FUN-MAZA-MASTI
छोटी बहन के साथ--16
इतनी चुदाई देख-देख कर जवान लडकियाँ वैसे भी गीली हो जाती है, और अब तो शफ़ा के मुँह से कराह निकल गई। बेचारी का झाँट करीब १/२" का था, लगता था कि वो करीब महीने भर पहले साफ़ की हो, या शायद कैंची से काटती होगी। सज्जाद अब खुब प्यार से रूही को सहलाते हुए नंगी करने लगा। अब्दुल ने समीना को पास खींचा और फ़िर उसके एक हाथ में अपना खडा लंड पकड़ा दिया। समीना ईशारा समझ गई और उसके लन्ड को सहलाने लगी। तब अब्दुल ने उसके होठ चुम कर कहा कि वो उसका लन्ड थोडा चूस दे। समीना बिना देरी के तुरंत वहीं जमीन पर बैठ कर अब्दुल का लन्ड चूसने लगी। मासीमा ने कहा, "फ़रीद... तीनों की फ़ोटो आ रही है फ़िल्म में कि नहीं?" तब फ़रीद बोला, "अब्दुल तुम भी बिस्तर पर हीं चले जाओ... वहाँ रोशनी बढ़या है फ़ोटो खुब साफ़ आता है"। अब्दुल, यह सुन कर समीना के साथ बिस्तर पर चला गया। अब वो बिस्तर पर सीधा लेट गया था और समीना उसके बगल में बैठ कर उसका लन्ड मुँह में ले कर चूस रही थी। मासूम अभी भी शफ़ा की चूत को चूस रहा था और सज्जाद रूही को नंगा करके अपनी से चिपका कर चूम रहा था। तभी फ़रीद कैमरा ले कर एक तरफ़ घुमा और इस बार पहली बार समीना की चिकनी फ़ूली हुई बूर जो पीछे से एकदम किसी बछिया की बूर लग रही थी दिखी। फ़रीद ने कोल्ज-अप में समीना की चिकनी चूत दिखाई और फ़िर घुमते हुए, कैमरा रूही पर फ़ोकस किया। सज्जाद अब उसको बिस्तर पर लिटा दिया था और उसके झाँटों से खेल रहा था। फ़िर उसने रूही की बूर की फ़ाँक खोली तब फ़रीद ने कैमरे में उसकी बूर के कुँवारा होने का सबूत वो गुलाबी झिल्ली दिखी जिसमे उसके पीरीयड के लिए एक छोटा सा छेद था। सज्जाद अब रूही के साथ ६९ करने लगा। रूही भी थोडा हिचकते हुए ही... पर जैसे तैसे साथ दे रही थी। शफ़ा अब लगातार चूत चूसाई से बेचैन हो कर हाथ-पैर पटकने लगी थी। मासूम ने जब देखा कि माल अब पूरा गर्म हो गया है तब वो उसकी चूत से हटा और फ़िर शफ़ा के जाँघों को पुरा फ़ैला कर बिस्तर पर दबाया। शफ़ा एक दुबली-पतली लडकी थी और उसके बदन में लोच भी खुब था, सो उसका जाँघ पूरा खुल गया। मासूम उसके बदन के ऊपर पसर गया और शफ़ा उसके नीचे दब गई। मासूम ने इसके बाद अपने दोनों हाथों को शफ़ा बगल से, काँख के नीचे से निकल कर उसके चेहरे को सहलाने लगा और फ़िर उसके होठ चूमने लगा।
भगवान हर लडकी को चुदाने की अक्ल जरुर दे देता है। शफ़ा बिना किसी ईशारे के खुद हीं अपने पैरों को मासूम की कमर के इर्द-गिर्द लपेट दी। मासूम भी अब अपने जाँघो से शफ़ा के दोनों जाँघो को एक तरह से दबा लिया था। दोनों की जोडी बहुत सही थी। दोनों लम्बे थे। मासूम करीब ५’१०" का था तो शफ़ा भी करीब ५’८" की थी। इस तरह से शफ़ा की कमर भी मासूम की कमर के लगभग साथ हीं थी। जब मासूम ने शफ़ा को पूरी तरह से अपनी जकड में ले लिया तो अपना कमर ह्ल्के से ऊपर उठा कर अपने लन्ड को शफ़ा की बूर की छेद पर लगाने की कोशिश करने लगा। तीन-चार बार में जब ठीक से नहीं लगा तो वो शफ़ा से बोला, "तुम्हारा हाथ खाली है... एक बार अपने हाथ से पकड़ कर मेरा लन्ड ठीक से अपने छेद पर लगाओ न..."