Saturday, October 11, 2014

FUN-MAZA-MASTI बदलाव के बीज--38

 FUN-MAZA-MASTI
 बदलाव के बीज--38

अब आगे...
 मैं: (मैंने भौजी को रात में मुझे जो भी महसूस हुआ वो सब सुना दिया और फिर अंत में उनसे पूछा...) कल रात को मुझे क्या हुआ था...? मैं ऐसा अजीब सा बर्ताव क्यों कर रहा था?

भौजी: (थोड़ा मुस्कुराते हुए) मन कोई डॉक्टर नहीं... ना ही कोई ओझा या तांत्रिक हूँ! कल दोपहर में जब आपने अपने अंदर आये बदलावों को बताया तो मैं समझ गई थी की आपको क्या तकलीफ है| ये एक तरह का संकेत था की आप मुझसे कितना प्यार करते हो| आपका वो बारिश में भीगना... ठन्डे पानी से रात को बारिश में साबुन लगा-लगा के नहाना.. चैन से ना सो पाना.. बार-बार ऐसा लगना की माधुरी के हाथ आपके शरीर से खेल रहे हैं या आपको ऐसा लगना की उसके शरीर की महक आपके शरीर से आ रही है... ये सब आप के दिमाग की सोच थी| आप अंदर ही अंदर अपने आपको कसूरवार ठहरा चुके थे और अनजाने में ही खुद को तकलीफ दे रहे थे| आपका दिल आपके दिमाग पे हावी था और धीरे-धीरे आपको भ्रम होने लगा था| मैंने कोई उपचार नहीं किया.... कोई जहर आपके शरीर से नहीं निकला| बस आप ये समझ लो की मैंने आपको अपने प्यार से पुनः "चिन्हित" किया| ये आपका मेरे प्रति प्यार था जिससे आपको इतना तड़पना पड़ा और मैंने बस आपकी तकलीफ को ख़त्म कर दिया|



मैं: (मुस्कुराते हुए) तो ये मेरे दिम्माग की उपज थी... खेर आपने सच में मेरी जान बचा ली| वरना मैं पागल अवश्य हो जाता|

भौजी: मैं ऐसा कभी होने ही नहीं देती|

मैं: अच्छा ये बताओ, आपने ये उपचार कहाँ सीखा? कौन सी पिक्चर में देखा आपने ये उपचार का तरीका? (मैं हंसने लगा|)

भौजी: पिक्चर.... आखरी बार पिक्चर मैंने आपके ही घर में देखी थी| मैंने तो बस वाही किया जो मेरे दिल ने कहा| खेर मुझे भी आप से माफ़ी मांगनी है, मेरी वजह से आपको पिताजी से इतना सुन्ना पड़ा वो भी सुबह-सुबह|

मैं: ये तो चलता रहता है... उन्होंने कुछ गलत नहीं कहा था| गलती मेरी ही थी... पर मुझे नींद कब आगे पता ही नहीं चला| मेरे सोने के बाद आखिर हुआ क्या था, आप बहार कब आके सो गए?

भौजी: दरअसल मैं आपके पास रात दो बजे तक लेटी थी... फिर मुझे लगा की अगर सुयभ किसी को पता चला की आप और मैं एक ही घर में अकेले सोये थे तो लोग बातें बनाने लग जाते| इसलिए मैं कपडे पहन केचुप-चाप बहार आ गई| सच कहूँ तो मेरा मन बिल्क्कुल नहीं था की मैं आपको अकेला सोता छोड़ के जाऊँ| मुझे बहुत आनंद आ रहा था आपके साथ इस तरह सोने में पर क्या करूँ? और हमारे बेच रात में कुछ नहीं हुआ... हालाँकि मेरा मन तो था पर आप सो चुके थे इसलिए मैं आपके पास चुप-चाप लेटी रही|

मैं: ओह सॉरी! पर आप मुझे उठा देते|

भौजी: मैं इतनी स्वार्थी नहीं की अपनी जर्रूरत के लिए आपकी नींद खराब कर दूँ| कल रात ना सही तो आज सही!!

