Thursday, December 25, 2014

FUN-MAZA-MASTI बदलाव के बीज--79

 FUN-MAZA-MASTI
 बदलाव के बीज--79

अब आगे ....


 मैंने घर पहुँचते ही उन्हें फोन किया, पर उनका नंबर स्विच ऑफ़ था| मैंने सोचा की कोई बात नहीं...बैटरी खत्म हो गई होगी| उस दिन रात को पिताजी जल्दी आगये थे, तो मैंने फिर से फोन मिलाया पर फोन फिर स्विच ऑफ ! मैंने सोचा की शायद चार्ज नहीं हो पाया होगा ...वैसे भी हमारे गाँव में बिजली है नहीं| फोन चार्ज करने के लिए बाजार जाना पड़ता है और वहां भी बिजली एक-दो घंट ही आती है| अगले सात दिन तक यही चलता रहा...हर बार फोन स्विच ऑफ आता था| अब तो मैं परेशान हो उठा...और सोचने लगा की ऐसा क्या बहाना मारूँ की मैं गाँव हो आऊँ| मैंने अजय भैया का फोन मिलाया ताकि ये पता चले की कहीं भौजी घर वापस तो नहीं आ गईं? इसीलिए वो फोन ना उठा रहीं हों या अनिल को फोन स्विच ऑफ कर रहीं हों| पर भैया ने बताय की वो यहाँ नहीं हैं, वो अपने मायके में ही हैं! मैंने उनसे कहा भी की कहीं वो भौजी के कहने पे तो जूठ नहीं बोल रहे?तो उन्होंने बड़की अम्मा की कसम खाई और कहा की वो सच बोल रहे हैं| अब मन व्याकुल होने लगा...की आखिर ऐसी क्या बात है की ना तो वो मुझे फोन कर रहीं हैं ना ही अनिल का नंबर स्विच ओंन कर रहीं हैं? अगर कोई ज्यादा गंभीर बात होती तो अजय भैया मुझे अवश्य बता देते और फिर वो भला मुझसे बात क्यों छुपाएंगे? कहीं भौजी......वो मुझे avoid तो नहीं कर रहीं? नहीं..नहीं...ऐसा नहीं हो सकता! वो मुझसे बहुत प्यार करती हैं...वो भला ऐसा क्यों करेंगी....नहीं..नहीं...ये बस मेरा वहम है! वो ऐसी नहीं हैं....जर्रूर कोई बात है जो वो मुझसे छुपा रही हैं|

अब उनकी चिंता मुझे खाय जा रही थी...ना ही मुजखे कोई उपाय सूझ रहा था की मैं गाँव भाग जाऊँ| अब करूँ तो करूँ क्या? दस दिन बीत गए पर कोई फोन...कोण जवाब नहीं आया...मेरा खाना-पीना हराम हो गया...सोना हराम हो गया...रात-रात भर उल्लू की तरह जागता रहता था...स्कूल में मन नहीं लग रहा था...दोस्तों के साथ मन नहीं लग रहा था...बस मन भाग के उनके पास जाना चाहता था| फिर ग्यारहवें दिन उनका फोन आया वो भी unknown नंबर से| किस्मत से उस दिन Sunday था और पिताजी और माँ घर पे नहीं थे| उस दिन सुबह से मुझे लग रहा था की आज उनका फोन अवश्य आएगा...इसलिए मैंने फोन अपने पास रख लिया ये कह के की मेरा दोस्त आने वाला है उसके साथ मुझे किताबें लेने चांदनी चौक जाना है| रात को देर हो जाए इसलिए फोन अपने पास रख रहा हूँ| मैंने किताब तो खोल ली पर ध्यान उसमें नहीं था| 


इतने में घंटी बजी, मुझे नहीं पता था की ये किसका नंबर है पर फिर सोचा की शायद उन्ही का हो, इसलिए मैंने फटाक से उठा लिया;

मैं: हेल्लो

भौजी: हेल्लो ....

मैं: ओह जान... I Missed You So Much ! कहाँ थे आप? इतने दिन फोन क्यों नहीं किया..और तो और अनिल का
नंबर भी बंद था| मेरी जान सुख गई थी.... और ये नंबर किसका है? आप हो कहाँ?

