FUN-MAZA-MASTI
बदलाव के बीज--84
वो बोलीं;
भौजी: तो? हमारा प्लान कैंसिल?
मैं: शायद! (मैंने नजरें चुराते हुए कहा)
भौजी: मैं नहीं जानती... Tonight I want you here !
मैं: पर....
भौजी: पर-वार कुछ नहीं...
फिर हम नीचे आ गए| मैंने घर जाके माँ को आज अपने प्लान के बारे में बता दिया| डेढ़ घंटे बाद ही मैं तैयार हो के स्टेशन के लिए निकल गया| स्टेशन पे उससे मिला और उसने अपना प्लान मुझे बताया| साले ने PUB जाने का प्लान बनाया था|
मैं: अबे पागल हो गया है तू? साले घर अगर पिके पहुँचा ना, तो पिताजी खाल खींच लेंगे|
दिषु: अबे चल ना यार.... साल में एक बार सब चलता है|
अब दोस्त को मना कैसे करूँ...वो भी जिगरी दोस्त को! मैंने घर फोन कर दिया की मैं लेट आऊँगा| शायद भौजी भी वहीँ मौजूद थीं और उन्होंने भी सुन लिया था की मैं लेट आऊँगा...इसलिए उन्होंने दो मिनट बाद अपने मोबाइल से फोन किया;
भौजी: हेल्लो मिस्टर ...भूल गए मुझे? (भौजी ने शिकायत की)
मैं: नहीं यार...मैं आ जाऊँगा....
भौजी: आज रात आपके भैया साइट पे रुकने वाले हैं और देर से आएंगे...उनके आने से पहले आ जाना...वार्ना याद है ना... (भौजी ने प्यार भरी धमकी दी|)
मैं: हाँ-हाँ बाबा आजाऊँगा....
और मैंने फोन काट दिया|
दिषु: क्या बात है?
मैं: कुछ नहीं यार| चल जल्दी चल|
मैं उसके साथ PUB आगया| Loud Music , Dance .... Awesome !!! मैं एक occasional drinker हूँ| पर अपनी लिमिट जानता हूँ| घर में मेरी इस आदत के बारे में कोई नहीं जानता| मैं बड़ा सोच समझ के ड्रिंक कर रक था..पर तभी दिषु ने ड्रिंक में कुछ मिलाया|
मैं: अबे ये क्या है?
दिषु: पी के देख| हवा में ना उड़े तो कहिओ!
मैं: पर है क्या ये?
दिषु: पता नहीं..बारटेंडर ने कहा बहुत अच्छी चीज है!
मैं: Fuck .... You Kidding Me ! अबे साले ड्रग्स हुआ तो?
दिषु: अबे चल न यार...एक बार ले के तो देख|
मैंने एक घूंट पिया..कुछ फर्क नहीं पड़ा| फिर धीरे-धीरे मैंने पूरा ड्रिंक खत्म किया| पर वो साल बाज नहीं आया और एक और ड्रिंक पिला दिया| इधर भौजी के फोन आने लगे...एक के बाद एक...लगातार दस कॉल| पर इधर मेरा सर घूमने लगा था...मुझे तो अपने मोबाइल की स्क्रीन पे नंबर और नाम तक ठीक से दिखाई नहीं दे रहे थे| अब तो पिताजी ने भी फोन करने शुरू कर दिए!
मैं: अबे...तूने ..ये क्या दे दिया....साले सर...घूम रहा है! ले फोन पे बात कर!
दिषु: अबे...सर तो मेरा....भी घूम रहा है!!!
मैं: साले फोन देख...बापू ने आज तो मेरी सुताई कर देनी है|
दिषु: अबे ... सुन...मेरा एक ऑफिस का ददोसत यहीं रहता है| उसके पास एक जुगाड़ है…..चल उसके घर चलते हैं …..और आज जुगाड़ पेलते हैं!
मैं: अबे …… ठरकी ...साले.....तूने .....सब प्लान कर ....रखा था! पर मुझे ...घर .......जाना है.....cause...I made a promise to her ..... फोन मिला और टैक्सी बुला|
दिषु: तेरी मर्जी .......
इतने में एक और बार भौजी का फोन आया और इस बार मैंने उठा भी लिया;
मैं: हेल्लो....
भौजी: कहाँ हो आप? घडी देखि है...साढ़े ग्यारह बज रहे हैं|
मैं: हाँ....आ ...रहा....हूँ!
भौजी: आप इतना खींच-खींच के क्यों बोल रहे हो?
मैं: आके...बताता ...हूँ!
मैंने फोन रखा और टैक्सी पकड़ी…… और भौजी के घर पहुँचते-पहुँचते साढ़े बारह बज गए| अब मैं इस हालत में सीधा घर तो जा नहीं सकता था| तो मैं लड़खड़ाते हुए भौजी के घर पहुँचा और उनके घर का दरवाजा खटखटाया| भौजी ने दरवाजा खोला..और मेरी हालत देख के वो सब समझ गईं|
भौजी: अपने पी है?
मैं: अह्ह्ह...हम्म्म्म....
भौजी ने मुझे अंदर बुलाया;
मैं: Sorry ....
मैं अंदर कुर्सी पे बैठा और लुढक गया|
भौजी: अंदर चल के लेट जाओ|
मैं: नहीं...बच्चे ...मुझे ऐसे न देखें ....
मैं किसी तरह उठ के खड़ा हुआ, वॉशबेसिन में मुँह धोया... और बाहर जाने लगा|
भौजी: कहाँ जा रहे हो?
मैं: घर...
भौजी: पर ऐसी हालत में घर जाओगे तो पिताजी...
मैं: जानता हूँ...गलती की है तो....
भौजी: मैं साथ चलती हूँ|
मैं: नहीं...आप यहीं रहो ...
मैं आगे दो कदम चला और लड़खड़ा के गिर पड़ा|
खुद को किसी तरह संभाला और खड़ा हुआ;
भौजी: आप कहीं नहीं जा रहे ...चलो अंदर जाके लेट जाओ|
मैं: नहीं...माँ-पिताजी.....चिंता.....
भौजी: नहीं मैं कहीं नहीं जाने दूंगी आपको| चलो लेट जाओ|
भौजी ने मुझे अपने कमरे में पलंग पे लिटा दिया|मैंने पाँव को एड़ी से रगड़ के जुटे उतारे और फ़ैल के लेट गया| मुझे कुछ तो होश था ही...और अब तो मन में अजीब सी तरंगे उठने लगीं थी|Excited feel हो रहा था|मन कर रहा था की भौजी को दबोश लूँ... पर ये क्या हो रहा है मुझे? आजतक पीने के बाद कभी मुझे ऐसा नहीं लगा| जब भी पी, चुप चाप घर आके, कमरा लॉक किया, ब्रश किया और सो गया| पर इस बार ऐसा क्यों लग रहा है...बस यही सोच रहा था की इधर दिमाग ने जिस्म से लड़ाई छेड़ दी| दिमाग अब भी conscious state में था और जिस्म बगावत पे उतर आया था| ऐसा लगा मानो दिमाग का जिस्म पे कंट्रोल ही ना हो....जैसे-तैसे कर के खुद को रोक!| फिर में थोड़ा बड़बड़ाया;
मैं: माँ-पिताजी....फोन....
भौजी: हाँ मैं अभी फोन करती हूँ|
इधर खुद को रोकने का एक ही तरीका था...की सो जाऊँ| दिमाग को हल्का छोड़ दिया और सोने लगा|कुछ देर बाद मुझे कुछ आवाजें सुनाई देने लगीं... पर इतनी हिम्मत नहीं हुई की उठ के देखूं की कौन है| करीब आधे घंटे बाद मैं उठा...मूतने ...देखा भौजी मेरी बगल में सोई हैं! मन किया उन्हें छू के देखूं...प्यार करूँ पर अगले ही पल खुद को झिड़क दिया और मूतने बाथरूम में घुसा...फिर से मुंह धोया...की शायद होश में आउन और यहाँ से चुप-चाप चला जाऊँ...पर नशा अब भी सीधा खड़ा होने नहीं दे रहा था| तो चल के घर तक कैसे जाता| भौजी का घर 3 BHK था...जहाँ मैं पहले लेता था वो उनका बैडरूम था...दूसरे रूम में बहू सो रहे थे और तीसरे रूम की हालत ज्यादा सही नहीं थी...उसमें सामान भरा हुआ था..बास एक सिंगल बेड रखा था, जिसपे चादर तक नहीं थी| अब खुद को रोकने का यही एक तरीका था...मैं उसी बेड पे लेट गया...पर शरीर में जैसे छतियां काटने लगी थीं| मन कर रहा था की जाके वापिस भौजी के करे में सो जाऊँ...पर नहीं....ये मैं कैसे कर सकता था| कुछ देर की लड़ाई के बाद जिस्म ने हार मान ली और मैं सो गया, उसके बाद कुछ होश नहीं की क्या हुआ... सीधा सुबह दस बजे आँख खुली!
सर दर्द से फटा जा रहा था| मैं उठ के बैठा और इतने में भौजी आ गईं| मैं सर पकडे बैठा था...
भौजी: कॉफ़ी लोगे?
मैं: हाँ... पर ब्लैक!
भौजी: अभी लाई...
कुछ देर बाद भौजी कॉफ़ी ले के लौटीं|
मैं: I hope मैंने कल रात कोई बदतमीजी नहीं की!
भौजी: उसके बारे में बाद में बात करते हैं| अभी घर चलो!
हम दोनों घर आ गए| घर में घुसते ही माँ का गुस्से से तमतमाया हुआ चेहरा दिखाई दिया और इधर पिताजी डाइनिंग टेबल पे अखबार पढ़ रहे थे| मैं भी डाइनिंग टेबल पे जाके बैठ गया और सर पकड़ लिया, इधर जैसे ही उनकी नजर मुझ पे गई वो बोले;
पिताजी: उतर गई तेरी? या अभी बाकी है? और मंगाऊँ शराब? (ये पिताजी का पहला आक्रमण था)
मुझे बहुत बुरा लग रहा था की मैंने ये क्या किया.... की इतने में चन्दर भैया आ गए और वो भी टेबल पे बैठ गए|
चन्दर भैया: भैया इतनी क्यों पीते हो? (उन्होंने मुझे छेड़ते हुए पूछा)
मैं: वो...कल...पहलीबार था..... इसलिए होश नहीं रहा| Sorry पिताजी!
पिताजी: तू तो कह के गया था की ट्रीट देने जा रहा है और तू शराब पीने गया था? (पिताजी ने गुस्से में सवाल पूछा)
मैं: जी...वो प्लान अचानक बन गया... दिषु और मैंने कभी पी नहीं थी...तो सोचा की एक बार ...
पिताजी: तेरी हिम्मत कैसे हुई? (पिताजी गरजते हुए बोले)
मैं: sorry पिताजी...आगे से एस एकभी नहीं होगा| मैंने तो बस एक ग्लास बियर पी थी...वहाँ पहले से पार्टी चल रही थी| हम दोनों की ड्रिंक्स एक्सचेंज हो गईं...
पिताजी: कहाँ गया था तू? (उन्होंने फिर गरज के कहा)
मैं: जी...याद नहीं! (मैंने जूठ बोला..वरना दिषु की शामत थी)
इतने में माँ ने चाय का कप मेरे सामने टेबल बे दे पटका और गुस्से में बोलीं;
माँ: ये ले... चाय...तेरा सर दर्द ठीक होगा|
पिताजी: पता नहीं? इतना भी होश नहीं.... दिषु को तो पता होगा?
मैं: जी नहीं...मैंने बताया ना वहाँ पार्टी चल रही थी..और हमारी ड्रिंक्स उन लोगों के साथ बदल गईं| इसलिए हमारी ये हालत हुई ...
पिताजी: अगर अगली बार तूने कभी भी शराब पी...तो तेरी टांगें तोड़ दूंगा और दिषु...उसके घर वालों से मैं बात करता हूँ, कल रात से वो भी पचास बार फोन कर चुके हैं| वो तो कल तेरी भौजी का फोन आया तब पता चला की तू उनके घर पे पड़ा है! इतनी शर्म आ रही थी घर आने में तो पी ही क्यों?
मैं: Sorry पिताजी...आज के बाद कभी नहीं पीऊँगा|
पिताजी कुछ नहीं बोले बस चन्दर भैया के साथ काम पे निकल गए| मैं भी उठा और अपने कमरे में घुस गया और फ्रेश हो के बाहर आया|
भौजी: रात को कुछ खाया था?
मैं: नहीं...
भौजी: मैं अभी खाने को कुछ लाती हूँ|
और भौजी नाश्ता बनाने चली गईं, इतने में दिषु का फोन आ गया|
दिषु: हेल्लो
मैं: साले...कुत्ते...कमीने...बहनचोद...ये क्या पिला दिया तूने? भोसड़ी वाले....
दिषु: (हँसते हुए) मजा आया ना रात भाभी के साथ?
मैं: क्या बकवास कर रहा है तू?
दिषु: अबे...you didn't had sex with your bhabhi?
मैं: ओ भोसड़ीवाले!!! क्या कह रहा है तू? क्या मिलाया था तूने?
दिषु: यार नाम तो याद नहीं...बारटेंडर ने कहा था बड़ी मस्त चीज है और उसने लड़कियों के नंबर भी दिए थे! अबे काश कल तू रात को आता| खेर तूने अपनी भाभी के साथ तो किया ही होगा?
मैं: बहनचोद! मुझे कुछ याद नहीं.... थोड़ा बहुत याद है...पर बेटा अगर कुछ हुआ होगा तो तेरी गांड लंगूर के जैसी लाल कर दूँगा| सच कह रहा हूँ भाई!
दिषु: भाई भड़क क्यों रहा है? मैंने तो तेरा काम आसान कर दिया||
मैं: साले नशे में मैं उन्हें छूने की भी नहीं सोच सकता! और तेरी वजह से मैंने कल रात पता नहीं क्या किया उनके साथ!!! तू गया बेटा !! बहनचोद अब तो तेरी गांड लाल हो के रहेगी!! (मैंने उसे बहुत गुस्से में ये सब कह दिया|)
मैंने फोन काटा और इतने में भौजी नाश्ता लेके अंदर आईं| उन्होंने मेरी बात सुन ली थी| मैं उनके सामने अपनेघुटनों पे आ गया और एक सांस में बोल गया;
मैं: जान.... I’m very Sorry..... मैंने कल रात को आपके साथ बदसलूकी की! …. I’m very sorry….प्लीज मुझ माफ़ कर दो!!!
भौजी: जानू...पर आपने कुछ नहीं किया?
मैं: क्या? How’s that possible? दिषु ने अभी कहा की उसने दोनों की ड्रिंक में कुछ sexual drug मिलाई थी.... और उसने तो रात को...मतलब.... (मैंने आगे कुछ नहीं कहा) तो मतलब मैंने आपको नहीं छुआ?
भौजी: नहीं....पर आप drugs लेते हो?
मैं: नहीं...वो उसने पहली बार ....
भौजी: सच कह रहे हो? खाओ मेरी कसम?