। शफ़ा पर इतनी ज्यादा गर्मी चढी हुई थी कि उसको पता भी नहीं चला कि वो क्या करने जा रही है। उसने अपने हाथ से मासूम का लन्ड पकडा और अपने छेद पर लगा दिया। मासूम को भी पता चला गया और उसने शफ़ा को चुमते हुए अपना कमर नीचे दबाना शुरु किया। जल्दी हीं दर्द महसूस करके शफ़ा कसमसाने लगी। पर मासूम ने उसको इतने जबर्दस्त तरीके से अपने जकड में लिए हुए था कि बेचारी हल्के से हिलने से ज्यादा कुछ कर नहीं पा रही थी। फ़िर भी मासूम ने उसको सहुलियत देते हुए अपने को रोक लिया। शफ़ा अब फ़िर से शान्त हो कर उसके चुमब्न का जवाब अपने चुम्मा से देने लगी थी। मासूम भी उसके कनपटी के बाले को सहलाते हुए चुमता रहा और फ़िर जब शफ़ा को सब कुछ ठीक लग रहा था कि एक झटके से उसकी बूर की सील तोड दी। बेचारी जोर से छटपटाई... और मासूम अब उसके छाती के ऊपर से हटा और शफ़ा की चीख कमरे में गुँज गई... "ओह्ह्ह माँ......."। दूसरे धक्के से जब मासूम अपने लन्ड को पूरा भीतर ठेल दिया तो उस धक्के से साथ अपनी माँ को एक बार फ़िर याद करते हुए शफ़ा की चीख और जोर से निकली, "माँ.... गो..........माँ........."। वो मासूम को ऊठते देख कर अपने को उसकी गिरफ़्त से आजाद करने की कोशिश की पर उसको कहाँ पता था कि मासूम अपना ९" का लन्ड पूरा भीतर ठेले हुए है और अब वो उसकी कमर को अपने हाथों की जकड में ले कर उसके निचले बदन को अपने झाँघों की जोर से बिस्तर से दबा कर रखे हुए था। बेचारी अपने ऊपरी बदन को हिला-हिला कर छटपटाहट जाहिर कर रही थी और मासूम उसकी पेड़ू को हाथों से दाब कर झाँटों को अपने दोनों हाथ के अंगुठों से सहला रहा था। फ़िर जब उसने उसकी टीट के दाने को सहलाया तो वो मस्ती से तड़फ़ड़ा गई और थोड़ा शान्त हुई। मासूम अब अपनी बूर से अपना लन्ड करीब ६" बाहर खींचा और फ़िर झटके से पूरा भीतर घुसा दिया। अब वो पास में बैठी हुई रूही को देख कर बोला, "देख लो.... लडकी के चूत में कितना गहराई है... पूरा भीतर घुसा हुआ है कि नहीं... तुमको यही लम्बा लग रहा था, मादरचोद।" शफ़ा के आँख से आँसू बह निकला... पर वो अपनी सील तुडवा कर अब थोड़ा शान्त हो गई थी और मासूम अब अपना कमर चला-चला कर उसकी चुदाई शुरु कर दिया था।
सज्जाद ने अब रूही को बिस्तर पर लेटने को कहा तो वो थोड़ा डरी-सहमी से बिस्तर पर सीधा लेट गई। सज्जाद ने अपने लन्ड पर अपना थुक लगा या और फ़िर उसकी पैरों के बीच में आ गया। रूही अपने पैर खोल कर हवा में की हुई थी। सज्जाद ने अपने हाथ से उसकी बूर की फ़ाँक को खोल कर, अपना लन्ड उस छेद पर सेट किया और फ़िर उसके पैरों को घुटने के पास से पकड़ा। फ़िर एक झटके से उसके पैरों को अपने कमर के चारों तरफ़ लपेटते हुए उसके बदन पर धप्प से गिरा और अपने बदन के वजन से ही अपने लन्ड को गच्च से उसकी कच्ची बूर में पूरा एक बार में पेल दिया। रूही तो इतनी जल्दी यह होगा... का अंदाजा नहीं था। उसकी चीख सबसे दर्दनाक थी। सज्जाद जिस तेजी से उस पर गिरते हुए अपने लन्ड से