FUN-MAZA-MASTI
घर का बिजनिस -18
अम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली- देखो बेटा, ऐसा है कि तुम अभी जाओ अपने रूम में इस पे हम बात करेंगे। लेकिन अभी नहीं ठीक है।
अम्मी की बात सुनकर मैंने हाँ में सर हिला दिया और वहाँ से उठकर अपने रूम में आ गया और एक लूज निक्कर पहन ली और आराम करने के लिए लेट गया। कोई एक घंटे के बाद मेरे रूम का दरवाजा खुला और अम्मी अंदर आ गई और अपने पीछे दरवाजे को भी बंद कर दिया। और मेरे पास आकर बेड पे मेरे साथ ही लेट गईं और मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे बालों में उंगलियां घुमाने लगी।
मैंने कहा- क्यों अम्मी, क्या बात है? आज आप इतने दिनों के बाद मेरे रूम में? खैर तो है ना?
अम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली- आलोक बेटा, वो मैंने ऋतु के बारे में तुम्हारे साथ बात करनी थी।
इसीलिए सोचा कि आज मैं यहाँ तुम्हारे पास ही सो जाती हूँ और बात भी कर लूँगी।
मैंने कहा- “जी अम्मी, बोलो आप क्या बताना चाहती हो? जब कि मैं आपको पहले ही बता चुका हूँ कि आप जिसके साथ जो करना चाहती हो या करवाना चाहती हो मुझे कोई ऐतराज नहीं है बस मैं ये चाहता हूँ कि किसी के साथ जोर-जबरदस्ती वाला काम ना हो कि हमें कल को जलील होना पड़े…”
अम्मी ने मेरी पूरी बात सुनी और बोली- आलोक, हम भी ऋतु को ये सब इसीलिए दिखा रहे हैं कि वो जितना इस माहौल को देखेगी, अपने अंदर की गर्मी से मजबूर होकर खुद ही बोल देगी कि वो भी हमारे साथ इस काम में आना चाहती है।
मैंने कहा- अम्मी, अगर ऋतु ने नहीं कहा और वो आपके कहने से भी इस काम के लिए नहीं मानी तो आप क्या करोगी?
अम्मी ने कहा- आलोक, अगर वो नहीं मानी तो फिर हम उसकी शादी करके उसे खुद से दूर कर देंगे, जहाँ उस पे हमारा साया भी ना पड़े।
अम्मी की बात सुनकर मैं शांत हो गया और अम्मी को लिपट गया।
तो अम्मी ने भी मुझे अपने साथ भींच लिया और किस करने लगी और साथ ही मुझे दबाने लगी। मैं भी अम्मी की किस के जवाब में अम्मी की जुबान को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से अम्मी की गाण्ड को दबाने लगा और सहलाने लगा। कुछ देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे को किस करते रहे और फिर मैंने अम्मी को पीछे हटा दिया और खुद अम्मी की कमीज को निकाल दिया और साथ ही शलवार को भी तो अम्मी मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा में ही रह गई क्योंकि अम्मी पैंटी नहीं पहनती थी।
और इस वक़्त मेरी माँ जिसने मुझे पैदा किया था मेरे सामने सिर्फ़ एक ब्रा में लेटी मेरी तरफ बड़ी प्यार भरी नजरों से देख रही थी। अम्मी को इस तरह देखता पाकर मैं अम्मी की ब्रा पे झपट पड़ा और एक ही झटके से अम्मी की चूचियों को ब्रा से निकाल दिया और अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा। मेरे इस तरह झपटने से अम्मी के मुँह से से की हल्की आवाज निकली और इसके साथ ही अम्मी ने मुझे अपने चूचियों के साथ दबा लिया और बोली- “आअह्ह… बेटा पी लो अपनी माँ का दूध उंनमह…”
अब मैं अम्मी की चूचियों को चूसने के साथ दबा भी रहा था जिससे अम्मी काफी गरम हो रही थी और सिसकियां भर रही थी और मेरे सर को अपनी चूचियां के साथ दबा रही थीं। कुछ देर के बाद मैंने अपना हाथ अम्मी के चूची से हटा लिया और अम्मी की फुद्दी की तरफ बढ़ने लगा और फिर अम्मी की गरम और तपती हुई फुद्दी के ऊपर रख दिया जो कि हल्की से गीली भी हो रही थी। मेरे हाथ लगाते ही अम्मी के मुँह से ऊओ आलोक, उन्म्मह… की आवाज निकल गई।
अम्मी के मुँह से निकालने वाली आवाजें आहिस्ता-आहिस्ता तेज हो रही थीं। मैं अम्मी की चूचियों को छोड़कर सीधा फुद्दी की तरफ आया और अपना मुँह अम्मी की फुद्दी के साथ लगा दिया और अपनी जुबान को बाहर निकालकर अम्मी की फुद्दी में घुमाने लगा जिससे अम्मी मचल उठी। मेरे इस तरह अम्मी की फुद्दी में जुबान घुमाने से अम्मी की हालत और भी बुरी हो गई और वो तड़प के थोड़ा उठी और अपने हाथों से मेरा सर अपनी फुद्दी पे दबा लिया और बोली- “आअह्ह… आलोक, चाट अपनी माँ की फुद्दी को मादरचोद… उन्म्मह… हाँ… बेटा खा जाओ मेरी फुद्दी को ऊओ… आलोक ये क्या कर दिया है तूने हरामी?”
