FUN-MAZA-MASTI
सौतेला बाप--47
अब आगे
**********
विक्की के घर तक जाने का रास्ता काफ़ी तंग था, इसलिए गाड़ी गली के बाहर ही खड़ी करनी पड़ी..और दोनो पैदल ही घर की तरफ चल दिए.
घर का दरवाजा खुला पड़ा था, विक्की बड़बड़ाया : "लगता है आज फिर से बापू दरवाजा खुला छोड़कर बाहर निकल गया है...''
दोनो अंदर आ गये , विक्की ने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया..
काव्या का दिल जोरो से धड़कने लगा...जैसे वो जानती थी की अब उसके साथ क्या होने वाला है..
विक्की उसको अंदर ले गया, अपने कमरे मे..बारिश की वजह से काफी सीलन थी कमरे में और ठंडक भी, अंदर जाते ही उसकी उभरी हुई गांड से अपना लंड रगड़ते हुए पीछे से लिपट गया ..
काव्या : "विक्की ..... मैने बोला था ना... कुछ टाइम दो मुझे ... बार -2 ऐसा करके तुम अपना ही नुकसान कर रहे हो ..''
विक्की : "अरे ...चिल यार ... तुमने जिस चीज़ के लिए मना किया है , उसके लिए तो मैं कह भी नही रहा हू तुमसे ...बस थोड़ी बहुत मस्ती करने का ही इरादा है मेरा...''
काव्या (कसमसाती हुई) : "वो मस्ती तो तुम रिसोर्ट में कर ही चुके हो विक्की ... अब और क्या चाहिए ...''
विक्की ने अपना दाँया हाथ आगे किया और उसके उभारों पर रख कर उसे धीरे से दबा दिया..काव्या चिहुंक उठी ..और साथ ही साथ रोमांच की एक लहर उसके पूरे शरीर में दौड़ गयी..उसके निप्पल्स अपनी जगह से उठ खड़े हुए जब उनपर विक्की की उंगलियों का दबाव पड़ा तो ...
काव्या : "रहने दो ना विक्की ... मुझे ये सब पसंद नही है....''
विक्की भी कहाँ मानने वाला था...वो अपने हाथ सरकाता हुआ नीचे ले गया, उसके सपाट पेट से होता हुआ वो हाथ सीधा उसकी चूत के उपर आकर रुका ...काव्या ने उसे रोकने की बहुत कोशिश की पर विक्की ने दूसरे हाथ से उसके दोनो हाथों को पकड़ा हुआ था..वो छटपटा कर रह गयी..और वैसे भी उसके रोकने मे वो ज़ोर नही था , क्योंकि उसके शरीर पर रेंग रहा विक्की का हाथ उसे बड़ा ही सुखद सा लग रहा था..और जैसे ही विक्की के हाथ ने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी मे पकड़ कर भींचा , वो अपने पंजों पर खड़ी होकर पीछे की तरफ झुक गयी..और विक्की ने उसकी सुराहीदार गर्दन पर अपने गीले होंठ रखकर उसे चूम लिया...
काव्या : "उम्म्म्ममम .... क्यों परेशान कर रहे हो विक्की .....''
विक्की समझ गया की लोंडिया गर्म हो चुकी है...उसने उसके हाथ छोड़ दिए..और अपने हाथ आज़ाद होते ही उसने अपने एक हाथ को विक्की के हाथ के उपर रखकर अपनी चूत पर और ज़ोर से दबा लिया और दूसरे हाथ को उपर लेजाकर उसके बालों को सहलाने लगी...और साथ ही साथ वो अपनी गोल मटोल गांड को उसके खड़े हुए लंड से भी रगड़ रही थी..
काव्या : "क्या चाहते हो विक्की ..... आज तुमने जीतने मज़े लिए, क्या वो कम थे...पहले मेरी माँ के साथ और फिर मैने भी तो तुम्हे ब्लो जॉब दिया था.... इतना स्टेमीना कहा से लाते हो तुम ....कितना काम कारवाओगे अपने छोटे सिपाही से...''
उसने अपनी चूतड़ से उसके लंड को घिस कर उसके छोटे सिपाही को पूचकारा..
विक्की : "मेरा स्टेमीना अभी तूने देखा ही कहाँ है मेरी जान....एक बार तू मेरी कलाकारी देख तो ले, उसके बाद पूरे शहर में मेरे नाम की कसमें खाती फ़िरेगी...''
