Saturday, October 11, 2014

FUN-MAZA-MASTI आय्याश बाप और बेटी--1

FUN-MAZA-MASTI

 आय्याश बाप और बेटी--1



डॉक्टर डॉली शर्मा पेशे से डॉक्टर है और एक सरकारी अस्पताल में जॉब करती है, पर दुर्भाग्य से वो अब विधवा है।
डॉली की उम्र 24 वर्ष है, उसका कोई बच्चा नहीं है, उसका पति भी एक डॉक्टर था, दो साल पहले एक दुर्घटना में उसकी मृत्यु हो चुकी थी।
उसका पति राहुल उसे बहुत प्यार करता था। दोनों की लव-मैरिज थी। शायद यही वजह है कि अभी तक वो दूसरी शादी के लिए नहीं सोच पा रही थी।
उसके पिता मिस्टर रणजीत कुमार सिंह, जो पुलिस में उच्च पद पर कार्यरत हैं। उसकी माँ ममता एक गृहिणी हैं।
इन दोनों की अकेली संतान डॉली अपने भाग्य से समझौता करके अपने मम्मी-पापा के साथ दिल्ली में रहने लगी।
वो अलीगढ़ से अपने जॉब का ट्रान्स्फर करवा कर दिल्ली गई। यहाँ उसकी एक ही सहेली थी डॉक्टर नेहा सूद, जो विवाहित थी और अब उसके साथ ही काम करती है।
मिस्टर रणजीत कुमार सिंह एक नशीले और रंगीन किस्म के इंसान हैं। वो जब मुजरिमों के पीछे जाते हैं तो वो हमेशा नशे में होते हैं, पर अपने काम को अंजाम ज़रूर देते हैं।
अपने विभाग में उनका एक अलग रुतबा है, सफलता उनके हाथ ज़रूर लगती है।
उनकी दूसरी लत है कि उनको लड़की रोज चाहिए। जब तक कोई लड़की को चोद नहीं लेते, उनको नींद नहीं आती थी।
वैसे ममता भी कम सेक्सी नहीं है, पर वो मर्यादा में रह कर सेक्स करती थी।
ममता शादी से पहले से ही चुदवा चुकी थी, जिसका पता रणजीत को भी है। ममता शादी से पहले प्रेग्नेंट थी।
उसे कॉलेज के दिनों में अपने ब्वॉय-फ्रेण्ड से प्यार हो गया था और प्यार में इतने आगे बढ़ गई कि उसका परिणाम डॉक्टर डॉली है। उसके बाद उसका ब्वॉय-फ्रेण्ड ना जाने कहाँ चला गया।
ममता का पेट बढ़ता चला गया, आनन-फानन में उसके माता-पिता ने उसकी शादी रणजीत से कर दी।
रणजीत के पिता और ममता के पिता दोनों बचपन के दोस्त हैं। रणजीत के पिता एक गाँव के ज़मींदार थे, सो उनका फ़ैसला अटल था। उसे रणजीत भी नहीं तोड़ सकता था।
अपने पिता की इच्छा को पूरी करने हेतु उसने शादी के लिएहाँकर दी।
पर रणजीत भी बड़ा हरामी था सुहागरात को ही अपनी बुराइयों के बारे में ममता को बता दिया और कहा- मैं आगे भी ऐसा ही करूँगा, जब तक कि किसी लड़की को चोदूँगा नहीं.. मुझे नींद नहीं आएगी।
ममता ने कहा- मुझे कोई आपत्ति नहीं है, पर मर्यादा में रह कर सब करेंगे।
यह वादा आज से 25 वर्ष पहले हुआ था जो कि आज भी चालू है, पर दोनों डॉली से बहुत प्यार करते हैं।
डॉली की ऐसी दशा देख कर दोनों चिंतित रहते हैं।
दोनों ने कहा भी कि डॉली तुम दूसरी शादी कर लो, पर इसके लिए डॉली तैयार नहीं हुई।
अब गाड़ी ऐसे ही चली जा रही थी।
डॉक्टर डॉली ज़्यादातर घर में खाली ही रहती थी और अपनी रिसर्च और मरीजों के बारे में सोचती रहती थी।
उसका ओपीडी सप्ताह में 3 दिन रहता है और बाकी दिन मेडिकल के स्टूडेंट्स को पढ़ाती थी।
