FUN-MAZA-MASTI
बदलाव के बीज--54
भौजी: आप यहीं अंदर साओगे?
मैं: हाँ ... और आप भी जाके आराम कर लो| जब से आये हो मेरी ही तीमारदारी में लगे हो|
भौजी: आपका ध्यान रख रही हूँ जो मेरा फर्ज है और आप इसे तीमारदारी कहते हो? और जब आपने दिन रात मेरा ध्यान रखा था तब? जाइए मैं आपसे बात नहीं करती!
मैं: SORRY यार!
भौजी: ठीक है माफ़ किया....!!! ही ही ही ही
मैं: अच्छा अब आप जाके सो जाओ, कल सुबह उठना भी तो है| कल तो शायद माँ और पिताजी भी आ जाएं|
भौजी: नहीं मैं यहीं बैठूंगी| भूल गए डॉक्टर साहब ने क्या कहा था? रात को बुखार चढ़ गया तो| और मैं आपको जानती हूँ की अगर बुखार चढ़ गया तो आप मुझे उठाओगे भी नहीं| इसीलिए मैं यहीं बैठूंगी|
मैं: देखो मेरे साथ रहोगे तो आप भी बीमार हो जाओगे| और रसिका भाभी क्या कहेंगी? और कहीं अम्मा ने हमें एक साथ लेटे हुए देख लिया तो?
भौजी: वो सब मैं नहीं जानती... मैं तो यहीं सोऊँगी... वो भी आपके बगल में| ही..ही..ही..ही
मैं: यार प्लीज जिद्द मत करो... आप बीमार पड़ जाओगे?
भौजी: कुछ नहीं होता... डॉक्टर साहब ने कहा था की ये छोटी सी बिमारी है जो एक-दो दिन में ठीक हो जाती है|
मैं: अपना नहीं तो उस नन्ही सी जान के बारे में सोचो जो अभी इस दुनिया में आने वाली है| मैं चाहता हूँ की वो स्वस्थ पैदा हो|
भौजी: वो स्वस्थ ही होगी... और आप बेकार की चिंता करते हो! ऐसे बीमारियां एक दूसरे में नहीं फैलतीं...कभी देखा की बच्चे की वजह से माँ बीमार पड़ीं हो... कितनी पत्नियां होती हैं जो अपने पति के बीमार होने पे उनकी सेवा करती हैं| वो तो बीमार नहीं होती| तो मैं कैसे बीमार हूँगी| अब आप बहस मत करो और सो जाओ|
मैं जानता था की मुझसे ज्यादा भौजी को फ़िक्र है की हमारे रिश्ते के बारे में किसी को पता ना चले| पर मुझे तकलीफ इस बात से हो रही थी की मेरी वजह से वो ठीक से सो नहीं पाएंगी|
मैं: अच्छा आप एक काम करो, इस कमरे में एक चारपाई और बिछा दो| और आप उसी पे सो जाना|
भौजी: इस कमरे में इक और चारपाई नहीं घुसेगी| आप मेरी चिंता मत करो.... अगर मुझे नींद आई तो मैं अपनी चारपाई पे जाके सो जाऊँगी|
मैं: यार आप जिद्द बहुत करते हो...कभी मेरी बात नहीं मानते|
भौजी: एक बार मानी थी तो आपकी ये हालत हो गई| अब नहीं मानूँगी!!!
मैं लेट गया और ऐसे दिखाया जैसे मैं घोड़े बेच के सो गया हूँ| तब जाके भौजी बहार अपनी चारपाई से सोने गईं|
पर मुझे नींद नहीं आ रही थी| उनके जाने के बाद मैंने अनेकों बार करवटें बदली पर नींद नहीं आई| आखिर में बाईं करवट लेट गया की शायद ननद आ जाए| पर मैं ये नहीं जानता था की बभुजी खिड़की से मुझे करवटें बदलते हुए देख रही हैं| मेरे करवट लेने के करीब दो मिनट बाद वो आईं और मेरे पीछे लेट गईं और अपना हाथ मेरी बगल में डाल दिया| उनके हाथ के स्पर्श को मैं भलीं-भाँती जानता था|
भौजी मेरे कान में धीरे से खुसफुसाइन; "नींद नहीं आ रही है ना?" मैंने ना में सर हिला दिया| "तो फिर मुझे क्यों दूर भेजा, वो भी ड्रामा कर के की आपको बहुत जबरदस्त नींद आ रही है?" उन्होंने प्रश्न किया|
मैं: क्योंकि मैं नहीं चाहता की आप बीमार पड़ो|
भौजी: कुछ नहीं होगा मुझे....आपको कोई छूत की बिमारी नहीं है, और अगर होती भी तो भी मैं आपके पास यूँ ही रहती!
मैं: आप नहीं सुधरोगे!!!
मैंने उनका हाथ पकड़ के चूम लिया पर मैं अब भी करवट लिए हुए था ताकि मेरी सांसें उनकी साँसों से ना मिली वरना इन्फेक्शन उन्हें भी हो जाता|
भौजी: मेरी तरफ करवट करो?
मैं: नहीं...
भौजी: आपको मेरी कसम|
अब फिर से मैं उनकी कसम से बंध गया था| मैंने उकी तरफ करवट ली और हमारी आँखें एक दूसरे से मिलीं| मैंने अपनी सांस रोक रखी थी.... ताकि उन्हें इन्फेक्शन ना हो| भौजी ने अपना हाथ मेरे दिल पे रखा जो अब तेजी से धड़कने लगा था|
भौजी: कब तक सांस रोकोगे?... मैंने कहा न कुछ नहीं होगा....
तब जाके मैंने सांस धीरे-धीरे छोड़ी|
भौजी: अगर मैं बीमार होती तो आप मुझसे दूर रहते?
मैं: कभी नहीं ....पर आप माँ बनने वाले हो...और अगर बच्चा....
भौजी: कुछ नहीं होगा उसे.... आप बस मुझसे दूर मत रहा करो, मैं अधूरी हो जाती हूँ| और इन दिनों में आपने जो कुछ किया...आपका मेरे प्रति ये समर्पण .... मैं आपकी कायल हो गई| You’re a One Woman Man! And I LOVE YOU !!!
मैं: I LOVE YOU TOO !!!
इसके बाद उन्होंने मेरे होंटों को चूम लिया और मैं भी खुद को नहीं रोक पाया| मैं उनके रसीले होठों को चूसने लगा और जब मैं थक जाता तो वो मेरे होठों को चूसने लगतीं| हम ये भी भूल गए की घर में हमारे आलावा एक औरत और भी है...जो शायद ये सब देख रही हो| मैंने अपने दोनों हाथों से बहूजी का चेहरे को थामा हुआ था और भौजी ने मेरा चेहरा अपने हाथ में थामा हुआ था| कुछ ही देर में जीभ से रस का आदान-प्रदान भी शुरू हो गया| जब हम अलग हुए तो मेरे और भौजी के होठों के बीच हमारे रस की एक पतली सी तार थी| उसे देख ना तो भौजी खुद को रोक पाई और ना ही मैं| हुमदोनो के होंठ एक बार और मिल गए| इस बार हम एक दूसरे को इस बेतहाशा तरीके से चूम और चूस रहे थे जैसे आज पहली बार मिलें हों| ये प्यार भरा सिलसिला करीब पंद्रह मिनट चला और अब हालत ये थी की लंड महाशय अपना प्रगाढ़ रूप धारण कर चुके थे| भौजी ने अपना हाथ उसपे रखा तो मेरे अंदर एक करंट दौड़ गया| पर मैं अभी उस हालत में नहीं था की उन्हें संतुष्टि प्रदान कर पाऊँ, कारन आप सब पढ़ ही चुके हैं| आधे घंटे बाद मैंने दूसरी तरफ करवट ली... भौजी का हाथ अब भी मेरी कमर पे था... और मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला|
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भौजी: आप यहीं अंदर साओगे?
मैं: हाँ ... और आप भी जाके आराम कर लो| जब से आये हो मेरी ही तीमारदारी में लगे हो|
भौजी: आपका ध्यान रख रही हूँ जो मेरा फर्ज है और आप इसे तीमारदारी कहते हो? और जब आपने दिन रात मेरा ध्यान रखा था तब? जाइए मैं आपसे बात नहीं करती!
मैं: SORRY यार!
भौजी: ठीक है माफ़ किया....!!! ही ही ही ही
मैं: अच्छा अब आप जाके सो जाओ, कल सुबह उठना भी तो है| कल तो शायद माँ और पिताजी भी आ जाएं|
भौजी: नहीं मैं यहीं बैठूंगी| भूल गए डॉक्टर साहब ने क्या कहा था? रात को बुखार चढ़ गया तो| और मैं आपको जानती हूँ की अगर बुखार चढ़ गया तो आप मुझे उठाओगे भी नहीं| इसीलिए मैं यहीं बैठूंगी|
मैं: देखो मेरे साथ रहोगे तो आप भी बीमार हो जाओगे| और रसिका भाभी क्या कहेंगी? और कहीं अम्मा ने हमें एक साथ लेटे हुए देख लिया तो?
भौजी: वो सब मैं नहीं जानती... मैं तो यहीं सोऊँगी... वो भी आपके बगल में| ही..ही..ही..ही
मैं: यार प्लीज जिद्द मत करो... आप बीमार पड़ जाओगे?
भौजी: कुछ नहीं होता... डॉक्टर साहब ने कहा था की ये छोटी सी बिमारी है जो एक-दो दिन में ठीक हो जाती है|
मैं: अपना नहीं तो उस नन्ही सी जान के बारे में सोचो जो अभी इस दुनिया में आने वाली है| मैं चाहता हूँ की वो स्वस्थ पैदा हो|
भौजी: वो स्वस्थ ही होगी... और आप बेकार की चिंता करते हो! ऐसे बीमारियां एक दूसरे में नहीं फैलतीं...कभी देखा की बच्चे की वजह से माँ बीमार पड़ीं हो... कितनी पत्नियां होती हैं जो अपने पति के बीमार होने पे उनकी सेवा करती हैं| वो तो बीमार नहीं होती| तो मैं कैसे बीमार हूँगी| अब आप बहस मत करो और सो जाओ|
मैं जानता था की मुझसे ज्यादा भौजी को फ़िक्र है की हमारे रिश्ते के बारे में किसी को पता ना चले| पर मुझे तकलीफ इस बात से हो रही थी की मेरी वजह से वो ठीक से सो नहीं पाएंगी|
मैं: अच्छा आप एक काम करो, इस कमरे में एक चारपाई और बिछा दो| और आप उसी पे सो जाना|
भौजी: इस कमरे में इक और चारपाई नहीं घुसेगी| आप मेरी चिंता मत करो.... अगर मुझे नींद आई तो मैं अपनी चारपाई पे जाके सो जाऊँगी|
मैं: यार आप जिद्द बहुत करते हो...कभी मेरी बात नहीं मानते|
भौजी: एक बार मानी थी तो आपकी ये हालत हो गई| अब नहीं मानूँगी!!!