अम्मी के मुँह से इन सिसकियों और गालियों की आवाज़ों ने तो जैसे मुझे दीवाना कर दिया था कि मैं अब अपनी जुबान से अम्मी की फुद्दी को चाटने के साथ अम्मी की फुद्दी में घुसा भी रहा था और साथ ही हल्का सा काट भी लेता जिससे अम्मी और भी ज्यादा तड़प जाती।
अब अम्मी के मुँह से- आअह्ह… आलोक बेटा ऊओ… मैं गई… कमीने खा जा अपनी माँ की फुद्दी को… ऊओाअ… आलोक मैं गई…” और इसके साथ ही अम्मी के जिश्म को जोर का झटका लगा और अम्मी ने मेरे सर को अपनी रानो में दबा लिया और अम्मी की फुद्दी से पानी का सैलाब सा निकला और मेरे मुँह में गया जिसे मैं चाट गया और फिर उठा और अपने लण्ड को अम्मी की फुद्दी के साथ लगा दिया और रगड़ने लगा। अब मैं अपने लण्ड को अम्मी की फुद्दी के ऊपर रगड़ता और हल्का सा दबा के अम्मी की फुद्दी में घुसा देता और फिर बाहर निकाल लेता और रगड़ने लगता।
अम्मी ने जब देखा कि मैं अंदर नहीं घुसा रहा और बस ड्रामा कर रहा हूँ तो अम्मी ने कहा- “बेटा, क्यों तंग कर रहा है अपनी माँ को? अब घुसा भी दे ना…”
अम्मी की बात सुनते ही मैंने अपनी पूरी ताकत से झटका दिया जिससे मेरा लण्ड अम्मी की फुद्दी को खोलता हुआ जड़ तक घुस गया और तभी मैंने अम्मी के घुटनों को अम्मी की कंधों की तरफ मोड़ के पूरी तरह दबा दिया जिससे मेरा लण्ड अम्मी की फुद्दी में जड़ तक घुस गया।
लण्ड के इस तरह घुसने से अम्मी के मुँह से- “आऐ आलोक, आराम से करो ये क्या कर रहे हो? मारना है क्या मुझे? बेटा दर्द होता है इस तरह, एक तो तेरा बहुत बड़ा है प्लीज़्ज़… आराम से करो…”
मैंने कोई जवाब नहीं दिया और अम्मी की टाँगों को उसी पोजीशन में रखा और एक बार फिर से अपने लण्ड को सुपाड़े तक बाहर निकाला और फिर से अपने जिश्म का सारा वजन अपने लण्ड पे डाल दिया जिससे मेरा लण्ड अम्मी की बच्चेदानी तक टकराया तो अम्मी दर्द की वजह से तड़प उठी।
मेरे इस झटके से अम्मी के मुँह से- “ऊओई आलोक, क्या कर रहा है? फाड़नी है क्या? कमीने, मैं माँ हूँ तेरी… रंडी नहीं जो इस तरह चोद रहा है आअह्ह… प्लीज़्ज़… बेटा आराम से करो…”
मुझे भी अम्मी को इस तरह चोदने में मजा आ रहा था तो मैं भी इस तरह अम्मी की फुद्दी में अपने लण्ड को झटके देता रहा और बोला- “हाँ पता है तू मेरी माँ है, रंडी नहीं है… पर साली तू किसी रंडी से क्या कम है… हाँ…” और बार-बार झटके देता रहा।
अब अम्मी को भी इतना दर्द नहीं हो रहा था बलकि इसकी जगह वो मुझे अपने साथ लिपटा के चुदाई का मजा ले रही थी और साथ ही- “हाँ आलोक, अभी अच्छा लग रहा है बेटा… फाड़ दे अपनी माँ की फुद्दी को… उन्म्मह… ऊओ… आलोक मेरा बच्चा, तू कितना अच्छा है बेटा अपनी माँ का कितना ख्याल रखता है…”
अब मैं अपने अंत पे आ चुका था और अम्मी के ऊपर से थोड़ा ऊपर उठा और तेज झटके लगाने लगा जिससे अम्मी भी जरा ज्यादा सिसकने लगी और- “हाँ आलोक, बस हो गया मेरा… आअह्ह… मैं गई बेटा…” की आवाज के साथ ही अम्मी की फुद्दी में पानी की वजह और मेरे धक्कों की वजह से पिकचाक्क-पीकचाक्क की आवाज आने लगी और इसके साथ ही मैं भी अम्मी की फुद्दी में ही फारिग़ हो गया और वहीं गिर के लंबी-लंबी सांसें लेने लगा।
