FUN-MAZA-MASTI
होली का असली मजा--24
अब तक
थोड़ी देर में हम तीनो ऊपर छुटकी के कमरे में पहुँच गए।
वो लगता है बस इंतज़ार ही कर रही थी।
एक झीनी झीनी कम से कम दो साल पुराने टॉप और स्कर्ट में ,
उसके टिकोरे टॉप फाड़ रहे थे , और स्कर्ट भी छोटी छोटी किशोर गोरी गोरी जांघो को दिखाती ज्यादा , छुपाती कम।
उसकी और उसके जीजा की आँखे चार हुयी और दोनों मुस्कराये।
उसके जीजा भी बस बनयान शॉर्ट्स में
और , खूंटा पूरा तना , शॉर्ट्स को फाड़ता।
छुटकी को देख के बल्कि छुटकी के कच्चे टिकोरों को देख के वो और बौरा गया।
वो छुटकी के बगलमें ही बैठ गए , उससे सट कर।
और रीतू भाभी मेरे बगल में बैठ गयीं।
वो छुटकी को प्यासी नज़रों से देख रहे थे ,बल्कि उनकी नजरें छुटकी के टीकोरों पे टिकी थीं।
और छुटकी कुछ सहमी , कुछ डरी और कुछ हो जाय तो हो जाने दो के अंदाज में निगाहें झुकाये थी , लेकिन बीच बीच में जब उसकी निगाह इनसे चार होती , तो मुस्करा जाती।
रीतू भाभी सोच रहीं थी कब खेल तमासा शुरू हो। और इस बीच भाभी की शरारती उँगलियों ने मेरे ब्लाउज की बची खुची बटनों को भी खोल दिया और उरोज मचल कर बाहर।
लेकिन जहाँ असली कबड्डी होनी थी वहां डेडलॉक मचा था।
लेकिन छुटकी की चुदाई का रास्ता खोला , और किसने मम्मी ने।
आगे
लेकिन छुटकी की चुदाई का रास्ता खोला , और किसने मम्मी ने। और उसे पक्का किया रीतू भौजी ने।
नीचे से मम्मी ने आवाज दी " मैं जरा पड़ोस में जा रही हूँ , एक - डेढ़ घंटे में आउंगी। दरवाजा बंद कर ले, छुटकी। "
…..
छुटकी उत्तर कर नीचे जाती की उसके पहले मैनेउसे दस पांच काम बता दिए।
सारे दरवाजे चेक कर लेना। मेरा कमरा भी अच्छी तरह बंद कर देना। अादि अादि।
यानी अब ६=७ मिनट की छुट्टी।
और सबसे बड़ी बात , मम्मी हैं नहीं। दरवाजे सारे बंद। तो अब छुटकी चाहे रोये चाहे चिल्लाये , चाहे ये उसे दौड़ा दौड़ा के , चाहे ऊपर उस के कमरे में , चाहे नीचे खुले आँगन में चोदें , कोई उसकी चीख पुकार सुनने वाला नहीं था।
हैं रीतू भाभी तो वो तो खुद भौजाई का हक़ अदा करेंगी , उसकी टाँगे पकड़ के फैलाएंगी।
और मैं , … मैं बहुत हुआ तो न्यूट्रल रहूंगी। और आखिर मेरा पति मेरा है। जो उन्हें पसंद वो मुझे पसंद।
और रीतू भाभी ने पहला शिकार मुझे ही बनाया।
मुझे से बोलीं , हे तेरे आँचल पे डिजाइन बड़ी अच्छी है , जरा खड़ी हो के दिखा।
और जैसे ही मैं खड़ी हुयी उन्होंने आँचल पकड़ के खींचा
और दूसरे हाथ से उन्होंने पेटीकोट में फँसी साडी निकाल दी।
साडी मैंने वैसे ही बस लपेटी सी , थी।
और अगले पल सररर सररर , पूरी की पूरी साडी उनके हाथ में और मैं सिर्फ ब्लाउज साये में , और ब्लाउज के भी सारे बटन खुले।
रीतू भाभी ने जोरदार आवाज लगायी , बाहर छत पे जा के , नीचे आँगन में खड़ी छुटकी को।
