FUN-MAZA-MASTI
गौरी और चंपा
मैं ४२ वर्षीय सरकारी कर्मचारी हूँ और अक्सर सरकारी महकमे एक स्थान से दुसरे स्थान मेरा ऑडिटिंग के लिए ५-६ महीनो के लिए तबादला होते रहता हैं. पिछले २ महीने से मेरा तबादला सांगानेर जो की जयपुर के करीब हैं वहां हो गया था इसलिए मैंने किराये का मकान लिया जो की सभी साधनों से परिपूर्ण था यानि की किराये के मकान में टीवी फ्रिज फर्नीचर आदि थे. जहां मैं रहता था वहां पडोसी की सहायता से घर का काम करने वाली नौकरानी मिल गयी थी वो गरीब थी अरे मकान के करीब ही झुग्गी झोपड़ी में रहती थी उसका नाम गौरी हैं वो थोड़ी सांवली व गदराये बदन की मलिका थी उसके नितम्ब मुझे काफी अच्छे लगते थे जब वो घर में झाड़ू बुहार करती तो उसके नितम्ब मटकाने लगते थे. गौरी करीब ३८ साल की थी मैं अक्सर उसे पैसे की मदद करता रहता था इसलिए वो मन लगा कर घर का सारा काम करती थी. घर की एक चाभी उसके पास होती थी. वो सुबह करीब ७ बजे आकर चाय नास्ता बनती थी तब तक मैं नहा धोकर तयार हो जाया करता हूँ फिर मैं थोड़ी देर समाचार देख कर नास्ता करके दफ्तर के लिए निकाल जाता हूँ. गौरी घर में रह कर कपडे धोने व कमरे में पोता लगाती हैं फिर अपने लिए खाना बनती हैं खाना खाकर कभी कभार वो मेरे मकान में आराम करती हैं या फिर वो अपने घर चली जाती हैं केवल शनिवार व रविवार को मेरे अवकाश का दिन होता था और अवकाश के दिन मैं सुबह देर तक सोता था इसलिए वो करीब ९ बजे आती थी तो रात को खाना बनाकर चली जाती थी. उस दिन शनिवार था करीब १०:३० बजे गौरी ने कमरे में आकर आवाज लगाई साहेब उठो काफी समय हो गया हैं जब मैं उसकी आवाज से उठा तो देखा मेरी लुनघि एक ओर सरकी थी और अंडर वियर के साईड से नाग राज निकाल कर फन फ़ना रहा था जैसे ही मेरी नजर वहां पड़ी तो मैंने ने नाग राज को पिटारे में ढक कर उठा तो गौरी तब तक वहीँ खड़ी होकर शायद नाग राज को निहार रही थी जब हमारी आंखे चार गयी तो वो टेबल पर चाय रख कर निचे सिर करके कमरे से बाहर निकाल गयी मैं नहा धोकर नास्ता करके बजार निकाल गया और आधा किलो मटन व विस्की की बोतल लेकर आया गौरी को मटन देकर मटन बनाने को कहा और कमरे में आकर टी वी देखने लगा. टी वी पर कोई पुरानी फिल्म आ रही थी इसलिए मशगुल होकर फिल्म देखने लगा करीब पाने घंटे में फिल्म ख़तम हो गयी, तब मैं उठ कर एक ग्लास और कुछ नमकीन लेकर विस्की पीने लगा. गौरी ने मटन बना चुकी थी और कुक्कर में चावल चडा रही थी मैं अपने कमरे में आकर टी वी देखते हुये विस्की की चुस्की लेने लगा इतने में रसोई घर से कुछ गिरने की आवाज आई तो मैं रसोई घर की ओर गया तो देखा गौरी जमीन पर गिरी पड़ी थी और उसके ऊपर तेल का डिब्बा गिरा था मैंने कहा गौरी लगी तो नहीं उसने कहा नहीं साहेब तेल का डिब्बा हाथ से फिसल गया मैंने कहा कोई बात नहीं. गौरी की साडी और बिलाउज तेल से तर बतर हो चुके थे मैंने उसे सहारा देख उठाया तो वो उठ कर जमीन से तेल साफ़ करने लगी मैं अपने कमरे में आगया जब वो तेल साफ कर चुकी तो बोली -साहेब मैं घर जाकर कपडे बदल कर आती हूँ -जाके आने में काफी समय लग जायेगा यहीं बाथ रूम में जाकर नहालो और कपडे धो लो -पर साहेब पहनने के लिए यहाँ पर दुसरे कपडे भी तो नहीं हैं -यह तो तुम ठीक कह रही हो , एक काम करो जब तक तुम्हारे कपडे सूखते नहीं तब तक मेरी लुन्घी लपेट लो और मेरा कुअर्ता पहन लो -मुझे शर्म आती हैं साहेब -इसमें शर्मना कैसा, तुम तो रसोई में होगी कोई आएगा थोड़ी फिर मैंने उसे लुन्घी व कुरता दिया वो बाथ रूम में नहाने चली गयी. और मैं जाम का दौर जारी रख कर टी वी देखने लगा धीरे धीरे जाम का घूंट पी कर टी वी पर इंग्लिश फिल्म का आनंद ले रहा था. करीब १ बजे मैं रसोई घर में बर्फ लेने गया तो देखा गौरी लुनघि व कुरता पहनकर काम कर रही थी सफ़ेद रंग की लुनघि थी जिसे मैंने मद्रास से खरीदी थी और लुनघि के ऊपर महीन मलमल का कुरता पहना था उसका सांवला रूप सफ़ेद कपड़ो में काफी निखार रहा था मैं बर्फ लेकर गौरी से बोला की एक प्लेट में थोडा मटन लेकर आना. वो कुछ देर बाद प्लेट में मटन लेकर कमरे में आई और टेबल पर प्लेट रख कर टी वी की और फिल्म देखने लगी . -काम हो गया गौरी ? -जी साहेब हो गया (कह कर वो जाने लगी) -सुनो काम हो गया तो यहीं बैठ जाओ और फिल्म देखो -साहेब यह अंग्रेजी फिल्म हैं मुझे कहाँ समज आएगी -कोई बात नहीं, चलो तुम्हारे लिए चेनल बदल देता हूँ मैंने चेनल बदल कर हिंदी फिल्म लगाया और वो एक कोने में बैठ कर फिल्म देखने लगी. मैं भी फिल्म देखते हुवे जाम का घूंट लेते हुवे कभी कभार गौरी की और देख लेता था. उसका चेहरा आज कुछ खाश व आकर्षक लग रहा था शायद उसने अच्छे साबुन से स्नान किया था. - गौरी तुम्हे कितने बच्चे हैं - साहेब एक ही लड़का हैं -क्या उम्र हैं उसकी -१९ साल का हैं पिछले साल ही उसकी शादी हुई हैं -इतना बड़ा हैं, तुम्हारी शादी कब हुई थी -साहेब जब में १६ साल की थी तब ही मेरी शादी हो गयी थी हम लोगो में काम उम्र में ही शादी कर देते हैं -क्या काम करता हैं वो -वो बॉम्बे में रिक्शा चलता हैं -घर में कौन कौन रहते हैं -मैं , मेरा पति और बहु -पति क्या करता हैं -जी वो दिन दिहाड़ी पर मजदूरी करता हैं - तो अच्छा खासा कम लेता होगा -साहेब क्या काख कमाता हैं जितना कमाता हैं आधे से जयादा वो शराब में उडाता हैं इसलिए तो मुझे और बहु को काम करना पड़ता हैं -बहु कितने घर में काम करती हैं -एक ही घर का, क्यों की उसे घर में भी काम होता हैं -खेर पति तो सुख देता होगा -क्या काख देता हैं १५-२० साल से बस उसे मजदूरी व शराब की लत लगी हैं -मैंने सुना हैं की तुम लोगो में औरते भी नशा करती हैं -जी साहेब कभी कभी थकान मिटाने के लिए थोड़ी बहुत शराब पीनी पड़ती हैं -तुम पियोगी ? -साहेब काम कौन करेगा -काम तो ख़त्म हो चूका हैं चलो थोड़ी पी लो -यह अंग्रेजी हैं साहेब मैंने आज तक पी नहीं हैं -कोई बात नहीं आज पी कर देखो वो उठ कर रसोई से एक ग्लास ले कर आई. मैंने उसे एक जाम दिया तो वो जमीन पर मेरे विपरीत दिशा में दिवार का सहारा लेकर बैठ कर पीने लगी. कुछ देर तक हम दोनों में कोई बातचीत नहीं हुई और हम जाम का घूंट लेकर फिल्म देख रहे थे. इतने में फिल्म का दृश्य काफी रोमांचित था हीरो हिरोईन का दीर्घ चुम्बन ले रहा था हिरोईन का चेहरा मानों लग रहा था की वो उन्मादित होने लगी हैं तब मुझे कोने में कुछ हलचल मह्सुश होई मैंने तिरछी नजर से देखा तो गौरी का चेहरा में उन्मादित लग रहा था और वो दिवार का सहर लेकर बैठी थी उसके घुटनों को मुड़े हुवे थे और पैर के तलवे जमीन पर थे दोनों घुटने थोड़े फैले थे जिस कारण उनकी लुनघि भी मध्य भाग से थोड़ी खुल कर फ़ैल चुकी थी जिस कारण मुझे उनकी चुत के ऊपर उगे झांटों की झलक दिखाई देने लगी. अब मेरा मन फिल्म में कम व गौरी के गुप्तांगो पर थी. हम दोनों को शराब का सरुर छाने लगा था ऊपर से गौरी फिल्माकन की उतेजित दृश्य को देखर उन्मादित होने लगी थी व मैं गुप्तांको का नजारा देख कर वासना के सागर में गोते लगाने लगा. इतने में गौरी ने ग्लास ख़तम किया और स्वयं अपने हाथो से अपने लिए जाम बना कर फिर फिल्म में खो गयी. मेरी नजर तो फिल्म में कम और उसके तन बदन को निहारने पर ज्यादा था कुरते से उसकी चुचिओं का उभार बड़ा मन मोहक था महीन कपडे के कुरते से उसकी काली काली चुन्ची और उसके तने हुवे निपल्स सांसो के कारण जब फूलते पिचकते थे तब बड़ा मजा आरहा था मन कर रहा था की जाके गौरी के मम्मो को दबा दूँ पर लिहाज के मारे कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था और मुझे स्वयम पर भरोसा था की वो मुझे से चुदवाने में कोई इतराज नहीं करेगी क्यों की उसकी बातों