FUN-MAZA-MASTI
घर का बिजनिस -11
अरविंद का लण्ड मेरे लण्ड से काफी छोटा था, लेकिन मोटा मेरे जितना ही था। अब वो दीदी की फुद्दी में अंदर-बाहर करने लगा और बोला- “आअह्ह… साली क्या चीज है तू? कितनी गर्मी है तेरी फुद्दी में? उन्नमह…”
दीदी भी अब अपनी गाण्ड को अरविंद के लण्ड की तरफ उछाल रही थी और साथ ही- “आअह्ह जान… मेरी फुद्दी की गर्मी निकाल दो… मजा आ रहा है… थोड़ा तेज़्ज़ ऊओ…”
अरविंद अब दीदी की फुद्दी मारने में अपनी जान लगा रहा था। लेकिन जैसे-जैसे अरविंद अपनी रफ़्तार बढ़ा रहा था, दीदी भी अपनी गाण्ड को उसके लण्ड की तरफ दबाती और साथ ही- “हाँ, अब मजा आ रहा है और तेज़्ज़ करो उन्म्मह…” की आवाज भी करने लगती।
पायल कुछ देर तक ये सब देखती रही और फिर उठकर वाश-रूम की तरफ भाग गई। पायल के वहाँ से इस तेजी से उठते ही मैं समझ गया कि वो बाथरूम में क्या करने गई है लेकिन मैं उसे छोड़कर दीदी की चुदाई देखने में लग गया जहाँ अब अरविंद- “आअह्ह… साली मैं गया…” की आवाज कर रहा था।
लेकिन दीदी- “नहीं, प्लीज़्ज़… अभी नहीं थोड़ा और करो… प्लीज़्ज़… आअह्ह… थोड़ा तेज़्ज़ करो… उन्म्मह…” की आवाज कर रही थी।
लेकिन अरविंद ने दीदी की किसी बात पे भी ध्यान नहीं दिया और दो 3 तेज झटकों के साथ ही दीदी की फुद्दी को अपने पानी से भर दिया और अपना लण्ड दीदी की फुद्दी से बाहर खींच लिया। बगल में बैठ गया और हाँफने लगा।
दीदी क्योंकि अभी फारिग़ नहीं हुई थी इसलिए अपनी फुद्दी में अपनी दो उंगली को घुसाकर तेजी के साथ अंदर-बाहर कर रही थी और आअह्ह… उन्म्मह… की आवाज करते हुये फारिग़ होने की कोशिश कर रही थी।
उस वक़्त मेरा दिल तो कर रहा था कि मैं उठूं और दीदी की फुद्दी में अपना लण्ड घुसाकर उसे ठंडा कर दूँ। लेकिन अभी मैं ऐसा नहीं कर सकता था क्योंकि अभी बाहर के लोग भी यहाँ मौजूद थे। कुछ ही देर में दीदी भी ठंडी हो गई और अपनी आँखें बंद करके लंबी-लंबी सांसें लेने लगी। तभी पायल भी बाथरूम से वापिस आ गई।
कोई 20 मिनट के बाद अरविंद उठा और बोला- “जरा देखो, ये बिनोद अभी तक रूम में क्या कर रहा है? उससे पूछो की जाना नहीं है क्या कि रात यहाँ ही रुकना है और खुद भी उठकर रूम की तरफ चला गया जहाँ उसके कपड़े पड़े हुये थे।
मैं उठा और जाकर दूसरे रूम को खटखटाया।
तो बिनोद ने पूछा- क्या बात है?
तो मैंने उससे कहा- “अरविंद साहब बोल रहे हैं कि अभी बस करो, जाना भी है…”
बिनोद ने कहा- “ठीक है, मैं आता हूँ। तुम चलो…”
और जब मैं वापिस आया तो अरविंद कपड़े पहनकर वापिस आ चुका था और पायल को ₹5000 दे रहा था और बोल रहा था- “अभी ये रख ले कल तेरे पैसे भी दे दूँगा और तुझे भी अपने लण्ड का मजा चखा दूँगा…”
पायल ने मेरी तरफ देखा तो मैंने हाँ में इशारा किया। तो उसने वो पैसे पकड़ लिए और फिर उसने मुझे भी ₹5000 दिए और दीदी को ₹10,000 दिए। तब तक बिनोद भी रूम में से निकल आया था। बिनोद के आते ही अरविंद भी उठ खड़ा हुआ और दोनों फ्लैट से निकल गये और मैं भी उनके साथ गया और जाकर फ्लैट का दरवाजा लाक करके आ गया तो देखा की दीदी अभी तक वैसे ही सोफे पे बैठी अपनी आँखों को बंद किए लंबी-लंबी सांसें ले रही थी और पायल वहाँ नजर नहीं आ रही थी।
मैं समझ गया कि अभी वो बुआ के पास गई होगी।
मैं दीदी के पास आकर बैठ गया और हिम्मत करके दीदी के कंधे पे हाथ रखा और दीदी को अपनी तरफ खींच लिया और बोला- दीदी, आप ठीक हो ना?