" अरे छुटकी , सुन ये तेरी दीदी की साडी है , ले जरा ठीक से तहिया के रख देना। "
और जब वो नीचे , हंसती खिलखिलाती , छुटकी को साडी फ़ेंक रही थीं, मौका मेरा था।
मैंने पहले तो साडी खींची और फिर दोनों हाथोसे रीतू भाभी के जोबन दबाते , चोली के बन्ध खोल दिए।
और अब हम दोनों खुले ब्लाउज में बिना साडी के थे।
नीचे छुटकी हम लोगों का खेल तमाशा देख कर हंस रही थी।
और रीतू भाभी की साडी नीचे फेंकते हुए मैंने उन्ही का डायलाग दुहराया ,
" अरे छुटकी , सुन ये तेरी भौजी की साडी है , ले जरा ठीक से तहिया के रख देना।“
' हंसती , खिलखिलाती , छुटकी ने बोला , " एकदम दी " और उसे कैच करलिया।
रीतू भाभी के ब्लाउज के कुछ बटन उनके ननदोई के हाथ खेत रहे और कुछ मैंने तोड़ दिए।
हम दोनों वापस कमरे में थे , इनके सामने।
मैंने पीछे से , रीतू भाभी के गदराये , गब्बर जोबन दबोच लिए , ( ब्लाउज की आड़ भी अब नहीं थी ) और कस के रगड़ते मसलते चिढ़ाया ,
" क्यों भाभी , भैया ऐसे ही दबाते हैं न , '
हंस के रीतू भाभी बोली ,
" अरे साफ साफ क्यों नहीं बोलती , अपने भैया से दबवाने का मन कर रहा है , दबवा लो , चुदवा लो न खुद पता चल जाएगा। अरे सैयां से सैयां बदल लोय ननदी , तुम मेरे सैयां से मजा ले लो ननद रानी और मैं तुम्हारे सैयां से। "
,
" नहीं भाभी , मेरे सैयां भी आपको मुबारक और मेरे भैया भी। एक आगे से एक पीछे से , एक साथ डबल मजा। " उनके निपल जोर से पुल करते मैंने छेड़ा।
लेकिन रीतू भाभी से पार पाना इतना आसान नहीं था।
लेकिन रीतू भाभी से पार पाना इतना आसान नहीं था।
उन्होंने पलटा खाया , और अब हम दोनों अखाड़े के पहलवान के समान आमने सामने थे और वो अपनी बड़ी बड़ी चूंचियों से मेरी चूंचियां जोर से रगड़ मसल रही थीं , और मैं भी उसी तरह से जवाब दे रही थी।
वो एक नदीदे बच्चे की तरह हम दोनों को देख रहे थे।
रीतू भाभी , जोर जोर से मेरी चूंची पकड़ के मसल रही थी , रगड़ रही थी और अचानक उन्होंने मेरा साया भी उठा दिया।
मैं क्यों पीछे रहती , और अगले पल हम दोनों की चूत भी घिस्से पे घिस्से लगाने लगी।
वो गांड के शैदाई , मैं रीतू भाभी की बड़ी बड़ी गोल गोल गांड पकड़ कर उन्हें दिखा दिखा कर ललचा रही थी।
बस उनके मुंह से लार नहीं टपक रही थी ,
खूंटा एकदम जबरदस्त तन्नाया खड़ा था , शार्ट से बाहर झांकता।
और तब तक गालियों की बारिश भी शुरू हो गयी।
रीतू भाभी ने उन्हें जोर से आँख मारी और घचाक से मेरी गांड में उंगली पेलते हुयी ,
" छिनार , सातभतरि , तेरी सारी ननदो की गांड मारू , बुर चोदू , क्या कचकचौवा गांड है साल्ली " गाली शुरू कर दी।
" तेरे ननदोई बहनचोद की बहन चोदूँ , भौजी तोहरो गांड में खूब माल भरल हौ। " एक के जवाब में दो ऊँगली मैंने पेल दी , रीतू भाभी की कसी कसी गांड में।
