Thursday, December 25, 2014

FUN-MAZA-MASTI स्नेहा भाभी गर मौका मिले तो

FUN-MAZA-MASTI



स्नेहा भाभी गर मौका मिले तो


हैलो दोस्तों में आपके लिए हाजिर हूँ एक कहानी लेकर.. दोस्तों आप सभी की तरह में भी इस साईट फन मज़ा मस्ती को बहुत चाहता हूँ आप ही की तरह मैंने भी इस साईट पर बहुत समय गुजारा है और दोस्तों में जब अपना स्कूल खत्म करके कॉलेज की पढ़ाई के लिए शहर आया तो में मेरे दोस्त राजेश के घर में रहता था। फिर उस दौरान मैंने राजेश की माँ (उर्मिला भाभी) और बहन (रिमी) को चोदना शुरू किया लेकिन में जब पहली बार उनके घर में गया तो घर के बाहर एक बहुत ही खूबसूरत औरत को देखा था और उसी वक़्त मैंने सोचा था कि कभी अगर मौका मिले तो में इसे ज़रूर चोदूंगा। दोस्तों उस औरत का नाम स्नेहा था। उनके पति भी राजेश के पापा के साथ एक ऑफीस में काम करते थे। ये दोनों परिवार एक ही फ्लोर में रहते थे इनके बीच बहुत अच्छे सम्बंध थे।
फिर उसके बाद में जब भी स्नेहा भाभी को देखता था तो मेरा लंड पेंट से निकलकर उनकी चूत में घुसने के लिए तड़प उठता था.. लेकिन क्या करूं स्नेहा भाभी बहुत शर्मीली औरत थी और इसलिए वो जब भी मुझे देखती थी सर झुकाकर घर में घुस जाती थी और उनका एक छोटा बच्चा था। भाभी की उम्र 22 साल थी.. लेकिन उनके पति 40 साल के आसपास थे। राजेश के पापा बहुत शराब पीते थे और एक ही ऑफीस में होने के कारण स्नेहा भाभी के पति भी उनके साथ बहुत शराब पीते थे और वो अपनी पत्नी के साथ ज़्यादा बात नहीं करते थे और ना ही सेक्स करते थे क्योंकि राजेश के पापा और वो रोज़ रात शराब पीने के बाद किसी रंडी के यहाँ जाते थे उसे चोदने के लिए.. इसलिए रात को देर से आते थे। फिर जब स्नेहा भाभी की नई नई शादी हुई थी तो उनके पति कम से कम महीने में 1 या 2 बार ही उनको चोदा करते थे.. लेकिन जब से उनकी बेटी पैदा हुई उस दिन से वो भी बंद हो गया। अब तो वो स्नेहा भाभी को ठीक से देखते भी नहीं चोदना तो दूर की बात थी और बेचारी स्नेहा भाभी इस भरी ज़वानी में अपने पति का प्यार पाने के लिए तरस गयी थी। फिर इस बारे में उन्होंने उर्मिला भाभी को बताया था। जब से में उर्मिला भाभी को चोदने लगा तो उन्होंने मुझे स्नेहा भाभी के बारे में बताया। तभी ये सुनते ही मेरे मन में लड्डू फूटने लगे और में मन ही मन बहुत खुश हुआ क्योंकि मुझे अब यकीन हो गया कि में उनको चोद सकता हूँ.. लेकिन वो मुझसे कभी बात ही नहीं करती थी तो फिर मैंने उर्मिला भाभी से कहा कि वो स्नेहा भाभी को पटाकर चोदने में मेरी मदद करें। तभी ये सुनकर उर्मिला भाभी ने कहा कि अगर ऐसा हो जाए तो उस बेचारी की भी तमन्ना पूरी हो जाएगी.. क्योंकि उसकी ज़वानी तो अभी अभी आई है और उसे उसका मज़ा भी नहीं मिलता लेकिन उसके चक्कर में तुम हम माँ बेटी को मत भूल जाना। तभी मैंने कहा कि नहीं भाभी ऐसा कभी हो ही नहीं सकता कि में आप दोनों को भूल जाऊँ। फिर उसके बाद उर्मिला भाभी अपने काम में लग गयी.. स्नेहा भाभी को मेरे सामने झुकाने के लिए। वो जब भी स्नेहा भाभी से बात करती उस टाईम ज़्यादातर बात वो मेरे बारे में उनको बताने लगी और इस काम में रिमी ने भी उनकी बहुत मदद की।