मैं उस रात अम्मी को एक बार ही चोद के इतना थक गया था िहोश ही नहीं रहा कि मैं कब सो गया। सुबह के 9:00 बजे मेरी आँख खुली तो देखा कि मैं अभी तक नंगा ही पड़ा हुआ सो रहा था और अम्मी अब मेरे रूम में नहीं थी। मैं उठा और अपने रूम में ही बने हुये बाथरूम में घुस गया और नहाकर ड्रेस पहनकर बाहर आया तो बापू और बुआ बैठे बातें कर रहे थे।
मुझे देखते ही बुआ ने कहा- लो भाई जान, आपका बेटा भी उठ गया है।
बापू भी मुझे आता हुआ देख चुके थे और जैसे ही मैं उन लोगों के पास जाकर बैठा बापू ने मुझसे कहा- हाँ भाई आलोक, कैसी गुजर रही है?
मैं बापू की बात से थोड़ा शर्मा गया और बोला- अच्छी गुजर रही है।
बुआ हँसते हुये- अच्छा, तो फिर क्या सोचा है तुमने ऋतु के बारे में?
मैं- बुआ बात ये है कि अगर ऋतु की अपनी मर्ज़ी हो तो अच्छी बात है लेकिन उससे जबरदस्ती नहीं करे कोई।
बापू- हाँ क्यों नहीं, हम भी तो ये ही चाहते हैं कि वो अपनी मर्ज़ी से करे।
बुआ- हाँ आलोक, इसीलिए तो हमने सोचा है कि ऋतु के सामने ज्यादा से ज्यादा फ्री हुआ जाए ताकि वो भी घर के नये माहौल को अच्छी तरह समझ के फैसला करे।
मैं- ठीक है बुआ, जो आप लोगों की मर्ज़ी… लेकिन अभी नाश्ता तो करवा दें बड़ी भूख लगी है।
बुआ- थोड़ा सबर करो, अंजली नाश्ता बना रही है फिर करते हैं।
मैं- क्यों बुआ? आप लोगों ने भी नहीं किया नाश्ता अभी तक?
बुआ- हेहेहेहे क्यों तुम ही रात को देर से सोए थे, क्या हम नहीं सो सकते देर से?
मैं बुआ की बात समझ गया और हँसते हुये बोला- हाँ हाँ क्यों नहीं? आपका तो हक है देर से सोना। और वो अम्मी और ऋतु कहाँ हैं नजर नहीं आ रहे…”
बापू- वो… तुम्हारी माँ ऋतु को अपने साथ लेकर अभी निकली है। बोल रही थी कि बाजार जाना है लड़कियों के लिए अच्छे कपड़े नहीं हैं।
मैं- लेकिन बापू, अभी तो बाजार पूरी तरह से खुले भी नहीं होंगे?
बुआ- अरे यार, भाभी के जाते तक खुल जायेंगे और वो जो कुछ लाना है लेकर जल्दी वापिस आ जायेंगी।
तभी दीदी भी नाश्ता तैयार होने का बताने के लिए हमारे पास आ गई और बोली- चलो सब लोग पहले नाश्ता कर लो।
फिर हम सब वहाँ से उठे और नाश्ता करने के लिए टेबल पे बैठ गये और खामोशी से नाश्ता करने लगे। नाश्ता करने के बाद बापू को कहीं से काल आई तो वो घर से निकल गये। तो मैं भी उठकर घर से निकल आया और घूमने लगा।
.
क्योंकि इस इलाके में मेरा कोई दोस्त नहीं था और ना ही कोई जानने वाला तो मैं ज्यादा देर बाहर नहीं रहा और घर आ गया। तब तक अम्मी और ऋतु भी आ चुकी थीं। जैसे ही मैं घर में दाखिल हुआ पायल ने मुझे देखकर कहा- “भाई, वो बापू का फोन आया था। बोल रहे थे कि दो बजे तक उनका कोई दोस्त आएगा उसे गेस्टरूम में बिठा देना और जो माँगे मना नहीं करना…”
मैं समझ गया कि कौन सा दोस्त होगा। मैंने हाँ में सर हिला दिया और अपने रूम में चला गया। दो बजे से पहले ही मैं गेस्टरूम में चला गया और उस आदमी का इंतेजार करने लगा। वो आदमी आया तो तब तक 2:15 हो चुके थे और उसने आते ही मेरे साथ हाथ मिलाया और बोला- “जी मुझे किसी ने यहाँ का पता देकर भेजा था और बोला था कि यहाँ मेरा काम हो जाएगा…”
मैंने कहा- जी अगर आपको किसी ने भेजा है तो उसने मुझे भी बता दिया है। क्या आप अपना नाम बतायेंगे मुझे?
