाभी। फ़ीगर के नाम पर होगा करीब ३२-२२-३२ जैसा कुछ, पाँच फ़ीट दो ईंच के करीब लम्बी थी। उसके काँख के घुंघराले काले बाल अब खुब साफ़ दिख रहे थे, जब उसका हाथ उसके सर पर उसकी चोटी को संभालने में लगा हुआ था। उस मर्द ने उसको लगभग घसीटते हुए बिस्तर पर लाया और फ़िर एक जोर के धक्के से उसको बिस्तर पर गिरा कर उसकी टांगों को पकड़ कर उसको सीधा पलट दिया। जुबैदा अपने टांगों को झटक रही थी, जिससे की वो उसकी गिरफ़्त से छूट सके। पर वो सब मर्द तो ऐसी कई कलियों को रंडी बना चुके थे, सो वो बेचारी कहाँ से छूट पाती। उसको बिस्तर पर तड़फ़डाते हुए देख कर अब उन दोनों ने भी उसकी बहन नसरीन को उठा कर वहीं उसी बिस्तर पर पटक दिया। वो दोनों बहने अब पूरी तरह से घबडा गई थी और अब चुप हो कर दोनों एक दुसरे से चिपक गई। उन मर्दों ने उन दोनों को खुब गालियाँ दी और फ़िर सब एक तरफ़ हो कर अपने कपडे उतारने लगे। दोनों बहन सब समझ कर चुप-चाप उनको देख रही थी। अब वो दोनों उनसे गिड़गिडाने लगी थी कि वो सब उन दोनों को जाने दें। वो दोंनो अब उनको कभी अपना भाई कहती तो कभी अपना बाप।
उनकी बातों को सुन कर उस लीडर ने कहा, "इस सब से कुछ नहीं होगा, हमलोग तो जमाने से यही सब करते आए हैं। निकाह करके तो मैं ही अपनी बीवी को धंधे में लाया, जो इस कोठे की पहली रंडी बनी। फ़िर तो उसने कई को इधर-ऊधर से ला कर धंधे में लगाया।" जुबैदा ने अब एक अंतिम बार अलग हट कर उसके पैर पकड़ कर बोली, "आप तो मेरे अब्बू जैसे हैं, प्लीज आप मुझे जाने दीजिए"। उसने उसको दूर ठेलते हुए कहा, "हट साली, तुम्हारा अब्बू तो तुमको बेच कर कही दारू पी रहा होगा, और मुझे कह रही है कि छोड़ दूँ। जो पैसा तुम लोग के बाप को मिला है, वो तुम्हारे छेद से हीं तो अब हमलोग निकालेंगे। ज्यादा हल्ला की तो सड़क पर ले जाकर कुत्ता से चुदा देंगे, खैर चाहती है तो चुपचाप खड़ी हो कर खुद से अपना पैन्ट खोल नहीं तो मादरचोद, तुम्हारे फ़्राक की तरह तुम्हारा पैन्ट भी फ़ाड़ देंगे और जब तक तू कमाएगी नहीं कुछ पहनने को नहीं रहेगा तुम्हारे पास, नंगी हीं पड़े रहना यहाँ कुतिया के जैसे।" बाकी दोनों मर्दों ने भी कुछ ऐसी ही बात नसरीन से कही जो अब अपने बदन पर के बचे हुए कपड़े को खुब जोर से पकड़ कर सिमट कर बिस्तर पर बैठी थी। तीनों अब नंगे हो कर अपना-अपना लन्ड हिला-हिला कर कड़ा कर रहे थे जिससे की वो भीतर घुस सके। उन दोनों को शान्त बैठे देख कर उस लीडर ने फ़िर से धमकी दी कि वो दोनों अपने हाथ से नंगी हो जाए, वर्ना फ़िर हमेशा के लिए नंगा रहना होगा। इस बार की धमकी के बाद जुबैदा चुपचाप उठी और बिस्तर से उतर कर खड़ी हो कर अपना जंघिया नीचे सरार दी। उसकी बूर पर करीब आधा-पौना ईन्च के कोमल मुलायम काले-काले सबाल थे, जो अभी घुंघराले झाँट बनने शुरु हुए थे। वो लीडर खुश हो कर नसरीन से बोला, "देखो, तुम्हारी बहन कितना समझदार है... तुम भी आराम से हम लोग से सहयोग करके चुदा लो, नहीं तो समझ लेना... मार-मार कर चोदेंगे लगातार हरामजादी।"
