FUN-MAZA-MASTI
चचेरी और फुफेरी बहन की सील--4
गतान्क से आगे..............
मेरे दिमाग में घंटी बजी !
तभी डॉली जल्दी से उठ कर बाथरूम के अन्दर चली गई और दरवाजा बंद कर लिया, तो मैंने ललिता से मौका देख कर पूछा तो उसने मुस्कराते हुए बताया कि डॉली को पीरियड आ गया, चूँकि उसको डेट याद नहीं रही, तो पैड वगैरह नहीं थे, इसी लिए हम लोग अपनी क्लास टीचर से जल्दी छुट्टी लेकर घर आ गए।
अब बात मेरे समझ में आई।
मुझे यह बताने के बाद ललिता अन्दर कमरे में गई और अपनी एक ड्रेस और चुनमूनियाँ में पीरियड के समय लगाने वाला पैड (मुझे दिखाते हुए) लेकर बाथरूम के बाहर लेकर दरवाजे पर दस्तक दी। जिसको कि डॉली ने हाथ निकाल कर ले लिया। मैंने तुरंत अपना दिमाग लगाया और ललिता को वापस आते ही अपनी बाँहों में भर लिया और उसके प्यारे चेहरे पर अनगिनत चुम्मी कर डालीं। ललिता ने भी उसी तरह से उत्तर दिया। फिर मैंने उसकी आँखों में देखा और मुस्कराने लगा, शायद उसको मेरी आँखों की भाषा समझ आ गई थी।
वो प्यार से मेरी आँखों में देखती हुई बोली- क्या बहुत मन है.. डॉली की सील तोड़ने का प्रियम !
मैंने उसको बहुत जोर से अपने से चिपका लिया और कहा- हाँ जान.. बहुत ज्यादा !
उसने कहा तो कुछ नहीं, बस वैसे ही चिपके हुए मेरे बाल सहलाती रही, फिर बोली- अभी तुम जाओ, देखती हूँ.. क्या हो सकता है !
शाम को फूफा जी डॉली को लेने आए, लेकिन फिर जो भी बात हुई हो उनकी ललिता और डॉली से, वो अकेले ही वापस लौट गए थे।
दूसरे दिन सुबह ललिता के स्कूल जाने के टाइम मैं बालकनी में गया तो देखा कि ललिता अकेले ही स्कूल जा रही थी, डॉली उसको गेट तक छोड़ने गई।
उसने ऊपर मेरी तरफ देखा और मुस्कराकर मुझे नमस्ते किया। मैंने भी उसको नमस्ते का जवाब दिया, मुझे लगा शायद ललिता ने जानबूझ कर मुझे मौका देने के लिए ऐसा किया है और मुझे इसका फायदा उठाना चाहिए।
लेकिन अभी तो चाचा जी भी घर में थे और मेरी तरफ मेरी माता जी भी घर में ही थीं।
मैं थोड़ी देर बाद अपने चाचा की तरफ गया तो देखा कि चाचा आफिस जाने के लिए तैयार हो रहे थे और डॉली सोफे पर बैठ कर टीवी देख रही थी।
मुझे देख चाचा जी बोले- राज, आज डॉली की तबियत ठीक नहीं है, यह घर पर ही रहेगी, तुम इसका ध्यान रखना !
मैंने कहा- जरूर !
थोड़ी देर बाद चाचा जी चले गए, मैं भी वहीं डॉली के साथ सोफे पर बैठ कर टीवी देखने लगा।
फिर मैंने पूछा- डॉली, अब तबियत कैसी है, डाक्टर के यहाँ तो नहीं चलना?
उसने कहा- नहीं भैया, मैं ठीक हूँ.. बस थोड़ा आराम कर लूँ, सब ठीक हो जाएगा।
खैर… हम लोग टीवी देखते रहे, फिर थोड़ी देर बाद मैं खड़ा हुआ और कहा- डॉली मुझे कुछ काम है, मैं अभी आता हूँ !
मैं वहाँ से निकल आया, लेकिन दोस्तों मैंने अपना मोबाइल फ़ोन जानबूझ कर वहीं छोड़ दिया।
यहाँ मैं बता दूँ कि मैं 2 मोबाइल रखता हूँ, और मेरे दूसरे मोबाइल में बहुत सारी चुदाई की मूवी और फोटो, गंदे-जोक्स वगैरह स्टोर रहते हैं।
मैंने अपना वही फ़ोन डॉली के पास छोड़ा था। मैं जानबूझ कर बहुत देर तक उधर नहीं गया और आज तो वैसे भी मेरी माता जी घर पर ही थीं।
मैं अपने कमरे में लेटा टीवी देख रहा था, लेकिन मेरा दिमाग डॉली की तरफ ही था। पता नहीं उसने मेरा फ़ोन देखा भी होगा या नहीं।
करीब 2 घंटे के बाद मेरे कमरे में हल्की सी आहट हुई मैंने पलट कर देखा तो डॉली थी।
वो तुरंत बोली- भैया आपका फ़ोन, आप शायद भूल आए थे !
मैंने उसके हाथ से फ़ोन ले लिया, उसके चहरे पर हल्की सी मुस्कान थी
मैं समझ गया कि इसने खूब अच्छी तरह से मेरा फ़ोन देखा है।
मैं तो चाहता भी यहीं था, उसके बाद वो मुड़ी और मेरी माँ के कमरे में चली गई।
थोड़ी देर बाद ललिता भी स्कूल से वापस आ गई, मौका मिलते ही ललिता ने मुझसे पूछा- कुछ हुआ?
