FUN-MAZA-MASTI
भाई बहन का प्यार--1
संजय : 25 साल, शादीशुदा युवक
मनोहर : संजय के पिताजी
सीता देवी : संजय की माताजी
सुष्मिता : संजय की बुआ
सुरेन्द्र : संजय के फ़ूफ़ा (सुष्मिता बुआ के पति)
सविता : 22 साल, संजय की बहन
निर्मला : 22 साल, संजय की बुआ की लड़की
अशोक : 27 साल का संजय की बुआ का लड़का
सुधा : 26 साल की संजय की भाभी (अशोक की बीवी)
सब लोग मुंबई में ही रहते हैं : संजय का परिवार मीरा रोड पर और बुआ का परिवार रहता है अंधेरी वेस्ट पर !
यह बात छः महीने पहले की है जब संजय के पिताजी मनोहर ने सुरेन्द्र से दो लाख रुपए कुछ महीने पहले उधार लिए थे।
तो एक दिन पिताजी ने संजय को दो लाख रुपए से भरा बैग देकर कहा- ज़ाओ अपनी बुआ के घर जा कर यह दे आओ।
संजय नाश्ता करके बैग लेकर सीधा अपनी बुआ के घर पहुँच गया। समय दोपहर का एक बजा होगा।
आगे की कहानी संजय की जुबानी !
मैंने डोर-बेल बजाई लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। मैंने 3 बार कोशिश की लेकिन किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला। मैंने दरवाज़े को धक्का दिया तो दरवाज़ा खुल गया, मैं जूते निकाल कर दरवाज़े को बंद करके सीधा अंदर गया और बुआ को आवाज़ देने लगा।
फिर मैं सीधा किचन में गया। वहाँ पर भी कोई नहीं था। फिर मैंने बुआ के बेडरूम के पास जा कर देखा कि बेड रूम लॉक है। मैं वहाँ से निर्मला के बेडरूम के पास गया और दरवाज़े को धकेला, दरवाज़ा खुला ही था। मैं अंदर गया और देखा कि निर्मला सिर्फ़ लाल रंग की पैंटी पहने हुए थी और अपने बाल तौलिये से सुखा रही थी।
वाह ! क्या नज़ारा था ! क्या मम्मे-चूची थी- एकदम दूध की तरह सफेद और गोल-गोल और कड़क और उसका फिगर- वाऽऽह ! 32-34 मम्मे, 25 कमर और 34 गाण्ड !
और मेरा लंड पैन्ट में खड़ा होने लगा। मेरे अंदर की वासना जाग गई क्योंकि मैंने एक महीने से चुदाई नहीं की थी क्योंकि मेरी पत्नी की तबीयत खराब चल रही थी और डॉक्टर ने साफ मना किया था।
मैंने सोचा- मस्त माल है क्यों ना मज़ा ले लूं ! मैंने बैग को नीचे रखा और सीधा निर्मला के पीछे गया और चूचियों पर हाथ रख कर गर्दन पर चुम्बन करने लगा।
निर्मला एक दम घबरा गई और मेरा हाथ पकड़ कर चिल्लाई- कौन हो तुम> यह क्या कर रहे हो? निकल ज़ाओ मेरे कमरे से बाहर !!
तो मैंने उसके कान में धीरे से कहा- मैं हूँ तुम्हारा संजू ! ( सब लोग मुझे संजू कहकर बुलाते थे)
संजू !! (उसने मेरी आवाज़ से पहचान लिया था) तुम यह क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं !
तुम अंदर कैसे आए?
मैंने कहा- दरवाज़ा खुला था और मैंने जब बुआ और तुमको आवाज़ लगाई तो किसी ने जवाब नहीं दिया तो मैं तुम्हारे कमरे में देखने आया कि तुम हो या नहीं ! और अंदर आकर देखा तो तुम नंगी खड़ी हो।
इतना कहते ही मैंने फिर निर्मला को अपनी बाहों में लिया और चूची पर हाथ रख कर धीरे धीरे मसलने लगा और उसकी तारीफ करने लगा- तुम कितनी सुंदर हो ! ऐसी सुंदर लड़की मैंने आज तक नहीं देखी। गले पर चूमने लगा और लंड को उसकी गाण्ड पर रगड़ने लगा।
निर्मला छटपटाने लगी और बोली- मुझे छोड़ दो भैया !