पीछे से अपने लंड और आगे से अपने हाथ का दबाव उसने दिया और उसकी नन्ही सी चूत बीच मे पिस कर रह गयी..
काव्या इतना तो जानती ही थी की वो उसकी मर्ज़ी के बिना अपनी हद से आगे नही बढ़ेगा ...इसलिए कुछ देर का और मज़ा लेने मे कोई बुराइ नजर नही आई उसे..और उपर से वो ऐसे तरीके अपना कर उसे उत्तेजित कर रहा था जैसे वो उसके हर वीक पॉइंट के बारे मे जानता हो.....उसकी गर्दन...उसके कान ....उसके निप्पल और उसकी मखमली चूत ...हर जगह पर वो अपने हाथ और होंठों से ऐसे छू रहा था की वो बेचारी उसकी बात मानने के सिवा कुछ कर ही नही पा रही थी..
और जब उसकी बर्दाश्त से परे हो गया तो वो एक जोरदार झटके से पलटी और उसके सीने से लिपट गयी..और अपनी दोनो छातियों को उसके चौड़े सीने से रगड़ने लगी...दोनो की साँसे एक दूसरे से टकराई और एक धमाके के साथ काव्या के होंठ विक्की से जा चिपके और उन्हे ज़ोर-2 से चूसने लगे..
ऐसा लग रहा था जैसे काव्या के मुँह से शहद लीक हो रहा है...उसके ठंडे होंठों की मिठास महसूस करके विक्की की अंतरात्मा तक तृप्त सी हो गयी...
विक्की को धक्का देते हुए काव्या ने उसे सीलन से भरी दीवार से सटा कर खड़ा कर दिया...और फिर एक ही झटके में उसकी शर्ट को बीच में से पकड़ कर फाड़ दिया...उसका एक-2 बटन छिटक कर दूर जा गिरा , काव्या ने उसके दोनो हाथों को दीवार से लगा कर खड़ा कर दिया..और फिर उसकी आँखों मे देखते हुए अपने लार टपकाते मुँह को उसकी गर्दन पर लगाया और उसे चाटने लगी...चूसने लगी....अपनी जीभ और होंठों से उसकी गर्दन और फिर छाती पर अपने निशान छोड़ने लगी...
विक्की तो जैसे स्वर्ग मे पहुँच गया....ऐसी लड़की से अपने को नुचवाना किसी सपने से कम नही था...पर वो सपना नही था...काव्या ऐसा कर रही थी..ना जाने उसके अंदर कौन सा जानवर जाग उठा था, जो उसे ऐसा करने का आदेश दे रहा था...
काव्या किसी भूखे जानवर की तरह विक्की के शरीर को नोच रही थी...उसकी गर्दन पर दाँत मारती , कभी उचक कर उसके होंठों को दबोच लेती...कभी अपनी चूत वाले हिस्से से उसके खड़े लंड को रगड़ती ...और कभी उसके मुँह को पकड़कर अपनी छातियों पर ज़ोर-2 से मसलती ...
अचानक विक्की ने अपने दांतो से उसकी छाती को ज़ोर से पकड़ लिया...
काजल : "आआआआआआअहह यू डॉगी ........''
पर विक्की पर कुछ फ़र्क नही पड़ा...उसने काजल की टी शर्ट के उपर से ही उसके निप्पल को चूसना शुरू कर दिया...काजल ने गहरी साँसे लेते हुए धीरे-2 अपनी टी शर्ट को उपर करना शुरू कर दिया..और फिर एक ही झटके में अपनी ब्रा समेत उसे पूरा उपर कर दिया और अपने नंगे बूब को विक्की के मुँह में धकेल दिया..
और वो ज़ोर से चिल्लाई : "अब काट इसको.....साले ....कुत्ते .......''
ऐसी हालत मे पहुँच कर गालियां देने का मज़ा ही अलग होता है..
काव्या ने अपने खड़े हुए निप्पल से उसके होंठों को छिल डाला...वो उसके सिर को पकड़ कर अपने कठोर निप्पल पर ज़ोर-2 से रगड़ रही थी..फिर उसके पूरे चेहरे पर वो अपने निप्पल की चुभन का एहसास पहुँचाने लगी...उसके गालों पर, नाक पर, बंद आँखों पर और माथे पर उसने अपनी पैने निप्पल को रगड़ -2 कर उनकी खुजली मिटाई ..