दीदी जो कि पहले ही हल्के नशे में थी। आँखों को बिना खोले ही बोली- हाँ भाई, मैं ठीक हूँ।
मेरा लण्ड जो कि दीदी को इस तरह नंगी बैठे देखकर खुद भी नहीं बैठ रहा था कुछ करने के लिए मजबूर कर रहा था और वैसे भी दीदी नशे में थी तो मुझे क्या मना करती? ये ख्याल आते ही मैंने एक हाथ दीदी की गाण्ड पे रख दिया और घुमाने लगा और दूसरा हाथ दीदी की चूचियां पे रख दिया। लेकिन पता नहीं क्यों मेरा दिल नहीं किया और मैं पीछे हट गया।
तभी बुआ ने कहा- “क्यों आलोक? पीछे क्यों हो गये? कर लो जो करना है…”
मैंने कहा- “नहीं बुआ, दीदी अभी नशे में है अभी नहीं जब दीदी नशे में नहीं होंगी तब मैं करूंगा जिससे मुझे और दीदी दोनों को मजा आए…”
बुआ ने हँसते हुये कहा- अगर तब अंजली नहीं मानी तो क्या होगा? हाँ।
मैंने कहा- नहीं बुआ, मैं जानता हूँ कि जब दीदी मेरा लण्ड देखेगी तो मुझे कभी भी मना नहीं करेगी।
बुआ ने कहा- चलो ठीक है, ये बताओ कि खाने के लिए कुछ है या नहीं? बड़ी भूख लग रही है।
मैंने पायल को आवाज दी जो कि बुआ के रूम में ही रुक गई थी और उसके आते ही मैंने बुआ के लिए कुछ खाने के लिए कहा तो वो किचेन से खाना उठा लाई जो कि उसने पहले ही बुआ के लिए रख दिया था और फिर बुआ ने खाना खाया और हम सुबह तक वहाँ ही रहे और फिर घर आ गये। घर आकर मैं अपने रूम में चला गया और कपड़े उतार के एक चादर बाँध ली और सोने के लिए लेट गया।
तभी अम्मी मेरे रूम में आ गई और बोली- “आलोक, ऐसा करो कि मेरे रूम में जाकर सो जाओ आज…”
मैंने कहा- “क्यों अम्मी यहाँ क्या हुआ? सोने दो ना प्लीज़्ज़…”
अम्मी मेरी बात पे हँस पड़ी और बोली- “मेरे रूम में जाने से तुम्हारा ही फायदा है जाओ शाबाश…”
मैं उठकर कपड़े पहनने लगा तो अम्मी ने कहा- आलोक, मेरे रूम में भी तुमने सोना ही है जाओ इसी तरह ही चले जाओ।
मैं अम्मी की बात सुनकर अम्मी के रूम की तरफ चल पड़ा।
और जैसे ही रूम में जाने लगा तो अम्मी ने कहा- “लाइट ओन नहीं करना और जाकर बेड पे लेट जाओ…”
मैं अम्मी की बात पे थोड़ा हैरान भी हुआ लेकिन फिर भी कुछ नहीं बोला और जाकर अम्मी के बेड पे लेट गया तो तब पता चला कि वहाँ कोई और भी था जो कि अपने ऊपर चादर लेकर लेटा हुआ था। क्योंकि मैं अंदर आते वक़्त दरवाजे को बंद कर आया था और पर्दे भी गिरे हुये थे जिसकी वजह से रूम में काफी अंधेरा था जिससे मुझे साफ नजर नहीं आ रहा था। लेकिन इतना नजर तो आ ही रहा था कि मेरे पास बेड पे कोई लेटा हुआ है। मैंने हाथ बढ़ा के उसे हिलाना चाहा तो मेरा हाथ किसी की नरम चूचियों से टकरा गया तो मैं समझ गया कि ये बुआ ही होगी और कोई नहीं हो सकता।
मैंने बुआ के ऊपर से चादर खींच ली और अपना हाथ बुआ की चूचियों की तरफ बढ़ा दिया जो कि चादर के नीचे नंगी ही थीं लेकिन बड़ी सख़्त हो रही थीं। लेकिन बुआ की चूचियों से कुछ छोटी भी थीं। इस बात को महसूस करते ही मैं चौंक गयाि ये कौन है जो यहाँ इस तरह मेरे पास नंगी लेटी हुई है और अम्मी ने भी मुझे इसके पास सोने के लिए बोल दिया है।