मैं लेट गया और ऐसे दिखाया जैसे मैं घोड़े बेच के सो गया हूँ| तब जाके भौजी बहार अपनी चारपाई से सोने गईं|
पर मुझे नींद नहीं आ रही थी| उनके जाने के बाद मैंने अनेकों बार करवटें बदली पर नींद नहीं आई| आखिर में बाईं करवट लेट गया की शायद ननद आ जाए| पर मैं ये नहीं जानता था की बभुजी खिड़की से मुझे करवटें बदलते हुए देख रही हैं| मेरे करवट लेने के करीब दो मिनट बाद वो आईं और मेरे पीछे लेट गईं और अपना हाथ मेरी बगल में डाल दिया| उनके हाथ के स्पर्श को मैं भलीं-भाँती जानता था|
भौजी मेरे कान में धीरे से खुसफुसाइन; "नींद नहीं आ रही है ना?" मैंने ना में सर हिला दिया| "तो फिर मुझे क्यों दूर भेजा, वो भी ड्रामा कर के की आपको बहुत जबरदस्त नींद आ रही है?" उन्होंने प्रश्न किया|
मैं: क्योंकि मैं नहीं चाहता की आप बीमार पड़ो|
भौजी: कुछ नहीं होगा मुझे....आपको कोई छूत की बिमारी नहीं है, और अगर होती भी तो भी मैं आपके पास यूँ ही रहती!
मैं: आप नहीं सुधरोगे!!!
मैंने उनका हाथ पकड़ के चूम लिया पर मैं अब भी करवट लिए हुए था ताकि मेरी सांसें उनकी साँसों से ना मिली वरना इन्फेक्शन उन्हें भी हो जाता|
भौजी: मेरी तरफ करवट करो?
मैं: नहीं...
भौजी: आपको मेरी कसम|
अब फिर से मैं उनकी कसम से बंध गया था| मैंने उकी तरफ करवट ली और हमारी आँखें एक दूसरे से मिलीं| मैंने अपनी सांस रोक रखी थी.... ताकि उन्हें इन्फेक्शन ना हो| भौजी ने अपना हाथ मेरे दिल पे रखा जो अब तेजी से धड़कने लगा था|
भौजी: कब तक सांस रोकोगे?... मैंने कहा न कुछ नहीं होगा....
तब जाके मैंने सांस धीरे-धीरे छोड़ी|
भौजी: अगर मैं बीमार होती तो आप मुझसे दूर रहते?
मैं: कभी नहीं ....पर आप माँ बनने वाले हो...और अगर बच्चा....
भौजी: कुछ नहीं होगा उसे.... आप बस मुझसे दूर मत रहा करो, मैं अधूरी हो जाती हूँ| और इन दिनों में आपने जो कुछ किया...आपका मेरे प्रति ये समर्पण .... मैं आपकी कायल हो गई| You’re a One Woman Man! And I LOVE YOU !!!
मैं: I LOVE YOU TOO !!!
इसके बाद उन्होंने मेरे होंटों को चूम लिया और मैं भी खुद को नहीं रोक पाया| मैं उनके रसीले होठों को चूसने लगा और जब मैं थक जाता तो वो मेरे होठों को चूसने लगतीं| हम ये भी भूल गए की घर में हमारे आलावा एक औरत और भी है...जो शायद ये सब देख रही हो| मैंने अपने दोनों हाथों से बहूजी का चेहरे को थामा हुआ था और भौजी ने मेरा चेहरा अपने हाथ में थामा हुआ था| कुछ ही देर में जीभ से रस का आदान-प्रदान भी शुरू हो गया| जब हम अलग हुए तो मेरे और भौजी के होठों के बीच हमारे रस की एक पतली सी तार थी| उसे देख ना तो भौजी खुद को रोक पाई और ना ही मैं| हुमदोनो के होंठ एक बार और मिल गए| इस बार हम एक दूसरे को इस बेतहाशा तरीके से चूम और चूस रहे थे जैसे आज पहली बार मिलें हों| ये प्यार भरा सिलसिला करीब पंद्रह मिनट चला और अब हालत ये थी की लंड महाशय अपना प्रगाढ़ रूप धारण कर चुके थे| भौजी ने अपना हाथ उसपे रखा तो मेरे अंदर एक करंट दौड़ गया| पर मैं अभी उस हालत में नहीं था की उन्हें संतुष्टि प्रदान कर पाऊँ, कारन आप सब पढ़ ही चुके हैं| आधे घंटे बाद मैंने दूसरी तरफ करवट ली... भौजी का हाथ अब भी मेरी कमर पे था... और मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला|
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