मैं: आज रात तो कोई मौका ही नहीं... कल रात जो हुआ उसके बाद अब तो मेरे नाम का वारंट निकल चूका है| अगर मैं रात को आपके घर के आस-पास भी भटका ना तो मेरी फाँसी तय है|



 भौजी का मुंह लटक गया... उनके मुख पे परेशानी के भाव थे, बुरा तो मुझे भी लग रहा था पर मैं अब इसका समस्या का हल ढूँढना चाहता था| चुप्पी तोड़ते हुए मैंने कहा; "मुझ पे भरोसा रखो... भले ही कितना सख्त पहरा हो पर मैं आज रात जर्रूर आऊंगा| पहले ही मैं आपको बहुत दुःख दे चूका हूँ पर अब और नहीं|" भौजी को मेरी चिंता हुई तो वो बोलीं; "नहीं ... प्लीज आप कुछ ऐसा मत करना| धीरे-धीरे सब शांत हो जाएगा और सभी भूल जायेंगे| तब तक आप कुछ भी गलत मत करना"| सच कहूँ तो मैं कोई भी खतरा उठाने को तैयार था, पर मुझे आज किसी भी हालत में भौजी की ये " ख्वाइश" पूरी करनी थी| अब दिमाग फिर से प्लानिंग में लग गया... पर कई बार चीजें इतनी आसानी से हो जाती हैं की आपकी साड़ी प्लानिंग धरी की धरी रह जाती हैं| भौजी उठ के अपने घर के भीतर चलीं गई... मैं जानता था की उनका मूड ख़राब है| अब कुछ तो करना था मुझे, इसलिए दस मिनट रुकने के बाद मैं उठा और नेहा को गोद में उठाया और भौजी के घर के अंदर घुस गया| अंदर भौजी कमरे के एक कोने पे सर झुकाये खड़ी थी| शायद उन्हें बुरा लगा की अब हम दोनों रात को एक साथ नहीं रह पाएंगे| मैंने नेहा को चारपाई पर लेटाया और भौजी के एक डैम करीब खड़ा हो गया| मैंने उनका मुँह उठाया और उनकी आँखों में देखने लगा|

मैंने उनके होठों को चूमा और फिर उन्हें गले लगा लिया.... आह! क्या ठंडक पड़ी कलेजे में| भौजी भी मुझसे एक डैम लिपट गई और मुझे इतना कस के गले लगाया की एक पल के लिए तो लगा जैसे वो मुझे दुबारा मिलेंगी ही नहीं| या जैसे एक सदी के बाद हम मिले हों... मैं जानता था की कुछ भी करने के लिए ये समय ठीक नहीं है... इसलिए मैं "आगे" नहीं बढ़ा| हम जब अलग हुए तभी मुझे किसी के आने की आहट आई और मैंने फ़ौरन भौजी से ऊँची आवाज में बात करनी शुरू कर दी....

मैं: मैं बैटिंग करता हूँ और आप बॉल डालो|

भौजी: (मेरा इशारा समझते हुए) आपको क्रिकेट खेलना है तो नेहा के साथ खेलो, आप हर बार मेरी बॉल बहुत जोर से पीटते हो!

मैं: (भौजी की डबल मीनिंग बात का अर्थ समझ गया पर मुझे ये बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा और मुंह बनाते हुए कहा) आप रहने दो, जब नेहा उठेगी तब उसी के साथ खेलूंगा|

इससे पहले की भौजी कुछ कहतीं ... रसिका भाभी आ गईं| अर्थात वो रसिका भाभी की ही आने की आहट थी|

रसिका भाभी: मानु जी, आप से कुछ बात करनी थी?

मैं: हाँ बोलो

रसिका भाभी बोलने में थोड़ा झिझक रहीं थी और मुझे समझने में देर नहीं लगी की उन्हें अकेले में माधुरी के बारे में बात करनी है| अब चूँकि माधुरी के नाम से ही घर के सभी सदस्य चिढ़ते थे इसलिए रसिका भाभी भूल से भी उसका जिक्र किसी के सामने नहीं करती थीं| इससे पहले की बात आगे बढे, भौजी बीच में ही बोल पड़ीं;

भौजी: अरे ऐसी कौन सी बात है जो तुम दोनों को मुझसे छुपानी पद रही है| वैसे भी ये (मेरी और इशारा करते हुए) मुझसे कोई बात नहीं छुपाते| तो बेहतर होगा की मेरे सामने ही बात कर लो...

रसिका भाभी: जीजी ऐसी कोई बात नहीं... दरअसल माधुरी के बारे में बात करनी थी तो...

भौजी: (बात काटते हुए) तो मुझसे कैसा पर्दा? आज से पहले तो तुम मुझे सब बात बताया करती थी? और अगर तुम्हें लग रहा है की मैं अम्मा को बता दूंगी तो निश्चिंत हो जाओ मैं किसी को नहीं बताऊँगी| अब बताओ क्या बात है? अब क्या चाहिए उसे?

रसिका भाभी: वो .. माधुरी ने मानु जी के लिए संदेसा भिजवाया है| वो कह रही थी की आप उसे छः बजे स्कूल पे मिलो|

मैं: ना ... मैं नहीं जा रहा| वो फर से वही बातें करेगी ...... SORRY !!!


