Friday, December 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI भिखारी की हवस-13

FUN-MAZA-MASTI


 भिखारी की हवस-13
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अब आगे
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 आज नदी पर ज़्यादा भीड़ नही थी..शायद वो लोग ही लेट पहुँचे थे...गंगू तो अभी तक कल के नशे से सही तरह से उभर भी नही पाया था, और आज सुबह -2 उसको अपनी जिंदगी की सबसे हसीन और कुँवारी चूत भी मिल चुकी थी, इसलिए वो तो सांतवे आसमान पर था..आज तो वो मर भी जाए तो भी उसको अपनी जिंदगी से कोई गम नही होता..

पिछले दो दीनो मे किस्मत ने जिस तरह से उसका साथ दिया था, वो अपने आपको किस्मतवाला समझने लगा था, वो तो बस यही सोच रहा था की अब उसकी जिंदगी मे कुछ भी बुरा हो ही नही सकता..

पर बेचारा ये नही जानता था की उपर वाले ने सब कुछ नाप तोल कर ही लिखा है सबकी किस्मत मे..

पर आज के लिए तो उसकी जिंदगी खुशहाल ही थी.

वो अपने कपड़े उतार कर नदी के अंदर आ गया..सिर्फ़ एक अंडरवीयर ही पहना हुआ था.

नेहा भी अंदर आ गयी, और अंदर आते ही उसके कपड़े उसके बदन से ऐसे चिपक गये जैसे फेविकोल लगी हो उसके बदन पर...और उसका संगमरमरी बदन अपने जलवे बिखेरने लगा..

गंगू मस्ती मे डूबा हुआ उसकी तरफ आया और उसके लगभग नंगे बदन से बुरी तरह से लिपट कर उसे चूमने लगा.

दूर खड़ी लक्ष्मी ये सब देखकर मुस्कुरा रही थी...वो थी केशव हलवाई की लड़की, जिसकी उम्र थी ** और वो वही सरकारी स्कूल मे 12th में पड़ती थी, पर आज उसकी छुट्टी थी,शायद कोई सरकारी होलिडे था..इसलिए नदी मे आकर वो मल-मलकर नहा रही थी..उसके उभार अभी आने शुरू ही हुए थे,पर वो उनकी परवाह किए बिना उपर से नंगी होकर ही नहाती थी, सिर्फ़ कच्छी पहन कर..जैसा ज्यादातर झुग्गी में रहने वाली लड़कियां नहाती थी

सब उसको लच्छो कहते थे,वो थी एकदम साँवले रंग की पर उसके नैन नक्श काफ़ी अच्छे थे, हमेशा सब से अलग ही रहती थी, पर ऐसे जवान होते बच्चे ही सबसे ज़्यादा सेक्स के प्रति रूचि रखते हैं...

आज भी लच्छो ने जब गंगू और नेहा को एक दूसरे को चूमते हुए देखा तो वो झट से उसी चट्टान की औट मे जाकर खड़ी हो गयी ,जहाँ उस दिन गंगू ने रज्जो को चोदा था..

गंगू ने नेहा के मुम्मे पकड़ कर ज़ोर से दबा दिए ...और उसके होंठों पर होंठ रखकर ज़ोर से चूसने लगा..

साथ ही नहा रही दो औरतें भी उन्हे देख कर हँसने लगी..

पहली : "हाए दैया, देख तो इस गंगू को, अपनी ही जोरू को खुले मे ऐसे चूम रहा है जैसे घर पर मौका ही नही मिलता...''

दूसरी : "ही ही .... ये मर्द साले होते ही ऐसे हैं, जहाँ मौका मिल जाए, अपना हथियार उठा कर चले आते हैं, मीटिंग करने को... हा हा''

फिर दोनो ज़ोर-2 से हँसने लगी..

पर उनकी बातों और हँसी से गंगू को कोई फ़र्क नही पड़ता था, वो उसकी असली बीबी तो थी नही, जो इतना पोस्सेसिव होता, वो हर उस तरीके से नेहा के साथ मज़े लेना चाहता था जो उसने सोचे हुए थे..

आज भी वो अपनी अधूरी इच्छा लेकर ही आया था नदी मे नहाने के लिए...पिछली बार तो नेहा ने काफ़ी तरसाया था उसके लंड को...पर आज चुदने के बाद वो पूरी तरह से खुल चुकी थी और उसका पूरा साथ भी दे रही थी...अब तो उसकी खुले मे चुदाई करने मे काफी मजा आएगा.

गंगू ने अपना हाथ नीचे किया और अपने लंड को बाहर निकाल लिया..और नेहा का हाथ पकड़कर उसके उपर लगा दिया.

ठंडे पानी मे गर्म रोड पकड़कर नेहा एकदम से सिहर उठी..हालाँकि अभी कुछ देर पहले ही उसकी जिंदगी की पहली चुदाई हुई थी, पर गंगू के लंड मे ना जाने क्या जादू था, वो फिर से गर्म होने लगी..शायद दूसरी चुदाई के ख़याल से उसकी बुर ने फिर से पानी देना शुरू कर दिया था.

उसकी आँखों मे नशीलापन तैरने लगा..और वो भी पूरी तरह से मदहोश सी होने लगी.

ये एक ऐसी परिस्थिति होती है जब औरत को मज़े के आगे कुछ भी नही दिखता, वो कहाँ पर है और क्या कर रही है, उससे ज़्यादा सेक्स का मज़ा मेटर करता है..

नेहा को अपने शरीर के कपड़े बोझ से लगने लगे...उसका तो मन कर रहा था की अभी के अभी सारे कपड़े फाड़ डाले और पूरी नंगी होकर गंगू की शक्तिशाली बुझाओं से लिपट जाए...उसको छोड़े ही नही,....उसकी गोद मे चड़कर उसको चूस डाले...

ये ख़याल आते ही उसने अपने गाउन के बटन खोलकर अपने मुम्मे बाहर निकाल लिए और ज़बरदस्ती गंगू के मुँह मे पूरा का पूरा मुम्मा ठूस दिया...

''खा इसको........चबा जा....मिटा दे इनकी खुजली......दाँत से काट इन्हे....'' वो बड़बडाए जा रही थी..

और उन्हे ऐसा करता देखकर वो दोनो औरतें तो शर्म से पानी-2 होकर वहाँ से निकल गयी..पर चट्टान की औट मे खड़ी हुई लच्छो का बदन जल उठा...वो अपने नन्हे-2 उभारों को सहलाते हुए खुद ही बड़बड़ाने लगी

"हाँ ....काट इन्हे गंगू....खा जा....चबा जा ....ज़ोर से दबा....और ज़ोर से ....''

वो खड़ी -2 अपने निप्पल को खींच कर ऐसा महसूस कर रही थी जैसे वो गंगू के मुँह मे हो और वो ही उन्हे चूस रहा हो..

अपनी पतली उंगलियों से वो अपने छोटे-2 अमरूदों को दबा रही थी...ऐसा उसने कई बार किया था, पर आज जो मज़ा उसे मिल रहा था, वैसा उसने कभी भी फील नही किया था.

उसने जो कच्छी पहनी हुई थी, वो भी उसने नीचे खिसका दी..उसकी चूत पर अभी बाल आने शुरू ही हुए थे , पर वो जानती नही थी की वहाँ क्या करना है, पर अंदर से ही उसे पता नही क्यों ये फील हो रहा था की वहाँ हाथ लगाया जाए..उसने अपनी अनछुई चूत को अपने पंजे मे दबोच लिया..पर वहाँ से उठ रही खुजली कम हो ही नही रही थी.

वो लगातार गंगू और नेहा को ही देख रही थी..गंगू तो मदमस्त सांड की तरह खुले मे ही नेहा को चोदने की फिराक मे था..पर उसके दिमाग मे भी ख़याल आया की ऐसे ही अगर उसने नेहा को खुले मे चोद दिया तो कोई भी आकर नेहा को चोद देगा, कुछ परदा तो होना ही चाहिए..


 उसे फिर से उसी चट्टान की याद आ गयी, जहाँ उसने पहले भी कई बार चुदाई की थी..और जहाँ इस वक़्त लच्छो लगभग नंगी होकर उन्हे ही देख रही थी.

गंगू ने नेहा का हाथ पकड़ा और उसे दूसरी तरफ ले जाने लगा, चट्टान के पीछे..उन दोनो को अपनी तरफ आता हुआ देखकर लच्छो तो एकदम से सकपका गयी..वहाँ से भागने का कोई और रास्ता भी नही था..पीछे की तरफ उँची दीवार थी और बाँयी तरफ दूर तक नदी का पानी...इसलिए वो वहीं खड़ी रही..उसने जल्दी से अपनी कच्छी उपर कर ली.

वहाँ पहूचकर गंगू ने देखा की लच्छो वहाँ खड़ी हुई है...उसका चेहरा लाल सुर्ख था, वो समझ गया की या तो वो उन्हे छुप कर देख रही थी या फिर खुद ही छुपकर अपनी चूत मल रही थी..

गंगू : "आए लच्छो , तू यहाँ क्या कर रही है...चल भाग यहाँ से...''

लच्छो पर भी अपनी उभरती जवानी का नशा चड़ा हुआ था, वो बोली : "क्यो, ये नदी क्या तेरे बाप की है...तू जा ना बाहर...मैं तो यहीं नहाऊँगी ..तू बाहर जाकर चाट इसके दूध ...जैसा अभी कर रहा था..''

गंगू समझ गया की वो वहाँ छुपकर उन्हे ही देख रही थी..वैसे तो उसने आज से पहले भी कई बार उसको नहाते हुए देखा था, पर एक छोटी बच्ची समझकर उसकी तरफ ख़ास ध्यान नही दिया था...उसकी अर्धविक्सित छातियाँ आम लड़कियों की तरह ही थी जो वहाँ नदी मे नहाने के लिए आती थी..पर उसकी आँखों मे एक अजीब सी कसक थी..जल्दी जवान होने की...गंदे काम करने की...किसी का लंड लेने की..

गंगू ने भी घाट-2 का पानी पिया था..ऐसी चिड़िया को अपने हाथों से कैसे जाने देता वो..इसलिए अगले ही पल उसने वो किया जिसकी लच्छो ने कल्पना भी नही की थी..उसने एक ही झटके मे अपना अंडरवीयर उतार कर चट्टान पर रख दिया..और पूरा नंगा होकर खड़ा हो गया..

नेहा को तो ऐसी बातों से कोई फ़र्क नही पड़ता था, पर लच्छो ने आज पहली बार किसी का पूरा लंड देखा था और वो भी इतना बड़ा..उसे तो अपनी आँखों पर विश्वास ही नही हुआ..उसके साथ की लड़कियों के साथ उसने कई बार लंड के बारे मे बात की थी..पर किसी के पास भी कोई ब्योरा नही था..उन्होने तो सिर्फ़ झुग्गी के बच्चो की लुल्लिया ही देखी थी आज तक..पर आज लच्छो ने साक्षात काला लंड देख लिया था..और वो उसे देखकर पलकें झपकना भी भूल गई...उसकी छाती की घुंडीयां उत्तेजना मे भरकर पूरी तरह से बाहर निकल आई.

गंगू : "तेरी मर्ज़ी...मैं तो तेरे भले के लिए ही कह रहा था...ऐसी चीज़ें बच्चे नही देखते...''

लाकचो : "मैं भी कोई बच्ची नही हू अब...ये देख...''

और इतना कहते हुए उसने भी बेशर्मी से अपनी कच्छी नीचे कर दी..और उसकी छोटी सी रोँये वाली चूत देखकर गंगू के लंड ने नाचना शुरू कर दिया...

वो सोचने लगा की काश इसकी भी चूत मिल जाए तो मज़ा ही आ जाए..पर ऐसा करने मे कितना खून ख़राबा होगा ये वो अच्छी तरह से जानता था.

लच्छो : "देख क्या रहा है तू....अगले साल मैं भी 18 की हो जाउंगी ...मैं कोई बच्ची नही हू ...''

गंगू ने उसको पूरी तरह से उकसा दिया था..

अचानक उसके दिमाग़ मे एक प्लान आया..वो नेहा की तरफ मुड़ा और बोला : "चलो ...जल्दी से अपने कपड़े उतार दो...''

वो तो जैसे इसी की प्रतीक्षा कर रही थी...उसने झट से अपना गाउन उतार कर चट्टान पर रख दिया और वो भी नंगी हो गयी..

फिर गंगू ने नेहा को उसी छोटी वाली चट्टान पर बिठाया और अपने लंड पर झुकाते हुए उसके मुँह के अंदर अपना लंड डाल दिया..

और लच्छो की तरफ मुड़कर बोला : "ये किया है क्या तूने कभी ...''

लच्छो बेचारी क्या बोलती, उसने तो सोचा भी नही था की लंड को चूसा भी जाता है...उसने ये तो सुना हुआ था की लड़कियाँ अपनी चूत मे लेती है लंड को..पर उसको चूसती भी है, ये वो आज ही जान पा रही थी.

पर फिर भी अपने आप को सयानी बताने का नाटक करते हुए वो बोली : "हाँ हाँ ...कई बार किया है...तू समझता क्या है मुझे...ये सब तो मैं दो सालों से करती आ रही हू...''

गंगू समझ गया की उसका तीर निशाने पर लगा है..उसने दूसरी तरफ देखा की कोई उस तरफ तो नही आ रहा ...पर बाहर की तरफ कोई भी नही था..

फिर वो लच्छो की तरफ मुड़ा और बोला : "चल इधर आ फिर...मैं भी तो देखु की 2 सालों मे तूने क्या सीखा है..''

लच्छो : "पर ये....तेरी जोरू....''

वो शायद डर रही थी की गंगू कैसे अपनी ही बीबी के सामने उसको बुला रहा है..

गंगू : "तू इसकी फ़िक्र मत कर ...ये कुछ नही कहेगी...''

अब तो वो बुरी तरह से फँस चुकी थी, ऐसी शेखी बघारी थी उसने की अब पीछे भी नहीं हट सकती थी..और वैसे भी अंदर ही अंदर वो खुद भी तो ये एक्सपीरियन्स लेना चाहती थी..इसलिए गंगू के कहने पर वो चुपचाप पानी मे चलती हुई उसके पास पहुँची और वहाँ पहुँच कर खड़ी हो गयी.

लच्छो : "बोल...क्या करू...''

उसने तो जैसे आत्मसमर्पण कर दिया था...गंगू ने मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखा और अगले ही पल उसके नंगे बदन को अपनी बाहों मे भरकर उसे हवा में उठा लिया...उसकी छोटी-2 ब्रेस्ट गंगू की बालों वाली छाती से पीसकर टूट सी गयी...और फिर गंगू ने उसके गोल मटोल चेहरे को अपने करीब किया और उसके होंठों को अपने मुँह मे लेकर कुलफी की तरह चूसने लगा...

ये था लच्छो की जिंदगी का पहला चुंबन...और वो भी इतने रफ़ तरीके से...

गंगू ने बिना कोई रहम करते हुए उसके होंठों को ऐसे चबाना शुरू किया जैसे वो रबड़ के बने हो...और उसके अंदर से आ रही मीठास को महसूस करते ही उसके लंड ने झटके देने शुरू कर दिए नेहा के मुँह के अंदर..जो बड़े ही मज़े ले-लेकर नंगी बैठी हुई उसके लंड को चूस रही थी.

लच्छो की चड्डी तो उसके घुटने मे फंसी थी..और उसकी नयी चूत गंगू की कमर पर घिस्से लगा रही थी..गंगू ने एक हाथ से उसके निप्पल को पकड़कर ज़ोर से उमेठ दिया...और अगले ही पल लच्छो पर भी उत्तेजना का वही ज्वर चड गया जो कुछ देर पहले नेहा पर चड़ा था...और वो बुदबुदाने लगी..

"खा जा इन्हे...ज़ोर से दबा....चबा जा.....मिटा दे इनकी खुजली...''

उसकी बड़बड़ाहट सुनकर गंगू के साथ-2 नेहा भी मुस्कुरा दी...वो दोनो समझ गये की वो छुपकर उन्हे ही देख रही थी..उनकी बातें भी सुन रही थी...


 गंगू ने भी उसको निराश नही किया...उसने उस फूल जैसी लड़की के जिस्म को थोड़ा और उपर उठाया और उसके निप्पल को अपने मुँह मे डाल कर उस बछिया का दूध पीने लगा..

''आहह........ ओह ......गंगू ssssssssssssssssssss''

ये शायद सबसे छोटी उम्र की लड़की थी, जिसके शरीर के साथ गंगू मज़े ले रहा था...वरना ज़्यादातर की उम्र तो 20 से उपर ही थी, जिनकी चुदाई उसने आज तक की थी.

इतनी आसानी से एक और चूत का इंतज़ाम होता देखकर गंगू को फिर से अपनी किस्मत पर फक्र होने लगा...पर वो लच्छो को आराम से मज़े ले-लेकर भोगना चाहता था...और वैसे भी इतनी कच्ची कली को फूल बनाने के लिए ये जगह भी सही नही थी..पर आज वो उसको पूरी तरह से उत्तेजित करते हुए, उपर-2 से मज़े लेकर, उसको आगे के लिए तैयार ज़रूर करना चाहता था.

गंगू ने कुछ देर तक उसके दोनो निप्पल एक-एक करते हुए चूसे , फिर उसके होंठ दोबारा चूसे और फिर अचानक ही बिना किसी वॉर्निंग के अपनी मोटी सी उंगली को उसकी चूत की फांकों के बीच डाल दिया..

लच्छो की आँखे एकदम से फैल सी गयी...दर्द की एक तेज लहर उसके बदन मे उठ गयी..पर एक मीठी सी कसक और वहाँ से उठ रही खुजली मिटने की आस भी उसको महसूस हुई.

गंगू ने उसको भी नेहा के साथ चट्टान पर टीका दिया...और उसके घुटनो मे फंसी हुई कच्छी को उसने निकाल कर साइड मे रख दिया.

नेहा बड़े ही मज़े ले लेकर गंगू के लंड को चूस रही थी...अपनी जीभ से चाट रही थी...उसके टट्टों को अपनी उंगलियों से सहला रही थी...और लच्छो उसको देखते हुए जैसे वो सब सीखने की कोशिश कर रही थी..गंगू भी समझ चुका था की आज जो भी लच्छो के साथ हो रहा था, वो पहली बार ही हो रहा था, उसे पहले से ऐसी बातों का कोई भी तजुर्बा नही था.

और ऐसी ही नयी नवेली मछलियों को सेक्स का मज़ा देने के लिए गंगू महाराज ने जन्म लिया था..वो मंद -मंद मुस्कुराते हुए उसको कसमसाते हुए देखने लगा...वो अपने होंठों पर जीभ फेरा रही थी, जैसे वो लंड चाटने के लिए तैयारी कर रही हो..

गंगू ने उसके सिर को पकड़कर अपने लंड की तरफ झुकाया और नेहा को पीछे करते हुए अपना खोफ़नाक लंड लच्छो के सामने लहरा दिया..वो तो उसके चेहरे से भी बड़ा था...पर फिर भी उसने डरते-2 उसे अपने नन्हे हाथों मे पकड़ा और अपनी जीभ लगा कर पहले तो उसको चेक किया की उसका स्वाद कैसा है...फिर धीरे से अपना पूरा मुँह खोलकर उसके सुपाडे को अंदर लिया...और फिर अपनी जीभ और होंठों का इस्तेमाल करते हुए धीरे-2 दो इंच लंड अंदर ले लिया...और इतना करते ही उसे ऐसे लगा की उसकी साँस बंद हो रही है...उसका गला और मुँह पूरी तरह से बंद हो चुके थे..

गंगू : "शाबाश....ऐसे ही...थोड़ा और खोलो मुँह...अंदर बाहर करो..चूसो इसको...चाटो अपनी जीभ से...''

और फिर धीरे-2 करते हुए लच्छो ने लंड को चूसना सीख ही लिया....उसको अंदर से ऐसी खुशी हुई जैसे उसने 12th पास कर ली हो...

नेहा की चूत अब बुरी तरह से सुलग रही थी...वो तो बस चाहती थी की गंगू जल्द से जल्द अपनी नयी सहेली को छोड़कर उसकी टांगे फेलाए और लंड पेल दे उसके अंदर..

उसने गंगू की जाँघ पर अपने मोटे मम्मे रगड़ने शुरू कर दिए...गंगू भी समझ गया की वो चुदाई के लिए तड़प रही है..उसने अपना लंड बड़ी मुश्किल से लच्छो के मुँह से बाहर खींचा, क्योंकि मज़े मिलने के बाद वो उसको छोड़ने का नाम ही नही ले रही थी.

फिर उसने उस सपाट चट्टान पर नेहा को लिटाया और उसकी टांगे उपर हवा मे थाम ली...लच्छो बड़े ही गौर से वो सब देख रही थी..

और फिर गंगू ने अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया और दबाव डालकर उसको अंदर डालना शुरू किया..

नेहा का भी ये सिर्फ़ दूसरी बार था...पर चूत गीली होने की वजह से वो बड़ी ही आसानी से अंदर चला गया...इतने बड़े लंड को छोटी सी चूत मे पूरा समाता हुआ देखकर वो हैरान रह गयी...और उसी हैरानी मे आकर वो अपनी चूत को निहारने लगी..जैसे समझने की कोशिश कर रही हो की आख़िर ये सब होगा कैसे.

नेहा की आहें गूंजने लगी वहाँ

''अहह .... ओह ....उ हह अहह ....और अंदर .....ज़ोर से ......अहह ...ऐसे ही ......उम्म्म्ममम ......आहह ...''

और एक जोरदार चीख के साथ वो झड़ने लगी..

गंगू ने भी पाँच मिनट तक और चोदा उसको और फिर जब वो झड़ने को हुआ तो उसने अपनी पिचकारी बाहर निकाल कर नेहा और लच्छो के चेहरे सफेद रंग से रंग दिए..

नेहा ने वो सारी मलाई खा ली..और उसकी देखा देखी लच्छो ने भी अपना चेहरा साफ़ करते हुए उसे समेट कर निगल लिया...जिसमे उसको मज़ा भी बहुत आया..

फिर अच्छी तरह से नहाने के बाद दोनो ने अपने-2 कपड़े पहने और घर की तरफ निकल गये..

लच्छो भी नये एक्सपीरियेन्स को फील करती हुई घर चली गयी...पर जाने से पहले गंगू से ये वादा भी किया की वो जब भी कहेगा,वो वहाँ हाजिर हो जाएगी..

घर पहुँच कर उसने देखा की भूरे सिंह का आदमी उसका वेट कर रहा था..

उसने गंगू से कहा की भूरे ने उसको अपने साथ लाने के लिए कहा है..

गंगू जल्दी से तैयार हुआ और उसके साथ चल पड़ा.

शायद आज कुछ और ख़ास होने वाला था उसके साथ..









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