FUN-MAZA-MASTI
बदलाव के बीज--89
मैंने स्वयं ही उन से पूछा;
मैं: कहो क्या कहना है?
भौजी: आप गाडी ले लो| FD बाद में करा लेंगे|
मैं: Hey .... मेरा निर्णय फाइनल है| इसके बारे में मैं कुछ नहीं सुन्ना चाहता|
भौजी: पर गाडी भी तो जर्रुरी है| आपका काम आसान हो जाएगा?
मैं: No and END OF DISCUSSION !
मैंने बात वहीं के वहीँ निपटा दी| हाँ मैं कई बार rude हो जाता था...पर वो बहुत जर्रुरी होता था| गाडी से ज्यादा future secure करना जर्रुरी था|
मैं: मैं नाश्ता ले के आता हूँ|
भौजी: (रुठते हुए) मुझे नहीं खाना!
मैं: Awwwww मेरा बच्चा नाराज हो गया! Awwwww (मैंने उनहीं छोटे बच्चे की तरह दुलार किया|)
भौजी: आप मेरी बात कभी नहीं मानते!
मैंने आँखें बड़ी करके उन्हें हैरानी जाहिर की;
भौजी: हाँ-हाँ कल रात आपने मेरी बात मानी थी|
मैंने फिर से वैसे ही आँखें बड़ी कर के हैरानी जताई|
भौजी: हाँ-हाँ ....आपने सात साल पहले वाली भी बात मानी थी|
मैंने तीसरी बार वैसे ही मुंह बनाया...
भौजी: ठीक है बाबा...आप मेरी सब बात मानते हो| बस! अब नाश्ता ले आओ...और मेरे साथ बैठ के खाना|
मैं नाश्ता लेने गया और तभी दिषु भी आ गया और चाभी लेके निकल गया| मैंने नाश्ते के लिए कहा तो वो वापस आया, परांठा हाथ में ले के निकल गया| मैंने परांठे लिए और उनके साथ बैठ के खाया| इतने में माँ आ गईं| जब मैं नाश्ता लेने गया था तभी मैंने दरवाजा अनलॉक कर दिया था|
माँ: बहु...अब कैसा लग रहा है? मानु तूने दवाई दी बहु को?
मैं: जी चाय के साथ दी थी|
भौजी: माँ ...अब बेहतर लग रहा है| आप बैठो मैं खाना बनाना शुरू करती हूँ|
मैं: अभी आपका बुखार उतरा नहीं है...आराम करो| खाना मैं बाहर से माँगा लेता हूँ|
माँ: ठीक है...पर अटर-पटर मत माँगा लिओ खाना| कहीं पेट भी ख़राब कर दे! और बहु तू आराम कर...
भौजी: माँ मैं अकेली यहाँ बोर हो जाऊँगी|
मैं: तो tablet पे मूवी देखें?
माँ: जो करना है करो...मैं चली CID देखने|
भौजी: माँ मैं भी आपके पास ही बैठ जाती हूँ|
मैंने मुंह बनाके उन्हें दिखाया, क्योंकि मैं सोच रहा था हम साथ बेड पे बैठ के मूवी देखते|
माँ: ठीक है बेटा...तू सोफे पे लेट जा और मैं कुर्सी पे बैठ जाती हूँ|
मैं: ठीक है...आप सास-बहु का तो हो गया प्रोग्राम सेट! मैं चला अपने कमरे में!
माँ: क्यों आज काम पे नहीं जाना?
मैं: नहीं...संतोष आज संभाल लेगा...कल से चला जाऊँगा|
माँ: जैसी तेरी मर्जी|
मैं अपने कमरे में आ गया और कुछ बिल्स वगेरह लेके एकाउंट्स लिखने लगा| कुछ देर बाद मुझे प्यास लगी तो मैं पानी लेने उठा तो बैठक का नजारा देख के चौखट पे खड़ा होक दोनों को देखने लगा| भौजी ने माँ की गोद में सर रख रखा था और माँ उनका सर थपथपा रहीं थीं| मैं धीरे-धीरे चलते हुए उनके पास आया, जैसे ही माँ की नजर मुझ पे पड़ी तो उन्होंने मुझे चुप रहने का इशारा किया| मैं चुप-चाप वहां से उले पाँव अपने कमरे में आगया| भौजी को माँ की गोद रखा देख मुझे बहुत प्यार आ रहा था| एक ख़ुशी सी महसूस हो रही थी की कैसे भौजी इस घर में अपनी जगह बना रही थीं| उन्होंने माँ के दिल में जगह पा ली थी और पिताजी...खेर उनके दिल में भौजी के लिए बेटी जैसा प्यार था| वो रोज नेहा और आयुष के लिए चॉकलेट्स वगेरह लाया करते थे| बच्चे उनसे घुल-मिल गए थे! भौजी के दिल में पिताजी से वही प्यार और इज्जत थी जो मेरे दिल में थी! क्या भौजी इस परिवार का हिस्सा बन सकती थीं? यही सोचते-सोचते मैं सो गया| अब रात की थकावट कुछ तो असर दिखा ही रही थी| दो घंटे बाद मैं चौंक के उठ गया| दरअसल मैंने सपना देखा...और सपने में मैंने ये देखा की मैं भौजी को I-pill देना भूल गया| मैंने घडी देखि तो लंच का समय हो रहा था और बच्चों के आने का भी| मैंने फटाफट कपडे पहने और बाहर आया| देखा तो माँ और भौजी दोनों सोफे पर वैसे ही बैठे थे और अब माँ की भी आँख लग गई थी| मैं दबे पाँव बाहर जाने लगा इतने में हलकी सी आहत से माँ की आँख खुल गईं| उन्होंने इशारे से पूछा की मैं कहाँ जा रहा हूँ और मैंने भी इशारे से कह दिया की मैं खाना लेने जा रहा हूँ| माँ ने आज्ञा दी और मैं चुप-चाप बाहर आ गया| घर से दूर आके मैंने ऑटो किया और दूसरी कॉलोनी की तरफ चला गया| वहां पहुँच के मैंने Medicine की दूकान से I-pill खरीदी, अब ये काम अपनी कॉलोनी की Medicine की दूकान से नहीं ले सकता था, क्योंकि वहाँ सब मुझे जानते थे| तो ये मेरा कदम बहुत ही सोचा-समझा था! मैंने खाना पैक कराया और अब तो बच्चों की वैन भी आने वाली थी| मैं खाना लेके उनके स्टैंड पर खड़ा हो गया| अगले दड़ो मिनट में बच्चे भी आ गए और मैं उनको लेके घर पहुँच गया| भौजी अब भी सो रही थीं और माँ CID देख रही थी|
जब उन्होंने देखा की मैं आ गया हूँ और बच्चे भी आ गए हैं तो उन्होंने प्यार से भौजी को पुकारा;
माँ: बहु......बेटा...... उठो खाना खा लो|
भौजी ने आँख खोली और देखा की बच्चे और मैं सब चुप-चाप दोनों सास-बहु को इस तरह बैठे हुए देख रहे हैं| भौजी ने आँखों ही आँखों में मुझसे पूछा; "की क्या देख रहे हो?" और मैं उनकी बात का जवाब मुस्कुरा के देने लगा|
खाना मैंने किचन काउंटर पे रखा और बच्चों को अंदर ले गया| कपडे चेंज कर के मैं और बच्चे तीनों बहार आ गए| हमने खाना खाया और फिर नेहा ने मुझे चालीस रूपए वापस दिए;
मैं: बेटा ....ये आप मुझे क्यों दे रहे हो? मैंने कहा था न की ये आप रखो|
नेहा ने हाँ में सर हिलाया| फिर मैंने पूछा;
मैं: तो बेटा क्या खाया लंच में?