से पिछले १५-२० सालों से वो सम्भोग से वंचित थी इसलिए बस मैं मोके की तलाश में लगा रहा फिल्म कब खत्म हुई पता नहीं चला तब वो बोली -साहेब खाना लगा दूँ ? -मुझे अभी भूक नहीं हैं बाद में खाऊंगा पर तुम्हे भूक लगी हो तो खालो -मैं भी बाद में खाऊंगा फिर मैंने अपने लिए एक और जाम बनाया उसने भी अपने ग्लास में थोडा डाला और रसोई से प्लेट में मटन लेकर आई मैंने कहा गौरी जरा बर्फ भी ले आना तो वो बर्फ लाई और मेरे ग्लास में बर्फ डालने के लिए झुकी तो कुरते के सामने के कट से उसके बड़े बड़े उरोज के दीदार होने लगे बर्फ डाल कर वो अपने स्थान में घुटनों को मोड़ कर तलवे को जमीन पर रख कर दिवार का सहारा लेकर बैठ गयी टी वी में गाने आरहे थे तो वो गाने के धुन पर अपने पैरों को हिलाकर जाम की चुस्की लेने लगाई घुटने फैलने के कारण फिर से उसके गुप्तांगो का दर्शन होने लगा अबकी बार पहले के अपेक्षा घुटने ज्यादा फैले थे इसलिए झांटों के बिच उसकी चुत के होठ आपस में चिपके थे और सिंग दाने के समान चुत का दाना उसके गुप्तांगो को अत्यधिक आकर्षक कर रहा था की यका यक गौरी ने मेरी और देखा, मैं तो गुप्तांगो को देखने में मग्न था और पजामे ने तम्बू का ऋण धारण कर लिए था क्यों की लैंड राज खम्बे के समान तन कर चुत रानी को सलामी ठोक रहा था जब गौरी की आवाज सुनी तो तन्द्रा से टूट कर उसके चहेरे को देखा मैं समज गया की वो जान चुकी हैं की मैं उसकी चुत रानी को टक टकी लगा कर घुर रहा था जब हमारी नजरे चार हुई तो मैं शर्म से उस और चेहरा घुमा लिया -साहेब क्या देख रहे हो ? -हम्म कक्क कुछ नहीं बस मैं तो तुमे देख रहा था वो अब टक वैसी की वैसी बठी थी बल्कि थोड़े पैर और चौड़ा कर दिया था - कैसी लग रही हैं ? -क्या मतलब -मैं कैसी लग रही हूँ -बहुत बढ़िया और जानदार हैं आओ मेरे बगल में बैठ जाओ (वो उठ कर मेरे बगल में बैठ गयी) - साहेब आप का भी अच्छा हैं ऐसा मैंने कभी नहीं देखा -क्या मतलब गौरी ? (मैंने अनजान बनते हुवे बोला) -मेरा मतलब साहेब आपका बदन ही हीही (कह कर शर्मा कर हसने लगी) मैं समज गया की लोहा गर्म होने लगा हैं अब देर नहीं करनी चाहिए और मैंने उसके कंदों पर एक हाथ रख दिया वो चुप चाप नजरे झुकाए बैठी थी और उसका एक हाथ मेरे दाहिने पर था तब मैंने हिम्मत करके उसके गलों को चूम लिया उसने कोई प्रतिरोध नहीं किया एक तो शराब का नशा ऊपर से कमान्न्द का उन्मांद उस पर छाने लगा था चहेरा और होठ सुर्खमई हो चुके थे - गौरी सच सच बताना अच्छा लग रहा हैं या नहीं अगर नहीं अच्छा लग रहा हैं तो मैं कुछ नहीं करूँगा -ह्ह्ह म्मम्म हाँ अच्छा लग रहा हैं (उसकी गर्दन झुकी थी) - यह बताओ कितने सालों से तेरे पति ने नहीं छुया तुझे - १५-२० साल से पर आज जाने क्यों करवाने के बहुत मन हो रहा हैं सुबह जब मैंने आप के लवडे को देखा तो दंग रह गयी थी ऐसा मैंने कभी नहीं देखा था फिर जब फिल्म में भी चूमा चाटी देखि तो और उतेजना बढ गयी -कोई बात नहीं आज मैं ऐसा सुख दूंगा जो तुमने कभी जिंदगी में नहीं लिया होगा या इस प्रकार की सुख की कल्पना भी नहीं की होगी कह कर मैं उसकी चुचियों को दबाते हुवे चूम रहा था कभी माथे पर कभी गालों पर कभी होठों पर तो कभी कानो व गर्दन के पास वो तो बस आंखे बंद किये बैठी थी भीर मैंने उसका कुरता और लुनघि उतार कर खुद भी नंगा हो गया और उसकी चुचिओं से खिलवाड़ करते हुवे अंग अंग को चूम रहा था वो भी मेरे लैंड को पकड़ कर सहला रही थी कुछ देर बाद मैंने एक हाथ से चुचिओं की घुंडी ऊँगली व अन्घुठे के बीच पकड़ कर मसल रहा था और दुसरे हाथ से उसकी झांटो सहित चुत के दाने और फांक को रगड़ रहा था इस कारण वो सिस्कारिया ले रही थे ऊऊऊऊईईईई ऊऊ फफफफ ऊह्ह्ह्ह लग रहा था की वो इस तरह की क्रीडा से वंचित थी या पति ने केवल चुत में लैंड डाल कर चुदाई की होगी वैसे भी गरीब अनपढ़ लोगो को रति क्रिया का पूर्ण ज्ञान नहीं होता हाई वो तो बस केवल चुत में लैंड डाल कर चुदाई करना जानते हैं. आप लोगो को पता ही होगा की चुदाई केवल कुछ मिनटों का खेल हैं पर चुदाई से पहले चूमा चाटी करके पति पत्नी दोनों कामुक होकर उतेजित हो जाते हैं फिर चुदाई के मैदान में काफी देर तक टिके रहते हैं. इसलिए चुदाई से पूर्व मैं गौरी को चूमा चाटी करके अत्यधिक उतेजित कर रहा था और मेरे इस क्रिया से उसे काफी मजा आ रहा था. फिर मैं उठ कर जमीन पर उसके पैरों को फैला कर बैठ गया और उसकी चुत को चूमने लगा तब वो बोली -छि छि साहेब यह गन्दी जगह हैं यंहा मुख नहीं लागाते हैं -अरे गौरी यह गन्दी जगह नहीं हैं यह तो परम सुख देने वाली जगह हैं. मैं जैसे करता हूँ और कहता हूँ तुम वैसी करोगी तो अपार सुख मिलेगा जो शायद तुमने कभी नहीं लिया होगा फिर मैं उसकी चुत को अपनी जीभ से चाटने लगा और बिच बिच में जीभ को चुत में घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा बिच बिच में होंटों से चुत की संतरे रूपी किनारे (पंखुडियां) व दाने को खीचने लगा वो तो यह सब क्रिया कलाप से उन्माद में विचिलित होकर जोर जोर से कहराने लगी और मेरी सिर को पकड़ के अपनी चुत की ओर दबाव डालने लगी करीब ५-१० मिनट्स की चुत चटाई के दौरान वो कास कर मेरे सिर को चुत के ऊपर दबाते हुवे चुत को फूलते पिचकते हुवे मेरे मुह में ढेर सारा स्वादहीन सफ़ेद सफ़ेद गाडा चुत रस डाल दिया और जोर जोर से हाफ़ने लगी मैं भी जमीन से उठ कर खड़ा हो गया. मेरा लैंड तो लोहे के समान तना था -क्यों गौरी मजा आया ? -साहेबजी इस तरह का मजा मैंने जिन्दगी में कभी नहीं लिया वाकई आप शानदार तरीके से मेरी चुत को परम सुख दिया -अब सुनो जिस तरह मैंने तुम्हारी चुत चुसाई की उसी तरह मेरे लवडे को मुह में लेकर चुसो, बहुत मजा आएगा -मुझे हिचक होती हैं मुह में लेने के लिए -अगर पूरा मजा लेना हैं तो हिचक शर्म हया छोड़ दो. लो पहले लवडे को चूमो फिर मुह में लेकर चुसो मैं उसके मुह के करीब लवड़ा रखा तो वो हाथ में पकड़ कर हिचकचाते हुवे पहले सुपाडे से लेकर अंडकोष तक चूमा लिया फिर सुपाडे को दोनों होठो के बिच दबाया तो मैंने उसके सिर को पकड़ कर लैंड को मुह में ठेल कर पहले धीरे धीरे सुपाडे तक अन्दर बाहर करने लगा फिर करीब आधा लैंड तक चूसने लगी वो चूस रही थी और मैंने एक हाथ से सिर पकड़ कर लवडे के जड़ तक दबाव डालने के प्रयत्न कर रहा था तो एक हाथ से उसकी चुचिओं को मसल रहा था वो बस आधे से थोडा ज्यादा तक लवडे को लील सकी मैं थोडा और मुह में डालने का दबाव दिया तो उसे उबकाई आने लगी और मुह से लार गिरने लगा तब मैंने ज्यादा अन्दर डालने का प्रयत्न नहीं किया और उसकी मुह में आधे लैंड डाल कर मुह चुदाई कर रहा था कुछ ही देर में मैंने उसके मुह में अपना वीर्य डाल दिया पहले तो उसने वीर्य को मुह से बाहर निकला फिर मजे लेकर बचा कूचा वीर्य गिट गयी. थोड़ी देर आराम करने के बाद हम फिर से काम क्रीडा में खोने लगे मैं चुमते हुवे उसके स्तन को दबा रहा था वो चुत को सहला कर उसे गरमा रहा था जबकि वो मेरे लैंड को सहलाते हुवे चुम्बनों का प्रतिसाद दे रही थी हम दोनों काफी गरमा गए थे तब मैं लेट गया और उसे कहा की मेरे ऊपर बैठ कर लवडे को अपनी चुत में डालो तब वो मेरे कमर के दोनों ओर पैर रख कर अपनी चुत में थुक लगाया और लैंड को पकड़ कर चुत पर रगड़ी और फिर चुत के मुहाने सुपाडे को रख कर अपनी चूतडों को धीरे धीरे ऊपर निचे करने लगी उसकी चुत पनिया गयी थी इसलिए लैंड आसानी से उसकी चुत में समाने लगा फिर उसने अपने चूतडों को हिलाने की गति बड़ा दी मैं समज गया की वो उतेजित होचुकी हैं इसलिए उसके होठों को चुमते हुवे चुचिओं की घुंडी को मसल ने लगा कमरे में फचा फच फचा फच की आवाज गूंजने लगी उसकी चुत की दीवारे मेरे लैंड