 मैं इतना कह के बहार आ गया .... बहार आते ही मुझे अजय भैया ने पकड़ लिया और जबरदस्ती पिताजी के पास ले गए| कोई ख़ास बात नहीं थी दरअसल पिताजी चाह रहे थे की आज मौसम बहुत अच्छा है तो मैं अजय भैया के साथ बाजार से सब के लिए कुछ खाने को लाऊँ| मैं जल्दी से तैयार हुआ और अजय भैया के साथ बाजार चला गया| बाजार पहुँच के मैं दुकानों का मुआयना करने लगा और मैंने सब के लिए खाने के लिए जलेबी, आलू की टिक्की, भल्ले पापड़ी और कोल्ड ड्रिंक्स लीं| अजय भैया भी हैरान थे की मैं इतनी रिसर्च कर कर के खरीदारी कर रहा था|करीब दो घंटे की रिसर्च के बाद सामान ले के हम घर पहुँचे... रास्ते में हमें माधुरी दिखी और उसने मेरे हाथ में जब सामान दिखा तो वो समझ गई| वो चुप-चाप चली गई, अजय भैया के मुंह पे भी गुस्से के भाव थे| मैंने भैया को कोहनी मारते हुए घर की ओर चलने का इशारा किया और हम रस्ते में बाते करते-करते घर पहुँच गए| सभी ने बड़े चाव से खाया और गप्पें लगाने लगे| रसिका भाभी ने तो दबा के टिक्की खाई... जैसे कभी खाई ही ना हो! सबसे ज्यादा मेरी तारीफ भी उन्होंने ही की ... बातों-बातों में पता चला की मेरी गैर मौजूदगी में भौजी का भाई (अनिल) आया था| अब ये सुनते ही मैं समझ गया की फिर से भौजी के घर में कोई हवन होगा या कोई समारोह होगा और वो भौजी को कल सुबह ले जाएगा| मन खराब हुआ और मैं चुप-चाप उठ के कुऐं की मुंडेर पे बैठ गया| हालांकि मेरे मुख पे अब भी नकली मुस्कान चिपकी थी पर भौजी मेरे भावों को भलीं-भांति जानती थी ... इसलिए भौजी भी सबसे नजर बचा के मेरे पास आईं|

भौजी: क्या हुआ?

मैं: कुछ भी तो नहीं|

भौजी: तो आप यहाँ अकेले में क्यों बैठे हो? आप जानते हो ना आप मुझसे कोई बात नहीं छुपा सकते|

मैं: (ठंडी सांस एते हुए) आज आपका भाई आया था ना आपको लेने .... तो कब जा रहे हो आप?

भौजी: सबसे पहली बात, मेरा भाई यानी आपका "साला" और दूसरी बात वो आज इसलिए आया था की मेरे पिताजी यानी आपके "ससुरजी" के दोस्त (चरण काका) की लड़की की शादी है|

मैं: ठीक है बाबा साले साहब आपको लेने ही तो आये थे ना? कितने दिन के लिए जा रहे हो?

भौजी: अब शादी ब्याह का घर है तो कम से कम एक हफ्ता तो लगेगा ही|

एक हफ्ता सुन के मैं मन ही मन उदास हो गया, और मुझे फैसला करने में एक सेकंड भी नहीं लगा की कल जब भौजी निकलेंगी तभी मैं उन्हें अलविदा कह दूँगा और अगले दिन ही वापस चला जाऊँगा|

मैं: (अपने मुंह पे वही नकली हंसी चिपकाए बोला) ठीक है... आप जर्रूर जाओ| आखिर आपके काका की लड़की की शादी है|

भौजी: दिल से कह रहे हो?

मैं: हाँ … (मैंने जूठ बोला, क्योंकि मैं नहीं चाहता था की भौजी शादी में मेरी वजह से ना जाएँ|)

भौजी: वैसे आपसे किसने कहा की मैं जा रही हूँ| मैंने भाई को मना कर दिया… मैंने उसे कह दिया की मेरा मन नहीं है|

मैं: और वो मान भी गया?

