Monday, October 13, 2014

FUN-MAZA-MASTI होली का असली मजा--25

FUN-MAZA-MASTI

 होली का असली मजा--25

अब तक

हम दोनों ने अपने ब्लाउज को ठीक कर लिया ( बटन तो दोनों की टूट चुकी थीं , हाँ बस चूंची के ऊपर कर लिया ).

और छुटकी आई तो ,

उसकी कसी कसी छोटी स्कूल की टॉप के नीचे दोनों छोटे छोटे चूजे चोंच मार रहे थे।

वो कच्चे कच्चे टिकोरे , जिसके न सिर्फ वो , बल्कि मेरे नंदोई भी दीवाने थे , टॉप के नीचे से साफ झलक रहे थे।





और उसे देख के , न सिर्फ मुंह सूख गया उनका , बल्कि खड़ा खूंटा और तन के शार्ट के बाहर से झांकने लगा।


और अब मुँह सूखने की बारी छुटकी की थी।

जान सूख गयी थी , उसकी।

उसे मालूम पड़ गया था , अब थोड़ी देर में यहाँ क्या होने वाला था।


और ऊपर से रीतू भाभी , उन्होंने शार्ट नीचे सरका दिया और रामपुरी ९ इंच के स्प्रिंग वाले चाक़ू की तरह , मोटा कड़ियल पगलाया लंड बाहर।





"क्यों लेगी इसे , " मुट्ठी में उसे सहलाते , दबाते रीतू भाभी ने पुछा।


कितने अहसास एक साथ छुटकी के चेहरे पर से उत्तर गए।


लालच , मन कर रहा था बस गप्प से अंदर ले ले।

डर ,और दहशत , क्या हालत होगी उस बिचारी की छोटी सी बिल की , जब ये कलाई ऐसा मोटा बालिश्त भर लम्बा ,फाड़ता हुआ घुसेगा अंदर।

चाहत , कितना मजा आएगा , सुबह वो अपनी दो सहेलियों को देख चुकी थी , इसे घोंटते दोनों चीख चिल्ला रही थी लेकिन बाद में कितना मजा आया। और ,… और मंझली ने भी तो लिया था , इसे। एक ही साल तो बड़ी है वो।



घबड़ाहट , बहुत दर्द होगा , और खून भी निकलेगा। खून से बहुत डरती थी वो।


वो हिरणी की तरह डर के मेरी ओर मुड़ी , पर रीतू भाभी की कोई ननद बच सके तो रीतू भाभी कैसी।




उन्होंने उचक कर उसे पकड़ कर पलंग पर खीच लिया।

"अरे छुटकी इससे डर लगता है , मुझसे तो नहीं। " और प्यार से उसे अपने बाँहों में भींच लिया।

वो भी सिमटते हुए बोली , " अरे भाभी , आपसे क्यों डरूँगी '

" तो चल मेरे साथ मजा ले न " हसंते हुए वो बोली।




बिचारी छुटकी को क्या मालूम , वो खुद फँस के बड़े शिकारी के चंगुल में जा रही है।

फटनी तो उसकी है ही वो भी आज और अभी।


मैंने इशारे से उनको अपने पास बुलालिया।

पलंग पर रीतू भाभी और छुटकी थीं , अब।
और रीतू भाभी की मांसल जांघो की सँडसी सी गिरफत में छुटकी की टाँगे थी।




उन्होंने एक पल में छुटकी की टाँगे फैला दी , और अब वो बिचारी लाख कोशिश करे , उसकी टाँगे सिकुड़ नहीं सकती थी।



रीतू भाभी के हाथों ने साथ , साथ , छुटकी के टॉप को हटा फेंका और उसके बाद नंबर टीन ब्रा का था।

बिचारे वो ललच रहे थे , अपनी किशोर साली की उठती हुयी चूंचियां देखने को , लेकिन वो अब रीतू भाभी की गिरफ्त में थीं।





कभी वो दिखातीं , कभी छिपाती और कुछ देर अपने ननदोई को तड़पाने के बाद , उन्होंने नीचे से दोनों टिकोरों को पकड़ के और उभारा , और उन्हें ललचाते तड़पाते बोलीं ,

" क्यों नंदोई जी , मस्त हैं न मेरी छुटकी के टिकोरे। बस अभी अभी उठना शुरू हुए हैं , दबाने में मस्त , चूसने में मस्त। बोलिए चाहिए। '




और सिर्फ यही नहीं साथ साथ में उसके छोटे छोटे उरोजों को वो हलके हलके दबा रही थीं , मसल रहीं। ललछौहें निपल्स को मसल दे रही थीं कभी चिकोटी काट लेती।

