FUN-MAZA-MASTI
सौतेला बाप--45
अब आगे
**********
अब वो झुक कर लोकेश का लंड चूस रही थी और अपनी चूत को समीर से चुसवा रही थी...समीर पीछे से उसके लटके हुए थन भी मसल रहा था
लोकेश ने समीर को इशारा किया आगे बढ़ने का... समीर झट से खड़ा हुआ और उसने अपने सारे कपड़े उतार फेंके...और वापिस आकर रोज़ी के पीछे खड़ा हो गया..
अपने लंड पर उसने थूक लगाई...और रोज़ी की कुँवारी चूत पर लंड का सिरा लगा दिया..वो पिछले 15 मिनट से उसकी चूत चाट रहा था..इसलिए वो काफ़ी चिकनी हो चुकी थी...समीर ने हल्का सा झटका दिया और उसका लंड अंदर घुस कर अटक गया..
अब रोज़ी को एहसास हुआ की उसके साथ हो क्या रहा है...वैसे वो अब तक ये तो जान ही चुकी थी की आज उसका कुँवारापन जाकर रहेगा..पर ऐसे इतनी जल्दी, उसके लिए वो शायद तैयार नही थी...
और वो कुछ बोल पाती, एक जोरदार झटका मारकर एक ही झटके मे समीर ने उसके कुंवारेपन को हर लिया...और उसका लिंग सुरर्र की आवाज़ के साथ अंदर तक घुसता चला गया...
''अहहsssssssssssssssssssssssssssss .............. उम्म्म्मममममममममममम ''
और सबसे मज़े की बात ये की रोज़ी को बिल्कुल भी दर्द नही हुआ...ऐसा ज़रूर लगा की उसके अंदर कुछ फँसा हुआ है..पर दर्द जैसा एहसास नही हुआ..और उस फंसी हुई चीज़ से उसकी चूत में जो खुजली हो रही थी,समीर के हिलने से वो भी जाती रही..इसलिए वो खुद ही आगे-पीछे होकर अपनी खुजली मिटाने की गरज से झटके मारने लगी..
''अहह...... ओह समीर सर ................ उम्म्म्ममममममममममममममम ..... ऐसे ही ................. ज़ोर से .......... करो ना ............... अहह ...... एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स सर ....येस सर .............. ओह येस सर ......येस सर येस सर येस सर येस सर ''
वो साली ऐसे सिसकारियाँ मारकर येस सर, येस सर बोल रही थी जैसे अपने बॉस से किसी लैटर की डिकटेशन ले रही हो....
समीर ने भी उसकी गोल मटोल गांड को पकड़ कर उसकी रेल बना दी....और झटके दे देकर उसकी चूत मारने लगा...
झटके इतनी तेज थे की लोकेश का लंड भी वो ढंग से चूस नही पा रही थी...बस अपने हाथ मे पकड़कर उसका सहारा लिया हुआ था, ताकि समीर के तेज झटकों से वो नीचे ना गिर पड़े..
और फिर अचानक वो झटके काफ़ी तेज हो गये..और फिर एक जोरदार भूचाल के साथ समीर ने अपने लंड से पानी निकालकर उसकी गांड के केनवास पर चित्र बनाने शुरू कर दिए...
और समीर निढाल सा होकर सोफे पर गिर गया...
रोज़ी शायद अभी तक झड़ी नही थी...पर वो एक बार झड़ने का मज़ा ज़रूर लेना चाहती थी...जो उसकी प्यासी नज़रों में लोकेश ने देख ही लिया था..
वो उसे लेकर सोफे की तरफ जाने ही वाला था की एकदम से बाहर की बेल बाजी..
दीवार पर लगे वीडियो डोर कैमरा डिवाइस पर एंट्री गेट पर आने वाले की तस्वीर उभर आई...वो रश्मि थी..जो 4 बजे ही घर पहुँच गयी थी.
उसे देखते ही समीर की सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी...वो पूरी तरहा से नंगा था..और रोज़ी भी उसी हालत मे थी..चारों तरफ उनके कपड़े फेले पड़े थे..
रश्मि लगातार घंटी बजा रही थी...ये सोचकर की कहीं समीर सो ना गया हो ..
लोकेश ने सिचुएशन संभाली और बोला : "समीर, तुम इसको लेकर उपर वाले कमरे में जाओ...मैं भाभी को संभालता हूँ ...''
क्योंकि लोकेश ही था जिसने पूरे कपड़े पहने हुए थे...उसने अपने लंड को अंदर ठूसा और बाहर चल दिया, दरवाजा खोलने...और समीर और रोज़ी ने अपने-2 कपड़े समेटे और नंगे ही उपर भागते चले गये..
लोकेश ने दरवाजा खोला और उसे देखते ही रश्मि समझ गयी की आज उसके पीछे उन दोनो ने बियर पीने का प्रोग्राम बनाया होगा..
लोकेश : "अरे भाभी...आप तो 5-6 बजे आने वाली थी...इतनी जल्दी कैसे आ गयी...और काव्या कहाँ है...?"
रश्मि (अंदर आते हुए) : "वो बस थोड़ा जल्दी फ्री हो गये थे इसलिए ....और काव्या अपने दोस्त को उसके घर तक ड्रॉप करने गयी है...आ ही जाएगी आधे-एक घंटे तक..''
और फिर अंदर आकर उसने देखा की टेबल पर बियर केन और खाने पीने की चीज़े बिखरी पड़ी है
रश्मि : "आप लोगो ने भी काफ़ी एंजाय किया है ...कहाँ है समीर, दिखाई नही दे रहे...''
लोकेश : "वो .... वो अपने रूम मे गया है...शायद थोड़ी ज़्यादा पी ली थी...सो गया होगा..''
और फिर बात बदलते हुए लोकेश ने कहा : "भाभी ....आज तो आप कमाल की लग रही हो...सच मे...बड़ी ही सेक्सी ड्रेस पहनी हुई है आपने आज...एकदम फिल्मी हेरोइन लग रही हो आप...''
ये तारीफ एक ऐसी चीज़ है जो हर औरत और लड़की को पसंद आती है...वो सब कुछ भूलकर बस उन बातों मे खो सी जाती है जिसमे उसकी तारीफ की जा रही हो..
रश्मि ने एक टाइट सी टी शर्ट और जीन्स पहनी हुई थी...इसलिए उसका हर एक अंग उभर -2 कर बाहर आ रहा था..
वो मंद-2 मुस्कुराते हुए बोली : "अब ऐसा भी कुछ नही है...आप तो हमेशा मेरी झूटी तारीफ करते हो...''
ये तरीका होता है लॅडीस का अपनी और तारीफ सुनने का...और ये लोकेश समझ गया था..
लोकेश : "अरे नही भाभी...आपकी कसम..आज तो आप सच मे काफ़ी कमाल की लग रही हो...आपका फिगर ऐसा लगता है जैसे साँचे मे ढाला हुआ हो...हर चीज़ एकदम परफ़ेक्ट है...जैसी मर्दों को पसंद आती है..''
दोनो बात करते -2 सोफे तक आ चुके थे..
रश्मि : "ऐसा क्या पर्फेक्ट देख लिया आपने मेरे अंदर...''
लोकेश : "हर चीज़ पर्फेक्ट है भाभी ...अपना चेहरा देखो ज़रा..लगता ही नही है की आपकी एक जवान बेटी है...आप तो खुद अभी तक कुँवारी लगती हो...इतना भोला-भाला सा चेहरा..''
ये कहकर लोकेश रुक गया..
रश्मि ने उसे आगे बढ़ने के लिए कहा और बोली : "और...चेहरे के अलावा...और क्या...''
लोकेश : "बस भाभी....आज तो आप मुझे फसवाने वाले काम करवा रही हो...कहना तो बहुत कुछ चाहता हू आपके बारे मे...पर डर लगता है की कहीं आप नाराज़ ना हो जाओ..''
रश्मि भी समझ चुकी थी की लोकेश क्या कहना चाहता है...वैसे लोकेश ने उसे और समीर को उसके रिसोर्ट पर चुदाई करते हुए नंगा तो देख ही लिया था..और हमेशा से ही उसकी भूखी आँखो को अपने उपर पड़ते देखकर वो ये भी समझ ही चुकी थी की वो चाहता क्या है...और वैसे भी आज वो जो काम विक्की के साथ करके आई थी, उसके बाद तो उसके अंदर का वो डर भी ख़त्म हो चुका था जो अंदर से उसकी मर्यादा की याद दिलाता था...जब उसने अपनी बेटी के बाय्फ्रेंड से ही चुदाई करवा ली तो अपने हसबेंड के दोस्त से मज़े लेने मे क्या प्राब्लम है..उसका हक़ तो ज़्यादा बनता है .... वैसे भी लोकेश उसे काफ़ी पसंद था..और उपर से इस वक़्त वो उत्तेजित भी थी, क्योंकि रिज़ॉर्ट से निकलते वक़्त विक्की से वो एक बार और चुदना चाहती थी..पर काव्या के सामने वो इतनी भी बेशर्म नही बनना चाहती थी ...
और इसलिए लोकेश से तारीफ सुनकर..और उसके साथ ऐसी बाते करके उसके निप्पल फिर से एक बार खड़े हो चुके थे...और वो ये भी शायद भूल चुकी थी की उसका पति भी इस वक़्त घर पर ही है..
रश्मि : "इसमे नाराज़ होने वाली क्या बात है...देवर भाभी मे इतना तो चलता ही है...''
रश्मि ने खुद उसे आगे बढ़ने के लिए उकसाया..
अब लोकेश कहाँ रुकने वाला था..उसे तो जैसे हरी झंडी मिल गयी सामने से..
लोकेश : "भाभी...मुझे ये कहना तो नही चाहिए ..पर मुझे आपके बूब्स हमेशा से पसंद है...मेरा मतलब आपके चेहरे के बाद मेरी नज़र हमेशा ही इनके उपर आकर रुक सी जाती है...''
ये कहते हुए भी लोकेश की नज़रें उसके मोटे-2 मुम्मों को निहार रही थी..और उसके खड़े हुए निप्पल को देखकर वो ये भी समझ गया की वो उत्तेजित हो रही है..
रश्मि की तो साँसे ही तेज हो गयी...ऐसे खुलकर उसके बूब्स के बारे मे शायद आज तक किसी ने नही बोला था..
वो कुछ बोल ही नही पाई...और उसकी खामोशी को हाँ मानते हुए लोकेश उसके बिल्कुल करीब पहुँच गया, दोनो के शरीर आपस मे टच हो रहे थे..रश्मि की गहरी साँसे लोकेश के सीने पर गर्मी का एहसास छोड़ रही थी..
और रश्मि की आँखो मे देखते-2 ही लोकेश ने अपने हाथ उपर किए और अपनी उंगलियों को बड़े ही हल्के तरीके से उसके बूब्स के उपर घुमाया...वो उन्हे पकड़ नही रहा था, सिर्फ़ अपनी उंगलियों को धीरे -2 उनपर टच करवा रहा था..
और ये एहसास रश्मि के शरीर मे एक झुरजुरी सी पैदा कर रहा था...उसके मुम्मे ब्रा के हुक तोड़कर बाहर निकलने को अमादा हो चुके थे...उसका मन तो कर रहा था की लोकेश के हाथों के उपर अपने हाथ रखकर उन्हे ज़ोर से दबा डाले, ताकि उसके अंदर से उठ रहे दर्द मे कुछ आराम मिले..
वैसे तो रश्मि की आँखे बंद थी, पर लोकेश की आँखों को अपने चेहरे और शरीर पर वो सॉफ महसूस कर पा रही थी..लोकेश के हाथ उसके उभारों से नीचे उतरकर हल्की थुलथुली कमर पर गयी और इस बार उसने अपनी उंगलियों के उपर दबाव डालकर उसके नाभि वाले हिस्से को हथेली मे दबोच लिया..
''अहहssssssssssssssssssssssssssssss .......... धीरे करो...''
धीरे करो...मतलब करो... ये थी रश्मि की तरफ से एक आख़िरी हाँ ..
लोकेश को भी समझ नही आ रहा था की रश्मि इतनी आसानी से कैसे मानती चली जा रही है...क्या वो शुरू से ही ऐसी थी , क्या वो पहले उसके उपर ट्राइ करता तो वो तब भी ऐसे ही उत्साहित करके उसे आगे बढ़ने देती..पर जो भी था, आज लोकेश को अपनी किस्मत पर नाज़ हो रहा था, क्योंकि ऐसी पटाखा भाभी को चोदने का अवसर जो मिल गया था उसको..
लोकेश ने उसकी नाभि को छोड़ दिया और धीरे-2 अपने दोनो हाथ उपर करते हुए उसने सीधा उसके निप्पल्स को अपनी उंगलियों मे दबोच लिया...सिर्फ़ निप्पल, और कुछ नही..और फिर उन्हे पकड़कर ज़ोर से अपनी तरफ खींच लिया..
दर्द और मज़े की एक जोरदार लहर उसके बदन से निकल पड़ी...और वो सेक्सी तरीके से सिसकारियाँ मारती हुई लोकेश के सीने से जा लगी..
''आआआआआआययईीीईईईईईईईईईईई ....... सस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ........ उम्म्म्ममममममम''
और अपने इतने पास देखकर लोकेश से भी सब्र नही हुआ और उसने रश्मि के लाल सुर्ख और गुलकंद जैसे मीठे होंठों को अपने मुँह मे दबोचा और ज़ोर-2 से चूसने लगा..और साथ ही उसके दोनो हाथों ने बाकी की ज़मीन पर कब्जा करके उसके पूरे उभारों को अपनी गिरफ़्त मे ले लिया और उन्हे ज़ोर-2 से दबाने लगा.
ऐसी स्मूच तो उसकी आज तक किसी ने नही ली थी..रश्मि की जीभ को वो अपने दांतो के बीच दबोच कर कभी वो उसके उपर वाले और कभी नीचे वाले होंठ को चूसता , उसका रस निकालता और गटक जाता...ऐसा मीठा एहसास उसे रश्मि से स्मूच तोड़ने की इजाज़त ही नही दे रहा था.
स्मूच करते-2 लोकेश ने रश्मि को किचन की दीवार से लगा दिया और बेतहाशा उसके चेहरे और लिप्स को चूमने लगा..
रश्मि (गहरी साँसे लेती हुई) : "बस करो ना.....समीर आ जाएगा नीचे...आहह''
लोकेश : "पुक्क्कककककच्छ .... पुक्क्कककच ...... नही आएगा. ....वो सो रहा है... तुम बस मज़े लो ....''
छोड़ना तो रश्मि भी नही चाहती थी लोकेश को ..
रश्मि : "आआअहह ....... काव्या आ जाएगी ..... अहह ..''
लोकेश : "तुमने ही तो कहा की वो आधे घंटे के बाद आएगी ..... उम्म्म्म .... करने दो ना .... ''
रश्मि : "आआआआआहह ...... ठीक है ........... पर जल्दी करना ......... क्वीकी .... बाकी आराम से फिर कभी कर लेंगे ......... अहह ....... काव्या आ जाएगी ...''
लोकेश : "तो उसको भी तो पता चले, की उसकी माँ कैसी है....... सेक्स के मज़े लेने वाली .... एक सेक्स से भरी औरत ............. सुपर सेक्सी ...... पुचsssssssssssssssssss ....''
और ये एहसास रश्मि को अंदर तक एक बार फिर से भड़का गया....उसकी खुद की बेटी उसकी चुदाई देखेगी...और वो भी दिन मे दूसरी बार ....पहले अपने बाय्फ्रेंड के साथ और अब अपने बाप के फ्रेंड के साथ ...... आआआआआआह ..... कितनी बड़ी रंडी बनती जा रही है वो ...........
और ये सोचते-2 उसने लोकेश के चेहरे को पकड़कर लगभग चूस ही डाला .... इतनी ज़ोर से उसने लोकेश के होंठ चूसे की वो दर्द से बिलबिला उठा ...
और बदला लेने के लिए लोकेश ने एक ही झटके मे उसकी टी शर्ट उतार फेंकी ...और ब्रा को तो खोलने की भी जहमत नही उठाई ...अपनी तरफ इतनी ज़ोर से खींचा की हुक टूट कर दूर जा गिरे और एक ही झटके मे उसके दोनो मुम्मे उछलकर बाहर निकल आए...
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सौतेला बाप--45
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अब वो झुक कर लोकेश का लंड चूस रही थी और अपनी चूत को समीर से चुसवा रही थी...समीर पीछे से उसके लटके हुए थन भी मसल रहा था
लोकेश ने समीर को इशारा किया आगे बढ़ने का... समीर झट से खड़ा हुआ और उसने अपने सारे कपड़े उतार फेंके...और वापिस आकर रोज़ी के पीछे खड़ा हो गया..
अपने लंड पर उसने थूक लगाई...और रोज़ी की कुँवारी चूत पर लंड का सिरा लगा दिया..वो पिछले 15 मिनट से उसकी चूत चाट रहा था..इसलिए वो काफ़ी चिकनी हो चुकी थी...समीर ने हल्का सा झटका दिया और उसका लंड अंदर घुस कर अटक गया..
अब रोज़ी को एहसास हुआ की उसके साथ हो क्या रहा है...वैसे वो अब तक ये तो जान ही चुकी थी की आज उसका कुँवारापन जाकर रहेगा..पर ऐसे इतनी जल्दी, उसके लिए वो शायद तैयार नही थी...
और वो कुछ बोल पाती, एक जोरदार झटका मारकर एक ही झटके मे समीर ने उसके कुंवारेपन को हर लिया...और उसका लिंग सुरर्र की आवाज़ के साथ अंदर तक घुसता चला गया...
''अहहsssssssssssssssssssssssssssss .............. उम्म्म्मममममममममममम ''
और सबसे मज़े की बात ये की रोज़ी को बिल्कुल भी दर्द नही हुआ...ऐसा ज़रूर लगा की उसके अंदर कुछ फँसा हुआ है..पर दर्द जैसा एहसास नही हुआ..और उस फंसी हुई चीज़ से उसकी चूत में जो खुजली हो रही थी,समीर के हिलने से वो भी जाती रही..इसलिए वो खुद ही आगे-पीछे होकर अपनी खुजली मिटाने की गरज से झटके मारने लगी..
''अहह...... ओह समीर सर ................ उम्म्म्ममममममममममममममम ..... ऐसे ही ................. ज़ोर से .......... करो ना ............... अहह ...... एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स सर ....येस सर .............. ओह येस सर ......येस सर येस सर येस सर येस सर ''
वो साली ऐसे सिसकारियाँ मारकर येस सर, येस सर बोल रही थी जैसे अपने बॉस से किसी लैटर की डिकटेशन ले रही हो....
समीर ने भी उसकी गोल मटोल गांड को पकड़ कर उसकी रेल बना दी....और झटके दे देकर उसकी चूत मारने लगा...
झटके इतनी तेज थे की लोकेश का लंड भी वो ढंग से चूस नही पा रही थी...बस अपने हाथ मे पकड़कर उसका सहारा लिया हुआ था, ताकि समीर के तेज झटकों से वो नीचे ना गिर पड़े..
और फिर अचानक वो झटके काफ़ी तेज हो गये..और फिर एक जोरदार भूचाल के साथ समीर ने अपने लंड से पानी निकालकर उसकी गांड के केनवास पर चित्र बनाने शुरू कर दिए...
और समीर निढाल सा होकर सोफे पर गिर गया...
रोज़ी शायद अभी तक झड़ी नही थी...पर वो एक बार झड़ने का मज़ा ज़रूर लेना चाहती थी...जो उसकी प्यासी नज़रों में लोकेश ने देख ही लिया था..
वो उसे लेकर सोफे की तरफ जाने ही वाला था की एकदम से बाहर की बेल बाजी..
दीवार पर लगे वीडियो डोर कैमरा डिवाइस पर एंट्री गेट पर आने वाले की तस्वीर उभर आई...वो रश्मि थी..जो 4 बजे ही घर पहुँच गयी थी.
उसे देखते ही समीर की सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी...वो पूरी तरहा से नंगा था..और रोज़ी भी उसी हालत मे थी..चारों तरफ उनके कपड़े फेले पड़े थे..
रश्मि लगातार घंटी बजा रही थी...ये सोचकर की कहीं समीर सो ना गया हो ..
लोकेश ने सिचुएशन संभाली और बोला : "समीर, तुम इसको लेकर उपर वाले कमरे में जाओ...मैं भाभी को संभालता हूँ ...''
क्योंकि लोकेश ही था जिसने पूरे कपड़े पहने हुए थे...उसने अपने लंड को अंदर ठूसा और बाहर चल दिया, दरवाजा खोलने...और समीर और रोज़ी ने अपने-2 कपड़े समेटे और नंगे ही उपर भागते चले गये..
लोकेश ने दरवाजा खोला और उसे देखते ही रश्मि समझ गयी की आज उसके पीछे उन दोनो ने बियर पीने का प्रोग्राम बनाया होगा..
लोकेश : "अरे भाभी...आप तो 5-6 बजे आने वाली थी...इतनी जल्दी कैसे आ गयी...और काव्या कहाँ है...?"
रश्मि (अंदर आते हुए) : "वो बस थोड़ा जल्दी फ्री हो गये थे इसलिए ....और काव्या अपने दोस्त को उसके घर तक ड्रॉप करने गयी है...आ ही जाएगी आधे-एक घंटे तक..''
और फिर अंदर आकर उसने देखा की टेबल पर बियर केन और खाने पीने की चीज़े बिखरी पड़ी है
रश्मि : "आप लोगो ने भी काफ़ी एंजाय किया है ...कहाँ है समीर, दिखाई नही दे रहे...''
लोकेश : "वो .... वो अपने रूम मे गया है...शायद थोड़ी ज़्यादा पी ली थी...सो गया होगा..''
और फिर बात बदलते हुए लोकेश ने कहा : "भाभी ....आज तो आप कमाल की लग रही हो...सच मे...बड़ी ही सेक्सी ड्रेस पहनी हुई है आपने आज...एकदम फिल्मी हेरोइन लग रही हो आप...''
ये तारीफ एक ऐसी चीज़ है जो हर औरत और लड़की को पसंद आती है...वो सब कुछ भूलकर बस उन बातों मे खो सी जाती है जिसमे उसकी तारीफ की जा रही हो..
रश्मि ने एक टाइट सी टी शर्ट और जीन्स पहनी हुई थी...इसलिए उसका हर एक अंग उभर -2 कर बाहर आ रहा था..
वो मंद-2 मुस्कुराते हुए बोली : "अब ऐसा भी कुछ नही है...आप तो हमेशा मेरी झूटी तारीफ करते हो...''
ये तरीका होता है लॅडीस का अपनी और तारीफ सुनने का...और ये लोकेश समझ गया था..
लोकेश : "अरे नही भाभी...आपकी कसम..आज तो आप सच मे काफ़ी कमाल की लग रही हो...आपका फिगर ऐसा लगता है जैसे साँचे मे ढाला हुआ हो...हर चीज़ एकदम परफ़ेक्ट है...जैसी मर्दों को पसंद आती है..''
दोनो बात करते -2 सोफे तक आ चुके थे..
रश्मि : "ऐसा क्या पर्फेक्ट देख लिया आपने मेरे अंदर...''
लोकेश : "हर चीज़ पर्फेक्ट है भाभी ...अपना चेहरा देखो ज़रा..लगता ही नही है की आपकी एक जवान बेटी है...आप तो खुद अभी तक कुँवारी लगती हो...इतना भोला-भाला सा चेहरा..''
ये कहकर लोकेश रुक गया..
रश्मि ने उसे आगे बढ़ने के लिए कहा और बोली : "और...चेहरे के अलावा...और क्या...''
लोकेश : "बस भाभी....आज तो आप मुझे फसवाने वाले काम करवा रही हो...कहना तो बहुत कुछ चाहता हू आपके बारे मे...पर डर लगता है की कहीं आप नाराज़ ना हो जाओ..''
रश्मि भी समझ चुकी थी की लोकेश क्या कहना चाहता है...वैसे लोकेश ने उसे और समीर को उसके रिसोर्ट पर चुदाई करते हुए नंगा तो देख ही लिया था..और हमेशा से ही उसकी भूखी आँखो को अपने उपर पड़ते देखकर वो ये भी समझ ही चुकी थी की वो चाहता क्या है...और वैसे भी आज वो जो काम विक्की के साथ करके आई थी, उसके बाद तो उसके अंदर का वो डर भी ख़त्म हो चुका था जो अंदर से उसकी मर्यादा की याद दिलाता था...जब उसने अपनी बेटी के बाय्फ्रेंड से ही चुदाई करवा ली तो अपने हसबेंड के दोस्त से मज़े लेने मे क्या प्राब्लम है..उसका हक़ तो ज़्यादा बनता है .... वैसे भी लोकेश उसे काफ़ी पसंद था..और उपर से इस वक़्त वो उत्तेजित भी थी, क्योंकि रिज़ॉर्ट से निकलते वक़्त विक्की से वो एक बार और चुदना चाहती थी..पर काव्या के सामने वो इतनी भी बेशर्म नही बनना चाहती थी ...
और इसलिए लोकेश से तारीफ सुनकर..और उसके साथ ऐसी बाते करके उसके निप्पल फिर से एक बार खड़े हो चुके थे...और वो ये भी शायद भूल चुकी थी की उसका पति भी इस वक़्त घर पर ही है..
रश्मि : "इसमे नाराज़ होने वाली क्या बात है...देवर भाभी मे इतना तो चलता ही है...''
रश्मि ने खुद उसे आगे बढ़ने के लिए उकसाया..
अब लोकेश कहाँ रुकने वाला था..उसे तो जैसे हरी झंडी मिल गयी सामने से..
लोकेश : "भाभी...मुझे ये कहना तो नही चाहिए ..पर मुझे आपके बूब्स हमेशा से पसंद है...मेरा मतलब आपके चेहरे के बाद मेरी नज़र हमेशा ही इनके उपर आकर रुक सी जाती है...''
ये कहते हुए भी लोकेश की नज़रें उसके मोटे-2 मुम्मों को निहार रही थी..और उसके खड़े हुए निप्पल को देखकर वो ये भी समझ गया की वो उत्तेजित हो रही है..
रश्मि की तो साँसे ही तेज हो गयी...ऐसे खुलकर उसके बूब्स के बारे मे शायद आज तक किसी ने नही बोला था..
वो कुछ बोल ही नही पाई...और उसकी खामोशी को हाँ मानते हुए लोकेश उसके बिल्कुल करीब पहुँच गया, दोनो के शरीर आपस मे टच हो रहे थे..रश्मि की गहरी साँसे लोकेश के सीने पर गर्मी का एहसास छोड़ रही थी..
और रश्मि की आँखो मे देखते-2 ही लोकेश ने अपने हाथ उपर किए और अपनी उंगलियों को बड़े ही हल्के तरीके से उसके बूब्स के उपर घुमाया...वो उन्हे पकड़ नही रहा था, सिर्फ़ अपनी उंगलियों को धीरे -2 उनपर टच करवा रहा था..
और ये एहसास रश्मि के शरीर मे एक झुरजुरी सी पैदा कर रहा था...उसके मुम्मे ब्रा के हुक तोड़कर बाहर निकलने को अमादा हो चुके थे...उसका मन तो कर रहा था की लोकेश के हाथों के उपर अपने हाथ रखकर उन्हे ज़ोर से दबा डाले, ताकि उसके अंदर से उठ रहे दर्द मे कुछ आराम मिले..
वैसे तो रश्मि की आँखे बंद थी, पर लोकेश की आँखों को अपने चेहरे और शरीर पर वो सॉफ महसूस कर पा रही थी..लोकेश के हाथ उसके उभारों से नीचे उतरकर हल्की थुलथुली कमर पर गयी और इस बार उसने अपनी उंगलियों के उपर दबाव डालकर उसके नाभि वाले हिस्से को हथेली मे दबोच लिया..
''अहहssssssssssssssssssssssssssssss .......... धीरे करो...''
धीरे करो...मतलब करो... ये थी रश्मि की तरफ से एक आख़िरी हाँ ..
लोकेश को भी समझ नही आ रहा था की रश्मि इतनी आसानी से कैसे मानती चली जा रही है...क्या वो शुरू से ही ऐसी थी , क्या वो पहले उसके उपर ट्राइ करता तो वो तब भी ऐसे ही उत्साहित करके उसे आगे बढ़ने देती..पर जो भी था, आज लोकेश को अपनी किस्मत पर नाज़ हो रहा था, क्योंकि ऐसी पटाखा भाभी को चोदने का अवसर जो मिल गया था उसको..
लोकेश ने उसकी नाभि को छोड़ दिया और धीरे-2 अपने दोनो हाथ उपर करते हुए उसने सीधा उसके निप्पल्स को अपनी उंगलियों मे दबोच लिया...सिर्फ़ निप्पल, और कुछ नही..और फिर उन्हे पकड़कर ज़ोर से अपनी तरफ खींच लिया..
दर्द और मज़े की एक जोरदार लहर उसके बदन से निकल पड़ी...और वो सेक्सी तरीके से सिसकारियाँ मारती हुई लोकेश के सीने से जा लगी..
''आआआआआआययईीीईईईईईईईईईईई ....... सस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ........ उम्म्म्ममममममम''
और अपने इतने पास देखकर लोकेश से भी सब्र नही हुआ और उसने रश्मि के लाल सुर्ख और गुलकंद जैसे मीठे होंठों को अपने मुँह मे दबोचा और ज़ोर-2 से चूसने लगा..और साथ ही उसके दोनो हाथों ने बाकी की ज़मीन पर कब्जा करके उसके पूरे उभारों को अपनी गिरफ़्त मे ले लिया और उन्हे ज़ोर-2 से दबाने लगा.
ऐसी स्मूच तो उसकी आज तक किसी ने नही ली थी..रश्मि की जीभ को वो अपने दांतो के बीच दबोच कर कभी वो उसके उपर वाले और कभी नीचे वाले होंठ को चूसता , उसका रस निकालता और गटक जाता...ऐसा मीठा एहसास उसे रश्मि से स्मूच तोड़ने की इजाज़त ही नही दे रहा था.
स्मूच करते-2 लोकेश ने रश्मि को किचन की दीवार से लगा दिया और बेतहाशा उसके चेहरे और लिप्स को चूमने लगा..
रश्मि (गहरी साँसे लेती हुई) : "बस करो ना.....समीर आ जाएगा नीचे...आहह''
लोकेश : "पुक्क्कककककच्छ .... पुक्क्कककच ...... नही आएगा. ....वो सो रहा है... तुम बस मज़े लो ....''
छोड़ना तो रश्मि भी नही चाहती थी लोकेश को ..
रश्मि : "आआअहह ....... काव्या आ जाएगी ..... अहह ..''
लोकेश : "तुमने ही तो कहा की वो आधे घंटे के बाद आएगी ..... उम्म्म्म .... करने दो ना .... ''
रश्मि : "आआआआआहह ...... ठीक है ........... पर जल्दी करना ......... क्वीकी .... बाकी आराम से फिर कभी कर लेंगे ......... अहह ....... काव्या आ जाएगी ...''
लोकेश : "तो उसको भी तो पता चले, की उसकी माँ कैसी है....... सेक्स के मज़े लेने वाली .... एक सेक्स से भरी औरत ............. सुपर सेक्सी ...... पुचsssssssssssssssssss ....''
और ये एहसास रश्मि को अंदर तक एक बार फिर से भड़का गया....उसकी खुद की बेटी उसकी चुदाई देखेगी...और वो भी दिन मे दूसरी बार ....पहले अपने बाय्फ्रेंड के साथ और अब अपने बाप के फ्रेंड के साथ ...... आआआआआआह ..... कितनी बड़ी रंडी बनती जा रही है वो ...........
और ये सोचते-2 उसने लोकेश के चेहरे को पकड़कर लगभग चूस ही डाला .... इतनी ज़ोर से उसने लोकेश के होंठ चूसे की वो दर्द से बिलबिला उठा ...
और बदला लेने के लिए लोकेश ने एक ही झटके मे उसकी टी शर्ट उतार फेंकी ...और ब्रा को तो खोलने की भी जहमत नही उठाई ...अपनी तरफ इतनी ज़ोर से खींचा की हुक टूट कर दूर जा गिरे और एक ही झटके मे उसके दोनो मुम्मे उछलकर बाहर निकल आए...
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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