उसकी सील तोडा था, उसी फ़ुर्ती से वो ऊपर उठा और जब तक वो कुछ समझे तब तक ताबड़-तोड तीन-चार धक्का उसकी नई-नवेली बूर में दना-दन लगा दिया। अपनी वो अपने सील टूटने के दर्द से भी नहीं उबरी थी कि उसकी बूर की चूदाई शुरु हो गई थी। बिस्तर पर एक साथ दोनों लौन्डिया को दोनों हरामी एकदम एक स्पीड में चोद रहे थे। कमरे में उन दोनों लडकियों की सिसकी, चीख और बूर से निकल रही फ़च्च फ़च्च घच्च घच्च, तो कभी कभी उन चोदू हरामियों के जाँघ के उस लडकियों के जाँघों से टकराने पर होने वाली थप-थाप... थप-थाप की आवाज हो रही थी। समीना इन सब से बेखबर लगातार अब्दुल का लन्ड चूसे जा रही थी और अब्दुल साला उसकी गाँड की छेद से खेल रहा था। बीच-बीच में वो अपने थुक को अपने ऊँगली पर लगा कर उसकी गाँड को खोदता था। शुरु में तो समीना थोड़ा चिहुँकती भी थी, पर अब वो इसके एक नए खेल के रूप में ले कर आराम से उसको अपना गाँड से खेलने दे रही थी। ऊधर दोनों लडकियाँ जो चुद रही थीं, अब सब समझ कर शान्त हो कर चुदवाने लगी थी और कभी-कभी मस्ती से कराह देती थी, आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह ओह्ह्ह उम्म्म्म्म....। अब्दुल अब अपने दाहिने हाथ की बीच वाली ऊँगली पूरा का पूरा समीना की गाँड़ में घुसाने लगा था। फ़िर उसने समीना से पूछा, "गाँड में ऊँगली करवाने में मजा आ रहा है...?" समीना ने हाँ में अपना सर हिलाया तो अब्दुल बोला, "अब दूसरा उँगली घुसाते हैं..... तब और मजा मिलेगा जब भीतर में दोनों ऊँगली को चलाऊँगा..."। उसने वैसे हीं थुक के सहारे अपना एक और ऊँगली आधा भीतर घुसा दिया। समीना की वो साथ में तारीफ़ भी करता जा रहा था। समीना भी इस खेल को मजे से खेल रही थी। तब अब्दुल अचानक समीना को अपने लन्ड से हटाया और बोला, "तुम जानवर जैसे बनो, मैं पीछे से तुम पर चढता हूँ"। समीना की गाँड़ खुली हुई दिख रही थी। अब्दुल ने समीना की बूर में अपना लन्ड घुसा कर उसको आराम से चोदना शुरु किया पर वो इसका ख्याल रखे हुए था कि समीना की गाँड़ वैसे हीं खुली रहे। करीब १८-२० बार अंदर-बाहर करने के बाद, अब्दुल ने अपना लन्ड उसकी बूर से निकाल लिया और दो बार ऐसे फ़िसलाया जैसे उसका लन्ड समीना की बूर में घुस नहीं रहा हो। समीना अब बेचैन हो चुकी थी सो बोली, "घुसाओ न भीतर..."।
अब्दुल ने अपने को बिस्तर पर थोडा ऊपर उठाया और फ़िर समीना की कमर को जोर से जकड़ लिया। फ़िर उसने समीना से कहा, "थोडा सब्र करो... अभी घुसाता हूँ... फ़िर तुमको एक अलग मजा आएगा", कहते हुए अब्दुल ने उसकी गाँड की छेद को अपने हाथ से फ़ैलाया और उसके ऊपर अपना लन्ड लगा दिया। समीना बोली, "अब यह कहाँ लगा रहे हो...?" अब्दुल ने प्यार से कहा, "तुम्हारी गाँड में घुसाऊँगा अब... थोडा सब्र रखो... एक अलग मजा मिलेगा तुमको इस बार..."