अभी मैं लाइट ओन करने का सोच ही रहा था कि वो अचानक मुझे लिपट गई और अपने तपते हुये होंठों को मेरे होंठों पे रख दिया और किस करने लगी। जिससे मैं भी बिना ये जाने कि आखिर ये है कौन? किस करने और चूचियों को दबाने में लग गया।
मैं क्योंकि काफी जोर से उसकी चूचियाों को दबा रहा था जिसकी वजह से उसके मुँह से से- “भाई, आराम से करो ना… प्लीज़्ज़… दर्द होता है इस तरह…”
आवाज सुनते ही मैं खुशी से पागल हो गया क्योंकि वो कोई और नहीं बलकि मेरी बड़ी बहन अंजली ही थी जो कि आज मेरे साथ इस तरह नंगी लेटी हुई थी और मुझसे चुदवाना भी चाहती थी। अब मैं फिर से दीदी को किस करने लगा और साथ ही दीदी की चूचियों को भी मसलने लगा था और दीदी अपने हाथों से मेरे सर को सहला रही थी।
कुछ देर के बाद मैंने दीदी को किस करना बंद कर दिया और दीदी की चूचियों पे अपने मुँह को रख दिया और बारी-बारी से दीदी की चूचियों को दबाने लगा और दीदी के निपल्स को चूसने लगा। अब दीदी मेरे सर को अपनी चूचियां पे दबा रही थी और- “उन्म्मह… भाई…? की आवाज भी करती जा रही थी। अब मैं दीदी की चूचियों से नीचे आया और दीदी के पेट को अपनी जुबान से चाटने लगा और जुबान को दीदी के पेट पे घुमाने लगा और आहिस्ता-आहिस्ता नीचे की तरफ जाने लगा जिससे दीदी और भी ज्यादा मचलने लगी और सिसकियां भरने लगी।
अब मैं दीदी की फुद्दी से थोड़ा ही ऊपर अपनी जुबान को घुमा रहा था। लेकिन दीदी की फुद्दी की तरफ नहीं जा रहा था कि तभी दीदी ने मेरे सर को अपनी फुद्दी की तरफ दबया तो मैंने अपने मुँह को दीदी की फुद्दी की तरफ ले जाने की जगह दीदी की रानों की तरफ आ गया और चाटने और चूमने लगा जिससे दीदी और भी मचलने लगी थी।
जब दीदी ने देखा कि मैं उन्हें जानबूझ के ताटा रहा हूँ तो दीदी ने मेरा सर पकड़ लिया और जबरदस्ती अपनी फुद्दी की तरफ कर दिया और बोली- “भाई, प्लीज़्ज़ यहाँ से चाटो ना…” जैसे ही मैंने दीदी की गिली फुद्दी पे अपनी जुबान घुमाई, दीदी का जिश्म एक बार थोड़ा से अकड़ गया और दीदी के मुँह से- “सस्सीई… आअह्ह… भाई हाँ… इसी तरह यहाँ पे प्लीज़्ज़… ऊओ… भाई इतना मजा…” दीदी की फुद्दी चाटने में मुझे बुआ की फुद्दी से भी ज्यादा मजा आ रहा था जिससे कि मैं दीदी की फुद्दी के अंदर तक अपनी जुबान को घुसाकर चाटने की कोशिश करने लगा, जिससे मेरे साथ दीदी को भी मजा आ रहा था।
दीदी अब मजे की शिद्दत पे थी- “और आअह्ह… भाई, खा जाओ अपनी दीदी की फुद्दी को… रंडी बना दो मुझे… उन्म्मह… ऊओ… अम्मीई, मैं गई…” और इसके साथ ही मेरे मुँह को अपनी फुद्दी के साथ दबा लिया और फारिग़ हो गई…”
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घर का बिजनिस -11
अरविंद का लण्ड मेरे लण्ड से काफी छोटा था, लेकिन मोटा मेरे जितना ही था। अब वो दीदी की फुद्दी में अंदर-बाहर करने लगा और बोला- “आअह्ह… साली क्या चीज है तू? कितनी गर्मी है तेरी फुद्दी में? उन्नमह…”
दीदी भी अब अपनी गाण्ड को अरविंद के लण्ड की तरफ उछाल रही थी और साथ ही- “आअह्ह जान… मेरी फुद्दी की गर्मी निकाल दो… मजा आ रहा है… थोड़ा तेज़्ज़ ऊओ…”