मैंने कहा- निर्मला, प्लीज़ !
और एक हाथ नीचे ले जा कर उसकी पैन्टी में डालने लगा और बोला- निर्मला तुम असल में अप्सरा से भी बहुत सुंदर हो ! अगर तुम मेरी पत्नी होती तो मैं तुमसे ही चिपका रहता ! एक पल भी अलग नहीं होता।
इतने में निर्मला ने मुझे धक्का दिया और कहने लगी- नहीं भैया ! यह पाप है आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते ! तुम अपनी बहन के साथ ऐसा नहीं कर सकते !
मैंने कहा- मैं तुम्हारा भाई नहीं हूँ, हम आज से हम दोस्त हैं बॉय फ्रेंड और गर्ल फ्रेंड की तरह ! और दोस्ती में यह सब ज़ायज़ है।
मैं अपने दोनों हाथों से निर्मला के चेहरे को पकड़ कर चूमने लगा और एक हाथ से बाईं बूब को मसलने लगा। मैंने फिर निर्मला को बेड पर लिटा लिया और निर्मला के उपर आकर चूची को मुँह में लेकर को चूसने लगा और एक हाथ को चूत के ऊपर रख कर मसलने लगा।
दोस्तो, अब निर्मला ने साथ देना शुरू कर दिया और धीरे धीरे बोलने लगी- नहीं भैया ! प्लीज़ मत करिए !
और मैंने खड़े होकर जल्दी से अपने कपड़े उतारे और पूरा नंगा हो गया। फिर मैं निर्मला के ऊपर आया और उसको बाहों में लेकर आंख से आंख मिलाकर कहने लगा- वास्तव में तुम बहुत सुंदर और सेक्सी हो ! आई लव यू ! निर्मला आई लव यू ! निर्मला आज मैं बहुत खुश हूँ कि एक अप्सरा जैसी लड़की के साथ मस्ती कर रहा हूँ !
वो अपनी आँखें बंद करके बोली- भैया आप बहुत गंदे हो ! मैं आपके साथ कभी भी बात नहीं करूंगी !
मैंने कुछ नहीं कहा और एक हाथ से चूची की घुंडी को ज़ोऱ-ज़ोऱ से मसलने लगा और वो छटपटाने लगी और सिसकारी निकालने लगी- ओइए माआआआ ओइए ! माआआआआआ !
मैंने भी उसे चूमना चालू कर दिया और वो भी साथ देने लगी। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली तो वो भी मेरी जीभ को चूसने का प्रयास करने लगी। करीब 5 मिनट के बाद मैंने उस का हाथ लेकर मेरे लंबे और मोटे लंड पर रख कर कहा- लो मेरे लंड से खेलो !
वो शरम के मारे आंख बंद करते हुए हाथ छुड़ाकर बोली- नहीं ! मैं नहीं खेलूंगी, तुम मुझे छोड़ दो !
मैंने कहा- एक बार हाथ में लोगी तो फिर कभी नहीं छोड़ोगी ! और उसको ज़बरदस्ती हाथ में पकड़ा दिया और उसका हाथ पकड़ कर हिलाने लगा। मेरा लंड करीब 9 इंच का है और हाथ लगने से और भी टाइट और लंबा होकर तड़पने लगा। निर्मला उसको देख कर घबरा गई और बोली- यह तो बहुत ही बड़ा है ! मैं नहीं लूंगी अपने हाथ में ! मुझे डऱ लगता है !
मैंने कहा- कैसा डर ? तुम एक जवान लड़की हो ! इस लंड को आज कल की लड़कियाँ अपनी चूत में लेने के लिए तड़पती हैं तुम इतनी बड़ी हो कर भी डरती हो ? कल जब तुम्हारी शादी होगी और तुम्हारा पति तुमको सुहागरात में चोदेगा तो तुम क्या करोगी ? डर के मारे तुम वापस अपने मायके आओगी या फिर पति से चुदवाओगी?