मैंने अब विभा को देखा जो टकटकी लगाए फ़िल्म देख रही थी। मैंनें कहा, "विभा, देख लो.... अगर तुम भी हमसे आराम से नहीं चुदवाई तो जैसे यह लड़की चुदेगी वैसे हीं तुमको भी किसी दिन पटक कर हम चोद देंगे। जमाने से मेरे "खड़े लन्ड पर धोखा" दे रही हो तुम।" विभा मेरी तरफ़ एक नजर देखी और फ़िर वो बोली, जिसको सुनने की आस मैं जमाने स एपाले हुए था, "ठीक है, इस बार जब पीरियड खत्म होगा तो एक बार कर लीजिएगा, पर उसके बाद नहीं..."। मैं यह सुन कर उछल पडा और उसको बाहों में भर कर बोल पडा, ’जिओ मेरी जान.... आज तुम कहो तो तुम्हारा रेड सिग्नल तोड़ कर अपना लन्ड तुम्हारी बूर के भीतर पार्क कर दुँगा।" विभा ने शर्माते हुए धत्त... किया और फ़िर मुझे अपने से दूर करते हुए फ़िल्म देखने लगी। जुबैदा ने आत्मसमर्पण कर दिया था और अब उस लीडर के कहे अनुसार, उसका लन्ड चूसने लगी थी। तभी दरवाजा खटखटाया गया और मासीमा के खोलने पर एक २२-२४ साल लडका सबके लिए चाय ले कर आया। सब चाय पीने लगे, पर मासीमा में उन दोनों लड़कियों को चाय देने से मना कर दिया, कि जब तक वो दोनों अब चुदेगी नहीं तब तक कुछ नहीं मिलेगा। जुबैदा को अब बारी-बारी से तीनों के लन्ड चुसने का आदेश हुआ था और वो बेचारी नंगी जमीन पर घुटनों के बल बैठ कर एक-एक कर तीनों के लन्ड चूस रही थी जो अब खुब फ़नफ़ना गया था। मासीमा चाय खत्म करके उठी और जुबैदा के चेहरे को सहलाते हुए प्यार से बोली, "यह तो बहुत अच्छी है रे... सब बात मानती है, इसको प्यार से चोदना तुम सब हरामी लोग", फ़िर उसने उस छोकरे से जो चाय ले कर आया था बोली, ’तू खोल उसकी चूत अब्दुल.... तेरे साथ इसकी जोड़ी ठीक रहेगी, इस सब हरामियों की बेटी की उम्र की यह यह सब, औए देखो साले लोग कैसे अपना खडा किए हुए हैं इस बेचारी के भीतर घुसाने के लिए", और उन तीनों को बोली कि जल्दी से उस वाली को जोर से पेलो और फ़िर बाद में इन बाकी चार का भी सील खोलना है तुम सब को। अब्दुल ने जब सुना कि उसको जुबैदा को चोदना है तो वो तुरन्त से अपनी चाय गटक कर अपना टी-शर्ट और जीन्स खोल्ने लगा और तब मासीमा जुबैदा से बोली, "बेटी, तुम जाओ और अब्दुल का कपडा उतारो और फ़िर उसके साथ चुदाओ पहले.... फ़िर नहा धो कर खाना खा लेना। तुम बेकार में अपनी बहन के चक्कर में लात खाओगी अगर खुशी-खुशी नहीं चुदाओगी। अब्दुल जवान है, तुम्हारे साथ उसका जोड़ा ठीक बैठेगा... और वो खुब प्यार से चोदेगा तुमको... ये तीनों हरामजादे तो तुम्हारे जैसी बच्ची को रगड़ कर रख देंगे, चार दिन तक खडा नहीं हो पाओगी ठीक से।" जुबैदा का तो यह सब सुन कर चेहरा सफ़ेद पड गया और वो धीरे से ऊठ कर अब्दुल के पास चली गई।