अरविंद अब दीदी की फुद्दी मारने में अपनी जान लगा रहा था। लेकिन जैसे-जैसे अरविंद अपनी रफ़्तार बढ़ा रहा था, दीदी भी अपनी गाण्ड को उसके लण्ड की तरफ दबाती और साथ ही- “हाँ, अब मजा आ रहा है और तेज़्ज़ करो उन्म्मह…” की आवाज भी करने लगती।
पायल कुछ देर तक ये सब देखती रही और फिर उठकर वाश-रूम की तरफ भाग गई। पायल के वहाँ से इस तेजी से उठते ही मैं समझ गया कि वो बाथरूम में क्या करने गई है लेकिन मैं उसे छोड़कर दीदी की चुदाई देखने में लग गया जहाँ अब अरविंद- “आअह्ह… साली मैं गया…” की आवाज कर रहा था।
लेकिन दीदी- “नहीं, प्लीज़्ज़… अभी नहीं थोड़ा और करो… प्लीज़्ज़… आअह्ह… थोड़ा तेज़्ज़ करो… उन्म्मह…” की आवाज कर रही थी।
लेकिन अरविंद ने दीदी की किसी बात पे भी ध्यान नहीं दिया और दो 3 तेज झटकों के साथ ही दीदी की फुद्दी को अपने पानी से भर दिया और अपना लण्ड दीदी की फुद्दी से बाहर खींच लिया। बगल में बैठ गया और हाँफने लगा।
दीदी क्योंकि अभी फारिग़ नहीं हुई थी इसलिए अपनी फुद्दी में अपनी दो उंगली को घुसाकर तेजी के साथ अंदर-बाहर कर रही थी और आअह्ह… उन्म्मह… की आवाज करते हुये फारिग़ होने की कोशिश कर रही थी।
उस वक़्त मेरा दिल तो कर रहा था कि मैं उठूं और दीदी की फुद्दी में अपना लण्ड घुसाकर उसे ठंडा कर दूँ। लेकिन अभी मैं ऐसा नहीं कर सकता था क्योंकि अभी बाहर के लोग भी यहाँ मौजूद थे। कुछ ही देर में दीदी भी ठंडी हो गई और अपनी आँखें बंद करके लंबी-लंबी सांसें लेने लगी। तभी पायल भी बाथरूम से वापिस आ गई।
कोई 20 मिनट के बाद अरविंद उठा और बोला- “जरा देखो, ये बिनोद अभी तक रूम में क्या कर रहा है? उससे पूछो की जाना नहीं है क्या कि रात यहाँ ही रुकना है और खुद भी उठकर रूम की तरफ चला गया जहाँ उसके कपड़े पड़े हुये थे।
मैं उठा और जाकर दूसरे रूम को खटखटाया।
तो बिनोद ने पूछा- क्या बात है?
तो मैंने उससे कहा- “अरविंद साहब बोल रहे हैं कि अभी बस करो, जाना भी है…”
बिनोद ने कहा- “ठीक है, मैं आता हूँ। तुम चलो…”
और जब मैं वापिस आया तो अरविंद कपड़े पहनकर वापिस आ चुका था और पायल को ₹5000 दे रहा था और बोल रहा था- “अभी ये रख ले कल तेरे पैसे भी दे दूँगा और तुझे भी अपने लण्ड का मजा चखा दूँगा…”
पायल ने मेरी तरफ देखा तो मैंने हाँ में इशारा किया। तो उसने वो पैसे पकड़ लिए और फिर उसने मुझे भी ₹5000 दिए और दीदी को ₹10,000 दिए। तब तक बिनोद भी रूम में से निकल आया था। बिनोद के आते ही अरविंद भी उठ खड़ा हुआ और दोनों फ्लैट से निकल गये और मैं भी उनके साथ गया और जाकर फ्लैट का दरवाजा लाक करके आ गया तो देखा की दीदी अभी तक वैसे ही सोफे पे बैठी अपनी आँखों को बंद किए लंबी-लंबी सांसें ले रही थी और पायल वहाँ नजर नहीं आ रही थी।
मैं समझ गया कि अभी वो बुआ के पास गई होगी।
मैं दीदी के पास आकर बैठ गया और हिम्मत करके दीदी के कंधे पे हाथ रखा और दीदी को अपनी तरफ खींच लिया और बोला- दीदी, आप ठीक हो ना?