निर्मला बोली- तुम इतनी गन्दी बात क्यों कर रहे हो? मुझे तो बहुत शरम आ रही है, प्लीज़ ऐसी गंदी बात मत कऱो !
मैंने कहा- निर्मला तूने कभी अपनी मम्मी और डैडी की चुदाई देखी है?
दोस्तो, मैं उसकी शरम को हटाना चाहता था और उसको पूरी तरह से उकसा रहा था और मैं उसका हाथ अपने लंड पर रख कर धीरे धीरे से सहलाने लगा था।
तो वो बोली- नहीं !
इसलिए तो तुम को मालूम नहीं है कि चुदाई करते समय किस किस तरह की बातें होती हैं !
उसने मुझसे पूछा- भैया, आप भी भाभी के साथ ऐसे ही बातें करते हो?
मैंने कहा- हाँ !इससे भी ज्यादा गंदी !
तो वो आश्चर्य-चकित होते हुए बोली- आपको शरम नहीं आती?
मैंने कहा- पहले बहुत शरम आती थी, अब नहीं ! क्योंकि हम लोगों आदत पड़ गई है और हमको सिखाने वाली कौन है, तुमको पता है ? नहीं ? अगर बता दिया तो तुम पागल हो जाओगी सुन कर ! और शायद तुम मेरा विश्वास भी नहीं करोगी !
तो वो बोली- कौन है?
मैंने कहा- पहले तुम अन्दाज़ा करो ! बाद में मैं तुम्हें बताऊंगा !
वो बोली- तुमको बताना हो तो बताओ, नहीं तो भाड़ में जाओ !
मैंने कहा- बताता हूँ- और बोल पड़ा- तुम्हारी मम्मी ! मेरा मतलब- बुआ !
तो बोली- मेरी मम्मी ?
मैंने कहा- हाँ ! तेरी मम्मी !
मैं नहीं मानती !
मैंने कहा- मत मानो ! लेकिन मैंने तुम्हें अगर सबूत दिया तो तुम मुझे क्या दोगी?
वो बोली- पहले सबूत, बाद में मैं तुझे क्या दूँगी, तुम को बाद में पता चल जाएगा !
तो मैंने कहा- तुम को एक काम करना पड़ेगा !
क्या, कैसा काम ? मैं कोई काम नहीं करूंगी !
मैंने कहा- ऐसा वैसा कुछ नहीं बस मेरी आइडिया मानो और मैं जो कहूँ, तुम वैसा करो !
दोस्तो मैं बातें करते हुए उसकी चूत में अंगूठाअ और उंगली डाल कर दाने को मसलने लगा था, वो बातें करते हुए तड़प रही थी और मेरे को बोल रही थी कि छोड़ दो भैया प्लीज़ ! आप ऐसा मत करो ! मुझे बहुत दर्द हो रहा है ! आप बहुत खराब हैं !
मैंने उसे कहा- आज रात को जब सब लोग सो जाए तो तुम बिना आवाज़ किए ही मम्मी के कमरे के दरवाजे पर अपना कान लगा कर उनकी बातें सुनना ! तभी तुम को पता चलेगा कि कौन सच्चा है और कौन झूठा है !
तो बोली- ठीक है ! मैं आज ही पता कर लूंगी !
मैं चूत में उंगली डाल कर चूत के दाने को मसलने लगा और अब वो मेरे काबू में आने लगी और मीठी मीठी सिसकारी लेने लगी। उसकी चूत से पानी भी बहने लगा था। मैंने अब नीचे आकर उसकी चूत को हाथों से खोला और चूत के पास मुँह रख कर चूत को सूंघने लगा।
वाह ! क्या मीठी सुगंध थी ! ऐसी सुगंध तो मोंट ब्लांक के पर्फ्यूम में भी नहीं आती होगी ! मैं तो पूरा मदहोश हो गया और स्वर्गलोक के कमल के फूल की कल्पना करने लगा।
तभी निर्मला बोली- भैया, वहाँ मुँह लगाकर क्या कर रहे हो ?
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भाई बहन का प्यार--1
संजय : 25 साल, शादीशुदा युवक
मनोहर : संजय के पिताजी
सीता देवी : संजय की माताजी
सुष्मिता : संजय की बुआ
सुरेन्द्र : संजय के फ़ूफ़ा (सुष्मिता बुआ के पति)
सविता : 22 साल, संजय की बहन
निर्मला : 22 साल, संजय की बुआ की लड़की
अशोक : 27 साल का संजय की बुआ का लड़का
सुधा : 26 साल की संजय की भाभी (अशोक की बीवी)
सब लोग मुंबई में ही रहते हैं : संजय का परिवार मीरा रोड पर और बुआ का परिवार रहता है अंधेरी वेस्ट पर !
यह बात छः महीने पहले की है जब संजय के पिताजी मनोहर ने सुरेन्द्र से दो लाख रुपए कुछ महीने पहले उधार लिए थे।
तो एक दिन पिताजी ने संजय को दो लाख रुपए से भरा बैग देकर कहा- ज़ाओ अपनी बुआ के घर जा कर यह दे आओ।
संजय नाश्ता करके बैग लेकर सीधा अपनी बुआ के घर पहुँच गया। समय दोपहर का एक बजा होगा।
आगे की कहानी संजय की जुबानी !
मैंने डोर-बेल बजाई लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। मैंने 3 बार कोशिश की लेकिन किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला। मैंने दरवाज़े को धक्का दिया तो दरवाज़ा खुल गया, मैं जूते निकाल कर दरवाज़े को बंद करके सीधा अंदर गया और बुआ को आवाज़ देने लगा।
फिर मैं सीधा किचन में गया। वहाँ पर भी कोई नहीं था। फिर मैंने बुआ के बेडरूम के पास जा कर देखा कि बेड रूम लॉक है। मैं वहाँ से निर्मला के बेडरूम के पास गया और दरवाज़े को धकेला, दरवाज़ा खुला ही था। मैं अंदर गया और देखा कि निर्मला सिर्फ़ लाल रंग की पैंटी पहने हुए थी और अपने बाल तौलिये से सुखा रही थी।
वाह ! क्या नज़ारा था ! क्या मम्मे-चूची थी- एकदम दूध की तरह सफेद और गोल-गोल और कड़क और उसका फिगर- वाऽऽह ! 32-34 मम्मे, 25 कमर और 34 गाण्ड !
और मेरा लंड पैन्ट में खड़ा होने लगा। मेरे अंदर की वासना जाग गई क्योंकि मैंने एक महीने से चुदाई नहीं की थी क्योंकि मेरी पत्नी की तबीयत खराब चल रही थी और डॉक्टर ने साफ मना किया था।
मैंने सोचा- मस्त माल है क्यों ना मज़ा ले लूं ! मैंने बैग को नीचे रखा और सीधा निर्मला के पीछे गया और चूचियों पर हाथ रख कर गर्दन पर चुम्बन करने लगा।
निर्मला एक दम घबरा गई और मेरा हाथ पकड़ कर चिल्लाई- कौन हो तुम> यह क्या कर रहे हो? निकल ज़ाओ मेरे कमरे से बाहर !!
तो मैंने उसके कान में धीरे से कहा- मैं हूँ तुम्हारा संजू ! ( सब लोग मुझे संजू कहकर बुलाते थे)
संजू !! (उसने मेरी आवाज़ से पहचान लिया था) तुम यह क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं !
तुम अंदर कैसे आए?
मैंने कहा- दरवाज़ा खुला था और मैंने जब बुआ और तुमको आवाज़ लगाई तो किसी ने जवाब नहीं दिया तो मैं तुम्हारे कमरे में देखने आया कि तुम हो या नहीं ! और अंदर आकर देखा तो तुम नंगी खड़ी हो।
इतना कहते ही मैंने फिर निर्मला को अपनी बाहों में लिया और चूची पर हाथ रख कर धीरे धीरे मसलने लगा और उसकी तारीफ करने लगा- तुम कितनी सुंदर हो ! ऐसी सुंदर लड़की मैंने आज तक नहीं देखी। गले पर चूमने लगा और लंड को उसकी गाण्ड पर रगड़ने लगा।
निर्मला छटपटाने लगी और बोली- मुझे छोड़ दो भैया !
मैंने कहा- निर्मला, प्लीज़ !
और एक हाथ नीचे ले जा कर उसकी पैन्टी में डालने लगा और बोला- निर्मला तुम असल में अप्सरा से भी बहुत सुंदर हो ! अगर तुम मेरी पत्नी होती तो मैं तुमसे ही चिपका रहता ! एक पल भी अलग नहीं होता।
इतने में निर्मला ने मुझे धक्का दिया और कहने लगी- नहीं भैया ! यह पाप है आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते ! तुम अपनी बहन के साथ ऐसा नहीं कर सकते !
मैंने कहा- मैं तुम्हारा भाई नहीं हूँ, हम आज से हम दोस्त हैं बॉय फ्रेंड और गर्ल फ्रेंड की तरह ! और दोस्ती में यह सब ज़ायज़ है।
मैं अपने दोनों हाथों से निर्मला के चेहरे को पकड़ कर चूमने लगा और एक हाथ से बाईं बूब को मसलने लगा। मैंने फिर निर्मला को बेड पर लिटा लिया और निर्मला के उपर आकर चूची को मुँह में लेकर को चूसने लगा और एक हाथ को चूत के ऊपर रख कर मसलने लगा।
दोस्तो, अब निर्मला ने साथ देना शुरू कर दिया और धीरे धीरे बोलने लगी- नहीं भैया ! प्लीज़ मत करिए !
और मैंने खड़े होकर जल्दी से अपने कपड़े उतारे और पूरा नंगा हो गया। फिर मैं निर्मला के ऊपर आया और उसको बाहों में लेकर आंख से आंख मिलाकर कहने लगा- वास्तव में तुम बहुत सुंदर और सेक्सी हो ! आई लव यू ! निर्मला आई लव यू ! निर्मला आज मैं बहुत खुश हूँ कि एक अप्सरा जैसी लड़की के साथ मस्ती कर रहा हूँ !
वो अपनी आँखें बंद करके बोली- भैया आप बहुत गंदे हो ! मैं आपके साथ कभी भी बात नहीं करूंगी !
मैंने कुछ नहीं कहा और एक हाथ से चूची की घुंडी को ज़ोऱ-ज़ोऱ से मसलने लगा और वो छटपटाने लगी और सिसकारी निकालने लगी- ओइए माआआआ ओइए ! माआआआआआ !
मैंने भी उसे चूमना चालू कर दिया और वो भी साथ देने लगी। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली तो वो भी मेरी जीभ को चूसने का प्रयास करने लगी। करीब 5 मिनट के बाद मैंने उस का हाथ लेकर मेरे लंबे और मोटे लंड पर रख कर कहा- लो मेरे लंड से खेलो !
वो शरम के मारे आंख बंद करते हुए हाथ छुड़ाकर बोली- नहीं ! मैं नहीं खेलूंगी, तुम मुझे छोड़ दो !
मैंने कहा- एक बार हाथ में लोगी तो फिर कभी नहीं छोड़ोगी ! और उसको ज़बरदस्ती हाथ में पकड़ा दिया और उसका हाथ पकड़ कर हिलाने लगा। मेरा लंड करीब 9 इंच का है और हाथ लगने से और भी टाइट और लंबा होकर तड़पने लगा। निर्मला उसको देख कर घबरा गई और बोली- यह तो बहुत ही बड़ा है ! मैं नहीं लूंगी अपने हाथ में ! मुझे डऱ लगता है !
मैंने कहा- कैसा डर ? तुम एक जवान लड़की हो ! इस लंड को आज कल की लड़कियाँ अपनी चूत में लेने के लिए तड़पती हैं तुम इतनी बड़ी हो कर भी डरती हो ? कल जब तुम्हारी शादी होगी और तुम्हारा पति तुमको सुहागरात में चोदेगा तो तुम क्या करोगी ? डर के मारे तुम वापस अपने मायके आओगी या फिर पति से चुदवाओगी?
निर्मला बोली- तुम इतनी गन्दी बात क्यों कर रहे हो? मुझे तो बहुत शरम आ रही है, प्लीज़ ऐसी गंदी बात मत कऱो !
मैंने कहा- निर्मला तूने कभी अपनी मम्मी और डैडी की चुदाई देखी है?
दोस्तो, मैं उसकी शरम को हटाना चाहता था और उसको पूरी तरह से उकसा रहा था और मैं उसका हाथ अपने लंड पर रख कर धीरे धीरे से सहलाने लगा था।
तो वो बोली- नहीं !
इसलिए तो तुम को मालूम नहीं है कि चुदाई करते समय किस किस तरह की बातें होती हैं !
उसने मुझसे पूछा- भैया, आप भी भाभी के साथ ऐसे ही बातें करते हो?
मैंने कहा- हाँ !इससे भी ज्यादा गंदी !
तो वो आश्चर्य-चकित होते हुए बोली- आपको शरम नहीं आती?
मैंने कहा- पहले बहुत शरम आती थी, अब नहीं ! क्योंकि हम लोगों आदत पड़ गई है और हमको सिखाने वाली कौन है, तुमको पता है ? नहीं ? अगर बता दिया तो तुम पागल हो जाओगी सुन कर ! और शायद तुम मेरा विश्वास भी नहीं करोगी !
तो वो बोली- कौन है?
मैंने कहा- पहले तुम अन्दाज़ा करो ! बाद में मैं तुम्हें बताऊंगा !
वो बोली- तुमको बताना हो तो बताओ, नहीं तो भाड़ में जाओ !
मैंने कहा- बताता हूँ- और बोल पड़ा- तुम्हारी मम्मी ! मेरा मतलब- बुआ !
तो बोली- मेरी मम्मी ?
मैंने कहा- हाँ ! तेरी मम्मी !
मैं नहीं मानती !
मैंने कहा- मत मानो ! लेकिन मैंने तुम्हें अगर सबूत दिया तो तुम मुझे क्या दोगी?
वो बोली- पहले सबूत, बाद में मैं तुझे क्या दूँगी, तुम को बाद में पता चल जाएगा !
तो मैंने कहा- तुम को एक काम करना पड़ेगा !
क्या, कैसा काम ? मैं कोई काम नहीं करूंगी !
मैंने कहा- ऐसा वैसा कुछ नहीं बस मेरी आइडिया मानो और मैं जो कहूँ, तुम वैसा करो !
दोस्तो मैं बातें करते हुए उसकी चूत में अंगूठाअ और उंगली डाल कर दाने को मसलने लगा था, वो बातें करते हुए तड़प रही थी और मेरे को बोल रही थी कि छोड़ दो भैया प्लीज़ ! आप ऐसा मत करो ! मुझे बहुत दर्द हो रहा है ! आप बहुत खराब हैं !
मैंने उसे कहा- आज रात को जब सब लोग सो जाए तो तुम बिना आवाज़ किए ही मम्मी के कमरे के दरवाजे पर अपना कान लगा कर उनकी बातें सुनना ! तभी तुम को पता चलेगा कि कौन सच्चा है और कौन झूठा है !
तो बोली- ठीक है ! मैं आज ही पता कर लूंगी !
मैं चूत में उंगली डाल कर चूत के दाने को मसलने लगा और अब वो मेरे काबू में आने लगी और मीठी मीठी सिसकारी लेने लगी। उसकी चूत से पानी भी बहने लगा था। मैंने अब नीचे आकर उसकी चूत को हाथों से खोला और चूत के पास मुँह रख कर चूत को सूंघने लगा।
वाह ! क्या मीठी सुगंध थी ! ऐसी सुगंध तो मोंट ब्लांक के पर्फ्यूम में भी नहीं आती होगी ! मैं तो पूरा मदहोश हो गया और स्वर्गलोक के कमल के फूल की कल्पना करने लगा।
तभी निर्मला बोली- भैया, वहाँ मुँह लगाकर क्या कर रहे हो ?
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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