  
" हाँ हाँ भाभी हाँ चाहिए , बहुत मस्त चूंचियां उठान है। "
तड़पते हुए वो बोले।


और उन्हें दिखाते हए , रीतू भाभी ने छुटकी के छोटे छोटे निपल्स चूसने शुरू कर दिए। छुटकी भी मजे सिसकियाँ भर रही थी।




वो सिर्फ एक कॉटन की छोटी सी चड्ढी में थीं। भाभी का एक हाथ उसकी चुन्मुनिया सहला रहा था , रगड़ रहा था। कुछ ही देर में वहां पानी का एक हलका सा धब्बा दिखाई देने लगा।

छुटकी की कच्ची चूत पानी फ़ेंक रही थी।




रीतू भाभी ने उसकी चड्ढी भी खोल कर फ़ेंक दी और एक बार फिर छुटकी की टाँगे, भाभी की कड़ी कठोर मस्लस वाली पिंडलियों में फँसी फैली थी।

भाभी ने उसकी गुलाबी गीली परी को ढक रखा था , और हथेली के बेस से उसके क्लिट को हलके हलके रगड़ रहे थीं।

फिर हाथ हटाकर दोनों हाथ के अंगूठों से उसके चूत के पपोटों को पूरी ताकत से खोलते हुए उन्होंने एक बार फिर अपने नंदोई को ललचाया।




भाभी की पूरी ताकत के बाद भी , बुलबुल की चोंच जरा सी खुली और अंदर की गुलाबी मखमली गली के थोड़े थोड़े दर्शन हुए।

मैं सोच के सिहर उठी।

अभी थोड़ी देर में इनका बियर कैन से भी मोटा लंड इसमें घुसेगा , कैसी लेगी बिचारी मेरी बहन।

लेकिन रीतू भाभी का इरादा पक्का था ,

' हे लेना है इस कच्ची कली का , "


" हाँ भाभी हाँ " वो मस्ती में पागल हो रहे थे।

" मेरी शर्त याद रखना , " भाभी ने याद दिलाया।

"एकदम पक्का " वो बोले। छुटकी की कसी कच्ची सील तोड़ने के लिए वो कुछ भी करने को तैयार हो जाते।

( मुझे बाद में पता चला की भाभी की शर्त ये थी , कि वो छुटकी को पूरे लंड से चोदेंगे और खूब हचक हचक कर। छुटकी चाहे जितना रोये चिल्लाएगी , न तो वो चोदने की रफ्तार कम करेंगे और न , उसे रोने चिल्लाने से रोकने की कोई कोशिश करेंगे ) .

रीतू भाभी ने अपनी सबसे छोटी उंगली की टिप अपनी ननद की चूत में पेल दी और गोल गोल घुमाने लगीं।

साथ में उनका दूसरा हाथ , छुटकी के टिकोरों को दबा मसल रहा था।

मस्ती में छुटकी ने आँखे बंद कर ली थी और बस सिसक रही थी , छोटे छोटे चूतड़ पटक रही थी।

और रीतू भाभी ने इशारा करके इन्हे बुला के अपने पास बैठा लिया और छुटकी की गीली चूत से निकली ऊँगली सीधे इनके मुंह में.


वो सपड़ सपड़ चूस रहे थे।

और रीतू भाभी उस कच्ची कली पर चढ़ बैठीं।

उनकी शैतान उंगलियां , दुष्ट जीभ सब उस की गुलाबी परी को चिढ़ाने , छेड़ने में लग गए।





पहले तो रीतू भाभी के प्यासे होंठों ने अपनी छोटी ननद की गुलाबी कसी चूत की पुत्तियों को कस कस के चूसा , और फिर उसे दो फांक कर अपनी लम्बी , मोती रसीली जीभ एक लंड की तरह पेल दी , और लगीं गोल गोल घुमाने।

साथ में ही उनकी उंगलियां कभी भगोष्ठों को रगड़ देती , कभी मसल देतीं तो कभी अंगूठा जोर जोर से क्लिट के ऊपर घूमता , रगड़ता , मसलता।

बिचारी छुटकी , भौजी के इस हमले को तो कितनी खेली खायी , ब्याहता ननदें नहीं झेल पातीं थी , वो तो बिचारी ९ वि में पढ़ने वाली कमसिन ,सेक्स के खेल से अनजान कली थी।

छुटकी की चूत पानी फ़ेंक रही थी , लेकिन जब वो झड़ने कगार पर होती , रीतू भाभी रुक जातीं और छुटकी मन मसोस कर रह जाती।






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