Tuesday, October 14, 2014

FUN-MAZA-MASTI चचेरी और फुफेरी बहन की सील--5

FUN-MAZA-MASTI



चचेरी और फुफेरी बहन की सील--5
गतान्क से आगे..............

दोस्तों सब कुछ जानते हुए भी अब मेरा रुक पाना मुश्किल था। मेरे दिमाग में सिर्फ डॉली को चोदने की ही बात थी। मैंने अपने आस-पास नजर दौड़ाई। बेड के बगल में ही ललिता की ड्रेसिंग मेज रखी थी, उसके ऊपर मुझे नारियल तेल की शीशी दिख गई।
मैंने हाथ बढ़ा कर उसको उठा लिया और अंजली की दोनों टांगों को और फैला दिया। अब मैंने अपने एक हाथ में खूब सारा तेल लिया और अंजली की चुनमूनियाँ में लगा दिया। कुछ तेल डॉली की चुनमूनियाँ की दरार के अन्दर भी चला गया।
अब मैंने अपने लंड को तेल से बिल्कुल भिगो लिया। शीशी को वहीं पर रख कर मैं फिर अपनी पीठ के बल लेट गया और अंजली को अपने ऊपर बैठाया। मैंने एक हाथ से अपने लंड को अंजली की कुंवारी चुनमूनियाँ के मुँह में अन्दर करना चाहा, पर मेरा लंड फिसल गया। मैंने यह कई बार प्रयास किया, किन्तु लंड हर बार फिसल रहा था।
इधर उत्तेजना से मेरा हाल बुरा हो रहा था, लग रहा था कि मैं ऐसे ही झड़ जाऊँगा और उधर अंजली का भी बुरा हाल था, उसकी भी साँसें बहुत तेज चल रही थीं।
मैंने तुरंत फिर से अंजली को लिटा दिया और मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में इस तरह बैठा कि मेरा लंड उसकी चुनमूनियाँ के बिल्कुल करीब था।
अब मैंने अपने दोनों हाथों से डॉली की चुनमूनियाँ की फांकों को अलग-अलग किया और कमर हिला कर अपने लंड को डॉली की चुनमूनियाँ के मुँह में सैट किया, फिर मैंने अपने एक हाथ से अपने लंड को सहारा दिया जिससे कि वो अब बाहर ना निकल पाए।
मैंने डॉली की तरफ देखा तो उसने अपनी आँखें बंद की हुई थीं, होंठ भींचे हुए थे। मैंने अपनी कमर से थोड़ा दबाव बनाया, पर लंड डॉली की कुंवारी चुनमूनियाँ में इस बार भी नहीं जा पाया।
फिर मैंने अपने पैरों से डॉली के दोनों पैरों को और फैलाया और दुबारा अपनी कमर से दबाव बनाया। अब की बार मेरे लंड का थोड़ा सा सुपाड़ा ही अंजली की चुनमूनियाँ में गया होगा, लेकिन उसकी चीख निकल गई, चूँकि घर में इस समय कोई और था नहीं। मैंने उसी पोजीशन में और दबाव बनाया।
अबकी बार मेरे लंड का आधा सुपाड़ा अंजली की कुंवारी चुनमूनियाँ में घुस गया था और इधर डॉली लगातार चिल्ला रही थी।
मैंने उसकी कमर को बहुत ही मजबूती से पकड़ रखा था, मैंने अपनी कमर से एक हल्का धक्का मारा, तो मेरा करीब आधा लंड डॉली की चुनमूनियाँ को फाड़ता उसके अन्दर घुस गया।