अब्दुल उसको अपने से चिपका लिया और उसके कमर से अपने हाथ उपर की तरफ़ सरारने लगा था। नसरीन अपनी बहन को ऐसे अब्दुल के पास जाते देख कर अपनी बहन को भी गाली देने लगी थी, कि तभी मासीमा का एक जोर का थप्पड उसकी गाल पर पडा और तीनों मुस्टन्डे उसकी पर झपटे। दो ने उसको बदोच लिया और एक उसका कपड़ा खोलने लगा। तब मासीमा चीखी, "फ़ाड़ साली कुतिया का कपडा फ़रीद, साली का बूर खून से लाल कर दो हरामजादी का। फ़रीद ने तब ताकत लगा कर उसका साया नीचे से पकड़ कर जोर लगा कर चर्रर्रर्रर्रर्रर्र से फ़ाड दिया और नसरीन की नंगी टांगों का दीदार सब को होने लगा था। नसरीन चीख रही थी, गाली दे रही थी.... पर उन सब ने उसके बदन से साया के फ़टे टुकड़ों को खींच-खींच कर हटाने लगे थे। साया ऊअपर नसरीन की कमर में डोरी से कस कर बंधा हुआ था सो उन सब के हर झटके से उसके कमर की डोरी भी जोर से उसकी कमर को दबाती और अब वो उस दर्द से अपने को बचाने के लिए अपना हाथ चुचियों से हटा कर बार-बार कमर पर साया की डोरी पर ले जाती थी, पर सब तरफ़ से तीनों उसका साया नोच रहे थे और वो अकेली अपने को साये से खींच रहे डोरी के दर्द से बचाने में नाकाम थी। जल्द हीं उस डोरी से तीन-चार छोटे-छोटे कपडे के टुकडे हीं लटक रहे थे। नसरीन अब लगातार रो रही थी और गिडगिडा रही थी। अब वो अपने हथेलियों से अपनी लाज को ढकने की नाकाम से कोशिश कर रही थी। तभी फ़रीद ने खुब ताकत से उसके हाथों को उसकी चूत से हटा दिया और सब को अब आराम से उसकी अनचुदी झाँटों से भरी चूत के दर्शन होने लगे। कैमरामैन ने आराम से उसका क्लोज-अप दिखाया। करीब ३-४ ईंच का झाँटों का जंगल था उसकी बूर के चारों तरफ़। तब मासीमा आगे बढ़ी और उसकी बूर की फ़ाँक को अपने हाथों से खोल दी जिससे की उसकी बूर की लाली कैमरे में कैद हो सके और फ़िर उसने और जोर लगा कर उसकी फ़ंक को जैसे चीड दिया और तब उसकी कुँवारेपन का सबूत लाल झिल्ली जिसमें एक नन्हा सा छेद था, अब चमक कर सामने दिखने लगा। मासीमा ने अपनी एक ऊँगली उसकी उस झिल्ली पर लगा कर उसको दाबा तो नसरीन दर्द से चीख उठी और उसने एक लात मासीमा के बाँह पर लगा दिया।
मासीमा वहाँ से गाली देते हुए हटी और उन सब को आदेश दिया, "फ़ाड़ दो साली का बूर...."। फ़रीद अब उन दोनों को बोला कि वो अब उसको स्थिर करें जिससे वो अपना लन्ड नसरीन की बूर में घुसा सके। तभी कमरे में एक चीख गुंजी, और तब कैमरा घुमा तो दिखा कि अब्दुल अब जुबैदा के भीतर अपना घुसा रहा था। उसका सुपाडा भीतर चला गया था, अब वो अपने को स्थिर रखे हुए था और जुबैदा के थकने के इंतजार में था। उसने जुबैदा को जमीन पर हीं अपने बाहों और टाँगों की मदद से लगभग पूरी तरह से दबोच लिया था। जुबैदा और उसके सीने पर अपने हाथ से धक्का लगा कर उसको अपने ऊपर से उठाने की कोशिश कर रही थी, पर नाकाम थी। जवान अब्दुल की उस मस्त गिरफ़्त से छुटना उसके जैसी नादान कली के बस में