FUN-MAZA-MASTI
होली का असली मजा--25
अब तक
हम दोनों ने अपने ब्लाउज को ठीक कर लिया ( बटन तो दोनों की टूट चुकी थीं , हाँ बस चूंची के ऊपर कर लिया ).
और छुटकी आई तो ,
उसकी कसी कसी छोटी स्कूल की टॉप के नीचे दोनों छोटे छोटे चूजे चोंच मार रहे थे।
वो कच्चे कच्चे टिकोरे , जिसके न सिर्फ वो , बल्कि मेरे नंदोई भी दीवाने थे , टॉप के नीचे से साफ झलक रहे थे।
और उसे देख के , न सिर्फ मुंह सूख गया उनका , बल्कि खड़ा खूंटा और तन के शार्ट के बाहर से झांकने लगा।
और अब मुँह सूखने की बारी छुटकी की थी।
जान सूख गयी थी , उसकी।
उसे मालूम पड़ गया था , अब थोड़ी देर में यहाँ क्या होने वाला था।
और ऊपर से रीतू भाभी , उन्होंने शार्ट नीचे सरका दिया और रामपुरी ९ इंच के स्प्रिंग वाले चाक़ू की तरह , मोटा कड़ियल पगलाया लंड बाहर।
"क्यों लेगी इसे , " मुट्ठी में उसे सहलाते , दबाते रीतू भाभी ने पुछा।
कितने अहसास एक साथ छुटकी के चेहरे पर से उत्तर गए।
लालच , मन कर रहा था बस गप्प से अंदर ले ले।
डर ,और दहशत , क्या हालत होगी उस बिचारी की छोटी सी बिल की , जब ये कलाई ऐसा मोटा बालिश्त भर लम्बा ,फाड़ता हुआ घुसेगा अंदर।
चाहत , कितना मजा आएगा , सुबह वो अपनी दो सहेलियों को देख चुकी थी , इसे घोंटते दोनों चीख चिल्ला रही थी लेकिन बाद में कितना मजा आया। और ,… और मंझली ने भी तो लिया था , इसे। एक ही साल तो बड़ी है वो।
घबड़ाहट , बहुत दर्द होगा , और खून भी निकलेगा। खून से बहुत डरती थी वो।
वो हिरणी की तरह डर के मेरी ओर मुड़ी , पर रीतू भाभी की कोई ननद बच सके तो रीतू भाभी कैसी।
उन्होंने उचक कर उसे पकड़ कर पलंग पर खीच लिया।
"अरे छुटकी इससे डर लगता है , मुझसे तो नहीं। " और प्यार से उसे अपने बाँहों में भींच लिया।
वो भी सिमटते हुए बोली , " अरे भाभी , आपसे क्यों डरूँगी '
" तो चल मेरे साथ मजा ले न " हसंते हुए वो बोली।
बिचारी छुटकी को क्या मालूम , वो खुद फँस के बड़े शिकारी के चंगुल में जा रही है।
फटनी तो उसकी है ही वो भी आज और अभी।
मैंने इशारे से उनको अपने पास बुलालिया।
पलंग पर रीतू भाभी और छुटकी थीं , अब।
और रीतू भाभी की मांसल जांघो की सँडसी सी गिरफत में छुटकी की टाँगे थी।
उन्होंने एक पल में छुटकी की टाँगे फैला दी , और अब वो बिचारी लाख कोशिश करे , उसकी टाँगे सिकुड़ नहीं सकती थी।
रीतू भाभी के हाथों ने साथ , साथ , छुटकी के टॉप को हटा फेंका और उसके बाद नंबर टीन ब्रा का था।
बिचारे वो ललच रहे थे , अपनी किशोर साली की उठती हुयी चूंचियां देखने को , लेकिन वो अब रीतू भाभी की गिरफ्त में थीं।
कभी वो दिखातीं , कभी छिपाती और कुछ देर अपने ननदोई को तड़पाने के बाद , उन्होंने नीचे से दोनों टिकोरों को पकड़ के और उभारा , और उन्हें ललचाते तड़पाते बोलीं ,
" क्यों नंदोई जी , मस्त हैं न मेरी छुटकी के टिकोरे। बस अभी अभी उठना शुरू हुए हैं , दबाने में मस्त , चूसने में मस्त। बोलिए चाहिए। '
और सिर्फ यही नहीं साथ साथ में उसके छोटे छोटे उरोजों को वो हलके हलके दबा रही थीं , मसल रहीं। ललछौहें निपल्स को मसल दे रही थीं कभी चिकोटी काट लेती।
" हाँ हाँ भाभी हाँ चाहिए , बहुत मस्त चूंचियां उठान है। " तड़पते हुए वो बोले।
और उन्हें दिखाते हए , रीतू भाभी ने छुटकी के छोटे छोटे निपल्स चूसने शुरू कर दिए। छुटकी भी मजे सिसकियाँ भर रही थी।
वो सिर्फ एक कॉटन की छोटी सी चड्ढी में थीं। भाभी का एक हाथ उसकी चुन्मुनिया सहला रहा था , रगड़ रहा था। कुछ ही देर में वहां पानी का एक हलका सा धब्बा दिखाई देने लगा।
छुटकी की कच्ची चूत पानी फ़ेंक रही थी।
रीतू भाभी ने उसकी चड्ढी भी खोल कर फ़ेंक दी और एक बार फिर छुटकी की टाँगे, भाभी की कड़ी कठोर मस्लस वाली पिंडलियों में फँसी फैली थी।
भाभी ने उसकी गुलाबी गीली परी को ढक रखा था , और हथेली के बेस से उसके क्लिट को हलके हलके रगड़ रहे थीं।
फिर हाथ हटाकर दोनों हाथ के अंगूठों से उसके चूत के पपोटों को पूरी ताकत से खोलते हुए उन्होंने एक बार फिर अपने नंदोई को ललचाया।
भाभी की पूरी ताकत के बाद भी , बुलबुल की चोंच जरा सी खुली और अंदर की गुलाबी मखमली गली के थोड़े थोड़े दर्शन हुए।
मैं सोच के सिहर उठी।
अभी थोड़ी देर में इनका बियर कैन से भी मोटा लंड इसमें घुसेगा , कैसी लेगी बिचारी मेरी बहन।
लेकिन रीतू भाभी का इरादा पक्का था ,
' हे लेना है इस कच्ची कली का , "
" हाँ भाभी हाँ " वो मस्ती में पागल हो रहे थे।
" मेरी शर्त याद रखना , " भाभी ने याद दिलाया।
"एकदम पक्का " वो बोले। छुटकी की कसी कच्ची सील तोड़ने के लिए वो कुछ भी करने को तैयार हो जाते।
( मुझे बाद में पता चला की भाभी की शर्त ये थी , कि वो छुटकी को पूरे लंड से चोदेंगे और खूब हचक हचक कर। छुटकी चाहे जितना रोये चिल्लाएगी , न तो वो चोदने की रफ्तार कम करेंगे और न , उसे रोने चिल्लाने से रोकने की कोई कोशिश करेंगे ) .
रीतू भाभी ने अपनी सबसे छोटी उंगली की टिप अपनी ननद की चूत में पेल दी और गोल गोल घुमाने लगीं।
साथ में उनका दूसरा हाथ , छुटकी के टिकोरों को दबा मसल रहा था।
मस्ती में छुटकी ने आँखे बंद कर ली थी और बस सिसक रही थी , छोटे छोटे चूतड़ पटक रही थी।
और रीतू भाभी ने इशारा करके इन्हे बुला के अपने पास बैठा लिया और छुटकी की गीली चूत से निकली ऊँगली सीधे इनके मुंह में.
वो सपड़ सपड़ चूस रहे थे।
और रीतू भाभी उस कच्ची कली पर चढ़ बैठीं।
उनकी शैतान उंगलियां , दुष्ट जीभ सब उस की गुलाबी परी को चिढ़ाने , छेड़ने में लग गए।
पहले तो रीतू भाभी के प्यासे होंठों ने अपनी छोटी ननद की गुलाबी कसी चूत की पुत्तियों को कस कस के चूसा , और फिर उसे दो फांक कर अपनी लम्बी , मोती रसीली जीभ एक लंड की तरह पेल दी , और लगीं गोल गोल घुमाने।
साथ में ही उनकी उंगलियां कभी भगोष्ठों को रगड़ देती , कभी मसल देतीं तो कभी अंगूठा जोर जोर से क्लिट के ऊपर घूमता , रगड़ता , मसलता।
बिचारी छुटकी , भौजी के इस हमले को तो कितनी खेली खायी , ब्याहता ननदें नहीं झेल पातीं थी , वो तो बिचारी ९ वि में पढ़ने वाली कमसिन ,सेक्स के खेल से अनजान कली थी।
छुटकी की चूत पानी फ़ेंक रही थी , लेकिन जब वो झड़ने कगार पर होती , रीतू भाभी रुक जातीं और छुटकी मन मसोस कर रह जाती।
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी
होली का असली मजा--25
अब तक
हम दोनों ने अपने ब्लाउज को ठीक कर लिया ( बटन तो दोनों की टूट चुकी थीं , हाँ बस चूंची के ऊपर कर लिया ).
और छुटकी आई तो ,
उसकी कसी कसी छोटी स्कूल की टॉप के नीचे दोनों छोटे छोटे चूजे चोंच मार रहे थे।
वो कच्चे कच्चे टिकोरे , जिसके न सिर्फ वो , बल्कि मेरे नंदोई भी दीवाने थे , टॉप के नीचे से साफ झलक रहे थे।
और उसे देख के , न सिर्फ मुंह सूख गया उनका , बल्कि खड़ा खूंटा और तन के शार्ट के बाहर से झांकने लगा।
और अब मुँह सूखने की बारी छुटकी की थी।
जान सूख गयी थी , उसकी।
उसे मालूम पड़ गया था , अब थोड़ी देर में यहाँ क्या होने वाला था।
और ऊपर से रीतू भाभी , उन्होंने शार्ट नीचे सरका दिया और रामपुरी ९ इंच के स्प्रिंग वाले चाक़ू की तरह , मोटा कड़ियल पगलाया लंड बाहर।
"क्यों लेगी इसे , " मुट्ठी में उसे सहलाते , दबाते रीतू भाभी ने पुछा।
कितने अहसास एक साथ छुटकी के चेहरे पर से उत्तर गए।
लालच , मन कर रहा था बस गप्प से अंदर ले ले।
डर ,और दहशत , क्या हालत होगी उस बिचारी की छोटी सी बिल की , जब ये कलाई ऐसा मोटा बालिश्त भर लम्बा ,फाड़ता हुआ घुसेगा अंदर।
चाहत , कितना मजा आएगा , सुबह वो अपनी दो सहेलियों को देख चुकी थी , इसे घोंटते दोनों चीख चिल्ला रही थी लेकिन बाद में कितना मजा आया। और ,… और मंझली ने भी तो लिया था , इसे। एक ही साल तो बड़ी है वो।
घबड़ाहट , बहुत दर्द होगा , और खून भी निकलेगा। खून से बहुत डरती थी वो।
वो हिरणी की तरह डर के मेरी ओर मुड़ी , पर रीतू भाभी की कोई ननद बच सके तो रीतू भाभी कैसी।
उन्होंने उचक कर उसे पकड़ कर पलंग पर खीच लिया।
"अरे छुटकी इससे डर लगता है , मुझसे तो नहीं। " और प्यार से उसे अपने बाँहों में भींच लिया।
वो भी सिमटते हुए बोली , " अरे भाभी , आपसे क्यों डरूँगी '
" तो चल मेरे साथ मजा ले न " हसंते हुए वो बोली।
बिचारी छुटकी को क्या मालूम , वो खुद फँस के बड़े शिकारी के चंगुल में जा रही है।
फटनी तो उसकी है ही वो भी आज और अभी।
मैंने इशारे से उनको अपने पास बुलालिया।
पलंग पर रीतू भाभी और छुटकी थीं , अब।
और रीतू भाभी की मांसल जांघो की सँडसी सी गिरफत में छुटकी की टाँगे थी।
उन्होंने एक पल में छुटकी की टाँगे फैला दी , और अब वो बिचारी लाख कोशिश करे , उसकी टाँगे सिकुड़ नहीं सकती थी।
रीतू भाभी के हाथों ने साथ , साथ , छुटकी के टॉप को हटा फेंका और उसके बाद नंबर टीन ब्रा का था।
बिचारे वो ललच रहे थे , अपनी किशोर साली की उठती हुयी चूंचियां देखने को , लेकिन वो अब रीतू भाभी की गिरफ्त में थीं।
कभी वो दिखातीं , कभी छिपाती और कुछ देर अपने ननदोई को तड़पाने के बाद , उन्होंने नीचे से दोनों टिकोरों को पकड़ के और उभारा , और उन्हें ललचाते तड़पाते बोलीं ,
" क्यों नंदोई जी , मस्त हैं न मेरी छुटकी के टिकोरे। बस अभी अभी उठना शुरू हुए हैं , दबाने में मस्त , चूसने में मस्त। बोलिए चाहिए। '
और सिर्फ यही नहीं साथ साथ में उसके छोटे छोटे उरोजों को वो हलके हलके दबा रही थीं , मसल रहीं। ललछौहें निपल्स को मसल दे रही थीं कभी चिकोटी काट लेती।
" हाँ हाँ भाभी हाँ चाहिए , बहुत मस्त चूंचियां उठान है। " तड़पते हुए वो बोले।