मैंने कहा- नहीं !
और उसको पूरी बात बता दी, सुनने के बाद वो बोली- जो करना है कल कर लो, क्योंकि कल के बाद डॉली अपने घर चली जाएगी !
अब मैं अभी से कल की प्लानिंग में लग गया क्योंकि कल तो मुझे डॉली की कुंवारी चुनमूनियाँ की सील किसी भी हाल में तोड़नी होगी।
दूसरे दिन सुबह, ललिता फिर अकेले ही स्कूल जा रही थी, मेरी नजर मिलते ही उसने मुझे इशारे से फिर याद दिला दिया कि आज शाम को डॉली अपने घर चली जाएगी।
थोड़ी देर बाद मैं अपनी माँ के कमरे की तरफ गया तो माँ ने बताया कि अभी मेरे मामा जी, जो घर के पास में ही रहते हैं, उनकी तबियत ठीक नहीं हैं और वे उनको देखने जायेंगी।
मैंने कहा- ठीक है और इधर मेरे दिमाग ने योजना बनाना शुरू कर दिया क्योंकि अब चाचा के जाने के बाद पूरे घर में सिर्फ मैं और डॉली ही बचेंगे।
करीब नौ बजे मेरी माँ, मामा के यहाँ गईं, मैं उनको गेट तक भेज कर वापस सीधे चाचा के पोर्शन में गया, चाचा ऑफिस जाने के लिए बिल्कुल तैयार थे।
डॉली शायद बाथरूम में थी। मैंने चाचा से बात करते हुए धीरे से अपना मोबाइल मेज पर जहाँ डॉली की एक किताब रखी थी, उसी के बगल में रख दिया।
चाचा ने डॉली को आवाज दी- मैं ऑफिस जा रहा हूँ !
मैं भी उनके साथ ही बाहर निकल आया, उनके जाने के बाद गेट बंद करके मैं सीधा अपने कमरे में चला गया।
मेरे पास कुछ चुदाई वाली फिल्मों की सीडी थीं, उनमें से एक मैंने सीडी प्लेयर में लगा कर प्ले कर दिया और सिर्फ चड्डी और बनियान पहन कर सोफे पर बैठ कर चुदाई वाली फिल्म का आनन्द उठाने लगा।
मैं देख तो रहा था टीवी, लेकिन मेरे दिमाग में सिर्फ डॉली का बदन ही घूम रहा था।
मैं सोच रहा था कि पता नहीं आज डॉली मेरे मोबाईल को देखेगी या नहीं !
यही सब सोचते हुए करीब एक घंटा गुजर गया। इधर अन्जलि को चोदने के ख्याल से ही मेरा लंड बिल्कुल सीधा खड़ा हो गया था। मैं अपनी चड्डी के अंदर हाथ डाल कर उसको सहला रहा था, तभी मुझे दरवाजे पर कुछ आहट महसूस हुई।
मैं समझ गया कि डॉली ही होगी, लेकिन मैं वैसा ही सोफे में पसरा रहा, टीवी में इस समय भयकंर चुदाई का सीन चल रहा था।
मेरे कमरे में ड्रेसिंग टेबल इस तरह सेट है कि उसमें कमरे के दरवाजे तक का व्यू आता है।
मैंने उसमें देखा कि डॉली की नजर टीवी पर पड़ गई थी और वो दरवाजे पर ही रुक गई, पर उसकी नजरें अभी भी टीवी पर ही थीं। मैंने जानबूझ कर अपनी चड्डी नीचे खिसका दी, अब मेरा नंगा लंड मेरे हाथ में था। मैं उसको सहला रहा था, मेरे हिलने से शायद डॉली का ध्यान मेरी तरफ गया और मुझे लगा कि वो मुड़ कर जाने वाली है।
मैंने अपना सर घुमा कर दरवाजे की ओर देखा और तुरंत उसी पोजीशन में खड़ा हो गया।
डॉली वापस जाने के लिए मुड़ चुकी थी। मैंने तुरंत उसको आवाज दी, वो मुड़ी मेरी तरफ देखा और जब उसने मुझे उसी हाल में (मेरी चड्डी नीचे खिसकी हुई थी और मेरा लंड खड़ा था) पाया तो मैंने देखा उसका चेहरा बिल्कुल लाल हो रहा था।
उसने हल्की सी मुस्कान दी और बिना रुके वापस चाचा जी के पोर्शन की तरफ भागती हुई चली गई।
मैंने एक-दो मिनट सोचा और फिर एक तौलिया लपेट कर उधर गया।
धीरे से अन्दर गया तो देखा कि डॉली ललिता के बेड में उलटी लेटी थी, उसकी पीठ मेरी तरफ थी और वो मेरे मोबाइल में शायद कुछ कर रही थी।
मैंने तुरंत निर्णय लिया, मैंने अपनी तौलिया हटाई और कूद कर डॉली के पास बेड पर पहुँच गया। मेरी नजर सीधे मोबाइल में गई, उसमें एक चुदाई वाली फिल्म चल रही थी।
मेरे इस तरह पहुँचने से डॉली एकदम चौंक गई। इसके पहले कि वो मोबाइल बंद करती, मैंने उसके हाथ से मोबाइल ले लिया। वो सब इतना अप्रत्याशित था कि डॉली एकदम स्तब्ध रह गई।
मैंने उसको गौर से देखा तो उसने अपनी नजरें नीची कर लीं।
आज शायद उसने अपने बालों में शैम्पू किया था क्योंकि उसके बाल खुले थे जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे।
आज उसने ललिता का गुलाबी स्कर्ट और टॉप पहना था।
शायद वो थोड़ी देर पहले ही नहा कर आई थी, वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।
मैंने सीधे उससे पूछ लिया- कैसी लगी पिक्चर?
वो कुछ नहीं बोली, मैंने थोड़ी हिम्मत कर उसको ठोढ़ी को हाथ से ऊपर उठाया और फिर पूछा- डॉली तुमको यह मोबाइल वाली पिक्चर कैसी लगी?
अबकी वो थोड़ा मुस्कराई और उठ कर भागने की कोशिश करने लगी।
मैंने तुरंत उसका हाथ पकड़ कर बेड में गिरा दिया और ताबड़-तोड़ चुम्बन करना शुरू कर दिया।
इसके पहले कि वो कुछ समझ पाती, मैंने उसके ऊपर छा गया और बहुत सारे चुम्बन कर दिए।
अब वो छटपटाने लगी, पहली बार उसने बुरा सा मुँह बनाते हुए कहा- छोड़िए मुझे !
मैंने कहा- क्यों केवल मोबाइल में चुदाई देखनी है?
कहने के साथ ही मैंने अपना हाथ नीचे स्कर्ट के अन्दर डाल दिया, उसने चड्डी नहीं पहनी थी, इसलिए मेरा हाथ सीधे चुनमूनियाँ पर ही पहुँच गया।
डॉली बहुत जोर से चिहुंक गई, उसने पूरा जोर लगा कर मुझे अपने ऊपर से हटाना चाहा, लेकिन मैंने अपने हाथ से उसकी चुनमूनियाँ को सहलाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उसके हाथों को संभालता रहा।
डॉली की चुनमूनियाँ पर एक भी बाल नहीं था, बहुत ही हल्के-हल्के रोयें थे, ऐसा मुझे अपने हाथ से अहसास हुआ।
खैर.. अब उसने अपने पैरों को क्रॉस करना चाहा, तो मैंने उसके दोनों पैरों के बीच अपना एक पैर डाल दिया और उसका एक पैर दबा भी लिया। अब मेरी उंगलियां उसकी चुनमूनियाँ की कसी हुई फांकों को अलग करने में व्यस्त हो गईं।
मेरी उंगलियाँ उसकी कसी हुई चुनमूनियाँ की फांकों को अलग नहीं कर पाईं, तो मैंने उसकी चुनमूनियाँ की पतली सी दरार में अपनी उंगली से रगड़ना शुरू कर दिया। इस दौरान मैं उसके भग्न को भी रगड़ रहा था।
मेरी आँखें डॉली के चेहरे को देख रही थीं, वो शायद शर्म की वजह से अपनी आँखें बंद किए थी। पर मुझे उसके चेहरे पर गुस्सा नहीं दिखा तो मेरी हिम्मत बढ़ गई।
अब मैंने डॉली के होंठों पर अपने होंठ लगा दिए, डॉली ने अपने होंठों को कस कर बंद कर लिए। फिर भी मैं अपनी जीभ उसके होंठों पर घुमाने लगा, इधर मेरी उँगलियाँ उसकी कुंवारी चुनमूनियाँ में हलचल मचा रही थीं शायद इस वजह से वो थोड़ी ढीली पड़ गई थी।
अब मैंने अपने दूसरे हाथ को धीरे से उसके टॉप के अन्दर खिसका दिया। डॉली की चूचियाँ एक मध्यम आकार के अमरुद के बराबर की थीं। मेरी उँगलियों ने जैसे ही डॉली की चूचियों को छुआ, वो फ़िर एकदम से चिहुंक गई, पर मेरी पकड़ बहुत मजबूत थी।
अब मैंने डॉली की चूची को सहलाना शुरू किया।
मैंने देखा कि डॉली के चेहरे के भाव बड़ी जल्दी से बदल रहे थे, शायद उसके बदन को पहली बार किसी मर्द ने इस तरह छुआ था। अब मैंने अपना हाथ दूसरी चूची को सहलाने में लगाया।
उधर एक हाथ अभी भी उसकी चुनमूनियाँ को सहला रहा था।
अचानक डॉली का बदन ऐंठने लगा, उसकी साँसें जोर-जोर से चलने लगीं। तभी मेरा हाथ जो कि डॉली की चुनमूनियाँ में था, कुछ गीला-गीला सा लगा, मैं समझ गया कि डॉली झड़ गई है।
अब उसका बदन बिल्कुल ढीला हो गया था, उसने जरा सा होंठ खोला शायद गहरी सांस लेने के लिए।
मैंने तुरंत अपनी जीभ उसके होंठों के अन्दर घुसेड़ दी, अब उसने आँखें खोल कर मेरी तरफ देखा। वो शायद कुछ कहना चाह रही थी। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह से निकाल ली।
वो बोली- भैया.. अब मुझे छोड़ दीजिए, मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही है।
मैंने कहा- डॉली, अभी तो मैंने कुछ किया भी नहीं, ऐसे-कैसे छोड़ दूँ?
वो फिर बोली- मैं ठीक से सांस नहीं ले पा रही हूँ !
तो मैंने अपने दोनों पैर उसके पैरों के बीच में कर लिए और अपने घुटनों के बल बैठ गया और दोनों हाथों से उसके टॉप को ऊपर करने के साथ ही मेरा मुँह उसकी चूची पर पहुँच गया।
जैसा कि मैंने बताया, डॉली की चूचियाँ छोटी हैं, तो पूरी चूची मेरे मुँह में समा गई और दूसरी चूची को हाथ से सहलाने लगा।
डॉली को अब शायद मजा आ रहा था क्योंकि उसकी आँखें फिर से बंद हो गईं थीं।
मौका देख कर मैंने एक हाथ से अपनी चड्डी खिसका कर निकाल दी और फिर उसी पोजीशन में अपने लंड को डॉली की चुनमूनियाँ से छुआ दिया।
अब मैंने अपना मुँह डॉली की दूसरी चूची में लगा दिया और पहले वाली को हाथ से सहलाने लगा। मेरा लंड बीच-बीच में डॉली की चुनमूनियाँ को छू लेता था।
तभी डॉली ने अपनी आँखें खोलीं और मुझे देख कर बोली- भैया, प्लीज़ अब मुझे छोड़ दीजिए, आपने बहुत कुछ कर लिया है !
मैंने कहा- देखो डॉली मुझे तुम्हारे साथ वो सब करना है, जो तुमने अभी मेरे मोबाइल की चुदाई वाली पिक्चर में देखा है !
तो वो बोली- नहीं वो सब मैं नहीं कर सकती !
मैंने कहा- क्यों?
तो वो चुप रही, फिर मैंने कहा- देखो डॉली, करना तो मुझे है ही, अब तुम अगर मर्जी से करवा लोगी तो तुमको भी अच्छा लगेगा.. नहीं, तो मैं तो कर ही लूँगा !
वो चुपचाप मेरी आँखों में देखने लगी।
फिर बोली- तो आप मेरे साथ भी वही सब करना चाहते हैं जो आपने ललिता के साथ किया है..?
मैं समझ गया कि ललिता ने इसको हमारी चुदाई के बारे में सब बता दिया होगा।
मैंने कहा- हाँ, मैं तुम्हारी भी सील तोड़ना चाहता हूँ… ललिता की तरह!
यह कह कर मैंने उसके चेहरे पर बहुत सारे चुम्बनों की बौछार कर दी।
अचानक डॉली ने अपने दोनों हाथ मेरे कंधे पर रख दिए और बोली- भैया मुझे छोड़ दीजिए, मुझे बहुत दर्द होगा.. मैं वो सब नहीं कर पाऊँगी, जो आपने ललिता के साथ किया था !
मैंने कहा- क्यों?
तो वो फिर चुप हो गई, अब जब मैंने देखा कि उसका विरोध करीब ख़त्म हो गया है तो मैंने अपने दोनों हाथो से उसके टॉप को उसके दोनों हाथ ऊपर करके हटा दिया।
अब उसके बदन में सिर्फ स्कर्ट आर मेरे बदन में सर्फ बनियान थी।
अब मैं जल्दी से उठा और अपनी बनियान भी निकाल दी। अब मैं अपनी पीठ के बल लेट गया और डॉली को अपने ऊपर खींच लिया। मैं अपने दोनों हाथों से डॉली की स्कर्ट उतारना शुरू किया, उसने रोकने की कोशिश की परन्तु कामयाब नहीं हो सकी।
अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे, मैंने डॉली को अपने बदन से चिपका लिया। उसके खुले हुए बालों से मेरा चेहरा ढक गया। मुझे बहत अच्छा लग रहा था। तभी मैंने अपने हाथों से डॉली की गाण्ड को सहलाना शुरू किया, उसके चुनमूनियाँड़ बिल्कुल गोल थे। काफी मस्त माल था !
मेरी उंगली उसकी गाण्ड के छेद का मुआयना करने लगी, तो अंजली ने तुरंत अपनी गाण्ड हिला कर मुझे ऐसा करने से मना किया।
खैर… अब मेरी उंगली उसकी गाण्ड से होते हुए उसकी चुनमूनियाँ पर पहुँच गई थी।
इधर मेरा लंड उसकी चुनमूनियाँ को छूकर और उत्तेजित हो रहा था। मुझे अहसास हो रहा था कि उसकी चुनमूनियाँ गीली थी।
मैं अचानक बैठ गया और डॉली को अपने हाथों के सहारे धीरे से लिटा दिया। मैंने झुक कर अपना मुँह उसकी चुनमूनियाँ की ओर किया, मैंने पहली बार उसकी कुंवारी चुनमूनियाँ को देखा।
दोस्तों डॉली की चुनमूनियाँ में बहुत ही हल्के से रोंयें थे और उसकी चुनमूनियाँ की दोनों फांकें एकदम जुड़ी हुई थीं। अब मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी चुनमूनियाँ की फांकों को अलग किया तो अन्दर का रंग बिल्कुल गुलाबी था।
दोस्तों मैंने अपने होंठों को तुरंत डॉली की चुनमूनियाँ में लगा दिया। अचानक डॉली ने मेरे बाल पकड़ लिए और जोर से ऊपर की ओर खींचना चाहा और बोली- नहीं भैया… यह मत करो, अभी वहाँ खून हो सकता है !
तब मुझे याद आया कि डॉली का तो पीरियड था और आज तीसरा दिन था।
क्रमशः..................
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अब बात मेरे समझ में आई।
मुझे यह बताने के बाद ललिता अन्दर कमरे में गई और अपनी एक ड्रेस और चुनमूनियाँ में पीरियड के समय लगाने वाला पैड (मुझे दिखाते हुए) लेकर बाथरूम के बाहर लेकर दरवाजे पर दस्तक दी। जिसको कि डॉली ने हाथ निकाल कर ले लिया। मैंने तुरंत अपना दिमाग लगाया और ललिता को वापस आते ही अपनी बाँहों में भर लिया और उसके प्यारे चेहरे पर अनगिनत चुम्मी कर डालीं। ललिता ने भी उसी तरह से उत्तर दिया। फिर मैंने उसकी आँखों में देखा और मुस्कराने लगा, शायद उसको मेरी आँखों की भाषा समझ आ गई थी।
वो प्यार से मेरी आँखों में देखती हुई बोली- क्या बहुत मन है.. डॉली की सील तोड़ने का प्रियम !
मैंने उसको बहुत जोर से अपने से चिपका लिया और कहा- हाँ जान.. बहुत ज्यादा !
उसने कहा तो कुछ नहीं, बस वैसे ही चिपके हुए मेरे बाल सहलाती रही, फिर बोली- अभी तुम जाओ, देखती हूँ.. क्या हो सकता है !
शाम को फूफा जी डॉली को लेने आए, लेकिन फिर जो भी बात हुई हो उनकी ललिता और डॉली से, वो अकेले ही वापस लौट गए थे।
दूसरे दिन सुबह ललिता के स्कूल जाने के टाइम मैं बालकनी में गया तो देखा कि ललिता अकेले ही स्कूल जा रही थी, डॉली उसको गेट तक छोड़ने गई।
उसने ऊपर मेरी तरफ देखा और मुस्कराकर मुझे नमस्ते किया। मैंने भी उसको नमस्ते का जवाब दिया, मुझे लगा शायद ललिता ने जानबूझ कर मुझे मौका देने के लिए ऐसा किया है और मुझे इसका फायदा उठाना चाहिए।
लेकिन अभी तो चाचा जी भी घर में थे और मेरी तरफ मेरी माता जी भी घर में ही थीं।
मैं थोड़ी देर बाद अपने चाचा की तरफ गया तो देखा कि चाचा आफिस जाने के लिए तैयार हो रहे थे और डॉली सोफे पर बैठ कर टीवी देख रही थी।
मुझे देख चाचा जी बोले- राज, आज डॉली की तबियत ठीक नहीं है, यह घर पर ही रहेगी, तुम इसका ध्यान रखना !
मैंने कहा- जरूर !
थोड़ी देर बाद चाचा जी चले गए, मैं भी वहीं डॉली के साथ सोफे पर बैठ कर टीवी देखने लगा।
फिर मैंने पूछा- डॉली, अब तबियत कैसी है, डाक्टर के यहाँ तो नहीं चलना?
उसने कहा- नहीं भैया, मैं ठीक हूँ.. बस थोड़ा आराम कर लूँ, सब ठीक हो जाएगा।
खैर… हम लोग टीवी देखते रहे, फिर थोड़ी देर बाद मैं खड़ा हुआ और कहा- डॉली मुझे कुछ काम है, मैं अभी आता हूँ !
मैं वहाँ से निकल आया, लेकिन दोस्तों मैंने अपना मोबाइल फ़ोन जानबूझ कर वहीं छोड़ दिया।
यहाँ मैं बता दूँ कि मैं 2 मोबाइल रखता हूँ, और मेरे दूसरे मोबाइल में बहुत सारी चुदाई की मूवी और फोटो, गंदे-जोक्स वगैरह स्टोर रहते हैं।
मैंने अपना वही फ़ोन डॉली के पास छोड़ा था। मैं जानबूझ कर बहुत देर तक उधर नहीं गया और आज तो वैसे भी मेरी माता जी घर पर ही थीं।
मैं अपने कमरे में लेटा टीवी देख रहा था, लेकिन मेरा दिमाग डॉली की तरफ ही था। पता नहीं उसने मेरा फ़ोन देखा भी होगा या नहीं।
करीब 2 घंटे के बाद मेरे कमरे में हल्की सी आहट हुई मैंने पलट कर देखा तो डॉली थी।
वो तुरंत बोली- भैया आपका फ़ोन, आप शायद भूल आए थे !
मैंने उसके हाथ से फ़ोन ले लिया, उसके चहरे पर हल्की सी मुस्कान थी
मैं समझ गया कि इसने खूब अच्छी तरह से मेरा फ़ोन देखा है।
मैं तो चाहता भी यहीं था, उसके बाद वो मुड़ी और मेरी माँ के कमरे में चली गई।
थोड़ी देर बाद ललिता भी स्कूल से वापस आ गई, मौका मिलते ही ललिता ने मुझसे पूछा- कुछ हुआ?
मैंने कहा- नहीं !
और उसको पूरी बात बता दी, सुनने के बाद वो बोली- जो करना है कल कर लो, क्योंकि कल के बाद डॉली अपने घर चली जाएगी !
अब मैं अभी से कल की प्लानिंग में लग गया क्योंकि कल तो मुझे डॉली की कुंवारी चुनमूनियाँ की सील किसी भी हाल में तोड़नी होगी।
दूसरे दिन सुबह, ललिता फिर अकेले ही स्कूल जा रही थी, मेरी नजर मिलते ही उसने मुझे इशारे से फिर याद दिला दिया कि आज शाम को डॉली अपने घर चली जाएगी।
थोड़ी देर बाद मैं अपनी माँ के कमरे की तरफ गया तो माँ ने बताया कि अभी मेरे मामा जी, जो घर के पास में ही रहते हैं, उनकी तबियत ठीक नहीं हैं और वे उनको देखने जायेंगी।
मैंने कहा- ठीक है और इधर मेरे दिमाग ने योजना बनाना शुरू कर दिया क्योंकि अब चाचा के जाने के बाद पूरे घर में सिर्फ मैं और डॉली ही बचेंगे।
करीब नौ बजे मेरी माँ, मामा के यहाँ गईं, मैं उनको गेट तक भेज कर वापस सीधे चाचा के पोर्शन में गया, चाचा ऑफिस जाने के लिए बिल्कुल तैयार थे।
डॉली शायद बाथरूम में थी। मैंने चाचा से बात करते हुए धीरे से अपना मोबाइल मेज पर जहाँ डॉली की एक किताब रखी थी, उसी के बगल में रख दिया।
चाचा ने डॉली को आवाज दी- मैं ऑफिस जा रहा हूँ !
मैं भी उनके साथ ही बाहर निकल आया, उनके जाने के बाद गेट बंद करके मैं सीधा अपने कमरे में चला गया।
मेरे पास कुछ चुदाई वाली फिल्मों की सीडी थीं, उनमें से एक मैंने सीडी प्लेयर में लगा कर प्ले कर दिया और सिर्फ चड्डी और बनियान पहन कर सोफे पर बैठ कर चुदाई वाली फिल्म का आनन्द उठाने लगा।
मैं देख तो रहा था टीवी, लेकिन मेरे दिमाग में सिर्फ डॉली का बदन ही घूम रहा था।
मैं सोच रहा था कि पता नहीं आज डॉली मेरे मोबाईल को देखेगी या नहीं !
यही सब सोचते हुए करीब एक घंटा गुजर गया। इधर अन्जलि को चोदने के ख्याल से ही मेरा लंड बिल्कुल सीधा खड़ा हो गया था। मैं अपनी चड्डी के अंदर हाथ डाल कर उसको सहला रहा था, तभी मुझे दरवाजे पर कुछ आहट महसूस हुई।
मैं समझ गया कि डॉली ही होगी, लेकिन मैं वैसा ही सोफे में पसरा रहा, टीवी में इस समय भयकंर चुदाई का सीन चल रहा था।
मेरे कमरे में ड्रेसिंग टेबल इस तरह सेट है कि उसमें कमरे के दरवाजे तक का व्यू आता है।
मैंने उसमें देखा कि डॉली की नजर टीवी पर पड़ गई थी और वो दरवाजे पर ही रुक गई, पर उसकी नजरें अभी भी टीवी पर ही थीं। मैंने जानबूझ कर अपनी चड्डी नीचे खिसका दी, अब मेरा नंगा लंड मेरे हाथ में था। मैं उसको सहला रहा था, मेरे हिलने से शायद डॉली का ध्यान मेरी तरफ गया और मुझे लगा कि वो मुड़ कर जाने वाली है।
मैंने अपना सर घुमा कर दरवाजे की ओर देखा और तुरंत उसी पोजीशन में खड़ा हो गया।
डॉली वापस जाने के लिए मुड़ चुकी थी। मैंने तुरंत उसको आवाज दी, वो मुड़ी मेरी तरफ देखा और जब उसने मुझे उसी हाल में (मेरी चड्डी नीचे खिसकी हुई थी और मेरा लंड खड़ा था) पाया तो मैंने देखा उसका चेहरा बिल्कुल लाल हो रहा था।
उसने हल्की सी मुस्कान दी और बिना रुके वापस चाचा जी के पोर्शन की तरफ भागती हुई चली गई।
मैंने एक-दो मिनट सोचा और फिर एक तौलिया लपेट कर उधर गया।
धीरे से अन्दर गया तो देखा कि डॉली ललिता के बेड में उलटी लेटी थी, उसकी पीठ मेरी तरफ थी और वो मेरे मोबाइल में शायद कुछ कर रही थी।
मैंने तुरंत निर्णय लिया, मैंने अपनी तौलिया हटाई और कूद कर डॉली के पास बेड पर पहुँच गया। मेरी नजर सीधे मोबाइल में गई, उसमें एक चुदाई वाली फिल्म चल रही थी।
मेरे इस तरह पहुँचने से डॉली एकदम चौंक गई। इसके पहले कि वो मोबाइल बंद करती, मैंने उसके हाथ से मोबाइल ले लिया। वो सब इतना अप्रत्याशित था कि डॉली एकदम स्तब्ध रह गई।
मैंने उसको गौर से देखा तो उसने अपनी नजरें नीची कर लीं।
आज शायद उसने अपने बालों में शैम्पू किया था क्योंकि उसके बाल खुले थे जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे।
आज उसने ललिता का गुलाबी स्कर्ट और टॉप पहना था।
शायद वो थोड़ी देर पहले ही नहा कर आई थी, वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।
मैंने सीधे उससे पूछ लिया- कैसी लगी पिक्चर?
वो कुछ नहीं बोली, मैंने थोड़ी हिम्मत कर उसको ठोढ़ी को हाथ से ऊपर उठाया और फिर पूछा- डॉली तुमको यह मोबाइल वाली पिक्चर कैसी लगी?
अबकी वो थोड़ा मुस्कराई और उठ कर भागने की कोशिश करने लगी।
मैंने तुरंत उसका हाथ पकड़ कर बेड में गिरा दिया और ताबड़-तोड़ चुम्बन करना शुरू कर दिया।
इसके पहले कि वो कुछ समझ पाती, मैंने उसके ऊपर छा गया और बहुत सारे चुम्बन कर दिए।
अब वो छटपटाने लगी, पहली बार उसने बुरा सा मुँह बनाते हुए कहा- छोड़िए मुझे !
मैंने कहा- क्यों केवल मोबाइल में चुदाई देखनी है?
कहने के साथ ही मैंने अपना हाथ नीचे स्कर्ट के अन्दर डाल दिया, उसने चड्डी नहीं पहनी थी, इसलिए मेरा हाथ सीधे चुनमूनियाँ पर ही पहुँच गया।
डॉली बहुत जोर से चिहुंक गई, उसने पूरा जोर लगा कर मुझे अपने ऊपर से हटाना चाहा, लेकिन मैंने अपने हाथ से उसकी चुनमूनियाँ को सहलाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से उसके हाथों को संभालता रहा।
डॉली की चुनमूनियाँ पर एक भी बाल नहीं था, बहुत ही हल्के-हल्के रोयें थे, ऐसा मुझे अपने हाथ से अहसास हुआ।
खैर.. अब उसने अपने पैरों को क्रॉस करना चाहा, तो मैंने उसके दोनों पैरों के बीच अपना एक पैर डाल दिया और उसका एक पैर दबा भी लिया। अब मेरी उंगलियां उसकी चुनमूनियाँ की कसी हुई फांकों को अलग करने में व्यस्त हो गईं।
मेरी उंगलियाँ उसकी कसी हुई चुनमूनियाँ की फांकों को अलग नहीं कर पाईं, तो मैंने उसकी चुनमूनियाँ की पतली सी दरार में अपनी उंगली से रगड़ना शुरू कर दिया। इस दौरान मैं उसके भग्न को भी रगड़ रहा था।
मेरी आँखें डॉली के चेहरे को देख रही थीं, वो शायद शर्म की वजह से अपनी आँखें बंद किए थी। पर मुझे उसके चेहरे पर गुस्सा नहीं दिखा तो मेरी हिम्मत बढ़ गई।
अब मैंने डॉली के होंठों पर अपने होंठ लगा दिए, डॉली ने अपने होंठों को कस कर बंद कर लिए। फिर भी मैं अपनी जीभ उसके होंठों पर घुमाने लगा, इधर मेरी उँगलियाँ उसकी कुंवारी चुनमूनियाँ में हलचल मचा रही थीं शायद इस वजह से वो थोड़ी ढीली पड़ गई थी।
अब मैंने अपने दूसरे हाथ को धीरे से उसके टॉप के अन्दर खिसका दिया। डॉली की चूचियाँ एक मध्यम आकार के अमरुद के बराबर की थीं। मेरी उँगलियों ने जैसे ही डॉली की चूचियों को छुआ, वो फ़िर एकदम से चिहुंक गई, पर मेरी पकड़ बहुत मजबूत थी।
अब मैंने डॉली की चूची को सहलाना शुरू किया।
मैंने देखा कि डॉली के चेहरे के भाव बड़ी जल्दी से बदल रहे थे, शायद उसके बदन को पहली बार किसी मर्द ने इस तरह छुआ था। अब मैंने अपना हाथ दूसरी चूची को सहलाने में लगाया।
उधर एक हाथ अभी भी उसकी चुनमूनियाँ को सहला रहा था।
अचानक डॉली का बदन ऐंठने लगा, उसकी साँसें जोर-जोर से चलने लगीं। तभी मेरा हाथ जो कि डॉली की चुनमूनियाँ में था, कुछ गीला-गीला सा लगा, मैं समझ गया कि डॉली झड़ गई है।
अब उसका बदन बिल्कुल ढीला हो गया था, उसने जरा सा होंठ खोला शायद गहरी सांस लेने के लिए।
मैंने तुरंत अपनी जीभ उसके होंठों के अन्दर घुसेड़ दी, अब उसने आँखें खोल कर मेरी तरफ देखा। वो शायद कुछ कहना चाह रही थी। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह से निकाल ली।
वो बोली- भैया.. अब मुझे छोड़ दीजिए, मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही है।
मैंने कहा- डॉली, अभी तो मैंने कुछ किया भी नहीं, ऐसे-कैसे छोड़ दूँ?
वो फिर बोली- मैं ठीक से सांस नहीं ले पा रही हूँ !
तो मैंने अपने दोनों पैर उसके पैरों के बीच में कर लिए और अपने घुटनों के बल बैठ गया और दोनों हाथों से उसके टॉप को ऊपर करने के साथ ही मेरा मुँह उसकी चूची पर पहुँच गया।
जैसा कि मैंने बताया, डॉली की चूचियाँ छोटी हैं, तो पूरी चूची मेरे मुँह में समा गई और दूसरी चूची को हाथ से सहलाने लगा।
डॉली को अब शायद मजा आ रहा था क्योंकि उसकी आँखें फिर से बंद हो गईं थीं।
मौका देख कर मैंने एक हाथ से अपनी चड्डी खिसका कर निकाल दी और फिर उसी पोजीशन में अपने लंड को डॉली की चुनमूनियाँ से छुआ दिया।
अब मैंने अपना मुँह डॉली की दूसरी चूची में लगा दिया और पहले वाली को हाथ से सहलाने लगा। मेरा लंड बीच-बीच में डॉली की चुनमूनियाँ को छू लेता था।
तभी डॉली ने अपनी आँखें खोलीं और मुझे देख कर बोली- भैया, प्लीज़ अब मुझे छोड़ दीजिए, आपने बहुत कुछ कर लिया है !
मैंने कहा- देखो डॉली मुझे तुम्हारे साथ वो सब करना है, जो तुमने अभी मेरे मोबाइल की चुदाई वाली पिक्चर में देखा है !
तो वो बोली- नहीं वो सब मैं नहीं कर सकती !
मैंने कहा- क्यों?
तो वो चुप रही, फिर मैंने कहा- देखो डॉली, करना तो मुझे है ही, अब तुम अगर मर्जी से करवा लोगी तो तुमको भी अच्छा लगेगा.. नहीं, तो मैं तो कर ही लूँगा !
वो चुपचाप मेरी आँखों में देखने लगी।
फिर बोली- तो आप मेरे साथ भी वही सब करना चाहते हैं जो आपने ललिता के साथ किया है..?
मैं समझ गया कि ललिता ने इसको हमारी चुदाई के बारे में सब बता दिया होगा।
मैंने कहा- हाँ, मैं तुम्हारी भी सील तोड़ना चाहता हूँ… ललिता की तरह!
यह कह कर मैंने उसके चेहरे पर बहुत सारे चुम्बनों की बौछार कर दी।
अचानक डॉली ने अपने दोनों हाथ मेरे कंधे पर रख दिए और बोली- भैया मुझे छोड़ दीजिए, मुझे बहुत दर्द होगा.. मैं वो सब नहीं कर पाऊँगी, जो आपने ललिता के साथ किया था !
मैंने कहा- क्यों?
तो वो फिर चुप हो गई, अब जब मैंने देखा कि उसका विरोध करीब ख़त्म हो गया है तो मैंने अपने दोनों हाथो से उसके टॉप को उसके दोनों हाथ ऊपर करके हटा दिया।
अब उसके बदन में सिर्फ स्कर्ट आर मेरे बदन में सर्फ बनियान थी।
अब मैं जल्दी से उठा और अपनी बनियान भी निकाल दी। अब मैं अपनी पीठ के बल लेट गया और डॉली को अपने ऊपर खींच लिया। मैं अपने दोनों हाथों से डॉली की स्कर्ट उतारना शुरू किया, उसने रोकने की कोशिश की परन्तु कामयाब नहीं हो सकी।
अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे, मैंने डॉली को अपने बदन से चिपका लिया। उसके खुले हुए बालों से मेरा चेहरा ढक गया। मुझे बहत अच्छा लग रहा था। तभी मैंने अपने हाथों से डॉली की गाण्ड को सहलाना शुरू किया, उसके चुनमूनियाँड़ बिल्कुल गोल थे। काफी मस्त माल था !
मेरी उंगली उसकी गाण्ड के छेद का मुआयना करने लगी, तो अंजली ने तुरंत अपनी गाण्ड हिला कर मुझे ऐसा करने से मना किया।
खैर… अब मेरी उंगली उसकी गाण्ड से होते हुए उसकी चुनमूनियाँ पर पहुँच गई थी।
इधर मेरा लंड उसकी चुनमूनियाँ को छूकर और उत्तेजित हो रहा था। मुझे अहसास हो रहा था कि उसकी चुनमूनियाँ गीली थी।
मैं अचानक बैठ गया और डॉली को अपने हाथों के सहारे धीरे से लिटा दिया। मैंने झुक कर अपना मुँह उसकी चुनमूनियाँ की ओर किया, मैंने पहली बार उसकी कुंवारी चुनमूनियाँ को देखा।
दोस्तों डॉली की चुनमूनियाँ में बहुत ही हल्के से रोंयें थे और उसकी चुनमूनियाँ की दोनों फांकें एकदम जुड़ी हुई थीं। अब मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी चुनमूनियाँ की फांकों को अलग किया तो अन्दर का रंग बिल्कुल गुलाबी था।
दोस्तों मैंने अपने होंठों को तुरंत डॉली की चुनमूनियाँ में लगा दिया। अचानक डॉली ने मेरे बाल पकड़ लिए और जोर से ऊपर की ओर खींचना चाहा और बोली- नहीं भैया… यह मत करो, अभी वहाँ खून हो सकता है !
तब मुझे याद आया कि डॉली का तो पीरियड था और आज तीसरा दिन था।
क्रमशः..................
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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