विक्की ने उसकी टी शर्ट को एक ही झटके में निकाल कर दूर फेंक दिया..और फिर काव्या ने अपनी दूसरी ब्रेस्ट को भी उसी काम पर लगा दिया..ऐसा लग रहा था जैसे विक्की से ज़्यादा ठरक इस समय काव्या पर चढ़ी हुई है...और वो अपनी प्यास बुझा रही है विक्की के जिस्म से..
काव्या : "आहह अहह अब बोलो ....और क्या करना चाहते हो ...''
विक्की कहना तो चाहता था की तेरी चूत मारनी है, पर उसे पता था की वो अभी उसके लिए तैयार नही होगी..अगर हो भी गयी तो दोबारा उसके पास नही आएगी...इसलिए उसने अपने वादे पर बने रहना उचित समझा...पर अभी के लिए वो कुछ और करना चाहता था, जिसके लिए वो ना जाने कब से तड़प रहा था...उसकी चूत का रस पीने के लिए..कुँवारी चूत के रस की महक उसे कब से तडपा रही थी.
विक्की ने काव्या के दाँये कान को पूरा का पूरा अपने मुँह मे डाल लिया, उसे अच्छी तरह से चूसा, काव्या तो तड़प उठी उसके इस प्रहार से, और फिर विक्की ने उसके गीले कान को अपने मुँह से बाहर निकाला और धीरे से उसमे बोला : "तेरी चूत चूसनी है मुझे....अपनी गरमा गरम जीभ से....''
काव्या एक बार फिर से बिफर उठी ये सुनकर, और पागलों की तरह अपने गीले मुँह से उसे बेतहाशा चूमने लगी और बोली : "ओहsssssssssssssssssssssssssssss विक्की .....तुम मेरी जान लेकर रहोगे आज तो ...........अहह ..... ओहssssssssssssssssssssssssssssssssss .....''
और वो अपनी चूत वाले हिस्से को ज़ोर-2 से आगे पीछे करते हुए कभी उसके लंड और कभी उसके पेट पर मारने लगी..
विक्की ने उसकी कमर से पकड़ कर उसे उपर उठा लिया और काव्या ने अपनी टांगे उसकी कमर से लपेट दी और उपर चढ़ गयी...दोनो पागलों की तरह एक दूसरे को चूसने मे लगे थे...और ऐसे ही चूमते-2 विक्की ने उसे अपने बेड पर ले जाकर पटक दिया...
काव्या की आँखो मे खुमारी चढ़ चुकी थी...और उसकी नशीली आँखो मे देखते-2 विक्की ने एक-2 करते हुए उसके दोनो मुम्मो को बुरी तरह से चूमा, चूसा और उनपर टैटू भी बनाए अपने दांतो से...
और फिर उसके दोनो हाथों को उपर रखकर उसे ना हिलने की हिदायत देकर वो उसके नंगे बदन को चाटता हुआ धीरे-2 नीचे आने लगा..
काव्या ऐसे तड़प रही थी जैसे उसे कोई सज़ा मिली हो...विक्की की गीली जीभ ने उसके बदन को पूरा नहला सा दिया था..उसके होंठों की चिपचिपाहट वो अपने पूरे जिस्म पर महसूस कर पा रही थी..
और फिर विक्की के होंठ सीधा उसकी जीन्स के बटन पर जाकर रुके..और उसने बड़ी ही कुशलता से, बिना अपने हाथों का इस्तेमाल किए, उसके जीन्स के बटन अपने मुँह से ही खोल दिए...और जिप भी दाँतों से पकड़ कर नीचे खिसका दी....फिर जीन्स की दोनो साइड्स को हाथों से पकड़ कर नीचे खिसका लिया...चूत के रस की तेज महक उसके नथुनों से टकरा गयी....विक्की समझ गया की वो अंदर से बुरी तरह से बह रही है इस वक़्त...काव्या की छातियाँ उपर नीचे हो रही थी..शायद वो जानती थी की विक्की का अगला कदम क्या होगा...वो अपनी कोहनियो के बल उपर उठ गयी...और विक्की को निहारने लगी...जो उसकी पेंटी के उपर अपनी नाक रगड़कर उसके रस को किसी कुत्ते की तरह सूंघ रहा था...और फिर उसने अपनी जीभ निकाली और गाड़े रस मे सनी हुई पेंटी को चाटने लगा..