और उन्हें दिखाते हए , रीतू भाभी ने छुटकी के छोटे छोटे निपल्स चूसने शुरू कर दिए। छुटकी भी मजे सिसकियाँ भर रही थी।
वो सिर्फ एक कॉटन की छोटी सी चड्ढी में थीं। भाभी का एक हाथ उसकी चुन्मुनिया सहला रहा था , रगड़ रहा था। कुछ ही देर में वहां पानी का एक हलका सा धब्बा दिखाई देने लगा।
छुटकी की कच्ची चूत पानी फ़ेंक रही थी।
रीतू भाभी ने उसकी चड्ढी भी खोल कर फ़ेंक दी और एक बार फिर छुटकी की टाँगे, भाभी की कड़ी कठोर मस्लस वाली पिंडलियों में फँसी फैली थी।
भाभी ने उसकी गुलाबी गीली परी को ढक रखा था , और हथेली के बेस से उसके क्लिट को हलके हलके रगड़ रहे थीं।
फिर हाथ हटाकर दोनों हाथ के अंगूठों से उसके चूत के पपोटों को पूरी ताकत से खोलते हुए उन्होंने एक बार फिर अपने नंदोई को ललचाया।
भाभी की पूरी ताकत के बाद भी , बुलबुल की चोंच जरा सी खुली और अंदर की गुलाबी मखमली गली के थोड़े थोड़े दर्शन हुए।
मैं सोच के सिहर उठी।
अभी थोड़ी देर में इनका बियर कैन से भी मोटा लंड इसमें घुसेगा , कैसी लेगी बिचारी मेरी बहन।
लेकिन रीतू भाभी का इरादा पक्का था ,
' हे लेना है इस कच्ची कली का , "
" हाँ भाभी हाँ " वो मस्ती में पागल हो रहे थे।
" मेरी शर्त याद रखना , " भाभी ने याद दिलाया।
"एकदम पक्का " वो बोले। छुटकी की कसी कच्ची सील तोड़ने के लिए वो कुछ भी करने को तैयार हो जाते।
( मुझे बाद में पता चला की भाभी की शर्त ये थी , कि वो छुटकी को पूरे लंड से चोदेंगे और खूब हचक हचक कर। छुटकी चाहे जितना रोये चिल्लाएगी , न तो वो चोदने की रफ्तार कम करेंगे और न , उसे रोने चिल्लाने से रोकने की कोई कोशिश करेंगे ) .
रीतू भाभी ने अपनी सबसे छोटी उंगली की टिप अपनी ननद की चूत में पेल दी और गोल गोल घुमाने लगीं।
साथ में उनका दूसरा हाथ , छुटकी के टिकोरों को दबा मसल रहा था।
मस्ती में छुटकी ने आँखे बंद कर ली थी और बस सिसक रही थी , छोटे छोटे चूतड़ पटक रही थी।
और रीतू भाभी ने इशारा करके इन्हे बुला के अपने पास बैठा लिया और छुटकी की गीली चूत से निकली ऊँगली सीधे इनके मुंह में.
वो सपड़ सपड़ चूस रहे थे।
और रीतू भाभी उस कच्ची कली पर चढ़ बैठीं।
उनकी शैतान उंगलियां , दुष्ट जीभ सब उस की गुलाबी परी को चिढ़ाने , छेड़ने में लग गए।
पहले तो रीतू भाभी के प्यासे होंठों ने अपनी छोटी ननद की गुलाबी कसी चूत की पुत्तियों को कस कस के चूसा , और फिर उसे दो फांक कर अपनी लम्बी , मोती रसीली जीभ एक लंड की तरह पेल दी , और लगीं गोल गोल घुमाने।
साथ में ही उनकी उंगलियां कभी भगोष्ठों को रगड़ देती , कभी मसल देतीं तो कभी अंगूठा जोर जोर से क्लिट के ऊपर घूमता , रगड़ता , मसलता।
बिचारी छुटकी , भौजी के इस हमले को तो कितनी खेली खायी , ब्याहता ननदें नहीं झेल पातीं थी , वो तो बिचारी ९ वि में पढ़ने वाली कमसिन ,सेक्स के खेल से अनजान कली थी।
छुटकी की चूत पानी फ़ेंक रही थी , लेकिन जब वो झड़ने कगार पर होती , रीतू भाभी रुक जातीं और छुटकी मन मसोस कर रह जाती।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
No comments:
Post a Comment