वो अपने बारे में कभी सोचती ही नहीं, कभी-कभार हँसी-मज़ाक भी सिर्फ डॉक्टर नेहा से कर लेती थी।
अपने दिल की बात सिर्फ़ डॉक्टर नेहा से ही करती थी, जो कि एक ही विभाग में थी। इन दोनों का विभाग महिला रोगों से सम्बंधित था।
एक दिन डॉक्टर नेहा ने अपने घर पर एक पार्टी रखी।
उसका घर डॉली के घर से एक किलोमीटर की दूरी पर है। डॉक्टर डॉली ने भी भाग लिया पर वो डान्स नहीं कर सकी।
उसे अजीब सा लगा, जिसका निरीक्षण नेहा और उसका पति रोहित कर रहे थी।
नेहा ने कहा- यार विधवा होने का मतलब ये थोड़े ही है कि तुम हंसो भी नहीं, मुस्कुराओ नहीं.. अब तुम्हीं बताओ यार.. इसमें तुम्हारा क्या दोष है? तुम अभी भी अपना घर बसा सकती होतुमहाँतो कहो। मेरे पास है एक लड़का.. मेरे भाई का दोस्त है, बड़ा अच्छा लड़का है। इंजीनियरिंग कर रहा है, कहो तो बात करें.. तुमसे दो साल छोटा होगा, पर कोई बात नहीं, पहले तुम देख कर बताओ और वैसे भी वो आने वाला है, मैं तो कहती हूँ कि तुम उससे शादी कर लो और भूल जाओ कि तुम एक विधवा हो।
इसका जबरदस्त समर्थन उसका पति ने भी किया।
डॉली कुछ नहीं बोली और सिर झुकाए हल्की-हल्की सिसक़ती रही थी।
जब वातावरण और मायूस हो गया तो नेहा ने कहा- चलो खाना खाते हैं, मेहमान भी खाना ख़ाने के लिए इन्तजार कर रहे हैं।
नेहा ने सारे मेहमानों से डॉक्टर डॉली को मिलाया।
डॉक्टर डॉली इस समय एक सूती साड़ी में थी। फिर भी वो किसी से कम नहीं थी। सबसे अच्छी चीज़ थी उसकी गाण्ड और मम्मे जबरदस्त उभार लिए हुए थे। सभी की नज़र उसी पर थी। क्या माल है, पर कुदरत की यही मर्जी थी तो क्या करेंउसके आगे किसकी चलती है।
डॉली ने भी एक प्लेट ली और थोड़ा सा खाना लेकर खाने लगी।
उसने पहला कौर जैसे ही लिया कि सामने से नेहा का मुँह बोला भाई राज गया जिसके बारे में नेहा कह रही थी।
वो आते ही नेहा से गले लग गया और शादी की सालगिरह की मुबारकवाद दी।
जैसे ही वो घूमा, डॉली से टकरा गया और डॉली की चम्मच नीचे गिर गई।
राज ने कहा- सॉरीमैं दरअसल जल्दी में था और आपसे टकरा गया।
उसके नम्र स्वाभाव पर डॉली प्रभावित हो गई। वो उसे गौर से देख रही थी।
क्या लड़का है गोरा, लम्बा, आकर्षक व्यक्तित्व और सबसे बड़ी बात कि विनम्र स्वभाव वाला बन्दा..!
डॉली ने कहा- अरे कोई बात नहीं…!
वो चम्मच उठाने लगी, साथ-साथ राज ने भी झुक कर कहा- रहने दीजिए मैं उठाता हूँ।
राज ने चम्मच उठा लिया और एक वेटर को बुला कर चम्मच दे दी और दूसरी चम्मच ले ली।
तभी नेहा गई और राज का परिचय डॉली से कराने लगी।
ये मेरा सबसे अच्छा भाई है राज.. इंजीनियरिंग फाइनल ईयर में है और अभी-अभी टीसीएस में चयनित हुआ है। और जॉब भी दिल्ली में ही करेगा।
डॉली ने कभी राज को तो कभी नेहा को देखा। वो सोच रही थी कि ये सब मुझे क्यों बता रही है। पार्टी में तो और भी लोग आए हुए हैं तो फिर ये सिर्फ़ राज के बारे में इतनी दिलचस्पी क्यों ले रही है?
तभी नेहा ने अपनी बात समाप्त करते हुए बोला- जिसके लिए तुमसे बात की थी, ये वही लड़का है।
डॉली चौंक गई और गौर से राज को देखा और शर्मा गई। डॉली ने शर्मा कर नज़रें फेर लीं।
नेहा ने कहा- कैसा लगा? सही.. सही बताओ।
डॉली ने कुछ नहीं बोली।
सिर्फ़ इतना ही बोली- मुझे नहीं मालूम।
पार्टी के अंत में नेहा ने डॉली को घर तक छोड़ दिया, जब डॉली घर के दरवाजे के पास पहुँची तो नेहा ने कहा- डॉली, तुम एकांत में और ठंडे मन से एक बार ज़रूर सोचना, ये तेरी जिन्दगी की बात है ओके..!
नेहा इतना कह कर चली गई।
डॉली भी अपने घर में गई।
माँ ने दरवाजा खोला, पूछने पर पता चला कि रणजीत कहीं कोई केस के सिलसिले में गए हुए हैं।
वो सीधे गुसलखाने में गई और तरो-ताजा होने के बाद अपने बिस्तर पर जाकर लेट गई और उस लड़के के बारे में सोचते-सोचते सो गई।
आज पहली बार किसी मर्द के लिए उसने सोचा, वो एक-एक पल को गौर से याद करने लगी और उसने सोचा कि क्या मस्त लड़का है।
राज के शरीर की बनावट और स्वाभाव और उच्च संस्कार, उसके गठीले बदन को सोचने मात्र से ही डॉली आनन्द में गोते लगाने लगी।
पहली बार उसने किसी दूसरे मर्द के बारे में कुछ सोची थी।
उसके माँ और पापा ने शादी के लिए कई ऑफर दिए, पर ये लड़का उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था, पर वो डरती थी कि कहीं राज मना कर दे।
वो तो कुंवारा है और मैं विधवा हूँ। अभी वो इसी उधेड़बुन में थी कि तभी नेहा का फोन गया।
कैसी हो, क्या सोचा?’
डॉली ने कहा- किस बारे में?
अरे वही.. राज के बारे में..!’
तुम भी ना..चल सुबह बात करते हैं।
डॉली ने फोन स्विच ऑफ कर दिया, पर वो बुरी तरह शर्मा गई और उल्टी होकर सो गई।
रात को रणजीत को एक होटल में छापा मारना था, उसने अपनी टीम के साथ पूरे होटल को घेर लिया और फिर ऑपरेशन शुरू कर दिया।
बड़ी संख्या में अभिसार-रत जोड़ों को पकड़ा गया जो अवैध संबध में लिप्त थे।
इस ऑपरेशन को रणजीत ही लीड कर रहा था।
सभी को गाड़ियों में बिठाया कि अचानक रणजीत की नज़र एक कमसिन लड़की पर पड़ी जो काफ़ी उदास थी।
उससे पूछने पर वो फफक कर रोने लगी।
रणजीत ने उसे चुप कराया- कोई बात नहीं, तुम चुप रहो, मैं देखता हूँ और यदि तुम निर्दोष होगी तो मैं तुम्हें अपने घर जाने दूँगा, पर कार्यवाही तो करनी ही होगी।
वो लड़की रणजीत के पैरों पर गिर गई- प्लीज़ सर.. मेरी रिपोर्ट दर्ज ना करें.. बड़ी बदनामी होगी.. सर मैं कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।
रणजीत ने उसे गौर से देख रहा था, वो एक ब्लू-जीन्स और एक टॉप पहने हुए थी। ऐसा लगता है कि कोई कॉलेज-गर्ल हो।
ओके.. ठीक है, तुम इन सभी को ले जाओ और इसे छोड़ दो।रणजीत ने अपने असिस्टेंट को कहा।
सभी लोग चले गए अब सिर्फ़ रणजीत और वो लड़की ही रह गए।
रणजीत- तुम्हारा नाम क्या है?