भौजी: वो सब मैं आपको बाद में बताउंगी , But first I Wanna talk to you about something.

मैं: Yeah Sure my Love! (भौजी की आवाज से लगा की वो बहुत गंभीर हैं|)

भौजी: am..... look….we gotta end this! I mean….आपको मुझे भूलना होगा?

ये सुन के मैं सन्न रह गया और गुस्से से मेरा दिमाग खराब हो गया| एक तो इतने दिन फोन नहीं किया...और मेरे सवालों का जवाब भी देना मुनासिब नहीं समझा...ऊपर से कह रहीं है की मुझे भूल जाओ!

मैं: Are you out of your fucking mind?

भौजी: Look….I’ve thought on it…over and over again..but हमारा कुछ नहीं हो सकता| आपका ध्यान मुझे पे और नेहा पे बहुत है...आपको पढ़ना है..अच्छा इंसान बनना है...माँ-पिताजी के सपने पूरे करने हैं... और मैं और नेहा इसमें बाधा बन रहे हैं| आप रोज-रोज मुझे फोन करते हो...कितना तड़पते हो ये मैं अच्छे से जानती हूँ| गाँव आने को व्याकुल हो... और अगर ये यहाँ ही नहीं रोक गया तो आप अपनी पढ़ाई छोड़ दोगे और यहाँ भाग आओगे|बेहतर यही होगा की आप हमें भूल जाओ... और अपनी पढाई में ध्यान लगाओ!

मैं: पर मेरी....

भौजी: मैं कुछ नहीं सुन्ना चाहती ...ये आखरी कॉल था, आजके बाद ना मैं आपको कभी फोन करुँगी और ना ही आप करोगे ..... इतना सब कहने में मुझे बहुत हिम्मत लगी है... आप मुझे भूल जाओ बस|

और उन्होंने फोन काट दिया| अगले पांच मिनट तक मैं फोन को अपने कान से लगाय बैठा रहा की शायद वो दुबारा कॉल करें...पर नहीं....कोई कॉल नहीं आया| मैं सोचता रहा की आखिर मैंने ऐसा क्या किया जो वो मुझे इतनी बड़ी सजा दे रहीं हैं? मैंने तो कभी नैन कहा की मैं पढ़ाई छोड़ दूँगा? बल्कि वो तो मेरी inspiration थी... उस समय मेरी हालत ऐसी थी जैसे किसी ने आपको दुनिया में जीने के लिए छोड़ दिया बस आपसे साँस लेने का अधिकार छीन लिया| बिना साँस लिए कोई कैसे जी सकता है...!!! उस दिन के बाद तो मैं गमों के समंदर में डूबता चला गया| पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा...बस अकेला बैठा उनके बारे में सोचता रहता| घर पे होता तो छत पे एक कोने पे बैठ रहता ...स्कूल में कैंटीन के पास सीढ़ियां थीं...वहां अकेला बैठा रहता ... क्लास में गुम-सुम रहता...दोस्तों से बातें नहीं.... सेकंड टर्म एग्जाम में passing मार्क्स लाया ...बस...यही रह गया था मेरे जीवन में| इस सबके होने से पहले पिताजी ने मुझे एक MP3 प्लेयर दिलाया था...उसमें दुःख भरे गाने सुन के जीये जा रहा था| मेरे फेवरट गाने थे;

१. जिंदगी ने जिंदगी भर गम दिए (A Train Movie) जो गाना मुझ पे पूरा उतरता था....

२. मैं जहाँ रहूँ (Namaste London) इसका एक-एक शब्द ऐसा था जो मेरी कहानी बयान करता था|

३. जीना यहाँ (Mera Naam Joker) बिलकुल परफेक्ट गाना!  


माँ शायद मेरा मुरझाया हुआ चेहरा देख के समझ गईं की बात क्या है? या फिर उन्होंने तुक्का मार!

माँ: क्या बात है बेटा? आजकल तू बहुत गुम-सुम रहता है!

मैं: कुछ नहीं माँ...

माँ: मुझसे मत छुपा.... तेरे पेपरों में बी अचानक से कम नंबर आये हैं... और जब तेरे पिताजी ने करण पूछा तब भी तू इसी तरह चुप था? देख मैं समझ सकती हूँ की तुझे अपनी भौजी और नेहा की बहुत याद आ रही है! ऐसा है तो फोन कर ले उसे...मन हल्का हो जायेगा! वैसे भी तूने बहुत दिनों से उसे फोन नही किया.... कर ले फोन?

मैं: नहीं माँ... मैं फोन ठीक नहीं करूँगा!

माँ: क्यों लड़ाई हो गई क्या?

मैं: नहीं तो

माँ: हाँ..... समझी...दोनों में लड़ाई हुई है!

मैं: नहीं माँ... ऐसा कुछ नहीं है| Thanks की आप आके मेरे पास बैठे| अब मैं अच्छा महसूस कर रहा हूँ|

माँ से बात छुपाना शायद इतना आसान नहीं होता... पर मेरी बात किसी बात पे अड़ नहीं जाती| उन्होंने इस बात को ज्यादा नहीं दबाया और मेरे सर पे हाथ फेरा और चली गईं| इधर मुझे मेरे सवालों का जवाब अब तक नहीं मिला था और मैं बस तड़प के रह गया..! मन में बस एक ही सवाल की क्यों....आखिर क्यों उन्होंने मुझे अपने जीवन से...इस तरह निकाल के फेंक दिया? आखिर कसूर क्या था मेरा?

यहाँ मैं अपने उस जिगरी दोस्त का जिक्र करना चाहूंगा...जो अगर ना होता तो मैं इस गम से कभी उबर न पाता| मैं उसे "दिषु" कहके बुलाता था| उसने मुझे समझा और मुझे होंसला दिया...तब जाके मैं कुछ संभल पाया| बाकी मेरी जिंदगी का एक लक्ष्य रहा था की मैं कभी भी अपनी माँ को दुखी ना करूँ... तो ये भी एक वजह थी की मैं इस गम को जल्दी भुला दूँ| पर अगर भूलना इतना आसान होता तो बात ही क्या थी! मैंने उनकी याद को मन में दबा लिया...जब अकेला होता तो उन सुहाने पलों को याद करता| पर सब के सामने हँसी का मुखौटा ओढ़ लेता| ऐसे करते-करते बारहवीं के बोर्ड के पेपर हो गए और किस्मत से पास भी हो गया| अब आगे कॉलेज के लिए फॉर्म भर दिए और साथ ही कुछ एंट्रेंस एग्जाम के फॉर्म भी| जिसकी कोचिंग के लिए मैं एक कोचिंग सेंटर जाने लगा| दिषु चूँकि मुझसे पढ़ाई में बहुत अच्छा था तो उसने अलग कोर्स लिया और वो अलग जगह जाता था| पर हम अब भी दोस्त थे|

अब हुआ ये की पहला दिन था कोचिंग सेंटर में और मं किसी को नहीं जानता था तो चुप-चाप बैठा था| शुरू से मेरा एकाउंट्स बहुत तेज रहा है| तो कोचिंग में एकाउंट्स का सब्जेक्ट शुरू होते ही सब के सर मेरी ओर घूम जाया करते थे| पहले दिन सर ने JLP : Joint Life Policy पे एक सवाल हल कर रहे थे, जिसका जवाब सर ने गलत निकाला था| चूँकि मैंने एक दिन पहले से ही तैयारी कर राखी थी तो जब मैंने सर को सही जवाब बताया तो सब के सब हैरानी से मुझे देखने लगे की आखिर इसने सर को करेक्ट कैसे कर दिया? मैं आखरी बेंच पे बैठा था ओर मेरे ठीक सामने एक लड़की बैठ थी| जब सब पीछे मुड के देखने आगे तब हम दोनों की आँखें चार हुईं| उसकी सुंदरता का वर्णन कुछ इस प्रकार है;

