FUN-MAZA-MASTI
घर का बिजनिस -12
दीदी के फारिग़ होते ही मैंने दीदी की फुद्दी से निकलने वाला सारा पानी चाट लिया और उठकर दीदी के ऊपर लेट गया और किस करने लगा। दीदी भी मुझे पागलों की तरह किस करने लगी और मेरे साथ लिपटने लगी थी जिससे कि मुझे और भी मजा आने लगा। मैंने इसी तरह लेटे हुये अपने एक हाथ से अपने लण्ड को दीदी की फुद्दी के मुँह पे रख दिया और हल्का सा दबा दिया जिससे मेरे लण्ड का सुपाड़ा दीदी की फुद्दी में घुस गया तो दीदी ने किस करना बंद कर दिया।
मैंने कहा- क्यों दीदी? क्या हुआ? भाई का लण्ड अपनी फुद्दी में नहीं लेना क्या?
दीदी ने मेरे सर को अपने साथ लगा लिया और मेरे कान में बोली- “भाई, मैं तो आप ही की हूँ जो आपका दिल चाहे कर लीजिए। मैं आपको मना नहीं करूंगी…”
दीदी की बात सुनते ही मैंने अपने लण्ड पे दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया जिससे मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में अपना रास्ता बनाता हुआ घुसने लगा।
लण्ड कोई 4” इंच से थोड़ा ज्यादा ही गया था कि दीदी के मुँह से- “भाई, आराम से दर्द हो रहा है…” क्योंकि अरविंद का लण्ड भी कोई 4” से थोड़ा ही बड़ा था जिसकी वजह से दीदी की फुद्दी ने मेरे लण्ड को भी उतनी ही जगह दी थी।
तो मैंने कहा- क्यों दीदी? क्या आप अपने भाई का पूरा लण्ड अपनी फुद्दी में नहीं लोगी?
दीदी ने कहा- “भाई, मैंने आपको मना तो नहीं किया। आज आपका जो दिल चाहे करो लेकिन प्लीज़्ज़ जरा आराम से दर्द होगा…”
मैंने दीदी की बात सुनकर कहा- “दीदी, आप परेशान नहीं हो, मैं आपका भाई हूँ ज्यादा दर्द नहीं दूंगा…” और इसके साथ ही दीदी की टाँगों को दीदी के कंधों की तरफ मोड़ दिया और एक तेज झटका दिया जिससे मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में पूरा घुस गया।
और दीदी के मुँह से- “आऐ… आअम्मीईई… मर गई… ऊओ… भाई, रुक जाओ… मुझे दर्द हो रहा है… अभी हिलना नहीं… प्लीज़्ज़ आअह्ह…”
मुझे अपना लण्ड आगे दीदी की फुद्दी में किसी चीज के साथ टकराता हुआ लग रहा था जिससे मैं समझ गया कि वो दीदी की बच्चेदानी है जिससे मेरा लण्ड टकरा रहा है और दीदी को दर्द हो रहा है। इतना महसूस करते ही कि मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में बच्चेदानी से टकरा रहा है मेरा बुरा हाल हो गया और मुझसे रुकना मुहाल हो रहा था।
दीदी ने हल्की सी आवाज में कहा- भाई, आराम से करना प्लीज़्ज़ जोर नहीं लगाना।
मैंने दीदी के मुँह से ये बात सुनते ही दीदी की फुद्दी में अपने लण्ड को हिलाना शुरू कर दिया जो कि बड़ा ही टाइट होकर अंदर-बाहर हो रहा था जिससे मुझे लग रहा था कि मैं दीदी को ज्यादा देर तक नहीं चोद सकूंगा। मेरी इस प्यार भरी और आराम से होने वाली चुदाई दीदी को भी उतना ही मजा दे रही थी, जितना मजा मुझे आ रहा था। दीदी अपनी गाण्ड को भी मेरी तरफ दबा के मजा ले रही थी।
और साथ ही दीदी सिसकी- “आअह्ह… मेरा भाई… उंन्ह… मजा आ रहा है भाई… बस इसी तरह ही करना… भाई, मेरा होने वाला है… उन्म्मह… भाई, आपके लण्ड ने मुझे अपना दीवाना बना दिया है… भाई, भाई मैं गई…”
इतना बोलते ही दीदी का जिश्म अकड़ गया और तभी मुझे दीदी की फुद्दी में अपने लण्ड को कोई गरम सी चीज महसूस हुई। जिसके बाद मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में आराम से अंदर-बाहर होने लगा और मैं भी दीदी के बाद कोई एक मिनट में ही फारिग़ हो गया और दीदी के साथ लिपट के लेट गया।
कुछ देर मैं इसी तरह दीदी के साथ लिपट के लेटा रहा और जब साइड पे होने लगा तो दीदी ने कहा- “भाई क्या हुआ? लेटे रहो ना इसी तरह…”
मैं- क्यों दीदी? आपको मेरा इस तरह आपके साथ लेटना अच्छा लग रहा है?