। समीना भी समझ गई और फ़िर आगे आने वाले समय के लिर अपने बदन को टाईट कर ली। अब्दुल अब धीरे-धीरे अपना लन्ड अपने हाथ से पकड कर सीधा रखते हुए उसके गाँड की छेद में दबाने लगा। समीना दर्द महसूस की और उसके मुँह से एक दर्दभरी आआह्ह्ह्ह निकली पर वो अपना बदन बिल्कुल कडा करके रखे हुए थी और अब्दुल ने उसको कहा, "तुम अपना बदन ढीला करो, तब तुम्हारा गाँड़ भी ढीला होगा।" समीना ने वैसा हीं किया और फ़िर अपने सर को नीचे बिस्तर पर टिका दिया। इस तरह से उसकी कमर का हिस्सा ऊपर उठ गया और बाकी बदन नीचे हो गया और अब्दुल अपना आधा लन्ड भीतर घुसाने के बाद अब धीरे-धीरे अपने लन्ड को उसकी गाँड में भीतर-बाहर करने लगा। समीना ने जब महसूस किया कि अब अब्दुल उसकी गाँड मारने लगा है तो वो पूछी, "भीतर चला गया क्या?" अब्दुल बोला, "हाँ.... देख लो अपने हाथ से छू कर.... बहुत मस्त गया है भीतर। फ़िल्म में देखना कितनी अच्छी है तुम्हारी गाँड और कैसे खुल कर घुसवाई है"। फ़िर अब्दुल ने उसकी छोटी-छोटी चुच्चियों को सहलाते हुए उसकी गाँड मारते हुए कहा, "बहुत अच्छी हो तुम..., बहुत पैसा कमाओगी...., एक बार में ग्राहक को फ़ँसा लोगी"। समीना भी अपनी तारीफ़ सुन कर अब खुश हो गई और आराम से बिस्तर पर फ़ैल कर अपना गाँड मरवाने लगी। मासीमा ने जब देखा कि समीना इना किसी झमेले के आराम से अपने गाँड़ में डलवा ली तो वो समीना से खुश हो गई और कहा, "वाह समीना बेटा... तुम बहुत समझदार हो..." फ़िर बाकी लडकियों से कहा, "देख लो... ये भी तुम्हारे साथ हीं गाँव से यहाँ आई है और कैसे आराम से खुशी-खुशी चुदा रही है बिना किसी नखरे के..., उसको कोई परेशानी भी नहीं है। जब यहाँ आ गई हो तो तुम सब भी खुशी-खुशी अपना जवानी लुटाओ और पैसा कमाओ। जवानी का सुख भी इस सब में तुम लोग को मिलता रहेगा। कहीं किसी गरीब से शादी करके क्या मिलता.... दिन भर गुलाम जैसा खटती तब कुछ खाने को मिलता... और शादी के बाद भी तुम बचती थोडे ना... तब भी तो चुदाना हीं होता। किसी बुढ़्ढ़े से शादी हो जाती तो जवानी की आग भी नहीं बुझती। यहाँ तुम्हारी जवानी का पूरा मजा लोग लेंगे और तुमको भी मजा देंगे।" दिन भर में अलग-अलग किस्म का लन्ड से चुदाने का मौका मिलेगा"। वो समीना के पास आ गई और उसकी बूर को अपने हाथ से चोदने लगी जिससे समीना को गजब का मजा मिलने लगा। फ़िर उसने सगीर को ईशारा किया और जब सगीर पास आया तो अब्दुल अपना लन्ड बाहर निकाल कर बिस्तर पर सीधा लेट गया और समीना को अपने ऊपर आने का ईशारा किया और फ़िर समीना को समझाते कहा, "तुम मेरे लन्ड पर बैठ जाओ... अपने गाँड में मेरा लन्ड घुसा कर... अपना पीठ मेरी तरफ़ रखना"। समीना ने वैसा ही किया। तब सगीर समीना को दो-तीन बार चूमा और फ़िर उसके जाँघ को खोल कर उसकी बूर में अपना लन्ड घुसा दिया। समीना की गाँड़ में अब्दुल का लन्ड था और उसकी बूर में सगीर का। दोनों मिल कर अब उसको चोद रहे थे और बेचारी समीना उन दोनों के बीच में पीस रखी थी। उसने अपने बदन को अब पूरी तरह से उन दोनों की दया पर छोड दिया था और दर्द से कराह रही थी और वो दोनों उसके दर्द की परवाह किए बिना उसको रगड़-रगड़ कर चोदे जा रहे थे। जब समीना को बर्दास्त नहीं हुआ तो चीखने लगी... उसकी साँस अब उखड रही थी।
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छोटी बहन के साथ--16
इतनी चुदाई देख-देख कर जवान लडकियाँ वैसे भी गीली हो जाती है, और अब तो शफ़ा के मुँह से कराह निकल गई। बेचारी का झाँट करीब १/२" का था, लगता था कि वो करीब महीने भर पहले साफ़ की हो, या शायद कैंची से काटती होगी। सज्जाद अब खुब प्यार से रूही को सहलाते हुए नंगी करने लगा। अब्दुल ने समीना को पास खींचा और फ़िर उसके एक हाथ में अपना खडा लंड पकड़ा दिया। समीना ईशारा समझ गई और उसके लन्ड को सहलाने लगी। तब अब्दुल ने उसके होठ चुम कर कहा कि वो उसका लन्ड थोडा चूस दे। समीना बिना देरी के तुरंत वहीं जमीन पर बैठ कर अब्दुल का लन्ड चूसने लगी। मासीमा ने कहा, "फ़रीद... तीनों की फ़ोटो आ रही है फ़िल्म में कि नहीं?" तब फ़रीद बोला, "अब्दुल तुम भी बिस्तर पर हीं चले जाओ... वहाँ रोशनी बढ़या है फ़ोटो खुब साफ़ आता है"। अब्दुल, यह सुन कर समीना के साथ बिस्तर पर चला गया। अब वो बिस्तर पर सीधा लेट गया था और समीना उसके बगल में बैठ कर उसका लन्ड मुँह में ले कर चूस रही थी। मासूम अभी भी शफ़ा की चूत को चूस रहा था और सज्जाद रूही को नंगा करके अपनी से चिपका कर चूम रहा था। तभी फ़रीद कैमरा ले कर एक तरफ़ घुमा और इस बार पहली बार समीना की चिकनी फ़ूली हुई बूर जो पीछे से एकदम किसी बछिया की बूर लग रही थी दिखी। फ़रीद ने कोल्ज-अप में समीना की चिकनी चूत दिखाई और फ़िर घुमते हुए, कैमरा रूही पर फ़ोकस किया। सज्जाद अब उसको बिस्तर पर लिटा दिया था और उसके झाँटों से खेल रहा था। फ़िर उसने रूही की बूर की फ़ाँक खोली तब फ़रीद ने कैमरे में उसकी बूर के कुँवारा होने का सबूत वो गुलाबी झिल्ली दिखी जिसमे उसके पीरीयड के लिए एक छोटा सा छेद था। सज्जाद अब रूही के साथ ६९ करने लगा। रूही भी थोडा हिचकते हुए ही... पर जैसे तैसे साथ दे रही थी। शफ़ा अब लगातार चूत चूसाई से बेचैन हो कर हाथ-पैर पटकने लगी थी। मासूम ने जब देखा कि माल अब पूरा गर्म हो गया है तब वो उसकी चूत से हटा और फ़िर शफ़ा के जाँघों को पुरा फ़ैला कर बिस्तर पर दबाया। शफ़ा एक दुबली-पतली लडकी थी और उसके बदन में लोच भी खुब था, सो उसका जाँघ पूरा खुल गया। मासूम उसके बदन के ऊपर पसर गया और शफ़ा उसके नीचे दब गई। मासूम ने इसके बाद अपने दोनों हाथों को शफ़ा बगल से, काँख के नीचे से निकल कर उसके चेहरे को सहलाने लगा और फ़िर उसके होठ चूमने लगा।
भगवान हर लडकी को चुदाने की अक्ल जरुर दे देता है। शफ़ा बिना किसी ईशारे के खुद हीं अपने पैरों को मासूम की कमर के इर्द-गिर्द लपेट दी। मासूम भी अब अपने जाँघो से शफ़ा के दोनों जाँघो को एक तरह से दबा लिया था। दोनों की जोडी बहुत सही थी। दोनों लम्बे थे। मासूम करीब ५’१०" का था तो शफ़ा भी करीब ५’८" की थी। इस तरह से शफ़ा की कमर भी मासूम की कमर के लगभग साथ हीं थी। जब मासूम ने शफ़ा को पूरी तरह से अपनी जकड में ले लिया तो अपना कमर ह्ल्के से ऊपर उठा कर अपने लन्ड को शफ़ा की बूर की छेद पर लगाने की कोशिश करने लगा। तीन-चार बार में जब ठीक से नहीं लगा तो वो शफ़ा से बोला, "तुम्हारा हाथ खाली है... एक बार अपने हाथ से पकड़ कर मेरा लन्ड ठीक से अपने छेद पर लगाओ न..."। शफ़ा पर इतनी ज्यादा गर्मी चढी हुई थी कि उसको पता भी नहीं चला कि वो क्या करने जा रही है। उसने अपने हाथ से मासूम का लन्ड पकडा और अपने छेद पर लगा दिया। मासूम को भी पता चला गया और उसने शफ़ा को चुमते हुए अपना कमर नीचे दबाना शुरु किया। जल्दी हीं दर्द महसूस करके शफ़ा कसमसाने लगी। पर मासूम ने उसको इतने जबर्दस्त तरीके से अपने जकड में लिए हुए था कि बेचारी हल्के से हिलने से ज्यादा कुछ कर नहीं पा रही थी। फ़िर भी मासूम ने उसको सहुलियत देते हुए अपने को रोक लिया। शफ़ा अब फ़िर से शान्त हो कर उसके चुमब्न का जवाब अपने चुम्मा से देने लगी थी। मासूम भी उसके कनपटी के बाले को सहलाते हुए चुमता रहा और फ़िर जब शफ़ा को सब कुछ ठीक लग रहा था कि एक झटके से उसकी बूर की सील तोड दी। बेचारी जोर से छटपटाई... और मासूम अब उसके छाती के ऊपर से हटा और शफ़ा की चीख कमरे में गुँज गई... "ओह्ह्ह माँ......."। दूसरे धक्के से जब मासूम अपने लन्ड को पूरा भीतर ठेल दिया तो उस धक्के से साथ अपनी माँ को एक बार फ़िर याद करते हुए शफ़ा की चीख और जोर से निकली, "माँ.... गो..........माँ........."। वो मासूम को ऊठते देख कर अपने को उसकी गिरफ़्त से आजाद करने की कोशिश की पर उसको कहाँ पता था कि मासूम अपना ९" का लन्ड पूरा भीतर ठेले हुए है और अब वो उसकी कमर को अपने हाथों की जकड में ले कर उसके निचले बदन को अपने झाँघों की जोर से बिस्तर से दबा कर रखे हुए था। बेचारी अपने ऊपरी बदन को हिला-हिला कर छटपटाहट जाहिर कर रही थी और मासूम उसकी पेड़ू को हाथों से दाब कर झाँटों को अपने दोनों हाथ के अंगुठों से सहला रहा था। फ़िर जब उसने उसकी टीट के दाने को सहलाया तो वो मस्ती से तड़फ़ड़ा गई और थोड़ा शान्त हुई। मासूम अब अपनी बूर से अपना लन्ड करीब ६" बाहर खींचा और फ़िर झटके से पूरा भीतर घुसा दिया। अब वो पास में बैठी हुई रूही को देख कर बोला, "देख लो.... लडकी के चूत में कितना गहराई है... पूरा भीतर घुसा हुआ है कि नहीं... तुमको यही लम्बा लग रहा था, मादरचोद।" शफ़ा के आँख से आँसू बह निकला... पर वो अपनी सील तुडवा कर अब थोड़ा शान्त हो गई थी और मासूम अब अपना कमर चला-चला कर उसकी चुदाई शुरु कर दिया था।
सज्जाद ने अब रूही को बिस्तर पर लेटने को कहा तो वो थोड़ा डरी-सहमी से बिस्तर पर सीधा लेट गई। सज्जाद ने अपने लन्ड पर अपना थुक लगा या और फ़िर उसकी पैरों के बीच में आ गया। रूही अपने पैर खोल कर हवा में की हुई थी। सज्जाद ने अपने हाथ से उसकी बूर की फ़ाँक को खोल कर, अपना लन्ड उस छेद पर सेट किया और फ़िर उसके पैरों को घुटने के पास से पकड़ा। फ़िर एक झटके से उसके पैरों को अपने कमर के चारों तरफ़ लपेटते हुए उसके बदन पर धप्प से गिरा और अपने बदन के वजन से ही अपने लन्ड को गच्च से उसकी कच्ची बूर में पूरा एक बार में पेल दिया। रूही तो इतनी जल्दी यह होगा... का अंदाजा नहीं था। उसकी चीख सबसे दर्दनाक थी। सज्जाद जिस तेजी से उस पर गिरते हुए अपने लन्ड से उसकी सील तोडा था, उसी फ़ुर्ती से वो ऊपर उठा और जब तक वो कुछ समझे तब तक ताबड़-तोड तीन-चार धक्का उसकी नई-नवेली बूर में दना-दन लगा दिया। अपनी वो अपने सील टूटने के दर्द से भी नहीं उबरी थी कि उसकी बूर की चूदाई शुरु हो गई थी। बिस्तर पर एक साथ दोनों लौन्डिया को दोनों हरामी एकदम एक स्पीड में चोद रहे थे। कमरे में उन दोनों लडकियों की सिसकी, चीख और बूर से निकल रही फ़च्च फ़च्च घच्च घच्च, तो कभी कभी उन चोदू हरामियों के जाँघ के उस लडकियों के जाँघों से टकराने पर होने वाली थप-थाप... थप-थाप की आवाज हो रही थी। समीना इन सब से बेखबर लगातार अब्दुल का लन्ड चूसे जा रही थी और अब्दुल साला उसकी गाँड की छेद से खेल रहा था। बीच-बीच में वो अपने थुक को अपने ऊँगली पर लगा कर उसकी गाँड को खोदता था। शुरु में तो समीना थोड़ा चिहुँकती भी थी, पर अब वो इसके एक नए खेल के रूप में ले कर आराम से उसको अपना गाँड से खेलने दे रही थी। ऊधर दोनों लडकियाँ जो चुद रही थीं, अब सब समझ कर शान्त हो कर चुदवाने लगी थी और कभी-कभी मस्ती से कराह देती थी, आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह ओह्ह्ह उम्म्म्म्म....। अब्दुल अब अपने दाहिने हाथ की बीच वाली ऊँगली पूरा का पूरा समीना की गाँड़ में घुसाने लगा था। फ़िर उसने समीना से पूछा, "गाँड में ऊँगली करवाने में मजा आ रहा है...?" समीना ने हाँ में अपना सर हिलाया तो अब्दुल बोला, "अब दूसरा उँगली घुसाते हैं..... तब और मजा मिलेगा जब भीतर में दोनों ऊँगली को चलाऊँगा..."। उसने वैसे हीं थुक के सहारे अपना एक और ऊँगली आधा भीतर घुसा दिया। समीना की वो साथ में तारीफ़ भी करता जा रहा था। समीना भी इस खेल को मजे से खेल रही थी। तब अब्दुल अचानक समीना को अपने लन्ड से हटाया और बोला, "तुम जानवर जैसे बनो, मैं पीछे से तुम पर चढता हूँ"। समीना की गाँड़ खुली हुई दिख रही थी। अब्दुल ने समीना की बूर में अपना लन्ड घुसा कर उसको आराम से चोदना शुरु किया पर वो इसका ख्याल रखे हुए था कि समीना की गाँड़ वैसे हीं खुली रहे। करीब १८-२० बार अंदर-बाहर करने के बाद, अब्दुल ने अपना लन्ड उसकी बूर से निकाल लिया और दो बार ऐसे फ़िसलाया जैसे उसका लन्ड समीना की बूर में घुस नहीं रहा हो। समीना अब बेचैन हो चुकी थी सो बोली, "घुसाओ न भीतर..."।
अब्दुल ने अपने को बिस्तर पर थोडा ऊपर उठाया और फ़िर समीना की कमर को जोर से जकड़ लिया। फ़िर उसने समीना से कहा, "थोडा सब्र करो... अभी घुसाता हूँ... फ़िर तुमको एक अलग मजा आएगा", कहते हुए अब्दुल ने उसकी गाँड की छेद को अपने हाथ से फ़ैलाया और उसके ऊपर अपना लन्ड लगा दिया। समीना बोली, "अब यह कहाँ लगा रहे हो...?" अब्दुल ने प्यार से कहा, "तुम्हारी गाँड में घुसाऊँगा अब... थोडा सब्र रखो... एक अलग मजा मिलेगा तुमको इस बार..."। समीना भी समझ गई और फ़िर आगे आने वाले समय के लिर अपने बदन को टाईट कर ली। अब्दुल अब धीरे-धीरे अपना लन्ड अपने हाथ से पकड कर सीधा रखते हुए उसके गाँड की छेद में दबाने लगा। समीना दर्द महसूस की और उसके मुँह से एक दर्दभरी आआह्ह्ह्ह निकली पर वो अपना बदन बिल्कुल कडा करके रखे हुए थी और अब्दुल ने उसको कहा, "तुम अपना बदन ढीला करो, तब तुम्हारा गाँड़ भी ढीला होगा।" समीना ने वैसा हीं किया और फ़िर अपने सर को नीचे बिस्तर पर टिका दिया। इस तरह से उसकी कमर का हिस्सा ऊपर उठ गया और बाकी बदन नीचे हो गया और अब्दुल अपना आधा लन्ड भीतर घुसाने के बाद अब धीरे-धीरे अपने लन्ड को उसकी गाँड में भीतर-बाहर करने लगा। समीना ने जब महसूस किया कि अब अब्दुल उसकी गाँड मारने लगा है तो वो पूछी, "भीतर चला गया क्या?" अब्दुल बोला, "हाँ.... देख लो अपने हाथ से छू कर.... बहुत मस्त गया है भीतर। फ़िल्म में देखना कितनी अच्छी है तुम्हारी गाँड और कैसे खुल कर घुसवाई है"। फ़िर अब्दुल ने उसकी छोटी-छोटी चुच्चियों को सहलाते हुए उसकी गाँड मारते हुए कहा, "बहुत अच्छी हो तुम..., बहुत पैसा कमाओगी...., एक बार में ग्राहक को फ़ँसा लोगी"। समीना भी अपनी तारीफ़ सुन कर अब खुश हो गई और आराम से बिस्तर पर फ़ैल कर अपना गाँड मरवाने लगी। मासीमा ने जब देखा कि समीना इना किसी झमेले के आराम से अपने गाँड़ में डलवा ली तो वो समीना से खुश हो गई और कहा, "वाह समीना बेटा... तुम बहुत समझदार हो..." फ़िर बाकी लडकियों से कहा, "देख लो... ये भी तुम्हारे साथ हीं गाँव से यहाँ आई है और कैसे आराम से खुशी-खुशी चुदा रही है बिना किसी नखरे के..., उसको कोई परेशानी भी नहीं है। जब यहाँ आ गई हो तो तुम सब भी खुशी-खुशी अपना जवानी लुटाओ और पैसा कमाओ। जवानी का सुख भी इस सब में तुम लोग को मिलता रहेगा। कहीं किसी गरीब से शादी करके क्या मिलता.... दिन भर गुलाम जैसा खटती तब कुछ खाने को मिलता... और शादी के बाद भी तुम बचती थोडे ना... तब भी तो चुदाना हीं होता। किसी बुढ़्ढ़े से शादी हो जाती तो जवानी की आग भी नहीं बुझती। यहाँ तुम्हारी जवानी का पूरा मजा लोग लेंगे और तुमको भी मजा देंगे।" दिन भर में अलग-अलग किस्म का लन्ड से चुदाने का मौका मिलेगा"। वो समीना के पास आ गई और उसकी बूर को अपने हाथ से चोदने लगी जिससे समीना को गजब का मजा मिलने लगा। फ़िर उसने सगीर को ईशारा किया और जब सगीर पास आया तो अब्दुल अपना लन्ड बाहर निकाल कर बिस्तर पर सीधा लेट गया और समीना को अपने ऊपर आने का ईशारा किया और फ़िर समीना को समझाते कहा, "तुम मेरे लन्ड पर बैठ जाओ... अपने गाँड में मेरा लन्ड घुसा कर... अपना पीठ मेरी तरफ़ रखना"। समीना ने वैसा ही किया। तब सगीर समीना को दो-तीन बार चूमा और फ़िर उसके जाँघ को खोल कर उसकी बूर में अपना लन्ड घुसा दिया। समीना की गाँड़ में अब्दुल का लन्ड था और उसकी बूर में सगीर का। दोनों मिल कर अब उसको चोद रहे थे और बेचारी समीना उन दोनों के बीच में पीस रखी थी। उसने अपने बदन को अब पूरी तरह से उन दोनों की दया पर छोड दिया था और दर्द से कराह रही थी और वो दोनों उसके दर्द की परवाह किए बिना उसको रगड़-रगड़ कर चोदे जा रहे थे। जब समीना को बर्दास्त नहीं हुआ तो चीखने लगी... उसकी साँस अब उखड रही थी।
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