मोर सी उसकी गोरी गर्दन, मृग जैसी उसकी काली आँखें...जिनमें डूब जाने को मन करता था... गुलाब से उसके नाजुक होंठ ओर दूध सा सफ़ेद रंग....बालों की एक छोटी ओर उसकी नाक पे बैठा चस्मा....हाय!!! उस दिन से मैं उसका कायल हो गया| वो बड़ी शांत स्वभाव की लड़की थी...लड़कों से बात नहीं करती थी.... बस अपनी सहेलियों से ही हँसी-मजाक करती थी| जब वो हंसती थी तो ऐसा लगता था की फूल मुस्कुरा रहे हैं| क्षमा करें दोस्तों मैं उसका नाम आप लोगों को नहीं बता सकता...क्योंकि उसका नाम बड़ा अनोखा था...अगर कोई उसका नाम ठीक से ना पुकारे तो वो नाराज हो जाया करती थी| पर नजाने क्यों मैं...पहल करने से डरता था| मैंने उस सेंटर में पूरे दो महीने कोचिंग ली...पर सच कहूँ तो मैं सिर्फ उसे देखने आता था| पीछे बैठे-बैठे उसकी तसवीरें लिया करता था...पर कभी भी उसकी पूरी तस्वीर नहीं ले पाया| क्लास के सारे लड़के जानते थे की मैं उससे कितना प्यार करता हूँ....पर कभी हिम्मत नहीं हुई उससे कुछ कहने की! कोचिंग खत्म होने से एक दिन पहले हमारी बात हुई...वो भी बस जनरल बात की आप कौन से स्कूल से हो? कितने परसेंट मार्क्स आये थे? आगे क्या कर रहे हो? बस...मैं मन ही मन जानता था तक़ी इतनी सुन्दर लड़की है और इतना शीतल स्वभाव है...हो न हो इसका कोई न कोई बाँदा तो होगा ही और दूसरी तरफ मैं...उसके मुकाबले कुछ भी नहीं| हाँ व्यक्तित्व में उससे ज्यादा प्रभावशाली था....पर अब कुछ भी कहने के लिए बहुत देर हो चुकी थी|

उस लड़की से एक दिन बात क्या हुई...मैं तो हवा में उड़ने लगा| उसके बारे में सोचने लगा...और मन में दबी भौजी की याद पे अब धुल जमना शुरू हो चुकी थी| पर अभी भी उसपे समाधी नहीं बनी थी! खेर मैंने पेपर दिए और पास भी हो गया| उसके बाद अपने कोचिंग वाले दोस्तों से उसका नंबर निकलवाने की कोशिश की पर कुछ नहीं हो पाया...अब तो बस उसकी तसवीरें जो मेरे फोन में थी वही मेरे जीने का सहारा थी| दिन बीतते गए...साल बीते ...और आज सात साल हो गए इस बात को!
 