भौजी: नहीं ... मैंने थोड़ा झूठ और थोड़ा सच बोला| मैंने कहा की शहर से चाचा-चाची यानी मेरे "ससुर और सास" आये हैं और ख़ास तौर पे आप को छोड़ के गयी तो आप नाराज हो जाओगे|

मैं: क्या? आपने उसे सब बता दिया? वैसे मैं नाराज नहीं होता|

भौजी: अच्छा जी ??? पिछली बार जब मैं हवन के लिए मायके गई थी तो जनाब ने सालों तक कोई बात नहीं की| इस बार अगर जाती तो आप तो मेरी शकल भी नहीं देखते दुबारा|

मैं: ऐसा नहीं है... आप को जर्रूर जाना चाहिए| हमने इतने दिन तो एक साथ गुजारे हैं|

भौजी: मैं इतने भी बुद्धू नहीं की अपनी बकरी (मैं) को शेरनियों (रसिका भाभी और माधुरी) के साथ अकेला छोड़ जाऊँ!!! वैसे भी सच में मेरा मन बिलकुल नहीं की मैं आपको छोड़ के कहीं जाऊँ|

मैं: ठीक है, जैसी आपकी मर्जी! पर मैं ये जानने के लिए उत्सुक हूँ की आपने साले साहब से आखिर बोला क्या? मुझे साफ़ शब्दों में बताओ|

भौजी (हँसते हुए) मैंने कहा की; सालों बाद शहर से चाचा-चाची आये हैं| मुझे उनकी देख-भाल करने के लिए यहीं रुकना होगा| और ख़ास कर तुम्हारे (अनिल के) जीजा जी (चन्दर भैया) का भाई जो दिल्ली से आया है! वो सिर्फ और सिर्फ मुझसे मिलने आये हैं| याद है पिछली बार जब मैं हवन के लिए घर आई थी तो वापस जाते हुए उन्होंने (मैंने) मुझसे बात भी नहीं की थी| और वैसे भी मेरा मन नहीं इस शादी में जाने का, अभी-अभी नेहा का स्कूल भी शुरू हुआ है और मैं नहीं चाहती की उसका स्कूल छूटे! ये सब कहने के बाद मेरा भाई माना|

मुझे भौजी का नाजाने पर थोड़ा बुरा तो लगा पर उनके नाजाने की ख़ुशी सबसे ज्यादा थी|

मैं: मतलब की साले साहब को पता चल गया की आपके और मेरे बीच में कुछ तो पक रहा है| और अब वो यही बात जाके "सास-सासुर" को भी बता देंगे| क्या इज्जत रह जाएगी मेरी?

भौजी: तो बताने दो ना ...कोई कुछ नहीं कहेगा क्योंकि सब जानते हैं की हमारे बीच में केवल देवर-भाभी का रिश्ता है| ये तो सिर्फ हम दोनों जानते हैं की हमारा रिश्ता उस रिश्ते से कहीं अधिक पवित्र है! अब छोडो इन बातों को और चलो सब के पास वरना फिर सब कहेंगे की दोनों क्या खिचड़ी पका रहे हैं|


 मैंने भी इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और वापस सब के साथ घुल-मिल कर बैठ गया और बातें करना लगा| आज रात भोजन बनने में बहुत देर हो गई... जब सभी पुरुष सदस्य भोजन के लिए बैठे तब भौजी के मायके से आये अनिल की बातें शुरू हो गईं|

पिताजी: बहु तुम गई क्यों नहीं अपने भाई के साथ? आखिर तुम्हारे चरण काका की लड़की की शादी थी| तुम्हें जाना चाहिए था?

भौजी: (घूँघट किये रसोई से बोलीं) चाचा... मेरा मन नहीं था जाने का और फिर नेहा का स्कूल भी तो है|

पिताजी: बहु बेटा, नेहा को तो कोई भी संभाल लेता और यहाँ तुम्हारा लाडला देवर भी तो है| नेहा उसी के पास तो सबसे ज्यादा खुश रहती है| ये उसका अच्छे से ध्यान रखता|

माँ: (बीच में बात काटते हुए बोली) जाती कैसे? आपके लाड़-साहब जो नाराज हो जाते| याद है पिछली बार जब बहु मायके गई थी तो लाड़ साहब ने बात करना बंद कर दिया था|

पिताजी: क्यों रे?

मैं: जी मैंने कब मना किया... मैं तो खुद इन्हें ससुराल छोड़ आता हूँ| (मेरे मुंह से अनायास ही "ससुराल" शब्द निकल पड़ा|)

पिताजी: रहने दे तू, पहले बहु को मायके छोड़के आएगा और अगले दिन ही यहाँ से चलने के लिए बोलेगा|

पिताजी ने बिलकुल सही समझा था... आखिर वो भी मेरे बाप हैं! अब मेरे पास बोलने के लिए कुछ नहीं था तो मैं चुप-चाप भोजन करता रहा| मेरे बचाव में कोई बोलने वाला नहीं था... कोई बोलता भी क्या| सभी चाहते थे की भौजी शादी में जाए|




हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator