FUN-MAZA-MASTI
आय्याश बाप और बेटी--2
मुझे शर्म आ रही थी, पर मज़ा भी आ रहा था। वो मेरे पीछे आ गया और पीछे से मेरे दोनों चूचियों को दबाने लगा और मेरे गालों और होंठों को ‘किस’ करने लगा।
मैं भी काफ़ी गरम हो गई। उसके बाद उसने एक-एक करके मेरे सारे कपड़ों को खोल दिया और मुझे गोद में उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गया।
वो एक हाथ से मेरी चूचियों को और दूसरे हाथ से मेरी जाँघों को सहला रहा था। मैं कराहने लगी, मैं भी जोश में आकर अपने चूतड़ उठाने लगी थी।
अब मैं उसके ऊपर आ गई थी और वो मेरे नीचे था। वो मेरी दोनों चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। मुझे बहुत मज़ा आने लगा, उसका लंड मेरी चूत के पास दस्तक दे रहा था।
अगर वो अपने हाथों से लगाता तो ज़रूर घुस जाता, पर वो बहुत संयम में था लेकिन अब उसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मुझे भी मस्त लग रहा था तो मैंने ही उससे कहा कि डार्लिंग मैं तुमको प्यार करती हूँ पर अभी मुझे छोड़ दो मैं अभी बर्दाश्त नहीं कर सकती।
जैसे ही उसने मुझे घुमाया कि पुलिस के सायरन की आवाज़ आने लगी।
वो घबरा गया और मुझे छोड़ कर वो उठ गया और कपड़े पहनने लगा। मुझे समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ। उसने मुझसे कहा कि तुम भी भागो नहीं तो पुलिस पकड़ लेगी।
वो जल्दी से कपड़े पहन कर भाग गया, मुझे जोरों से सू-सू लगी हुई थी, मैं नग्न अवस्था में गुसलखाने में चली गई और पेशाब करने के बाद अपने कपड़े पहन ही रही थी कि आपका कॉन्स्टेबल आ गया और मुझे पकड़ लिया।
बाकी की कहानी आपको मालूम है… सर ये मेरा पहला मौका है मैं वेश्या नहीं हूँ सर प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए।
रणजीत- हम्म.. ठीक है पर एक शर्त है और ये सिर्फ़ तुम पर निर्भर करता है अगर तुम मना करो तो कोई बात नहीं तुम घर जा सकती हो।
ललिता कुछ-कुछ इशारा तो समझ गई थी पर फिर भी उसने पूछा।
ललिता- जी सर बोलिए.. मैं क्या कर सकती हूँ।
रणजीत- ललिता तुम जिस मकसद से आई थी, वो तो पूरी हो गई। पर जो कर रही थी, वो पूरी नहीं हुई.. क्या तुम मेरे साथ?
ललिता उसके वाक्य के मतलब को समझते ही बुरी तरह शर्मा गई।
रणजीत- यह सिर्फ़ तुम्हारी रज़ामंदी पर है मैं कोई जबरदस्ती नहीं करूँगा और तुम्हें सुबह घर भी पहुँचा दूँगा। वैसे भी तुम काफ़ी गरम हो गई होगी, है ना?
ललिता ने अपनी आँखें नीचे कर लीं, यह एक लड़की का स्वभाव होता है।
रणजीत- क्या कहती हो?
लड़की ने सहमति में सिर हिलाया और दोनों जीप में बैठ गए।
रणजीत ने गाड़ी स्टार्ट कर दी, बगल में ललिता बैठी थी।
थोड़ी दूर जाने के बाद ललिता ने कहा- आप जो भी करना चाहते है, कर लीजिए पर मुझे हॉस्टल सुबह भेज दीजिए।
यह सुनते ही रणजीत खुश हो गया, आज उसे एक नया माल चोदने के लिए मिल रहा था।
उसने अगले चौराहे से गाड़ी घुमाई और एक सस्ते से होटल में आ गया। साथ में कुछ खाने के लिए भी ले लिया।
होटल रणजीत में आकर रिसेप्सनिस्ट को अपना आई-कार्ड दिखाया और एक कमरा बुक कर लिया।
एडवान्स में रिसेप्सनिस्ट को 500/- नगद दिए और फिर दोनों कमरे में चले गए।
कमरे में आते ही रणजीत ने ललिता को बाँहों में ले लिया और उसे चूमने लगा- तुम एकदम निर्भय रहो, यहाँ कुछ नहीं होगा। पहले कुछ खाना खाते हैं।
और रणजीत ने इंटरकॉम पर कॉल किया एक नेपाली वेटर आया।
उसने कहा- एक स्कॉच और दो प्लेट लेकर आओ और 200 रूपये उसे दिए।
वेटर चला गया, थोड़ी देर बाद वो सामान ले कर आया।
ललिता बाथरूम में नहाने चली गई और रणजीत ने दरवाजा खोल कर सारा सामान अन्दर लगवा दिया।
स्कॉच की बोतल खोल दी और एक गिलास में डाल कर पीने लगा।
ललिता भी एक तौलिया लपेट कर आ गई।
वो आते ही अपनी जीन्स उठाने लगी, तो रणजीत ने मना कर दिया।
‘कोई ज़रूरत नहीं है.. तुम ऐसे ही खूबसूरत लग रही हो… लो खाओ..’
