Thursday, December 25, 2014

FUN-MAZA-MASTI बदलाव के बीज--87

FUN-MAZA-MASTI
 बदलाव के बीज--87

अब आगे ....

 फोन पे बात होने के बाद पिताजी ने मुझसे बात की;

पिताजी: बेटा मुझे रात की train से गाँव निकलना होगा| पता नहीं कितने दिन लगेंगे...अब तुझे ही सारा काम देखना होगा!

मैं: जी ठीक है...पर आपको इस समस्या का हल निकालना होगा| चन्दर भैया ना तो शराब छोड़ सकते हैं और ना ही इन्हें (भौजी) मारना पीटना...ऐसे में बच्चों का क्या होगा? उनका भविष्य ....खराब कर देगा ये इंसान!

पिताजी: बेटा तू चिंता ना कर ...सब ठीक हो जायेगा| मेरी गैरहाजरी में तुझे सारा काम सम्भालना पड़ेगा| चन्दर भैया का भी...!!!

मैं: पिताजी...एक बात कहना चाहता हूँ|

पिताजी: हाँ..हाँ बोल?

मैं: पिताजी...मैं चाहता हूँ की चन्दर भैया के काम से जो भी प्रॉफिट हो उसकी मैं आयुष और नेहा के नाम की FD बना दूँ|

पिताजी: अच्छा विचार है बेटा! पर मैं सोच रहा था किहम गाडी ले लें| पर ये विचार बहुत अच्छा है...यही होगा| तू अपने साथ भौजी को ले कर बैंक जईओ और FD करा दिओ|

मैं: जी बेहतर!

मेरी बात सुन भौजी मेरी तरफ देख रहीं थीं| मैं नाश्ता करके मैं पिताजी के साथ सीधा काम पे निकल गया|रात को पिताजी ने गाडी पकड़नी थी.... पर मैं उन्हें छोड़ने स्टेशन नहीं जा पाया| काम में फंस गया था...और घर भी नहीं जा पाया| भौजी का रात को फोन आया था और वो मुझे बला भी रहीं थी ...पर मैंने उन्हें समझा दिया| बच्चों ने उनकी नाक में डीएम कर रखा था ..फिर मेरी बच्चों से बात हुई और मेरे समझाने पे और एक कहानी सुनने के बाद दोनों मान गए| उस रात दो बजे तक हम बात करते रहे| अगले दिन मैं सुबह छः बजे घर आया और नहा-धो के सो गया| दोपहर को उठा और फिर भाग गया| इसी तरह दौड़-भाग करते-करते करवाचौथ में 1 दिन रह गया| इधर चन्दर भैया का कुछ पता नहीं था...वो घर ना जाके मामा जी के घर टिके हुए थे| शायद अपने जुगाड़ को पेल रहे थे! पिताजी ने और बड़के दादा ने मिलके उन्हें घर बुलाया तब भी वो नहीं आये... आगे वहां क्या हुआ मैं आपको आगे चल के बताऊँगा| करवाचौथ में एक दिन रह गए थे और इधर भौजी ने मुझे के बात साफ़ कर दी थी|

भौजी: जानू...मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूँ|

मैं: जी कहिये!

भौजी: अब तक मैं हर करवाचौथ पे व्रत सिर्फ और सिर्फ आपके लिए रखती थी| मुझे उस शक्स से कभी कोई वास्ता नहीं था! हरदम आपका ही ध्यान करके मैं व्रत रखा करती थी और आपको ही याद कर के व्रत तोडा करती थी| अब इस बार मौका मिला है...तो मैं चाहती हूँ की इस बार आप मेरे सामने हो जब मैं व्रत तोडूं...बल्कि मैं व्रत तभी तोड़ूँगी जब आप मुझे अपने हाथ से पानी पिलाओगे| आप मेरी ये इच्छा पूरी करोगे?

मैं: ठीक है...तो इस बार मैं भी व्रत रखूँगा..आपके लिए!

भौजी: नहीं...आप को सारा दिन बाहर घूमना-फिरना होता है...काम करते हो....नहीं-नहीं... आप नहीं करोगे|

मैं: मैंने आपसे इजाजत नहीं माँगी है|

भौजी: पर....

मैं: मैं कुछ नहीं सुनने वाला|

भौजी: ठीक है....तो मेरी भी एक शर्त है! कल की रात आप और मैं....एक होंगें! मैं अब आप से और दूर नहीं रह सकती!

मैं: यार मैंने आपसे पहले भी कहा था की....

भौजी: (मेरी बात काटते हुए) मैं कुछ नहीं सुनुँगी .... I need You ! Please !!! मैं जानती हूँ की आपको मेरी कितनी चिंता है पर ....

मैं: ठीक है...मैं कल कंडोम ले आऊँगा|

भौजी: बिलकुल नहीं !!! इतने सालों बाद आप और हम एक होंगे और आप... You wanna use rubber or latex ...Whatever it is ....मैं परसों I-Pill ले लूँगी| But Promise me !

मैं: (गहरी सांस छोड़ते हुए) I Promise !

भौजी: Thank You!!!

और उन्होंने मुझे गले लगा लिया|


 अगले दिन मैंने सरप्राइज की तैयारी कर ली थी| मैंने उस दिन आधे दिन के बाद ही सबकी छुट्टी कर दी| और मैं बारह बजे घर पहुँच गया| पिताजी कल रात को ट्रैन पकड़ के परसों आने वाले थे| घर पे सिर्फ मैं, माँ, भौजी और बच्चे थे| मैंने बच्चों को प्लान समझा दिया था और उन्होंने जिद्द करके स्कूल से छुट्टी कर ली थी| भौजी को मेरे प्लान के बारे में कुछ नहीं पता था| मैं जब घर पहुँचा तो पता चला की माँ pados में सभी औरतों के साथ हैं और भौजी को कथा सुनने के लिए चार बजे बुलाया है| पिछले एक महीने से मैं ही दिषु की गाडी घुमा रहा था...और चूँकि वो मेरा जिगरी दोस्त था...बल्कि भाई जैसा था तो उसने कभी मुझसे गाडी नहीं माँगी| पेट्रोल मैं भरा दिया करता था और उसके पास उसकी बाइक तो थी ही! खेर मैंने भौजी को तैयार पाया...वो माँ के पास जा ही रहीं थीं|

मैं: कहाँ जा रहे हो?

भौजी: माँ के पास...कथा के लिए!

मैं: वो तो चार बजे है| अभी चलो मेरे साथ?

भौजी: कहाँ?

मैं: पिक्चर देखने|

भौजी: और माँ

मैं: मैं उन्हें फोन कर देता हूँ|

मैंने माँ को फोन कर दिया की भौजी का मन बड़ा उदास है और मैं उन्हें पिक्चर ले जा रहा हूँ| माँ ने बस इतना कहा की "बेटा ध्यान रखिओ बहु का|" और मैंने "जी" बोल के फ़ोन रख दिया|

भौजी: आपने मेरे बहन मारा?

मैं: तो क्या हुआ?

भौजी: पर मेरा मन कहाँ उदास है? मैं तो खुश हूँ!

मैं: अरे यार जूठ बोला ...बस!

भौजी: क्यों बोला...माँ से जूठ मत बोला करो|

मैं: अच्छा बाबा..आज के बाद नहीं बोलूँगा|

मैं उन्हें और बच्चों को लेके घर से निकला| मैंने गाडी स्टार्ट की और मुस्कुराने लगा|

भौजी: क्या बात है?

मैं: आज पहली बार मेरी सीट पे कोई लड़की बैठी है|

भौजी कुछ बोली नहीं बस मुस्कुरा दीं| मैंने गाडी mall की तरफ घुमाई और वहाँ पहुँच के गाडी से एक पैकेट निकाला और उनहीं दिया;

भौजी: ये क्या है?

मैं: Washroom जाओ और चेंज कर के आओ|

भौजी ने पैकेट ले के खोल के देखा और मुस्कुरा दीं| बीस मिनट बाद वो चेंज कर के आईं तो वो उस दिन की तरह पटाखा लग रहीं थीं|

भौजी: आपने पहले से सब सोच रखा था|

मैं: हाँ

नेहा: मम्मी...you looking beautiful!

आयुष ने भौजी का हाथ पकड़ के उन्हें अपनी हाइट के लेवल तक झुकाया और उनके गालों को चूम लिया|

भौजी: Awwwwwww !!!

मैं: तो चलें मूवी देखने?

भौजी ने हाँ में सर हिलाया| वहाँ जितने भी मौजूद लड़के थे सब उनहीं ही देख रहे थे..और शायद हमें couple समझ रहे थे| इसलिए भी क्योंकि मैंने दाढ़ी बढ़ा रखी थी| हॉल में सबसे Last Row की सबसे कोने की सीट ले रखी थी| हम सीट्स पर कुछ इस आर्डर में बैठे थे; मैं, भौजी आयुष और नेहा| पर बच्चे बीच में बैठने की जिद्द कर रहे थे...जैसे-तैसे भौजी ने उनहीं समझाया...और खाने-पीने का लालच दिया, तब जाके वो माने| अभी ads चल रहीं थीं और इधर भौजी ने मेरे सीधे हाथ के कंधे को अपना तकिया बना के अपना सर उसपे टिका दिया| मूवी चालु हुई..... इधर बच्चों ने उथल-पुथल मचा दी... आयुष को मेरी गोद में बैठना था...और उधर नेहा जिद्द करने लगी की उसे मेरे पास बैठना है| मैंने सीट्स का आर्डर चेंज किया; नेहा, आयुष, मैं और भौजी| भौजी की बगल वाली सीट पर एक आंटी बैठी थीं|


 मैं: (खुसफुसाते हुए) क्या हुआ? अब क्यों नहीं सर रख रहे मेरे कंधे पर?

भौजी: बगल में आंटी बैठीं हैं!

मैं: तो? डर लग रहा है?

भौजी: नहीं तो...

फिर उन्होंने थोड़ी हिम्मत दिखाई और वापस मेरे कंधे पे सर रख के बैठ गईं| आयुष मेरी बगल में बैठा था और बड़े चाव से पिक्चर देख रहा था और नेहा अकेला न महसूस करे इसलिए मेरा दाहिना हाथ आयुष के पीछे से होता हुआ नेहा के सर पे था| मूवी शुरू हो चुकी थी और इधर भौजी की मस्तियाँ भी!

भौजी ने अचानक मेरे कान को काटा...मैंने गर्दन हिला के उनके मुन्हे से छुड़ाया तो उन्होंने मेरे गाल को Kiss करना शुरू किया| अब मेरा भी मन हो रहा था की कुछ करूँ पर....बगल में आंटी थीं तो खुद को रोक लिया| भौजी ने मेरा बायना हाथ अपने हाथों में दबा रखा था और मुझे बार-बार Kiss कर रहीं थीं|

भौजी: आप नहीं करोगे Kiss?

मैं: आंटी ने देख लिया ना ....तो...

भौजी हंसने लगीं| जब इंटरवल हुआ तब मैं तीनों को लेके बाहर आगया और पॉपकॉर्न खरीदने के लिए लाइन में लग गए|

भौजी: अपने और बच्चों के लिए लेना...मैं नहीं खा सकती|

मैं: मैं भी यहाँ सिर्फ बच्चों के लिए ही लेने के लिए लाइन में लग हूँ|

भौजी: पर....ठीक है बाबा!