काव्या : "आआआआआआआआआआहह ....... ओह येस्स्स्स्स्स्स्ससस्स्स्स्स्स्स्सस्स ........ ''
पर उसने अपने हाथ उसके सिर के उपर नही रखे, क्योंकि विक्की ने मना किया हुआ था..ऐसी हालत मे लड़की अगर दासी की तरह हर बात माने तो उसका पार्टनर अपने आप को किसी राजा से कम नही समझता...और यही हाल इस वक़्त विक्की का था...वो अपनी दासी बनी काव्या की चूत को बुरी तरह से उसकी पेंटी के उपर से ही चूस चूस्कर उसे उत्तेजना के एक दूसरे ही शिखर पर ले जेया रहा था...
काव्या चिल्ला पड़ी : "आआआआआआहह सेयेल .......पेंटी तो उतार ..........आआआहह ....अंदर से चूस मुझे ........ अंदर से.........''
उसकी चाशनी से भरी रिक़वेस्ट को वो भला कैसे मना कर सकता था...उसने अपने दांतो से उसकी पेंटी का उपरी सिरा पकड़ा और धीरे-2 उसे नीचे खिसकाना शुरू कर दिया..
और जैसे-2 उसकी पेंटी नीचे उतर रही थी...अंदर से बह रहा गरमा गरम रस विक्की की नाक पर लगता जा रहा था...और अंत में उसने अपने दांतो से खींचकर काव्या की गीली पेंटी पूरी नीचे खिसका दी..
और अब वो उसकी आँखो के सामने पूरी की पूरी नंगी लेटी हुई थी...कमरे मे घुपप अंधेरा था...सिर्फ़ दरवाजे के साइड मे बनी खिड़की से एक रोशनी की लाइन ही अंदर आ पा रही थी..काव्या की तो आँखे बंद थी पर विक्की उस हल्की सी रोशनी मे उसके नशीले बदन को पूरी तरह से देख पा रहा था...ये पहला मौका था जब वो उसके सामने पूरी की पूरी नंगी थी...और वो भी इसनी पास...
आज वो उसकी चूत को बुरी तरह से चूसना चाहता था....चाटना चाहता था...ऐसी कुँवारी चूत रोज-2 तो नही मिलती ना...
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विक्की के घर तक जाने का रास्ता काफ़ी तंग था, इसलिए गाड़ी गली के बाहर ही खड़ी करनी पड़ी..और दोनो पैदल ही घर की तरफ चल दिए.
घर का दरवाजा खुला पड़ा था, विक्की बड़बड़ाया : "लगता है आज फिर से बापू दरवाजा खुला छोड़कर बाहर निकल गया है...''
दोनो अंदर आ गये , विक्की ने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया..
काव्या का दिल जोरो से धड़कने लगा...जैसे वो जानती थी की अब उसके साथ क्या होने वाला है..
विक्की उसको अंदर ले गया, अपने कमरे मे..बारिश की वजह से काफी सीलन थी कमरे में और ठंडक भी, अंदर जाते ही उसकी उभरी हुई गांड से अपना लंड रगड़ते हुए पीछे से लिपट गया ..
काव्या : "विक्की ..... मैने बोला था ना... कुछ टाइम दो मुझे ... बार -2 ऐसा करके तुम अपना ही नुकसान कर रहे हो ..''
विक्की : "अरे ...चिल यार ... तुमने जिस चीज़ के लिए मना किया है , उसके लिए तो मैं कह भी नही रहा हू तुमसे ...बस थोड़ी बहुत मस्ती करने का ही इरादा है मेरा...''
काव्या (कसमसाती हुई) : "वो मस्ती तो तुम रिसोर्ट में कर ही चुके हो विक्की ... अब और क्या चाहिए ...''
विक्की ने अपना दाँया हाथ आगे किया और उसके उभारों पर रख कर उसे धीरे से दबा दिया..काव्या चिहुंक उठी ..और साथ ही साथ रोमांच की एक लहर उसके पूरे शरीर में दौड़ गयी..उसके निप्पल्स अपनी जगह से उठ खड़े हुए जब उनपर विक्की की उंगलियों का दबाव पड़ा तो ...
काव्या : "रहने दो ना विक्की ... मुझे ये सब पसंद नही है....''
विक्की भी कहाँ मानने वाला था...वो अपने हाथ सरकाता हुआ नीचे ले गया, उसके सपाट पेट से होता हुआ वो हाथ सीधा उसकी चूत के उपर आकर रुका ...काव्या ने उसे रोकने की बहुत कोशिश की पर विक्की ने दूसरे हाथ से उसके दोनो हाथों को पकड़ा हुआ था..वो छटपटा कर रह गयी..और वैसे भी उसके रोकने मे वो ज़ोर नही था , क्योंकि उसके शरीर पर रेंग रहा विक्की का हाथ उसे बड़ा ही सुखद सा लग रहा था..और जैसे ही विक्की के हाथ ने उसकी चूत को अपनी मुट्ठी मे पकड़ कर भींचा , वो अपने पंजों पर खड़ी होकर पीछे की तरफ झुक गयी..और विक्की ने उसकी सुराहीदार गर्दन पर अपने गीले होंठ रखकर उसे चूम लिया...
काव्या : "उम्म्म्ममम .... क्यों परेशान कर रहे हो विक्की .....''
विक्की समझ गया की लोंडिया गर्म हो चुकी है...उसने उसके हाथ छोड़ दिए..और अपने हाथ आज़ाद होते ही उसने अपने एक हाथ को विक्की के हाथ के उपर रखकर अपनी चूत पर और ज़ोर से दबा लिया और दूसरे हाथ को उपर लेजाकर उसके बालों को सहलाने लगी...और साथ ही साथ वो अपनी गोल मटोल गांड को उसके खड़े हुए लंड से भी रगड़ रही थी..
काव्या : "क्या चाहते हो विक्की ..... आज तुमने जीतने मज़े लिए, क्या वो कम थे...पहले मेरी माँ के साथ और फिर मैने भी तो तुम्हे ब्लो जॉब दिया था.... इतना स्टेमीना कहा से लाते हो तुम ....कितना काम कारवाओगे अपने छोटे सिपाही से...''
उसने अपनी चूतड़ से उसके लंड को घिस कर उसके छोटे सिपाही को पूचकारा..
विक्की : "मेरा स्टेमीना अभी तूने देखा ही कहाँ है मेरी जान....एक बार तू मेरी कलाकारी देख तो ले, उसके बाद पूरे शहर में मेरे नाम की कसमें खाती फ़िरेगी...''
पीछे से अपने लंड और आगे से अपने हाथ का दबाव उसने दिया और उसकी नन्ही सी चूत बीच मे पिस कर रह गयी..
काव्या इतना तो जानती ही थी की वो उसकी मर्ज़ी के बिना अपनी हद से आगे नही बढ़ेगा ...इसलिए कुछ देर का और मज़ा लेने मे कोई बुराइ नजर नही आई उसे..और उपर से वो ऐसे तरीके अपना कर उसे उत्तेजित कर रहा था जैसे वो उसके हर वीक पॉइंट के बारे मे जानता हो.....उसकी गर्दन...उसके कान ....उसके निप्पल और उसकी मखमली चूत ...हर जगह पर वो अपने हाथ और होंठों से ऐसे छू रहा था की वो बेचारी उसकी बात मानने के सिवा कुछ कर ही नही पा रही थी..
और जब उसकी बर्दाश्त से परे हो गया तो वो एक जोरदार झटके से पलटी और उसके सीने से लिपट गयी..और अपनी दोनो छातियों को उसके चौड़े सीने से रगड़ने लगी...दोनो की साँसे एक दूसरे से टकराई और एक धमाके के साथ काव्या के होंठ विक्की से जा चिपके और उन्हे ज़ोर-2 से चूसने लगे..
ऐसा लग रहा था जैसे काव्या के मुँह से शहद लीक हो रहा है...उसके ठंडे होंठों की मिठास महसूस करके विक्की की अंतरात्मा तक तृप्त सी हो गयी...
विक्की को धक्का देते हुए काव्या ने उसे सीलन से भरी दीवार से सटा कर खड़ा कर दिया...और फिर एक ही झटके में उसकी शर्ट को बीच में से पकड़ कर फाड़ दिया...उसका एक-2 बटन छिटक कर दूर जा गिरा , काव्या ने उसके दोनो हाथों को दीवार से लगा कर खड़ा कर दिया..और फिर उसकी आँखों मे देखते हुए अपने लार टपकाते मुँह को उसकी गर्दन पर लगाया और उसे चाटने लगी...चूसने लगी....अपनी जीभ और होंठों से उसकी गर्दन और फिर छाती पर अपने निशान छोड़ने लगी...