आयुष: सैंडविच और चिप्स
भौजी: मैने मना किया था ना तुम दोनों को!
मैं: Relax यार...मैंने ही पैसे दिए थे क्योंकि मैंने सैंडविच बांया था...अब एक सैंडविच से से क्या होता है? इसलिए मैंने कहा था की कुछ खा लेना|
माँ: बहु...कोई बात नहीं,...बच्चे हैं| चलो बच्चों खाना खाओ|
भौजी शिकायत भरी नजरों से मुझे देख रही थीं| खाना खाने के बाद बच्चे सोना चाहते थे और मेरा भी मन कर रहा था की सो जाऊँ| मैंने बच्चों को लिटाया और भौजी की तबियत पूछने चला गया| भौजी सो चुकी थीं, मैंने उनका हाथ छू के देखा तभी उनकी आँख खुल गईं;
भौजी: क्या हुआ?
मैं: Sorry आपको जगा दिया| मैं बस आपका बुखार चेक कर रहा था| अब नार्मल है! आप आराम करो...शाम को मिलते हैं|
भौजी: मुझे नींद नहीं आएगी ..... आप भी यहीं सो जाओ ना?
मैं: माँ घर पे है! (मैंने उन्हें आगाह किया|)
भौजी: प्लीज !!!
जिस तरह से उन्होंने मुंह बना के कहा...मैं उन्हें मना नहीं कर पाया| मैंने बच्चों को उठाया और अपने साथ भौजी वाले कमरे में ले आया| बच्चों को बीच में लिटा दिया और मैं और भौजी उनके अगल-बगल लेट गए| भौजी ने अपना बायां हाथ आयुष की छाती पे रखा और थप-थपा के सुलाने लॉगिन और नेहा मुझसे लिपट गई| नजाने कब आँख लग गई ...सीधा शाम को छः बजे आँख खुली| भौजी अब भी सो रही थीं और बच्चे भी| मैं चुप-चाप उठा और नेहा की गिरफ्त से खुद को छुड़ाया| मैं बहार अपने कमरे में आया और मुंह धोया फिर सोचा की चाय बना लूँ, देखा तो माँ डाइनिंग टेबल पे बैठी चाय पी रही थी और काफी गंभीर लग रही थी| उन्होंने मुझे अपने पास बिठा के कुछ बातें बातें जो गाँव में घट रही थीं| सुन के मैं थोड़ा हैरान हो गया और सोचने लगा की भौजी को बताऊँ या नहीं! माँ मास्टर वाली जगह बैठी थीं और मैं उनकी दाहिने तरफ बैठा था|
कुछ देर में भौजी जाग गईं और उनका चेहरा दमक रहा था! साफ़ लग रहा था की उनकी तबियत अब ठीक है| हाँ उनकी चाल में थोड़ा फर्क था| वो बड़ा सम्भल के चाल रहीं थीं| भौजी आके माँ की बायीं तरफ बैठ गईं| हमें चाय पीता हुआ देख के वो बोलीं;
भौजी: माँ...मुझे उठा देते मैं चाय बना लेती|
माँ: पहले बता तेरी तबियत कैसी है? (और माँ ने उनके माथे को छू के देखा|) हम्म्म...अब बुखार नहीं है|
मैंने उठ के उन्हें भी चाय ला दी| बच्चे अब भी सो रहे थे... भौजी और माँ बस यूँ ही बातें शुरू हो गईं ,,,,पर माँ ने उन्हें कुछ नहीं बताया| मैं बच्चों को उठाने चला गया और जब वापस आया तो भौजी ने उनका दूध बना दिया था| दोनों ने दूध पिया और मेरे कमरे में पढ़ाई करने बैठ गए| मैं अपने ट्रंक में कुछ खिलोने ढूंढने लगा...मैंने सारे खिलोने निकाल के बच्चों को दे दिए| मैं जब छोटा था तब से खिलोने कलेक्ट करता था...दसवीं तक मैं खिलोने कलेक्ट करता था...और माँ से कहता था की ये खिलोने मैं अपने बच्चों को दूंगा| तो आज वो दिन आ गया था|
मैं: नेहा...आयुष...आपके लिए मेरे पास कुछ है|
नेहा: क्या पापा?
मैं: ये लो...आप दोनों के लिए Piggy Bank (गुल्ल्क)!
आयुष: ये तो बॉक्स है?
नेहा: अरे बुद्धू ...ये गुल्ल्क है..इसमें पैसे जमा करते हैं|
उनमें से एक Piggy Bank Disney Tarzan का collectors item था जो मैंने आयुष को दिया और दूसरा वाला Mickey Mouse वाला था जो मेरे बचपन का था, जब मैं आयुष की उम्र का था|
मैं: बेटा ये लो...पचास रूपए आप (आयुष) और सौ रुपये आप लो (नेहा)|
नेहा: पर किस लिए?
मैं: बेटा ये आपकी पॉकेट मनी है| आप इसे जमा करो...जब पैसे काफी इकठ्ठा हो जायेंगे तब मैं आपका Kotak Mahindra में अकाउंट खुलवा दूँगा|
आयुष: तो मैं भी sign कर के पैसे निकलूंगा? (उसने मुझे और पिताजी को कई बार चेक पे sign करते हुए देखा था|)
मैं: हाँ बेटा... और आपको आपका ATM Card भी मिलेगा|
भौजी: क्यों आदत बिगाड़ रहे हो?
मैं: मैंने भी बचत करना अपने बचपन से सीखा है| ये भ सीखेंगे... मुझे इन पर पूरा भरोसा है..ये पैसे बर्बाद नहीं करेंगे| नहीं करोगे ना बच्चों?
दोनों बच्चे मेरे पास आये और गले लग गए और भौजी को जीभ चिढ़ाने लगे|
भौजी: (हँसते हुए) शैतानों इधर आओ .... कहाँ भाग रहे हो?
और बच्चे कमरे में इधर-उधर भागने लगे| भौजी भागने को हुईं तो मैंने उनकी कलाई थाम ली और उन्हें अपने पास बिठा लिया|
मैं: अब बताओ कैसा महसूस कर रहे हो?
भौजी: ऐसा जैसे प्राण आपके पास रह गए हों और ये खोखला शरीर मेरे पास रह गया|
मैं: ओह! कुछ ज्यादा नहीं हो गया?
भौजी: ना...
उन्होंने अपना दोनों बाहें मेरी गर्दन में दाल दीं और मुंह से आह निकल गई|
भौजी: क्या हुआ?
मैं: कुछ नहीं
पर उन्हें कहाँ चैन पड़ने वाला था, उन्होंने मेरी टी शर्ट गर्दन से हटाई और देखा तो उनके दाँतों के निशान पड़ चुके थे और उतना हिस्सा लाल था....
भौजी: हाय राम..... ये मैंने!!
ये वही निशान था जो उन्होंने कल रात आखरी बार स्खलित होते समय मुझे जोर से काट लिया था| वो एक दम से उठीं और दवाई लेने जाने लगीं तो मैंने उन्हें उठने नहीं दिया|
मैं: ठीक हो जायेगा... आप ये लो...
मैंने I-pill की गोली का पत्ता उनकी ओर बढ़ा दिया| उसे देखते ही वो एकदम से बोल उठीं;
भौजी: I wanna conceieve this baby!
उनकी बात सुन के मेरी हालत ऐसी थी की ना तो सांस आ रहा था ओर ना ही जा रहा था...मैं आँखें फाड़े उन्हें देखने लगा| एक बार तो मन किया की उन्हें जी भर के डाँट लगाउन...पर फिर उनकी तबियत का ख्याल आया और मैंने इत्मीनान से बात करने की सोची| मुझे भरोसा था की मैं उन्हें मना लूँगा....
मैं: तो आपने ये सब पहले से प्लान कर रखा था ना? उस दीं आपने जब मुझे कंडोम use नहीं करने दिया...मतलब आपने सब प्लान कर रखा था ना?
भौजी कुछ नहीं बोलीं बस सर झुका लिया|
मैं: मैं आपसे कुछ पूछ रहा हूँ| Answer me !!! (मैं बड़े आराम से बात कर रहा था|)
भौजी ने हाँ में सर हिलाया| मैंने अपने सर पे हाथ रख लिया और उठ के खड़ा हो गया ....गुस्सा अंदर भर चूका था..बस बाहर आने को मचल रहा था| मैं कमरे में एक कोने से दूसरे कोने तक चलने लगा| Just Imagine the Gabbar and Sambha वाला सीन| गब्बर मैं था और भौजी साम्भा की तरह सर झुकाये बैठी थीं| मैं अंदर ही अंदर खुद को समझा रहा था की गुस्से को शांत कर ले और आराम से बात कर| फिर मैंने चलते-चलते उनसे सवाल पूछा;
मैं: एक पल के लिए मैं आपकी बात मान लेता हूँ! ठीक है आपको ये बच्चा चाहिए...पर आप सब से क्या कहोगे? बड़की अम्मा...माँ...पिताजी...बड़के दादा ...और हाँ चन्दर भैया से क्या कहोगे?
भौजी कुछ नहीं बोलीं|
मैं: चन्दर भैया कहोगे की मैंने इन्हें सात सालों से छुआ तक नहीं....तो? या इस बार भी यही कहोगे की शराब पी कर उन्होंने आपके साथ जबरदस्ती की?
भौजी के पास मेरे सवालों का कोई जवाब नहीं था|वो बस सर झुकाये बैठी थीं....
मैं: बताओ...क्या जवाब दोगे?
मुझे पता था की उनके पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं है....तभी उन्होंने रोते हुए अपनी बात सामने रखी;
भौजी: मैं ...नहीं जानती...मैं क्या जवाब दूँगी! मैं बस ये बच्चा चाहती हूँ.... आप मुझे ये गोली लेने को कह रहे हो...पर अंदर ही अंदर ये बात मुझे काट रही है| मैं ये नहीं कर सकती....
मैं: Hey .... (मैं उनके सामने घुटनों पे बैठ गया|) Listen to me .... अभी वो बच्चा आपकी कोख में नहीं आया है...आप उसकी हत्या नहीं कर रहे हो! अभी 24 घंटे भी नहीं हुए...its completely safe! कुछ नहीं होगा...All you've to do is take this pill ...and that's it!
भौजी: मेरा मन नहीं मान रहा इसके लिए| उस दिन भी जब मैंने आपको फोन किया था तो मन नहीं मान रहा था...मैंने अपना मन मार के आपको फोन किया...और आप देख सकते हो की उसका नतीजा क्या हुआ? मेरे एक गलत फैसले ने आपको आपके ही बेटे से दूर कर दिया...आप उसे अपनी गोद में नहीं खिला पाये... उसे वो प्यार नहीं दे पाये जो आप उसे देना चाहते थे...या जो आपने नेहा को उन कुछ दिनों में दिया था| आज वो आपके सामने आता है तो मुझे बड़ी खेज होती है की मैंने आप से वो खुशियां छें ली...वो भी बिना आपसे पूछे| ये बच्चा (उन्होंने अपनी कोख पे हाथ रखा) आपको वो सुख देगा! आप इसे अपनी गोद में खिलाओगे...उसे प्यार करोगे.... उसे वो सारी बातें सिखाओगे जो आप आयुष को सिखाना चाहते थे|
मैं: यार ऐसा नहीं है...मैं उसे अब भी उतना ही प्यार करता हूँ.... जो हुआ वो Past था ...आप क्यों उसके चक्कर में हमारा Present ख़राब करने पे तुले हो!
भौजी: प्लीज...मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूँ ..मुझे ये पाप करने को मत कहो... मैं अपना मन नहीं मार सकती!
अब बातें क्लियर थीं की की मेरी किसी भी बात का असर उनपर नहीं पड़ने वाला था| मैं उठा और वो I-pill का पत्ता जो मेरे हाथ में था, उसे मैंने हाथ में लेके इस तरह मोड़-तोड़ दिया की मानो सारा गुस्सा उस दवाई के पत्ते पे निकाल दिया| मैंने उसे कूड़ेदान में दे मार और कमरे से बाहर निकला, बस जाते-जाते इतना कहा;
मैं: Fine ....
मैं छत पे पहुँच गया और टंकी के ऊपर बैठ गया और अपना दिमाग शांत करने लगा| करीब एक घंटे बाद भौजी छत पे आ गईं और मुझे इधर-उधर ढूंढने लगीं पर मैं नहीं दिखा...दीखता कैसे...मैं तो ऊपर टंकी पे बैठ था| भौजी ने मुझे आवाज भी लगाईं; "जानू...जानू....आप कहाँ हो?" पर मैंने कोई जवाब नहीं देखा बस उन्हें ऊपर से देख रहा था| फिर मैं चुप-चाप उतरा और उनके पीछे जाके खड़ा हो गया,जैसे ही मेरी सांसें उन्हें महसूस हुईं वो एक दम से पलटीं, मैंने अपने दोनों हाथों से उनहीं थाम लिया और उनकी आँखों में आँखें डालते हुए कहा;
मैं: Marry Me !
भौजी: क्या?
मैं: I said Marry Me ! Its the only way ....we both can be happy!
भौजी: No …we can’t.
मैं: Marry Me! You can have this baby .... आपको जूठ बोलने की जर्रूरत नहीं....बच्चे मुझे सब के सामने पापा कह सकेंगे….हम हमेशा एक साथ रहेंगे...इस तरह छुप-छुप के मिलने से आजादी...everything will be fine!
भौजी: नहीं...कुछ भी Fine नहीं होगा.... माँ- पिताजी कभी नहीं मानेंगे... कम से कम अभी हम साथ तो हैं...आपकी इस बात के बाद तो हम दोनों को अलग कर दिया जायेगा| मैं जैसे भी हूँ...भले ही उस इंसान के साथ रह रही हूँ पर अंदर से तो आपसे ही प्यार करती हूँ... मैं उसके साथ रह लुंगी...पर प्लीज...
मैं: (मैंने उनकी बात काट दी) आप उनके साथ तो अब वैसे भी नहीं रह सकते| वो लखनऊ के "नशा मुक्ति केंद्र" में भर्ती हैं|
भौजी: क्या?
मैं: हाँ...कल पिताजी और माँ की बात हुई थी ना...तो माँ ने आज मुझे बताया| यही समय ठीक है... मैं पिताजी के आने पर उनसे बात करता हूँ.... आज आपका और माँ का प्यार देख के ये तो पक्का है की वो इस बात के लिए मान जाएँगी...थोड़ा देर से ही सही!
भौजी: नहीं...प्लीज.... वो नहीं मानेंगे! नशे की आदत छूट जाएगी तो वो बदतमीजी नहीं करेंगे|
मैं: आपको पूरा यकीन है की वो आपको परेशान नहीं करेंगे? उनके अंदर की वासना की आग का क्या? प्लीज.... Let me try once!
भौजी: आगा नहीं माने तो हम फिर से जुदा हो जायेंगे?
मैं: आप मुझसे प्यार करते हो ना? तो मुझ इ भरोसा रखो और दुआ करो की सब ठीक हो जाए| मैं सब से बात कर लूँगा...सब को मना लूँगा.... नहीं तो.... हम भाग जायेंगे|
भौजी: प्लीज ऐसा मत करो...प्लीज..... सब कुछ तबाह हो जाएगा!
मैं: भरोसा रखो....
और मैंने उन्हें गले लगा लिया और भौजी रो पड़ीं|
मैं: बस मेरी जान...बस .... अब रोने का समय नहीं है...बस आज रात पिताजी आ जाएंगे ..और मैं उनसे कल ही सारी बात कर लूँगा|
भौजी फफ्फ्क् के रो रहीं थीं| मैंने उन्हें चुप कराया...और उन्हें नीचे ले आया| रात को भोजन के बाद मैंने उनहीं गर्म पानी का पतीला दिया और कहा की आप बाथरूम में जाके सिकाई कर लो और मैं पिताजी को लेने स्टेशन चला गया| लौटते-लौटते देर हो गई और बच्चे सो गए थे| माँ ने बताया की बच्चे सो नहीं रहे थे और भौजी ने उन्हें बहुत बुरी तरह डाँटा तब जाके वो रोते-रोते सो गए| पिताजी ने भोजन किया और काम के बारे में पूछा और फिर सोने चले गए| मैं कमरे में आया तो ग्यारह बज रहे थे और बच्चे जगे हुए थे पर चुप-चाप सो रहे थे| मुझे कमरे में देखते ही दोनों मुस्कुरा दिए और मुझसे लिपट गए| मैंने दोनों को अगल-बगल लिटाया और मैं बीच में लेट गया| दोनों ने मुझे झप्पी डाली, मेरी बाहों को तकिया बनाया और अपनी टांगें उठा के मेरे पेट पे रख के सो गए| मैं रात भर सोचता रहा की कल कैसे पिताजी से हिम्मत कर के ये सब कहूँगा? क्या वो मेरी बात मानेंगे? ये सब सोचते-सोचते सुबह हो गई.... भौजी जब कमरे में आइन तो मेरी आँखें खुली हुई थीं...कमरे में खिड़की से आ रही रौशनी उजाला कर रही थी और दिवाली आने में बहुत कम समय था|
भौजी: सोये नहीं सारी रात?
मैं: नहीं... जानता हूँ आप भी नहीं सोये| आर आज के बाद ...सब ठीक हो जायेगा!
भौजी: मैं आपसे एक रिक्वेस्ट करने आई हूँ|
मैं: हाँ बोलो ...पर अगर आप चाहते हो की मैं वो बात ना करूँ तो...I'm sorry मैं आपकी ये बात नहीं मानूँगा|
भौजी: नहीं...मैं बस ये कह रही हूँ की आप बात करो...पर अभी नहीं...दिवाली खत्म होने दो...कम से कम एक दिवाली तो आपके साथ मना लूँ...फिर आगे मौका मिले न मिले!
मैं: Hey .... ऐसे क्यों बोल रहे हो....पर ठीक है मैं आज बात नहीं करूंगा पर दिवाली के बाद पक्का?
भौजी: ठीक है!
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी
बदलाव के बीज--89
अब आगे ....
मैंने स्वयं ही उन से पूछा;
मैं: कहो क्या कहना है?
भौजी: आप गाडी ले लो| FD बाद में करा लेंगे|
मैं: Hey .... मेरा निर्णय फाइनल है| इसके बारे में मैं कुछ नहीं सुन्ना चाहता|
भौजी: पर गाडी भी तो जर्रुरी है| आपका काम आसान हो जाएगा?
मैं: No and END OF DISCUSSION !
मैंने बात वहीं के वहीँ निपटा दी| हाँ मैं कई बार rude हो जाता था...पर वो बहुत जर्रुरी होता था| गाडी से ज्यादा future secure करना जर्रुरी था|
मैं: मैं नाश्ता ले के आता हूँ|
भौजी: (रुठते हुए) मुझे नहीं खाना!
मैं: Awwwww मेरा बच्चा नाराज हो गया! Awwwww (मैंने उनहीं छोटे बच्चे की तरह दुलार किया|)
भौजी: आप मेरी बात कभी नहीं मानते!
मैंने आँखें बड़ी करके उन्हें हैरानी जाहिर की;
भौजी: हाँ-हाँ कल रात आपने मेरी बात मानी थी|
मैंने फिर से वैसे ही आँखें बड़ी कर के हैरानी जताई|
भौजी: हाँ-हाँ ....आपने सात साल पहले वाली भी बात मानी थी|
मैंने तीसरी बार वैसे ही मुंह बनाया...
भौजी: ठीक है बाबा...आप मेरी सब बात मानते हो| बस! अब नाश्ता ले आओ...और मेरे साथ बैठ के खाना|
मैं नाश्ता लेने गया और तभी दिषु भी आ गया और चाभी लेके निकल गया| मैंने नाश्ते के लिए कहा तो वो वापस आया, परांठा हाथ में ले के निकल गया| मैंने परांठे लिए और उनके साथ बैठ के खाया| इतने में माँ आ गईं| जब मैं नाश्ता लेने गया था तभी मैंने दरवाजा अनलॉक कर दिया था|
माँ: बहु...अब कैसा लग रहा है? मानु तूने दवाई दी बहु को?
मैं: जी चाय के साथ दी थी|
भौजी: माँ ...अब बेहतर लग रहा है| आप बैठो मैं खाना बनाना शुरू करती हूँ|
मैं: अभी आपका बुखार उतरा नहीं है...आराम करो| खाना मैं बाहर से माँगा लेता हूँ|
माँ: ठीक है...पर अटर-पटर मत माँगा लिओ खाना| कहीं पेट भी ख़राब कर दे! और बहु तू आराम कर...
भौजी: माँ मैं अकेली यहाँ बोर हो जाऊँगी|
मैं: तो tablet पे मूवी देखें?
माँ: जो करना है करो...मैं चली CID देखने|
भौजी: माँ मैं भी आपके पास ही बैठ जाती हूँ|
मैंने मुंह बनाके उन्हें दिखाया, क्योंकि मैं सोच रहा था हम साथ बेड पे बैठ के मूवी देखते|
माँ: ठीक है बेटा...तू सोफे पे लेट जा और मैं कुर्सी पे बैठ जाती हूँ|
मैं: ठीक है...आप सास-बहु का तो हो गया प्रोग्राम सेट! मैं चला अपने कमरे में!
माँ: क्यों आज काम पे नहीं जाना?
मैं: नहीं...संतोष आज संभाल लेगा...कल से चला जाऊँगा|
माँ: जैसी तेरी मर्जी|
मैं अपने कमरे में आ गया और कुछ बिल्स वगेरह लेके एकाउंट्स लिखने लगा| कुछ देर बाद मुझे प्यास लगी तो मैं पानी लेने उठा तो बैठक का नजारा देख के चौखट पे खड़ा होक दोनों को देखने लगा| भौजी ने माँ की गोद में सर रख रखा था और माँ उनका सर थपथपा रहीं थीं| मैं धीरे-धीरे चलते हुए उनके पास आया, जैसे ही माँ की नजर मुझ पे पड़ी तो उन्होंने मुझे चुप रहने का इशारा किया| मैं चुप-चाप वहां से उले पाँव अपने कमरे में आगया| भौजी को माँ की गोद रखा देख मुझे बहुत प्यार आ रहा था| एक ख़ुशी सी महसूस हो रही थी की कैसे भौजी इस घर में अपनी जगह बना रही थीं| उन्होंने माँ के दिल में जगह पा ली थी और पिताजी...खेर उनके दिल में भौजी के लिए बेटी जैसा प्यार था| वो रोज नेहा और आयुष के लिए चॉकलेट्स वगेरह लाया करते थे| बच्चे उनसे घुल-मिल गए थे! भौजी के दिल में पिताजी से वही प्यार और इज्जत थी जो मेरे दिल में थी! क्या भौजी इस परिवार का हिस्सा बन सकती थीं? यही सोचते-सोचते मैं सो गया| अब रात की थकावट कुछ तो असर दिखा ही रही थी| दो घंटे बाद मैं चौंक के उठ गया| दरअसल मैंने सपना देखा...और सपने में मैंने ये देखा की मैं भौजी को I-pill देना भूल गया| मैंने घडी देखि तो लंच का समय हो रहा था और बच्चों के आने का भी| मैंने फटाफट कपडे पहने और बाहर आया| देखा तो माँ और भौजी दोनों सोफे पर वैसे ही बैठे थे और अब माँ की भी आँख लग गई थी| मैं दबे पाँव बाहर जाने लगा इतने में हलकी सी आहत से माँ की आँख खुल गईं| उन्होंने इशारे से पूछा की मैं कहाँ जा रहा हूँ और मैंने भी इशारे से कह दिया की मैं खाना लेने जा रहा हूँ| माँ ने आज्ञा दी और मैं चुप-चाप बाहर आ गया| घर से दूर आके मैंने ऑटो किया और दूसरी कॉलोनी की तरफ चला गया| वहां पहुँच के मैंने Medicine की दूकान से I-pill खरीदी, अब ये काम अपनी कॉलोनी की Medicine की दूकान से नहीं ले सकता था, क्योंकि वहाँ सब मुझे जानते थे| तो ये मेरा कदम बहुत ही सोचा-समझा था! मैंने खाना पैक कराया और अब तो बच्चों की वैन भी आने वाली थी| मैं खाना लेके उनके स्टैंड पर खड़ा हो गया| अगले दड़ो मिनट में बच्चे भी आ गए और मैं उनको लेके घर पहुँच गया| भौजी अब भी सो रही थीं और माँ CID देख रही थी|
जब उन्होंने देखा की मैं आ गया हूँ और बच्चे भी आ गए हैं तो उन्होंने प्यार से भौजी को पुकारा;
माँ: बहु......बेटा...... उठो खाना खा लो|
भौजी ने आँख खोली और देखा की बच्चे और मैं सब चुप-चाप दोनों सास-बहु को इस तरह बैठे हुए देख रहे हैं| भौजी ने आँखों ही आँखों में मुझसे पूछा; "की क्या देख रहे हो?" और मैं उनकी बात का जवाब मुस्कुरा के देने लगा|
खाना मैंने किचन काउंटर पे रखा और बच्चों को अंदर ले गया| कपडे चेंज कर के मैं और बच्चे तीनों बहार आ गए| हमने खाना खाया और फिर नेहा ने मुझे चालीस रूपए वापस दिए;
मैं: बेटा ....ये आप मुझे क्यों दे रहे हो? मैंने कहा था न की ये आप रखो|
नेहा ने हाँ में सर हिलाया| फिर मैंने पूछा;
मैं: तो बेटा क्या खाया लंच में?
आयुष: सैंडविच और चिप्स
भौजी: मैने मना किया था ना तुम दोनों को!
मैं: Relax यार...मैंने ही पैसे दिए थे क्योंकि मैंने सैंडविच बांया था...अब एक सैंडविच से से क्या होता है? इसलिए मैंने कहा था की कुछ खा लेना|
माँ: बहु...कोई बात नहीं,...बच्चे हैं| चलो बच्चों खाना खाओ|
भौजी शिकायत भरी नजरों से मुझे देख रही थीं| खाना खाने के बाद बच्चे सोना चाहते थे और मेरा भी मन कर रहा था की सो जाऊँ| मैंने बच्चों को लिटाया और भौजी की तबियत पूछने चला गया| भौजी सो चुकी थीं, मैंने उनका हाथ छू के देखा तभी उनकी आँख खुल गईं;
भौजी: क्या हुआ?
मैं: Sorry आपको जगा दिया| मैं बस आपका बुखार चेक कर रहा था| अब नार्मल है! आप आराम करो...शाम को मिलते हैं|
भौजी: मुझे नींद नहीं आएगी ..... आप भी यहीं सो जाओ ना?
मैं: माँ घर पे है! (मैंने उन्हें आगाह किया|)
भौजी: प्लीज !!!
जिस तरह से उन्होंने मुंह बना के कहा...मैं उन्हें मना नहीं कर पाया| मैंने बच्चों को उठाया और अपने साथ भौजी वाले कमरे में ले आया| बच्चों को बीच में लिटा दिया और मैं और भौजी उनके अगल-बगल लेट गए| भौजी ने अपना बायां हाथ आयुष की छाती पे रखा और थप-थपा के सुलाने लॉगिन और नेहा मुझसे लिपट गई| नजाने कब आँख लग गई ...सीधा शाम को छः बजे आँख खुली| भौजी अब भी सो रही थीं और बच्चे भी| मैं चुप-चाप उठा और नेहा की गिरफ्त से खुद को छुड़ाया| मैं बहार अपने कमरे में आया और मुंह धोया फिर सोचा की चाय बना लूँ, देखा तो माँ डाइनिंग टेबल पे बैठी चाय पी रही थी और काफी गंभीर लग रही थी| उन्होंने मुझे अपने पास बिठा के कुछ बातें बातें जो गाँव में घट रही थीं| सुन के मैं थोड़ा हैरान हो गया और सोचने लगा की भौजी को बताऊँ या नहीं! माँ मास्टर वाली जगह बैठी थीं और मैं उनकी दाहिने तरफ बैठा था|
कुछ देर में भौजी जाग गईं और उनका चेहरा दमक रहा था! साफ़ लग रहा था की उनकी तबियत अब ठीक है| हाँ उनकी चाल में थोड़ा फर्क था| वो बड़ा सम्भल के चाल रहीं थीं| भौजी आके माँ की बायीं तरफ बैठ गईं| हमें चाय पीता हुआ देख के वो बोलीं;
भौजी: माँ...मुझे उठा देते मैं चाय बना लेती|
माँ: पहले बता तेरी तबियत कैसी है? (और माँ ने उनके माथे को छू के देखा|) हम्म्म...अब बुखार नहीं है|
मैंने उठ के उन्हें भी चाय ला दी| बच्चे अब भी सो रहे थे... भौजी और माँ बस यूँ ही बातें शुरू हो गईं ,,,,पर माँ ने उन्हें कुछ नहीं बताया| मैं बच्चों को उठाने चला गया और जब वापस आया तो भौजी ने उनका दूध बना दिया था| दोनों ने दूध पिया और मेरे कमरे में पढ़ाई करने बैठ गए| मैं अपने ट्रंक में कुछ खिलोने ढूंढने लगा...मैंने सारे खिलोने निकाल के बच्चों को दे दिए| मैं जब छोटा था तब से खिलोने कलेक्ट करता था...दसवीं तक मैं खिलोने कलेक्ट करता था...और माँ से कहता था की ये खिलोने मैं अपने बच्चों को दूंगा| तो आज वो दिन आ गया था|
मैं: नेहा...आयुष...आपके लिए मेरे पास कुछ है|
नेहा: क्या पापा?
मैं: ये लो...आप दोनों के लिए Piggy Bank (गुल्ल्क)!
आयुष: ये तो बॉक्स है?
नेहा: अरे बुद्धू ...ये गुल्ल्क है..इसमें पैसे जमा करते हैं|
उनमें से एक Piggy Bank Disney Tarzan का collectors item था जो मैंने आयुष को दिया और दूसरा वाला Mickey Mouse वाला था जो मेरे बचपन का था, जब मैं आयुष की उम्र का था|
मैं: बेटा ये लो...पचास रूपए आप (आयुष) और सौ रुपये आप लो (नेहा)|
नेहा: पर किस लिए?
मैं: बेटा ये आपकी पॉकेट मनी है| आप इसे जमा करो...जब पैसे काफी इकठ्ठा हो जायेंगे तब मैं आपका Kotak Mahindra में अकाउंट खुलवा दूँगा|
आयुष: तो मैं भी sign कर के पैसे निकलूंगा? (उसने मुझे और पिताजी को कई बार चेक पे sign करते हुए देखा था|)
मैं: हाँ बेटा... और आपको आपका ATM Card भी मिलेगा|
भौजी: क्यों आदत बिगाड़ रहे हो?
मैं: मैंने भी बचत करना अपने बचपन से सीखा है| ये भ सीखेंगे... मुझे इन पर पूरा भरोसा है..ये पैसे बर्बाद नहीं करेंगे| नहीं करोगे ना बच्चों?
दोनों बच्चे मेरे पास आये और गले लग गए और भौजी को जीभ चिढ़ाने लगे|
भौजी: (हँसते हुए) शैतानों इधर आओ .... कहाँ भाग रहे हो?
और बच्चे कमरे में इधर-उधर भागने लगे| भौजी भागने को हुईं तो मैंने उनकी कलाई थाम ली और उन्हें अपने पास बिठा लिया|
मैं: अब बताओ कैसा महसूस कर रहे हो?
भौजी: ऐसा जैसे प्राण आपके पास रह गए हों और ये खोखला शरीर मेरे पास रह गया|
मैं: ओह! कुछ ज्यादा नहीं हो गया?
भौजी: ना...
उन्होंने अपना दोनों बाहें मेरी गर्दन में दाल दीं और मुंह से आह निकल गई|
भौजी: क्या हुआ?
मैं: कुछ नहीं
पर उन्हें कहाँ चैन पड़ने वाला था, उन्होंने मेरी टी शर्ट गर्दन से हटाई और देखा तो उनके दाँतों के निशान पड़ चुके थे और उतना हिस्सा लाल था....
भौजी: हाय राम..... ये मैंने!!
ये वही निशान था जो उन्होंने कल रात आखरी बार स्खलित होते समय मुझे जोर से काट लिया था| वो एक दम से उठीं और दवाई लेने जाने लगीं तो मैंने उन्हें उठने नहीं दिया|
मैं: ठीक हो जायेगा... आप ये लो...
मैंने I-pill की गोली का पत्ता उनकी ओर बढ़ा दिया| उसे देखते ही वो एकदम से बोल उठीं;
भौजी: I wanna conceieve this baby!
उनकी बात सुन के मेरी हालत ऐसी थी की ना तो सांस आ रहा था ओर ना ही जा रहा था...मैं आँखें फाड़े उन्हें देखने लगा| एक बार तो मन किया की उन्हें जी भर के डाँट लगाउन...पर फिर उनकी तबियत का ख्याल आया और मैंने इत्मीनान से बात करने की सोची| मुझे भरोसा था की मैं उन्हें मना लूँगा....
मैं: तो आपने ये सब पहले से प्लान कर रखा था ना? उस दीं आपने जब मुझे कंडोम use नहीं करने दिया...मतलब आपने सब प्लान कर रखा था ना?
भौजी कुछ नहीं बोलीं बस सर झुका लिया|
मैं: मैं आपसे कुछ पूछ रहा हूँ| Answer me !!! (मैं बड़े आराम से बात कर रहा था|)
भौजी ने हाँ में सर हिलाया| मैंने अपने सर पे हाथ रख लिया और उठ के खड़ा हो गया ....गुस्सा अंदर भर चूका था..बस बाहर आने को मचल रहा था| मैं कमरे में एक कोने से दूसरे कोने तक चलने लगा| Just Imagine the Gabbar and Sambha वाला सीन| गब्बर मैं था और भौजी साम्भा की तरह सर झुकाये बैठी थीं| मैं अंदर ही अंदर खुद को समझा रहा था की गुस्से को शांत कर ले और आराम से बात कर| फिर मैंने चलते-चलते उनसे सवाल पूछा;
मैं: एक पल के लिए मैं आपकी बात मान लेता हूँ! ठीक है आपको ये बच्चा चाहिए...पर आप सब से क्या कहोगे? बड़की अम्मा...माँ...पिताजी...बड़के दादा ...और हाँ चन्दर भैया से क्या कहोगे?
भौजी कुछ नहीं बोलीं|
मैं: चन्दर भैया कहोगे की मैंने इन्हें सात सालों से छुआ तक नहीं....तो? या इस बार भी यही कहोगे की शराब पी कर उन्होंने आपके साथ जबरदस्ती की?
भौजी के पास मेरे सवालों का कोई जवाब नहीं था|वो बस सर झुकाये बैठी थीं....
मैं: बताओ...क्या जवाब दोगे?
मुझे पता था की उनके पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं है....तभी उन्होंने रोते हुए अपनी बात सामने रखी;
भौजी: मैं ...नहीं जानती...मैं क्या जवाब दूँगी! मैं बस ये बच्चा चाहती हूँ.... आप मुझे ये गोली लेने को कह रहे हो...पर अंदर ही अंदर ये बात मुझे काट रही है| मैं ये नहीं कर सकती....
मैं: Hey .... (मैं उनके सामने घुटनों पे बैठ गया|) Listen to me .... अभी वो बच्चा आपकी कोख में नहीं आया है...आप उसकी हत्या नहीं कर रहे हो! अभी 24 घंटे भी नहीं हुए...its completely safe! कुछ नहीं होगा...All you've to do is take this pill ...and that's it!
भौजी: मेरा मन नहीं मान रहा इसके लिए| उस दिन भी जब मैंने आपको फोन किया था तो मन नहीं मान रहा था...मैंने अपना मन मार के आपको फोन किया...और आप देख सकते हो की उसका नतीजा क्या हुआ? मेरे एक गलत फैसले ने आपको आपके ही बेटे से दूर कर दिया...आप उसे अपनी गोद में नहीं खिला पाये... उसे वो प्यार नहीं दे पाये जो आप उसे देना चाहते थे...या जो आपने नेहा को उन कुछ दिनों में दिया था| आज वो आपके सामने आता है तो मुझे बड़ी खेज होती है की मैंने आप से वो खुशियां छें ली...वो भी बिना आपसे पूछे| ये बच्चा (उन्होंने अपनी कोख पे हाथ रखा) आपको वो सुख देगा! आप इसे अपनी गोद में खिलाओगे...उसे प्यार करोगे.... उसे वो सारी बातें सिखाओगे जो आप आयुष को सिखाना चाहते थे|
मैं: यार ऐसा नहीं है...मैं उसे अब भी उतना ही प्यार करता हूँ.... जो हुआ वो Past था ...आप क्यों उसके चक्कर में हमारा Present ख़राब करने पे तुले हो!
भौजी: प्लीज...मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूँ ..मुझे ये पाप करने को मत कहो... मैं अपना मन नहीं मार सकती!
अब बातें क्लियर थीं की की मेरी किसी भी बात का असर उनपर नहीं पड़ने वाला था| मैं उठा और वो I-pill का पत्ता जो मेरे हाथ में था, उसे मैंने हाथ में लेके इस तरह मोड़-तोड़ दिया की मानो सारा गुस्सा उस दवाई के पत्ते पे निकाल दिया| मैंने उसे कूड़ेदान में दे मार और कमरे से बाहर निकला, बस जाते-जाते इतना कहा;
मैं: Fine ....
मैं छत पे पहुँच गया और टंकी के ऊपर बैठ गया और अपना दिमाग शांत करने लगा| करीब एक घंटे बाद भौजी छत पे आ गईं और मुझे इधर-उधर ढूंढने लगीं पर मैं नहीं दिखा...दीखता कैसे...मैं तो ऊपर टंकी पे बैठ था| भौजी ने मुझे आवाज भी लगाईं; "जानू...जानू....आप कहाँ हो?" पर मैंने कोई जवाब नहीं देखा बस उन्हें ऊपर से देख रहा था| फिर मैं चुप-चाप उतरा और उनके पीछे जाके खड़ा हो गया,जैसे ही मेरी सांसें उन्हें महसूस हुईं वो एक दम से पलटीं, मैंने अपने दोनों हाथों से उनहीं थाम लिया और उनकी आँखों में आँखें डालते हुए कहा;
मैं: Marry Me !
भौजी: क्या?
मैं: I said Marry Me ! Its the only way ....we both can be happy!
भौजी: No …we can’t.
मैं: Marry Me! You can have this baby .... आपको जूठ बोलने की जर्रूरत नहीं....बच्चे मुझे सब के सामने पापा कह सकेंगे….हम हमेशा एक साथ रहेंगे...इस तरह छुप-छुप के मिलने से आजादी...everything will be fine!
भौजी: नहीं...कुछ भी Fine नहीं होगा.... माँ- पिताजी कभी नहीं मानेंगे... कम से कम अभी हम साथ तो हैं...आपकी इस बात के बाद तो हम दोनों को अलग कर दिया जायेगा| मैं जैसे भी हूँ...भले ही उस इंसान के साथ रह रही हूँ पर अंदर से तो आपसे ही प्यार करती हूँ... मैं उसके साथ रह लुंगी...पर प्लीज...
मैं: (मैंने उनकी बात काट दी) आप उनके साथ तो अब वैसे भी नहीं रह सकते| वो लखनऊ के "नशा मुक्ति केंद्र" में भर्ती हैं|
भौजी: क्या?
मैं: हाँ...कल पिताजी और माँ की बात हुई थी ना...तो माँ ने आज मुझे बताया| यही समय ठीक है... मैं पिताजी के आने पर उनसे बात करता हूँ.... आज आपका और माँ का प्यार देख के ये तो पक्का है की वो इस बात के लिए मान जाएँगी...थोड़ा देर से ही सही!
भौजी: नहीं...प्लीज.... वो नहीं मानेंगे! नशे की आदत छूट जाएगी तो वो बदतमीजी नहीं करेंगे|
मैं: आपको पूरा यकीन है की वो आपको परेशान नहीं करेंगे? उनके अंदर की वासना की आग का क्या? प्लीज.... Let me try once!
भौजी: आगा नहीं माने तो हम फिर से जुदा हो जायेंगे?
मैं: आप मुझसे प्यार करते हो ना? तो मुझ इ भरोसा रखो और दुआ करो की सब ठीक हो जाए| मैं सब से बात कर लूँगा...सब को मना लूँगा.... नहीं तो.... हम भाग जायेंगे|
भौजी: प्लीज ऐसा मत करो...प्लीज..... सब कुछ तबाह हो जाएगा!
मैं: भरोसा रखो....
और मैंने उन्हें गले लगा लिया और भौजी रो पड़ीं|
मैं: बस मेरी जान...बस .... अब रोने का समय नहीं है...बस आज रात पिताजी आ जाएंगे ..और मैं उनसे कल ही सारी बात कर लूँगा|
भौजी फफ्फ्क् के रो रहीं थीं| मैंने उन्हें चुप कराया...और उन्हें नीचे ले आया| रात को भोजन के बाद मैंने उनहीं गर्म पानी का पतीला दिया और कहा की आप बाथरूम में जाके सिकाई कर लो और मैं पिताजी को लेने स्टेशन चला गया| लौटते-लौटते देर हो गई और बच्चे सो गए थे| माँ ने बताया की बच्चे सो नहीं रहे थे और भौजी ने उन्हें बहुत बुरी तरह डाँटा तब जाके वो रोते-रोते सो गए| पिताजी ने भोजन किया और काम के बारे में पूछा और फिर सोने चले गए| मैं कमरे में आया तो ग्यारह बज रहे थे और बच्चे जगे हुए थे पर चुप-चाप सो रहे थे| मुझे कमरे में देखते ही दोनों मुस्कुरा दिए और मुझसे लिपट गए| मैंने दोनों को अगल-बगल लिटाया और मैं बीच में लेट गया| दोनों ने मुझे झप्पी डाली, मेरी बाहों को तकिया बनाया और अपनी टांगें उठा के मेरे पेट पे रख के सो गए| मैं रात भर सोचता रहा की कल कैसे पिताजी से हिम्मत कर के ये सब कहूँगा? क्या वो मेरी बात मानेंगे? ये सब सोचते-सोचते सुबह हो गई.... भौजी जब कमरे में आइन तो मेरी आँखें खुली हुई थीं...कमरे में खिड़की से आ रही रौशनी उजाला कर रही थी और दिवाली आने में बहुत कम समय था|
भौजी: सोये नहीं सारी रात?
मैं: नहीं... जानता हूँ आप भी नहीं सोये| आर आज के बाद ...सब ठीक हो जायेगा!
भौजी: मैं आपसे एक रिक्वेस्ट करने आई हूँ|
मैं: हाँ बोलो ...पर अगर आप चाहते हो की मैं वो बात ना करूँ तो...I'm sorry मैं आपकी ये बात नहीं मानूँगा|
भौजी: नहीं...मैं बस ये कह रही हूँ की आप बात करो...पर अभी नहीं...दिवाली खत्म होने दो...कम से कम एक दिवाली तो आपके साथ मना लूँ...फिर आगे मौका मिले न मिले!
मैं: Hey .... ऐसे क्यों बोल रहे हो....पर ठीक है मैं आज बात नहीं करूंगा पर दिवाली के बाद पक्का?
भौजी: ठीक है!
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
No comments:
Post a Comment