दीदी जो कि पहले ही हल्के नशे में थी। आँखों को बिना खोले ही बोली- हाँ भाई, मैं ठीक हूँ।
मेरा लण्ड जो कि दीदी को इस तरह नंगी बैठे देखकर खुद भी नहीं बैठ रहा था कुछ करने के लिए मजबूर कर रहा था और वैसे भी दीदी नशे में थी तो मुझे क्या मना करती? ये ख्याल आते ही मैंने एक हाथ दीदी की गाण्ड पे रख दिया और घुमाने लगा और दूसरा हाथ दीदी की चूचियां पे रख दिया। लेकिन पता नहीं क्यों मेरा दिल नहीं किया और मैं पीछे हट गया।
तभी बुआ ने कहा- “क्यों आलोक? पीछे क्यों हो गये? कर लो जो करना है…”
मैंने कहा- “नहीं बुआ, दीदी अभी नशे में है अभी नहीं जब दीदी नशे में नहीं होंगी तब मैं करूंगा जिससे मुझे और दीदी दोनों को मजा आए…”
बुआ ने हँसते हुये कहा- अगर तब अंजली नहीं मानी तो क्या होगा? हाँ।
मैंने कहा- नहीं बुआ, मैं जानता हूँ कि जब दीदी मेरा लण्ड देखेगी तो मुझे कभी भी मना नहीं करेगी।
बुआ ने कहा- चलो ठीक है, ये बताओ कि खाने के लिए कुछ है या नहीं? बड़ी भूख लग रही है।
मैंने पायल को आवाज दी जो कि बुआ के रूम में ही रुक गई थी और उसके आते ही मैंने बुआ के लिए कुछ खाने के लिए कहा तो वो किचेन से खाना उठा लाई जो कि उसने पहले ही बुआ के लिए रख दिया था और फिर बुआ ने खाना खाया और हम सुबह तक वहाँ ही रहे और फिर घर आ गये। घर आकर मैं अपने रूम में चला गया और कपड़े उतार के एक चादर बाँध ली और सोने के लिए लेट गया।
तभी अम्मी मेरे रूम में आ गई और बोली- “आलोक, ऐसा करो कि मेरे रूम में जाकर सो जाओ आज…”
मैंने कहा- “क्यों अम्मी यहाँ क्या हुआ? सोने दो ना प्लीज़्ज़…”
अम्मी मेरी बात पे हँस पड़ी और बोली- “मेरे रूम में जाने से तुम्हारा ही फायदा है जाओ शाबाश…”
मैं उठकर कपड़े पहनने लगा तो अम्मी ने कहा- आलोक, मेरे रूम में भी तुमने सोना ही है जाओ इसी तरह ही चले जाओ।
मैं अम्मी की बात सुनकर अम्मी के रूम की तरफ चल पड़ा।
और जैसे ही रूम में जाने लगा तो अम्मी ने कहा- “लाइट ओन नहीं करना और जाकर बेड पे लेट जाओ…”
मैं अम्मी की बात पे थोड़ा हैरान भी हुआ लेकिन फिर भी कुछ नहीं बोला और जाकर अम्मी के बेड पे लेट गया तो तब पता चला कि वहाँ कोई और भी था जो कि अपने ऊपर चादर लेकर लेटा हुआ था। क्योंकि मैं अंदर आते वक़्त दरवाजे को बंद कर आया था और पर्दे भी गिरे हुये थे जिसकी वजह से रूम में काफी अंधेरा था जिससे मुझे साफ नजर नहीं आ रहा था। लेकिन इतना नजर तो आ ही रहा था कि मेरे पास बेड पे कोई लेटा हुआ है। मैंने हाथ बढ़ा के उसे हिलाना चाहा तो मेरा हाथ किसी की नरम चूचियों से टकरा गया तो मैं समझ गया कि ये बुआ ही होगी और कोई नहीं हो सकता।
मैंने बुआ के ऊपर से चादर खींच ली और अपना हाथ बुआ की चूचियों की तरफ बढ़ा दिया जो कि चादर के नीचे नंगी ही थीं लेकिन बड़ी सख़्त हो रही थीं। लेकिन बुआ की चूचियों से कुछ छोटी भी थीं। इस बात को महसूस करते ही मैं चौंक गयाि ये कौन है जो यहाँ इस तरह मेरे पास नंगी लेटी हुई है और अम्मी ने भी मुझे इसके पास सोने के लिए बोल दिया है।