मैंने अपना डेबिट कार्ड निकाल के उन्हें दिया और कहा की आप खरीदो, वो जिझकने लगीं पर मेरे दबाव देने पे मान गईं| उन्होंने दो मध्यम पॉपकॉर्न आर्डर किये और पेमेंट के लिए मैंने उनहीं समझया की कैसे कार्ड को स्वाइप करना है..फिर उन्हें PIN नंबर बताया और उनहोने पहली बार कार्ड से पेमेंट कर के कुछ खरीदा| हाँ उन्हें सीखने में करीब 3 - 4 मिनट लगे पर शुक्र है की पीछे वही आंटी कड़ी थीं और जब मैंने उनकी तरफ मूड के खा; "actually aunty आज इनका first time है|" तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा; "कोई बात नहीं बेटा"| खेर आज भौजी को ATM Card से सामान खरींदा तो आ ही गया और वो काफी excited भी लग रहीं थीं| इंटरवल के बाद हम अपनी जगह बैठे हुए थे की तभी भौजी ने फिर मस्ती शुरू कर दी| अब चूँकि मैं मजबूर था और कुछ नहीं कर सकता था तो वो इसका पूरा फायदा उठा रहीं थीं| कभी कान को काट लेती तो कभी कान को वो हिस्सा जिसमें लोग छेड़ कराते हैं उसे मुंह में भर के चूसने लगती| उन्होंने हद्द तो तब पार की जब उन्होंने मेरे outer ear में जीभ से गुड-गुड़ी की और मैं एकदम से सिहर उठा| इधर आयुष ने मुझे पॉपकॉर्न का एक टुकड़ा खिलाना चाहा तो मैंने उसे प्यार से मना कर दिया|

भौजी: देखो कितने प्यार से खिला रहा है...खा लो ना?

मैं: ना...


 खेर मूवी खत्म हुई और मैं बच्चों को लेके जल्दी घर आ गया| भौजी नहा धो के तैयार हुईं और कथा के लिए समय से पहुँच गईं| घर पे मैं और बच्चे रह गए थे, बच्चों को तो मैंने गेम लग दी और मैं कल के काम के लिए बेलदार और लेबर से बात करने लगा| पूजा के बाद माँ और भौजी घर आगये| माँ ने पिताजी से फोन पे बात की पर हमें उस बारे में कुछ नहीं बताया| खेर मैं बेसब्री से चाँद देखने का इन्तेजार करने लगा| इसलिए नहीं की मैं भूखा था बल्कि इसलिए की भौजी भूखी थीं... पेट से भी और दिल से भी! मैं आयुष और नेहा को लेके छत पे डेरा डाल के बैठ गया| आँखें बस चाँद का दीदार करने को तरस रहीं थीं| इतने में माँ और भौजी ऊपर आ गए|

माँ: बेटा हमसे ज्यादा बेसब्र तो तू है...निकल आएगा चाँद| क्यों परेशान हो रहा है?

मैं: परेशान नहीं हूँ...उम्मीद लगाये बैठा हूँ की चाँद जल्दी निकल आये|

माँ और भौजी तो छत पे पड़ी कुर्सी पे बैठ गए और नेहा और आयसुह छत पे खलने लगे और मैं टंकी पे चढ़ गया और चाँद देखने लग|

भौजी: माँ देखो ना...कहाँ चढ़ गए हैं?

माँ: मानु...नीचे आज बेटा...चोट लग जाएगी|

मैं: आ रहा हूँ माँ|

मैंने एक बार और आसमान में चाँद को ढूंढा तो आखिर में वो नजर आ ही गया| मैंने जोर से चिलाया, "चाँद निकल आया"|
(और प्रेम भाई इससे पहले की आप कोई गाना लिखें मैं ही गाने के बोल लिख देता हूँ;
dekho chaand aaya, chaand nazar aaya
aaya aaya aaya chaand aaya sharmaaya
haanji aaya aaya aaya sharmaaya
tu bhi aaja saawariya
aaya aaya aaya dekho chaand nazar woh aaya
dekho chaand nazar dekho dekho ji chaand nazar woh aaya
sharmaaya aaya aaya aaya chaand aaya sharmaaya )

चूँकि पिताजी नहीं थे तो माँ और भौजी को ऐसे ही पूजा करनी थी| अब बात ये थे की भौजी चाहती थीं की उनकी पूजा मेरे साथ हो और ये माँ के सामने होना नामुमकिन था| इसलिए भौजी चुप-चाप थाली ले के खड़ी थी और माँ ने पूजा शुरू कर दी थी| मैंने नेहा को अपने पास बुलाया और उसके कान में फुसफुसाया....