नहीं था। मासीमा ने उन तीनों को रुकने का आदेश दिया और अब उन दोनों के पास में बैठ गई और फ़िर जुबैदा के सर को सहलाते हुए, उसको पुचकारने लगी..., "बेटा, अब हल्का सा दर्द होना रानी, फ़िर सब ठीक हो जाएगा... तुम तो बहादूर हो, बस एक सेकेन्ड और बर्दास्त करो।" जुबैदा का ध्यान अब मासीमा की तरफ़ चला गया था, और तभी मासीमा नें अब्दुल को ईशारा किया और उस हरामी ने जुबैदा के बालों को अपने दोनों हाथों से दोनों तरफ़ से जोर से पकड़ लिया और फ़िर एक झटके में अपना लन्ड उसकी कसी हुई बूर में ठेल दिया। जुबैदा जोर से चिल्लाई...., छ्टपटाई..., अप अब्दुल ने अपने लन्ड झटके से भीतर ठेलने के बाद अपने कमर से उसकी कमर को दाब दिया था कि वो हिल भी ना सके। बालों को जोर से जकडे था जिससे वो अगर अपना सर जरा भी हिलाती तो बाल खींचने से दर्द होता। बेचारी की आँखों से मोटे-मोटे आँसू बह निकले, वो अब बेबसी में दो-चार बार कसमसा कर निढाल हो कर शान्त हो गई और हिचकी ले-ले कर रोने लगी। करीब १८-२० सेकेन्ड वैसे हीं अब्दुल उसको दाबे रहा, और फ़िर जब देखा कि अब जुबैदा इतनी टूट चूकी है कि अब कोई विरोध नहीं करेगी तब, उसन अपना गिरफ़्त थोड़ा ढ़ीला किया और उसके बाल छोड कर अपने हाथों के सहारे धीरे से उसके बदन से ऊपर उठा। फ़िर खुब प्यार से जुबैदा के होठ पर अपने होठ रख कर चुमने लगा। जुबैदा रोए जा रही थी और अब्दुल उसके होठ को चुमते जा रहा था, और जब जुबैदा थोड़ा और शान्त हुई तब उसने अपने कमर को उठाया जिससे उसका लन्ड अब बाहर निकलने लगा, क्लोज-अप में उसकी बूर की सील टुटने की गवाही में लन्ड पर लिथडा हुआ लाल-लाल थोड़ा सा खून दिखा। करीब आधा लन्ड बाहर खींच कर अब्दुल ने फ़िर से जोर के धक्के के साथ भीतर पेल दिया और इसबार फ़िर जुबैदा दर्द महसूस की पर अब वो परिस्थिति समझ गई थी सो बस सिसक कर रह गई। अब्दुल अब आराम से उसकी चुदाई करने लगा और वो बेचारी रोते हुए अपनी चुदाई करवा रही थी। पास में खडी बाकी चार लडकियों पर अब कैमरा घुमा तो सब ने सर नीचे झुका लिया, वो सब शान्त हो कर डरी-सहमी जुबैदा की चुदाई देख रही थीं। करीब ४०-५० धक्के खुब आराम-आराम से लगाने के बाद अब्दुल ने उसकी कमर को जकड़ कर तेजी से कुछ और धक्के लगाए और फ़िर उसकी बूर के भीतर हीं झड गया और जब उसने अपना लन्ड बाहर निकाला तो जुबैदा की ताजा चुदी हुई बूर से सफ़ेद-सफ़ेद सा माल निकल कर उसकी गाँड़ की फ़ाँक की तरफ़ बह निकला।