दीदी- हूंन… भाई, बहुत अच्छा लग रहा है।
मैं- दीदी, क्या आपको मेरे साथ ज्यादा मजा आया है या उस अरविंद के साथ?
दीदी- भाई, आपको ज्यादा मजा किसके साथ आया? पहले आप बताओ फिर मैं भी बता दूँगी, अम्मी के साथ बुआ के साथ या? (इतना बोलते ही दीदी खामोश हो गई)
मैं- दीदी, सच पूछो तो मजा तो सब के साथ आया लेकिन जो मजा आपने दिया है वो मैं कभी भूल नहीं सकूंगा
दीदी- भाई, मुझे भी आपके साथ मजा आया है दिल करता है कि आप अपने उसको मेरे अंदर इसी तरह घुसाकर लेटे रहो और कभी भी बाहर नहीं निकालो
मैं- “अच्छा दीदी, अभी आप सो जाओ शाम को जाना भी है और नींद भी पूरी होनी चाहिए ना हमारी…”
दीदी- अच्छा भाई, लेकिन आप मेरे साथ इसी तरह लिपट के सो जाओ मुझे अच्छा लगेगा।
मैंने दीदी की बात को मान लिया और इसी तरह लेटा रहा और कब नींद आई पता ही नहीं चला, और अम्मी के हिलाने से ही मेरी आँख खुली देखा तो हम दोनों बहन भाई अभी तक नंगे ही एक साथ बेड पे सो रहे थे।
अम्मी ने हँसते हुये कहा- चलो बेटा 3:00 बज चुके हैं और अब उठकर नहा लो। फिर खाना खाकर तैयार हो जाओ। जाना नहीं है क्या?
मैंने भी हँसते हुये कहा- अच्छा मैं उठ रहा हूँ। और इतना बोलते ही दीदी को अपनी तरफ खींच लिया और एक किस करके दीदी को भी उठा दिया और बोला- “चलो दीदी, 3:00 बज गये हैं जाना नहीं है क्या?
फिर हमने बारी-बारी नहाकर खाना खाया और तैयार हो गये। तो बापू ने मुझे कुछ बोतल शराब भी पकड़ा दी और कहा- “बेटा, ये अपने साथ फ्लैट में ले जाओ…”
फिर हम चारों घर से फ्लैट की तरफ निकल आए और मैं उन सबको फ्लैट में छोड़ कर बाजार की तरफ चला गया और कुछ खाने पीने का सामान लाकर बुआ को पकड़ा दिया, जो कि बुआ ने किचेन में रख दिया। फिर हम वहाँ हाल में ही बैठकर टीवी देखने लगे और इंतजार करने लगे कि बापू कब काल करेंगे और काम शुरू होगा।
पायल काफी टेशन में नजर आ रही थी।
तभी दीदी ने पूछा- पायल क्या बात है? परेशान क्यों हो तुम?
पायल ने दीदी की तरफ देखा और बोली- नहीं दीदी, बस आपको तो पता है कि मेरा पहली बार है इसीलिए थोड़ा दिल घबरा रहा है।
बुआ ने पायल की बात सुनकर उसे अपनी तरफ खींच लिया और कहा- “देख पायल, ये जो काम है ना हर लड़की ने करना ही होता है इसमें क्या डरना? बलकि मजा लो क्योंकि इसमें हर तरफ से अपना ही फायदा है, मजे भी लो और पैसे भी…”
पायल ने बुआ की तरफ देखकर हाँ में सर हिला दिया और कहा- “जी बुआ, आप ठीक कहती हो…”
तभी बापू की काल भी आ गई।
मैंने काल रिसीव की तो बापू ने कहा- “आलोक, तुम बाहर आ जाओ। बिल्डिंग के बाहर ब्लैक प्राडो खड़ी होगी। उसमें दो आदमी होंगे, उन्हें अपने साथ फ्लैट में ले जाओ। ये लोग पायल के साथ ही वक़्त गुजारेंगे…”
मैंने हैरानी से बापू को कहा- “लेकिन बापू, पायल ने तो अभी तक एक के साथ भी नहीं किया है और आपने दो भेज दिए उसके लिए?”
बापू ने कहा- “परेशान नहीं हो… मैं जानता हूँ कि पायल को कुछ नहीं होगा और अगर अरविंद आ जाये तो अंजली को उसके साथ रूम में भेज देना…”
मैंने- “ओके…” कहा और काल कट करके नीचे चला गया, जहाँ गाड़ी में दो लोग बैठे हुये थे। मैं जैसे ही उनके पास गया कि उनमें से एक ने कहा- क्या तुम ही आलोक हो?
मैंने हाँ में सर हिला दिया।
तो उसने कहा- क्या तुम सच में अपनी बहनों को चलाते हो? और तुम्हारी छोटी बहन अभी कुँवारी है?
मैंने कहा- “जी, आप सही जगह पे ही आए हो। आ जाओ फ्लैट में चलते हैं…”
वो लोग गाड़ी में से निकले और बोले- कुछ पीने का इंतजाम भी है या नहीं? अगर नहीं है तो अभी बता दो मैं ड्राइवर को बोल दूँ?
मैंने कहा- नहीं, इसे आप जाने दो, हर चीज यहाँ पहले से ही है आप चलो तो सही।
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घर का बिजनिस -12
दीदी के फारिग़ होते ही मैंने दीदी की फुद्दी से निकलने वाला सारा पानी चाट लिया और उठकर दीदी के ऊपर लेट गया और किस करने लगा। दीदी भी मुझे पागलों की तरह किस करने लगी और मेरे साथ लिपटने लगी थी जिससे कि मुझे और भी मजा आने लगा। मैंने इसी तरह लेटे हुये अपने एक हाथ से अपने लण्ड को दीदी की फुद्दी के मुँह पे रख दिया और हल्का सा दबा दिया जिससे मेरे लण्ड का सुपाड़ा दीदी की फुद्दी में घुस गया तो दीदी ने किस करना बंद कर दिया।
मैंने कहा- क्यों दीदी? क्या हुआ? भाई का लण्ड अपनी फुद्दी में नहीं लेना क्या?
दीदी ने मेरे सर को अपने साथ लगा लिया और मेरे कान में बोली- “भाई, मैं तो आप ही की हूँ जो आपका दिल चाहे कर लीजिए। मैं आपको मना नहीं करूंगी…”
दीदी की बात सुनते ही मैंने अपने लण्ड पे दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया जिससे मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में अपना रास्ता बनाता हुआ घुसने लगा।
लण्ड कोई 4” इंच से थोड़ा ज्यादा ही गया था कि दीदी के मुँह से- “भाई, आराम से दर्द हो रहा है…” क्योंकि अरविंद का लण्ड भी कोई 4” से थोड़ा ही बड़ा था जिसकी वजह से दीदी की फुद्दी ने मेरे लण्ड को भी उतनी ही जगह दी थी।
तो मैंने कहा- क्यों दीदी? क्या आप अपने भाई का पूरा लण्ड अपनी फुद्दी में नहीं लोगी?