और उसे एक हाथ से खींच कर अपनी जाँघों पर बिठा लिया और एक चुम्बन करने के बाद कहा- तुम शराब पीती हो?
उसने ‘नहीं’ कहा।
‘कोई बात नहीं.. थोड़ी टेस्ट करो तो सही।’
ललिता ने फिर मना किया- जी मैं शराब नहीं पीती, पर आपको रोकूँगी भी नहीं बल्कि मैं आपको अपने हाथों से पिलाऊँगी।
ललिता ने एक गिलास उठा कर उसके होंठों पर लगा दिया और ललिता एक चुम्मी रणजीत के गालों पर देते हुए शराब पिलाने लगी। जब
शराब खत्म हुई तो रणजीत ने अपने होंठ ललिता के होंठों पर रख दिए और चूसने लगा।
ललिता को अब शराब की गन्ध आने लगी जो उसका दम निकालने लगी, किसी तरह अपने आपको छुड़ाया- जी.. मुझे आपकी शराब की बू आ रही है.. मुझे उल्टी हो जाएगी.. प्लीज़ चुम्बन ना करें।
रणजीत भी स्थिति को समझ गया- ठीक है, लो मैं भी नहीं पियूँगा।
ललिता खुश हो गई।
अब दोनों खाना खाने लगे। ललिता ने एक कौर रणजीत को खिलाया और रणजीत ने उसी कौर को उसे खिलाया।
ऐसे चलते-चलते दोनों की चुदाई का दौर शुरू हो गया।
रणजीत ने उसके तौलिया को खींच कर दूर फेंक दिया और खुद भी एकदम नंगा हो गया।
एक हाथ से अपने लंड को सहलाते हुए वो ललिता की तरफ बढ़ा।
‘कम ऑन डार्लिंग..।’
ललिता अपनी चूत को छुपा रही थी पर वो रणजीत के लंड को ज़रूर देख रही थी।
रणजीत ने उसे अपनी बाँहों में उठा लिया और बिस्तर पर पटक दिया, उसके ऊपर चढ़ गया, पहले उसने उसकी चूत को चूमा फिर चाटा और फिर ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा।
चूत की चुसाई की वजह से ललिता धनुष जैसी बन गई.. उसे भी बहुत मज़ा आने लगा।
अब दोनों 69 की अवस्था में आ गए।
ललिता ने जम कर चुंबनों की वर्षा कर दी, रणजीत का लंड एकदम बांस बन गया था।
इतनी चूतों की चुदाई के बाद भी उसका लंड एकदम खड़ा था, जिसे ललिता भी गौर से देख रही थी।
वो सोच रही थी कि ऐसा तो पवन का भी नहीं था, जो मुझे यहाँ लाया था तो इसका ऐसा क्यों है।
पर जब उसे पुलिस का ख्याल आया तो खामोश हो गई, शायद पुलिस वालों का ही ऐसा होता होगा।
उसने आगे बढ़ कर लंड के सुपारे को किस किया और फिर हल्का सा मुँह खोल कर चाटने लगी।
उसे लंड का टेस्ट बहुत अच्छा लग रहा था, सबसे अच्छी तो लंड की मादक गन्ध लग रही थी।
रणजीत के मुँह के सामने ललिता की चूत आ रही थी।
रणजीत ने अपनी जीभ को बाहर निकाला और उसकी भगनास को चाटने लगा।
भगनास का स्वाद उसे बहुत अच्छा लगा, अब उसका नशा उतर चुका था और मज़े ले-ले कर उसकी चूत को चाटने लगा।
वो सारी चूत को अपने जीभ से घुमा-घुमा कर चाटने लगा।
कभी-कभी जीभ की नोक को चूत के अन्दर तक डालता था तो ललिता कराह उठती थी।
अब ललिता भी दिल खोल कर मज़े लूट रही थी, उसने पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और इधर रणजीत एक ऊँगली को उसकी चूत के छेद में डाल दिया और जीभ को गाण्ड के छेद पर लगा दिया।
गाण्ड का छेद भी उसे बहुत अच्छा लग रहा था।
रणजीत जब भी किसी औरत या लड़की को चोदता है तो उसे पागल बना देता है, उसे चुदाई के मामले में महारत हासिल है।
यह बात ममता भी जानती है, पर अभी तक ममता रणजीत से माँ नहीं बनी थी, पता नहीं क्यों।
ऐसा नहीं है कि रणजीत बच्चा नहीं पैदा कर सकता है, उसकी चुदाई से उसकी एक भाभी ने दो बच्चे पैदा किए हैं।
उसकी भाभी का नाम चम्पा है जिसकी कहानी बाद में बताऊँगा।
अब ललिता काफ़ी गर्म हो गई थी, उसकी चूत से रस गिरने लगा था, जिसे रणजीत ने चाट-चाट कर साफ़ किया।
थोड़ी देर के बाद फिर दोनों सीधे हो गए, अब रणजीत को लगा कि कुछ निकलने वाला है, वो ललिता की आँखों में देखने लगा, जैसे मानो चुदाई की आज्ञा माँग रहा हो।
ललिता ने भी शर्माते हुए ‘हाँ’ कर दी।
अब लंड के सुपारे को ललिता की चूत पर लगा और हल्का सा दवाब दिया। दबाव हल्का था और बुर गीली होने की वजह से सुपारा अन्दर चला गया।
ललिता को हल्का दर्द हुआ, रणजीत थोड़ा रुक गया।
फिर उसे प्यार करते हुए एक और धक्का मारा।
अब उसका लंड आधा घुस गया, पर बुर से खून गिरने लगा।
ललिता रोने लगी- मुझे नहीं चुदाना.. मुझे छोड़ दो प्लीज़, मुझे घर जाना है..
ललिता की बातों को अनसुनी करते हुए रणजीत उसे और ज़ोर से चोदने लगा।
अब पूरा लंड घुस गया।
ललिता तो दर्द से बेहोश हो गई हो, पर थोड़ी देर बाद उसे अब अच्छा लगने लगा था।
रणजीत उसी तरह पड़ा हुआ था, वो हिल नहीं रहा था। कई चूत को चोदने के बाद उसे काफ़ी अनुभव हो गया था कि कुंवारी चूत को कैसे चोदा जाता है।
वो थोड़ी देर शान्त बैठने के अब वो धीरे-धीरे अपने लंड को आगे-पीछे करने लगा।
अब ललिता को भी मज़ा आ रहा था।
चुदाई के साथ-साथ रणजीत ललिता के होंठों को चूम रहा था, चूचियों को मरोड़ता हुआ सहला रहा था।
लंड का वेग बढ़ने लगा था। थोड़ी देर बाद और गति बढ़ने लगी। लंड इतना गतिमय हो गया कि होटल का सोफा भी ‘मच-मच’ करने लगा।
अब ललिता भी जी भर कर साथ देने लगी, वो अब रणजीत की बाँहों में अपनी बाँहों की माला पहना कर धक्के का जवाब धक्के से देने लगी।
काफ़ी गुत्थम-गुत्थी के बाद रणजीत ने वीर्य की वर्षा कर दी।
सारा वीर्य ललिता की चूत में चला गया। लंड को दस मिनट तक अन्दर ही रखा।
जब लंड को निकाला तो ‘पक’ की आवाज़ हुई और लंड बाहर निकल गया।
लंड के साथ-साथ वीर्य और रज का संगम भी हो गया।
ललिता की गाण्ड भी वीर्य और रज से नहा गई थी।
उसके बाद रणजीत ललिता के ऊपर ही ढेर हो गया और हाँफते हुए उसी के ऊपर सो गया।
आधा घंटे के बाद वो उठा और नंगी अवस्था में ही गुसलखाने में गया, पीछे-पीछे ललिता भी चली गई।
जब गुसलखाने में गई, तो रणजीत नहाने के टब में बैठा हुआ था। ललिता भी उसी टब में बैठ गई और दोनों टाँगें टब के बाहर निकाल दी।
रणजीत दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को दबाते हुए चुम्बन करने लगा।
ललिता भी चुम्बन का जवाब चुम्बन से देने लगी।
‘कैसा लगा मेरी जान?’
शरमाते हुए- बहुत अच्छा..
‘पहली बार में इतना मज़ा लिया, पर तुम तो कुंवारी थी?’
‘जी.. मैं कुंवारी हूँ.. कई बार सेक्स का मौका मिला, पर असफल रही। पहली बार कोई मिला है आपके रूप में.. मैं आपसे प्यार करने लगी हूँ, आप जब भी मन करे, मुझे बुला लीजिएगा। आपके लिए मैं रंडी भी बनने को तैयार हूँ।’
और दोनों हँसने लगे।
अब दोनों टब से बाहर आ गए और फव्वारा चालू कर दिया, दोनों नंगे होकर स्नान किया।
नहा कर दोनों ने कॉफी का ऑर्डर किया।
अब ललिता जीन्स पहन चुकी थी और रणजीत उसी अवस्था में थी, तभी डॉली का फोन आया।
‘पापा आप कहाँ हैं? हम लोग खाने पर इन्तजार कर रहे हैं।’
‘बेटे आज मैं नहीं आ सकता, 3 बजे सुबह एक ऑपरेशन होना है इसलिए और फोन भी मत करना, डिस्टर्ब होता है। सुबह 5 बजे आऊँगा। तुम लोग खा कर सो जाओ।’
ललिता सब कुछ सुन रही थी, जब बात खत्म हुई तो कहा- सर आपकी बेटी है ये?
‘हाँ… ये मेरी इकलौती बेटी है, पर भाग्य ने इसके साथ बड़ा बुरा किया है।’
‘क्या हुआ सर?’
रणजीत- बेचारी विधवा हो गई है दो साल पहले एक कार एक्सिडेंट में ! मेरी बेटी डॉक्टर है और मेरा दामाद भी डॉक्टर था। दोनों एक दिन कार से आ रहे थे, बारिश हो रही थी। टायर ब्लास्ट हुआ और मेरी बेटी तो बच गई पर दामाद चला गया। तब से यह गुमसुम रहती है। बहुत कोशिश की सलाह भी दी कि दूसरी शादी कर लो, पर नहीं करती है। खैर भगवान ने उसे एक नौकरी दी है, नहीं तो पता नहीं क्या होता।
ललिता को डॉली से सहानुभूति हो गई, वो आगे बढ़ कर रणजीत के गले लग गई और कहा- कोई बात नहीं सर.. भगवान सब ठीक कर देगा, चलिए अब चलते हैं। कॉलेज में कल मेरा पेपर है, सो अभी चलूँगी। ग्यारह बज रहे हैं।
‘ठीक है और हाँ ये लो 2000 रुपए..’
ललिता ने नहीं लिए- नहीं सर, मैं ये सब पैसे के लिए नहीं करती हूँ.. प्लीज़ सर मुझे रंडी मत बनाईए प्लीज़!
रणजीत ने पैसे वापस रख लिए और एक पेन उसे दे दिया।
‘ये लो.. यह तो रिश्वत नहीं है, इसे लेने के बाद तुम रंडी तो नहीं होगी। यह लो और खूब मन लगा कर पढ़ना और जब कभी भी पैसे और किसी चीज़ की ज़रूरत हो, मुझे याद करना। ये लो मेरा कार्ड और ‘हाँ’ राजवार को मेरे घर पर आना तुमको मेरा निमंत्रण है। मेरी बेटी का जन्मदिन है, सो प्लीज़ आना जरूर, ये मेरा आदेश है।’
रणजीत ने पता नोट करवाने के बाद उसे गले से लगा लिया और कपड़े पहन कर उसे कॉलेज हॉस्टल छोड़ दिया और फिर अपने घर की ओर चला गया।
आज जीवन में पहली बार चोदते हुए उसे मज़ा मिल रहा था, वाकयी बहुत खूबसूरत चूत थी।
ललिता थी भी काफ़ी हसीन… छरहरा बदन.. हल्का सांवला रंग और दुबली-पतली काया.. उसे बार-बार उसी की याद आ रही थी।
तभी रणजीत ने उसको फोन कर दिया- कैसी हो… पहुँच गई?
‘जी आप ही ने तो छोड़ा है।’
‘हाँ.. मालूम है.. सो हाऊ वाज़ नाइट?’
ललिता शरमा गई- वेल… गुड और आपको कैसा लगा?
‘क्या..?’
‘वही मेरी च..च..चूत..’
‘ग्रेट डार्लिंग.. तुम बहुत नमकीन हो.. देखो ना.. तेरी याद लेते ही ये खड़ा हो गया।’
‘उसे संभाल कर रखिए.. किसी और दिन काम आएगा… ओके मैं रखती हूँ.. मेरी सहेली आ गई है, गुड-नाइट।’
‘गुड-नाइट।’
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आय्याश बाप और बेटी--2
मुझे शर्म आ रही थी, पर मज़ा भी आ रहा था। वो मेरे पीछे आ गया और पीछे से मेरे दोनों चूचियों को दबाने लगा और मेरे गालों और होंठों को ‘किस’ करने लगा।
मैं भी काफ़ी गरम हो गई। उसके बाद उसने एक-एक करके मेरे सारे कपड़ों को खोल दिया और मुझे गोद में उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गया।
वो एक हाथ से मेरी चूचियों को और दूसरे हाथ से मेरी जाँघों को सहला रहा था। मैं कराहने लगी, मैं भी जोश में आकर अपने चूतड़ उठाने लगी थी।
अब मैं उसके ऊपर आ गई थी और वो मेरे नीचे था। वो मेरी दोनों चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। मुझे बहुत मज़ा आने लगा, उसका लंड मेरी चूत के पास दस्तक दे रहा था।
अगर वो अपने हाथों से लगाता तो ज़रूर घुस जाता, पर वो बहुत संयम में था लेकिन अब उसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मुझे भी मस्त लग रहा था तो मैंने ही उससे कहा कि डार्लिंग मैं तुमको प्यार करती हूँ पर अभी मुझे छोड़ दो मैं अभी बर्दाश्त नहीं कर सकती।
जैसे ही उसने मुझे घुमाया कि पुलिस के सायरन की आवाज़ आने लगी।
वो घबरा गया और मुझे छोड़ कर वो उठ गया और कपड़े पहनने लगा। मुझे समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ। उसने मुझसे कहा कि तुम भी भागो नहीं तो पुलिस पकड़ लेगी।
वो जल्दी से कपड़े पहन कर भाग गया, मुझे जोरों से सू-सू लगी हुई थी, मैं नग्न अवस्था में गुसलखाने में चली गई और पेशाब करने के बाद अपने कपड़े पहन ही रही थी कि आपका कॉन्स्टेबल आ गया और मुझे पकड़ लिया।
बाकी की कहानी आपको मालूम है… सर ये मेरा पहला मौका है मैं वेश्या नहीं हूँ सर प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए।
रणजीत- हम्म.. ठीक है पर एक शर्त है और ये सिर्फ़ तुम पर निर्भर करता है अगर तुम मना करो तो कोई बात नहीं तुम घर जा सकती हो।
ललिता कुछ-कुछ इशारा तो समझ गई थी पर फिर भी उसने पूछा।
ललिता- जी सर बोलिए.. मैं क्या कर सकती हूँ।
रणजीत- ललिता तुम जिस मकसद से आई थी, वो तो पूरी हो गई। पर जो कर रही थी, वो पूरी नहीं हुई.. क्या तुम मेरे साथ?
ललिता उसके वाक्य के मतलब को समझते ही बुरी तरह शर्मा गई।
रणजीत- यह सिर्फ़ तुम्हारी रज़ामंदी पर है मैं कोई जबरदस्ती नहीं करूँगा और तुम्हें सुबह घर भी पहुँचा दूँगा। वैसे भी तुम काफ़ी गरम हो गई होगी, है ना?
ललिता ने अपनी आँखें नीचे कर लीं, यह एक लड़की का स्वभाव होता है।
रणजीत- क्या कहती हो?
लड़की ने सहमति में सिर हिलाया और दोनों जीप में बैठ गए।
रणजीत ने गाड़ी स्टार्ट कर दी, बगल में ललिता बैठी थी।
थोड़ी दूर जाने के बाद ललिता ने कहा- आप जो भी करना चाहते है, कर लीजिए पर मुझे हॉस्टल सुबह भेज दीजिए।
यह सुनते ही रणजीत खुश हो गया, आज उसे एक नया माल चोदने के लिए मिल रहा था।
उसने अगले चौराहे से गाड़ी घुमाई और एक सस्ते से होटल में आ गया। साथ में कुछ खाने के लिए भी ले लिया।
होटल रणजीत में आकर रिसेप्सनिस्ट को अपना आई-कार्ड दिखाया और एक कमरा बुक कर लिया।
एडवान्स में रिसेप्सनिस्ट को 500/- नगद दिए और फिर दोनों कमरे में चले गए।
कमरे में आते ही रणजीत ने ललिता को बाँहों में ले लिया और उसे चूमने लगा- तुम एकदम निर्भय रहो, यहाँ कुछ नहीं होगा। पहले कुछ खाना खाते हैं।
और रणजीत ने इंटरकॉम पर कॉल किया एक नेपाली वेटर आया।
उसने कहा- एक स्कॉच और दो प्लेट लेकर आओ और 200 रूपये उसे दिए।
वेटर चला गया, थोड़ी देर बाद वो सामान ले कर आया।
ललिता बाथरूम में नहाने चली गई और रणजीत ने दरवाजा खोल कर सारा सामान अन्दर लगवा दिया।
स्कॉच की बोतल खोल दी और एक गिलास में डाल कर पीने लगा।
ललिता भी एक तौलिया लपेट कर आ गई।
वो आते ही अपनी जीन्स उठाने लगी, तो रणजीत ने मना कर दिया।
‘कोई ज़रूरत नहीं है.. तुम ऐसे ही खूबसूरत लग रही हो… लो खाओ..’
और उसे एक हाथ से खींच कर अपनी जाँघों पर बिठा लिया और एक चुम्बन करने के बाद कहा- तुम शराब पीती हो?
उसने ‘नहीं’ कहा।
‘कोई बात नहीं.. थोड़ी टेस्ट करो तो सही।’
ललिता ने फिर मना किया- जी मैं शराब नहीं पीती, पर आपको रोकूँगी भी नहीं बल्कि मैं आपको अपने हाथों से पिलाऊँगी।
ललिता ने एक गिलास उठा कर उसके होंठों पर लगा दिया और ललिता एक चुम्मी रणजीत के गालों पर देते हुए शराब पिलाने लगी। जब
शराब खत्म हुई तो रणजीत ने अपने होंठ ललिता के होंठों पर रख दिए और चूसने लगा।
ललिता को अब शराब की गन्ध आने लगी जो उसका दम निकालने लगी, किसी तरह अपने आपको छुड़ाया- जी.. मुझे आपकी शराब की बू आ रही है.. मुझे उल्टी हो जाएगी.. प्लीज़ चुम्बन ना करें।
रणजीत भी स्थिति को समझ गया- ठीक है, लो मैं भी नहीं पियूँगा।
ललिता खुश हो गई।
अब दोनों खाना खाने लगे। ललिता ने एक कौर रणजीत को खिलाया और रणजीत ने उसी कौर को उसे खिलाया।
ऐसे चलते-चलते दोनों की चुदाई का दौर शुरू हो गया।
रणजीत ने उसके तौलिया को खींच कर दूर फेंक दिया और खुद भी एकदम नंगा हो गया।
एक हाथ से अपने लंड को सहलाते हुए वो ललिता की तरफ बढ़ा।
‘कम ऑन डार्लिंग..।’
ललिता अपनी चूत को छुपा रही थी पर वो रणजीत के लंड को ज़रूर देख रही थी।
रणजीत ने उसे अपनी बाँहों में उठा लिया और बिस्तर पर पटक दिया, उसके ऊपर चढ़ गया, पहले उसने उसकी चूत को चूमा फिर चाटा और फिर ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा।
चूत की चुसाई की वजह से ललिता धनुष जैसी बन गई.. उसे भी बहुत मज़ा आने लगा।
अब दोनों 69 की अवस्था में आ गए।
ललिता ने जम कर चुंबनों की वर्षा कर दी, रणजीत का लंड एकदम बांस बन गया था।
इतनी चूतों की चुदाई के बाद भी उसका लंड एकदम खड़ा था, जिसे ललिता भी गौर से देख रही थी।
वो सोच रही थी कि ऐसा तो पवन का भी नहीं था, जो मुझे यहाँ लाया था तो इसका ऐसा क्यों है।
पर जब उसे पुलिस का ख्याल आया तो खामोश हो गई, शायद पुलिस वालों का ही ऐसा होता होगा।
उसने आगे बढ़ कर लंड के सुपारे को किस किया और फिर हल्का सा मुँह खोल कर चाटने लगी।
उसे लंड का टेस्ट बहुत अच्छा लग रहा था, सबसे अच्छी तो लंड की मादक गन्ध लग रही थी।
रणजीत के मुँह के सामने ललिता की चूत आ रही थी।
रणजीत ने अपनी जीभ को बाहर निकाला और उसकी भगनास को चाटने लगा।
भगनास का स्वाद उसे बहुत अच्छा लगा, अब उसका नशा उतर चुका था और मज़े ले-ले कर उसकी चूत को चाटने लगा।
वो सारी चूत को अपने जीभ से घुमा-घुमा कर चाटने लगा।
कभी-कभी जीभ की नोक को चूत के अन्दर तक डालता था तो ललिता कराह उठती थी।
अब ललिता भी दिल खोल कर मज़े लूट रही थी, उसने पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और इधर रणजीत एक ऊँगली को उसकी चूत के छेद में डाल दिया और जीभ को गाण्ड के छेद पर लगा दिया।
गाण्ड का छेद भी उसे बहुत अच्छा लग रहा था।
रणजीत जब भी किसी औरत या लड़की को चोदता है तो उसे पागल बना देता है, उसे चुदाई के मामले में महारत हासिल है।
यह बात ममता भी जानती है, पर अभी तक ममता रणजीत से माँ नहीं बनी थी, पता नहीं क्यों।
ऐसा नहीं है कि रणजीत बच्चा नहीं पैदा कर सकता है, उसकी चुदाई से उसकी एक भाभी ने दो बच्चे पैदा किए हैं।
उसकी भाभी का नाम चम्पा है जिसकी कहानी बाद में बताऊँगा।
अब ललिता काफ़ी गर्म हो गई थी, उसकी चूत से रस गिरने लगा था, जिसे रणजीत ने चाट-चाट कर साफ़ किया।
थोड़ी देर के बाद फिर दोनों सीधे हो गए, अब रणजीत को लगा कि कुछ निकलने वाला है, वो ललिता की आँखों में देखने लगा, जैसे मानो चुदाई की आज्ञा माँग रहा हो।
ललिता ने भी शर्माते हुए ‘हाँ’ कर दी।
अब लंड के सुपारे को ललिता की चूत पर लगा और हल्का सा दवाब दिया। दबाव हल्का था और बुर गीली होने की वजह से सुपारा अन्दर चला गया।
ललिता को हल्का दर्द हुआ, रणजीत थोड़ा रुक गया।
फिर उसे प्यार करते हुए एक और धक्का मारा।
अब उसका लंड आधा घुस गया, पर बुर से खून गिरने लगा।
ललिता रोने लगी- मुझे नहीं चुदाना.. मुझे छोड़ दो प्लीज़, मुझे घर जाना है..
ललिता की बातों को अनसुनी करते हुए रणजीत उसे और ज़ोर से चोदने लगा।
अब पूरा लंड घुस गया।
ललिता तो दर्द से बेहोश हो गई हो, पर थोड़ी देर बाद उसे अब अच्छा लगने लगा था।
रणजीत उसी तरह पड़ा हुआ था, वो हिल नहीं रहा था। कई चूत को चोदने के बाद उसे काफ़ी अनुभव हो गया था कि कुंवारी चूत को कैसे चोदा जाता है।
वो थोड़ी देर शान्त बैठने के अब वो धीरे-धीरे अपने लंड को आगे-पीछे करने लगा।
अब ललिता को भी मज़ा आ रहा था।
चुदाई के साथ-साथ रणजीत ललिता के होंठों को चूम रहा था, चूचियों को मरोड़ता हुआ सहला रहा था।
लंड का वेग बढ़ने लगा था। थोड़ी देर बाद और गति बढ़ने लगी। लंड इतना गतिमय हो गया कि होटल का सोफा भी ‘मच-मच’ करने लगा।
अब ललिता भी जी भर कर साथ देने लगी, वो अब रणजीत की बाँहों में अपनी बाँहों की माला पहना कर धक्के का जवाब धक्के से देने लगी।
काफ़ी गुत्थम-गुत्थी के बाद रणजीत ने वीर्य की वर्षा कर दी।
सारा वीर्य ललिता की चूत में चला गया। लंड को दस मिनट तक अन्दर ही रखा।
जब लंड को निकाला तो ‘पक’ की आवाज़ हुई और लंड बाहर निकल गया।
लंड के साथ-साथ वीर्य और रज का संगम भी हो गया।
ललिता की गाण्ड भी वीर्य और रज से नहा गई थी।
उसके बाद रणजीत ललिता के ऊपर ही ढेर हो गया और हाँफते हुए उसी के ऊपर सो गया।
आधा घंटे के बाद वो उठा और नंगी अवस्था में ही गुसलखाने में गया, पीछे-पीछे ललिता भी चली गई।
जब गुसलखाने में गई, तो रणजीत नहाने के टब में बैठा हुआ था। ललिता भी उसी टब में बैठ गई और दोनों टाँगें टब के बाहर निकाल दी।
रणजीत दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियों को दबाते हुए चुम्बन करने लगा।
ललिता भी चुम्बन का जवाब चुम्बन से देने लगी।
‘कैसा लगा मेरी जान?’
शरमाते हुए- बहुत अच्छा..
‘पहली बार में इतना मज़ा लिया, पर तुम तो कुंवारी थी?’
‘जी.. मैं कुंवारी हूँ.. कई बार सेक्स का मौका मिला, पर असफल रही। पहली बार कोई मिला है आपके रूप में.. मैं आपसे प्यार करने लगी हूँ, आप जब भी मन करे, मुझे बुला लीजिएगा। आपके लिए मैं रंडी भी बनने को तैयार हूँ।’
और दोनों हँसने लगे।
अब दोनों टब से बाहर आ गए और फव्वारा चालू कर दिया, दोनों नंगे होकर स्नान किया।
नहा कर दोनों ने कॉफी का ऑर्डर किया।
अब ललिता जीन्स पहन चुकी थी और रणजीत उसी अवस्था में थी, तभी डॉली का फोन आया।
‘पापा आप कहाँ हैं? हम लोग खाने पर इन्तजार कर रहे हैं।’
‘बेटे आज मैं नहीं आ सकता, 3 बजे सुबह एक ऑपरेशन होना है इसलिए और फोन भी मत करना, डिस्टर्ब होता है। सुबह 5 बजे आऊँगा। तुम लोग खा कर सो जाओ।’
ललिता सब कुछ सुन रही थी, जब बात खत्म हुई तो कहा- सर आपकी बेटी है ये?
‘हाँ… ये मेरी इकलौती बेटी है, पर भाग्य ने इसके साथ बड़ा बुरा किया है।’
‘क्या हुआ सर?’
रणजीत- बेचारी विधवा हो गई है दो साल पहले एक कार एक्सिडेंट में ! मेरी बेटी डॉक्टर है और मेरा दामाद भी डॉक्टर था। दोनों एक दिन कार से आ रहे थे, बारिश हो रही थी। टायर ब्लास्ट हुआ और मेरी बेटी तो बच गई पर दामाद चला गया। तब से यह गुमसुम रहती है। बहुत कोशिश की सलाह भी दी कि दूसरी शादी कर लो, पर नहीं करती है। खैर भगवान ने उसे एक नौकरी दी है, नहीं तो पता नहीं क्या होता।
ललिता को डॉली से सहानुभूति हो गई, वो आगे बढ़ कर रणजीत के गले लग गई और कहा- कोई बात नहीं सर.. भगवान सब ठीक कर देगा, चलिए अब चलते हैं। कॉलेज में कल मेरा पेपर है, सो अभी चलूँगी। ग्यारह बज रहे हैं।
‘ठीक है और हाँ ये लो 2000 रुपए..’
ललिता ने नहीं लिए- नहीं सर, मैं ये सब पैसे के लिए नहीं करती हूँ.. प्लीज़ सर मुझे रंडी मत बनाईए प्लीज़!
रणजीत ने पैसे वापस रख लिए और एक पेन उसे दे दिया।
‘ये लो.. यह तो रिश्वत नहीं है, इसे लेने के बाद तुम रंडी तो नहीं होगी। यह लो और खूब मन लगा कर पढ़ना और जब कभी भी पैसे और किसी चीज़ की ज़रूरत हो, मुझे याद करना। ये लो मेरा कार्ड और ‘हाँ’ राजवार को मेरे घर पर आना तुमको मेरा निमंत्रण है। मेरी बेटी का जन्मदिन है, सो प्लीज़ आना जरूर, ये मेरा आदेश है।’
रणजीत ने पता नोट करवाने के बाद उसे गले से लगा लिया और कपड़े पहन कर उसे कॉलेज हॉस्टल छोड़ दिया और फिर अपने घर की ओर चला गया।
आज जीवन में पहली बार चोदते हुए उसे मज़ा मिल रहा था, वाकयी बहुत खूबसूरत चूत थी।
ललिता थी भी काफ़ी हसीन… छरहरा बदन.. हल्का सांवला रंग और दुबली-पतली काया.. उसे बार-बार उसी की याद आ रही थी।
तभी रणजीत ने उसको फोन कर दिया- कैसी हो… पहुँच गई?
‘जी आप ही ने तो छोड़ा है।’
‘हाँ.. मालूम है.. सो हाऊ वाज़ नाइट?’
ललिता शरमा गई- वेल… गुड और आपको कैसा लगा?
‘क्या..?’
‘वही मेरी च..च..चूत..’
‘ग्रेट डार्लिंग.. तुम बहुत नमकीन हो.. देखो ना.. तेरी याद लेते ही ये खड़ा हो गया।’
‘उसे संभाल कर रखिए.. किसी और दिन काम आएगा… ओके मैं रखती हूँ.. मेरी सहेली आ गई है, गुड-नाइट।’
‘गुड-नाइट।’
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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