मैं: आपकी कसम मैं drugs नहीं लेता| कल रात पहलीबार था! और आखरी भी! Thank God … मैंने कल आपको नहीं छुआ....वरना कसम से खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाता|
भौजी: कल आप बड़ा कह रहे थे की मैं संगे मर्मर की पवित्र मूरत हूँ और वो सब....!!! कल बड़ी बड़ाई कर रहे थे मेरी...और कल रात आप भी बहुत कुछ कर सकते थे! नशे में तो थे ही...पर फिर भी आपने ऐसा कुछ नहीं किया? drugs के नशे में होते हुए भी खुद को रोके रखा| उठ के मुझे देखा पर फिर भी....कोई बदसलूकी नहीं की| तो अब बताओ की कौन ज्यादा प्यार करता है? मैं या आप? मिल गया न अपने सवालों का जवाब?
मैं: हाँ जी!
फिर भौजी मेरे गले लग गईं| मैंने नाश्ता किया और अब Guilty महसूस नहीं हो रही थी!
थोड़ी देर में दिषु का फोन आया और वो बहुत घबराया हुआ था, बल्कि ये कहना गलत नहीं होगा की उसकी फटी हुई थी!
मैं: बोल? (गुस्से में)
दिषु: यार..Sorry ....पर मेरी फटी हुई है! मेरे पापा ने कल तेरे घर फोन किया था...तो औन्क्ले ने उन्हें बताया नहीं की मैंने तेरे साथ हूँ?
मैं: उन्हें नहीं पता था की तू कहाँ है? तो वो क्या कहते? Hell I wasn't even conscious ! Thanks to you !
दिषु: यार आज तो मेरी चुदाई पक्की है!
मैं: सही है..कल रात तूने बजाई और आज तेरी बजेगी!!! ही..ही..ही..
दिषु: हँस ले भाई! बजी तो तेरी भी होगी?
मैं: हाँ... पर शुक्र कर तुझे बचा लिया वरना ...
फिर मैंने उसे सारी बात समझा दी| भौजी सारी बात सुन रही थीं, और जब मैंने फोन काटा तब वो बोलीं;
भौजी: अभी क्या कह रहे थे आप?
मैं: वो कल मुझे वहाँ ले जाना चाहता था!
भौजी: कहाँ?
मैं: G.B. Road !
भौजी: वो कौन सी जगह है?
मैं: Red Light Area!
भौजी: Hwwwwww ! पर आप गए क्यों नहीं?
मैं: Because ….. I ….. Love…….. You !!!!
भौजी: I Love You too जानू!
मैं: अच्छा ...आप मेरा एक काम करोगे?
भौजी: हाँ..हाँ बोलो जानू!
मैं: आप यहाँ बैठो! (मैंने उन्हें कंप्यूटर टेबल के पास पड़ी कुर्सी पे बिठा दिया|) और अब अपनी आँखें बंद करो!
भौजी: पर क्यों?
मैं: यार...सवाल मत पूछो!
भौजी: ठीक है बाबा!
भौजी ने आँखें बंद की| फिर मैंने अपने तकिये के नीचे से चांदी की पायल निकाली और भौजी के ठीक सामने जमीन पर आलथी-पालथी मार के बैठ गया| फिर उनका दाहिना पैर उठा के अपने दाहिने घुटनों पे रखा और उन्हें पायल पहनाई| इतने में भौजी ने आँखें खोल लीं;
भौजी: हाय राम! ये आप कब लाये? और क्यों?
मैं: उस दिन जब आप बीमार पड़े थे तब मैंने देखा था की आपके पाँव में पायल होती थी, जो अब नहीं थी| इसलिए उस दिन सोचा था की मैं अपने जन्मदिन के दिन आपको दूँगा| फिर कल शाम को आपने कहा था की रात को आपके पास आउन..तो फिर मैंने सोचा की रात को आपको पहनाऊँगा| पर कल रात वाले काण्ड के बाद...समय ही नहीं मिला|
भौजी: wow ! ये तो लॉक वाली पायल है! आपको कैसे पता चला की मुझे ऐसी पायल पसंद है? मैंने तो आपको कभी बताया नहीं? फिर कैसे पता चला?
मैं: ह्म्म्म्म्म ... हमारे दिल कनेक्टेड हैं!
भौजी हँस पड़ीं|
भौजी: अब ये बताओ की कितनी की आई?
मैं: क्यों? पैसे दोगे मुझे?
भौजी: नहीं बस...ऐसे ही पूछा!
मैं: वो सब छोडो और ये बताओ की आपकी पुरानी वाली पायल कहाँ है?
भौजी: वो....अनिल को कुछ पैसे चाहिए थे...Exams के लिए...मेरे पास थे नहीं तो.. मैंने उसे पायल और चूड़ियाँ दे दी|
मैं: और ये कब के बात है?
भौजी: यहाँ आने से पहले की|
मैं: और आपने मुझे ये बताना जर्रुरी नहीं समझा?
भौजी: नहीं...नहीं...ऐसी बात नहीं है| मुझे याद नहीं रहा|
मैं: आप जानते हो ना आपकी पायल की आवाज मुझे कितनी अच्छी लगती थी?
भौजी: Sorry बाबा!
मैं: चलो कोई बात नहीं| अच्छा...एक कप चाय मिलेगी?
भौजी: हाँ-हाँ जर्रूर....
मैं: और हाँ मेरे फोन की बैटरी डिस्चार्ज हो गई है| आपके फोन में बैलेंस है?
भौजी: हाँ ये लो|
मैंने जानबूझ के जूठ बोल के उनसे फोन लिया और फटाफट अनिल का नया नंबर ले लिया| फिर चाय पी और घर से निकल गया|
बहार जाके मैंने अनिल को फोन किया;
मैं: हेल्लो अनिल?
अनिल: नमस्ते जीजू!
मैं: नमस्ते...यार तुमने अपनी दीदी से कुछ पैसे लिए थे?
अनिल: जी..वो कॉलेज की फीस भरनी थी....
मैं: मुझे क्यों नहीं बताया? मेरा नंबर तो था ना तुम्हारे पास?
अनिल: जी व...वो.....
मैं: अच्छा ये बताओ पैसे पूरे पड़ गए थे?
अनिल: जी.....वो...
अनिल: देख भाई जूठ मत बोल....
अनिल: जी नहीं.... पर काम चल गया था...मैंने कुछ पैसे उधार ले लिए थे|
मैं: कितने पैसे?
अनिल: जी....पाँच...पाँच हजार... PG के पैसे भरने के लिए|
मैं: अच्छा...आपकी दीदी ने कुछ पैसे दिए हैं आपको भेजने को! NEFT कर दूँ? अभी पहुँच जायेंगे|
(मैंने कूठ बोला, क्योंकि मैं जानता था की अनिल कभी भी मुझसे पैसे नहीं लेगा|)
अनिल: जी...
फिर उसने मुझे अपना बैंक अकाउंट नंबर और बाकी की डिटेल दी| दरअसल अनिल मुंबई में MBA करने गया है| भौजी के पिताजी अब चूँकि काम-धंदा नहीं कर पाते उम्र के चलते तो उन्होंने अपनी जमीन जुताई के लिए किाराये पे दी है| अब छोटे से टुकड़े से कहाँ इतनी आमदनी होती है? मैंने ये पैसे भेजने की बात भौजी को नहीं बताई और चुप-चाप एक घटे बाद वापस आ गया| दो घंटों बाद मुझे अनिल का फोन आया की उसे पैसे मिल गए हैं| मने फोन रखा और लेट गया| सीधा शाम को उठा और भौजी सामने चाय का कप ले के कड़ी थीं| उनकी आँखों में आंसूं थे, उन चेहरा देख के एकदम से उठा और उनका हाथ पकड़ के अपने पास बिठाया और उनके आँसूं पोछे;
मैं: Hey क्या हुआ? किसी ने कुछ कहा?
भौजी ने चाय का कप मेरे कंप्यूटर टेबल पे रखा और मुझसे लिपट गईं और रोने लगीं|
मैं: Hey..Hey…Hey…क्या हुआ?
भौजी सुबकते हुए बोलीं;
भौजी: अनिल का फोन आया था....
मैं: वो ठीक तो है ना?
भौजी: आपने....उसे पैसे....भेजे थे?
मैं: (मैं उनसे जूठ नहीं बोल सकता था) हाँ
भौजी ने अपनी बाँहों को मेरे इर्द-गिर्द कस लिया|
भौजी: thank you
मैं: किस लिए? अब आप तो मुझे अपनी प्रोब्लेम्स के बारे में बताते नहीं हो...तो मुझे ही कुछ करना पड़ा|
इतने में अनिल का फोन आ गया|
मैं: हेल्लो
अनिल: thank you जीजू!
मैं: अरे यार thank you वाली फॉर्मेलिटी बाहर वालों के साथ होती है| अपनों के साथ नहीं...और हाँ ...कभी कोई जर्रूरत हो तो मुझे फोन किया कर....दीदी को नहीं...!
अनिल: पर दीदी ने तो आपको कुछ बताया नहीं...फिर आपको कैसे?
मैं: आज मैंने उन्हें बिना पायल के देख तो पूछा..उन्होंने कहा की उन्होंने पायल और कुछ छुड़ियां बेच के तुम्हें पैसे भेजे...चांदी के पायल के कितने मिलते हैं....? चूड़ियों के फिर भी कुछ मिले होंगे| इसलिए मैंने तुम्हें फोन कर के पूछा| Anyways छोडो इन बातों को और पढ़ाई में मन लगाओ|
अनिल: जी जीजू!
मैं: बाय and take care!
अनिल: बाय जीजू!
भौजी ने हमारी बातें सुन ली थी|
मैं: और आप....अगर आपने दुबारा मुझसे को बात छुपाई ना...तो देख लेना!!! ढूंढने से भी नहीं मिलूंगा आपको?
भौजी मुझसे फिर से लिपट गईं| फिर जैसे-तैसे मैंने उन्हें चुप कराया और जो चाय वो लाईं थीं वो आधी उन्हें पिलाई और आधी मैंने पी| बच्चों के साथ खेलते-कूदते दिन गुजरा....हाँ मैं पिताजी और माँ से अब भी नजरें बचा रहा था और अपने कमरे से बाहर नहीं निकला था| रात को पिताजी घर आये और तब माँ मुझे खाने के लिए बोलने आईं| सब डाइनिंग टेबल पे बैठ गए और अब बारी थी फिर से पिताजी के ताने सुनने की!
पिताजी: तो क्या किया सारा दिन?
माँ: पलंग तोड़ रहा था ...और क्या?
पिताजी: हम्म्म्म .... कल साइट पे आजइओ!!
मैं: जी (मैंने सर झुकाये हुए कहा|)
मैं हैरान था की बस ...इतनी ही दांत पड़ने थी की तभी चन्दर भैया ने चुटकी ली;
चन्दर भैया: मानु भैया... चाचा अच्छे मूड में हैं इसलिए बच गए आप!
मुझे गुस्सा तो बहुत आया की आग ठंडी पड़ चुकी है...और इन्हें उसमें घांसलेट डालने की पड़ी है| तभी पिताजी बोले,
पिताजी: ऐसा नहीं है बेटा.... क्लास तो मैं आज फिर इसके लगाता पर अब ये जवान हो गया है...आज तक इसने कोई गलत काम नहीं किया...पहली बार किया जिसके लिए इसे ग्लानि भी हो रही है| ऐसे में मैं इसकी सुताई कर दूँ तो ये सुधरेगा नहीं बल्कि..और बिगड़ेगा| फिर है भी तो ये गर्म खून! इतना ही बड़ा है की इसने वादा कर दिया की ये कभी ऐसी गलती नहीं करेगा|
मैं: I promise पिताजी...आज के बाद कभी शराब को हाथ नहीं लगाउँगा|
पिताजी मेरी बात से निश्चिन्त लगे और मेरे सर पे हाथ फेरा| डिनर के बाद पिताजी अपने कमरे में सोने चले गए और इधर चन्दर भैया ने भौजी से घर की चाभी ली और वो भी सोने चले गए| अब चूँकि मिअन दिनभर पलंग तोड़ चूका था तो नींद आ नहीं रही थी तो बैठक में माँ, मैं और भौजी बैठे थे| बच्चों को मैंने अपने कमरे में कहानी सुनाते हुए सुला दिया था| शुक्रवार का दिन था और रात दस बजे CID आता है| माँ उसकी बहुत बड़ी फैन है और अब तो ये आदत भौजी को भी लग चुकी थी| मैं भी वहां ऐसे ही बैठा था| CID खत्म हुआ तो माँ भी सोने चली गई और मुझे कह गई की;
माँ: बेटा...अगर देर तक टी.वी देखने का प्लान है तो .अपनी भौजी को घर छोड़ दिओ... अकेले मत जाने दिओ|
मैं: जी...
हम क्राइम पेट्रोल देख रहे थे| मैं दूसरी कुर्सी पे बैठा था और भौजी सोफे पे| उन्होंने इशारे से मुझे अपने पास बुलाया, मैं जाके उनके पास बैठ गया|
भौजी: एक बात पूछूं? आप बुरा तो नहीं मानोगे?
मैं: पूछो?
भौजी: आपने वो पैसे कहाँ से भेजे?
मैं: मेरे अकाउंट से|
भौजी: और आपके पास पैसे कहाँ से आये?
मैं: studies पूरी होने के बाद मैंने कुछ डेढ़-दो साल जॉब की थी| घर तो पिताजी के पैसों से चल जाया करता था| मैं बस अपनी सैलरी से appliances खरीदा करता था| कभी Washing Machine तो कभी desktop ..... ये उसी की savings हैं|
भौजी आगे कुछ नहीं बोलीं बस गर्दन झुका के बैठ गईं|
मैं: Hey? बुरा लग रहा है?
भौजी कुछ नहीं बोलीं;
मैं: अच्छा ये बताओ की अगर यो आपका भाई है तो क्या मेरा कुछ नहीं? आपने ही तो उसे मेरा साल बनाया ना? अब दुनिया में ऐसा कौन सा जीजा है जिसे साले की मदद करने में दुःख होता हो? I mean जेठा लाल को छोड़ के! (तारक मेहता का उल्टा चश्मा)
मेरी बात सुन के भौजी मुस्कुरा दीं| चलो तारक मेहता का उल्टा चश्मा के जरिये ही सही ...वो हँसी तो!!!
मैं: चलो अब रात बहुत हो रही है...मैं आपको घर छोड़ देता हूँ|
मैंने भौजी को घर छोड़ा...उन्होंने Kiss मांगी पर उस वक़्त वो अंदर थीं और मैं बाहर...ऊपर से चन्दर भैया भी घर पर...तो मैंने "कल" कह दिया और Good Night कह के वापस आ गया| वापस आया तो आयसुह जाग रहा था और मेरे कमरे में पड़े खिलौनों से खेल रहा था|
मैं: आयुष...बेटा नींद नहीं आ रही?
आयुष: नहीं पापा...
मैं: बेटा कल स्कूल जाना है...जल्दी सोओगे नहीं तो सुबह जल्दी कैसे उठोगे?
आयुष: पापा...मुझे गेम खेलनी है|
मैं: ठीक है... पर शोर नहीं करना वरना नेहा जाग जाएगी|
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बदलाव के बीज--84
अब आगे ....
वो बोलीं;
भौजी: तो? हमारा प्लान कैंसिल?
मैं: शायद! (मैंने नजरें चुराते हुए कहा)
भौजी: मैं नहीं जानती... Tonight I want you here !
मैं: पर....
भौजी: पर-वार कुछ नहीं...
फिर हम नीचे आ गए| मैंने घर जाके माँ को आज अपने प्लान के बारे में बता दिया| डेढ़ घंटे बाद ही मैं तैयार हो के स्टेशन के लिए निकल गया| स्टेशन पे उससे मिला और उसने अपना प्लान मुझे बताया| साले ने PUB जाने का प्लान बनाया था|
मैं: अबे पागल हो गया है तू? साले घर अगर पिके पहुँचा ना, तो पिताजी खाल खींच लेंगे|
दिषु: अबे चल ना यार.... साल में एक बार सब चलता है|
अब दोस्त को मना कैसे करूँ...वो भी जिगरी दोस्त को! मैंने घर फोन कर दिया की मैं लेट आऊँगा| शायद भौजी भी वहीँ मौजूद थीं और उन्होंने भी सुन लिया था की मैं लेट आऊँगा...इसलिए उन्होंने दो मिनट बाद अपने मोबाइल से फोन किया;
भौजी: हेल्लो मिस्टर ...भूल गए मुझे? (भौजी ने शिकायत की)
मैं: नहीं यार...मैं आ जाऊँगा....
भौजी: आज रात आपके भैया साइट पे रुकने वाले हैं और देर से आएंगे...उनके आने से पहले आ जाना...वार्ना याद है ना... (भौजी ने प्यार भरी धमकी दी|)
मैं: हाँ-हाँ बाबा आजाऊँगा....
और मैंने फोन काट दिया|
दिषु: क्या बात है?
मैं: कुछ नहीं यार| चल जल्दी चल|
मैं उसके साथ PUB आगया| Loud Music , Dance .... Awesome !!! मैं एक occasional drinker हूँ| पर अपनी लिमिट जानता हूँ| घर में मेरी इस आदत के बारे में कोई नहीं जानता| मैं बड़ा सोच समझ के ड्रिंक कर रक था..पर तभी दिषु ने ड्रिंक में कुछ मिलाया|
मैं: अबे ये क्या है?
दिषु: पी के देख| हवा में ना उड़े तो कहिओ!
मैं: पर है क्या ये?
दिषु: पता नहीं..बारटेंडर ने कहा बहुत अच्छी चीज है!
मैं: Fuck .... You Kidding Me ! अबे साले ड्रग्स हुआ तो?
दिषु: अबे चल न यार...एक बार ले के तो देख|
मैंने एक घूंट पिया..कुछ फर्क नहीं पड़ा| फिर धीरे-धीरे मैंने पूरा ड्रिंक खत्म किया| पर वो साल बाज नहीं आया और एक और ड्रिंक पिला दिया| इधर भौजी के फोन आने लगे...एक के बाद एक...लगातार दस कॉल| पर इधर मेरा सर घूमने लगा था...मुझे तो अपने मोबाइल की स्क्रीन पे नंबर और नाम तक ठीक से दिखाई नहीं दे रहे थे| अब तो पिताजी ने भी फोन करने शुरू कर दिए!
मैं: अबे...तूने ..ये क्या दे दिया....साले सर...घूम रहा है! ले फोन पे बात कर!
दिषु: अबे...सर तो मेरा....भी घूम रहा है!!!
मैं: साले फोन देख...बापू ने आज तो मेरी सुताई कर देनी है|
दिषु: अबे ... सुन...मेरा एक ऑफिस का ददोसत यहीं रहता है| उसके पास एक जुगाड़ है…..चल उसके घर चलते हैं …..और आज जुगाड़ पेलते हैं!
मैं: अबे …… ठरकी ...साले.....तूने .....सब प्लान कर ....रखा था! पर मुझे ...घर .......जाना है.....cause...I made a promise to her ..... फोन मिला और टैक्सी बुला|
दिषु: तेरी मर्जी .......
इतने में एक और बार भौजी का फोन आया और इस बार मैंने उठा भी लिया;
मैं: हेल्लो....
भौजी: कहाँ हो आप? घडी देखि है...साढ़े ग्यारह बज रहे हैं|
मैं: हाँ....आ ...रहा....हूँ!
भौजी: आप इतना खींच-खींच के क्यों बोल रहे हो?
मैं: आके...बताता ...हूँ!
मैंने फोन रखा और टैक्सी पकड़ी…… और भौजी के घर पहुँचते-पहुँचते साढ़े बारह बज गए| अब मैं इस हालत में सीधा घर तो जा नहीं सकता था| तो मैं लड़खड़ाते हुए भौजी के घर पहुँचा और उनके घर का दरवाजा खटखटाया| भौजी ने दरवाजा खोला..और मेरी हालत देख के वो सब समझ गईं|
भौजी: अपने पी है?
मैं: अह्ह्ह...हम्म्म्म....
भौजी ने मुझे अंदर बुलाया;
मैं: Sorry ....
मैं अंदर कुर्सी पे बैठा और लुढक गया|
भौजी: अंदर चल के लेट जाओ|
मैं: नहीं...बच्चे ...मुझे ऐसे न देखें ....
मैं किसी तरह उठ के खड़ा हुआ, वॉशबेसिन में मुँह धोया... और बाहर जाने लगा|
भौजी: कहाँ जा रहे हो?
मैं: घर...
भौजी: पर ऐसी हालत में घर जाओगे तो पिताजी...
मैं: जानता हूँ...गलती की है तो....
भौजी: मैं साथ चलती हूँ|
मैं: नहीं...आप यहीं रहो ...
मैं आगे दो कदम चला और लड़खड़ा के गिर पड़ा|
खुद को किसी तरह संभाला और खड़ा हुआ;
भौजी: आप कहीं नहीं जा रहे ...चलो अंदर जाके लेट जाओ|
मैं: नहीं...माँ-पिताजी.....चिंता.....
भौजी: नहीं मैं कहीं नहीं जाने दूंगी आपको| चलो लेट जाओ|
भौजी ने मुझे अपने कमरे में पलंग पे लिटा दिया|मैंने पाँव को एड़ी से रगड़ के जुटे उतारे और फ़ैल के लेट गया| मुझे कुछ तो होश था ही...और अब तो मन में अजीब सी तरंगे उठने लगीं थी|Excited feel हो रहा था|मन कर रहा था की भौजी को दबोश लूँ... पर ये क्या हो रहा है मुझे? आजतक पीने के बाद कभी मुझे ऐसा नहीं लगा| जब भी पी, चुप चाप घर आके, कमरा लॉक किया, ब्रश किया और सो गया| पर इस बार ऐसा क्यों लग रहा है...बस यही सोच रहा था की इधर दिमाग ने जिस्म से लड़ाई छेड़ दी| दिमाग अब भी conscious state में था और जिस्म बगावत पे उतर आया था| ऐसा लगा मानो दिमाग का जिस्म पे कंट्रोल ही ना हो....जैसे-तैसे कर के खुद को रोक!| फिर में थोड़ा बड़बड़ाया;
मैं: माँ-पिताजी....फोन....
भौजी: हाँ मैं अभी फोन करती हूँ|
इधर खुद को रोकने का एक ही तरीका था...की सो जाऊँ| दिमाग को हल्का छोड़ दिया और सोने लगा|कुछ देर बाद मुझे कुछ आवाजें सुनाई देने लगीं... पर इतनी हिम्मत नहीं हुई की उठ के देखूं की कौन है| करीब आधे घंटे बाद मैं उठा...मूतने ...देखा भौजी मेरी बगल में सोई हैं! मन किया उन्हें छू के देखूं...प्यार करूँ पर अगले ही पल खुद को झिड़क दिया और मूतने बाथरूम में घुसा...फिर से मुंह धोया...की शायद होश में आउन और यहाँ से चुप-चाप चला जाऊँ...पर नशा अब भी सीधा खड़ा होने नहीं दे रहा था| तो चल के घर तक कैसे जाता| भौजी का घर 3 BHK था...जहाँ मैं पहले लेता था वो उनका बैडरूम था...दूसरे रूम में बहू सो रहे थे और तीसरे रूम की हालत ज्यादा सही नहीं थी...उसमें सामान भरा हुआ था..बास एक सिंगल बेड रखा था, जिसपे चादर तक नहीं थी| अब खुद को रोकने का यही एक तरीका था...मैं उसी बेड पे लेट गया...पर शरीर में जैसे छतियां काटने लगी थीं| मन कर रहा था की जाके वापिस भौजी के करे में सो जाऊँ...पर नहीं....ये मैं कैसे कर सकता था| कुछ देर की लड़ाई के बाद जिस्म ने हार मान ली और मैं सो गया, उसके बाद कुछ होश नहीं की क्या हुआ... सीधा सुबह दस बजे आँख खुली!
सर दर्द से फटा जा रहा था| मैं उठ के बैठा और इतने में भौजी आ गईं| मैं सर पकडे बैठा था...
भौजी: कॉफ़ी लोगे?
मैं: हाँ... पर ब्लैक!
भौजी: अभी लाई...
कुछ देर बाद भौजी कॉफ़ी ले के लौटीं|
मैं: I hope मैंने कल रात कोई बदतमीजी नहीं की!
भौजी: उसके बारे में बाद में बात करते हैं| अभी घर चलो!
हम दोनों घर आ गए| घर में घुसते ही माँ का गुस्से से तमतमाया हुआ चेहरा दिखाई दिया और इधर पिताजी डाइनिंग टेबल पे अखबार पढ़ रहे थे| मैं भी डाइनिंग टेबल पे जाके बैठ गया और सर पकड़ लिया, इधर जैसे ही उनकी नजर मुझ पे गई वो बोले;
पिताजी: उतर गई तेरी? या अभी बाकी है? और मंगाऊँ शराब? (ये पिताजी का पहला आक्रमण था)
मुझे बहुत बुरा लग रहा था की मैंने ये क्या किया.... की इतने में चन्दर भैया आ गए और वो भी टेबल पे बैठ गए|
चन्दर भैया: भैया इतनी क्यों पीते हो? (उन्होंने मुझे छेड़ते हुए पूछा)
मैं: वो...कल...पहलीबार था..... इसलिए होश नहीं रहा| Sorry पिताजी!
पिताजी: तू तो कह के गया था की ट्रीट देने जा रहा है और तू शराब पीने गया था? (पिताजी ने गुस्से में सवाल पूछा)
मैं: जी...वो प्लान अचानक बन गया... दिषु और मैंने कभी पी नहीं थी...तो सोचा की एक बार ...
पिताजी: तेरी हिम्मत कैसे हुई? (पिताजी गरजते हुए बोले)
मैं: sorry पिताजी...आगे से एस एकभी नहीं होगा| मैंने तो बस एक ग्लास बियर पी थी...वहाँ पहले से पार्टी चल रही थी| हम दोनों की ड्रिंक्स एक्सचेंज हो गईं...
पिताजी: कहाँ गया था तू? (उन्होंने फिर गरज के कहा)
मैं: जी...याद नहीं! (मैंने जूठ बोला..वरना दिषु की शामत थी)
इतने में माँ ने चाय का कप मेरे सामने टेबल बे दे पटका और गुस्से में बोलीं;
माँ: ये ले... चाय...तेरा सर दर्द ठीक होगा|
पिताजी: पता नहीं? इतना भी होश नहीं.... दिषु को तो पता होगा?
मैं: जी नहीं...मैंने बताया ना वहाँ पार्टी चल रही थी..और हमारी ड्रिंक्स उन लोगों के साथ बदल गईं| इसलिए हमारी ये हालत हुई ...
पिताजी: अगर अगली बार तूने कभी भी शराब पी...तो तेरी टांगें तोड़ दूंगा और दिषु...उसके घर वालों से मैं बात करता हूँ, कल रात से वो भी पचास बार फोन कर चुके हैं| वो तो कल तेरी भौजी का फोन आया तब पता चला की तू उनके घर पे पड़ा है! इतनी शर्म आ रही थी घर आने में तो पी ही क्यों?
मैं: Sorry पिताजी...आज के बाद कभी नहीं पीऊँगा|
पिताजी कुछ नहीं बोले बस चन्दर भैया के साथ काम पे निकल गए| मैं भी उठा और अपने कमरे में घुस गया और फ्रेश हो के बाहर आया|
भौजी: रात को कुछ खाया था?
मैं: नहीं...
भौजी: मैं अभी खाने को कुछ लाती हूँ|
और भौजी नाश्ता बनाने चली गईं, इतने में दिषु का फोन आ गया|
दिषु: हेल्लो
मैं: साले...कुत्ते...कमीने...बहनचोद...ये क्या पिला दिया तूने? भोसड़ी वाले....
दिषु: (हँसते हुए) मजा आया ना रात भाभी के साथ?
मैं: क्या बकवास कर रहा है तू?
दिषु: अबे...you didn't had sex with your bhabhi?
मैं: ओ भोसड़ीवाले!!! क्या कह रहा है तू? क्या मिलाया था तूने?
दिषु: यार नाम तो याद नहीं...बारटेंडर ने कहा था बड़ी मस्त चीज है और उसने लड़कियों के नंबर भी दिए थे! अबे काश कल तू रात को आता| खेर तूने अपनी भाभी के साथ तो किया ही होगा?
मैं: बहनचोद! मुझे कुछ याद नहीं.... थोड़ा बहुत याद है...पर बेटा अगर कुछ हुआ होगा तो तेरी गांड लंगूर के जैसी लाल कर दूँगा| सच कह रहा हूँ भाई!
दिषु: भाई भड़क क्यों रहा है? मैंने तो तेरा काम आसान कर दिया||
मैं: साले नशे में मैं उन्हें छूने की भी नहीं सोच सकता! और तेरी वजह से मैंने कल रात पता नहीं क्या किया उनके साथ!!! तू गया बेटा !! बहनचोद अब तो तेरी गांड लाल हो के रहेगी!! (मैंने उसे बहुत गुस्से में ये सब कह दिया|)
मैंने फोन काटा और इतने में भौजी नाश्ता लेके अंदर आईं| उन्होंने मेरी बात सुन ली थी| मैं उनके सामने अपनेघुटनों पे आ गया और एक सांस में बोल गया;
मैं: जान.... I’m very Sorry..... मैंने कल रात को आपके साथ बदसलूकी की! …. I’m very sorry….प्लीज मुझ माफ़ कर दो!!!
भौजी: जानू...पर आपने कुछ नहीं किया?
मैं: क्या? How’s that possible? दिषु ने अभी कहा की उसने दोनों की ड्रिंक में कुछ sexual drug मिलाई थी.... और उसने तो रात को...मतलब.... (मैंने आगे कुछ नहीं कहा) तो मतलब मैंने आपको नहीं छुआ?
भौजी: नहीं....पर आप drugs लेते हो?
मैं: नहीं...वो उसने पहली बार ....
भौजी: सच कह रहे हो? खाओ मेरी कसम?
मैं: आपकी कसम मैं drugs नहीं लेता| कल रात पहलीबार था! और आखरी भी! Thank God … मैंने कल आपको नहीं छुआ....वरना कसम से खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाता|
भौजी: कल आप बड़ा कह रहे थे की मैं संगे मर्मर की पवित्र मूरत हूँ और वो सब....!!! कल बड़ी बड़ाई कर रहे थे मेरी...और कल रात आप भी बहुत कुछ कर सकते थे! नशे में तो थे ही...पर फिर भी आपने ऐसा कुछ नहीं किया? drugs के नशे में होते हुए भी खुद को रोके रखा| उठ के मुझे देखा पर फिर भी....कोई बदसलूकी नहीं की| तो अब बताओ की कौन ज्यादा प्यार करता है? मैं या आप? मिल गया न अपने सवालों का जवाब?
मैं: हाँ जी!
फिर भौजी मेरे गले लग गईं| मैंने नाश्ता किया और अब Guilty महसूस नहीं हो रही थी!
थोड़ी देर में दिषु का फोन आया और वो बहुत घबराया हुआ था, बल्कि ये कहना गलत नहीं होगा की उसकी फटी हुई थी!
मैं: बोल? (गुस्से में)
दिषु: यार..Sorry ....पर मेरी फटी हुई है! मेरे पापा ने कल तेरे घर फोन किया था...तो औन्क्ले ने उन्हें बताया नहीं की मैंने तेरे साथ हूँ?
मैं: उन्हें नहीं पता था की तू कहाँ है? तो वो क्या कहते? Hell I wasn't even conscious ! Thanks to you !
दिषु: यार आज तो मेरी चुदाई पक्की है!
मैं: सही है..कल रात तूने बजाई और आज तेरी बजेगी!!! ही..ही..ही..
दिषु: हँस ले भाई! बजी तो तेरी भी होगी?
मैं: हाँ... पर शुक्र कर तुझे बचा लिया वरना ...
फिर मैंने उसे सारी बात समझा दी| भौजी सारी बात सुन रही थीं, और जब मैंने फोन काटा तब वो बोलीं;
भौजी: अभी क्या कह रहे थे आप?
मैं: वो कल मुझे वहाँ ले जाना चाहता था!
भौजी: कहाँ?
मैं: G.B. Road !
भौजी: वो कौन सी जगह है?
मैं: Red Light Area!
भौजी: Hwwwwww ! पर आप गए क्यों नहीं?
मैं: Because ….. I ….. Love…….. You !!!!
भौजी: I Love You too जानू!
मैं: अच्छा ...आप मेरा एक काम करोगे?
भौजी: हाँ..हाँ बोलो जानू!
मैं: आप यहाँ बैठो! (मैंने उन्हें कंप्यूटर टेबल के पास पड़ी कुर्सी पे बिठा दिया|) और अब अपनी आँखें बंद करो!
भौजी: पर क्यों?
मैं: यार...सवाल मत पूछो!
भौजी: ठीक है बाबा!
भौजी ने आँखें बंद की| फिर मैंने अपने तकिये के नीचे से चांदी की पायल निकाली और भौजी के ठीक सामने जमीन पर आलथी-पालथी मार के बैठ गया| फिर उनका दाहिना पैर उठा के अपने दाहिने घुटनों पे रखा और उन्हें पायल पहनाई| इतने में भौजी ने आँखें खोल लीं;
भौजी: हाय राम! ये आप कब लाये? और क्यों?
मैं: उस दिन जब आप बीमार पड़े थे तब मैंने देखा था की आपके पाँव में पायल होती थी, जो अब नहीं थी| इसलिए उस दिन सोचा था की मैं अपने जन्मदिन के दिन आपको दूँगा| फिर कल शाम को आपने कहा था की रात को आपके पास आउन..तो फिर मैंने सोचा की रात को आपको पहनाऊँगा| पर कल रात वाले काण्ड के बाद...समय ही नहीं मिला|
भौजी: wow ! ये तो लॉक वाली पायल है! आपको कैसे पता चला की मुझे ऐसी पायल पसंद है? मैंने तो आपको कभी बताया नहीं? फिर कैसे पता चला?
मैं: ह्म्म्म्म्म ... हमारे दिल कनेक्टेड हैं!
भौजी हँस पड़ीं|
भौजी: अब ये बताओ की कितनी की आई?
मैं: क्यों? पैसे दोगे मुझे?
भौजी: नहीं बस...ऐसे ही पूछा!
मैं: वो सब छोडो और ये बताओ की आपकी पुरानी वाली पायल कहाँ है?
भौजी: वो....अनिल को कुछ पैसे चाहिए थे...Exams के लिए...मेरे पास थे नहीं तो.. मैंने उसे पायल और चूड़ियाँ दे दी|
मैं: और ये कब के बात है?
भौजी: यहाँ आने से पहले की|
मैं: और आपने मुझे ये बताना जर्रुरी नहीं समझा?
भौजी: नहीं...नहीं...ऐसी बात नहीं है| मुझे याद नहीं रहा|
मैं: आप जानते हो ना आपकी पायल की आवाज मुझे कितनी अच्छी लगती थी?
भौजी: Sorry बाबा!
मैं: चलो कोई बात नहीं| अच्छा...एक कप चाय मिलेगी?
भौजी: हाँ-हाँ जर्रूर....
मैं: और हाँ मेरे फोन की बैटरी डिस्चार्ज हो गई है| आपके फोन में बैलेंस है?
भौजी: हाँ ये लो|
मैंने जानबूझ के जूठ बोल के उनसे फोन लिया और फटाफट अनिल का नया नंबर ले लिया| फिर चाय पी और घर से निकल गया|
बहार जाके मैंने अनिल को फोन किया;
मैं: हेल्लो अनिल?
अनिल: नमस्ते जीजू!
मैं: नमस्ते...यार तुमने अपनी दीदी से कुछ पैसे लिए थे?
अनिल: जी..वो कॉलेज की फीस भरनी थी....
मैं: मुझे क्यों नहीं बताया? मेरा नंबर तो था ना तुम्हारे पास?
अनिल: जी व...वो.....
मैं: अच्छा ये बताओ पैसे पूरे पड़ गए थे?
अनिल: जी.....वो...
अनिल: देख भाई जूठ मत बोल....
अनिल: जी नहीं.... पर काम चल गया था...मैंने कुछ पैसे उधार ले लिए थे|
मैं: कितने पैसे?
अनिल: जी....पाँच...पाँच हजार... PG के पैसे भरने के लिए|
मैं: अच्छा...आपकी दीदी ने कुछ पैसे दिए हैं आपको भेजने को! NEFT कर दूँ? अभी पहुँच जायेंगे|
(मैंने कूठ बोला, क्योंकि मैं जानता था की अनिल कभी भी मुझसे पैसे नहीं लेगा|)
अनिल: जी...
फिर उसने मुझे अपना बैंक अकाउंट नंबर और बाकी की डिटेल दी| दरअसल अनिल मुंबई में MBA करने गया है| भौजी के पिताजी अब चूँकि काम-धंदा नहीं कर पाते उम्र के चलते तो उन्होंने अपनी जमीन जुताई के लिए किाराये पे दी है| अब छोटे से टुकड़े से कहाँ इतनी आमदनी होती है? मैंने ये पैसे भेजने की बात भौजी को नहीं बताई और चुप-चाप एक घटे बाद वापस आ गया| दो घंटों बाद मुझे अनिल का फोन आया की उसे पैसे मिल गए हैं| मने फोन रखा और लेट गया| सीधा शाम को उठा और भौजी सामने चाय का कप ले के कड़ी थीं| उनकी आँखों में आंसूं थे, उन चेहरा देख के एकदम से उठा और उनका हाथ पकड़ के अपने पास बिठाया और उनके आँसूं पोछे;
मैं: Hey क्या हुआ? किसी ने कुछ कहा?
भौजी ने चाय का कप मेरे कंप्यूटर टेबल पे रखा और मुझसे लिपट गईं और रोने लगीं|
मैं: Hey..Hey…Hey…क्या हुआ?
भौजी सुबकते हुए बोलीं;
भौजी: अनिल का फोन आया था....
मैं: वो ठीक तो है ना?
भौजी: आपने....उसे पैसे....भेजे थे?
मैं: (मैं उनसे जूठ नहीं बोल सकता था) हाँ
भौजी ने अपनी बाँहों को मेरे इर्द-गिर्द कस लिया|
भौजी: thank you
मैं: किस लिए? अब आप तो मुझे अपनी प्रोब्लेम्स के बारे में बताते नहीं हो...तो मुझे ही कुछ करना पड़ा|
इतने में अनिल का फोन आ गया|
मैं: हेल्लो
अनिल: thank you जीजू!
मैं: अरे यार thank you वाली फॉर्मेलिटी बाहर वालों के साथ होती है| अपनों के साथ नहीं...और हाँ ...कभी कोई जर्रूरत हो तो मुझे फोन किया कर....दीदी को नहीं...!
अनिल: पर दीदी ने तो आपको कुछ बताया नहीं...फिर आपको कैसे?
मैं: आज मैंने उन्हें बिना पायल के देख तो पूछा..उन्होंने कहा की उन्होंने पायल और कुछ छुड़ियां बेच के तुम्हें पैसे भेजे...चांदी के पायल के कितने मिलते हैं....? चूड़ियों के फिर भी कुछ मिले होंगे| इसलिए मैंने तुम्हें फोन कर के पूछा| Anyways छोडो इन बातों को और पढ़ाई में मन लगाओ|
अनिल: जी जीजू!
मैं: बाय and take care!
अनिल: बाय जीजू!
भौजी ने हमारी बातें सुन ली थी|
मैं: और आप....अगर आपने दुबारा मुझसे को बात छुपाई ना...तो देख लेना!!! ढूंढने से भी नहीं मिलूंगा आपको?
भौजी मुझसे फिर से लिपट गईं| फिर जैसे-तैसे मैंने उन्हें चुप कराया और जो चाय वो लाईं थीं वो आधी उन्हें पिलाई और आधी मैंने पी| बच्चों के साथ खेलते-कूदते दिन गुजरा....हाँ मैं पिताजी और माँ से अब भी नजरें बचा रहा था और अपने कमरे से बाहर नहीं निकला था| रात को पिताजी घर आये और तब माँ मुझे खाने के लिए बोलने आईं| सब डाइनिंग टेबल पे बैठ गए और अब बारी थी फिर से पिताजी के ताने सुनने की!
पिताजी: तो क्या किया सारा दिन?
माँ: पलंग तोड़ रहा था ...और क्या?
पिताजी: हम्म्म्म .... कल साइट पे आजइओ!!
मैं: जी (मैंने सर झुकाये हुए कहा|)
मैं हैरान था की बस ...इतनी ही दांत पड़ने थी की तभी चन्दर भैया ने चुटकी ली;
चन्दर भैया: मानु भैया... चाचा अच्छे मूड में हैं इसलिए बच गए आप!
मुझे गुस्सा तो बहुत आया की आग ठंडी पड़ चुकी है...और इन्हें उसमें घांसलेट डालने की पड़ी है| तभी पिताजी बोले,
पिताजी: ऐसा नहीं है बेटा.... क्लास तो मैं आज फिर इसके लगाता पर अब ये जवान हो गया है...आज तक इसने कोई गलत काम नहीं किया...पहली बार किया जिसके लिए इसे ग्लानि भी हो रही है| ऐसे में मैं इसकी सुताई कर दूँ तो ये सुधरेगा नहीं बल्कि..और बिगड़ेगा| फिर है भी तो ये गर्म खून! इतना ही बड़ा है की इसने वादा कर दिया की ये कभी ऐसी गलती नहीं करेगा|
मैं: I promise पिताजी...आज के बाद कभी शराब को हाथ नहीं लगाउँगा|
पिताजी मेरी बात से निश्चिन्त लगे और मेरे सर पे हाथ फेरा| डिनर के बाद पिताजी अपने कमरे में सोने चले गए और इधर चन्दर भैया ने भौजी से घर की चाभी ली और वो भी सोने चले गए| अब चूँकि मिअन दिनभर पलंग तोड़ चूका था तो नींद आ नहीं रही थी तो बैठक में माँ, मैं और भौजी बैठे थे| बच्चों को मैंने अपने कमरे में कहानी सुनाते हुए सुला दिया था| शुक्रवार का दिन था और रात दस बजे CID आता है| माँ उसकी बहुत बड़ी फैन है और अब तो ये आदत भौजी को भी लग चुकी थी| मैं भी वहां ऐसे ही बैठा था| CID खत्म हुआ तो माँ भी सोने चली गई और मुझे कह गई की;
माँ: बेटा...अगर देर तक टी.वी देखने का प्लान है तो .अपनी भौजी को घर छोड़ दिओ... अकेले मत जाने दिओ|
मैं: जी...
हम क्राइम पेट्रोल देख रहे थे| मैं दूसरी कुर्सी पे बैठा था और भौजी सोफे पे| उन्होंने इशारे से मुझे अपने पास बुलाया, मैं जाके उनके पास बैठ गया|
भौजी: एक बात पूछूं? आप बुरा तो नहीं मानोगे?
मैं: पूछो?
भौजी: आपने वो पैसे कहाँ से भेजे?
मैं: मेरे अकाउंट से|
भौजी: और आपके पास पैसे कहाँ से आये?
मैं: studies पूरी होने के बाद मैंने कुछ डेढ़-दो साल जॉब की थी| घर तो पिताजी के पैसों से चल जाया करता था| मैं बस अपनी सैलरी से appliances खरीदा करता था| कभी Washing Machine तो कभी desktop ..... ये उसी की savings हैं|
भौजी आगे कुछ नहीं बोलीं बस गर्दन झुका के बैठ गईं|
मैं: Hey? बुरा लग रहा है?
भौजी कुछ नहीं बोलीं;
मैं: अच्छा ये बताओ की अगर यो आपका भाई है तो क्या मेरा कुछ नहीं? आपने ही तो उसे मेरा साल बनाया ना? अब दुनिया में ऐसा कौन सा जीजा है जिसे साले की मदद करने में दुःख होता हो? I mean जेठा लाल को छोड़ के! (तारक मेहता का उल्टा चश्मा)
मेरी बात सुन के भौजी मुस्कुरा दीं| चलो तारक मेहता का उल्टा चश्मा के जरिये ही सही ...वो हँसी तो!!!
मैं: चलो अब रात बहुत हो रही है...मैं आपको घर छोड़ देता हूँ|
मैंने भौजी को घर छोड़ा...उन्होंने Kiss मांगी पर उस वक़्त वो अंदर थीं और मैं बाहर...ऊपर से चन्दर भैया भी घर पर...तो मैंने "कल" कह दिया और Good Night कह के वापस आ गया| वापस आया तो आयसुह जाग रहा था और मेरे कमरे में पड़े खिलौनों से खेल रहा था|
मैं: आयुष...बेटा नींद नहीं आ रही?
आयुष: नहीं पापा...
मैं: बेटा कल स्कूल जाना है...जल्दी सोओगे नहीं तो सुबह जल्दी कैसे उठोगे?
आयुष: पापा...मुझे गेम खेलनी है|
मैं: ठीक है... पर शोर नहीं करना वरना नेहा जाग जाएगी|
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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