फिर ऐसा रोजाना करने से तो स्नेहा भाभी मुझे देखते ही भाग जाती थी। फिर धीरे-धीरे बातों-बातों में उर्मिला भाभी ने किसी बाहर वाले से चुदवाने का आईडिया स्नेहा भाभी को दिया। पहले तो वो मना करने लगी क्योंकि वो अपने पति से बहुत डरती थी। लेकिन वो उर्मिला भाभी की बातों को बड़े ध्यान से सुनने लगी कि कैसे वो दूसरे से चुद कर जीवन का मज़ा लूट रही है। फिर उसके बाद उर्मिला भाभी ने मुझसे स्नेहा भाभी की पहचान करवा दी.. उस दिन मैंने स्नेहा भाभी से पहली बार बात की.. वो सर झुकाकर मुझसे बात कर रही थी। फिर उस दिन के बाद में जब भी उनको अकेले पाता तो चिड़ाता था। फिर धीरे धीरे वो मुझसे हँसी मज़ाक करने लगी और उर्मिला भाभी ने उनसे पूछा कि तुम्हे आशु कैसा लगता है? अगर तुम कहो तो तुम्हारी चुदाई के लिए में उसे पटा दूँ।
तभी ये सुनकर स्नेहा भाभी थोड़ा डर गयी और थोड़ी देर बाद मुस्कुरा कर चली गयी.. क्योंकि पिछले 7-8 महीने से उन्होंने अपने पति से नहीं चुदवाया था और उनकी चूत में भी आग लगी हुई थी। तभी उर्मिला भाभी की बात सुनकर उनकी उत्सुकता और बड़ गयी और ये सुनते ही में भी ख़ुशी से झूम उठा। फिर एक दिन साहस करके उनके घर में घुस गया और उस वक़्त उनके पति ऑफिस जा चुके थे। तभी मुझे देखकर वो समझ गयी कि मुझे उर्मिला भाभी ने भेजा है। फिर मैंने उनसे इधर उधर की बातें करते करते उनका हाथ पकड़ लिया तो वो डर गयी और हाथ छुड़ाकर बेडरूम में घुस गयी। तभी में भी उनके पीछे पीछे अंदर घुस गया और अंदर जाते ही मैंने उनको अपनी बाहों में भर लिया और उनके होंठ पर किस करने लगा।
तभी इस हरकत से वो थोड़ी घबराई हुई थी और फिर मैंने उनको सोफे पर बैठाया और समझाया कि वो कुछ ग़लत नहीं कर रही है और वो अपनी जवानी का पूरा आनंद उठाए वरना जब ये ढल जाएगी तो आपको पछताना पड़ेगा और में किसी से कुछ नहीं कहूँगा और उनको पूरा प्यार दूँगा और में उनके बूब्स को दबाने लगा। उनकी बेटी छोटी थी और वो माँ के दूध से ही अपना पेट भरती थी तो स्नेहा भाभी के दोनों बूब्स बहुत नरम लग रहे थे और ज़्यादा दूध के कारण उनकी चूचियाँ बहुत जोर से हिलती थी.. उनका रंग गोरा था और वो बहुत खूबसूरत थी। उनके होंठो के साईड में एक काला तिल था जो उनकी खूबसूरती को और भी बढ़ा रहा था। फिर में उनकी आँखों में आंखे डालकर किस कर रहा था क्या सेक्सी आंखे थी उनकी.. मेरे हाथ लगाने से ही उनके सारे रोम रोम खड़े हो गये। तभी करीब 15 मिनट तक मैंने उनको किस किया और हम दोनों की जीभ एक दूसरे से टकरा रही थी। में उन्हे स्नेहा भाभी बुला रहा था तभी उन्होंने कहा कि आज के बाद में तुम्हारे लिए सिर्फ़ स्नेहा हूँ.. तुम मुझे नाम से बुलाओगे तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा।
फिर मैंने स्नेहा को सोफे पर लेटा दिया और उनके ब्लाउज के बटन एक एक करके खोलने लगा। उन्होंने अंदर सफेद कलर की ब्रा पहनी थी सफेद ब्रा के ऊपर से ही उनके भूरे कलर के निप्पल साफ दिख रहे थे। फिर में ऊपर से ही बूब्स को चूमने लगा और कुछ देर बाद मैंने ब्रा का हुक खोलकर उनकी चूचियों को आज़ाद कर दिया और उन्हें जोर जोर से चूसने लगा.. उनकी चूचियों में बहुत दूध था जो कि मेरे मुहं में भर गया। तभी अचानक उनकी बेटी जाग गयी और रोने लगी तो स्नेहा उठकर बेड पर लेट गयी और मेरे सामने अपनी बेटी को दूध पिलाने लगी। में उसके पीछे कमर पर हाथ रखे हुए लेटा हुआ था उनकी बेटी कुछ देर बाद सो गई तो स्नेहा ने उसे बेड से उठाकर झूले पर सुला दिया। फिर वो मेरी छाती पर सर रख कर लेट गयी और में उसके हाथ को चूमने लगा और फिर वो मेरे सामने अपने सारे दुखड़े रोने लगी।
उसने मुझे बताया कि सुहागरात के दिन भी उसके पति शराब पीकर कमरे में आए थे और जब उन्होंने उसका घूँघट उठाकर उसके चहरे पर किस किया तो शराब की बदबू से स्नेह की सांस रुकने लगी। फिर नशे की हालत में उन्होंने स्नेहा के सारे कपड़े नहीं उतारे और सिर्फ़ पेंटी खोलकर चोदने लगे.. लेकिन स्नेहा का ये पहली बार था तो उसे बहुत दर्द हुआ और वो दर्द से तड़पने लगी.. लेकिन उसके पति को होश ही नहीं था तो उनका ध्यान इस पर गया ही नहीं। फिर 10-12 मिनट के बाद वो झड़ गए और सारा माल उसकी चूत मे छोड़ दिया और साईड में बेहोश हो गये। फिर उस पूरी रात स्नेहा दर्द से तड़पती रही। इस तरह वो अपने पति से चुदवाते चुदवाते जल्दी ही प्रेग्नेंट हो गई और उस दिन के बाद उसके पति ने उसे आज तक हाथ नहीं लगाया। ये सब कहते हुए उसकी आँखों में आँसू आ गए।
तभी मैंने उसके माथे को चूमते हुए कहा कि अब चिंता मत करो आज से में तुम्हारा ख़याल रखूँगा। तुम्हे पति का सारा सुख दूँगा। फिर मैंने उसे अपने ऊपर लेटा दिया और उसके बूब्स को चूसने लगा वो मेरे लंड को सहलाने लगी। उसके बाद उसने मेरे कपड़े उतार दिए। फिर मैंने उसे बेड पर लेटाकर साड़ी और उसके बाद पेटीकोट को भी खोल दिया। उनके पेट में टांके लगे थे। तभी मैंने पूछा तो उसने बताया कि उसकी बेटी को ऑपरेशन करके निकाला गया है। तभी ये सुनते ही में खुश हो गया क्योंकि उसकी चूत अभी भी टाईट होगी। स्नेहा ने रेड कलर की पेंटी पहनी हुई थी मैंने उसकी पेंटी को भी निकाल दिया और उसकी चूत में बाल थे लेकिन ज़्यादा घने नहीं थे.. वो इतनी गोरी थी कि उसकी