अभी मैं लाइट ओन करने का सोच ही रहा था कि वो अचानक मुझे लिपट गई और अपने तपते हुये होंठों को मेरे होंठों पे रख दिया और किस करने लगी। जिससे मैं भी बिना ये जाने कि आखिर ये है कौन? किस करने और चूचियों को दबाने में लग गया।
मैं क्योंकि काफी जोर से उसकी चूचियाों को दबा रहा था जिसकी वजह से उसके मुँह से से- “भाई, आराम से करो ना… प्लीज़्ज़… दर्द होता है इस तरह…”
आवाज सुनते ही मैं खुशी से पागल हो गया क्योंकि वो कोई और नहीं बलकि मेरी बड़ी बहन अंजली ही थी जो कि आज मेरे साथ इस तरह नंगी लेटी हुई थी और मुझसे चुदवाना भी चाहती थी। अब मैं फिर से दीदी को किस करने लगा और साथ ही दीदी की चूचियों को भी मसलने लगा था और दीदी अपने हाथों से मेरे सर को सहला रही थी।
कुछ देर के बाद मैंने दीदी को किस करना बंद कर दिया और दीदी की चूचियों पे अपने मुँह को रख दिया और बारी-बारी से दीदी की चूचियों को दबाने लगा और दीदी के निपल्स को चूसने लगा। अब दीदी मेरे सर को अपनी चूचियां पे दबा रही थी और- “उन्म्मह… भाई…? की आवाज भी करती जा रही थी। अब मैं दीदी की चूचियों से नीचे आया और दीदी के पेट को अपनी जुबान से चाटने लगा और जुबान को दीदी के पेट पे घुमाने लगा और आहिस्ता-आहिस्ता नीचे की तरफ जाने लगा जिससे दीदी और भी ज्यादा मचलने लगी और सिसकियां भरने लगी।
अब मैं दीदी की फुद्दी से थोड़ा ही ऊपर अपनी जुबान को घुमा रहा था। लेकिन दीदी की फुद्दी की तरफ नहीं जा रहा था कि तभी दीदी ने मेरे सर को अपनी फुद्दी की तरफ दबया तो मैंने अपने मुँह को दीदी की फुद्दी की तरफ ले जाने की जगह दीदी की रानों की तरफ आ गया और चाटने और चूमने लगा जिससे दीदी और भी मचलने लगी थी।
जब दीदी ने देखा कि मैं उन्हें जानबूझ के ताटा रहा हूँ तो दीदी ने मेरा सर पकड़ लिया और जबरदस्ती अपनी फुद्दी की तरफ कर दिया और बोली- “भाई, प्लीज़्ज़ यहाँ से चाटो ना…” जैसे ही मैंने दीदी की गिली फुद्दी पे अपनी जुबान घुमाई, दीदी का जिश्म एक बार थोड़ा से अकड़ गया और दीदी के मुँह से- “सस्सीई… आअह्ह… भाई हाँ… इसी तरह यहाँ पे प्लीज़्ज़… ऊओ… भाई इतना मजा…” दीदी की फुद्दी चाटने में मुझे बुआ की फुद्दी से भी ज्यादा मजा आ रहा था जिससे कि मैं दीदी की फुद्दी के अंदर तक अपनी जुबान को घुसाकर चाटने की कोशिश करने लगा, जिससे मेरे साथ दीदी को भी मजा आ रहा था।
दीदी अब मजे की शिद्दत पे थी- “और आअह्ह… भाई, खा जाओ अपनी दीदी की फुद्दी को… रंडी बना दो मुझे… उन्म्मह… ऊओ… अम्मीई, मैं गई…” और इसके साथ ही मेरे मुँह को अपनी फुद्दी के साथ दबा लिया और फारिग़ हो गई…”
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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