उसने मुझे अपना नाम समीर बताया। उसकी उम्र कुछ ज्यादा तो नहीं थी लेकिन 27 साल के करीब तो थी ही। मैंने उसे बिठाया और पूछा- जी अब बतायें कि आप क्या पियोगे?
समीर ने कहा- “जो भी मिल जाए… जिससे जरा मूड बन जाए…”
मैंने उसकी बात को समझा और उसे बैठने का बोलकर घर आ गया और पायल को जो कि पहले से ही तैयार बैठी हुई थी बोला- “तुम जाकर उसके पास बैठो…” और ऋतु की तरफ देखकर कहा- “तुम कुछ देर के बाद अम्मी से एक बोतल और 3 गिलास लेकर आना…”
ऋतु जो कि पहले ही कुछ परेशान नजर आ रही थी मेरी बात सुनकर हकला गई और बोली- “भाई… वा… वो… मैं क…क्या करूंगी वहाँ?
मैंने कहा- “कुछ नहीं, बस जो बोला है लाकर दे जाना…” और बस इतना बोलकर मैं पायल के पीछे ही गेस्टरूम में आ गया जहाँ पायल समीर के साथ लिपट के बैठी हुई थी और समीर उसकी चूचियों को मसल रहा था।
समीर ने जब मुझे देखा तो अपना हाथ पायल की चूचियों से हटा लिया और खामोश होकर बैठ गया। मैं उसकी ये हालत देखकर हँस पड़ा और बोला- “यार लगे रहो, डरो नहीं। अभी तुम्हारे मूड को बनाने के लिए भी सामान आ जाएगा…”
समीर मेरी बात सुनकर फिर से मेरी बहन की चूचियों को दबाने लगा और साथ ही उसे किस भी करने लगा।
तभी ऋतु भी शराब की बोतल और ग्लास लेकर आ गई और पायल को इस हालत में देखकर, और वो भी मेरे सामने, घबरा गई और उसके हाथ काँपने लगे।
मैंने ऋतु को देख लिया और बोला- हाँ ले आओ, शाबाश… यहाँ टेबल पे रख दो और अगर बैठना है तो यहाँ बैठ जाओ मेरे पास आकर।
समीर ने जब ऋतु की कमसिन जवानी को देखा तो बोला- “यार आलोक भाई, अगर नाराज नहीं हो तो क्या मैं इस लड़की के साथ नहीं कर सकता?
मैं उसकी बात सुनकर हँस पड़ा और बोला- “नहीं भाई, ये रंडी नहीं है…” और ऋतु की तरफ देखा जिसका चेहरा पशीना-पशीना हो रहा था और सांस भी तेज चल रही थी।
ऋतु ने जल्दी से बर्तन और शराब को टेबल पे रखा और वहाँ से भाग गई।
तो पायल ने उठकर 3 गिलास शराब बनाई और एक मुझे पकड़ा दिया और एक समीर को पकड़ा के खुद भी शराब पीने लगी। शराब के दो पेग लगाते ही समीर ने पायल को पकड़ लिया और साथ ही बने हुये रूम में चला गया।
मैं बाहर सोफे पे बैठा रहा और रूम से आने वाली पायल और समीर की आवाज़ों को सुनता रहा और अपने लण्ड को मसलता रहा जो कि पायल की सेक्सी और मजे से भरपूर सिसकियों को सुनकर खड़ा हो गया था। समीर के फारिग़ होने के बाद पायल ने मुझे आवाज दी।
जैसे ही मैं रूम में गया पायल ने कहा- “भाई, वो बाहर से शराब तो ला देना जरा…”
मैं पायल की फुद्दी को देखता हुआ बाहर आ गया और शराब की बोतल और गिलास रूम में लाकर रख दिया।
तो पायल ने कहा- “भाई, यहाँ हमारे पास ही बैठ जाओ ना प्लीज़्ज़…”
मैं पायल की बात मान गया और वहाँ रखी एक चेयर पे बैठ गया और उन दोनों के लिए शराब बनाने लगा। शराब का एक और पेग लगाने के बाद समीर फिर से पायल के साथ लिपट गया और किस करने लगा और उसकी फुद्दी में उंगली घुसाने लगा।
.
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी
घर का बिजनिस -18
अम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली- देखो बेटा, ऐसा है कि तुम अभी जाओ अपने रूम में इस पे हम बात करेंगे। लेकिन अभी नहीं ठीक है।
अम्मी की बात सुनकर मैंने हाँ में सर हिला दिया और वहाँ से उठकर अपने रूम में आ गया और एक लूज निक्कर पहन ली और आराम करने के लिए लेट गया। कोई एक घंटे के बाद मेरे रूम का दरवाजा खुला और अम्मी अंदर आ गई और अपने पीछे दरवाजे को भी बंद कर दिया। और मेरे पास आकर बेड पे मेरे साथ ही लेट गईं और मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे बालों में उंगलियां घुमाने लगी।
मैंने कहा- क्यों अम्मी, क्या बात है? आज आप इतने दिनों के बाद मेरे रूम में? खैर तो है ना?
अम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली- आलोक बेटा, वो मैंने ऋतु के बारे में तुम्हारे साथ बात करनी थी।
इसीलिए सोचा कि आज मैं यहाँ तुम्हारे पास ही सो जाती हूँ और बात भी कर लूँगी।
मैंने कहा- “जी अम्मी, बोलो आप क्या बताना चाहती हो? जब कि मैं आपको पहले ही बता चुका हूँ कि आप जिसके साथ जो करना चाहती हो या करवाना चाहती हो मुझे कोई ऐतराज नहीं है बस मैं ये चाहता हूँ कि किसी के साथ जोर-जबरदस्ती वाला काम ना हो कि हमें कल को जलील होना पड़े…”
अम्मी ने मेरी पूरी बात सुनी और बोली- आलोक, हम भी ऋतु को ये सब इसीलिए दिखा रहे हैं कि वो जितना इस माहौल को देखेगी, अपने अंदर की गर्मी से मजबूर होकर खुद ही बोल देगी कि वो भी हमारे साथ इस काम में आना चाहती है।
मैंने कहा- अम्मी, अगर ऋतु ने नहीं कहा और वो आपके कहने से भी इस काम के लिए नहीं मानी तो आप क्या करोगी?
अम्मी ने कहा- आलोक, अगर वो नहीं मानी तो फिर हम उसकी शादी करके उसे खुद से दूर कर देंगे, जहाँ उस पे हमारा साया भी ना पड़े।
अम्मी की बात सुनकर मैं शांत हो गया और अम्मी को लिपट गया।
तो अम्मी ने भी मुझे अपने साथ भींच लिया और किस करने लगी और साथ ही मुझे दबाने लगी। मैं भी अम्मी की किस के जवाब में अम्मी की जुबान को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से अम्मी की गाण्ड को दबाने लगा और सहलाने लगा। कुछ देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे को किस करते रहे और फिर मैंने अम्मी को पीछे हटा दिया और खुद अम्मी की कमीज को निकाल दिया और साथ ही शलवार को भी तो अम्मी मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा में ही रह गई क्योंकि अम्मी पैंटी नहीं पहनती थी।
और इस वक़्त मेरी माँ जिसने मुझे पैदा किया था मेरे सामने सिर्फ़ एक ब्रा में लेटी मेरी तरफ बड़ी प्यार भरी नजरों से देख रही थी। अम्मी को इस तरह देखता पाकर मैं अम्मी की ब्रा पे झपट पड़ा और एक ही झटके से अम्मी की चूचियों को ब्रा से निकाल दिया और अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा। मेरे इस तरह झपटने से अम्मी के मुँह से से की हल्की आवाज निकली और इसके साथ ही अम्मी ने मुझे अपने चूचियों के साथ दबा लिया और बोली- “आअह्ह… बेटा पी लो अपनी माँ का दूध उंनमह…”
अब मैं अम्मी की चूचियों को चूसने के साथ दबा भी रहा था जिससे अम्मी काफी गरम हो रही थी और सिसकियां भर रही थी और मेरे सर को अपनी चूचियां के साथ दबा रही थीं। कुछ देर के बाद मैंने अपना हाथ अम्मी के चूची से हटा लिया और अम्मी की फुद्दी की तरफ बढ़ने लगा और फिर अम्मी की गरम और तपती हुई फुद्दी के ऊपर रख दिया जो कि हल्की से गीली भी हो रही थी। मेरे हाथ लगाते ही अम्मी के मुँह से ऊओ आलोक, उन्म्मह… की आवाज निकल गई।
अम्मी के मुँह से निकालने वाली आवाजें आहिस्ता-आहिस्ता तेज हो रही थीं। मैं अम्मी की चूचियों को छोड़कर सीधा फुद्दी की तरफ आया और अपना मुँह अम्मी की फुद्दी के साथ लगा दिया और अपनी जुबान को बाहर निकालकर अम्मी की फुद्दी में घुमाने लगा जिससे अम्मी मचल उठी। मेरे इस तरह अम्मी की फुद्दी में जुबान घुमाने से अम्मी की हालत और भी बुरी हो गई और वो तड़प के थोड़ा उठी और अपने हाथों से मेरा सर अपनी फुद्दी पे दबा लिया और बोली- “आअह्ह… आलोक, चाट अपनी माँ की फुद्दी को मादरचोद… उन्म्मह… हाँ… बेटा खा जाओ मेरी फुद्दी को ऊओ… आलोक ये क्या कर दिया है तूने हरामी?”
अम्मी के मुँह से इन सिसकियों और गालियों की आवाज़ों ने तो जैसे मुझे दीवाना कर दिया था कि मैं अब अपनी जुबान से अम्मी की फुद्दी को चाटने के साथ अम्मी की फुद्दी में घुसा भी रहा था और साथ ही हल्का सा काट भी लेता जिससे अम्मी और भी ज्यादा तड़प जाती।
अब अम्मी के मुँह से- आअह्ह… आलोक बेटा ऊओ… मैं गई… कमीने खा जा अपनी माँ की फुद्दी को… ऊओाअ… आलोक मैं गई…” और इसके साथ ही अम्मी के जिश्म को जोर का झटका लगा और अम्मी ने मेरे सर को अपनी रानो में दबा लिया और अम्मी की फुद्दी से पानी का सैलाब सा निकला और मेरे मुँह में गया जिसे मैं चाट गया और फिर उठा और अपने लण्ड को अम्मी की फुद्दी के साथ लगा दिया और रगड़ने लगा। अब मैं अपने लण्ड को अम्मी की फुद्दी के ऊपर रगड़ता और हल्का सा दबा के अम्मी की फुद्दी में घुसा देता और फिर बाहर निकाल लेता और रगड़ने लगता।
अम्मी ने जब देखा कि मैं अंदर नहीं घुसा रहा और बस ड्रामा कर रहा हूँ तो अम्मी ने कहा- “बेटा, क्यों तंग कर रहा है अपनी माँ को? अब घुसा भी दे ना…”
अम्मी की बात सुनते ही मैंने अपनी पूरी ताकत से झटका दिया जिससे मेरा लण्ड अम्मी की फुद्दी को खोलता हुआ जड़ तक घुस गया और तभी मैंने अम्मी के घुटनों को अम्मी की कंधों की तरफ मोड़ के पूरी तरह दबा दिया जिससे मेरा लण्ड अम्मी की फुद्दी में जड़ तक घुस गया।
लण्ड के इस तरह घुसने से अम्मी के मुँह से- “आऐ आलोक, आराम से करो ये क्या कर रहे हो? मारना है क्या मुझे? बेटा दर्द होता है इस तरह, एक तो तेरा बहुत बड़ा है प्लीज़्ज़… आराम से करो…”
मैंने कोई जवाब नहीं दिया और अम्मी की टाँगों को उसी पोजीशन में रखा और एक बार फिर से अपने लण्ड को सुपाड़े तक बाहर निकाला और फिर से अपने जिश्म का सारा वजन अपने लण्ड पे डाल दिया जिससे मेरा लण्ड अम्मी की बच्चेदानी तक टकराया तो अम्मी दर्द की वजह से तड़प उठी।
मेरे इस झटके से अम्मी के मुँह से- “ऊओई आलोक, क्या कर रहा है? फाड़नी है क्या? कमीने, मैं माँ हूँ तेरी… रंडी नहीं जो इस तरह चोद रहा है आअह्ह… प्लीज़्ज़… बेटा आराम से करो…”
मुझे भी अम्मी को इस तरह चोदने में मजा आ रहा था तो मैं भी इस तरह अम्मी की फुद्दी में अपने लण्ड को झटके देता रहा और बोला- “हाँ पता है तू मेरी माँ है, रंडी नहीं है… पर साली तू किसी रंडी से क्या कम है… हाँ…” और बार-बार झटके देता रहा।
अब अम्मी को भी इतना दर्द नहीं हो रहा था बलकि इसकी जगह वो मुझे अपने साथ लिपटा के चुदाई का मजा ले रही थी और साथ ही- “हाँ आलोक, अभी अच्छा लग रहा है बेटा… फाड़ दे अपनी माँ की फुद्दी को… उन्म्मह… ऊओ… आलोक मेरा बच्चा, तू कितना अच्छा है बेटा अपनी माँ का कितना ख्याल रखता है…”
अब मैं अपने अंत पे आ चुका था और अम्मी के ऊपर से थोड़ा ऊपर उठा और तेज झटके लगाने लगा जिससे अम्मी भी जरा ज्यादा सिसकने लगी और- “हाँ आलोक, बस हो गया मेरा… आअह्ह… मैं गई बेटा…” की आवाज के साथ ही अम्मी की फुद्दी में पानी की वजह और मेरे धक्कों की वजह से पिकचाक्क-पीकचाक्क की आवाज आने लगी और इसके साथ ही मैं भी अम्मी की फुद्दी में ही फारिग़ हो गया और वहीं गिर के लंबी-लंबी सांसें लेने लगा।
मैं उस रात अम्मी को एक बार ही चोद के इतना थक गया था िहोश ही नहीं रहा कि मैं कब सो गया। सुबह के 9:00 बजे मेरी आँख खुली तो देखा कि मैं अभी तक नंगा ही पड़ा हुआ सो रहा था और अम्मी अब मेरे रूम में नहीं थी। मैं उठा और अपने रूम में ही बने हुये बाथरूम में घुस गया और नहाकर ड्रेस पहनकर बाहर आया तो बापू और बुआ बैठे बातें कर रहे थे।
मुझे देखते ही बुआ ने कहा- लो भाई जान, आपका बेटा भी उठ गया है।
बापू भी मुझे आता हुआ देख चुके थे और जैसे ही मैं उन लोगों के पास जाकर बैठा बापू ने मुझसे कहा- हाँ भाई आलोक, कैसी गुजर रही है?