चूत के बाल भूरे कलर के थे और चमड़ी के कलर के साथ मिलते थे.. दूर से देखने से पता ही नहीं चलता कि चूत में बाल है। फिर मैंने उसकी चूत पर हाथ लगाया तो उसके मुहं से शह्ह्ह अहह की आवाज़ निकलते हुए उसके शरीर में सिहरन पैदा हो गई.. उसकी चूत अभी भी टाईट थी। फिर मैंने चूत का मुहं खोलकर अंदर देखा तो गुलाबी रंग की दीवार थी और चूत से पानी टपक रहा था में उस गुलाबी चूत को देखकर रह नहीं पाया और उस पर टूट पड़ा और चूसने लगा। तभी मेरे चूत चाटने से उसके शरीर में करंट दौड़ने लगा और वो मेरे बालों को पकड़ कर अपनी चूत में दबाने लगी वाह क्या गरम चूत थी और फिर उसके मुहं से शहह अह्ह्ह्हह्ह क्या कर रहे हो.. निकल रहा था? लेकिन उसकी चूत चाटने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था एकदम रसीली चूत थी उसकी वो मेरे लंड को हाथ से मुठ मार रही थी। फिर स्नेहा ने मुझे बताया कि आज तक किसी ने उसकी चूत नहीं चाटी थी और वो चुदवाने के लिए इतनी भूखी थी कि 5 मिनट चूत चाटने से ही चीख चीखकर झड़ गई और सारा पानी मेरे मुहं पर डाल दिया। दोस्तों ये कहानी आप फन मज़ा मस्ती पर पड़ रहे है।
फिर मैंने उसे लंड चूसने के लिए कहा तो उसने मना कर दिया क्योंकि उसने कभी अपने पति का लंड चूसा ही नहीं था और मेरे बहुत समझाने के बाद ही जाकर उसने मेरे लंड को अपने मुहं में लिया लेकिन मुहं में डालते ही निकाल देती थी उसे लंड चूसना आता ही नहीं था। तभी मैंने उसे कहा कि लंड को मुहं में भरकर आइस्क्रीम की तरह चूसो और अंदर बाहर करो। फिर उसने ऐसा ही किया और मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था क्योंकि वो अज़ीब तरीके से लंड चूस रही थी लंड को मुहं में भरकर बिना बाहर निकाले लोलीपोप की तरह चूसने लगी उसके ऐसे चूसने से मुझे बहुत मज़ा आता था। में उनकी चूत पर हाथ फैर रहा था। उसने मेरे लंड को चूस चूसकर लोहे की रोड बना दिया फिर मैंने स्नेहा को ऊपर उठाया और किस करके बेड पर लेटा दिया।
तभी उसने कहा कि आज से पहले मैंने कभी किसी का लंड नहीं चूसा था.. मुझे बहुत मज़ा आया तुम्हारा लंड चूसकर.. लेकिन ये तो बहुत ही बड़ा है मेरे पति का तो इससे बहुत छोटा है और वो जब मेरी चूत में घुसता था तो मेरी गांड फट जाती थी लेकिन अब पता नहीं इतना बड़ा लंड जब मेरी चूत में घुसेगा तो मेरा क्या हाल होगा? तभी मैंने कहा कि मेरी जान जिन्दगी का यही तो असली मज़ा है पहले दर्द होता है और उसके बाद मज़ा आने लगता है और इतना कहकर में उसके पैरों को फैलाकर बैठ गया लेकिन उसकी चूत को ज्यादा चोदा नहीं गया था इसलिए पैर पूरे खोलने के बाद भी उसकी चूत का मुहं बंद था। फिर मैंने चूत के होंठ को हाथ से खोला और उस पर मेरा लंड रगड़ने लगा लेकिन स्नेहा बहुत कामुक थी उसकी चूत को हाथ लगते ही वो अशह्ह्ह करने लगी थी। मैंने एक हाथ से चूत के होंठो को खोल रखा था और दूसरे हाथ से लंड को पकड़ कर चूत के अंदर डालने लगा। जब भी में ज़ोर लगाकर लंड को अंदर घुसाने लगता तो स्नेहा चिल्ला उठती थी और में रुक जाता था। ऐसा बहुत बार करने के बाद में उसके ऊपर लेट गया और मैंने उसके मुहं को अपने मुहं से बंद कर दिया और लंड पर ढेर सारा थूक लगाकर ज़बरदस्ती चूत के अंदर लंड को घुसेड दिया। इस हरकत से स्नेहा तड़प उठी और उसने अपने हाथ पैर मारने शुरू कर दिए और मैंने उसके दोनों हाथों को अपने हाथों में पकड़ लिया लेकिन मेरे लंड के मुक़ाबले उसकी चूत बहुत टाईट थी तो इतनी कोशिश करने के बाद बस आधा ही लंड चूत में घुस पाया। शायद उसके पति ने नशे की हालत में उसे ठीक से चोदा ही नहीं होगा और उनको क्या पता कि चूत में लंड कितना घुसा है उतने में ही वो शुरू हो जाते थे। फिर स्नेहा ने बताया था कि बहुत बार वो उनका सारा माल बाहर ही गिर जाता था.. लेकिन में तो पूरा लंड घुसाकर ही चोदने वाला था। फिर उस आधे घुसे लंड से ही मैंने उसे चोदना शुरू कर दिया क्योंकि मुझे पता था कि धीरे धीरे वो चूत में चला जाएगा। स्नेहा अह्ह्ह शीई करती रही.. उसके नाख़ून बहुत बड़े बड़े थे और वो उनको मेरी पीठ पर गड़ा रही थी। फिर मैंने एक ज़ोर का धक्का मारकर पूरा लंड चूत में घुसा दिया।
ऐसा करने से स्नेहा को बहुत दर्द होने लगा.. उसकी साँसे फूलने लगी.. चूत से बहुत खून निकलने लगा। तभी में समझ गया कि उसके पति ने कभी पूरा लंड घुसाकर नहीं चोदा है और वैसे भी उसने अपने पति से बहुत कम चुदवाया है और फिर उसकी ऐसी हालत देखकर में थोड़ा रुक गया और उसे किस करने लगा.. बूब्स चूसने लगा और उसके मुहं से ओहह्ह्ह जैसी आवाज़ निकल रही थी। उसके होठों को किस करते करते मैंने उसे चोदना शुरू किया। तभी उसकी आँखों से पानी बहने लगा लेकिन वो तो कई महीनों से चुदाई की आग से जल रही थी तो वो अपने दर्द को सहने की कोशिश कर रही थी। मुझे भी बड़ा मज़ा आ रहा था उसे चोदने में.. क्योंकि वो भी मेरा साथ दे रही थी और मेरे शरीर पर हाथ चला रही थी। फिर हम दोनों ही चुदाई की मस्ती में मधहोश थे फिर ऐसे ही कुछ देर चोदने के बाद मैंने उसे उल्टा सोने को कहा ताकि में उसकी गांड मार सकूँ।
उसे पता ही नहीं था कि गांड में भी लंड घुसाकर चोदा जाता है स्नेहा ने मुझे कहा कि गांड नहीं सिर्फ़ चूत चोदो क्योंकि चूत चुदवाने में जब इतना दर्द हो रहा है तो गांड का छेद तो बहुत छोटा होता है और इतना बड़ा लंड अगर उसमे घुसेगा तो में मर जाऊंगी। तभी मैंने उसे समझाया कि एक बार गांड चुदवा कर देखो कैसा लगता है अगर तुम्हे अच्छा नहीं लगे तो अगली बार से गांड नहीं मारूँगा। मैंने किसी तरह उसे गांड मरवाने के लिए मना लिया। फिर मैंने उसे उल्टा लेटने को कहा वो मुहं के बल लेट गयी उसके ड्रेसिंग टेबल से मैंने वैसलीन के डब्बे से बहुत सारी वैसलीन उंगली में लगा कर गांड के छेद में घुसा दी जिससे अंदर तक अच्छे से लग सके और थोड़ा सा मेरे लंड पर भी लगा ली और उसे गांड को दोनों तरफ से फैलाने के लिए कहा ताकि में लंड आराम से डाल सकूँ। फिर स्नेहा ने गांड को अपनी दोनों हाथों से खोला और में लंड हाथ में पकड़कर अंदर डालने लगा.. लेकिन उसकी गांड बहुत टाईट थी इसलिए लंड घुसाने में तकलीफ़ हो रही थी। फिर जैसे ही लंड का गुलाबी हिस्सा गांड के अंदर घुसा स्नेहा चीख पड़ी ओह्ह्ह माँ बहुत दर्द हो रहा है शईईइ अह्ह्ह्ह ज़रा धीरे डालो। फिर में उसकी पीठ को चूमने लगा और चूचियों को दबाने लगा। तभी मैंने एक जोर का धक्का मारकर पूरा लंड उसकी गांड में घुसा दिया और उसकी गांड के अंदर की दिवारों को चीरता हुआ मेरा लंड जड़ तक घुस गया। स्नेहा चिल्ला रही थी शीईई ऑश निकालो सहा नहीं जाता। फिर मैंने उसकी एक भी बात नहीं सुनी और चोदने लगा गांड तो बहुत टाईट थी लेकिन वैसलीन की चिकनाहट के कारण लंड जड़ तक अंदर बाहर हो रहा था। तभी कुछ देर बाद धीरे धीरे चोदने के बाद मैंने स्पीड बड़ा दी और स्नेहा चिल्लाती रही और में पागलों की तरह उसकी गांड मारता रहा। फिर मैंने उसकी गांड करीब 10 मिनट तक मारी। उसके बाद मैंने उसे सोफे के ऊपर ही बैठा दिया और एक पैर नीचे तो दूसरे को अपने कंधे में उठाकर लंड को चूत में डाल दिया और उसकी जांघ को पकड़ कर तेज़ी से चोदने लगा एसे चोदने से लंड सीधा चूत के अंडर तक घुस रहा था। स्नेहा सोफे पर झुक गयी थी और थोड़ा उसके बाद मैंने लंड को चूत में डाले हुए उसे गोद में उठाकर खड़े खड़े चोदने लगा।
फिर स्नेहा ने मेरे गले में अपने दोनों हाथ डाल रखे थे और उसे बहुत दर्द हो रहा था। फिर में सोफे पर बैठ गया और उसे लंड के ऊपर बैठा दिया और नीचे से चोदने लगा उसकी पीठ मेरी तरफ थी। मैंने उसकी दोनों चूचियों को पकड़ा और ज़ोर जोर से दबाने लगा। उसी तरीके से मैंने उसकी चूत से लंड निकाल कर फिर से गांड में डाल दिया और चोदने लगा। फिर जब भी मेरा लंड जड़ तक घुसता था तो मेरा शरीर उसके चूतड़ से टकराकर फच फच की आवाज़ निकाल रहा था। फिर में आगे हाथ ले जाकर उसके चूत में उंगली डालकर चोदने लगा और में उसे दोनों तरफ से चोद रहा था। फिर स्नेहा को भी मज़ा आने लगा था और वो भी ऊपर नीचे हो रही थी। फिर मैंने उसे बेड पर लेटाकर एक बार और लंड चुसवाने के बाद उसके पैर खोलकर आगे से चूत में लंड डालकर चोदने लगा स्नेहा बहुत सेक्सी औरत थी और वो मदहोश होकर चुदवा रही थी और उसकी आँखें आधी बंद थी।
फिर जब मेरा वीर्य निकलने वाला था तो में उसके ऊपर लेट गया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा। तभी इस बीच वो 5-6 बार झड़ चुकी थी और उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकलकर बिस्तर पर, सोफे पर और ज़मीन पर भी गिरा था। उसकी चूत में जो बाल थे उसके साथ साथ मेरे लंड के बाल भी पूरे भीग चुके थे और में झड़ने वाला था और वो भी झड़ने वाली थी तो हम दोनों ही मजे ले रहे थे। फिर स्नेहा झड़ गयी और उसकी चूत का गरम पानी मेरे लंड पर लगते ही मेरा भी वीर्य निकलना शुरू हो गया और हम दोनों ने एक दूसरे को कसकर पकड़ लिया और में ज़ोर के झटके मार मार के झड़ने लगा। फिर में आखरी बूँद निकलने तक चूत में झटके मार रहा था और जब सारा वीर्य उसकी चूत में गिरा दिया तो में थक कर उसके ऊपर लेट गया और वो भी मुझे अपनी बाहों में पकड़ कर लेट गयी। तभी कुछ देर बाद मैंने उसके गाल को चूमा और लंड को बाहर निकाला। फिर हम दोनों ने साथ में बाथरूम जाकर एक दूसरे को अच्छे से साफ किया और फिर कपड़े पहन कर बेड पर लेट गये। स्नेहा मेरे हाथ पर सर रखकर लेटी हुई थी उसने मेरे ऊपर अपने दोनों हाथ रखे हुए थे। तभी स्नेहा ने कहा कि आज से पहले मुझे पता ही नहीं था कि चुदाई में इतना मज़ा आता है अगर तुम नहीं होते तो मेरी जवानी एसे ही बेकार चली जाती आज के बाद में तुम्हारी पत्नी हूँ.. जो कुछ में अपने पति के लिए करती हूँ वो सब तुम्हारे लिए करूँगी। वो तो बाहर वाली के चक्कर में मुझ पर कभी ध्यान ही नहीं देते.. रात को देर से आते है वो भी नशे की हालत में और आते ही बिना कपड़े उतारे सो जाते है। अब से तुम रात को भी आकर मुझे चोदना में तुम्हारे साथ दूसरे कमरे में सो जाउंगी।
फिर इतना कहने के बाद उसकी आँखों में आँसू आ गए और फिर मैंने कहा कि रोना मत भाभी.. आज से मेरे ऊपर आपका हक है आप जैसा कहोगी में वैसा ही करूँगा। फिर इस तरह हमारी प्रेम कहानी शुरू हुई। तब से में रोज़ रात को उनके घर में जाकर उनको चोदने लगा और सुबह 5 बजे में वहाँ से चला आता था। फिर दिन में उर्मिला भाभी को चोदता था और फिर छुट्टी के दिन में रिमी और उसकी माँ दोनों को एक साथ चोदता था। ये मेरा रोज़ का प्रोग्राम हो गया था।
फिर जब उनकी बेटी 3 साल की हुई तो उसे अपनी माँ (बेटी की नानी) के पास भेज दिया। स्नेहा भाभी का मयका उसी शहर में था और उनके घर के पास ही बच्चों का अच्छा स्कूल था। फिर वो बच्ची वहाँ पर रहकर पढ़ने लगी उनकी बेटी के जाने के बाद हमे चुदाई करने का और ज़्यादा टाईम मिला। फिर 2 साल बाद उनको एक बेटा हुआ जिसका बाप में ही था और उसके बाद भी जब तक में उस शहर में था और उनको चोदने जाता था और आज भी मेरी उनसे फोन पर कई बार बात होती है। में जब भी अपने घर जाता हूँ स्नेहा भाभी को होटल में ले जाकर चोदता हूँ लेकिन आज कल वो थोड़ी मोटी हो गई है.. लेकिन दिखने में पहले से भी खूबसूरत हो गई है ।।\









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