" तेरी सास का भोंसड़ा मारू , ससुराल में अपने ननदों के साथ खूब कब्बडी खेल के आई है , छिनाल। " रीतू भाभी ने जवाब दिया।
" अरे भौजी मेरी साली ननदे हैं , भाईचोद। एक के ऊपर दस दस चढ़ते हैं , तेरे मादरचोद नंदोई की माँ का भोंसड़ा , जिसमे गदहे घोड़े सब घुसते हैं। ' उनकी गांड में गोल गोल ऊँगली घुमाते मैं बोली।
इस लेस्बियन रेस्लिंग के साथ गालियों ने उनकी हालत और ख़राब कर दी।
गालियां हम दोनों दे रही थी लेकिन टारगेट उन्ही की माँ बहने थी।
रीतू भाभी ने जोर से मुझे आलिंगन में दबोच लिया था। मैंने उनके कान में फुसफुसाया ,
" अरे भौजी , हम दोनों टॉपलेस हो गए हैं और आपके नंदोई अभी भी , … "
बस कहने की देर थी।
रीतू भाभी , अगले पल पलंग पे उनके पीछे बैठी थी और उनके भाले के नोक की तरह चूंचियों के निपल, उनकी पीठ में छेद कर रहे थे।
और उनकी टी शर्ट पहले रीतू भाभी के हाथ में और फिर मिड आन पे मेरे हाथ में ,
वो भी हम दोनों की तरह टॉपलेस हो गए सिर्फ शार्ट में.
रीतू भाभी ने अपनी मस्त चूचियाँ उनके पीठ पे रगड़ते हुए , हलके से उनका गाल काटा और जैसे कोई मर्द किसी कच्ची कली के टिकोरों को पकड़ के दबोच ले , उनके दोनों टिट्स को पकड़ के मसल दिया।
उनके मुंह से चीख और सिसकारी दोनों निकल गयी।
" क्या नंदोई जी , लौडिँया की तरह सिसक रहे हो अभी दिलवाती हूँ , तुझे टिकोरों का मजा। "
और साथ ही शार्ट सरका के उन्होंने उनके मस्त खूंटे को बाहर निकाल लिया।
एकदम मस्त कड़ियल , फुँफकारता ,
' हे आज कोई रहमदिली मत दिखाना , कर देना खून खच्चर , चीखने चिल्लाने देना साली को , एक बार में हचक के पूरा ९ इंच ठेल देना। ' भौजी उनके लंड को सहलाते और उकसा रही थीं। और फिर एक झटके में उन्होंने चमड़ा खोल दिया।
मोटा छोटे टमाटर ऐसा लाल , गुस्साया खूब कड़ा सुपाड़ा बाहर।
और मैं भौजी को याद दिलाती , उसके पहले उन्हें खुद याद आ गया।
( रीतू भाभी पीछे पड़ी थीं की सूखे लंड से छुटकी की कच्ची चूत फाड़ी जाय , लेकिन मेरे बहुत समझाने पे ये तय हुआ था की चलिए आज , तो ये वैसलीन लगा लेंगे , लेकिन रात में ट्रेन में सिर्फ थूक लगा के और , उनके गाँव में जब उस की गांड फटेगी तो एकदम सूखी )
"अरे नौवीं में पढ़नी वाली मेरी कच्ची ननद कैसे घोंट पाएगी ये मुट्ठी ऐसा सुपाड़ा , जरा वैसलीन तो लगा दूँ " रीतू भाभी बोलीं ,
और वैसलीन की शीशी उठा के ले आई।
और फिर सिर्फ ऊँगली की टिप वैसलीन से छुला के , उन्होंने मुझे चिढ़ाते हुए दिखा के , सिर्फ उनके सुपाड़े पे पी होल पे , जैसे कोई बच्चे को नजर से बचाने केलिए टीका लगा दे , बस वैसे ही , वहां लगा दिया। "