मैंने डॉली के चेहरे की तरफ देखा तो मोटी आंसुओं की धार बह रही थी।
वो लगातार मुझसे कह रही थी- अब छोड़ दो, मैं मर जाऊँगी, बहुत दर्द हो रहा है !
अब मैं उसी पोजीशन में उसके ऊपर लेट गया और उसके आंसुओं को अपने होंठों से साफ़ किया, फिर उसके होंठों को चूसने लगा। इससे उसका चिल्लाना भी कम हुआ और कुछ ध्यान बंटा।
अपने दोनों हाथों से मैं डॉली की चूचियों को सहलाने लगा। इसी बीच मैंने एक जोर से धक्का अपनी कमर से मारा, जिससे मेरा करीब पूरा लंड डॉली की चुनमूनियाँ में समां गया, चूंकि डॉली के होंठ मेरे होंठों से दबे थे उसकी चीख तो नहीं निकल पाई, लेकिन वो बहुत तेज कसमसाई।
2-4 सेकंड रुक कर मैंने अपनी कमर को ऊपर-नीचे करने के लिए हिलाना चाहा, पर डॉली की चुनमूनियाँ इतनी कसी हुई थी कि मेरा लंड हिल भी नहीं सकता था।
खैर.. मैंने एक और जोर का धक्का मारा, अब मेरा पूरा लंड डॉली की कुंवारी चुनमूनियाँ में समा गया था। अचानक मुझे लगा कि मैं झड़ जाऊँगा।
डॉली की कुंवारी चुनमूनियाँ एकदम गरम भट्टी की तरह मेरे लंड को जलाए दे रही थी। कंट्रोल कर पाना मुश्किल था, तभी मुझे लगा कि डॉली का बदन अकड़ रहा है, उसने अपने हाथ से मेरी पीठ को इतना कस कर जकड़ा कि उसके नाखून मेरी पीठ में चुभ रहे थे।तभी मुझे अपने लंड के झड़ने का भी अहसास हुआ।
मेरी कमर ने 2-3 हिचकोले खाए और लंड ने पूरा लावा डॉली की कुंवारी चुनमूनियाँ में ही उगल दिया।
हम दोनों उसी अवस्था में थोड़ी देर लेटे, फिर डॉली ने अपने हाथ से मुझे अपने ऊपर से हटाने की कोशिश की, तो मैं हट गया।
उसने उठने की कोशिश की, पर उठ नहीं पाई। मैंने देखा कि उसकी चुनमूनियाँ का बुरा हाल था, दोनों फांकें फूल कर पाव की तरह हो गई थीं और उसकी चुनमूनियाँ से अभी भी खून निकल रहा था जोकि उसकी जाँघों से होकर नीचे जमा हो रहा था।
मैं तुरंत उठा एक अखबार उठा कर बेड की चादर उठा कर उसके नीचे रख दिया, जिससे कि खून गद्दे में ना जाने पाए और एक पुराना कपड़ा लेकर मैंने डॉली की चुनमूनियाँ और जाँघों में लगा खून साफ़ कर दिया, वरना वो घबरा जाती।
उसी कपड़े को मैंने उसके चुनमूनियाँड़ उठा कर बिछा दिया। अब खून कहीं दिखाई नहीं दे रहा था।
फिर मैंने डॉली को सहारा देकर उठाया, उठते ही उसने अपनी चुनमूनियाँ को झाँक कर देखा, वहाँ ज्यादा खून देख कर शायद उसको आश्चर्य हुआ और उसने मेरी तरफ देखा।
अब मैंने उसको अपनी गोद में बिठा लिया और उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया, क्योंकि मैं उसको अभी एक बार और चोदना चाहता था।
मेरे दोनों हाथ उसकी पीठ से होते हुए उसकी चूचियों को सहला रहे थे।
अब मैंने अपनी जीभ को डॉली के मुँह के अन्दर डाल दिया। पहली बार अंजली ने भी चुम्मन क्रिया में मेरा सहयोग किया। मैंने अपना एक हाथ धीरे से डॉली की चुनमूनियाँ पर लगाया, तो उसने अपने पैरों को थोड़ा और खोल दिया। मैंने अपनी ऊँगली से उसकी चुनमूनियाँ की दरार को सहलाया। वो अभी भी वैसी ही टाइट थी, बिल्कुल जरा सा अंतर आया था। अब मेरी उंगली उसकी चुनमूनियाँ की दरार में चल रही थी।
मैं उसकेजी-पॉइंटको भी सहला देता था। अब डॉली कुछ जोश के साथ मेरे चुम्बन का जवाब दे रही थी, मेरी जीभ को कस कर चूस रही थी।
मेरा लंड तो टाइट था ही, मैंने अपने हाथ को उसकी चूचियों से हटाया और उसके हाथ को लेकर अपने लंड को पकड़ा दिया।
वो बिना देखे ही उसको सहलाने लगी। उसके नरम हाथों के स्पर्श से मेरे लंड में नई जान गई। मैंने डॉली को थोड़ा पीछे की ओर झुकाया और अपना मुँह उसकी चूची में लगा दिया।
मैंने खूब जोर लगा कर उसकी चूची को पीना शुरू किया और दूसरी चूची को हाथ से मसलना, कमरे में डॉली की सिसकारियाँ गूंज उठीं। फिर इसी तरह जोर से मैंने उसकी दूसरी चूची को भी पीया, अब मैंने डॉली की आँखों में देखा तो मुझे लगा कि वो भी दुबारा चुदाई के लिए तैयार है।
मैंने उसको फिर से लिटा दिया और उसके पैरों के बीच बैठ गया। इस बार मैंने उसके दोनों पैर उठाए और एक तकिया उसकी गाण्ड के नीचे रखा और उसके पैरों को अपने कंधे पर ले लिया।
डॉली की चुनमूनियाँ और मेरे लंड में तेल तो पहले से ही लगा था। मैंने अपने लंड को डॉली की चुनमूनियाँ के मुँह में सैट किया।
वह मेरी तरफ देख कर बोली- ज़रा धीरे से ! उस बार मेरी जान निकलते बची थी !
मैंने कहा- अब परेशान मत हो, अब उतना दर्द नहीं होगा !
लंड को सैट करके मैंने अपनी कमर का हल्का सा धक्का दिया तो इस बार लंड फिसला नहीं बल्कि चुनमूनियाँ में थोड़ा सा चला गया।
डॉली थोड़ा कसमसाई, पर पकड़ मजबूत थी। मैंने तुरंत दूसरा जो से धक्का मारा, इस बार लंड टाइट चुनमूनियाँ की दीवारों को रगड़ता हुआ आधा घुस गया।
डॉली बोली- भैया, अब बस इससे ज्यादा मत घुसेड़ोमेरी चुनमूनियाँ में बहुत दर्द हो रहा है !
मैंने कहा- देखो, पहले तो अब भैया कहना बंद करो, क्योंकि अब तुम्हारी चुनमूनियाँ में मेरा लंड घुसा हैऔर रही दर्द की बात, तो अभी ख़त्म हो जाएगा !
यह कहते हुए मैंने एक जोर का धक्का अपनी कमर से मारा, अबकी मेरा लंड पूरी तरह डॉली की चुनमूनियाँ में घुस गया। वो बड़ी तेज चीखी और अपना सर झटकने लगी, मैं उसी पोजीशन में रुक गया।
मैं अपने हाथों से उसके गालों को सहला रहा था, 2-4 सेकण्ड के बाद मैंने बहुत धीरे से अपनी कमर को हिलाने की कोशिश की, फिर थोड़ा और हिलाया। इस तरह मैंने बहुत ही संभाल कर अपनी कमर को आगे-पीछे करना शुरू किया।
मैंने देखा कि डॉली भी कुछ सामान्य हो रही थी, फिर मैंने थोड़ा सा जोर लगाकर धक्के लगाने शुरू किए। डॉली की टाइट चुनमूनियाँ में मेरा लंड बिल्कुल जकड़ा हुआ चल रहा था।
अब शायद डॉली को कुछ अच्छा लगा क्योंकि अब वो चुप हो गई थी। मैंने उसके बाल सहलाते हुए पूछा- जान.. अब कैसा लग रहा है?
मेरे मुँह से अपने लिएजानसुन कर पहले तो उसने मेरी आँखों में देखा, फिर उसने अपने हाथ मेरी पीठ पर कस दिए और अपनी आँखें बंद कर लीं।
अब मैंने अपने धक्कों की स्पीड थोड़ा बढ़ा दी, मुझे ऐसा लगा जैसे डॉली भी अपनी कमर को थोड़ा बहुत हिलाने की कोशिश कर रही है।
मैं और जोश में गया और इस बार मैंने करीब अपना आधा लंड बाहर करके स्पीड के साथ डॉली की चुनमूनियाँ में घुसेड़ दिया।
डॉली एकदम चिहुंक गई, आँखें खोल कर मेरी तरफ देखा और बोली- क्या जान की जान ही ले लोगे आज?
मैंने उसको चूमते हुए कहा- नहीं मेरी जान!
फिर आराम से धक्के पर धक्के लगते रहे, अब कमरे में डॉली की चीखों की जगह उसकी सिसकारियाँ और मेरी तेज-तेज साँसें सुनाई दे रही थीं।
अचानक मुझे लगा कि डॉली की पकड़ मेरी पीठ पर टाइट होती जा रही है। उसके नाखून मेरी पीठ में धंसने लगे, मैं समझ गया कि यह अब झड़ने वाली है। मैंने भी अपने धक्कों की स्पीड को बढ़ा दिया, अचानक हम दोनों के बदन थरथराये, हम एक साथ ही झड़ने लगे।
मेरे लंड से गरम-गरम लावा निकल कर डॉली की चुनमूनियाँ में भरने लगा। हम दोनों ने एक-दूसरे को बहुत ही जोर से जकड़ लिया।
दोस्तो, हम दोनों उसी अवस्था में करीब आधे घंटे तक बिल्कुल नंगे एक-दूसरे से लिपटे हुए लेटे रहे।
फिर मैं उठा, बाथरूम में जाकर अपनी जांघों वगैरह में लगे खून को साफ किया, फिर डॉली को गोद में उठा कर बाथरूम में ले जा कर उसकी सफाई की। उसको बेड पर लिटाने के बाद, मैंने रसोई में से एक गिलास दूध गुनगुना करके डॉली के पास आया।
उसको अपनी गोद में बिठा कर दूध पिलाया, थोड़ा सा मैंने भी पिया।
फिर मैंने उससे कहा- जान अब धीरे से उठो और कपड़े पहनो !
क्योंकि बेड भी सही करना था।
खैरडॉली धीरे से उठी, अपने कपड़े पहने, मैंने भी पहन लिए, फिर उसने बेड से चादर हटाई, पेपर हटाए और दूसरी चादर बिछा कर बेड सही कर दिया।
अब मैंने उसको गले से चिपका कर पूछा- जान कैसा लगा तुमको !
तो वो भी मेरे सीने से चिपक गई और बोली- जैसा ललिता ने बताया था, उससे बहुत अच्छा !
मैंने उसके चहरे पर बहुत सी चुम्मी ले डालीं। उसने भी मुझे उसी तरह जवाब दिया।
मैंने घड़ी देखी, ललिता के स्कूल से आने का समय हो गया था।
मैंने डॉली को कहा- मैं अभी जा रहा हूँ ! और यह कह कर मैं अपने पोर्शन में गया।
यह थी मेरी फुफेरी बहन डॉली की सील तोड़ने की सच्ची कहानी
  समाप्त











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