 मैंने नेहा को अपने पास बुलाया और उसके कान में फुसफुसाया;

मैं: बेटा मेरा एक काम करोगे?

नेहा: बोलो पापा

मैं: बेटा आप दादी को किसी बहाने से नीचे ले जाओगे?

नेहा: ठीक है!

वो माँ के पास जा रही थी और मैंने फोन निकला और जूठ में ऐसा दिखाया जैसे मैं फोन पे किसी से बात कर रहा हूँ|

नेहा: दादी...मेरा प्रोग्राम टी.वी. पे शुरू हो गया है...चलो ना ....

माँ: बेटा आपकी मम्मी पूजा कर लें फिर हम सब चलते हैं| और बहु तू खड़ी क्यों है...चल पूजा कर जल्दी|

पर नेहा ने जिद्द पकड़ ली,

माँ: मानु...बेटा ले जा इसे नीचे टी.वी. दिखा दे?

मैं: माँ...वो कल लेबर आने से मना कर रही है ...अगर कल नहीं आई तो काम ठप्प हो जायेगा...प्लीज बात करने दो...

माँ: अच्छा बाबा...चल...मैं तुझे पहले टी.वी ही दिखा दूँ|

माँ चली गईं और भौजी के चेहरे पे वही रौनक...वही ख़ुशी लौट आई| मैं हाथ बांधे खड़ा हो गया और भौजी ने पूजा शुरू की| पूजा के बाद उन्होंने मेरे पाँव छुए और मैंने उन्हें आशीर्वाद दिया और उन्हें अपने गले लग लिया| भौजी की आँखों से आँसूं छलक आये और मेरी कमीज भिगोने लगे|

मैं: Hey ...मैं हूँ ना यहाँ? फिर क्यों आँखें भर आईं आपकी?

भौजी: कुछ नहीं...बस ऐसे ही आज मेरी बरसों की एक मुराद पूरी हो गई|

मैं: अच्छा चलो ...अब आपका व्रत खोलें...चलो मेरे हाथ से पानी पीओ|

मैंने उन्हें पानी पिला के उनका व्रत खोला और उन्होंने भी मुझे पानी पिलाया और मेरा व्रत भी खुलवाया|

मैं: अब आँखें बंद करो!

भौजी: क्यों? (और उन्होंने आँखें और बड़ी कर लीं|)

मैं: अरे यार...मैंने आँखें बंद करने को कहा...बड़ी करने को नहीं|

भौजी ने आँखें बंद की और मैं उनके पीछे जाके खड़ा हो गया| मैंने जेब से सोने का मंगलसूत्र निकाला और पीछे से उन्हें पहना दिया| भौजी ने तुरंत आँखें खोली और मंगलसूत्र देखते ही उनकी आँखें बड़ी हो गईं|


 भौजी: ये...आप....

मैं: Hey ... उस बार मेरे पास पैसे नहीं थे ...तो चांदी का मंगलसूत्र लाया था...अब तो पैसे कमा रहा हूँ तो ...सोने का!

भौजी: I Love You!

मैं: I Love You Too!

हम नीचे आ गए और खाना खा के सोने की बारी आ गई| बच्चे मेरे कमरे में मेरे साथ सोना चाहते थे ... चूँकि भैया गाँव गए हुए थे तो माँ ने कहा था की भौजी तीसरे कमरे (जो की गेस्ट रूम था) में सो जाया करें| मैंने बच्चों को ये कहके मना किया की आज वो मेरे और उनकी मम्मी के साथ सोयेंगे| खेर मैंने बच्चों को सुला दिया और उठ के अपने कमरे में आने के लिए दरवाजा खोला और भौजी की तरफ देखते हुए बोला;

मैं: रात बारह बजे ...

आगे मुझे कुछ बोलने की जर्रूरत नहीं पड़ी, भौजी समझ चुकीं थीं|








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