मैं बापू की बात से थोड़ा शर्मा गया और बोला- अच्छी गुजर रही है।
बुआ हँसते हुये- अच्छा, तो फिर क्या सोचा है तुमने ऋतु के बारे में?
मैं- बुआ बात ये है कि अगर ऋतु की अपनी मर्ज़ी हो तो अच्छी बात है लेकिन उससे जबरदस्ती नहीं करे कोई।
बापू- हाँ क्यों नहीं, हम भी तो ये ही चाहते हैं कि वो अपनी मर्ज़ी से करे।
बुआ- हाँ आलोक, इसीलिए तो हमने सोचा है कि ऋतु के सामने ज्यादा से ज्यादा फ्री हुआ जाए ताकि वो भी घर के नये माहौल को अच्छी तरह समझ के फैसला करे।
मैं- ठीक है बुआ, जो आप लोगों की मर्ज़ी… लेकिन अभी नाश्ता तो करवा दें बड़ी भूख लगी है।
बुआ- थोड़ा सबर करो, अंजली नाश्ता बना रही है फिर करते हैं।
मैं- क्यों बुआ? आप लोगों ने भी नहीं किया नाश्ता अभी तक?
बुआ- हेहेहेहे क्यों तुम ही रात को देर से सोए थे, क्या हम नहीं सो सकते देर से?
मैं बुआ की बात समझ गया और हँसते हुये बोला- हाँ हाँ क्यों नहीं? आपका तो हक है देर से सोना। और वो अम्मी और ऋतु कहाँ हैं नजर नहीं आ रहे…”
बापू- वो… तुम्हारी माँ ऋतु को अपने साथ लेकर अभी निकली है। बोल रही थी कि बाजार जाना है लड़कियों के लिए अच्छे कपड़े नहीं हैं।
मैं- लेकिन बापू, अभी तो बाजार पूरी तरह से खुले भी नहीं होंगे?
बुआ- अरे यार, भाभी के जाते तक खुल जायेंगे और वो जो कुछ लाना है लेकर जल्दी वापिस आ जायेंगी।
तभी दीदी भी नाश्ता तैयार होने का बताने के लिए हमारे पास आ गई और बोली- चलो सब लोग पहले नाश्ता कर लो।
फिर हम सब वहाँ से उठे और नाश्ता करने के लिए टेबल पे बैठ गये और खामोशी से नाश्ता करने लगे। नाश्ता करने के बाद बापू को कहीं से काल आई तो वो घर से निकल गये। तो मैं भी उठकर घर से निकल आया और घूमने लगा।
.
क्योंकि इस इलाके में मेरा कोई दोस्त नहीं था और ना ही कोई जानने वाला तो मैं ज्यादा देर बाहर नहीं रहा और घर आ गया। तब तक अम्मी और ऋतु भी आ चुकी थीं। जैसे ही मैं घर में दाखिल हुआ पायल ने मुझे देखकर कहा- “भाई, वो बापू का फोन आया था। बोल रहे थे कि दो बजे तक उनका कोई दोस्त आएगा उसे गेस्टरूम में बिठा देना और जो माँगे मना नहीं करना…”
मैं समझ गया कि कौन सा दोस्त होगा। मैंने हाँ में सर हिला दिया और अपने रूम में चला गया। दो बजे से पहले ही मैं गेस्टरूम में चला गया और उस आदमी का इंतेजार करने लगा। वो आदमी आया तो तब तक 2:15 हो चुके थे और उसने आते ही मेरे साथ हाथ मिलाया और बोला- “जी मुझे किसी ने यहाँ का पता देकर भेजा था और बोला था कि यहाँ मेरा काम हो जाएगा…”
मैंने कहा- जी अगर आपको किसी ने भेजा है तो उसने मुझे भी बता दिया है। क्या आप अपना नाम बतायेंगे मुझे?
उसने मुझे अपना नाम समीर बताया। उसकी उम्र कुछ ज्यादा तो नहीं थी लेकिन 27 साल के करीब तो थी ही। मैंने उसे बिठाया और पूछा- जी अब बतायें कि आप क्या पियोगे?
समीर ने कहा- “जो भी मिल जाए… जिससे जरा मूड बन जाए…”
मैंने उसकी बात को समझा और उसे बैठने का बोलकर घर आ गया और पायल को जो कि पहले से ही तैयार बैठी हुई थी बोला- “तुम जाकर उसके पास बैठो…” और ऋतु की तरफ देखकर कहा- “तुम कुछ देर के बाद अम्मी से एक बोतल और 3 गिलास लेकर आना…”
ऋतु जो कि पहले ही कुछ परेशान नजर आ रही थी मेरी बात सुनकर हकला गई और बोली- “भाई… वा… वो… मैं क…क्या करूंगी वहाँ?
मैंने कहा- “कुछ नहीं, बस जो बोला है लाकर दे जाना…” और बस इतना बोलकर मैं पायल के पीछे ही गेस्टरूम में आ गया जहाँ पायल समीर के साथ लिपट के बैठी हुई थी और समीर उसकी चूचियों को मसल रहा था।
समीर ने जब मुझे देखा तो अपना हाथ पायल की चूचियों से हटा लिया और खामोश होकर बैठ गया। मैं उसकी ये हालत देखकर हँस पड़ा और बोला- “यार लगे रहो, डरो नहीं। अभी तुम्हारे मूड को बनाने के लिए भी सामान आ जाएगा…”
समीर मेरी बात सुनकर फिर से मेरी बहन की चूचियों को दबाने लगा और साथ ही उसे किस भी करने लगा।
तभी ऋतु भी शराब की बोतल और ग्लास लेकर आ गई और पायल को इस हालत में देखकर, और वो भी मेरे सामने, घबरा गई और उसके हाथ काँपने लगे।
मैंने ऋतु को देख लिया और बोला- हाँ ले आओ, शाबाश… यहाँ टेबल पे रख दो और अगर बैठना है तो यहाँ बैठ जाओ मेरे पास आकर।
समीर ने जब ऋतु की कमसिन जवानी को देखा तो बोला- “यार आलोक भाई, अगर नाराज नहीं हो तो क्या मैं इस लड़की के साथ नहीं कर सकता?
मैं उसकी बात सुनकर हँस पड़ा और बोला- “नहीं भाई, ये रंडी नहीं है…” और ऋतु की तरफ देखा जिसका चेहरा पशीना-पशीना हो रहा था और सांस भी तेज चल रही थी।
ऋतु ने जल्दी से बर्तन और शराब को टेबल पे रखा और वहाँ से भाग गई।
तो पायल ने उठकर 3 गिलास शराब बनाई और एक मुझे पकड़ा दिया और एक समीर को पकड़ा के खुद भी शराब पीने लगी। शराब के दो पेग लगाते ही समीर ने पायल को पकड़ लिया और साथ ही बने हुये रूम में चला गया।
मैं बाहर सोफे पे बैठा रहा और रूम से आने वाली पायल और समीर की आवाज़ों को सुनता रहा और अपने लण्ड को मसलता रहा जो कि पायल की सेक्सी और मजे से भरपूर सिसकियों को सुनकर खड़ा हो गया था। समीर के फारिग़ होने के बाद पायल ने मुझे आवाज दी।
जैसे ही मैं रूम में गया पायल ने कहा- “भाई, वो बाहर से शराब तो ला देना जरा…”
मैं पायल की फुद्दी को देखता हुआ बाहर आ गया और शराब की बोतल और गिलास रूम में लाकर रख दिया।
तो पायल ने कहा- “भाई, यहाँ हमारे पास ही बैठ जाओ ना प्लीज़्ज़…”
मैं पायल की बात मान गया और वहाँ रखी एक चेयर पे बैठ गया और उन दोनों के लिए शराब बनाने लगा। शराब का एक और पेग लगाने के बाद समीर फिर से पायल के साथ लिपट गया और किस करने लगा और उसकी फुद्दी में उंगली घुसाने लगा।
.
कहानी जारी है
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
No comments:
Post a Comment