FUN-MAZA-MASTI
भिखारी की हवस-12
***********
अब आगे
*********** सुबह के 9 बज गये थे...गंगू ने कसमसाते हुए अपनी आँखे खोली..उसका सिर बुरी तरह से दर्द कर रहा था..एक पल मे ही उसके दिमाग़ मे कल के सारे द्रिश्य घूम गये..कैसे उसने मुम्मैथ ख़ान की बजाई, उसके बाद होटल मे जाकर रशियन की..और फिर जमकर शराब पी..पर उसके बाद क्या हुआ वो उसे याद नही आ रहा था..और वो घर कैसे आया ये भी उसकी समझ मे नही आ रहा था.
शायद भूरे सिंह उसको लेकर आया होगा..उसने उठना चाहा तो उसे अपना कंधा भारी सा लगा..उसने अपने उपर पड़ी हुई चादर हटाई तो वहाँ का नज़ारा देखकर वो एक पल के लिए तो साँस लेना भी भूल गया..उसके कंधे पर सिर रखकर नेहा गहरी नींद मे सो रही थी..
और वो भी पूरी नंगी.
उसके मोटे-2 मुम्मे उसकी छाती पर चिपके हुए थे..और उसकी मोटी जाँघो ने उसके लंड के उपर कब्जा जमाया हुआ था..वो भी लगभग नंगा ही था..
उसकी समझ मे कुछ नही आ रहा था..ये कब हुआ और कैसे हुआ...
उसने लाख कोशिश की पर उसे कल रात का कोई भी वाक़या याद नही आ रहा था..बस हल्का-2 इतना याद आया की वो शराब पीने के बाद मालविना ने उसका लंड चूसकर उसे खल्लास किया था..
पर जब उसने मालविना की चुदाई की थी तो उसके बाद तो वो चली गयी थी ...और फिर भूरे के साथ मिलकर उसने काफ़ी शराब पी थी..उसे ये भी याद आ गया की भूरे उसको उठाकर लिफ्ट से होते हुए गाड़ी तक आया था...पर उसके बाद का कुछ भी याद नही था उसको..
यानी भूरे उसको घर ले आया था..और यहा पहुँचकर शायद उसने नशे की हालत मे नेहा के साथ कोई ज़ोर ज़बरदस्ती करके उसकी मार ली थी..
''नही...ऐसा नही हो सकता...मैं किसी पर कैसे ज़ोर ज़बरदस्ती कर सकता हू....नही...ऐसा नही हो सकता..'' वो बड़बड़ाने लगा...उसको आत्मग्लानि सी हो रही थी..
पर तभी उसके दिमाग़ मे एक विचार कौंधा..
अगर मैने कोई ज़ोर ज़बरदस्ती की होती तो मुझे कुछ तो याद होता..और ये नेहा भी इतने प्यार से मुझसे लिपट कर ना सो रही होती..यानी..जो कुछ भी हुआ..वो नेहा की मर्ज़ी से हुआ...
शुक्र है उपर वाले का..
पर रात को क्या -2 हुआ और किस हद तक हुआ, ये जानने के लिए नेहा को उठाना ज़रूरी था..
उसने धड़कते दिल से नेहा के चेहरे को उपर किया..वो अब भी गहरी नींद मे थी..
उसके चेहरे का नूर देखकर और उसके लाल सुर्ख होंठ अपने इतने करीब पाकर उसके लंड की धड़कने तेज हो गयी और वो मॉर्निंग वॉक पर निकल पड़ा..और धीरे-2 बड़ा होने लगा.
गंगू ने उसकी पतली कमर को पकड़कर उपर की तरफ खींचा तो वो और उपर आ गयी..और उसके मुम्मे जो पहले गंगू की छाती पर आ रहे थे वो लगभग उसकी गर्दन तक पहुँच गये..
एक दम से झटका मिलते ही नेहा की आँख खुल गयी..और गंगू का चेहरा इतने करीब देखकर वो एकदम से घबरा गयी..पर अगले ही पल रात की बात याद आते ही उसकी आँखों मे गुलाबीपन उतार आया और उसने नज़रें नीचे झुका ली..
गंगू : "नेहा...मेरी तरफ देखो...''
उसने शरमाते हुए अपनी नज़रें उपर उठाई..
वो गंगू के लंड को अपनी जांघों के बीच फड़कता हुआ महसूस कर पा रही थी और उसे महसूस करते हुए उसकी चूत मे भी गीलापन आ गया.
गंगू : "मैं कल काफ़ी नशे मे था...मुझे तो कुछ याद भी नही की मैं इस तरह तुम्हारे पास कैसे आया..क्या किया मैने..बोलो ना''
उसकी बात सुनकर नेहा का चेहरा लाल हो उठा..उसने शरमाते हुए कहा : "आपने कुछ नही किया...जो भी किया बस मैने ही किया...पता है मेरी क्या हालत हो रही थी 2 दीनो से...मैं बस किसी भी तरह से अपनी प्यास बुझाना चाहती थी..इसलिए कल जब आप नशे मे वापिस आए तो मुझसे रहा नही गया और मैने वो सब करना शुरू कर दिया...आप तो किसी मालविना के सपनो मे खोए हुए थे...और आपने अपना ''वो'' बड़ी ही ज़बरदस्ती से मेरे मुँह मे डालकर मुझे बहुत परेशान किया...पर वो सब मुझे अच्छा भी लगा..''
ओ हो ...यानी रात को वो मालविना का सपना देख रहा था...और असली मे वो नेहा को अपना लंड चुसवा रहा था..
पर नेहा उसका लंड लेने के लिए इतना तड़प रही थी, ये बात सुनकर उसे बहुत खुशी हुई..
उसने नेहा के चेहरे को अपनी तरफ बढाया और उसके लरजते हुए होंठों को अपने मुँह मे लेकर ज़ोर से चूसने लगा..
नेहा तो पिघल गयी गंगू के इस वार से...उसका पूरा शरीर सूखे पत्ते की तरह काँपने लगा और अगले ही पल वो उछलकर गंगू के उपर सवार हो गयी और अपनी घनी ज़ुल्फो के जाल मे अपने और गंगू के चेहरे को छुपा कर उसके स्मूच का जवाब अपने स्मूच से देने लगी.
जिस आग मे वो कल रात तड़प रही थी उसकी आँच फिर से बाहर निकलने लगी..नेहा ने गंगू के हाथों को पकड़कर अपनी छातियों पर रखा और उन्हे ज़ोर से दबा दिया..
गंगू ने भी अपना ज़ोर उनपर जैसे ही लगाया वो दर्द से बिलबिला उठी ...
''अहह ....................... उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ......उम्म्म्ममममममममम.....काटो इन्हे.....बहुत दर्द है.....चबा जाओ....आओ ना...''
गंगू के लिए इससे अच्छी बात और क्या हो सकती थी...वो थोड़ा सा उठा और उसने अपना मुँह उसकी गोल मटोल छाती पर रखकर उसके आधे से ज़्यादा मुम्मे को अपने मुँह मे ले लिया और अपनी जीभ और दाँत का इस्तेमाल करते हुए उसके पिंक निप्पल को ज़ोर-2 से सक्क करने लगा...
''आआययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई .....मररररर गयी .................... अहह......हााआअन्न ऐसे ही.......''
और वो गंगू के सिर को पकड़ कर कभी अपनी दाँयी और कभी बाँयी चुचि पर ले जाती और बारी-2 से दोनो पकवान उसे टैस्ट करवाती.
गंगू ने कल मुम्मैथ ख़ान को और रात को मालविना की जमकर चुदाई की थी...पर जितना मखमली बदन नेहा का था उतना उन दोनो मे से किसी का भी नही था...और नेहा के कोरे मुम्मो की कसावट महसूस करते हुए उसके पसीने छूट रहे थे..वो जानता था की ऐसी लड़की उसकी जिंदगी मे नही है, पर किस्मत ने जिस तरह से उसको गंगू के पास भेजा है और वो जिस तरह से तड़प कर उसके लंड की दीवानी हुई बैठी है, ये सब एक सपने जैसा ही लग रहा था..
वैसे भी उसने नेहा के लिए इतना कुछ किया था...अब इतना तो हक बनता ही था उसपर..और वैसे भी वो कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नही कर रहा था...भले ही उसकी यादश्त गुम हो चुकी थी..पर अपने जिस्म की बत मानकर वो खुद ही उससे चुदने को तैयार थी..
ये सब बातें गंगू के दिमाग़ मे चल रही थी..जैसे वो किसी कोर्ट मे खड़ा होकर अपनी पैरवी कर रहा हो.
खैर..गंगू ने अब सोच लिया था की नेहा को असली चुदाई का एहसास करवाने का टाइम आ चुका है..पर पहली चुदाई से पहले वो हर तरह के मज़े लेना चाहता था उसके साथ..सबसे पहले तो वो उसकी कुँवारी चूत को चूसना चाहता था...जिसके लिए वो ना जाने कब से तड़प रहा था..
वैसे दोस्तों, अगर किसी इंसान को लड़की की कुँवारी चूत चूसने को मिल जाए तो उससे बड़ा इनाम उसको जिंदगी से मिल ही नही सकता..ऐसे लोग जिनके सामने उनकी कुँवारी गर्लफ्रेंड या बीबी पहली बार नंगी हुई हो और वो सीधा चुदाई करनी शुरू कर दे तो उनसे बड़ा बेवकूफ़ कोई और हो ही नही सकता..पहली धार का माल जब तक चूसा ना जाए तब तक जवानी का नशा पूरा ही नही होता..
गंगू ने उसको अपने उपर से नीचे उतारा और बेड पर पीठ के बाल लिटा दिया..और खुद ज़मीन पर खड़ा हो गया...और अपने बचे-खुचे कपड़े भी उतार दिए..
अब उसकी नंगी आँखो के सामने थी अपने उफन रहे योवन को संभाल रही नंगी नेहा...उसका नंगा जिस्म किसी नागिन की तरह मचल रहा था..उसकी जांघों के बीच इतनी चिकनाई आ चुकी थी की वो उन्हे आपस मे रगड़कर अजीब सी आवाज़ें निकल रही थी..गंगू ने एक बार फिर से उपर वाले का धन्यवाद दिया की उसकी जिंदगी मे इतनी खूबसूरत लड़की आई..
और फिर वो नीचे बैठ गया और नेहा की दोनो टाँगो को खोलकर अपने कंधे पर रख लिया..जैसे-2 उसका मुँह उसकी उफनती चूत के करीब पहुँच रहा था ,वहाँ से निकल रही मादकता से भरी खुश्बू उसे पागल कर रही थी..
उसकी आँखों के सामने दुनिया की सबसे टाइट चूत थी...बिल्कुल चिकनी चूत ,बिना बालों के..नीचे से उपर की तरफ छोटा सा चीरा...जैसे मिट्टी की गुल्लक मे होता है..उतना ही लंबा और उतना ही छोटा और टाइट...
नेहा भी अपनी साँस रोके अपनी चूत की पहली चुसाई का आनंद लेने के लिए तैयार थी..और जैसे ही गंगू की गर्म जीभ ने उसकी चूत को छुआ, वो उछल सी पड़ी..पर गंगू ने उसकी जांघों को बड़ी ज़ोर से पकड़ रखा था इसलिए वो अलग ना हो पाई..और बिना कोई और देर किए गंगू ने अपना बड़ा सा मुँह खोला और उसकी गुल्लक को मुँह मे भर लिया और अपनी जीभ को सिक्का बनाकर उसे अंदर डाल दिया...छेद छोटा और सिक्का बड़ा..यानी उसकी जीभ अंदर घुस नही रही थी..गंगू सोचने लगा की जब उसकी जीभ अंदर नही जा रही तो उसका लंड कैसे जाएगा..
खूब मेहनत करनी पड़ेगी उसको आज...और उसकी चीखों को भी दबाना पड़ेगा..वरना पूरा मोहल्ला इकट्ठा हो जाएगा..
गंगू ने अपनी उंगली को उसके अंदर डाला..नेहा सिसक उठी..क्योंकि वो एक ही बार मे अंदर तक जाकर उसकी झिल्ली से जा टकराई..गंगू ने धीरे से अपनी दूसरी उंगली भी अंदर डाल दी..अब नेहा को दर्द होना महसूस हो गया...पर वो अपनी साँस रोके लेती रही..गंगू काफ़ी देर तक अपनी दोनो उंगलियों को अंदर बाहर करता रहा और साथ ही साथ उसकी चूत के तितली जैसे होंठों को अपने मुँह मे लेकर उसका रस चूसता रहा ...फिर उसने अपनी तीसरी उंगली भी अंदर डालनी चाही..इस बार तो नेहा चीख उठी ..
''अहह....... नहियीईईईईईईईईईईईईई ......मत करो....... मुझे दर्द हो रहा है...''
गंगू रुक गया...उसकी तीन उंगलियो की मोटाई तो उसके लंड से आधी ही थी...जब वो नही ले पा रही तो लंड कैसे लेगी..अभी काफ़ी चिकनाई की ज़रूरत थी उसको..और साथ ही नेहा को और ज़्यादा उत्तेजित करने की भी..
वो थोड़ा और नीचे झुका और अपनी जीभ से उसकी गांड के छेद को कुरेदा ...ऐसा करते ही नेहा के पूरे शरीर मे जैसे करंट सा लगा...पर साथ ही साथ उसकी उत्तेजना भी अपने पूरे शिखर पर पहुँच गयी...और उसने अपनी रेशमी टाँगो के फंदे मे गंगू की गर्दन दबोची और अपनी कसावट वाली गांड को उसके चेहरे पर रगड़ने लगी..गंगू को ऐसा लगा जैसे उसके चेहरे की मसाज की जा रही है...
अब गंगू ने अपनी तीन उंगलियाँ एक साथ अंदर डाल दी उसकी चूत के...और वो चली भी गयी...इस बार वो चिल्लाई भी नही...बल्कि ज़ोर-2 से बड़बड़ाने लगी
"आहह............... मैं मर गयी................ इतना मज़ा आ रहा है ...............अहह ...ओफफफफफ्फ़ खा जाओ ......सब कुछ .........चाटो मुझे...............खाओ ........इसको .............अहह ...''
अब वो पूरी बावली हो चुकी थी...गंगू ने महसूस किया की अब उसकी चूत पहले से ज़्यादा चिकनी हो गयी है...यानी अब वक़्त आ गया था सील तोड़ने का..
वो उठा और उसने नेहा की दोनो टाँगो को फेला कर अलग-2 दिशा मे कर दिया..और फिर उसकी गीली चूत के उपर लंड रखकर उसकी आँखों मे देखा..
नेहा बेचारी को पता नही था की उसके साथ क्या होने वाला है...वो तो बस अपनी मस्ती मे मचलती हुई अपनी चूत की खुजली को मिटा देना चाहती थी.
गंगू ने धीरे-2 अपना भार उसके उपर डाला..और सिर्फ़ एक इंच अंदर जाकर उसका लंड अटक गया...पर अब इस पार या उस पार...ये सोचते हुए उसने अपने घोड़े को जोरदार झटका दिया और वो हिनहिनाता हुआ नेहा की चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया.
''आआआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ........ नहियीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ........मैं मर गयी .........................अहह .......''
उसकी आँखो से आँसू निकल आए..खून निकल कर बाहर रिसने लगा..गंगू कुछ देर के लिए रुका और फिर एक और झटके से और अंदर और फिर आख़िरी झटके मे पूरा अंदर समा गया उसके..
नेहा के मुँह से अब कोई आवाज़ ही नही निकल रही थी...दर्द के मारे उसका बुरा हाल था..पर अंदर फँसे लंड को महसूस करते हुए एक अजीब सी तरंग भी उठ रही थी ...
गंगू काफ़ी तजुर्बे वाला था...उसने धीरे-2 अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया...और दस मिनट तक ऐसे ही करता रहा..
धीरे-2 नेहा की दर्द भारी चीखो की जगह मस्ती भरी सिसकारियों ने ले ली...
गंगू भी सोच रहा था की ये चुदाई भी कैसी चीज़ है, हर कोई डरता भी है, दर्द भी होता है...पर बाद मे मज़े भी पूरे मिलते हैं..
अब तो नेहा पागल कुतिया की तरह अपनी टांगे उसकी कमर मे लपेट कर उसके लंड को ज़्यादा से ज़्यादा अंदर ले रही थी...उसे पूरी तरह से महसूस कर रही थी..
उसकी मस्ती भरी चीखों से वो छोटी सी झोपड़ी गूँज रही थी..
''आअहह ह ओगगगग ओह ओह हाआँ ऐसे ही..... उम्म्म्ममम .....अब दर्द नही है......हन ......मज़ा मिल रहा है .......अहह एसस्सस्स ..एसस्स ........उम्म्म्मममममम अहह ''
और ऐसे ही सिसकते-2 नेहा की चूत से ढेर सारी क्रीम निकल गयी...जिसे गंगू ने भी महसूस किया.
गंगू भी इतनी टाइट चूत मे जाकर अपने लंड को ज़्यादा देर तक नही रोक पाया , वो उसके अंदर झड़कर कोई रिस्क नही लेना चाहता था..कुँवारी लड़की के साथ चुदाई करते हुए वो सेफ रहना चाहता था..
उसने लास्ट मूमेंट पर अपना लंड बाहर खींच लिया..नेहा तो जैसे इसी इंतजार मे थी..वो उठकर उपर आई और उसके लंड को निगल कर ज़ोर-2 से चूसने लगी..
और अगले ही पल उसके अंदर से अलग-2 साइज़ की पिचकारियाँ निकलनी शुरू हो गयी...जिसे नेहा ने अपने चेहरे और मुँह के अंदर निगल कर पूरी तृप्ति पा ली और उसकी सारी मायोनीज खा गयी
गंगू उसके बाद हांफता हुआ उसके उपर ही गिर पड़ा..
ऐसी चुदाई उसने अपनी जिंदगी मे आज तक नही की थी..
पर ये तो अभी शुरूवात थी..वो उसके साथ हर तरीके से मज़े लेना चाहता था जो उसने सोच रखे थे..
कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहने के बाद वो बोला : "चलो....नदी पर नहाने चलते हैं...''
नेहा ने हाँ मे सिर हिला दिया और उठकर कपड़े पहनने लगी..
गंगू ने उसके हाथ से ब्रा खींच लि और बोला : "बिना ब्रा-पेंटी के ही चलो...''
नेहा के चेहरे पर भी शरारत भरी मुस्कान फैल गयी...वो शायद समझ चुकी थी की गंगू उसके साथ क्या-2 करने वाला है..
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शायद भूरे सिंह उसको लेकर आया होगा..उसने उठना चाहा तो उसे अपना कंधा भारी सा लगा..उसने अपने उपर पड़ी हुई चादर हटाई तो वहाँ का नज़ारा देखकर वो एक पल के लिए तो साँस लेना भी भूल गया..उसके कंधे पर सिर रखकर नेहा गहरी नींद मे सो रही थी..
और वो भी पूरी नंगी.
उसके मोटे-2 मुम्मे उसकी छाती पर चिपके हुए थे..और उसकी मोटी जाँघो ने उसके लंड के उपर कब्जा जमाया हुआ था..वो भी लगभग नंगा ही था..
उसकी समझ मे कुछ नही आ रहा था..ये कब हुआ और कैसे हुआ...
उसने लाख कोशिश की पर उसे कल रात का कोई भी वाक़या याद नही आ रहा था..बस हल्का-2 इतना याद आया की वो शराब पीने के बाद मालविना ने उसका लंड चूसकर उसे खल्लास किया था..
पर जब उसने मालविना की चुदाई की थी तो उसके बाद तो वो चली गयी थी ...और फिर भूरे के साथ मिलकर उसने काफ़ी शराब पी थी..उसे ये भी याद आ गया की भूरे उसको उठाकर लिफ्ट से होते हुए गाड़ी तक आया था...पर उसके बाद का कुछ भी याद नही था उसको..
यानी भूरे उसको घर ले आया था..और यहा पहुँचकर शायद उसने नशे की हालत मे नेहा के साथ कोई ज़ोर ज़बरदस्ती करके उसकी मार ली थी..
''नही...ऐसा नही हो सकता...मैं किसी पर कैसे ज़ोर ज़बरदस्ती कर सकता हू....नही...ऐसा नही हो सकता..'' वो बड़बड़ाने लगा...उसको आत्मग्लानि सी हो रही थी..
पर तभी उसके दिमाग़ मे एक विचार कौंधा..
अगर मैने कोई ज़ोर ज़बरदस्ती की होती तो मुझे कुछ तो याद होता..और ये नेहा भी इतने प्यार से मुझसे लिपट कर ना सो रही होती..यानी..जो कुछ भी हुआ..वो नेहा की मर्ज़ी से हुआ...
शुक्र है उपर वाले का..
पर रात को क्या -2 हुआ और किस हद तक हुआ, ये जानने के लिए नेहा को उठाना ज़रूरी था..
उसने धड़कते दिल से नेहा के चेहरे को उपर किया..वो अब भी गहरी नींद मे थी..
उसके चेहरे का नूर देखकर और उसके लाल सुर्ख होंठ अपने इतने करीब पाकर उसके लंड की धड़कने तेज हो गयी और वो मॉर्निंग वॉक पर निकल पड़ा..और धीरे-2 बड़ा होने लगा.
गंगू ने उसकी पतली कमर को पकड़कर उपर की तरफ खींचा तो वो और उपर आ गयी..और उसके मुम्मे जो पहले गंगू की छाती पर आ रहे थे वो लगभग उसकी गर्दन तक पहुँच गये..
एक दम से झटका मिलते ही नेहा की आँख खुल गयी..और गंगू का चेहरा इतने करीब देखकर वो एकदम से घबरा गयी..पर अगले ही पल रात की बात याद आते ही उसकी आँखों मे गुलाबीपन उतार आया और उसने नज़रें नीचे झुका ली..
गंगू : "नेहा...मेरी तरफ देखो...''
उसने शरमाते हुए अपनी नज़रें उपर उठाई..
वो गंगू के लंड को अपनी जांघों के बीच फड़कता हुआ महसूस कर पा रही थी और उसे महसूस करते हुए उसकी चूत मे भी गीलापन आ गया.
गंगू : "मैं कल काफ़ी नशे मे था...मुझे तो कुछ याद भी नही की मैं इस तरह तुम्हारे पास कैसे आया..क्या किया मैने..बोलो ना''
उसकी बात सुनकर नेहा का चेहरा लाल हो उठा..उसने शरमाते हुए कहा : "आपने कुछ नही किया...जो भी किया बस मैने ही किया...पता है मेरी क्या हालत हो रही थी 2 दीनो से...मैं बस किसी भी तरह से अपनी प्यास बुझाना चाहती थी..इसलिए कल जब आप नशे मे वापिस आए तो मुझसे रहा नही गया और मैने वो सब करना शुरू कर दिया...आप तो किसी मालविना के सपनो मे खोए हुए थे...और आपने अपना ''वो'' बड़ी ही ज़बरदस्ती से मेरे मुँह मे डालकर मुझे बहुत परेशान किया...पर वो सब मुझे अच्छा भी लगा..''
ओ हो ...यानी रात को वो मालविना का सपना देख रहा था...और असली मे वो नेहा को अपना लंड चुसवा रहा था..
पर नेहा उसका लंड लेने के लिए इतना तड़प रही थी, ये बात सुनकर उसे बहुत खुशी हुई..
उसने नेहा के चेहरे को अपनी तरफ बढाया और उसके लरजते हुए होंठों को अपने मुँह मे लेकर ज़ोर से चूसने लगा..
नेहा तो पिघल गयी गंगू के इस वार से...उसका पूरा शरीर सूखे पत्ते की तरह काँपने लगा और अगले ही पल वो उछलकर गंगू के उपर सवार हो गयी और अपनी घनी ज़ुल्फो के जाल मे अपने और गंगू के चेहरे को छुपा कर उसके स्मूच का जवाब अपने स्मूच से देने लगी.
जिस आग मे वो कल रात तड़प रही थी उसकी आँच फिर से बाहर निकलने लगी..नेहा ने गंगू के हाथों को पकड़कर अपनी छातियों पर रखा और उन्हे ज़ोर से दबा दिया..
गंगू ने भी अपना ज़ोर उनपर जैसे ही लगाया वो दर्द से बिलबिला उठी ...
''अहह ....................... उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ......उम्म्म्ममममममममम.....काटो इन्हे.....बहुत दर्द है.....चबा जाओ....आओ ना...''
गंगू के लिए इससे अच्छी बात और क्या हो सकती थी...वो थोड़ा सा उठा और उसने अपना मुँह उसकी गोल मटोल छाती पर रखकर उसके आधे से ज़्यादा मुम्मे को अपने मुँह मे ले लिया और अपनी जीभ और दाँत का इस्तेमाल करते हुए उसके पिंक निप्पल को ज़ोर-2 से सक्क करने लगा...
''आआययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई .....मररररर गयी .................... अहह......हााआअन्न ऐसे ही.......''
और वो गंगू के सिर को पकड़ कर कभी अपनी दाँयी और कभी बाँयी चुचि पर ले जाती और बारी-2 से दोनो पकवान उसे टैस्ट करवाती.
गंगू ने कल मुम्मैथ ख़ान को और रात को मालविना की जमकर चुदाई की थी...पर जितना मखमली बदन नेहा का था उतना उन दोनो मे से किसी का भी नही था...और नेहा के कोरे मुम्मो की कसावट महसूस करते हुए उसके पसीने छूट रहे थे..वो जानता था की ऐसी लड़की उसकी जिंदगी मे नही है, पर किस्मत ने जिस तरह से उसको गंगू के पास भेजा है और वो जिस तरह से तड़प कर उसके लंड की दीवानी हुई बैठी है, ये सब एक सपने जैसा ही लग रहा था..
वैसे भी उसने नेहा के लिए इतना कुछ किया था...अब इतना तो हक बनता ही था उसपर..और वैसे भी वो कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नही कर रहा था...भले ही उसकी यादश्त गुम हो चुकी थी..पर अपने जिस्म की बत मानकर वो खुद ही उससे चुदने को तैयार थी..
ये सब बातें गंगू के दिमाग़ मे चल रही थी..जैसे वो किसी कोर्ट मे खड़ा होकर अपनी पैरवी कर रहा हो.
खैर..गंगू ने अब सोच लिया था की नेहा को असली चुदाई का एहसास करवाने का टाइम आ चुका है..पर पहली चुदाई से पहले वो हर तरह के मज़े लेना चाहता था उसके साथ..सबसे पहले तो वो उसकी कुँवारी चूत को चूसना चाहता था...जिसके लिए वो ना जाने कब से तड़प रहा था..
वैसे दोस्तों, अगर किसी इंसान को लड़की की कुँवारी चूत चूसने को मिल जाए तो उससे बड़ा इनाम उसको जिंदगी से मिल ही नही सकता..ऐसे लोग जिनके सामने उनकी कुँवारी गर्लफ्रेंड या बीबी पहली बार नंगी हुई हो और वो सीधा चुदाई करनी शुरू कर दे तो उनसे बड़ा बेवकूफ़ कोई और हो ही नही सकता..पहली धार का माल जब तक चूसा ना जाए तब तक जवानी का नशा पूरा ही नही होता..
गंगू ने उसको अपने उपर से नीचे उतारा और बेड पर पीठ के बाल लिटा दिया..और खुद ज़मीन पर खड़ा हो गया...और अपने बचे-खुचे कपड़े भी उतार दिए..
अब उसकी नंगी आँखो के सामने थी अपने उफन रहे योवन को संभाल रही नंगी नेहा...उसका नंगा जिस्म किसी नागिन की तरह मचल रहा था..उसकी जांघों के बीच इतनी चिकनाई आ चुकी थी की वो उन्हे आपस मे रगड़कर अजीब सी आवाज़ें निकल रही थी..गंगू ने एक बार फिर से उपर वाले का धन्यवाद दिया की उसकी जिंदगी मे इतनी खूबसूरत लड़की आई..
और फिर वो नीचे बैठ गया और नेहा की दोनो टाँगो को खोलकर अपने कंधे पर रख लिया..जैसे-2 उसका मुँह उसकी उफनती चूत के करीब पहुँच रहा था ,वहाँ से निकल रही मादकता से भरी खुश्बू उसे पागल कर रही थी..
उसकी आँखों के सामने दुनिया की सबसे टाइट चूत थी...बिल्कुल चिकनी चूत ,बिना बालों के..नीचे से उपर की तरफ छोटा सा चीरा...जैसे मिट्टी की गुल्लक मे होता है..उतना ही लंबा और उतना ही छोटा और टाइट...
नेहा भी अपनी साँस रोके अपनी चूत की पहली चुसाई का आनंद लेने के लिए तैयार थी..और जैसे ही गंगू की गर्म जीभ ने उसकी चूत को छुआ, वो उछल सी पड़ी..पर गंगू ने उसकी जांघों को बड़ी ज़ोर से पकड़ रखा था इसलिए वो अलग ना हो पाई..और बिना कोई और देर किए गंगू ने अपना बड़ा सा मुँह खोला और उसकी गुल्लक को मुँह मे भर लिया और अपनी जीभ को सिक्का बनाकर उसे अंदर डाल दिया...छेद छोटा और सिक्का बड़ा..यानी उसकी जीभ अंदर घुस नही रही थी..गंगू सोचने लगा की जब उसकी जीभ अंदर नही जा रही तो उसका लंड कैसे जाएगा..
खूब मेहनत करनी पड़ेगी उसको आज...और उसकी चीखों को भी दबाना पड़ेगा..वरना पूरा मोहल्ला इकट्ठा हो जाएगा..
गंगू ने अपनी उंगली को उसके अंदर डाला..नेहा सिसक उठी..क्योंकि वो एक ही बार मे अंदर तक जाकर उसकी झिल्ली से जा टकराई..गंगू ने धीरे से अपनी दूसरी उंगली भी अंदर डाल दी..अब नेहा को दर्द होना महसूस हो गया...पर वो अपनी साँस रोके लेती रही..गंगू काफ़ी देर तक अपनी दोनो उंगलियों को अंदर बाहर करता रहा और साथ ही साथ उसकी चूत के तितली जैसे होंठों को अपने मुँह मे लेकर उसका रस चूसता रहा ...फिर उसने अपनी तीसरी उंगली भी अंदर डालनी चाही..इस बार तो नेहा चीख उठी ..
''अहह....... नहियीईईईईईईईईईईईईई ......मत करो....... मुझे दर्द हो रहा है...''
गंगू रुक गया...उसकी तीन उंगलियो की मोटाई तो उसके लंड से आधी ही थी...जब वो नही ले पा रही तो लंड कैसे लेगी..अभी काफ़ी चिकनाई की ज़रूरत थी उसको..और साथ ही नेहा को और ज़्यादा उत्तेजित करने की भी..
वो थोड़ा और नीचे झुका और अपनी जीभ से उसकी गांड के छेद को कुरेदा ...ऐसा करते ही नेहा के पूरे शरीर मे जैसे करंट सा लगा...पर साथ ही साथ उसकी उत्तेजना भी अपने पूरे शिखर पर पहुँच गयी...और उसने अपनी रेशमी टाँगो के फंदे मे गंगू की गर्दन दबोची और अपनी कसावट वाली गांड को उसके चेहरे पर रगड़ने लगी..गंगू को ऐसा लगा जैसे उसके चेहरे की मसाज की जा रही है...
अब गंगू ने अपनी तीन उंगलियाँ एक साथ अंदर डाल दी उसकी चूत के...और वो चली भी गयी...इस बार वो चिल्लाई भी नही...बल्कि ज़ोर-2 से बड़बड़ाने लगी
"आहह............... मैं मर गयी................ इतना मज़ा आ रहा है ...............अहह ...ओफफफफफ्फ़ खा जाओ ......सब कुछ .........चाटो मुझे...............खाओ ........इसको .............अहह ...''
अब वो पूरी बावली हो चुकी थी...गंगू ने महसूस किया की अब उसकी चूत पहले से ज़्यादा चिकनी हो गयी है...यानी अब वक़्त आ गया था सील तोड़ने का..
वो उठा और उसने नेहा की दोनो टाँगो को फेला कर अलग-2 दिशा मे कर दिया..और फिर उसकी गीली चूत के उपर लंड रखकर उसकी आँखों मे देखा..
नेहा बेचारी को पता नही था की उसके साथ क्या होने वाला है...वो तो बस अपनी मस्ती मे मचलती हुई अपनी चूत की खुजली को मिटा देना चाहती थी.
गंगू ने धीरे-2 अपना भार उसके उपर डाला..और सिर्फ़ एक इंच अंदर जाकर उसका लंड अटक गया...पर अब इस पार या उस पार...ये सोचते हुए उसने अपने घोड़े को जोरदार झटका दिया और वो हिनहिनाता हुआ नेहा की चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया.
''आआआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ........ नहियीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ........मैं मर गयी .........................अहह .......''
उसकी आँखो से आँसू निकल आए..खून निकल कर बाहर रिसने लगा..गंगू कुछ देर के लिए रुका और फिर एक और झटके से और अंदर और फिर आख़िरी झटके मे पूरा अंदर समा गया उसके..
नेहा के मुँह से अब कोई आवाज़ ही नही निकल रही थी...दर्द के मारे उसका बुरा हाल था..पर अंदर फँसे लंड को महसूस करते हुए एक अजीब सी तरंग भी उठ रही थी ...
गंगू काफ़ी तजुर्बे वाला था...उसने धीरे-2 अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया...और दस मिनट तक ऐसे ही करता रहा..
धीरे-2 नेहा की दर्द भारी चीखो की जगह मस्ती भरी सिसकारियों ने ले ली...
गंगू भी सोच रहा था की ये चुदाई भी कैसी चीज़ है, हर कोई डरता भी है, दर्द भी होता है...पर बाद मे मज़े भी पूरे मिलते हैं..
अब तो नेहा पागल कुतिया की तरह अपनी टांगे उसकी कमर मे लपेट कर उसके लंड को ज़्यादा से ज़्यादा अंदर ले रही थी...उसे पूरी तरह से महसूस कर रही थी..
उसकी मस्ती भरी चीखों से वो छोटी सी झोपड़ी गूँज रही थी..
''आअहह ह ओगगगग ओह ओह हाआँ ऐसे ही..... उम्म्म्ममम .....अब दर्द नही है......हन ......मज़ा मिल रहा है .......अहह एसस्सस्स ..एसस्स ........उम्म्म्मममममम अहह ''
और ऐसे ही सिसकते-2 नेहा की चूत से ढेर सारी क्रीम निकल गयी...जिसे गंगू ने भी महसूस किया.
गंगू भी इतनी टाइट चूत मे जाकर अपने लंड को ज़्यादा देर तक नही रोक पाया , वो उसके अंदर झड़कर कोई रिस्क नही लेना चाहता था..कुँवारी लड़की के साथ चुदाई करते हुए वो सेफ रहना चाहता था..
उसने लास्ट मूमेंट पर अपना लंड बाहर खींच लिया..नेहा तो जैसे इसी इंतजार मे थी..वो उठकर उपर आई और उसके लंड को निगल कर ज़ोर-2 से चूसने लगी..
और अगले ही पल उसके अंदर से अलग-2 साइज़ की पिचकारियाँ निकलनी शुरू हो गयी...जिसे नेहा ने अपने चेहरे और मुँह के अंदर निगल कर पूरी तृप्ति पा ली और उसकी सारी मायोनीज खा गयी
गंगू उसके बाद हांफता हुआ उसके उपर ही गिर पड़ा..
ऐसी चुदाई उसने अपनी जिंदगी मे आज तक नही की थी..
पर ये तो अभी शुरूवात थी..वो उसके साथ हर तरीके से मज़े लेना चाहता था जो उसने सोच रखे थे..
कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहने के बाद वो बोला : "चलो....नदी पर नहाने चलते हैं...''
नेहा ने हाँ मे सिर हिला दिया और उठकर कपड़े पहनने लगी..
गंगू ने उसके हाथ से ब्रा खींच लि और बोला : "बिना ब्रा-पेंटी के ही चलो...''
नेहा के चेहरे पर भी शरारत भरी मुस्कान फैल गयी...वो शायद समझ चुकी थी की गंगू उसके साथ क्या-2 करने वाला है..
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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