Friday, December 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI भिखारी की हवस-5

FUN-MAZA-MASTI


 भिखारी की हवस-5
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अब आगे
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 वो बुत सी बनी खड़ी थी , तब तक गंगू भी वहाँ पहुँच गया था..

और उसे वहाँ नेहा खड़ी हुई दिखाई दे गयी ..अंधेरा काफ़ी था वहाँ, इसलिए वो उसका बदहाल चेहरा और आधा उतरा हुआ पायजामा नही देख पाया ...

वो उसके पास पहुँचा और बोला : "नेहा .....नेहा .....क्या हो गया है तुम्हे ....ऐसी बुत बनकर क्यो खड़ी हो ...बोलो ....क्या हुआ ....''

नेहा जैसे नींद से जागी ....उसने आस पास देखा और तब उसे ये एहसास हुआ की वो इंसान तो जा चुका है, जो उसे मज़े दे रहा था, उसके सामने तो अब गंगू खड़ा है, जो चिल्लाता हुआ उससे कुछ पूछ रहा था ....वो कुछ ना बोल पाई और उसके सीने से लग कर ज़ोर-2 से रोने लगी..

गंगू ने समझा की शायद अंधेरे की वजह से वो डर गयी है ...और अपने सामने एकदम से उसे देखकर वो रोने लगी है ..

उसके गुदाज जिस्म को अपनी बाहों मे भरकर वो उसे सांत्वना देने लगा ...और उसके हाथ फिसलते हुए उसके कुल्हों पर जा पहुँचे ...जो पूरी तरह से नंगे थे ..

वो समझ गया की वो पेशाब करते हुए एकदम से उठ गयी है और उसने अभी तक अपना पयज़ामा भी उपर नही किया है ..

वो उसके मांसल चूतड़ों को अपने हाथों से मसलने लगा.

पर तब तक नेहा के शरीर से उत्तेजना का ज्वार भाटा उत्तर चुका था ...इसलिए जब गंगू ने उसके जिस्म को मसला तो वो फिर से कसमसा उठी और उससे अलग हो गयी ..

उसने अपना पायजामा उपर किया और अपने झोपडे की तरफ चल दी.

गंगू भी मन मसोस कर उसके पीछे चल दिया..

अब उसका ध्यान फिर से रज्जो की तरफ चला गया..

क्योंकि नेहा के जाने के कुछ देर बाद ही रज्जो वहाँ आ गयी थी ..और जैसे ही गंगू ने अपना दरवाजा खोला था वो उसे धक्का मारकर अंदर आ गयी और उससे लिपट कर उसे ज़ोर-2 से चूमने लगी..

फिर उसने कुछ देर मे पूछा : "तेरी बीबी कहाँ है रे ...कहीं दिख नही रही ...कहीं भाग तो नही गयी किसी के साथ ...''

गंगू : "वो बस बाहर तक गयी है, पेशाब करने ...अभी आ जाएगी...तब तक जो करना है जल्दी से कर ले ..''

उसकी बात सुनते ही वो बोली : "अरे, तूने इस वक़्त उसे क्यो जाने दिया वहाँ ...तुझे पता नही रात के समय वहाँ क्या-2 होता है ...''

वो भी भूरे सिंह की हरकतें जानती थी, की वो रात के समय सारे टॉयलेट्स मे ताला लगा देता है, जिसकी वजह से औरतें खुले मे जाकर पेशाब करती है और वो उन्हे वहीं दबोच कर उनके साथ मज़े लेता है और अपने चेले चपाटों को भी मज़े करवाता है ..

वो भी कई बार उसके हाथ लग चुकी थी ..झुग्गी मे रहने वाली ज़्यादातर औरतों को ये बात मालूम थी, इसलिए अक्सर जब किसी की चूत मे ज़्यादा खुजली होती थी तो वो रात के समय पेशाब का बहाना करके भूरे के लंबे लंड से चुद कर आ जाती थी ..

रज्जो की बात सुनकर गंगू को फिर से नेहा की चिंता होने लगी ..उसने कहा की तू अपने घर जा, मैं अपनी बीबी को वापिस लाकर सुला देता हू, फिर तेरी झोपड़ी मे ही आता हू ..

वो मान गयी और अपनी झोपड़ी मे चली गयी ..

और इस तरह गंगू एन वक़्त पर वहाँ जा पहुँचा, वरना आज तो भूरे ने नेहा के साथ ऐसी चुदाई करनई थी की नेहा भी ना भूल पाती...क्योंकि वो भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी तब तक...

घर जाते हुए गंगू ने सोच लिया था की अब नेहा को सुला कर वो जल्दी से रज्जो के पास जाएगा ...

क्योंकि आज उसे बड़ी ज़ोर से लगी थी ...

चोदने की.

झोपडे मे पहुँचकर गंगू ने नेहा को बिस्तर पर सुला दिया...और खुद नीचे लेटकर उसके सोने की प्रतीक्षा करने लगा..नेहा काफ़ी डरी हुई सी थी, उसकी आँखो से नींद कोसो दूर थी....वो बस अपने बिस्तर पर लेट गयी और अपनी आँखे बंद कर ली..उसके जहन मे थोड़ी देर पहले की बाते घूमने लगी...वो सोच रही थी की आख़िर कौन था वो इंसान जो उसे आधी रात को इस तरह के मज़े दे गया, जो उसने आज से पहले कभी महसूस नही किए थे ..ऐसी क्या शक्ति थी जिसने उसे वहाँ से हिलने भी नही दिया, कितनी बेशरम होकर वो अपनी चूत को उस इंसान से मसलवा रही थी ... कितना मज़ा आ रहा था ..

इतना सोचते-2 उसकी उंगलियाँ अपनी चूत की तरफ सरक गयी और वो उन्हे सहलाने लगी ..

पर पायजामे के उपर से सहलाने मे वो मज़ा नही मिल पा रहा था जो उस इंसान ने नंगी चूत के उपर फेरने से उसे दिया था ..

वो अपने हाथ को अंदर डालने ही वाली थी की गंगू ने उसे हौले से आवाज़ दी : "नेहा ..... ओ नेहा .... सो गयी क्या ...''

वो एकदम से टेंशन मे आ गयी....और जड़वत सी होकर सोने का नाटक करने लगी.

दरअसल गंगू ये सुनिश्चित करना चाहता था की नेहा सो चुकी है..ताकि वो रज्जो की चुदाई करने के लिए जा सके .

और जब गंगू ने नेहा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नही देखी तो वो चुपचाप उठा और बाहर निकल गया .

नेहा भी सोचने लगी की इतनी रात को गंगू उसे अकेले छोड़कर कहाँ जा रहा है ..

उसे तो वैसे ही इतना डर लग रहा था, वो अकेली झोपडे मे रहकर क्या करेगी..वो गंगू को रोकना चाहती थी पर तब तक वो बाहर निकल चुका था ..उसके लंड से सहन करना अब मुश्किल जो हो रहा था .

वो भी एकदम से घबरा कर उठी और उसके पीछे-2 चल दी ..पहले तो नेहा ने सोचा की शायद वो भी पेशाब करने के लिए जा रहा है पर जब वो दूसरी तरफ जाने लगा तो उसका माथा भी ठनका , उसने भी सोच लिया की देखा जाए की आख़िर इतनी रात के समय गंगू जा कहाँ रहा है..

गंगू अपनी ही धुन मे चला जा रहा था ..उसे तो पता भी नही था की नेहा उसका पीछा कर रही है ..

वो जल्द ही रज्जो के झोपडे के पास पहुँच गया ..और उसने बाहर से ही रज्जो को धीरे से आवाज़ दी ... एक दो आवाज़ों के बाद वो बाहर निकल आई और गंगू से कहा : "सुन गंगू ...मेरा मर्द अभी जाग रहा है...थोड़ी देर पहले ही उठा था..अभी सो रहा है पर दोबारा कभी भी उठ सकता है...इसलिए मेरे झोपडे मे वो सब नही हो पाएगा..तेरी बीबी भी पूरी तरह से सोई नही होगी अभी तक..चल कही और चलते हैं ..''

गंगू ने कुछ नही कहा, उसे तो चुदाई से मतलब था, वो उसे लेकर पास ही बने अस्तबल की तरफ चल दिया, कॉलोनी के कई लोग तांगा भी चलाते थे, जिनके घोड़े रात के समय वहाँ बँधे रहते थे ..कोई और नही होता था वहाँ, इसलिए गंगू को वही जगह सही लगी.

अस्तबल मे पहुँच कर गंगू ने एक कोने मे काफ़ी सारी घांस इकट्ठा कर दी और उसपर एक चादर बिछाकर उसको एक नर्म बिस्तर की तरह बना दिया..और रज्जो को अपने उपर खींच कर उसे बेतहाशा चूमने लगा ..

नेहा भी वहाँ पहुँच चुकी थी, वो छुप कर उन्हे देख रही थी ..पहले जब गंगू और रज्जो मिले थे तो उसकी समझ मे नही आया था की इतनी रात को वो रज्जो के घर क्यो आया है..पर जब दोनो यहाँ पहुँचे और अब एक दूसरे को ऐसे चूम रहे हैं तो उसकी समझ मे सब आ गया...

वो अगर गंगू की असली पत्नी होती या उसकी यादश्त सही होती तो वो उसी वक़्त उनका भांडा फोड़ देती ...पर उसकी समझ से वो सब बाते परे थी ..इसलिए वही छुपकर उनका तमाशा देखने लगी ...

वैसे इस तरह के सेक्स के किस्से उसे उत्तेजित ही करते थे ...पिछले दो दिनों मे जिस तरह से गंगू के साथ रहते हुए और आज रात को उस अंजान आदमी से अपनी चूत मसलवा कर जो मज़े उसे मिले थे,वो उसे अंदर तक रोमांचित कर रहे थे..

इसलिए उन दोनो को प्यार करते देखकर वो फिर से उसी रोमांच से भर उठी और उसका हाथ अपने आप फिर से अपनी चूत की तरफ बढ़ गया.

गंगू और रज्जो से भी सब्र नही हो रहा था ...ख़ासकर रज्जो से..उसकी चूत की आग आजकल इतनी भड़की हुई थी की दिन मे दो-चार बार जब तक वो इधर उधर से चुदवा नहीं लेती थी उसको चैन ही नही पड़ता था...और गंगू से चुदाई तो उन सभी के आगे फीकी थी..इसलिए उसके लंड को लेने का सोभाग्य वो नही छोड़ना चाहती थी ...उसने अपनी चोली और घाघरा एक ही झटके मे उतार फेंका ..नीचे से वो पूरी तरह से नंगी थी ..

हल्की रोशनी मे उसका संगमरमर का जिस्म सोने की तरहा चमक रहा था ..


गंगू ने भी अपनी धोती और कुर्ता उतार फेंका और वो भी पूरी तरह से नंगा हो कर अपने लंड को मसल कर उसके मखमली बदन को देखने लगा..

रज्जो धीरे-2 चलती हुई उसके सामने आकर किसी कुतिया की तरह बैठ गयी और अपनी गांड हवा मे उठा कर , अपना सिर नीचे करते हुए उसने गंगू के लंड को अपने मुँह मे भरकर एक जोरदार चुप्पा मारा

गंगू की सिसकारी पूरे अस्तबल मे गूँज गयी..

कोने मे छुपी हुई नेहा तो जैसे वो सब देखकर कुछ सीखने की कोशिश कर रही थी ..

जिस तरहा से रज्जो लंड चूस रही थी, नेहा के होंठ भी गोल मुद्रा मे आकर हवा मे ही उपर नीचे होने लगे...जैसे वो कोई अद्रिश्य लंड को चूस कर उसका मज़ा ले रही हो ..पर साथ ही साथ उसके हाथ अपनी चूत की मालिश करना भी नही भूल रहे थे ..उनपर भी उसकी उंगलियों की थिरकन उसी अंदाज मे हो रही थी जिसमे उसके मुँह की हरकत..


गंगू ने रज्जो के बॉल पकड़ कर बड़ी ही बेदर्दी से उपर की तरफ खींचे और वो कराहती हुई सी उपर की तरफ चली आई...और दोनो वहशियों की तरह एक दूसरे को चूमने लगे..चूसने लगे

गंगू का घनघनाता हुआ लंड रज्जो के पेट और फिर चूत को टच करने लगा .. रज्जो की तो हालत ही खराब होने लगी जब उसका दहकता हुआ सरिया उसकी चूत की भट्टी के इतने करीब पहुँच गया ..वो अपनी चूत को उसके सरिये पर रगड़ने लगी ..ताकि उसके अंदर की आग थोड़ी शांत हो जाए..पर ऐसी रगदाई से तो उसके अंदर के अंगारे और भी ज़्यादा भड़क कर शोले बन गये ..और वो बावली बंदरिया की तरह उछल -2 कर उसके लंड को अंदर लेने की असफल कोशिश करने लगी..

पर जब तक आदमी ना चाहे औरत उसका लंड किसी भी एंगल से अंदर नही ले सकती ..

उसने लाख कोशिश कर ली पर गंगू अपने लंड को इधर-उधर करके उसे अंदर जाने से रोक रहा था...वो उसे और भी ज़्यादा तडपा रहा था ..क्योंकि औरतें जितनी ज़्यादा तड़पति है वो चुदाई मे उतना ही मज़ा देती है ..ये गंगू अच्छी तरह से जानता था .

अस्तबल मे छाए हुए सन्नाटे मे सिर्फ़ उन दोनो की सिसकारियाँ ही गूँज रही थी ...पर एक हल्की सी सिसकारी दूसरे कोने से भी आनी शुरू हो गयी थी...नेहा की.

जो अपनी चूत को मसलते-2 उसे नंगा कर चुकी थी ..और अब वो भी वहीं ज़मीन पर बैठकर अपनी चूत को खोलकर बुरी तरह से मूठ मार रही थी ..

गंगू ने एक ही झटके मे रज्जो को घांस के बिस्तर पर पटक दिया और उसकी दोनो टांगे पकड़कर उसकी चूत को चूसने लगा...

वो तो उसके लंड के लिए तड़प रही थी...पर जैसे ही अपनी चूत पर उसके गीले होंठ आकर लगे, रज्जो को ऐसा महसूस हुआ की उसकी सुलगती हुई चूत पर किसी ने पानी का छींटा मारकर उसे ठंडक पहुँचा दी है ..वो उसके सिर को अपनी मुनिया के अंदर घुसेड कर ज़ोर से चीत्कार उठी ...

''अहह .......गंगू............. खा जाअ मेरे भोस्डे ......... को ....अहह.......चूऊऊस ले इसको ..............''

और गंगू तो था ही इन मामलो मे उस्ताद .....उसने उसकी चूत की एक-2 परत को अपनी जीभ और दांतो से कुरैद-2 उसके अंदर छुपा हुआ शरबत पीना शुरू कर दिया..

पर अक्सर देखा गया है की औरत की उत्तेजना जब अपने चरम पर पहुँच जाती है तो वो ये नही देखती की वो कैसे और किसके साथ मज़े ले रही है...बस मज़े मिलने चाहिए..

वैसे ये बात आदमी पर भी लागू होती है ...और शायद औरत से ज़्यादा..


गंगू ने रज्जो की चूत की सारी मलाई खाने के बाद उसे पलट कर घोड़ी बनाया और खुद उसके पीछे जाकर अपने लंड को घुसेड़ने लगा..

चूत पूरी तरह से सूख चुकी थी ..इसलिए लंड को जाने के लिए जगह नही मिल पा रही थी ..

रज्जो : "गंगू....मेरे राज्जा ....मुझे लिटा दे और आगे से चोद ले ...ऐसे नही जाएगा आसानी से...या फिर मुझे उपर आने दे ...''

गंगू : "चुप कर साली ....अस्तबल मे आकर तेरी चुदाई घोड़ी की तरह से ना की तो मज़ा ही नही मिलेगा...''

इतना कहकर उसने अपने लंड पर ढेर सारी थूक मली और फिर से उसकी गांड को उचका कर उपर करते हुए उसकी चूत पर अपना लंड रख दिया...और एक जोरदार झटके के साथ उसके अंदर दाखिल हो गया..

रज्जो जैसी रांड़ भी चिल्ला उठी उसके इस प्रहार से...उसकी चूत की दीवारों की धज्जियाँ उड़ाता हुआ उसका रॉकेट अंदर तक जाकर धँस गया..और फिर उसने उसकी फैली हुई गांड को पकड़ा और ज़ोर-2 से धक्के मारकर उसकी चुदाई करने लगा..


उधर गंगू घोड़े ने भी काफ़ी दूरी तय कर ली थी अपनी घोड़ी रज्जो पर बैठकर... और वो बस अपनी मंज़िल पर पहुँचने ही वाला था...उसने भी घोड़े की तरह से हिनहिनाते हुए अपना सारा रस उसकी चूत के लॉकर मे जमा कर दिया और ओंधा होकर उसपर गिर पड़ा..

बेचारी रज्जो का तो बुरा हाल था...घोड़े जैसे गंगू से चुदाई करवाकर वो हमेशा 2-3 बार तो झड़ ही जाती थी ...आज भी चुदाई करवाते हुए वो 3 बार झड़ चुकी थी ..

नेहा तो कब की निकल चुकी थी ..गंगू और रज्जो भी अपने कपड़े पहन कर अस्तबल से निकल आए..

पूरी कॉलोनी मे किसी को भी पता नही चला की वहाँ क्या हुआ था..

पर नेहा के जीवन मे एक अजीब सी उथल पुथल मच चुकी थी ...उसे अब पता चल चुका था की लंड और चूत से मिलने वाले मज़े ही असली मज़े हैं....किस तरह से उस अंजान इंसान ने उसकी चूत को मलकर उसे उत्तेजित किया था...कैसे गंगू और रज्जो एक दूसरे के अंदर घुस कर मज़े ले रहे थे ...और किस तरह से उसने अपनी चूत मलकर मज़े लिए थे ...

कुल मिलाकर उसकी आँखे खुल चुकी थी अब...वो जान गयी थी की काम क्रिया से मिलने वाले मज़े ही असली मज़े हैं...और अब वो किसी भी हालत मे ऐसे मज़े लेने से पीछे नही हटेगी..

ये सोचते-2 कब उसकी आँख लग गयी उसे भी पता नही चला.
 
 
 
 
 











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