 इन सात सालों में मैं गाँव नहीं गया....मुझे नफरत सी हो गई उस जगह से| 2008 फरवरी में उन्हें लड़का हुआ ... और अब मैं जानता था की भौजी को घर में वही इज्जत मिल रही होगी जो उन्हें मिलनी चाहिए थी| आखिर उन्होंने खानदान को वारिस दिया था! इसी बहाने नेहा को भी वही प्यार मिल जायेगा जो उसे अब तक नहीं मिला| हाँ पिताजी की तो हफ्ते में दो-चार बार बड़के दादा से बात हो जाया करती थी..या फिर वो जब जाते थे तो आके हाल-चाल बताते थे की घर में सब खुश हैं| एक दिन मैंने माँ-पिताजी को बात करते सुना भी था की भौजी को अब सब सर आँखों पे रखते हैं| रही रसिका भाभी की तो उसमें अब बहुत सुधार आया है| सरे घर का काम वही संभालती है और अब वो पहले की तरह सुस्त और ढीली बिलकुल नहीं है| रसिका भाभी के मायके वालों ने आके माफ़ी वगेरह माँगी और अब उनके और अजय भैया के बीच रिश्ते फिर से सुधरने लगे हैं| इन सात सालों में बड़के दादा के छोटे लड़के(गट्टू) की भी शादी थी...पर मैं वो अटेंड करने भी नहीं गया| पढ़ाई का बहाना मार के रूक गया था और माँ-पिताजी को भेज दिया था|... पर अब मुझे इंटरनेट और पंखों की आदत हो गई थी और हमारे गाँव में अब तक बिजली नहीं है! तो मेरे पास गाँव ना जाने की एक और वजह थी! भौजी ने मुझे फोन करने को मना किया था...और खुद से इस तरह काट के अलग कर दिया था तो अब मैं भी उनके प्रति उखड़ चूका था| शायद मैंने नेहा को उनकी इस गलती की सजा दी...या फिर उसे वो प्यार चन्दर भैया से मिल गया होगा! वैसे भी मैं सबसे ज्यादा प्यार तो भौजी से करता था और उनके बाद नेहा से...तो अगर उन्हें ही मुझसे रिश्ता खत्म करना था और खत्म कर भी दिया तो फिर नेहा से मैं किस हक़ से मिलता|ऐसा नहीं था की मैं भौजी को बिलकुल भूल गया था...तन्हाई में उनके साथ बिताये वो लम्हे अब भी मुझे याद थे...रात को सोते समय एक बार उन्हें याद जर्रूर करता था...पर वो सिर्फ मेरी शिकायत थी| मैं उन्हें शिकायत करने को याद किया करता था| पर दूसरी तरफ वो लड़की....जिसके प्रति मैं attracted था ...वो मुझे फिर से भौजी की यादों के गम में डूबने नहीं देती थी| मैंने भौजी से इतना प्यार करता था की मैंने हमेशा भौजी की हर बात मानी थी..उनकी हर इच्छा पूरी की थी...तो फिर उनकी ये बात की मुझे भूल जाओ और दुबारा फोन मत करना...ये कैसे ना मानता? और ऐसा कई बार हुआ की मैं इल के आगे मजबूर हो गया और उन्हें फोन भी करना चाहा पर.... करता किस नंबर पे? उनके पास उनका कोई पर्सनल नंबर तो था नहीं? आखरी बार उन्होंने कॉल भी अनजान नंबर से किया था! अनिल को फोन करता तो लोग हमारे बारे में बातें बनाते| मुझे तो ये तक नहीं पता था की भौजी हैं कहाँ? अपने मायके या ससुराल?

तो जब से मैंने यहाँ कहानी लिखनी शुरू की तभी से कुछ अचानक घटित हुआ| मैं उस लड़की को याद करके खुश था...रात को सोते समय उसे याद करता..उसकी मुस्कान याद करता...उसकी मधुर आवाज याद करता... ये सोचता की अं उसके साथ हूँ...You can call it my imagination! पर मेरी कल्पना में ही सही वो मेरे साथ तो थी! कम से कम वो भौजी की तरह मुझे दग़ा तो नहीं देने वाली थी| एक बात मैं आप लोगों को बताना ही भूल गया या शायद आप खुद ही समझ गए होंगे| जब मैं कोचिंग जाता था तब पिताजी ने मुझे मेरा पहला मोबाइल दिल दिया था| Nokia 3110 Classic !


 खेर, इसी साल करवाचौथ से कुछ दिन पहले की बात थी! मुझे एक अनजान नंबर से फोन आया;

मैं: हेल्लो

भौजी: Hi

मैं: Who's this ?

भौजी: पहचाना नहीं?

अब जाके मैं उनकी आवाज पहचान पाया..... मन में बस यही बोला; "oh shit !"

मैं: हाँ

भौजी: तो?

अब हम दोनों चुप थे...वो सोच रही थीं की मैं कुछ बोलूँगा पर मैं चुप था|

भौजी: हेल्लो? You there ?

मैं: हाँ

भौजी: मैं आपसे मिलने आ रही हूँ!

मैं: हम्म्म्म ...

भौजी: बस "हम्म्म्म" मुझे तो लगा आप ख़ुशी से कहोगे कब?

मैं: कब?

भौजी समझ चुकीं थीं की मैं नाराज हूँ और फोन पे किसी भी हाल में मानने वाला|

भौजी: इस शनिवार....तो आप मुझे लेने आओगे ना?

मैं: शायद ...उस दिन मुझे अपने दोस्त के साथ जाना है!

भौजी: नहीं..मैं नहीं जानती...आपको आना होगा!

मैं: देखता हूँ!

भौजी: मैं जानती हूँ की आपको बहुत गुस्सा आ रहा है| मैं मिलके आपको सब बताती हूँ|

मैं: हम्म्म्म!