" भाभी ये फाउल है " मैंने चीखी लेकिन उन्होंने किसी दलबदलू नेता को भी मात देते हुए , पाला बदल लिया था और रीतू भौजी का साथ दे रहे थे।
" क्यों " मुस्करा के वो बोले। " अरे तुमने ही तो कहा था , की आज वैसलीन लगा के , तो मेरी सलहज ने अपनी छोटी ननद का ख्याल करते हुए वैसलीन लगा तो दी है। ये थोड़ी ही तय हुआ था की , कितने ग्राम लगाएंगे या कितना इंच लगाएंगे। "
" अच्छा चल तू कह रही है तो , तू भी याद करेगी किस दिलदार से पाला पड़ा है। " रीतू भाभी हंस के बोली और सुपाड़े के पी होल पर लगे वैसलीन को फैला कर के , उन्होंने सुपाड़े के ऊपरी एक तिहाई भाग पे फैला दिया।
मैं उनकी बदमाशी अच्छी तरह समझ रही थी। वो अपने नंदोई को खुल के फेवर कर रही थीं।
किसी चिकने तेज धार वाले चाक़ू की तरह , अब उनका सुपाड़ा छुटकी की कसी चूत में घुस जाएगा , कम से कम उसका एक तिहाई हिस्सा , जहाँ तक वैसलीन लगा है , और फिर वो लाख अपने चूतड़ पटके , इनका सुपाड़ा निकल नहीं सकता और उसके बाद तो जैसे कोई भोंथरे चाक़ू से किसी मेमने को हलाल करे , बस एकदम उसी तरह से।
मैं कुछ बोलती , उसके पहले छुटकी के पैरों की आहट सुनाई पड़ी और रीतू भाभी ने शेर को फिर से पिंजड़े में बंद कर दिया।
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होली का असली मजा--24
अब तक
थोड़ी देर में हम तीनो ऊपर छुटकी के कमरे में पहुँच गए।
वो लगता है बस इंतज़ार ही कर रही थी।
एक झीनी झीनी कम से कम दो साल पुराने टॉप और स्कर्ट में ,
उसके टिकोरे टॉप फाड़ रहे थे , और स्कर्ट भी छोटी छोटी किशोर गोरी गोरी जांघो को दिखाती ज्यादा , छुपाती कम।
उसकी और उसके जीजा की आँखे चार हुयी और दोनों मुस्कराये।
उसके जीजा भी बस बनयान शॉर्ट्स में
और , खूंटा पूरा तना , शॉर्ट्स को फाड़ता।
छुटकी को देख के बल्कि छुटकी के कच्चे टिकोरों को देख के वो और बौरा गया।
वो छुटकी के बगलमें ही बैठ गए , उससे सट कर।
और रीतू भाभी मेरे बगल में बैठ गयीं।
वो छुटकी को प्यासी नज़रों से देख रहे थे ,बल्कि उनकी नजरें छुटकी के टीकोरों पे टिकी थीं।
और छुटकी कुछ सहमी , कुछ डरी और कुछ हो जाय तो हो जाने दो के अंदाज में निगाहें झुकाये थी , लेकिन बीच बीच में जब उसकी निगाह इनसे चार होती , तो मुस्करा जाती।
रीतू भाभी सोच रहीं थी कब खेल तमासा शुरू हो। और इस बीच भाभी की शरारती उँगलियों ने मेरे ब्लाउज की बची खुची बटनों को भी खोल दिया और उरोज मचल कर बाहर।
लेकिन जहाँ असली कबड्डी होनी थी वहां डेडलॉक मचा था।
लेकिन छुटकी की चुदाई का रास्ता खोला , और किसने मम्मी ने।
आगे
लेकिन छुटकी की चुदाई का रास्ता खोला , और किसने मम्मी ने। और उसे पक्का किया रीतू भौजी ने।
नीचे से मम्मी ने आवाज दी " मैं जरा पड़ोस में जा रही हूँ , एक - डेढ़ घंटे में आउंगी। दरवाजा बंद कर ले, छुटकी। "
…..
छुटकी उत्तर कर नीचे जाती की उसके पहले मैनेउसे दस पांच काम बता दिए।
सारे दरवाजे चेक कर लेना। मेरा कमरा भी अच्छी तरह बंद कर देना। अादि अादि।
यानी अब ६=७ मिनट की छुट्टी।
और सबसे बड़ी बात , मम्मी हैं नहीं। दरवाजे सारे बंद। तो अब छुटकी चाहे रोये चाहे चिल्लाये , चाहे ये उसे दौड़ा दौड़ा के , चाहे ऊपर उस के कमरे में , चाहे नीचे खुले आँगन में चोदें , कोई उसकी चीख पुकार सुनने वाला नहीं था।
हैं रीतू भाभी तो वो तो खुद भौजाई का हक़ अदा करेंगी , उसकी टाँगे पकड़ के फैलाएंगी।
और मैं , … मैं बहुत हुआ तो न्यूट्रल रहूंगी। और आखिर मेरा पति मेरा है। जो उन्हें पसंद वो मुझे पसंद।
और रीतू भाभी ने पहला शिकार मुझे ही बनाया।
मुझे से बोलीं , हे तेरे आँचल पे डिजाइन बड़ी अच्छी है , जरा खड़ी हो के दिखा।
और जैसे ही मैं खड़ी हुयी उन्होंने आँचल पकड़ के खींचा
और दूसरे हाथ से उन्होंने पेटीकोट में फँसी साडी निकाल दी।
साडी मैंने वैसे ही बस लपेटी सी , थी।
और अगले पल सररर सररर , पूरी की पूरी साडी उनके हाथ में और मैं सिर्फ ब्लाउज साये में , और ब्लाउज के भी सारे बटन खुले।
रीतू भाभी ने जोरदार आवाज लगायी , बाहर छत पे जा के , नीचे आँगन में खड़ी छुटकी को।
" अरे छुटकी , सुन ये तेरी दीदी की साडी है , ले जरा ठीक से तहिया के रख देना। "
और जब वो नीचे , हंसती खिलखिलाती , छुटकी को साडी फ़ेंक रही थीं, मौका मेरा था।
मैंने पहले तो साडी खींची और फिर दोनों हाथोसे रीतू भाभी के जोबन दबाते , चोली के बन्ध खोल दिए।
और अब हम दोनों खुले ब्लाउज में बिना साडी के थे।
नीचे छुटकी हम लोगों का खेल तमाशा देख कर हंस रही थी।
और रीतू भाभी की साडी नीचे फेंकते हुए मैंने उन्ही का डायलाग दुहराया ,
" अरे छुटकी , सुन ये तेरी भौजी की साडी है , ले जरा ठीक से तहिया के रख देना।“
' हंसती , खिलखिलाती , छुटकी ने बोला , " एकदम दी " और उसे कैच करलिया।
रीतू भाभी के ब्लाउज के कुछ बटन उनके ननदोई के हाथ खेत रहे और कुछ मैंने तोड़ दिए।
हम दोनों वापस कमरे में थे , इनके सामने।
मैंने पीछे से , रीतू भाभी के गदराये , गब्बर जोबन दबोच लिए , ( ब्लाउज की आड़ भी अब नहीं थी ) और कस के रगड़ते मसलते चिढ़ाया ,
" क्यों भाभी , भैया ऐसे ही दबाते हैं न , '
हंस के रीतू भाभी बोली ,
" अरे साफ साफ क्यों नहीं बोलती , अपने भैया से दबवाने का मन कर रहा है , दबवा लो , चुदवा लो न खुद पता चल जाएगा। अरे सैयां से सैयां बदल लोय ननदी , तुम मेरे सैयां से मजा ले लो ननद रानी और मैं तुम्हारे सैयां से। "
,
" नहीं भाभी , मेरे सैयां भी आपको मुबारक और मेरे भैया भी। एक आगे से एक पीछे से , एक साथ डबल मजा। " उनके निपल जोर से पुल करते मैंने छेड़ा।
लेकिन रीतू भाभी से पार पाना इतना आसान नहीं था।
लेकिन रीतू भाभी से पार पाना इतना आसान नहीं था।
उन्होंने पलटा खाया , और अब हम दोनों अखाड़े के पहलवान के समान आमने सामने थे और वो अपनी बड़ी बड़ी चूंचियों से मेरी चूंचियां जोर से रगड़ मसल रही थीं , और मैं भी उसी तरह से जवाब दे रही थी।
वो एक नदीदे बच्चे की तरह हम दोनों को देख रहे थे।
रीतू भाभी , जोर जोर से मेरी चूंची पकड़ के मसल रही थी , रगड़ रही थी और अचानक उन्होंने मेरा साया भी उठा दिया।
मैं क्यों पीछे रहती , और अगले पल हम दोनों की चूत भी घिस्से पे घिस्से लगाने लगी।
वो गांड के शैदाई , मैं रीतू भाभी की बड़ी बड़ी गोल गोल गांड पकड़ कर उन्हें दिखा दिखा कर ललचा रही थी।
बस उनके मुंह से लार नहीं टपक रही थी ,
खूंटा एकदम जबरदस्त तन्नाया खड़ा था , शार्ट से बाहर झांकता।
और तब तक गालियों की बारिश भी शुरू हो गयी।
रीतू भाभी ने उन्हें जोर से आँख मारी और घचाक से मेरी गांड में उंगली पेलते हुयी ,
" छिनार , सातभतरि , तेरी सारी ननदो की गांड मारू , बुर चोदू , क्या कचकचौवा गांड है साल्ली " गाली शुरू कर दी।
" तेरे ननदोई बहनचोद की बहन चोदूँ , भौजी तोहरो गांड में खूब माल भरल हौ। " एक के जवाब में दो ऊँगली मैंने पेल दी , रीतू भाभी की कसी कसी गांड में।
" तेरी सास का भोंसड़ा मारू , ससुराल में अपने ननदों के साथ खूब कब्बडी खेल के आई है , छिनाल। " रीतू भाभी ने जवाब दिया।
" अरे भौजी मेरी साली ननदे हैं , भाईचोद। एक के ऊपर दस दस चढ़ते हैं , तेरे मादरचोद नंदोई की माँ का भोंसड़ा , जिसमे गदहे घोड़े सब घुसते हैं। ' उनकी गांड में गोल गोल ऊँगली घुमाते मैं बोली।
इस लेस्बियन रेस्लिंग के साथ गालियों ने उनकी हालत और ख़राब कर दी।
गालियां हम दोनों दे रही थी लेकिन टारगेट उन्ही की माँ बहने थी।
रीतू भाभी ने जोर से मुझे आलिंगन में दबोच लिया था। मैंने उनके कान में फुसफुसाया ,
" अरे भौजी , हम दोनों टॉपलेस हो गए हैं और आपके नंदोई अभी भी , … "
बस कहने की देर थी।
रीतू भाभी , अगले पल पलंग पे उनके पीछे बैठी थी और उनके भाले के नोक की तरह चूंचियों के निपल, उनकी पीठ में छेद कर रहे थे।
और उनकी टी शर्ट पहले रीतू भाभी के हाथ में और फिर मिड आन पे मेरे हाथ में ,
वो भी हम दोनों की तरह टॉपलेस हो गए सिर्फ शार्ट में.
रीतू भाभी ने अपनी मस्त चूचियाँ उनके पीठ पे रगड़ते हुए , हलके से उनका गाल काटा और जैसे कोई मर्द किसी कच्ची कली के टिकोरों को पकड़ के दबोच ले , उनके दोनों टिट्स को पकड़ के मसल दिया।
उनके मुंह से चीख और सिसकारी दोनों निकल गयी।
" क्या नंदोई जी , लौडिँया की तरह सिसक रहे हो अभी दिलवाती हूँ , तुझे टिकोरों का मजा। "
और साथ ही शार्ट सरका के उन्होंने उनके मस्त खूंटे को बाहर निकाल लिया।
एकदम मस्त कड़ियल , फुँफकारता ,
' हे आज कोई रहमदिली मत दिखाना , कर देना खून खच्चर , चीखने चिल्लाने देना साली को , एक बार में हचक के पूरा ९ इंच ठेल देना। ' भौजी उनके लंड को सहलाते और उकसा रही थीं। और फिर एक झटके में उन्होंने चमड़ा खोल दिया।
मोटा छोटे टमाटर ऐसा लाल , गुस्साया खूब कड़ा सुपाड़ा बाहर।
और मैं भौजी को याद दिलाती , उसके पहले उन्हें खुद याद आ गया।
( रीतू भाभी पीछे पड़ी थीं की सूखे लंड से छुटकी की कच्ची चूत फाड़ी जाय , लेकिन मेरे बहुत समझाने पे ये तय हुआ था की चलिए आज , तो ये वैसलीन लगा लेंगे , लेकिन रात में ट्रेन में सिर्फ थूक लगा के और , उनके गाँव में जब उस की गांड फटेगी तो एकदम सूखी )
"अरे नौवीं में पढ़नी वाली मेरी कच्ची ननद कैसे घोंट पाएगी ये मुट्ठी ऐसा सुपाड़ा , जरा वैसलीन तो लगा दूँ " रीतू भाभी बोलीं ,
और वैसलीन की शीशी उठा के ले आई।
और फिर सिर्फ ऊँगली की टिप वैसलीन से छुला के , उन्होंने मुझे चिढ़ाते हुए दिखा के , सिर्फ उनके सुपाड़े पे पी होल पे , जैसे कोई बच्चे को नजर से बचाने केलिए टीका लगा दे , बस वैसे ही , वहां लगा दिया। "
" भाभी ये फाउल है " मैंने चीखी लेकिन उन्होंने किसी दलबदलू नेता को भी मात देते हुए , पाला बदल लिया था और रीतू भौजी का साथ दे रहे थे।
" क्यों " मुस्करा के वो बोले। " अरे तुमने ही तो कहा था , की आज वैसलीन लगा के , तो मेरी सलहज ने अपनी छोटी ननद का ख्याल करते हुए वैसलीन लगा तो दी है। ये थोड़ी ही तय हुआ था की , कितने ग्राम लगाएंगे या कितना इंच लगाएंगे। "
" अच्छा चल तू कह रही है तो , तू भी याद करेगी किस दिलदार से पाला पड़ा है। " रीतू भाभी हंस के बोली और सुपाड़े के पी होल पर लगे वैसलीन को फैला कर के , उन्होंने सुपाड़े के ऊपरी एक तिहाई भाग पे फैला दिया।
मैं उनकी बदमाशी अच्छी तरह समझ रही थी। वो अपने नंदोई को खुल के फेवर कर रही थीं।
किसी चिकने तेज धार वाले चाक़ू की तरह , अब उनका सुपाड़ा छुटकी की कसी चूत में घुस जाएगा , कम से कम उसका एक तिहाई हिस्सा , जहाँ तक वैसलीन लगा है , और फिर वो लाख अपने चूतड़ पटके , इनका सुपाड़ा निकल नहीं सकता और उसके बाद तो जैसे कोई भोंथरे चाक़ू से किसी मेमने को हलाल करे , बस एकदम उसी तरह से।
मैं कुछ बोलती , उसके पहले छुटकी के पैरों की आहट सुनाई पड़ी और रीतू भाभी ने शेर को फिर से पिंजड़े में बंद कर दिया।
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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