दीदी ने कहा- “भाई, मैंने आपको मना तो नहीं किया। आज आपका जो दिल चाहे करो लेकिन प्लीज़्ज़ जरा आराम से दर्द होगा…”
मैंने दीदी की बात सुनकर कहा- “दीदी, आप परेशान नहीं हो, मैं आपका भाई हूँ ज्यादा दर्द नहीं दूंगा…” और इसके साथ ही दीदी की टाँगों को दीदी के कंधों की तरफ मोड़ दिया और एक तेज झटका दिया जिससे मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में पूरा घुस गया।
और दीदी के मुँह से- “आऐ… आअम्मीईई… मर गई… ऊओ… भाई, रुक जाओ… मुझे दर्द हो रहा है… अभी हिलना नहीं… प्लीज़्ज़ आअह्ह…”
मुझे अपना लण्ड आगे दीदी की फुद्दी में किसी चीज के साथ टकराता हुआ लग रहा था जिससे मैं समझ गया कि वो दीदी की बच्चेदानी है जिससे मेरा लण्ड टकरा रहा है और दीदी को दर्द हो रहा है। इतना महसूस करते ही कि मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में बच्चेदानी से टकरा रहा है मेरा बुरा हाल हो गया और मुझसे रुकना मुहाल हो रहा था।
दीदी ने हल्की सी आवाज में कहा- भाई, आराम से करना प्लीज़्ज़ जोर नहीं लगाना।
मैंने दीदी के मुँह से ये बात सुनते ही दीदी की फुद्दी में अपने लण्ड को हिलाना शुरू कर दिया जो कि बड़ा ही टाइट होकर अंदर-बाहर हो रहा था जिससे मुझे लग रहा था कि मैं दीदी को ज्यादा देर तक नहीं चोद सकूंगा। मेरी इस प्यार भरी और आराम से होने वाली चुदाई दीदी को भी उतना ही मजा दे रही थी, जितना मजा मुझे आ रहा था। दीदी अपनी गाण्ड को भी मेरी तरफ दबा के मजा ले रही थी।
और साथ ही दीदी सिसकी- “आअह्ह… मेरा भाई… उंन्ह… मजा आ रहा है भाई… बस इसी तरह ही करना… भाई, मेरा होने वाला है… उन्म्मह… भाई, आपके लण्ड ने मुझे अपना दीवाना बना दिया है… भाई, भाई मैं गई…”
इतना बोलते ही दीदी का जिश्म अकड़ गया और तभी मुझे दीदी की फुद्दी में अपने लण्ड को कोई गरम सी चीज महसूस हुई। जिसके बाद मेरा लण्ड दीदी की फुद्दी में आराम से अंदर-बाहर होने लगा और मैं भी दीदी के बाद कोई एक मिनट में ही फारिग़ हो गया और दीदी के साथ लिपट के लेट गया।
कुछ देर मैं इसी तरह दीदी के साथ लिपट के लेटा रहा और जब साइड पे होने लगा तो दीदी ने कहा- “भाई क्या हुआ? लेटे रहो ना इसी तरह…”
मैं- क्यों दीदी? आपको मेरा इस तरह आपके साथ लेटना अच्छा लग रहा है?
दीदी- हूंन… भाई, बहुत अच्छा लग रहा है।
मैं- दीदी, क्या आपको मेरे साथ ज्यादा मजा आया है या उस अरविंद के साथ?
दीदी- भाई, आपको ज्यादा मजा किसके साथ आया? पहले आप बताओ फिर मैं भी बता दूँगी, अम्मी के साथ बुआ के साथ या? (इतना बोलते ही दीदी खामोश हो गई)
मैं- दीदी, सच पूछो तो मजा तो सब के साथ आया लेकिन जो मजा आपने दिया है वो मैं कभी भूल नहीं सकूंगा
दीदी- भाई, मुझे भी आपके साथ मजा आया है दिल करता है कि आप अपने उसको मेरे अंदर इसी तरह घुसाकर लेटे रहो और कभी भी बाहर नहीं निकालो
मैं- “अच्छा दीदी, अभी आप सो जाओ शाम को जाना भी है और नींद भी पूरी होनी चाहिए ना हमारी…”
दीदी- अच्छा भाई, लेकिन आप मेरे साथ इसी तरह लिपट के सो जाओ मुझे अच्छा लगेगा।
मैंने दीदी की बात को मान लिया और इसी तरह लेटा रहा और कब नींद आई पता ही नहीं चला, और अम्मी के हिलाने से ही मेरी आँख खुली देखा तो हम दोनों बहन भाई अभी तक नंगे ही एक साथ बेड पे सो रहे थे।
अम्मी ने हँसते हुये कहा- चलो बेटा 3:00 बज चुके हैं और अब उठकर नहा लो। फिर खाना खाकर तैयार हो जाओ। जाना नहीं है क्या?