मासीमा ने अब अब्दुल को कहा, "छोड अब उसको, थोडी देर बाद उसकी गाँड़ भी मार देना, पता नहीं कल कौन सा कस्टमर आएगा इसके लिए... सो इसको सब पता तो रहे कि क्या कैसे होगा इसके बेदन के साथ और उसको क्या-क्या बर्दास्त करना है। चल अब आ और इस हरामजादी को ठीक कर.... इन साले बुढ़ों से कुछ नहीं होगा।" कैमरा अब फ़िर से बिस्तर पर था जहाँ नसरीन अब पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और दो लोग उसको कंधे और बाहों से पकड कर, और एक फ़रीद उसकी टांगों को पकड़ कर बिस्तर पर लिटाने की कोशिश कर रहे थे पर अभी तक नाकाम थे। नसरीन ने अब तक उन सब को अपने पर पूरी तरह से काबू नहीं करने दिया था। कई थप्पड उसने खाए पर वो जी-जान लगा कर विरोध कर रही थी। असल में जब जुबैदा की चुदाई हो रही थी तब तो सब वही देखने में मशगुल थे, शायद इसलिए कि तब नसरीन की विडियो नहीं बन पाती। २२ साल के जवान अब्दुल का लन्ड अभी भी सही था, वो जुबैदा की बूर से निकले अपने गीले लन्ड को हिलाया और आराम से बिस्तर पर चढ कर एक झटके से नसरीन की बडी-बड़ी झाँटों को अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया। वो दर्द से बिलबिला गई। उसने नसरीन को, उसकी झांटों के भरोसे हीं काबू में करके, अपना कमर बिस्तर पर स्थिर करने के लिए मजबूर कर दिया। फ़िर अचानक उसने लपक कर उसकी एक चूची अपनी मुट्ठी में पकड कर जोर से दबाई, तो नसरीन फ़िर से दर्द से चीख पडी। अब्दुल ने अपने एक हाथ की मुठ्ठी में नसरीन की चूच्ची और दूसरे हाथ की मुठ्ठी में उसकी झाँट पकड ली थी और जब तब वह इस दोनों मुठ्ठियों के मदद से उसको दर्द से बिल्बिलाने के लिए मजबूर कर रहा था। जहाँ वो जरा भी विरोध करती वो उसकी झाँट को जोर से खींचता और बेचारी चीख कर शान्त हो जाती। जल्दी हीं वो समझ गई कि अब उसका कोई जोर नहीं चलेगा तब वो मजबूरी में रोने लगी और फ़िर फ़रीद ने उसकी जाँघ को फ़ैला दिया और अपने घुटनों के बल उसको चोदने के लिए बैठ गया। नसरीन अब उससे दया के लिए गिडगिड़ाने लगी। पर फ़रीद ने अपने हथेली पर खुब सारा थुक निकाला और फ़िर उसकी बूर की फ़ाँक खोल कर उसकी बूर में उस थुक को ल्गा दिया, फ़िर एक बार अपना थुक निकाल कर इस बार अपने खडे लन्ड पर लगा कर उसकी दोनों जाँघों को अपने कन्धे पर टिका कर अपना लन्ड उसकी बूर की खुली फ़ाँक पर लगाया, तब अब्दुल ने नसरीन के झाँट छोडे और उसकी दूसरी चूच्ची को भी अपने दूसरे हाथ से जकड़ लिया, और उसी समय फ़रीद धीरे-धीरे उसकी बूर में अपना लन्ड दबाने लगा। जल्दी ही उसकी झिल्ली पर जब लन्ड का दबाब पडा तो वो दर्द से बिलबिलाई पर उससे ज्यादा दर्द अब्दुल ने उसकी चूच्चियों को मसल कर दिया और बेचारी चीखती रह गई और उसको शायद पता भी नहीं चला कि कब उसकी बूर की सील टूट गई और कब फ़रीद का पूरा लन्ड भीतर घुस गया। फ़रीद बिना देरी के अब लगातार उसको चोदने लगा था और तब अब्दुल ने उसकी चूचियों को आजाद किया। अब वो भी मजबूर हो कर रो-रो कर अपनी बूर चुदा रही थी। करीब ७-८ मिनट की चुदाई के बाद फ़रीद ने उसकी बूर में अपना माल निकाल दिया और फ़िर हाँफ़ते हुए उसके ऊपर से हट गया। नसरीन भी रोते हुए ऊठी और अपनी बहन के पास जा कर उसके गले लग कर फ़फ़क कर रो पडी।
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