को कस कर जकडे हुवे थी आखिर मेरे लैंड पर उसकी चुत की दीवारों ने फड़कते हुवे चुत रस छोड़ दिया और गौरी जोर जोर से हाफ़ने लगी और वो उठ कर मेरे बगल में लेट गयी जब तक उसकी सांसे संतुलित हुई तब तक मैं उसके स्तन को दबा रहा था वो चुत को सहला कर उसे फिर से गरमा रहा था जबकि वो मेरे लोहे समान लैंड को अपने कोमल हाथो से सहला रही थी कुछ ही देर में वो उतेजित हो गयी और कहराने लगी ऊऊऊईईईईईईईई ममाआआ ऊउफ़्फ़्फ़ डा आआअ ल्लल्लल दो आआआआ फिर मैं उठ कर उसके कमर के निचे तकिया लगाया और उसके दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ कर फैला कर उसकी काली चुत के मुहाने सुपाडा रख कर धीरे धीरे चुत की गहरई में उतारने लगा ऊउफ़्फ़्फ़ क्या कशी चुत थी उसको चुमते हुवे चुदाई की गति बड़ा दी कमरे में चुदाई की लुभावनी आवाजे गूंजने लगी फिर मैं आसन बदल ने चाहा इसलिए उसकी चुत से जब लैंड निकला तो उसकी काली चुत की पंखुड़ियों के बिच गुलाबी भाग काफी मन मोहक लग रहा था फिर मैंने उसे घुटनों और हाथों के बल यानि की डॉगी अवस्था में करके उसके चूतडों को पकड़ कर चुत में लैंड पेलने लगा उसकी चुतड पर मैं तो पहले से फ़िदा था कुछ देर तक तो उसकी चुत को जोर जोर से चोद रहा था फिर मैंने सोचा की चलो गौरी की गांड मारी जाय इसलिए मैंने अपने लैंड को चुत से बाहर निकला और उसको उसी अवस्था में रहने को कहा फिर तेल की शीशी लेकर आया जब मैंने पिछवाड़े से उसकी चुत और गांड देखि तो मैं तो बस मुग्ध हो गया क्या नजारा था काले काले झांटो से बैगनी रंग की पंखुड़ियों के बिच गुलाबी गुलाबी चुत की गहराई उफ़ क्यों दृश्य था मैं तेल की शीशी से तेल निकाल कर अपने लैंड को तेल से तरबतर कर दिया फिर उसकी गांड में तेल युक्त उंगली डाली तो वो बोली - यहाँ नहीं डालो कोई भी यहाँ नहीं डालते हैं -गौरी गांड की चुदाई का भी बड़ा मजा आता हैं सच कहता हूँ एक बार गांड की चुदाई करोगी तो हर बार गांड मराये बिना नहीं रहोगी -साहेब जी गांड का छेद चुत की अपेक्षा छोटा होता हैं जरा संबल कर डालना -गौरी डरों नहीं बड़े आराम से चोदउंगा फिर मैंने तेल युक्त उंगली तो अंदर बाहर करने लगा जिस कारण उसकी टाईट गांड के छेद थोडा खुल गया था उसकी काली गांड के छेद भी मन भावक था अब मुझसे रहा नहीं गया और ढेर सारा तेल लैंड के सुपाडे पर मल कर सुपाडे को गांड के छेद पर रख कर थोडा दबाव डाला तो सुपाडा गांड को चीरता हुवा गांड में घुसाने लगा पर गौरी को दर्द हो रहा था जिस कारण उसने अपने गांड के छेद को सिकुड़ लिया जिस वजह से सुपाडा फिसल कर गांड से बाहर आगया, फिर मैं पुनः एक बार सुपाडे पर तेल लगा कर गांड के मुख पर रख कर उसके मोटे मोटे चूतडों को पकड़ कर गांड में लैंड डालने की कोशिश की पर नाकामयाब रहा क्यों की गौरी दर्द के मारे फिर गांड सिकुड़ ली थी पर इस कर पहले की अपेक्षा सुपाडा थोडा ज्यादा अन्दर गया था मैंने ५-६ बार कोशिश की पर हर बार वो गांड को सिकुड़ लेती थी और सुपाडा फिसल कर बाहर आजाता था पर हर प्रयत्न पर लैंड थोडा ज्यादा अंदर घुस जाता था इस बार तो सुपाडा पूरा घुस गया था पर मारे दर्द के गौरी ने गांड को सिकुड़ कर सुपाडे को गांड से बाहर कर दिया था -गौरी बार बार गांड को मत सिकुडो -साहेब दर्द होता हैं -थोडा सहन करो फिर देखो कितना मजा आता हैं -मैंने आज तक यहाँ नहीं डलवाया था इसलिए गांड में दर्द होता हैं -थोडा सहन करो फिर देखो मजा कह कर मैंने फिर से लैंड को तेल से तरबतर किया और उसके मोटे चूतडों को कस कर पकड़ कर लैंड को गांड में धीरे धीरे ठेलने लगा , लैंड भी आहिस्ता आहिस्ता, गांड की दीवारों को चीरता हुवा गांड की गहराई में समाने लगा. गौरी दर्द के मारे छटपटा रही थी और कहरा रही थी जब पूरा का पूरा लैंड गांड में घुस गया तो मैं बिना कोई हरकत किये उसके गांड में लैंड डाले रहा और उसके पीठ पर चुम्बों की बोछार करते हुवे चुचिओं को दबाने मसल ने लगा जब कुछ देर बाद जब उसका दर्द काम हुवा तो चुचिओं को मसलने के कारण वो उन्मादित होने लगी और आहिस्ता आहिस्ता अपने चूतडों को आगे पीछे हिलाने लगी जिस वजह से मेरा लवड़ा धीरे धीरे अन्दर बाहर आने जाने लगा मुझे भी उसकी चिकनी गांड का घर्षण लुभाने लगा फिर मैं उसके चूतडों को पकड़ कर गौरी की गांड मारने लगा अब उसे दर्द कम व मजा आने लगा करीब ५-६ मिनट्स के उपरांत मैं उसकी गांड में झड़ गया और ढेर सारा लैंड रस गांड में उढेल दिया जब मैं उसकी गांड से लैंड को निकला तो उसके गांड का छेद किसी बोतल के मुह के समान बड़ा होगया था और उसमे से लैंड रस बहता हुवा चुत की ओर जाने लगा मैं तो गौरी को चोद कर और गांड मारकर निहाल हो गया -गौरी कैसा लगा , मजा आया ? -साहेब पहली बार गांड में डलवाई हूँ इसलिए पहले तो तकलीफ हुई फिर मजा आने लगा अब तो हमेशा आप से चुवौंगी और गांड भी मरवाउंगी वाकई आप का लैंड तो जानदार हैं फिर हम दोनों ने मिलकर खाना खाया और कुछ देर विश्राम के बाद फिर से चुसाई चुदाई करने लगे. अब तो नित्य कर्म बन गया था जब भी वो सुबह आती तो पहेले हम चुदाई करते थे फिर काम और शनिवार से लेकर रविवार तक भिन्न भिन्न तरीके से चुदाई करते थे और वो गांड भी मरवाती थी इस तरह खुश हाली से दिन बीत रहे थे और चुदाई के साथ साथ मैं पैसे पानी में मदद भी करता था एक दिन गौरी ने अपनी बहु चंपा को अपने संग काम करने लाई उसदिन गौरी और मैं चंपा के होने के कारण चुदाई से वंचित हो गए थे. चंपा करीब १७ साल की दुबली व गेहुँवा रंग की कमसिन थी उसके बूब्स ज्यादा बड़े नहीं थे पर उसके उभार आकर्षक थे. अब मैं चंपा की चुदाई के बारे में सोचने लगा पर इस बारे में गौरी से कोई जिक्र नहीं किया और मोके के इंतजार में लगा रहा. आखिर इश्वर ने मेरी प्राथना सुन ली और चंपा को चोदने का अवसर दिया. उसदिन १५ अगस्त था इसलिए मेरी छुटी थी सयोग से उस दिन मैं जल्दी उठ गया. पर अब तक गौरी नहीं आई थी इसलिए मैं टी वी में समाचार देख कर उसका इन्तेजार करने लगा इतने में दरवाजा खुलने की आहट हुई मैं समज गया की गौरी आई होगी और गौरी की चुदाई की कल्पना करने लगा जिस कारण मेरी लुनघि तम्बू के समान तन गयी क्योंकि लैंड राज खड़े होकर गौरी की चुत का इन्तेजार करने लगा था. थोड़ी देर में चाय लेगर गौरी की जगह चंपा आई उसने टेबल पर चाय रखी और मेरी और देख कर मुस्कुराई, -चंपा आज गौरी क्यों नहीं आई -जी माजी को बुखार चढ़ गया हैं इसलिए आज वो नहीं आई उनके बदले मैं आगई फिर उसकी नजर मेरे तम्बू पर पड़ी तो वो सिर झुका कर कमरे से निकल गयी. मैं भी लैंड तो अडजस्ट करके चाय पी और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया. नहाकर टावेल लपेट कर बाहर आया तो चंपा रसोई में कुछ खोज रही थी इसलिए मैंने पूछा -क्या खोज रही हो -जी पकोड़े तलने के लिए बेसन खोज रही हूँ -ऊपर वाले डिब्बे में पड़ा होगा वो ऊपर के डिब्बे को उतार ने की कोशिश की पर उसका हाथ नहीं पहुँच रहा था इधर उसके जिस्म को देख कर मैं उन्मादित होने लगा और टावेल से लैंड खड़ा होकर बाहर निकालने की कोशिश करने लगा मुझे उसके जिस्म को निहारने में अलग मजा आरहा था जब उसका हाथ डिब्बे तक नहीं पहुंचा तो मैं डिब्बे को उतारने लगा जैसे ही डिब्बा हाथ में आया मेरा टावेल खुल कर निचे गिर पड़ा, मैं बिलकुल नग्न अवस्था में हो गया जैसे ही टावेल गिरा चंपा मुख पर हाथ रख कर हसने लगी फिर वो मुझे नग्न देख कर सिर झुका लिया डिब्बा हाथ होने के कारण मैं टावेल उठा कर लपेटने के स्तिथि में नहीं था मेरा अध् खिले लैंड को चंपा सिर झुकाए तिरछी नज़रों से देख रही थी. शायद इतना मोटा एंड लम्बा लैंड जीवन में पहली बार देखा होगा मैंने डिब्बे को रसोई में रख कर टावेल उठाया और उसके सामने ही लपेट कर रसोई से बाहर निकाल गया. और कमरे में आकर अन्डर वेअर व बनियान पहन कर लुनघि लपेट ली वो चाय और नास्ता लेकर कमरे में आई और कुछ बोली नहीं और नास्ता रख कर चली गयी. मेरे दिमाग में शैतानी खयाल उठने लगा और सोचने लगा की किस तरह चंपा को फंसा कर चोदा जाये आखिर शैतानी दिमाग में एक तरकीब आई मैं अलमारी से उठ कर सचित्रों वाली एक अस्लील किताब निकाल कर तकिये पास रख कर कमरे से बाहर आया -चंपा मैं बजार जा रहा हूँ तब तक तुम मेरे कमरे में झाड़ू पुछाई कर लेना और खाना मत बनाना मैं होटल से मंगवा लूँगा और फिर में कमरे से दरवाजा बंद कर के निकाल गया. बजार से खाने का आर्डर दिया फिर करीब २०-२५ मिनटों में घर लोटा और बिना कोई आवाज किये अपनी चाभी से दरवाजा खोला और दबे पैर कमरे की ओर चाल पड़ा रसोई में देखा तो चंपा नहीं थी तो मैं अपने कमरे में गया तो देखा चंपा अस्लील किताब चित्रों को निहारने में व्यस्त थी उसकी पीठ मेरी और थी वो एक हाथ से किताब पकडे थी और दूसरी हाथ से साडी के ऊपर से अपनी चुत रागड रही थी मैं करीब ५-१० मिनट तक उसकी हरकतों को देखा फिर दबे पैर रसोई में आकर बिना कोई आवाज किये शराब की बोतल निकाली फिर पेप्सी की २ बोतले थी एक में थोड़ी शराब मिलाया और शराब की बोतल को यथा स्थान रख कर कमर की और बड़ा और देखा की चंपा अब भी किताब को देखने में व्यस्त थी अचानक वो मुड़ी और किताब को पलंग पर डाल कर आगे बड़ी तो मुझे देख कर वो चौक गयी -अ अ अआप्प्प कब आये साहेब -अभी आया हूँ पर तुम किताब में व्यस्त थी वो सिर झुकाए मुस्कुराते हुवे बाथरूम की तरह जाने लगी जब वो बाथ रूम से आई और रसोई में घुस गयी मैं भी रसोई में घुस गया और शराब की बोतल व बिना मिलाये हुवे पेप्सी की बोतल लेकर उसे बोला -चंपा एक प्लेट में नमकीन लेकर आना वो मेरे कमरे में नमकीन ले कर आई तो मैं बोला चंपा थोडा बर्फ भी लाना और एक पेप्सी को बोतल पड़ी हैं वो लाना और ग्लास लाना. वो तीनो चीज लेकर कमरे मेंआई और रख कर जाने लगी तो मैं बोला -चंपा इधर आओ -जी साहेब और क्या लाउं -कुछ नहीं चंपा अकेले बोर हो रहा हूँ चलो बाते करते हैं -जी साहेब जैसे आप कहें (कह कर वो एक कोने में बैठ गयी और मैंने पेप्सी की बोतल में जो शराब मिलाई थी उसे एक ग्लास में डाल कर उसे दिया तो वो ग्लास को लेकर पेप्सी पीने लगी -चंपा तेरी शादी को कितने साल हो गए -एक साल -पति कितने दिनों तक साथ रहा - जी शादी के एक महीने बाद ही वे चले गए - शर्मना मत सही बताना (पलंग से किताब उठा कर उसको दिखाते हुवे ) कैसे लगी यह किताब -साहेब यह गन्दी किताब हैं -इसमें गन्दा क्या हैं, हर औरत और मर्द ऐसा करते हैं -पर मेरा पति नहीं करता -क्या ? क्या पति ने तेरे साथ सुहाग रात नहीं मनाई ? - जी हम लोगो ने सुहाग रात मनाई पर दर्द के कारण वे ज्यादा नहीं करते थे - तुम्हारे दर्द के कारण ? -नहीं नहीं जब वो करते थे तो उनको पेसाब की जगह पर दर्द होता था -इसका मतलब हैं की उसके लैंड के सुपाडे की खल नहीं उतरी थी ( मुझे इसतरह खुले शब्दों का इस्तमाल करते सुन कर वो दंग हो गयी और उसका चहेरा और आंखे सुरमई हो गयी थी) -अच्छा इधर आओ चंपा -बो मेरे बगल में आगई -मेरे बगल में बैठो (वो बगल में बैठ गयी शायद पेप्सी में मिली शराब ने रंग लाना सुरु किया था) चंपा क्या तुम्हारा मन नहीं करता क्या करने को ? -करता तो हैं पर क्या करे मज़बूरी हैं, वे परदेश हैं -चंपा अगर तुम साथ दे तो मैं तुम्हे बहुत मजा दूंगा (कह कर मैंने उसके कंधे पर हाथ रख दिया) -पर साहेब, लोगो को मालूम होगा तो बहुत बदनामी होगी.......मुझे डर लगता हैं -चंपा हमारा राज राज रहेगा किसी को भी शक नहीं होगा तुम डरो मत -पर साहेब गर मैं पेट से रह गयी तो ? -उसकी चिंता मत करो हम ध्यान रखेगे ताकि तुम गर्भवती ना बन सको कह कर मैंने उसके बूब्स को दबा कर मसल दिया तो वो सिकुड़ कर मेरे और करीब आ गई फिर मैं उसके चहेरे पर चुम्बनों का बोछार करने लगा और एक हाथ से साडी के ऊपर से ही उसकी चुत को रगड़ रहा था जब की उसका हाथ मेरे लुनघि के ऊपर से लैंड को पकडे थी कुछ देर बाद मैं नंग्न हो गया और उसके बगल में बैठ कर उसके बूब्स और चुत को मसल रहा था अभी तक मैंने उसके कपडे नहीं उतारे थे फिर मैंने उसका हाथ पकड़ कर मेरे लवडे पर रखा, वो मेरे लैंड को पकड़ के सहलाने लगी हम दोनों वासना के सागर में गोता लगाने लगा वो उन्मादित होकर आंखे बंद कर के लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी मैं समज गया की वो गरमा चुकी हैं इसलिए उसे पलंग पर लिटा दिया और फिर एक एक वस्त्र को उसके बदन से निकाल दिया वो ना तो ब्रा पहनी थी ना ही पेंटी, गरीब लोग पैसे के आभाव के कारण ब्रा पेंटी नहीं पहनती हैं जब वो पूर्ण नंगी हो चुकी तो मैं उसके छोटे छोटे मोसंबी आकर के बूब्स को मुह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से उसकी छोटी सी झांटो युक्त चुत को रगड़ ने लगा वो गर्माने लगी और कहराने लगी ऊऊऊईईईई म्म़ा माँ माँ ऊऊफफफफफ सहन नहीं होता साहेब जी अब डालदो. मैं उठ कर तेल की शीशी लाया क्योंकि उसकी चुत छोटी व कुंवारी थी क्योकि उसके पति ने उसकी शील नहीं थोड़ी थी फिर मैं अपने लवडे पर ढेर सारा तेल लगाया और उसको डोगी पोसिशन में कर के उसकी चुत पर भी तेल लगाया और लवडे के सुपाडे को उसकी चुत के मुहाने रख कर पहले तो रगडा फिर सुपाडे को चुत पर रख कर थोडा जोर लगाया तो वो दर्द के मारे तिलमिलाने लगी और अपनी चुत को आगे कर ली मैंने कहा थोडा धीरज रखो दर्द होगा पर मजा आएगा तो वो फिर से अपने चूतडों को मेरी और करदी मैंने उसकी कमर कस कर पकड़ा और सुपाडे को चुत पर रख कर कस कर अन्दर डाल दिया वो मारे दर्द के छटपटाने लगी और रोने लगी जब पूरा लैंड उसकी चुत में समा गया तो मैंने आहिस्ता आहिस्ता लैंड को बाहर निकला तो देखा मेरा लैंड खून से सरोबर था और उसकी चुत की दरारों से खून टपक रहा था उसकी आँखों में आंसू टपक रहे थे वो अपने होठों को दांतों से भींच रखी थी फिर मैंने धीरे धीरे लैंड को चुत में घुसाया और आहिस्ता आहिस्ता अन्दर बाहर करने लगा उसकी गरमा गर्म चुत की दीवारें मेरे लैंड को कस कर जकड़ी थी जब उसका दर्द कम हुवा तो मैं चुदाई की गति बड़ा दी उसे दर्द के साथ साथ मजा आने लगा ऊऊउईईईईईई मम म म मा ऊह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हाआ जजओर से क्क्क्क रो नन्नआआअ ऊउफ़्फ़्फ़्फ़ मजा आरहा हैं मैं अब कस कस कर पेलने लगा कुछ हे देर में उसकी चुत की दीवारें सिकुडन पैदा कर के मेरे लैंड राज को चुत रस से पूर्ण तया भीगा दिया मेरा रस नहीं निकला था इसलिए मैं पेलने में मशगुल था और जोर जोर से लैंड अन्दर बाहर कर रहा था कमरे में फचा फच फचा फच फचा फच के स्वर गूंज रहे थे एक अजीब सा वातावरण था आखिर वो समय आया की मैंने उसकी चुत में लैंड रस डाल दिया जब मैंने उसकी चुत से लैंड निकला तो देखा मेरा लैंड उसकी चुत रस व खून और मेरे लैंड रस से पूर्णतया सना था मैंने उसे चित लिटा कर कहा चुत को जोर लगा कर अन्दर गया हुवा रस को बाहर निकालने का प्रयत्न करो उसने जोर लगाया तो चुत से गाडा गाडा रस बहार निकाल ने लगा फिर मैं कपडे से उसके चुत और मेरे लैंड को साफ किया -क्यों चंपा मजा आया ? -हाँ साहेब मजा आया, क्योंकि पहली बार इस तरह से चुदाई हूँ, अब तो बस रोज मैं चुद्वौंगी, चोदोगे ना फिर हम ने कुछ देर आराम कर के उसको कई कई स्टाइल में चोदा और चोद चोद कर उसको निडाल कर दिया अब तो जब गौरी आती तो उसको चोदता था और जब चंपा आती तो चंपा को दोनों एक से बढ कर एक चुदकड़ थी मजे लेकर लेकर चुदवाती थी
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गौरी और चंपा
मैं ४२ वर्षीय सरकारी कर्मचारी हूँ और अक्सर सरकारी महकमे एक स्थान से दुसरे स्थान मेरा ऑडिटिंग के लिए ५-६ महीनो के लिए तबादला होते रहता हैं. पिछले २ महीने से मेरा तबादला सांगानेर जो की जयपुर के करीब हैं वहां हो गया था इसलिए मैंने किराये का मकान लिया जो की सभी साधनों से परिपूर्ण था यानि की किराये के मकान में टीवी फ्रिज फर्नीचर आदि थे. जहां मैं रहता था वहां पडोसी की सहायता से घर का काम करने वाली नौकरानी मिल गयी थी वो गरीब थी अरे मकान के करीब ही झुग्गी झोपड़ी में रहती थी उसका नाम गौरी हैं वो थोड़ी सांवली व गदराये बदन की मलिका थी उसके नितम्ब मुझे काफी अच्छे लगते थे जब वो घर में झाड़ू बुहार करती तो उसके नितम्ब मटकाने लगते थे. गौरी करीब ३८ साल की थी मैं अक्सर उसे पैसे की मदद करता रहता था इसलिए वो मन लगा कर घर का सारा काम करती थी. घर की एक चाभी उसके पास होती थी. वो सुबह करीब ७ बजे आकर चाय नास्ता बनती थी तब तक मैं नहा धोकर तयार हो जाया करता हूँ फिर मैं थोड़ी देर समाचार देख कर नास्ता करके दफ्तर के लिए निकाल जाता हूँ. गौरी घर में रह कर कपडे धोने व कमरे में पोता लगाती हैं फिर अपने लिए खाना बनती हैं खाना खाकर कभी कभार वो मेरे मकान में आराम करती हैं या फिर वो अपने घर चली जाती हैं केवल शनिवार व रविवार को मेरे अवकाश का दिन होता था और अवकाश के दिन मैं सुबह देर तक सोता था इसलिए वो करीब ९ बजे आती थी तो रात को खाना बनाकर चली जाती थी. उस दिन शनिवार था करीब १०:३० बजे गौरी ने कमरे में आकर आवाज लगाई साहेब उठो काफी समय हो गया हैं जब मैं उसकी आवाज से उठा तो देखा मेरी लुनघि एक ओर सरकी थी और अंडर वियर के साईड से नाग राज निकाल कर फन फ़ना रहा था जैसे ही मेरी नजर वहां पड़ी तो मैंने ने नाग राज को पिटारे में ढक कर उठा तो गौरी तब तक वहीँ खड़ी होकर शायद नाग राज को निहार रही थी जब हमारी आंखे चार गयी तो वो टेबल पर चाय रख कर निचे सिर करके कमरे से बाहर निकाल गयी मैं नहा धोकर नास्ता करके बजार निकाल गया और आधा किलो मटन व विस्की की बोतल लेकर आया गौरी को मटन देकर मटन बनाने को कहा और कमरे में आकर टी वी देखने लगा. टी वी पर कोई पुरानी फिल्म आ रही थी इसलिए मशगुल होकर फिल्म देखने लगा करीब पाने घंटे में फिल्म ख़तम हो गयी, तब मैं उठ कर एक ग्लास और कुछ नमकीन लेकर विस्की पीने लगा. गौरी ने मटन बना चुकी थी और कुक्कर में चावल चडा रही थी मैं अपने कमरे में आकर टी वी देखते हुये विस्की की चुस्की लेने लगा इतने में रसोई घर से कुछ गिरने की आवाज आई तो मैं रसोई घर की ओर गया तो देखा गौरी जमीन पर गिरी पड़ी थी और उसके ऊपर तेल का डिब्बा गिरा था मैंने कहा गौरी लगी तो नहीं उसने कहा नहीं साहेब तेल का डिब्बा हाथ से फिसल गया मैंने कहा कोई बात नहीं. गौरी की साडी और बिलाउज तेल से तर बतर हो चुके थे मैंने उसे सहारा देख उठाया तो वो उठ कर जमीन से तेल साफ़ करने लगी मैं अपने कमरे में आगया जब वो तेल साफ कर चुकी तो बोली -साहेब मैं घर जाकर कपडे बदल कर आती हूँ -जाके आने में काफी समय लग जायेगा यहीं बाथ रूम में जाकर नहालो और कपडे धो लो -पर साहेब पहनने के लिए यहाँ पर दुसरे कपडे भी तो नहीं हैं -यह तो तुम ठीक कह रही हो , एक काम करो जब तक तुम्हारे कपडे सूखते नहीं तब तक मेरी लुन्घी लपेट लो और मेरा कुअर्ता पहन लो -मुझे शर्म आती हैं साहेब -इसमें शर्मना कैसा, तुम तो रसोई में होगी कोई आएगा थोड़ी फिर मैंने उसे लुन्घी व कुरता दिया वो बाथ रूम में नहाने चली गयी. और मैं जाम का दौर जारी रख कर टी वी देखने लगा धीरे धीरे जाम का घूंट पी कर टी वी पर इंग्लिश फिल्म का आनंद ले रहा था. करीब १ बजे मैं रसोई घर में बर्फ लेने गया तो देखा गौरी लुनघि व कुरता पहनकर काम कर रही थी सफ़ेद रंग की लुनघि थी जिसे मैंने मद्रास से खरीदी थी और लुनघि के ऊपर महीन मलमल का कुरता पहना था उसका सांवला रूप सफ़ेद कपड़ो में काफी निखार रहा था मैं बर्फ लेकर गौरी से बोला की एक प्लेट में थोडा मटन लेकर आना. वो कुछ देर बाद प्लेट में मटन लेकर कमरे में आई और टेबल पर प्लेट रख कर टी वी की और फिल्म देखने लगी . -काम हो गया गौरी ? -जी साहेब हो गया (कह कर वो जाने लगी) -सुनो काम हो गया तो यहीं बैठ जाओ और फिल्म देखो -साहेब यह अंग्रेजी फिल्म हैं मुझे कहाँ समज आएगी -कोई बात नहीं, चलो तुम्हारे लिए चेनल बदल देता हूँ मैंने चेनल बदल कर हिंदी फिल्म लगाया और वो एक कोने में बैठ कर फिल्म देखने लगी. मैं भी फिल्म देखते हुवे जाम का घूंट लेते हुवे कभी कभार गौरी की और देख लेता था. उसका चेहरा आज कुछ खाश व आकर्षक लग रहा था शायद उसने अच्छे साबुन से स्नान किया था. - गौरी तुम्हे कितने बच्चे हैं - साहेब एक ही लड़का हैं -क्या उम्र हैं उसकी -१९ साल का हैं पिछले साल ही उसकी शादी हुई हैं -इतना बड़ा हैं, तुम्हारी शादी कब हुई थी -साहेब जब में १६ साल की थी तब ही मेरी शादी हो गयी थी हम लोगो में काम उम्र में ही शादी कर देते हैं -क्या काम करता हैं वो -वो बॉम्बे में रिक्शा चलता हैं -घर में कौन कौन रहते हैं -मैं , मेरा पति और बहु -पति क्या करता हैं -जी वो दिन दिहाड़ी पर मजदूरी करता हैं - तो अच्छा खासा कम लेता होगा -साहेब क्या काख कमाता हैं जितना कमाता हैं आधे से जयादा वो शराब में उडाता हैं इसलिए तो मुझे और बहु को काम करना पड़ता हैं -बहु कितने घर में काम करती हैं -एक ही घर का, क्यों की उसे घर में भी काम होता हैं -खेर पति तो सुख देता होगा -क्या काख देता हैं १५-२० साल से बस उसे मजदूरी व शराब की लत लगी हैं -मैंने सुना हैं की तुम लोगो में औरते भी नशा करती हैं -जी साहेब कभी कभी थकान मिटाने के लिए थोड़ी बहुत शराब पीनी पड़ती हैं -तुम पियोगी ? -साहेब काम कौन करेगा -काम तो ख़त्म हो चूका हैं चलो थोड़ी पी लो -यह अंग्रेजी हैं साहेब मैंने आज तक पी नहीं हैं -कोई बात नहीं आज पी कर देखो वो उठ कर रसोई से एक ग्लास ले कर आई. मैंने उसे एक जाम दिया तो वो जमीन पर मेरे विपरीत दिशा में दिवार का सहारा लेकर बैठ कर पीने लगी. कुछ देर तक हम दोनों में कोई बातचीत नहीं हुई और हम जाम का घूंट लेकर फिल्म देख रहे थे. इतने में फिल्म का दृश्य काफी रोमांचित था हीरो हिरोईन का दीर्घ चुम्बन ले रहा था हिरोईन का चेहरा मानों लग रहा था की वो उन्मादित होने लगी हैं तब मुझे कोने में कुछ हलचल मह्सुश होई मैंने तिरछी नजर से देखा तो गौरी का चेहरा में उन्मादित लग रहा था और वो दिवार का सहर लेकर बैठी थी उसके घुटनों को मुड़े हुवे थे और पैर के तलवे जमीन पर थे दोनों घुटने थोड़े फैले थे जिस कारण उनकी लुनघि भी मध्य भाग से थोड़ी खुल कर फ़ैल चुकी थी जिस कारण मुझे उनकी चुत के ऊपर उगे झांटों की झलक दिखाई देने लगी. अब मेरा मन फिल्म में कम व गौरी के गुप्तांगो पर थी. हम दोनों को शराब का सरुर छाने लगा था ऊपर से गौरी फिल्माकन की उतेजित दृश्य को देखर उन्मादित होने लगी थी व मैं गुप्तांको का नजारा देख कर वासना के सागर में गोते लगाने लगा. इतने में गौरी ने ग्लास ख़तम किया और स्वयं अपने हाथो से अपने लिए जाम बना कर फिर फिल्म में खो गयी. मेरी नजर तो फिल्म में कम और उसके तन बदन को निहारने पर ज्यादा था कुरते से उसकी चुचिओं का उभार बड़ा मन मोहक था महीन कपडे के कुरते से उसकी काली काली चुन्ची और उसके तने हुवे निपल्स सांसो के कारण जब फूलते पिचकते थे तब बड़ा मजा आरहा था मन कर रहा था की जाके गौरी के मम्मो को दबा दूँ पर लिहाज के मारे कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था और मुझे स्वयम पर भरोसा था की वो मुझे से चुदवाने में कोई इतराज नहीं करेगी क्यों की उसकी बातों से पिछले १५-२० सालों से वो सम्भोग से वंचित थी इसलिए बस मैं मोके की तलाश में लगा रहा फिल्म कब खत्म हुई पता नहीं चला तब वो बोली -साहेब खाना लगा दूँ ? -मुझे अभी भूक नहीं हैं बाद में खाऊंगा पर तुम्हे भूक लगी हो तो खालो -मैं भी बाद में खाऊंगा फिर मैंने अपने लिए एक और जाम बनाया उसने भी अपने ग्लास में थोडा डाला और रसोई से प्लेट में मटन लेकर आई मैंने कहा गौरी जरा बर्फ भी ले आना तो वो बर्फ लाई और मेरे ग्लास में बर्फ डालने के लिए झुकी तो कुरते के सामने के कट से उसके बड़े बड़े उरोज के दीदार होने लगे बर्फ डाल कर वो अपने स्थान में घुटनों को मोड़ कर तलवे को जमीन पर रख कर दिवार का सहारा लेकर बैठ गयी टी वी में गाने आरहे थे तो वो गाने के धुन पर अपने पैरों को हिलाकर जाम की चुस्की लेने लगाई घुटने फैलने के कारण फिर से उसके गुप्तांगो का दर्शन होने लगा अबकी बार पहले के अपेक्षा घुटने ज्यादा फैले थे इसलिए झांटों के बिच उसकी चुत के होठ आपस में चिपके थे और सिंग दाने के समान चुत का दाना उसके गुप्तांगो को अत्यधिक आकर्षक कर रहा था की यका यक गौरी ने मेरी और देखा, मैं तो गुप्तांगो को देखने में मग्न था और पजामे ने तम्बू का ऋण धारण कर लिए था क्यों की लैंड राज खम्बे के समान तन कर चुत रानी को सलामी ठोक रहा था जब गौरी की आवाज सुनी तो तन्द्रा से टूट कर उसके चहेरे को देखा मैं समज गया की वो जान चुकी हैं की मैं उसकी चुत रानी को टक टकी लगा कर घुर रहा था जब हमारी नजरे चार हुई तो मैं शर्म से उस और चेहरा घुमा लिया -साहेब क्या देख रहे हो ? -हम्म कक्क कुछ नहीं बस मैं तो तुमे देख रहा था वो अब टक वैसी की वैसी बठी थी बल्कि थोड़े पैर और चौड़ा कर दिया था - कैसी लग रही हैं ? -क्या मतलब -मैं कैसी लग रही हूँ -बहुत बढ़िया और जानदार हैं आओ मेरे बगल में बैठ जाओ (वो उठ कर मेरे बगल में बैठ गयी) - साहेब आप का भी अच्छा हैं ऐसा मैंने कभी नहीं देखा -क्या मतलब गौरी ? (मैंने अनजान बनते हुवे बोला) -मेरा मतलब साहेब आपका बदन ही हीही (कह कर शर्मा कर हसने लगी) मैं समज गया की लोहा गर्म होने लगा हैं अब देर नहीं करनी चाहिए और मैंने उसके कंदों पर एक हाथ रख दिया वो चुप चाप नजरे झुकाए बैठी थी और उसका एक हाथ मेरे दाहिने पर था तब मैंने हिम्मत करके उसके गलों को चूम लिया उसने कोई प्रतिरोध नहीं किया एक तो शराब का नशा ऊपर से कमान्न्द का उन्मांद उस पर छाने लगा था चहेरा और होठ सुर्खमई हो चुके थे - गौरी सच सच बताना अच्छा लग रहा हैं या नहीं अगर नहीं अच्छा लग रहा हैं तो मैं कुछ नहीं करूँगा -ह्ह्ह म्मम्म हाँ अच्छा लग रहा हैं (उसकी गर्दन झुकी थी) - यह बताओ कितने सालों से तेरे पति ने नहीं छुया तुझे - १५-२० साल से पर आज जाने क्यों करवाने के बहुत मन हो रहा हैं सुबह जब मैंने आप के लवडे को देखा तो दंग रह गयी थी ऐसा मैंने कभी नहीं देखा था फिर जब फिल्म में भी चूमा चाटी देखि तो और उतेजना बढ गयी -कोई बात नहीं आज मैं ऐसा सुख दूंगा जो तुमने कभी जिंदगी में नहीं लिया होगा या इस प्रकार की सुख की कल्पना भी नहीं की होगी कह कर मैं उसकी चुचियों को दबाते हुवे चूम रहा था कभी माथे पर कभी गालों पर कभी होठों पर तो कभी कानो व गर्दन के पास वो तो बस आंखे बंद किये बैठी थी भीर मैंने उसका कुरता और लुनघि उतार कर खुद भी नंगा हो गया और उसकी चुचिओं से खिलवाड़ करते हुवे अंग अंग को चूम रहा था वो भी मेरे लैंड को पकड़ कर सहला रही थी कुछ देर बाद मैंने एक हाथ से चुचिओं की घुंडी ऊँगली व अन्घुठे के बीच पकड़ कर मसल रहा था और दुसरे हाथ से उसकी झांटो सहित चुत के दाने और फांक को रगड़ रहा था इस कारण वो सिस्कारिया ले रही थे ऊऊऊऊईईईई ऊऊ फफफफ ऊह्ह्ह्ह लग रहा था की वो इस तरह की क्रीडा से वंचित थी या पति ने केवल चुत में लैंड डाल कर चुदाई की होगी वैसे भी गरीब अनपढ़ लोगो को रति क्रिया का पूर्ण ज्ञान नहीं होता हाई वो तो बस केवल चुत में लैंड डाल कर चुदाई करना जानते हैं. आप लोगो को पता ही होगा की चुदाई केवल कुछ मिनटों का खेल हैं पर चुदाई से पहले चूमा चाटी करके पति पत्नी दोनों कामुक होकर उतेजित हो जाते हैं फिर चुदाई के मैदान में काफी देर तक टिके रहते हैं. इसलिए चुदाई से पूर्व मैं गौरी को चूमा चाटी करके अत्यधिक उतेजित कर रहा था और मेरे इस क्रिया से उसे काफी मजा आ रहा था. फिर मैं उठ कर जमीन पर उसके पैरों को फैला कर बैठ गया और उसकी चुत को चूमने लगा तब वो बोली -छि छि साहेब यह गन्दी जगह हैं यंहा मुख नहीं लागाते हैं -अरे गौरी यह गन्दी जगह नहीं हैं यह तो परम सुख देने वाली जगह हैं. मैं जैसे करता हूँ और कहता हूँ तुम वैसी करोगी तो अपार सुख मिलेगा जो शायद तुमने कभी नहीं लिया होगा फिर मैं उसकी चुत को अपनी जीभ से चाटने लगा और बिच बिच में जीभ को चुत में घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा बिच बिच में होंटों से चुत की संतरे रूपी किनारे (पंखुडियां) व दाने को खीचने लगा वो तो यह सब क्रिया कलाप से उन्माद में विचिलित होकर जोर जोर से कहराने लगी और मेरी सिर को पकड़ के अपनी चुत की ओर दबाव डालने लगी करीब ५-१० मिनट्स की चुत चटाई के दौरान वो कास कर मेरे सिर को चुत के ऊपर दबाते हुवे चुत को फूलते पिचकते हुवे मेरे मुह में ढेर सारा स्वादहीन सफ़ेद सफ़ेद गाडा चुत रस डाल दिया और जोर जोर से हाफ़ने लगी मैं भी जमीन से उठ कर खड़ा हो गया. मेरा लैंड तो लोहे के समान तना था -क्यों गौरी मजा आया ? -साहेबजी इस तरह का मजा मैंने जिन्दगी में कभी नहीं लिया वाकई आप शानदार तरीके से मेरी चुत को परम सुख दिया -अब सुनो जिस तरह मैंने तुम्हारी चुत चुसाई की उसी तरह मेरे लवडे को मुह में लेकर चुसो, बहुत मजा आएगा -मुझे हिचक होती हैं मुह में लेने के लिए -अगर पूरा मजा लेना हैं तो हिचक शर्म हया छोड़ दो. लो पहले लवडे को चूमो फिर मुह में लेकर चुसो मैं उसके मुह के करीब लवड़ा रखा तो वो हाथ में पकड़ कर हिचकचाते हुवे पहले सुपाडे से लेकर अंडकोष तक चूमा लिया फिर सुपाडे को दोनों होठो के बिच दबाया तो मैंने उसके सिर को पकड़ कर लैंड को मुह में ठेल कर पहले धीरे धीरे सुपाडे तक अन्दर बाहर करने लगा फिर करीब आधा लैंड तक चूसने लगी वो चूस रही थी और मैंने एक हाथ से सिर पकड़ कर लवडे के जड़ तक दबाव डालने के प्रयत्न कर रहा था तो एक हाथ से उसकी चुचिओं को मसल रहा था वो बस आधे से थोडा ज्यादा तक लवडे को लील सकी मैं थोडा और मुह में डालने का दबाव दिया तो उसे उबकाई आने लगी और मुह से लार गिरने लगा तब मैंने ज्यादा अन्दर डालने का प्रयत्न नहीं किया और उसकी मुह में आधे लैंड डाल कर मुह चुदाई कर रहा था कुछ ही देर में मैंने उसके मुह में अपना वीर्य डाल दिया पहले तो उसने वीर्य को मुह से बाहर निकला फिर मजे लेकर बचा कूचा वीर्य गिट गयी. थोड़ी देर आराम करने के बाद हम फिर से काम क्रीडा में खोने लगे मैं चुमते हुवे उसके स्तन को दबा रहा था वो चुत को सहला कर उसे गरमा रहा था जबकि वो मेरे लैंड को सहलाते हुवे चुम्बनों का प्रतिसाद दे रही थी हम दोनों काफी गरमा गए थे तब मैं लेट गया और उसे कहा की मेरे ऊपर बैठ कर लवडे को अपनी चुत में डालो तब वो मेरे कमर के दोनों ओर पैर रख कर अपनी चुत में थुक लगाया और लैंड को पकड़ कर चुत पर रगड़ी और फिर चुत के मुहाने सुपाडे को रख कर अपनी चूतडों को धीरे धीरे ऊपर निचे करने लगी उसकी चुत पनिया गयी थी इसलिए लैंड आसानी से उसकी चुत में समाने लगा फिर उसने अपने चूतडों को हिलाने की गति बड़ा दी मैं समज गया की वो उतेजित होचुकी हैं इसलिए उसके होठों को चुमते हुवे चुचिओं की घुंडी को मसल ने लगा कमरे में फचा फच फचा फच की आवाज गूंजने लगी उसकी चुत की दीवारे मेरे लैंड को कस कर जकडे हुवे थी आखिर मेरे लैंड पर उसकी चुत की दीवारों ने फड़कते हुवे चुत रस छोड़ दिया और गौरी जोर जोर से हाफ़ने लगी और वो उठ कर मेरे बगल में लेट गयी जब तक उसकी सांसे संतुलित हुई तब तक मैं उसके स्तन को दबा रहा था वो चुत को सहला कर उसे फिर से गरमा रहा था जबकि वो मेरे लोहे समान लैंड को अपने कोमल हाथो से सहला रही थी कुछ ही देर में वो उतेजित हो गयी और कहराने लगी ऊऊऊईईईईईईईई ममाआआ ऊउफ़्फ़्फ़ डा आआअ ल्लल्लल दो आआआआ फिर मैं उठ कर उसके कमर के निचे तकिया लगाया और उसके दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ कर फैला कर उसकी काली चुत के मुहाने सुपाडा रख कर धीरे धीरे चुत की गहरई में उतारने लगा ऊउफ़्फ़्फ़ क्या कशी चुत थी उसको चुमते हुवे चुदाई की गति बड़ा दी कमरे में चुदाई की लुभावनी आवाजे गूंजने लगी फिर मैं आसन बदल ने चाहा इसलिए उसकी चुत से जब लैंड निकला तो उसकी काली चुत की पंखुड़ियों के बिच गुलाबी भाग काफी मन मोहक लग रहा था फिर मैंने उसे घुटनों और हाथों के बल यानि की डॉगी अवस्था में करके उसके चूतडों को पकड़ कर चुत में लैंड पेलने लगा उसकी चुतड पर मैं तो पहले से फ़िदा था कुछ देर तक तो उसकी चुत को जोर जोर से चोद रहा था फिर मैंने सोचा की चलो गौरी की गांड मारी जाय इसलिए मैंने अपने लैंड को चुत से बाहर निकला और उसको उसी अवस्था में रहने को कहा फिर तेल की शीशी लेकर आया जब मैंने पिछवाड़े से उसकी चुत और गांड देखि तो मैं तो बस मुग्ध हो गया क्या नजारा था काले काले झांटो से बैगनी रंग की पंखुड़ियों के बिच गुलाबी गुलाबी चुत की गहराई उफ़ क्यों दृश्य था मैं तेल की शीशी से तेल निकाल कर अपने लैंड को तेल से तरबतर कर दिया फिर उसकी गांड में तेल युक्त उंगली डाली तो वो बोली - यहाँ नहीं डालो कोई भी यहाँ नहीं डालते हैं -गौरी गांड की चुदाई का भी बड़ा मजा आता हैं सच कहता हूँ एक बार गांड की चुदाई करोगी तो हर बार गांड मराये बिना नहीं रहोगी -साहेब जी गांड का छेद चुत की अपेक्षा छोटा होता हैं जरा संबल कर डालना -गौरी डरों नहीं बड़े आराम से चोदउंगा फिर मैंने तेल युक्त उंगली तो अंदर बाहर करने लगा जिस कारण उसकी टाईट गांड के छेद थोडा खुल गया था उसकी काली गांड के छेद भी मन भावक था अब मुझसे रहा नहीं गया और ढेर सारा तेल लैंड के सुपाडे पर मल कर सुपाडे को गांड के छेद पर रख कर थोडा दबाव डाला तो सुपाडा गांड को चीरता हुवा गांड में घुसाने लगा पर गौरी को दर्द हो रहा था जिस कारण उसने अपने गांड के छेद को सिकुड़ लिया जिस वजह से सुपाडा फिसल कर गांड से बाहर आगया, फिर मैं पुनः एक बार सुपाडे पर तेल लगा कर गांड के मुख पर रख कर उसके मोटे मोटे चूतडों को पकड़ कर गांड में लैंड डालने की कोशिश की पर नाकामयाब रहा क्यों की गौरी दर्द के मारे फिर गांड सिकुड़ ली थी पर इस कर पहले की अपेक्षा सुपाडा थोडा ज्यादा अन्दर गया था मैंने ५-६ बार कोशिश की पर हर बार वो गांड को सिकुड़ लेती थी और सुपाडा फिसल कर बाहर आजाता था पर हर प्रयत्न पर लैंड थोडा ज्यादा अंदर घुस जाता था इस बार तो सुपाडा पूरा घुस गया था पर मारे दर्द के गौरी ने गांड को सिकुड़ कर सुपाडे को गांड से बाहर कर दिया था -गौरी बार बार गांड को मत सिकुडो -साहेब दर्द होता हैं -थोडा सहन करो फिर देखो कितना मजा आता हैं -मैंने आज तक यहाँ नहीं डलवाया था इसलिए गांड में दर्द होता हैं -थोडा सहन करो फिर देखो मजा कह कर मैंने फिर से लैंड को तेल से तरबतर किया और उसके मोटे चूतडों को कस कर पकड़ कर लैंड को गांड में धीरे धीरे ठेलने लगा , लैंड भी आहिस्ता आहिस्ता, गांड की दीवारों को चीरता हुवा गांड की गहराई में समाने लगा. गौरी दर्द के मारे छटपटा रही थी और कहरा रही थी जब पूरा का पूरा लैंड गांड में घुस गया तो मैं बिना कोई हरकत किये उसके गांड में लैंड डाले रहा और उसके पीठ पर चुम्बों की बोछार करते हुवे चुचिओं को दबाने मसल ने लगा जब कुछ देर बाद जब उसका दर्द काम हुवा तो चुचिओं को मसलने के कारण वो उन्मादित होने लगी और आहिस्ता आहिस्ता अपने चूतडों को आगे पीछे हिलाने लगी जिस वजह से मेरा लवड़ा धीरे धीरे अन्दर बाहर आने जाने लगा मुझे भी उसकी चिकनी गांड का घर्षण लुभाने लगा फिर मैं उसके चूतडों को पकड़ कर गौरी की गांड मारने लगा अब उसे दर्द कम व मजा आने लगा करीब ५-६ मिनट्स के उपरांत मैं उसकी गांड में झड़ गया और ढेर सारा लैंड रस गांड में उढेल दिया जब मैं उसकी गांड से लैंड को निकला तो उसके गांड का छेद किसी बोतल के मुह के समान बड़ा होगया था और उसमे से लैंड रस बहता हुवा चुत की ओर जाने लगा मैं तो गौरी को चोद कर और गांड मारकर निहाल हो गया -गौरी कैसा लगा , मजा आया ? -साहेब पहली बार गांड में डलवाई हूँ इसलिए पहले तो तकलीफ हुई फिर मजा आने लगा अब तो हमेशा आप से चुवौंगी और गांड भी मरवाउंगी वाकई आप का लैंड तो जानदार हैं फिर हम दोनों ने मिलकर खाना खाया और कुछ देर विश्राम के बाद फिर से चुसाई चुदाई करने लगे. अब तो नित्य कर्म बन गया था जब भी वो सुबह आती तो पहेले हम चुदाई करते थे फिर काम और शनिवार से लेकर रविवार तक भिन्न भिन्न तरीके से चुदाई करते थे और वो गांड भी मरवाती थी इस तरह खुश हाली से दिन बीत रहे थे और चुदाई के साथ साथ मैं पैसे पानी में मदद भी करता था एक दिन गौरी ने अपनी बहु चंपा को अपने संग काम करने लाई उसदिन गौरी और मैं चंपा के होने के कारण चुदाई से वंचित हो गए थे. चंपा करीब १७ साल की दुबली व गेहुँवा रंग की कमसिन थी उसके बूब्स ज्यादा बड़े नहीं थे पर उसके उभार आकर्षक थे. अब मैं चंपा की चुदाई के बारे में सोचने लगा पर इस बारे में गौरी से कोई जिक्र नहीं किया और मोके के इंतजार में लगा रहा. आखिर इश्वर ने मेरी प्राथना सुन ली और चंपा को चोदने का अवसर दिया. उसदिन १५ अगस्त था इसलिए मेरी छुटी थी सयोग से उस दिन मैं जल्दी उठ गया. पर अब तक गौरी नहीं आई थी इसलिए मैं टी वी में समाचार देख कर उसका इन्तेजार करने लगा इतने में दरवाजा खुलने की आहट हुई मैं समज गया की गौरी आई होगी और गौरी की चुदाई की कल्पना करने लगा जिस कारण मेरी लुनघि तम्बू के समान तन गयी क्योंकि लैंड राज खड़े होकर गौरी की चुत का इन्तेजार करने लगा था. थोड़ी देर में चाय लेगर गौरी की जगह चंपा आई उसने टेबल पर चाय रखी और मेरी और देख कर मुस्कुराई, -चंपा आज गौरी क्यों नहीं आई -जी माजी को बुखार चढ़ गया हैं इसलिए आज वो नहीं आई उनके बदले मैं आगई फिर उसकी नजर मेरे तम्बू पर पड़ी तो वो सिर झुका कर कमरे से निकल गयी. मैं भी लैंड तो अडजस्ट करके चाय पी और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया. नहाकर टावेल लपेट कर बाहर आया तो चंपा रसोई में कुछ खोज रही थी इसलिए मैंने पूछा -क्या खोज रही हो -जी पकोड़े तलने के लिए बेसन खोज रही हूँ -ऊपर वाले डिब्बे में पड़ा होगा वो ऊपर के डिब्बे को उतार ने की कोशिश की पर उसका हाथ नहीं पहुँच रहा था इधर उसके जिस्म को देख कर मैं उन्मादित होने लगा और टावेल से लैंड खड़ा होकर बाहर निकालने की कोशिश करने लगा मुझे उसके जिस्म को निहारने में अलग मजा आरहा था जब उसका हाथ डिब्बे तक नहीं पहुंचा तो मैं डिब्बे को उतारने लगा जैसे ही डिब्बा हाथ में आया मेरा टावेल खुल कर निचे गिर पड़ा, मैं बिलकुल नग्न अवस्था में हो गया जैसे ही टावेल गिरा चंपा मुख पर हाथ रख कर हसने लगी फिर वो मुझे नग्न देख कर सिर झुका लिया डिब्बा हाथ होने के कारण मैं टावेल उठा कर लपेटने के स्तिथि में नहीं था मेरा अध् खिले लैंड को चंपा सिर झुकाए तिरछी नज़रों से देख रही थी. शायद इतना मोटा एंड लम्बा लैंड जीवन में पहली बार देखा होगा मैंने डिब्बे को रसोई में रख कर टावेल उठाया और उसके सामने ही लपेट कर रसोई से बाहर निकाल गया. और कमरे में आकर अन्डर वेअर व बनियान पहन कर लुनघि लपेट ली वो चाय और नास्ता लेकर कमरे में आई और कुछ बोली नहीं और नास्ता रख कर चली गयी. मेरे दिमाग में शैतानी खयाल उठने लगा और सोचने लगा की किस तरह चंपा को फंसा कर चोदा जाये आखिर शैतानी दिमाग में एक तरकीब आई मैं अलमारी से उठ कर सचित्रों वाली एक अस्लील किताब निकाल कर तकिये पास रख कर कमरे से बाहर आया -चंपा मैं बजार जा रहा हूँ तब तक तुम मेरे कमरे में झाड़ू पुछाई कर लेना और खाना मत बनाना मैं होटल से मंगवा लूँगा और फिर में कमरे से दरवाजा बंद कर के निकाल गया. बजार से खाने का आर्डर दिया फिर करीब २०-२५ मिनटों में घर लोटा और बिना कोई आवाज किये अपनी चाभी से दरवाजा खोला और दबे पैर कमरे की ओर चाल पड़ा रसोई में देखा तो चंपा नहीं थी तो मैं अपने कमरे में गया तो देखा चंपा अस्लील किताब चित्रों को निहारने में व्यस्त थी उसकी पीठ मेरी और थी वो एक हाथ से किताब पकडे थी और दूसरी हाथ से साडी के ऊपर से अपनी चुत रागड रही थी मैं करीब ५-१० मिनट तक उसकी हरकतों को देखा फिर दबे पैर रसोई में आकर बिना कोई आवाज किये शराब की बोतल निकाली फिर पेप्सी की २ बोतले थी एक में थोड़ी शराब मिलाया और शराब की बोतल को यथा स्थान रख कर कमर की और बड़ा और देखा की चंपा अब भी किताब को देखने में व्यस्त थी अचानक वो मुड़ी और किताब को पलंग पर डाल कर आगे बड़ी तो मुझे देख कर वो चौक गयी -अ अ अआप्प्प कब आये साहेब -अभी आया हूँ पर तुम किताब में व्यस्त थी वो सिर झुकाए मुस्कुराते हुवे बाथरूम की तरह जाने लगी जब वो बाथ रूम से आई और रसोई में घुस गयी मैं भी रसोई में घुस गया और शराब की बोतल व बिना मिलाये हुवे पेप्सी की बोतल लेकर उसे बोला -चंपा एक प्लेट में नमकीन लेकर आना वो मेरे कमरे में नमकीन ले कर आई तो मैं बोला चंपा थोडा बर्फ भी लाना और एक पेप्सी को बोतल पड़ी हैं वो लाना और ग्लास लाना. वो तीनो चीज लेकर कमरे मेंआई और रख कर जाने लगी तो मैं बोला -चंपा इधर आओ -जी साहेब और क्या लाउं -कुछ नहीं चंपा अकेले बोर हो रहा हूँ चलो बाते करते हैं -जी साहेब जैसे आप कहें (कह कर वो एक कोने में बैठ गयी और मैंने पेप्सी की बोतल में जो शराब मिलाई थी उसे एक ग्लास में डाल कर उसे दिया तो वो ग्लास को लेकर पेप्सी पीने लगी -चंपा तेरी शादी को कितने साल हो गए -एक साल -पति कितने दिनों तक साथ रहा - जी शादी के एक महीने बाद ही वे चले गए - शर्मना मत सही बताना (पलंग से किताब उठा कर उसको दिखाते हुवे ) कैसे लगी यह किताब -साहेब यह गन्दी किताब हैं -इसमें गन्दा क्या हैं, हर औरत और मर्द ऐसा करते हैं -पर मेरा पति नहीं करता -क्या ? क्या पति ने तेरे साथ सुहाग रात नहीं मनाई ? - जी हम लोगो ने सुहाग रात मनाई पर दर्द के कारण वे ज्यादा नहीं करते थे - तुम्हारे दर्द के कारण ? -नहीं नहीं जब वो करते थे तो उनको पेसाब की जगह पर दर्द होता था -इसका मतलब हैं की उसके लैंड के सुपाडे की खल नहीं उतरी थी ( मुझे इसतरह खुले शब्दों का इस्तमाल करते सुन कर वो दंग हो गयी और उसका चहेरा और आंखे सुरमई हो गयी थी) -अच्छा इधर आओ चंपा -बो मेरे बगल में आगई -मेरे बगल में बैठो (वो बगल में बैठ गयी शायद पेप्सी में मिली शराब ने रंग लाना सुरु किया था) चंपा क्या तुम्हारा मन नहीं करता क्या करने को ? -करता तो हैं पर क्या करे मज़बूरी हैं, वे परदेश हैं -चंपा अगर तुम साथ दे तो मैं तुम्हे बहुत मजा दूंगा (कह कर मैंने उसके कंधे पर हाथ रख दिया) -पर साहेब, लोगो को मालूम होगा तो बहुत बदनामी होगी.......मुझे डर लगता हैं -चंपा हमारा राज राज रहेगा किसी को भी शक नहीं होगा तुम डरो मत -पर साहेब गर मैं पेट से रह गयी तो ? -उसकी चिंता मत करो हम ध्यान रखेगे ताकि तुम गर्भवती ना बन सको कह कर मैंने उसके बूब्स को दबा कर मसल दिया तो वो सिकुड़ कर मेरे और करीब आ गई फिर मैं उसके चहेरे पर चुम्बनों का बोछार करने लगा और एक हाथ से साडी के ऊपर से ही उसकी चुत को रगड़ रहा था जब की उसका हाथ मेरे लुनघि के ऊपर से लैंड को पकडे थी कुछ देर बाद मैं नंग्न हो गया और उसके बगल में बैठ कर उसके बूब्स और चुत को मसल रहा था अभी तक मैंने उसके कपडे नहीं उतारे थे फिर मैंने उसका हाथ पकड़ कर मेरे लवडे पर रखा, वो मेरे लैंड को पकड़ के सहलाने लगी हम दोनों वासना के सागर में गोता लगाने लगा वो उन्मादित होकर आंखे बंद कर के लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी मैं समज गया की वो गरमा चुकी हैं इसलिए उसे पलंग पर लिटा दिया और फिर एक एक वस्त्र को उसके बदन से निकाल दिया वो ना तो ब्रा पहनी थी ना ही पेंटी, गरीब लोग पैसे के आभाव के कारण ब्रा पेंटी नहीं पहनती हैं जब वो पूर्ण नंगी हो चुकी तो मैं उसके छोटे छोटे मोसंबी आकर के बूब्स को मुह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से उसकी छोटी सी झांटो युक्त चुत को रगड़ ने लगा वो गर्माने लगी और कहराने लगी ऊऊऊईईईई म्म़ा माँ माँ ऊऊफफफफफ सहन नहीं होता साहेब जी अब डालदो. मैं उठ कर तेल की शीशी लाया क्योंकि उसकी चुत छोटी व कुंवारी थी क्योकि उसके पति ने उसकी शील नहीं थोड़ी थी फिर मैं अपने लवडे पर ढेर सारा तेल लगाया और उसको डोगी पोसिशन में कर के उसकी चुत पर भी तेल लगाया और लवडे के सुपाडे को उसकी चुत के मुहाने रख कर पहले तो रगडा फिर सुपाडे को चुत पर रख कर थोडा जोर लगाया तो वो दर्द के मारे तिलमिलाने लगी और अपनी चुत को आगे कर ली मैंने कहा थोडा धीरज रखो दर्द होगा पर मजा आएगा तो वो फिर से अपने चूतडों को मेरी और करदी मैंने उसकी कमर कस कर पकड़ा और सुपाडे को चुत पर रख कर कस कर अन्दर डाल दिया वो मारे दर्द के छटपटाने लगी और रोने लगी जब पूरा लैंड उसकी चुत में समा गया तो मैंने आहिस्ता आहिस्ता लैंड को बाहर निकला तो देखा मेरा लैंड खून से सरोबर था और उसकी चुत की दरारों से खून टपक रहा था उसकी आँखों में आंसू टपक रहे थे वो अपने होठों को दांतों से भींच रखी थी फिर मैंने धीरे धीरे लैंड को चुत में घुसाया और आहिस्ता आहिस्ता अन्दर बाहर करने लगा उसकी गरमा गर्म चुत की दीवारें मेरे लैंड को कस कर जकड़ी थी जब उसका दर्द कम हुवा तो मैं चुदाई की गति बड़ा दी उसे दर्द के साथ साथ मजा आने लगा ऊऊउईईईईईई मम म म मा ऊह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हाआ जजओर से क्क्क्क रो नन्नआआअ ऊउफ़्फ़्फ़्फ़ मजा आरहा हैं मैं अब कस कस कर पेलने लगा कुछ हे देर में उसकी चुत की दीवारें सिकुडन पैदा कर के मेरे लैंड राज को चुत रस से पूर्ण तया भीगा दिया मेरा रस नहीं निकला था इसलिए मैं पेलने में मशगुल था और जोर जोर से लैंड अन्दर बाहर कर रहा था कमरे में फचा फच फचा फच फचा फच के स्वर गूंज रहे थे एक अजीब सा वातावरण था आखिर वो समय आया की मैंने उसकी चुत में लैंड रस डाल दिया जब मैंने उसकी चुत से लैंड निकला तो देखा मेरा लैंड उसकी चुत रस व खून और मेरे लैंड रस से पूर्णतया सना था मैंने उसे चित लिटा कर कहा चुत को जोर लगा कर अन्दर गया हुवा रस को बाहर निकालने का प्रयत्न करो उसने जोर लगाया तो चुत से गाडा गाडा रस बहार निकाल ने लगा फिर मैं कपडे से उसके चुत और मेरे लैंड को साफ किया -क्यों चंपा मजा आया ? -हाँ साहेब मजा आया, क्योंकि पहली बार इस तरह से चुदाई हूँ, अब तो बस रोज मैं चुद्वौंगी, चोदोगे ना फिर हम ने कुछ देर आराम कर के उसको कई कई स्टाइल में चोदा और चोद चोद कर उसको निडाल कर दिया अब तो जब गौरी आती तो उसको चोदता था और जब चंपा आती तो चंपा को दोनों एक से बढ कर एक चुदकड़ थी मजे लेकर लेकर चुदवाती थी
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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