और मैंने फोन काट दिया| मैंने जानबूझ के भौजी से जूठ बोला था की मैं अपने दोस्त के साथ जा रहा हूँ पर मेरा जूठ पकड़ा ना जाये इसलिए मैंने दिषु को फोन किया और उसे सारी बात बता दी| उसने मुझे कहा की मैं उसके ऑफिस आ जॉन और फिर वहां से हम तफड्डी मारने निकल जायेंगे|



 शाम को पिताजी जब लौटे तो उन्होंने कहा की;

पिताजी: "गाँव से तेरे चन्दर भैया आ रहे हैं तो उन्हें लेने स्टेशन चला जईओ|"

मैं: पर पिताजी उस दिन मुझे दिषु से मिलने जाना है?

पिताजी: उसे बाद में मिल लीओ? तेरी भौजी आ रहीं है और तू है की बहाने मार रहा है|

मैं: नहीं पिताजी...आप चाहो तो दिषु को फ़ोन कर लो|

पिताजी: मैं कुछ नहीं जानता| और हाँ चौथी गली में जो गर्ग आंटी का मकान खाली है वो लोग वहीँ रुकेंगे तो कल उसकी सफाई करा दिओ| और आप भी सुन लो (माँ) जबतक उनका रसोई का काम सेट नहीं होता वो यहीं खाना खाएंगे!

माँ: ठीक है...मुझे क्या परेशानी होगी..कम से कम इसी बहाने मेरा भी मन लगा रहेगा|
आज पहलीबार मैंने वो नहीं किया ज पिताजी ने कहा| मैंने अपना प्लान पहले ही बना लिया था| शनिवार सुबह दिषु ने पिताजी को फ़ोन किया, उस समय मैं उनके पास ही बैठा था और चाय पी रहा था ;

दिषु: नमस्ते अंकल जी!

पिताजी: नमस्ते बेटा, कैसे हो?

दिषु: ठीक हूँ अंकल जी| अंकल जी ....मैं एक मुसीबत में फंस गया हूँ|

पिताजी: कैसी मुसीबत?

दिषु: अंकल जी...मैं यहाँ अथॉरिटी आया हूँ...अपने लाइसेंस के लिए ...अब ऑफिस से बॉस ने फोन किया है की जल्दी ऑफिस पहुँचो| अब मैं यहाँ लाइन में लगा हूँ कागज जमा करने को और मुझे सारा दिन लग जायेगा| अगर कागज आज जमा नहीं हुए तो फिर एक हफ्ते तक रुकना पड़ेगा| आप प्लीज मानु को भेज दो, वो यहाँ लाइन में लग कर मेरे डॉक्यूमेंट जमा करा देगा और मैं ऑफिस चला जाता हूँ|

पिताजी: पर बेटा आज उसके भैया-भाभी आ रहे हैं?

दिषु: ओह सॉरी अंकल... मैं...फिर कभी करा दूंगा| (उसने मायूस होते हुए कहा)

पिताजी: अम्म्म... ठीक है बेटा मैं अभी भेजता हूँ|

दिषु: थैंक यू अंकल!

पिताजी: अरे बेटा थैंक यू कैसा... मैं अभी भेजता हूँ|

और पिताजी ने फोन काट दिया|

पिताजी: लाड-साहब अथॉरिटी पे दिषु खड़ा है| उसे तेरी जर्रूरत है...जल्दी जा|

मैं: पर स्टेशन कौन जायेगा?

पिताजी: वो मैं देख लूंगा...उन्हें ऑटो करा दूंगा और तेरी माँ उन्हें घर दिखा देगी|

मैं फटाफट वहाँ से निकल भागा| मैं उसे अथॉरिटी मिला और वहाँ से हम Saket Select City Walk मॉल चले गए| वहाँ घूमे-फिरे;

मैं: ओये यार घर जाके पिताजी ने डॉक्यूमेंट मांगे तो? क्योंकि मैं तो अथॉरिटी से घर निकलूंगा तू थोड़े ही मिलेगा मुझे?

दिषु: यार चिंता न कर ..मैंने डॉक्यूमेंट पहले ही जमा करा दिए थे| ये ले रख ले और मैं रात को तुझ से लै लूँगा|







हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator