Saturday, October 11, 2014

FUN-MAZA-MASTI छोटी बहन के साथ--15

 FUN-MAZA-MASTI
 छोटी बहन के साथ--15

 मासीमा ने अब सगीर और सज्जाद को आदेश दिया कि अब दोंनो अब जल्दी से दो और लडकियों को निपटाएँ, और तब उसने चारों बची हुई लडकियों में से दो को बिस्तर पर आने को कहा। सहमी हुई लडकियाँ अब एक-दूसरे को देखने लगी। तब मासीमा ने पास जाकर उन्हें समझाते हुए हिम्मत दी और फ़िर दो का बाँह पकड कर पूछा, "क्या नाम है तुम दोनों का?" दोनों ने अपना-अपना नाम सायरा और समीना बताया। दोनों सलवार-कुर्ते में थी। मासीमा ने दोनों को कहा, "जाओ जल्दी से अपना कपडा उतार कर आराम से चुदा लो जल्दी से फ़िर आराम से खाना-वाना खा कर आराम करना।" दोनों बेचारी उन दोनों बहनों का हाल देख कर डरी हुई थी। समीना ने आखिर बोल ही दिया, "बहुत दर्द होता है इसमें अभी एक-दो दिन बाद वो करवा लेगी यह सब।" तब खड़े लन्ड वाले उन दोनों हरामियों ने उनको दबोच लिया और उन्हें बिस्तर की तरफ़ ले गए और रास्ते में हीं उनके दुप्पटे हटा दिए। दोनों ने लगभग साथ साथ हीं उनके बदन से कुर्ती उतारी और फ़िर उनकी समीज भी खोल दी। समीना की छोटी-छोटी चूची चमक उठी पर सायरा जिसकी चूची थोड़ा बडी थी, उसने ब्रा पहन रहा था। अब्दुल ने आगे बढ़ कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और फ़रीद ने उन दोनों की सलवार की डोरी खींच दी, जिससे उनको चोदने को तैयार सगीर और सज्जाद ने फ़टाक से उनकी सलवार खींच कर उतार दी और अब दोनों के बदन पर मैली सी काली पन्टी दिख रही थी। उन दोनों को बिस्तर पर लिटा कर दोनों मर्द उन पर चढ गए और उनको चूमने लगे, दोनों थोड़ा अनमने तरीके से चुम्बन का जवाब दे रही थी। छोटी चोचियों वाली समीना से सगीर चिपका हुआ था और बड़ी चुचियों वाली सायरा से सज्जाद। दोनों के लन्ड साधारण थे, करीब ६" के। सायरा जो उम्र में समीना से १-२ साल बड़ी होगी, पहले गर्म हुई और अब वो जरा ठीक से चुम्मा-चाटी करने लगी, तब सज्जाद ने उसकी पैन्टी खोल दी और फ़िर उसकी झाँटों से खेलते हुए अपनी ऊँगली उसकी बूर की फ़ाँक पर चलाने लगा। सायरा जल्द हीं गर्म हो कर कसमसाने लगी। अब तक समीना भी गर्म हो कर अपनी जाँघ तो एक दूसरे से रगड़ने लगी थी, और तब सगीर उसके ऊपर से उठा और फ़िर उसकी कमर के पास बैठ कर उसकी पैन्टी को नीचे सरार कर खोल दिया।

समीना की बूर साफ़ और चिकनी थी, लगा जैसे १-२ दिन पहले हीं उसने झाँट साफ़ की हो। काली चिकनी साफ़ बूर देख कर अब्दुल फ़ट से झुका और उसकी बूर का चुम्मा ले लिया, वो गुद्गुदी बर्दास्त न कर सकी और खिल्खिला कर हँसते हुए एक तरफ़ पलट गई। अब्दुल बोला, "आय हाय मेरी जान.... चिकनी चूत.... खुब तैयारी से आई हो यहाँ तुम।" पर सगीर ने उसको सीधा किया और उसकी बूर जो खुब पनिआई हुई थी उसको दो चार बार सहलाने के बाद चुदाई के लिए सेट करने लगा। दोनों मर्दों ने अपने अपने लडकियों को अगल-बगल में सीधा लिटा दिया था और फ़िर उसकी जाँघों को खोल कर उन खुली जाँघों के बीच में बैठ गए थे। दोनों ने लडकियों को ठीक तरीके से अपनी जकड़ में ले लिया और फ़िर अपना लन्ड घुसाना शुरु किया। सगीर का लन्ड पहली बार में हीं फ़ाँक से लग गया, जबकि सज्जाद का लन्ड झाँटॊ की वजह से दो-तीन बार फ़िसल गया। तब मासीमा ने अपने हाथ से उसका लन्ड पकड़ कर सायरा की फ़ाँक से लगा दिया और फ़िर कहा, "चोदो....", और दोनों ने एक झटके में अपना-अपना लन्ड उनकी लड़कियों की बूर में पेल दिया। सायरा की जब सील टूटी तो उसके मुँह से चीख निकल गई, पर समीना ने अपने बूर की सील टूटते समय अपने नीचले होठ को दाँतों से दबा ली और दर्द को बर्दास्त कर ली। सगीर और सज्जाद दोनों अपनी अपनी लडकी को खुब जोर-जोर से मस्त हो कर चोदने लगे। सज्जाद जो बीच-बीच में सायरा की बडी-बडी चूचियों को मसल भी देता था, तब वो जरा चिहुँकती, पर वैसे वो डरी-सहमी सी चुप-चाप शान्ति से लेट कर सज्जाद को अपना बूर चोदने दे रही थी। चेहरे पर कभी-कभार हीं कुछ भाव आता था, वर्ना वह शान्त थी। उसके उलट नन्ही-नन्ही चूचियों वाली समीना खुब मस्त हो गई थी और मजे ले लेकर चुदवा रही थी। सगीर जब-जब उसको चुमता वो भी पलट कर उस चुम्मा का जवाब देती। कभी-कभी मस्त हो कर आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह ऊंह्ह्ह्ह ऊंह्ह्ह्ह्ह भी कर देती। सगीर भी उसके इस सहयोग पर मस्त हो गया था और खुब मजे से आराम-आराम से चोदते हुए अचानक कभी दस-बारह धक्का तेजी से लगा देता और तब समीना जोर-जोर से साँस लेने लगती और सिस्की लगाती। करीब पाँच मिनट बाद सगीर ने अचानक अपना लन्ड उसकी बूर से बाहर खींच लिया। समीना को लगा की सगीर अपना पानी उसकी बूर में निकाल दिया है सो वो अपने हाथ से अपना बूर सहलाई तो उसकी हथेली पर उसके बूर का गीलापन और खून की लाली लग गई।



 सगीर ने तब तक उसकी कमर को पकड कर उसको पलट दिया और वो भी सगीर के ईशारे को समझ कर उसके साथ सहयोग करते हुए पीठ के बल लेट गई। तब सगीर उसको कहा कि वो अपने हाथ और घुटने के सहारे एक जानवर की तरह झुके और समीना ने वैसे हीं किया। फ़िर सगीर आराम से थोड़ा थुक अपने लन्ड पर लगाया और पीछे से उसकी बूर में लन्ड पेल दिया। समीना एक बार तो थोडा कसमसाई फ़िर बोली, "ऐसे ठीक है... पहले तो मेरा जाँघ दर्द करने लगा था फ़ैला कर रखने से, यही ठीक तरीका है यह सब करने का तभी सब जानवर भी ऐसे हीं करता है।" सगीर ने उसको चोदते हुए बताया, "ऐसे में लड़की ज्यादा आजाद हो जाती है, और कुँवारी लडकी की सील तोडने में ऐसे परेशानी होती है। कुँवारी लडकी को जब नीचे दबा कर चोदा जाता है तब उसके बचने का चाँस नहीं रहता है और तब उसकी सील तोडना भी आसान हो जाता है। इस तरह से चोदने को पूरी दुनिया में कुत्ता-चुदाई कहते हैं" और अब वो जोश में भर कर उसकी कमर को अपने हाथों से लपेट कर तेजी से हुमच कर उसको चोदने लगा। फ़च्च्च फ़च्च्च्च घच्च्च्च्च घच्च्च्च्च्च की आवाज होने लगी थी। इसी बीच में सज्जाद का पानी छूट गया और वो अपना सब माल सायरी की बूर में निकाल कर अलग हट गया। सायरा अब उठी और अपना सलवार पहनने लगी, तब मासीमा ने कहा, "अभी कपडा नहीं पहनो, अभी तुम सब को और चुदवाना है। वैसे भी सब के सामने नंगी रहोगी तो अनजाने मर्दों के सामने नंगा होने में लाज-शर्म नहीं आएगी।" बेचारी यह सब सुन कर चुप-चाप नंगी ही बिस्तर से उतर गई। सगीर अब धक्के लगा-लगा कर थक सा गया था सो वो अब अपना लन्ड फ़िर बाहर निकाल लिया और खुद बिस्तर पर लेट कर समीना को अपने ऊपर चढ़ने का ईशारा किया। समीना भी मजे से उसके कमर की दोनों तरफ़ अपने घुटने टिका कर सगीर का लन्ड अपने हाथ से पकड़ कर अपने बूर में घुसा कर ऊपर-नीचे करने लगी। करीब एक मिनट आराम करने के बाद सगीर ने फ़िर से समीना को सीधा लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया, और इस बार लगातार तेजी से धक्के लगाते हुए उसकी बूर में झड गया। समीना के चेहरे से संतुष्टि का भाव झलक रहा था। उसको चुदा कर मजा आया था।

अब्दुल ने उससे पूछा, "और मन है क्या?" समीना जोर-जोर से हाँफ़ रही थी.... बोली, "बहुत थक गई हूँ... बाप रे...ओह।" अब्दुल ने उसको बाहों में भर कर उसको चुमना शुरु किया, तो मासीमा बोली, "रे हरामी, उसको अभी थोडा दम लेने दे... अभी दो और है न बची हुई... उनको नाप कर देखो पहले।" अब्दुल हँसते हुए अब हटा और फ़िर साडी वाली लड़की को अपनी तरफ़ बुलाया। वो भी हिचकते हुए उसकी तरफ़ आई तो अब्दुल ने उसका नाम पूछा, "क्या नाम है मेरी रानी का?" उस लडकी ने अपनी नजर नीचे करते हुए कहा, "शफ़ा"। अब्दुल ने फ़िर कहा, "शफ़ा रानी, कभी खेली हो अपने छेद से?" शफ़ा चुप रही तो वो बोला, "उतारो अपना कपडा तब देखते हैं तुम्हारा क्या हाल है?" तभी कैमरा मैन साला ठरकी सा होकर बोला, "मासीमा.... एक बार मुझको भी मौका दो न... आज तो बहुत सारी आई है एक साथ...।" मासीमा हँसते हुए बोली, "अरे मासूम बेटा, तू तो बचा हीं रह गया, अच्छा कोई बात नहीं है, अभी तो इन सब की गाँड भी मरवानी है।" उसने फ़रीद को ईशारा किया तो उसने कैमरा पकड लिया और वो कैमरा मैन जिसका नाम मासूम था अब सामने खडा हो कर अपना पैन्ट खोलने लगा। मासूम करीब २६-२७ साल का जवान था, खूब गोरा चिट्टा। जल्दी ही वो नंगा हो गया और उसका ९" लम्बा गोरा लन्ड अपने पूरे सबाब पर दिखा। वो अब तक बची हुई लड़की, जिसका नाम रुही था और जो करीब १८ साल की थी, की तरफ़ बढा। रूही की नजर मासूम के उस ९" के लंड पर टिका हुआ था। बेशक, उसका लंड उस कमरे में सबसे बडा था पर वो अन्य लण्डों की तुलना में थोड़ा पतला था। सबसे सही लंड अब्दुल का था, खुब काला, खुब मोटा करीब ७.५" और उभरी हुई नसों से भरा हुआ। अब तक अब्दुल शफ़ा को नंगा करना शुरु कर चुका था, जब मासूम रूही को अपने से चिपटा कर चुमना शुरु किया। दोनों कमरे के दो तरफ़ थे सो मासीमा ने आदेश दिया, "बिस्तर पर आओ ले कर दोनों लडकियों को तब न एक साथ फ़िल्म बनेगा दोनों का"। यह सुन कर दोनों लौंडों ने अपने-अपने माल को अपने से चिपकाए हुए ही बिस्तर पर ले गए और उन्हें अगल-बगल बिठा दिया। शफ़ा की साडी खुल चुकी थी और अब्दुल अब उसके ब्लाऊज के ऊपर से हीं उसकी चुचियों से खेल रहा था।


 मासूम ने रूही से कहा, "जरा मेरा लन्ड अपने मुँह में ले कर चूसो तो दो-चार बार"। रूही उसके लन्ड की लम्बाई से डरी हुई थी। बेचारी सहमते हुए बोली, "तुम्हारा इतना बडा है मेरे में नहीं जाएगा, मुझे छोड दो...प्लीज"। शफ़ा भी नजर घुमा कर उस लम्बे लन्ड को देखी, फ़िर एक नजर उसने डरी हुई रूही पर भी डाली। अब्दुल जो समीना को चोदते समय समझ गया था कि इन सब लडकियों में सबसे ज्यादा मजे ले कर वही चुदी है, सो वो समीना को देखकर बोला, "समीना... तुमको तो चुदवा कर मजा आया न, बताओ इस लडकी को कि कैसा मजा मिलता है किसी मर्द के साथ..."। समीना ने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, मजा तो खुब आया था। शुरू में थोड़ा तकलीफ़ हुआ, फ़िर खुब मजा आया।" मासूम ने अब उसको न्योता दिया, "आ कर एक बार, बताओ इस बेवकुफ़ लडकी को... अब यहाँ चाहे तो मजा ले कर चुदाए या बेमजा के चुदाए... पर अब तो इसको यहाँ जब तक रहेगी रोज चुदवाना हीं होगा।" समीना भी बिस्तर के पास आई और रुही को प्यार करते हुए बोली, "कोई परेशानी नहीं होती है, सब आराम-आराम से हो जाता है अपने से..."। मासीमा चुप बैठ कर सब देख रही थी, औए बाकी सब की भी नजर बिस्तर पर हीं थी... बस नसरीन अभी भी बगावती नजरों से कभी मासीमा को तो कभी उन हरामी लौण्डों को देख रही थी। समीना के बार-बार समझाने पर रूही बोली, "लेकिन इसका इतना बडा है, बाकि सब का छोटा था...."। समीना अपना दिमाग लगाई और सगीर के तरफ़ ईशारा करते हुए बोली, "अच्छा... तो तुम इसके साथ कर लो, मैं भी तो इसी के साथ की हूँ, या कोई और जिसका छोटा है उसके साथ कर लो... सब का तो तुम देख हीं रही हो..."। रूही ने एक बार सब की तरफ़ नजर घुमाई और फ़िर सज्जाद की तरफ़ ईशारा किया कि उसके साथ वो करवाएगी। सज्जाद का लन्ड साधारण मुटाई का और ६" के करीब था। मासीमा ने अब सज्जाद को ईशारा किया और साथ में आँख भी मार दी। मासूम बेचारा अपना खडा लन्ड ले कर चिढ़ गया और झुंझुला कर रूही के चेहरे पर थुक दिया, "साली कुतिया.."।
अब्दुल का मन समीना को चोदने का था, सो वो अब नंगी शफ़ा को मासूम की तरफ़ ढकेल कर कहा, "यार तुम इस लौण्डिया का सील तोड लो"। अब शफ़ा के चेहरे पर डर छा गया और वो बिदकी, पर मासूम ने उसको धक्के दे कर बिस्तर पर चित कर दिया और फ़िर उसकी झाँटों भरी बूर से अपना चेहरा चिपका दिया।





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