मैंने भी हँसते हुये कहा- अच्छा मैं उठ रहा हूँ। और इतना बोलते ही दीदी को अपनी तरफ खींच लिया और एक किस करके दीदी को भी उठा दिया और बोला- “चलो दीदी, 3:00 बज गये हैं जाना नहीं है क्या?
फिर हमने बारी-बारी नहाकर खाना खाया और तैयार हो गये। तो बापू ने मुझे कुछ बोतल शराब भी पकड़ा दी और कहा- “बेटा, ये अपने साथ फ्लैट में ले जाओ…”
फिर हम चारों घर से फ्लैट की तरफ निकल आए और मैं उन सबको फ्लैट में छोड़ कर बाजार की तरफ चला गया और कुछ खाने पीने का सामान लाकर बुआ को पकड़ा दिया, जो कि बुआ ने किचेन में रख दिया। फिर हम वहाँ हाल में ही बैठकर टीवी देखने लगे और इंतजार करने लगे कि बापू कब काल करेंगे और काम शुरू होगा।
पायल काफी टेशन में नजर आ रही थी।
तभी दीदी ने पूछा- पायल क्या बात है? परेशान क्यों हो तुम?
पायल ने दीदी की तरफ देखा और बोली- नहीं दीदी, बस आपको तो पता है कि मेरा पहली बार है इसीलिए थोड़ा दिल घबरा रहा है।
बुआ ने पायल की बात सुनकर उसे अपनी तरफ खींच लिया और कहा- “देख पायल, ये जो काम है ना हर लड़की ने करना ही होता है इसमें क्या डरना? बलकि मजा लो क्योंकि इसमें हर तरफ से अपना ही फायदा है, मजे भी लो और पैसे भी…”
पायल ने बुआ की तरफ देखकर हाँ में सर हिला दिया और कहा- “जी बुआ, आप ठीक कहती हो…”
तभी बापू की काल भी आ गई।
मैंने काल रिसीव की तो बापू ने कहा- “आलोक, तुम बाहर आ जाओ। बिल्डिंग के बाहर ब्लैक प्राडो खड़ी होगी। उसमें दो आदमी होंगे, उन्हें अपने साथ फ्लैट में ले जाओ। ये लोग पायल के साथ ही वक़्त गुजारेंगे…”
मैंने हैरानी से बापू को कहा- “लेकिन बापू, पायल ने तो अभी तक एक के साथ भी नहीं किया है और आपने दो भेज दिए उसके लिए?”
बापू ने कहा- “परेशान नहीं हो… मैं जानता हूँ कि पायल को कुछ नहीं होगा और अगर अरविंद आ जाये तो अंजली को उसके साथ रूम में भेज देना…”
मैंने- “ओके…” कहा और काल कट करके नीचे चला गया, जहाँ गाड़ी में दो लोग बैठे हुये थे। मैं जैसे ही उनके पास गया कि उनमें से एक ने कहा- क्या तुम ही आलोक हो?
मैंने हाँ में सर हिला दिया।
तो उसने कहा- क्या तुम सच में अपनी बहनों को चलाते हो? और तुम्हारी छोटी बहन अभी कुँवारी है?
मैंने कहा- “जी, आप सही जगह पे ही आए हो। आ जाओ फ्लैट में चलते हैं…”
वो लोग गाड़ी में से निकले और बोले- कुछ पीने का इंतजाम भी है या नहीं? अगर नहीं है तो अभी बता दो मैं ड्राइवर को बोल दूँ?
मैंने कहा- नहीं, इसे आप जाने दो, हर चीज यहाँ पहले से ही है आप चलो तो सही।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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