विक्की तो जैसे स्वर्ग मे पहुँच गया....ऐसी लड़की से अपने को नुचवाना किसी सपने से कम नही था...पर वो सपना नही था...काव्या ऐसा कर रही थी..ना जाने उसके अंदर कौन सा जानवर जाग उठा था, जो उसे ऐसा करने का आदेश दे रहा था...
काव्या किसी भूखे जानवर की तरह विक्की के शरीर को नोच रही थी...उसकी गर्दन पर दाँत मारती , कभी उचक कर उसके होंठों को दबोच लेती...कभी अपनी चूत वाले हिस्से से उसके खड़े लंड को रगड़ती ...और कभी उसके मुँह को पकड़कर अपनी छातियों पर ज़ोर-2 से मसलती ...
अचानक विक्की ने अपने दांतो से उसकी छाती को ज़ोर से पकड़ लिया...
काजल : "आआआआआआअहह यू डॉगी ........''
पर विक्की पर कुछ फ़र्क नही पड़ा...उसने काजल की टी शर्ट के उपर से ही उसके निप्पल को चूसना शुरू कर दिया...काजल ने गहरी साँसे लेते हुए धीरे-2 अपनी टी शर्ट को उपर करना शुरू कर दिया..और फिर एक ही झटके में अपनी ब्रा समेत उसे पूरा उपर कर दिया और अपने नंगे बूब को विक्की के मुँह में धकेल दिया..
और वो ज़ोर से चिल्लाई : "अब काट इसको.....साले ....कुत्ते .......''
ऐसी हालत मे पहुँच कर गालियां देने का मज़ा ही अलग होता है..
काव्या ने अपने खड़े हुए निप्पल से उसके होंठों को छिल डाला...वो उसके सिर को पकड़ कर अपने कठोर निप्पल पर ज़ोर-2 से रगड़ रही थी..फिर उसके पूरे चेहरे पर वो अपने निप्पल की चुभन का एहसास पहुँचाने लगी...उसके गालों पर, नाक पर, बंद आँखों पर और माथे पर उसने अपनी पैने निप्पल को रगड़ -2 कर उनकी खुजली मिटाई ..
विक्की ने उसकी टी शर्ट को एक ही झटके में निकाल कर दूर फेंक दिया..और फिर काव्या ने अपनी दूसरी ब्रेस्ट को भी उसी काम पर लगा दिया..ऐसा लग रहा था जैसे विक्की से ज़्यादा ठरक इस समय काव्या पर चढ़ी हुई है...और वो अपनी प्यास बुझा रही है विक्की के जिस्म से..
काव्या : "आहह अहह अब बोलो ....और क्या करना चाहते हो ...''
विक्की कहना तो चाहता था की तेरी चूत मारनी है, पर उसे पता था की वो अभी उसके लिए तैयार नही होगी..अगर हो भी गयी तो दोबारा उसके पास नही आएगी...इसलिए उसने अपने वादे पर बने रहना उचित समझा...पर अभी के लिए वो कुछ और करना चाहता था, जिसके लिए वो ना जाने कब से तड़प रहा था...उसकी चूत का रस पीने के लिए..कुँवारी चूत के रस की महक उसे कब से तडपा रही थी.
विक्की ने काव्या के दाँये कान को पूरा का पूरा अपने मुँह मे डाल लिया, उसे अच्छी तरह से चूसा, काव्या तो तड़प उठी उसके इस प्रहार से, और फिर विक्की ने उसके गीले कान को अपने मुँह से बाहर निकाला और धीरे से उसमे बोला : "तेरी चूत चूसनी है मुझे....अपनी गरमा गरम जीभ से....''
काव्या एक बार फिर से बिफर उठी ये सुनकर, और पागलों की तरह अपने गीले मुँह से उसे बेतहाशा चूमने लगी और बोली : "ओहsssssssssssssssssssssssssssss विक्की .....तुम मेरी जान लेकर रहोगे आज तो ...........अहह ..... ओहssssssssssssssssssssssssssssssssss .....''
और वो अपनी चूत वाले हिस्से को ज़ोर-2 से आगे पीछे करते हुए कभी उसके लंड और कभी उसके पेट पर मारने लगी..
विक्की ने उसकी कमर से पकड़ कर उसे उपर उठा लिया और काव्या ने अपनी टांगे उसकी कमर से लपेट दी और उपर चढ़ गयी...दोनो पागलों की तरह एक दूसरे को चूसने मे लगे थे...और ऐसे ही चूमते-2 विक्की ने उसे अपने बेड पर ले जाकर पटक दिया...
काव्या की आँखो मे खुमारी चढ़ चुकी थी...और उसकी नशीली आँखो मे देखते-2 विक्की ने एक-2 करते हुए उसके दोनो मुम्मो को बुरी तरह से चूमा, चूसा और उनपर टैटू भी बनाए अपने दांतो से...
और फिर उसके दोनो हाथों को उपर रखकर उसे ना हिलने की हिदायत देकर वो उसके नंगे बदन को चाटता हुआ धीरे-2 नीचे आने लगा..
काव्या ऐसे तड़प रही थी जैसे उसे कोई सज़ा मिली हो...विक्की की गीली जीभ ने उसके बदन को पूरा नहला सा दिया था..उसके होंठों की चिपचिपाहट वो अपने पूरे जिस्म पर महसूस कर पा रही थी..
और फिर विक्की के होंठ सीधा उसकी जीन्स के बटन पर जाकर रुके..और उसने बड़ी ही कुशलता से, बिना अपने हाथों का इस्तेमाल किए, उसके जीन्स के बटन अपने मुँह से ही खोल दिए...और जिप भी दाँतों से पकड़ कर नीचे खिसका दी....फिर जीन्स की दोनो साइड्स को हाथों से पकड़ कर नीचे खिसका लिया...चूत के रस की तेज महक उसके नथुनों से टकरा गयी....विक्की समझ गया की वो अंदर से बुरी तरह से बह रही है इस वक़्त...काव्या की छातियाँ उपर नीचे हो रही थी..शायद वो जानती थी की विक्की का अगला कदम क्या होगा...वो अपनी कोहनियो के बल उपर उठ गयी...और विक्की को निहारने लगी...जो उसकी पेंटी के उपर अपनी नाक रगड़कर उसके रस को किसी कुत्ते की तरह सूंघ रहा था...और फिर उसने अपनी जीभ निकाली और गाड़े रस मे सनी हुई पेंटी को चाटने लगा..
काव्या : "आआआआआआआआआआहह ....... ओह येस्स्स्स्स्स्स्ससस्स्स्स्स्स्स्सस्स ........ ''
पर उसने अपने हाथ उसके सिर के उपर नही रखे, क्योंकि विक्की ने मना किया हुआ था..ऐसी हालत मे लड़की अगर दासी की तरह हर बात माने तो उसका पार्टनर अपने आप को किसी राजा से कम नही समझता...और यही हाल इस वक़्त विक्की का था...वो अपनी दासी बनी काव्या की चूत को बुरी तरह से उसकी पेंटी के उपर से ही चूस चूस्कर उसे उत्तेजना के एक दूसरे ही शिखर पर ले जेया रहा था...
काव्या चिल्ला पड़ी : "आआआआआआहह सेयेल .......पेंटी तो उतार ..........आआआहह ....अंदर से चूस मुझे ........ अंदर से.........''
उसकी चाशनी से भरी रिक़वेस्ट को वो भला कैसे मना कर सकता था...उसने अपने दांतो से उसकी पेंटी का उपरी सिरा पकड़ा और धीरे-2 उसे नीचे खिसकाना शुरू कर दिया..
और जैसे-2 उसकी पेंटी नीचे उतर रही थी...अंदर से बह रहा गरमा गरम रस विक्की की नाक पर लगता जा रहा था...और अंत में उसने अपने दांतो से खींचकर काव्या की गीली पेंटी पूरी नीचे खिसका दी..
और अब वो उसकी आँखो के सामने पूरी की पूरी नंगी लेटी हुई थी...कमरे मे घुपप अंधेरा था...सिर्फ़ दरवाजे के साइड मे बनी खिड़की से एक रोशनी की लाइन ही अंदर आ पा रही थी..काव्या की तो आँखे बंद थी पर विक्की उस हल्की सी रोशनी मे उसके नशीले बदन को पूरी तरह से देख पा रहा था...ये पहला मौका था जब वो उसके सामने पूरी की पूरी नंगी थी...और वो भी इसनी पास...
आज वो उसकी चूत को बुरी तरह से चूसना चाहता था....चाटना चाहता था...ऐसी कुँवारी चूत रोज-2 तो नही मिलती ना...
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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