लड़की- ललिता।
रणजीत- क्या करती हो?
ललिता- मैं स्टूडेंट हूँ और पास ही एक हॉस्टल में रहती हूँ।
रणजीत- कहाँ की रहने वाली हो?
ललिता- जी.. मैं वेस्ट-बंगाल की।
रणजीत- तुम इस होटल में क्या कर रही थी, मेरा मतलब है किस लिए आई थी?
उस लड़की ने कुछ नहीं बोला और नजरें नीचे कर लीं।
रणजीत ने अपना प्रश्न दुबारा पूछा। इस बार उसने पुलिसिया अंदाज़ में पूछा- सच-सच बता..!
ललिता- जी.. एक लड़का लाया था.. मुझे कुछ पैसे की ज़रूरत थी.. तो !
रणजीत- ह्म्म.. इसका मतलब है कि पैसे के लिए किसी के पास भी जा सकती हो?
ललिता- जी नहींपर मुझे…!
रणजीत- अच्छा चलो तुम्हारे घर में कौन-कौन है?
ललिता- मेरे पापा और माँपापा रिटायर्ड अध्यापक हैं और माँ गृहिणी।
रणजीत- तुम इतने अच्छे घर से हो तो फिर..!
ललिता धीरे से बोली- मैं बहक गई थी।
रणजीत उस लड़की को माल की नजर से देखता हुआ अपने लौड़े पर हाथ फेरने लगा।
रणजीत- वो लड़का कौन था और मुझे पूरा मामला एक बार में बताओ। अगर तुमने मुझे सच-सच बताया तो मैं तुम्हें छोड़ दूँगा, अन्यथा मुझे तुमको गिरफ्तार करना पड़ेगा।
ललिता भी समझ गई कि इससे कुछ भी छुपाना बेकार है, उसने सच-सच बताना शुरू कर दिया।
साथ ही ललिता ने रणजीत की नजर को भी समझ लिया था और वो सोच रही थी कि यदि रणजीत उसको छोड़ देगा तो वो इसके ऐवज में रणजीत के साथ हमबिस्तर होने को भी राजी थी।
ललिता- वो मेरे साथ पहले पढ़ता था। एक कॉलेज पार्टी में मिला था। उसने कहा कि वो मुझे पसंद करता है, काफ़ी दिनों से मेरे पीछे पड़ा हुआ है।
एक दिन अचानक उसका फोन आया मैं उस समय परेशान थी क्योंकि कॉलेज की फीस जमा करने की आज आखरी तारीख थी। पापा का मनीऑर्डर नहीं आया था।
मैंने उस लड़के से मदद के लिए कहा तो उसने कहा कि कोई बात नहीं तुम जाओ और ले लो।
उसने इसी होटल के कमरे का पता दिया था। मैं उसके पास 6 बजे गई, उसने 500 के 8 नोट दे दिए और जब जाने लगी तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे अपने सीने से लगा लिया।
मैं थोड़ा विरोध करने लगी तो उसने कहा कि मेरी जान में तुमसे प्यार करता हूँ, मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ। दरअसल मैं भी उससे प्यार करने लगी थी, पर ये प्यार का अंदाज़ देखकर मैं चौंक गई।
यह तो बलात्कार था, अब उसका दबाव बढ़ रहा था। उस कमरे में कोई नहीं था, सारे कमरे का माहौल बड़ा ही मोहक और शान्त था, उसके हाथों का स्पर्श पाते ही मेरा नारीत्व हिल गया। अब मुझे भी मज़ा मिलने लगा था, अब मैं विरोध नहीं कर रही थी।
वो मुस्कुराया और मेरे होंठों को चूमते हुए बोला कि मेरी जान आज मैं तुम्हें बताऊँगा कि जवानी क्या होती है।
तुम आज की रात मेरी बीवी होमैं तुम्हें एक मर्द का प्यार दूँगा और अपने कपड़े मेरे सामने ही खोलने लगा। देखते-देखते वो नंगा हो गया।
उसके लंड को देखकर मैं चौंक गई, ये लंड नहीं गधे का लंड था।







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