FUN-MAZA-MASTI
बदलाव के बीज--85
मैंने आयुष को गेम लगा के दी और उसे अपनी गोद में लेके बैठ गया| कीबोर्ड के बटन की चाप-चाप से नेहा भी उठ गई और बगल वाली कुर्सी पे आके बैठ गई| अब उसे भी गेम खेलने थी| दोनों लड़ने लगे की मैं खेलूंगा...मैं खेलूंगी|
मैं: बच्चों...आज रात एडजस्ट कर लो...कल मैं आप दोनों के लिए दो controllers ले आऊँगा|
खेर गेम खलते-खेलते बारह बज गए| अब देर से सोये थे तो बच्चों को उठने में देरी हो गई...हालाँकि मैं जल्दी उठ गया पर मन नहीं किया बच्चों को उठाने का| इतने में गुस्से में भौजी आ गईं और बड़बड़ाती हुई बच्चों को उठाने लगीं| "कितनी बार कहा की जल्दी सोया करो..ताकि जल्दी उठो.... पर ये दोनों दीं पर दीं बदमाश होते जा रहे हैं|"
मैं: Relax यार.... गलती मेरी है...रात को तीनों कंप्यूटर पे गेम जो खेल रहे थे| बारह बजे तो सोये हैं हम....
भौजी: हम्म्म्म...तो सजा आपको मिलेगी!
मैं: बताइये मालिक क्या सजा मुक़र्रर की है|
भौजी: आप ही इन्हें तैयार करोगे |
मैं: वो तो मैं रोज करता हूँ|
भौजी: और ...आज मेरे साथ शॉपिंग चलोगे!
मैं: done पर शाम को.... सुबह पिताजी के साथ जाना है|
भौजी: done !
फिर मैंने बच्चों को एक बार प्यार से पुकारा और दोनों उठ के बैठ गए और मेरे गले लग गए|
भौजी: अरे वाह! मैं इतनी देर से गुस्से में उबाल रही थी ...तब तो नहीं उठे! और पापा की एक आवाज में ही उठ गए?
मैं: आपसे ज्यादा प्यार करता हूँ इनहीं...तो मेरी हर बात मानते हैं|
भौजी मुस्कुराईं और चलीं गईं| बच्चों को तैयार कर...वैन में बिठा के घर लौटा...फ्रेश हो के...नाश्ता कर के पिताजी के साथ निकलने वाला था की भौजी ने आँख से इशारा किया और मुझे मेरे ही कमरे में आने को कहा| मैंने पिताजी से कहा की मैं पर्स भूल आया हूँ और लेने के लिए कमरे में आगया|
भौजी: आप कुछ भूल नहीं रहे?
मैं: नहीं तो/ (मैंने अपना पर्स..रुम्माल...फोन सब चेक करते हुए कहा|)
भौजी: कल रात से आपकी एक Kiss due है?
मैं: ओह! हाँ याद आया...पर अभी नहीं...शाम को ठीक है?
भौजी: ठीक है!
पर भौजी कहाँ मानने वालीं थीं| उन्होंने फिर भी अचनक से मेरे होंठों को चूमा और बाहर चलीं गईं|
मैं: बदमाश.... अगर करना ही था तो ढंग से करते!
आज मैं बहुत जोश में था... साइट पे वर्कर्स भी कह रहे थे की क्या बात है भैया आज बड़े मूड में हो? अब मैं उन्हें क्या कहता की मैं मूड में इसलिए हूँ क्योंकि आज दिन की शुरुआत बड़ी मीठी हुई है| शाम होने से पहले मैंने पिताजी को फोन कर के कह दिया की मैं घर जा रहा हूँ... माँ ने बुलाया है| फिर मैं वहां से निकला और सीधा दिषु के ऑफिस पहुँच गया| उससे उसकी नैनो (Tata Nano) की चाभी ली और घर के बाहर पहुँच गया| वहां से मैंने भौजी को फोन किया और उनहीं और बच्चों को बाहर बुलाया| फिर उन्हें लेके मैं सीधा Saket Select City Mall की तरफ गाडी भगाई! वहाँ पहुँच के बच्चों का मन था मूवी देखने का...पर शो पहले ही शुरू हो चूका था| तो बच्चों का मुँह बन गया|
मैं: Awwww .... देखो कल मूवी पक्का! आज के लिए..... अम्म्म्म.... गेम कंट्रोलर्स ले लेते हैं!
बच्चे खुश हो गए.... फिर भौजी जिद्द करने लगीं की उन्हें जीन्स खरीदनी है| पर मैंने टाल दिया....
मैं: यार...आप जीन्स में अच्छे नहीं लगोगे....चलो आपके लिए साडी लेते हैं|
भौजी: OK ..पर पसंद आप करोगे?
मैं: ठीक है!
मैंने अपनी पसंद की उन्हें एक सीफोन की साडी दिलाई| अब उन्होंने जिद्द पकड़ ली की मेरे लिए शर्ट लेंगी...अब मेरे पास पैसे थे नहीं...मेरा Debit Card घर रह गया था| मैंने जान के बहाना मारा की कल ले लेंगे| फिर वहाँ से बच्चों को कॉर्न दिलाये और घर आ गया| घर आके दिषु से कह दिया की कल का दिन गाडी मेरे पास रहेगी| वो भी मान गया.... मैंने अपना कार्ड उठाया और वापस mall आ गया| वहाँ से मैंने भौजी के लिए जीन्स ली और एक टॉप भी| मैंने मन ही मन imagine किया की वो इसमें कैसी दिखेंगी| मैं चुप-चाप घर आया और ड्रेसेस अपने कमरे में छुपा दीं| मैं वापस डाइनिंग टेबल पे आकर बैठ गया और अखबार देखने लगा| फिर मैंने माँ से चाय मांगी;
मैं: माँ..एक कप चाय मिलेगी?
माँ: हाँ...बहु तू भी पियेगी?
भौजी: माँ..आप बैठो...मैं बनाती हूँ| सारे पी लेते हैं|
माँ: तो कहाँ गई थी सवारी?
मैं: माँ...बच्चों को गेम खलने के लिए कंट्रोलर्स दिलाने गया था| सोचा इन्हें भी घुमा दूँ थोड़ा...कल को कुछ सामान लाना हो और मैं ना हूँ तो ये अकेले जा तो सकें|
माँ: हाँ ..अच्छा किया| (नेहा और आयुष से) बच्चों...ज्यादा गेम मत खेल करो...चस्मा लग जायेगा|
मैं: माँ...अब कोई चिंता नहीं...ये कंट्रोलर्स हैं ना... दरअसल कल रात को दोनों को गेम खेलनी थी...और दोनों लड़ रहे थे की पहले मैं..पहले मैं ..
भौजी: हाँ माँ...देखो ना रात-रात भर तीनों गेम खेलते हैं?
माँ: बहु....तू चिंता मत कर...माना की ये लड़का बहुत शरारती है पर अपनी जिम्मेदारियाँ समझता है... एक आध बार चलता है|
फिर मैं डाइनिंग टेबल से उठा और भौजी को आँख मारते हुए कमरे में आने का इशारा किया| दो मिनट बाद भौजी चाय लेके कमरे में आ गईं|
मैं: बैठो... और आँखें बंद करो|
भौजी: एक और सरप्राइज? लो कर ली आँखें बंद!
फिर मैंने भौजी को जीन्स और टॉप निकाल के दी| जब भौजी ने आँखें खोल के ड्रेस को देखा तो वो हैरान होते हुए बोलीं;
भौजी: ये...पर आपने तो कहा था की ये मुझ पे अच्छी नहीं लगेगी|
मैं: वो इसलिए क्योंकि मैं आपको सरप्राइज देना चाहता था| और वैसे भी मैं अपना Debit Card घर भूल गया था तो!
भौजी: O तो आप पहले घर आये हमें छोड़ा...Debit Card लिया और फिर दुबारा गए| हे भगवान!!! तो इसीलिए आपने मुझे शर्ट नहीं लेने दी?
मैं: हाँ! और सुन लो Don’t you dare to surpirise me with any shirt?
भौजी बड़ी हलकी आवाज में बुद्बुदाईन;
भौजी: मेरे पास पैसे ही कहाँ?
इतना कह के उन्होंने नजरें चुरा लीं| उन्हें लगा की मैंने सुना नहीं| पर मुझे एहसास हुआ की भैया उन्हें पैसे नहीं देते...क्यों नहीं देते ये नहीं जानता पर मुझे बहुत बुरा लगा| दिल कचोट उठा और मैंने फटाफट पर्स निकला और उसमें से अपना Debit Cad निकला और उन्हें देते हुए कहा;
मैं: ये लो...Keep it !
भौजी: पर किस लिए?
मैं: आज के बाद कभी भी....कभी भी मत कहना की आपके पास पैसे नहीं हैं| और कल आप ही मुझे एक अच्छी सी शर्ट दिलाओगे!
भौजी; पर मैं ये नहीं ले सकती? ये आपके पैसे हैं!
मैं: Hey I’m not asking…I’m ordering you. Keep it! और ये मेरा और तुम्हारा कब से हो गया| दिल भी तो मेरा था...पर फिर क्यों ले लिया आपने?
भौजी ये सुनके थोड़ा मुस्कुराईं और शर्मा गईं|
भौजी: पर?
मैं: पर-वर कुछ नहीं!
भौजी: मैं आपसे माँग लूंगी...जब जर्रूरत होगी!
मैं: और मैं अगर घर पे ना हुआ तो? और what about surprises?
भौजी: पर मुझे ये इस्तेमाल करना कहाँ आता है?
मैं: कल मैं सीखा दूंगा..तब तक इसे आप ही सम्भालो|
भौजी: अगर आपको जर्रूरत होगी तो?
मैं: मेरे पास checkbook है| और आपको मेरी कसम ये सवाल-जवाब बंद कोर और इसे संभाल के रख लो|
मैंने वो कार्ड भौजी की मुट्ठी में थमा दिया और उन्हें गले लगा लिया|
मैं: अच्छा सुनो... कल आप यही पहनना|
भौजी: hwwwwwwwww !!!
मैं: क्या hwwwww !!! सुनो मेरी बात...कल ये ड्रेस अपने साथ ले लेना और हम मॉल चलेंगे| वहाँ बाथरूम में जाके चेंज कर लेना| फिर वहाँ से मैं आपको मल्टीप्लेक्स ले चलूँगा|
भौजी: और बच्चे?
मैं: वो कुछ नहीं कहेंगे|
भौजी: न..बाबा ना....मुझे शर्म आएगी!!!
मैं: Come on यार!
भौजी: ठीक है!
वो रात मैंने गिन-गिन के काटी! अगली सुबह मैं जल्दी से तैयार हुआ और पिताजी के निकलने से पहले ही साइट पे चा गया| एक से दूसरी साइट के बीच juggle करता रहा और पताजी बड़े खुश नजर आये| फिर जब मैंने उन्हें कहा की मुझे आधे दिन की छुट्टी चाहिए तो उन्होंने मना नहीं किया| यही तो मेरा प्लान था...की पहले पिताजी को खुश करो और बाद में आधे दिन की छुट्टी| रास्ते में ही मैंने मोबाइल से टिकट बुक कीं और फटाफट घर पहुँचा| अब माँ से मैंने बात कुछ इस प्रकार की;
मैं; माँ... बच्चों को मैंने प्रॉमिस किया था की आज उन्हें फिल्म दिखाऊँगा| तो मैं ले जाऊँ उन्हें?
माँ: आज बड़ा पूछ रहा है मुझसे? ले जा...मैंने कब मना किया है|
मैं; ठीक है...
अब मैं उम्मीद करने लगा की माँ कहेंगी की अपनी भौजी को भी ले जा, पर उन्होंने नहीं कहा|| भौजी भी वहीँ किचन काउंटर पे सब्जियां काट रहीं थीं| अभी बच्चों को आने में घंटा भर बचा हुआ था| अब कैसे न कैसे कर के मुझे माँ को मनाना था की भौजी महि मेरे साथ चलें|पर बात कैसे शुरू करूँ?
पहले की बात और थी...तब मेरी उम्र कम थी...और माँ मना नहीं करती....पर अब मैं बड़ा हो चूका था...दाढ़ी-मुछ उग चुकी थी|
पर शायद ऊपर वाले को मेरी हालत पे तरस आ गया और उसने दूसरी बिल्डिंग में रहने वाली कमला आंटी को हमारे घर भेज दिया| वैसे वो भी दूसरी मंजिल पे रहती थीं!!! आंटी ने आके माँ से कहा की लंच के बाद उनके एक common friend के यहाँ कोई साडी वाला आया है| तो वो माँ को और भौजी को लेने आ गईं| माँ ने कहा की वो लंच के बाद सीधा आजाएंगी| अब मैं भौजी को इससे कैसे निकालूँ मैं यही सोच रहा था की तभी मैंने उनहीं मूक इशारा किया और उन्होंने माँ से बहाना मारा;
भौजी: माँ.... मैं भी पिक्चर देखने जाऊँ?
माँ: बच्चों के साथ? ठीक है...पर तुझे साड़ियाँ नहीं खरीदनी?
मैं: अरे भैया...कहाँ आपकी पुराने डिज़ाइन की साड़ियाँ...सारी तो aunty होंगी वहाँ...और इनकी पसंद तो नए जमाने की है| इन्हें कहाँ भाएँगी पुरानी साड़ियाँ!!!
माँ: अच्छा बाबा...ले जा...
भौजी: माँ ऐसा नहीं है...ये अपनी बात कर रहे हैं| मैं आपके साथ ही जाऊँगी!
मैंने भौजी को आँख दिखाई की आप ये क्या कर रहे हो?
माँ: नहीं बहु..तेरा मन पिक्चर देखने का है तो जा.... साडी फिर कभी ले लेंगे|
मैं: हाँ...माँ ठीक तो कह रही है|
भौजी: नहीं...माँ...आज तो मैं साडी ही खरीदुंगी|
अब मेरे मूड की लग गई थी| अब मरता क्या ना करता...बच्चों को प्रॉमिस जो किया था| बच्चे आये और उन्हें फटाफट तैयार करके मूवी दिखाने ले गया| शाम को आठ बजे लौटे...बच्चे बहुत खुश थे और गाडी में ऊधम मचा रखा था दोनों ने! सबसे ज्यादा टेस्टी तो उन्हें शवरमा लगा जो हमने अल-बेक से खाया था|जब हम पहुंचे तो सब घर में मौजूद थे सिवाय चन्दर भैया के|
पिताजी: अरे वाह भई...घुमी करके आ रहे हो सब!
आयुष: दादा जी..हम ने मूवी देखि! उसमें न ...वो सीन था जब....
इस तरह से आयसुह ने फिम की कहानी सुनाई| मैं बड़े प्यार से उसे कहानी सुनाते हुए देख रहा था| नेहा मेरी गोद में बैठ थी और आयुष को बार-बार टोक कर कहानी ढीक कर रही थी| इधर भौजी भी बहुत खुश थीं| ,अं समझ गया था की भौजी ने मेरे साथ जाने से मना क्यों किया था...और मैंने उस बात का कुछ समय तक तो बुरा लगा पर फिर ...छोड़ दिया|
रात के खाने के बाद भौजी मेरे पास आईं;
भौजी: Sorry !!! (कान पकड़ते हुए)
मैं: अब आपको सब को खुश रखना है तो रखो खुश!
भौजी: अच्छा बाबा...कल मूवी चलेंगे?
मैं: रोज-रोज...माँ को क्या बोलूंगा की आज आपको मूवी दिखाने ले जा रहा हूँ?
भौजी: तो फिर कभी चलेंगे|
मैं: और वो कपडे कब पहनके दिखाओगे?
भौजी: आज रात को!
मैं: मजाक मत करो!
भौजी सच...आपके भैया देर से आएंगे ... That means we’ve plenty of time togeteher!
मैं: Done पर इस बार आपने कुछ किया ना तो मैं आपसे बात नहीं करूँगा!
भौजी: नहीं बाबा..आज पक्का!
चलो भई आज रात का सीन तो पक्का था| मैंने दिषु को फोन किया और उसे प्लान समझा दिया| मैंने जल्दी से भौजी को उनके घर भेज दिया और बच्चों को अपने कमरे में सुला दिया| आज की धमाचौकड़ी के बाद वो थक जो गए थे| फिर दस बजे उसने मुझे फोन किया...उस समय मैं माँ के साथ बैठा था और टी.वी. देख रहा था|
मैं: हेल्लो...
दिषु: भाई...तेरी मदद चाहिए!
मैं: क्या हुआ? तू घबराया हुआ क्यों है? (ये सुन के माँ भी हैरान हो गई|)
दिषु: यार...मेरे चाचा के लड़के का एक्सीडेंट हो गया है...बाइक disbalance हो गई और उसके पाँव में चोट आई है| तू जल्दी से ट्रामा सेंटर पहुँच!
मैं: अभी आया!
बहाना सॉलिड था! और माँ ने बिलकुल भी मना नहीं किया| मैंने गाडी की चाभी ली और निकला गया| गाडी को मैंने कुछ दूरी पे अंडरग्राउंड पार्किंग में खड़ा किया और मैं भागता हुआ भौजी के घर पे आया और दस्तक दी|
जब उन्होंने दरवाजा खोला तो मैं उन्हें देखता ही रह गया!
उनका टॉप लाइट पिंक कलर का था और Jeans स्लिम फिट थी| ऊपर से उन्होंने हाथों पे लाल चूड़ियाँ पहनी थी जैसे की नई-नवेली दुल्हनें पहनती हैं|
मैं: WOW ! You’re looking Gorgeous !!!
भौजी: Thanks ! पसंद आपकी जो है!! अंदर तो आओ!!!
मैं अंदर आके कुर्सी पे बैठ गया|
भौजी: यहाँ क्यों बैठ गए...अंदर चलो|
अब मुझे थोड़ी घबराहट होने लगी .... खेर मैं अंदर तो चला गया| उनके बैडरूम में आज कुछ अलग महक थी.... मीठी-मीठी सी.... पर मुझ कहने से पहले ही वो बोल पड़ी|
भौजी: आपको कैसे पता की मेरे ऊपर ये इतनी मस्त लगेगी?
मैं: बस आँखें बंद कर के आपको Imagine किया!!! वैसे ये बताओ की आज बात क्या है? कमरा महक रहा है?
भौजी: आपके लिए ही है ये सब!
जिस तरह से उन्होंने ये बोला मेरे पसीने छूट गए|
मैं: मेरे लिए? समझा नहीं!
भौजी: ओफ्फो ...आज की रात बड़े सालों बाद आई है|
मैं: (उनसे नजरें चुराते हुए इधर-उधर देखने लगा) पर ...
भौजी: (मेरी हालत समझते हुए) आप शर्मा क्यों रहे हो? ये पहली बार तो नहीं?
मैं: नहीं है...पर ....अब हालात बदल चुके हैं! What if you got pregnant?
भौजी: तो क्या हुआ?
मैं: I mean I don’t want you to have another baby!
भौजी: पर क्यों? उसमें हर्ज़ ही क्या है?
मैं: यार उस वक़्त हालात और थे...हम जानते थे की हम दूर हो जायेंगे...आपको जिन्दा रहने के लिए एक सहारे की जर्रूरत थी...जो मैं दूर रह के नहीं दे सकता था... इसलिए आयुष... (मैंने बात अधूरी छोड़ दी)
भौजी: तो अब क्या हुआ? अब तो हम साथ हैं!
मैं: Exactly ...अब हम साथ हैं...और आपको अब कोई सहारा नहीं चाहिए|
भौजी मैंने कब कहा की मुझे कोई सहारा चाहिए.... ये सात साल मैंने किस तरह काटे हैं..मैं जानती हूँ! अपनी एक बेवकूफी...जिसकी सजा...मैंने दोनों को दी| पर यकीन मानो ...मैं अपने बच्चों की कसम, खाती हूँ...मैंने ना आपके भैया और न ही किसी और को खुद को छूने दिया!
मैं: Hey ... Hey .... आप ये क्या कह रहे हो? मैं आप पर शक नहीं कर रहा .... मुझे आप पर अपने से ज्यादा भरोसा है| I don't need any proof for that! मैं ये कह रहा हूँ की अगले 2 - 3 सालों में मेरी शादी हो जाएगी, तब? आप इस रिश्ते को क्यों आगे बढ़ा रहे हो? मैं नहीं चाहता की आपकी वो हालत हो जो मेरी हुई थी! मैं रिश्ता खत्म करने को नहीं कह रहा...पर अगर हम फिर से Physical हो गए तो...मैं खुद को नहीं रोक पाउँगा ....और फिर से वो सब.... मैं नहीं दोहराना चाहता|
भौजी: You once said, की Live in the past .... Forget the future !
मैं: हाँ..कहा था...पर उस वक़्त आप प्रेग्नेंट थे... ऐसे में सुनीता का रिश्ता और वो सब.... आपके लिए कितना कहस्तदाई था ये मैं जानता था| आपको खुश रखना मेरी जिम्मेदारी थी... और मैं नहीं चाहता था की आपकी सेहत खराब हो? इसलिए उस समय मेरा वो कथन बिलकुल सही था...पर अभी नहीं!
भौजी: तो अब आपको मेरी फीलिंग्स की कोई कदर नहीं|
मैं: नहीं यार...ऐसा नहीं है... मैं आपसे अब भी उतना ही प्यार करता हूँ....पर ....oh God कैसे समझाऊं आपको?
भौजी: ठीक है...You don't want me to get pregnant right ?
मैं: हाँ
भौजी: Okay we'll use protection.
मैं: पर अभी मेरे पास कंडोम नहीं है?
भौजी: तो किसने कहा की आप ही प्रोटेक्शन use कर सकते हो| मैं कल I-pill ले लूंगी!
मैं: यार ये सही नहीं है!!!
भौजी: मैं आपको बता नहीं सकती की मैं कितनी प्यासी हूँ आपके लिए...जब से आई हूँ..आपने कभी भी मेरे साथ quality time spend नहीं किया| जैसे की आप किया करते थे|
मैं: जानता हूँ...उसके लिए मैं आपका दोषी हूँ! पर अब मैं बड़ा हो चूका हूँ...और अब ये चीजें सब के सामने नहीं चल सकती| सब आप पर उँगलियाँ उठाएंगे| और वो मुझसे कतई बर्दाश्त नहीं होगा|
भौजी: एक बार...मेरे लिए!!!
उन्होंने इतने प्यार से बोला की मेरा मन नहीं किया की मैं उनका दिल तोड़ूँ|
मैंने उन्हें अपने गले लगा लिया और उन्हें बेतहाशा चूमने लगा| उन्होंने भी मेरा पूरा साथ दिया, उनकी बाहें मेरी पीठ पे रास्ता बनाते हुए ऊपर-नीचे घूम रहीं थीं| मैंने उन्हें गोद में उठाया और पलंग पे लेटा दिया| मैं उनके ऊपर आगया और उन्होंने चूमने लगा| उनका बयां कन्धा तो पहले से ही बहार निकला हुआ था| मैंने उस पे अपने होंठ रखे तो भौजी की सिसकारी छूट गई; "स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स.....जानू" उन्होंने मेरा मुंह उठा के अपने होठों पे रख दिया और मेरे होठों को चूसने लगीं| मैंने भौजी के टॉप के अंदर हाथ डाला तो पाया की उन्होंने ब्रा नहीं पहनी है| मैं उनके स्तनों को मींजने लगा और भौजी मेरे होठों को चूस रहीं थीं| फिर मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में प्रवेश कराई और वो मेरी जीभ को अपने दाँतों से दबाने लगी| अगले दस मिनट तक हम एक दूसरे को smooch करते रहे| सालों की दबी हुई प्यास अब उभर के बहार आने लगी थी| दोनों की धड़कनें बहत तेज हो चलीं थीं| जब हमारा smooch टूटा तब हम दोनों ने एक पल के लिए एक दूसरे को देखा| भौजी के चेहरे पे उनकी एक लट आगई थी| मैंने अपने दाहिने हाथ की उँगलियों से उनकी लट हटाई और उनके होठों को एक बार और चूम लिया|
भौजी: क्या सोच रहे हो?
मैं: कुछ नहीं... आपको इस तरह अपनी बाहों में लेटा देख.... तो ....
भौजी: तो क्या?
मैं: तो ये की मुझे आप पर बहुत प्यार आ रहा है!
भौजी: तो इन्तेजार किस का है?
मैंने उनका टॉप निकाल दिया और उनके स्तनों को निहारने लगा| मैंने अपने हाथ को धीरे-धीरे उनकी छाती पे फिराने लगा...उनकी घुंडियों के इर्द-गिर्द अपनी उँगलियों को चलते हुए उनके निप्पल को दबा देता और वो कसमसा कर रह जातीं| फिर झुक के मैंने उनके बाएं निप्पल को मुंह में लिया और चूसने लगा| भौजी का हाथ अब मेरे सर पे हा और वो उसे दबाने लगीं...बालों में उँगलियाँ फिराने लगीं| मैं रह-रह के उनके निप्पल को दाँत से काट लेता और वो बस "आह!" कर के कराह उठती| मैं महसूस करने लगा था की मेरे अंदर एक आग सी भड़क उधि है...और हर पल वो आग भड़कती जा रही है| उन्हें तकलीफ देने में मुझ मज़ा आने अलग था! मैं....पहले तो ऐसा नहीं था!!! मेरा एक हाथ उनकी नाभि से होता हुआ सीधा उनकी जीन्स के अंदर घुस गया| उँगलियों ने उनकी पेंटी के अंदर घुसने का रास्ता खुद बा खुद ढूंढ लिया था| मैं ऊपर उनके बाएं स्तन को चूस रहा था और उधर दूसरी ओर मेरी उँगलियाँ भौजी की योनि में चहलकर्मी करने लगी थीं| मैंने उनके बाएं स्तन को छोड़ा और नीचे खिसक के उनके जीनस का बटन खोलने लगा|
भौजी: (आने दायें स्तन की ओर इशारा करते हुए) ये वाला रह गया!
मैं: हम्म्म्म...Patience My Dear .....उसकी बारी आएगी.....
जैसे ही उनकी जीन्स का बटन खुला और उनकी पेंटी का दीदार हुआ...अंदर की आग और भड़कने लगी| भौज ने अपनी कमर उठाई और मैंने उनकी जीन्स खींच के नीचे कर दी| उनकी जीन्स घुटनों तक आ गई थी...फिर उनकी पेंटी भी नीचे खिसका दी| अब मैंने उनकी योनि को अपनी जीभ छुआ...और भौजी सिहर उठीं; "स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स"| आज बरसों बाद उनकी योनि को छूने का एहसास.....कमाल था! मैंने उनकी योनि को चाटना शुरु किया और भौजी बुरी तरह कसमसाने लगीं| वो ज्यादा देर टिक ना पाईं और दो मिनट में ही स्खलित हो गईं| मैंने उनका योनिरस पी लिया.....अब तो मेरा बुरा हाल था.... ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मुझे aphrodisiac दे दिया हो| शरीर में चींटीयाँ काटने लगीं थीं.... लंड इतना अकड़ चूका था की पेंट फाड़ के बहार आ जाये| अंदर सोया हुआ जानवर जागने लगा| उधर भौजी अपने स्खलन से अभी उबरी भी नहीं थीं ... मैं अपने घुटनों पे बैठ गया और अपने दिमाग और दिल पे काबू करने लगा| दिमाग ने तो अब काम करना बंद कर दिया था| सामने भौजी आधी नग्न अवस्था में लेटीं थीं| मन कह रहा था की सम्भोग कर .... पर कुछ तो था जो मुझे बांधे हुए था| मैं डरने लगा था... अचानक दिमाग को किसी ने करंट का झटका मारा हो और अचानक दिमाग ने चलना शुरू कर दिया| मुझे एहसास हुआ की ये मैं क्या करने जा रहा हूँ| अगर भौजी प्रेग्नेंट हो गईं तो क्या होगा? बवाल...बवाल...और सिर्फ बवाल! अच्छी खासी जिंदगी तबाह हो जाएगी...मेरी..उनकी...और बच्चों की! खुद को उस समय रोक पाना ऐसा था जैसे की Suicide करना! आप मारना नहीं चाहते पर हालत आपको मजबूर कर देते हैं..उसी तरह मैं खुद को रोकना चाहता था पर शरीर साथ नहीं दे रहा था| अब दिमाग और जिस्म में जंग छिड़ गई थी| शरीर लोभी हो गया था और दिमाग अब उनके हित की सोचने लगा था| मैं छिटक के उनसे अलग हो गया! और अपने कपडे ठीक करने लगा....तभी माँ का फोन आ गया|
मैं: हेल्लो माँ ...
माँ: बेटा क्या हुआ? वहां सब ठीक तो है ना?
मैं: जी...मैं अभी ड्राइव कर रहा हूँ....दिषु के भाई को पलास्टर चढ़या है| दस मिनट में घर पहुँच जाऊँगा|
माँ: ठीक है बेटा... आराम से गाडी चलाइओ|
मैं फोन कटा और भौजी की तरफ देखा ...वो हैरानी से मेरी तरफ देख रहीं थीं|
भौजी: आप जा रहे हो?
मैं: हाँ
भौजी: पर क्यों? अभी तो.....
मैं: sorry .... I can't !!! प्लीज !!!
मुझे उन्हें इस तरह छोड़ के जाने का दिल नहीं कर रहा था....बहत बुरा लग रहा था! पर अगर मैं वहां रुकता तो शायद वो हो जाता जिसका मुझे उम्र-भर पछतावा रहता| मैं घर पहुंचा और कमरे में जाके देखा तो बच्चे सो रहे थे| शरीर में अब भी आग लगी थी...मन तो किया की मुट्ठ मार के शांत हो जाऊँ पर मन स्थिर नहीं था| मैंने सोचा की ठन्डे पानी से नहा लेता हूँ| आखिर नहाने के बात थोड़ा फ्रेश महसूस करने लगा और अपने बिस्तर में घुस गया| नींद तो सारी रात नहीं आई...बस बच्चों को देखता रहा| सुबह उठा...और भौजी से नजरे नहीं मिला पा रहा था| नाश्ता करके काम पे निकल गया|
शाम को जब मैं लौटा तो पिताजी, मैं और चन्दर भैया एक साथ बैठे चाय पी रहे थे और अगले प्रोजेक्ट के बारे में discuss कर रहे थे| मैंने सब की नजर बचा के भौजी को देखा| मेरी नजर जैसे ही उन पर पड़ी, उन्होंने इशारे से मुझे अलग बुलाया| मैं नहीं उठा...और बातों में लगा रहा| मैं जानता था की उन्हें क्या बात करनी है| तभी कुछ हिसाब-किताब के लिए पिताजी ने मुझे और चन्दर भैया को अपने कमरे में बुलाया| चन्दर भैया तो एकदम से उठ के उनके पीछे चले गए| मैं चाय खत्म कर के जैसे ही उठा, भौजी तेजी से मेरी तरफ आइन, मेरे हाथ से चाय का कप लिया और टेबल पे रखा और मेरा हाथ पकड़ के खींच के मेरे कमरे में ले आईं|
भौजी: अब बताओ की क्यों मुझसे नजरें चुरा रहे हो? और कल रात क्या हुआ था आपको?
मैं: अभी जाने दो...पिताजी बुला रहे हैं| बाद में बात करते हैं!
भौजी: ठीक है....
मैं पिताजी के पास आया| उनसे बात हुई तो पता चला की हमें एक बिलकुल नया प्रोजेक्ट मिला है| ये first time है की हमें Construction का काम मिला है| आज तक हम केवल रेनोवेशन का ही काम करते थे| पिताजी ने काम की जिम्मेदारियां तीनों में बाँट दीं| चन्दर भैया को plumbing का ठेका दिया और उसमें से जो भी Profit होगा वो उनका| इसी तरह मुझे carpentry और electrician का काम सौंपा| उसका पूरा प्रॉफिट मेरा| और पिताजी खुद construction का काम संभालेंगे| उसका प्रॉफिट उनका! ये पहलीबार था की पिताजी ने इस तरह सोचा हो! काम कल से शुरू होना था और मुझे एडवांस पेमेंट लेने NOIDA जाना था| अब उनसे बात कर के मैं अपने कमरे में लौटा तो देखा भौजी वहीँ कुर्सी पे बैठीं हैं| बच्चे पलंग पे बैठे अपना होमवर्क कर रहे थे|
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बदलाव के बीज--85
अब आगे ....
मैंने आयुष को गेम लगा के दी और उसे अपनी गोद में लेके बैठ गया| कीबोर्ड के बटन की चाप-चाप से नेहा भी उठ गई और बगल वाली कुर्सी पे आके बैठ गई| अब उसे भी गेम खेलने थी| दोनों लड़ने लगे की मैं खेलूंगा...मैं खेलूंगी|
मैं: बच्चों...आज रात एडजस्ट कर लो...कल मैं आप दोनों के लिए दो controllers ले आऊँगा|
खेर गेम खलते-खेलते बारह बज गए| अब देर से सोये थे तो बच्चों को उठने में देरी हो गई...हालाँकि मैं जल्दी उठ गया पर मन नहीं किया बच्चों को उठाने का| इतने में गुस्से में भौजी आ गईं और बड़बड़ाती हुई बच्चों को उठाने लगीं| "कितनी बार कहा की जल्दी सोया करो..ताकि जल्दी उठो.... पर ये दोनों दीं पर दीं बदमाश होते जा रहे हैं|"
मैं: Relax यार.... गलती मेरी है...रात को तीनों कंप्यूटर पे गेम जो खेल रहे थे| बारह बजे तो सोये हैं हम....
भौजी: हम्म्म्म...तो सजा आपको मिलेगी!
मैं: बताइये मालिक क्या सजा मुक़र्रर की है|
भौजी: आप ही इन्हें तैयार करोगे |
मैं: वो तो मैं रोज करता हूँ|
भौजी: और ...आज मेरे साथ शॉपिंग चलोगे!
मैं: done पर शाम को.... सुबह पिताजी के साथ जाना है|
भौजी: done !
फिर मैंने बच्चों को एक बार प्यार से पुकारा और दोनों उठ के बैठ गए और मेरे गले लग गए|
भौजी: अरे वाह! मैं इतनी देर से गुस्से में उबाल रही थी ...तब तो नहीं उठे! और पापा की एक आवाज में ही उठ गए?
मैं: आपसे ज्यादा प्यार करता हूँ इनहीं...तो मेरी हर बात मानते हैं|
भौजी मुस्कुराईं और चलीं गईं| बच्चों को तैयार कर...वैन में बिठा के घर लौटा...फ्रेश हो के...नाश्ता कर के पिताजी के साथ निकलने वाला था की भौजी ने आँख से इशारा किया और मुझे मेरे ही कमरे में आने को कहा| मैंने पिताजी से कहा की मैं पर्स भूल आया हूँ और लेने के लिए कमरे में आगया|
भौजी: आप कुछ भूल नहीं रहे?
मैं: नहीं तो/ (मैंने अपना पर्स..रुम्माल...फोन सब चेक करते हुए कहा|)
भौजी: कल रात से आपकी एक Kiss due है?
मैं: ओह! हाँ याद आया...पर अभी नहीं...शाम को ठीक है?
भौजी: ठीक है!
पर भौजी कहाँ मानने वालीं थीं| उन्होंने फिर भी अचनक से मेरे होंठों को चूमा और बाहर चलीं गईं|
मैं: बदमाश.... अगर करना ही था तो ढंग से करते!
आज मैं बहुत जोश में था... साइट पे वर्कर्स भी कह रहे थे की क्या बात है भैया आज बड़े मूड में हो? अब मैं उन्हें क्या कहता की मैं मूड में इसलिए हूँ क्योंकि आज दिन की शुरुआत बड़ी मीठी हुई है| शाम होने से पहले मैंने पिताजी को फोन कर के कह दिया की मैं घर जा रहा हूँ... माँ ने बुलाया है| फिर मैं वहां से निकला और सीधा दिषु के ऑफिस पहुँच गया| उससे उसकी नैनो (Tata Nano) की चाभी ली और घर के बाहर पहुँच गया| वहां से मैंने भौजी को फोन किया और उनहीं और बच्चों को बाहर बुलाया| फिर उन्हें लेके मैं सीधा Saket Select City Mall की तरफ गाडी भगाई! वहाँ पहुँच के बच्चों का मन था मूवी देखने का...पर शो पहले ही शुरू हो चूका था| तो बच्चों का मुँह बन गया|
मैं: Awwww .... देखो कल मूवी पक्का! आज के लिए..... अम्म्म्म.... गेम कंट्रोलर्स ले लेते हैं!
बच्चे खुश हो गए.... फिर भौजी जिद्द करने लगीं की उन्हें जीन्स खरीदनी है| पर मैंने टाल दिया....
मैं: यार...आप जीन्स में अच्छे नहीं लगोगे....चलो आपके लिए साडी लेते हैं|
भौजी: OK ..पर पसंद आप करोगे?
मैं: ठीक है!
मैंने अपनी पसंद की उन्हें एक सीफोन की साडी दिलाई| अब उन्होंने जिद्द पकड़ ली की मेरे लिए शर्ट लेंगी...अब मेरे पास पैसे थे नहीं...मेरा Debit Card घर रह गया था| मैंने जान के बहाना मारा की कल ले लेंगे| फिर वहाँ से बच्चों को कॉर्न दिलाये और घर आ गया| घर आके दिषु से कह दिया की कल का दिन गाडी मेरे पास रहेगी| वो भी मान गया.... मैंने अपना कार्ड उठाया और वापस mall आ गया| वहाँ से मैंने भौजी के लिए जीन्स ली और एक टॉप भी| मैंने मन ही मन imagine किया की वो इसमें कैसी दिखेंगी| मैं चुप-चाप घर आया और ड्रेसेस अपने कमरे में छुपा दीं| मैं वापस डाइनिंग टेबल पे आकर बैठ गया और अखबार देखने लगा| फिर मैंने माँ से चाय मांगी;
मैं: माँ..एक कप चाय मिलेगी?
माँ: हाँ...बहु तू भी पियेगी?
भौजी: माँ..आप बैठो...मैं बनाती हूँ| सारे पी लेते हैं|
माँ: तो कहाँ गई थी सवारी?
मैं: माँ...बच्चों को गेम खलने के लिए कंट्रोलर्स दिलाने गया था| सोचा इन्हें भी घुमा दूँ थोड़ा...कल को कुछ सामान लाना हो और मैं ना हूँ तो ये अकेले जा तो सकें|
माँ: हाँ ..अच्छा किया| (नेहा और आयुष से) बच्चों...ज्यादा गेम मत खेल करो...चस्मा लग जायेगा|
मैं: माँ...अब कोई चिंता नहीं...ये कंट्रोलर्स हैं ना... दरअसल कल रात को दोनों को गेम खेलनी थी...और दोनों लड़ रहे थे की पहले मैं..पहले मैं ..
भौजी: हाँ माँ...देखो ना रात-रात भर तीनों गेम खेलते हैं?
माँ: बहु....तू चिंता मत कर...माना की ये लड़का बहुत शरारती है पर अपनी जिम्मेदारियाँ समझता है... एक आध बार चलता है|
फिर मैं डाइनिंग टेबल से उठा और भौजी को आँख मारते हुए कमरे में आने का इशारा किया| दो मिनट बाद भौजी चाय लेके कमरे में आ गईं|
मैं: बैठो... और आँखें बंद करो|
भौजी: एक और सरप्राइज? लो कर ली आँखें बंद!
फिर मैंने भौजी को जीन्स और टॉप निकाल के दी| जब भौजी ने आँखें खोल के ड्रेस को देखा तो वो हैरान होते हुए बोलीं;
भौजी: ये...पर आपने तो कहा था की ये मुझ पे अच्छी नहीं लगेगी|
मैं: वो इसलिए क्योंकि मैं आपको सरप्राइज देना चाहता था| और वैसे भी मैं अपना Debit Card घर भूल गया था तो!
भौजी: O तो आप पहले घर आये हमें छोड़ा...Debit Card लिया और फिर दुबारा गए| हे भगवान!!! तो इसीलिए आपने मुझे शर्ट नहीं लेने दी?
मैं: हाँ! और सुन लो Don’t you dare to surpirise me with any shirt?
भौजी बड़ी हलकी आवाज में बुद्बुदाईन;
भौजी: मेरे पास पैसे ही कहाँ?
इतना कह के उन्होंने नजरें चुरा लीं| उन्हें लगा की मैंने सुना नहीं| पर मुझे एहसास हुआ की भैया उन्हें पैसे नहीं देते...क्यों नहीं देते ये नहीं जानता पर मुझे बहुत बुरा लगा| दिल कचोट उठा और मैंने फटाफट पर्स निकला और उसमें से अपना Debit Cad निकला और उन्हें देते हुए कहा;
मैं: ये लो...Keep it !
भौजी: पर किस लिए?
मैं: आज के बाद कभी भी....कभी भी मत कहना की आपके पास पैसे नहीं हैं| और कल आप ही मुझे एक अच्छी सी शर्ट दिलाओगे!
भौजी; पर मैं ये नहीं ले सकती? ये आपके पैसे हैं!
मैं: Hey I’m not asking…I’m ordering you. Keep it! और ये मेरा और तुम्हारा कब से हो गया| दिल भी तो मेरा था...पर फिर क्यों ले लिया आपने?
भौजी ये सुनके थोड़ा मुस्कुराईं और शर्मा गईं|
भौजी: पर?
मैं: पर-वर कुछ नहीं!
भौजी: मैं आपसे माँग लूंगी...जब जर्रूरत होगी!
मैं: और मैं अगर घर पे ना हुआ तो? और what about surprises?
भौजी: पर मुझे ये इस्तेमाल करना कहाँ आता है?
मैं: कल मैं सीखा दूंगा..तब तक इसे आप ही सम्भालो|
भौजी: अगर आपको जर्रूरत होगी तो?
मैं: मेरे पास checkbook है| और आपको मेरी कसम ये सवाल-जवाब बंद कोर और इसे संभाल के रख लो|
मैंने वो कार्ड भौजी की मुट्ठी में थमा दिया और उन्हें गले लगा लिया|
मैं: अच्छा सुनो... कल आप यही पहनना|
भौजी: hwwwwwwwww !!!
मैं: क्या hwwwww !!! सुनो मेरी बात...कल ये ड्रेस अपने साथ ले लेना और हम मॉल चलेंगे| वहाँ बाथरूम में जाके चेंज कर लेना| फिर वहाँ से मैं आपको मल्टीप्लेक्स ले चलूँगा|
भौजी: और बच्चे?
मैं: वो कुछ नहीं कहेंगे|
भौजी: न..बाबा ना....मुझे शर्म आएगी!!!
मैं: Come on यार!
भौजी: ठीक है!
वो रात मैंने गिन-गिन के काटी! अगली सुबह मैं जल्दी से तैयार हुआ और पिताजी के निकलने से पहले ही साइट पे चा गया| एक से दूसरी साइट के बीच juggle करता रहा और पताजी बड़े खुश नजर आये| फिर जब मैंने उन्हें कहा की मुझे आधे दिन की छुट्टी चाहिए तो उन्होंने मना नहीं किया| यही तो मेरा प्लान था...की पहले पिताजी को खुश करो और बाद में आधे दिन की छुट्टी| रास्ते में ही मैंने मोबाइल से टिकट बुक कीं और फटाफट घर पहुँचा| अब माँ से मैंने बात कुछ इस प्रकार की;
मैं; माँ... बच्चों को मैंने प्रॉमिस किया था की आज उन्हें फिल्म दिखाऊँगा| तो मैं ले जाऊँ उन्हें?
माँ: आज बड़ा पूछ रहा है मुझसे? ले जा...मैंने कब मना किया है|
मैं; ठीक है...
अब मैं उम्मीद करने लगा की माँ कहेंगी की अपनी भौजी को भी ले जा, पर उन्होंने नहीं कहा|| भौजी भी वहीँ किचन काउंटर पे सब्जियां काट रहीं थीं| अभी बच्चों को आने में घंटा भर बचा हुआ था| अब कैसे न कैसे कर के मुझे माँ को मनाना था की भौजी महि मेरे साथ चलें|पर बात कैसे शुरू करूँ?
पहले की बात और थी...तब मेरी उम्र कम थी...और माँ मना नहीं करती....पर अब मैं बड़ा हो चूका था...दाढ़ी-मुछ उग चुकी थी|
पर शायद ऊपर वाले को मेरी हालत पे तरस आ गया और उसने दूसरी बिल्डिंग में रहने वाली कमला आंटी को हमारे घर भेज दिया| वैसे वो भी दूसरी मंजिल पे रहती थीं!!! आंटी ने आके माँ से कहा की लंच के बाद उनके एक common friend के यहाँ कोई साडी वाला आया है| तो वो माँ को और भौजी को लेने आ गईं| माँ ने कहा की वो लंच के बाद सीधा आजाएंगी| अब मैं भौजी को इससे कैसे निकालूँ मैं यही सोच रहा था की तभी मैंने उनहीं मूक इशारा किया और उन्होंने माँ से बहाना मारा;
भौजी: माँ.... मैं भी पिक्चर देखने जाऊँ?
माँ: बच्चों के साथ? ठीक है...पर तुझे साड़ियाँ नहीं खरीदनी?
मैं: अरे भैया...कहाँ आपकी पुराने डिज़ाइन की साड़ियाँ...सारी तो aunty होंगी वहाँ...और इनकी पसंद तो नए जमाने की है| इन्हें कहाँ भाएँगी पुरानी साड़ियाँ!!!
माँ: अच्छा बाबा...ले जा...
भौजी: माँ ऐसा नहीं है...ये अपनी बात कर रहे हैं| मैं आपके साथ ही जाऊँगी!
मैंने भौजी को आँख दिखाई की आप ये क्या कर रहे हो?
माँ: नहीं बहु..तेरा मन पिक्चर देखने का है तो जा.... साडी फिर कभी ले लेंगे|
मैं: हाँ...माँ ठीक तो कह रही है|
भौजी: नहीं...माँ...आज तो मैं साडी ही खरीदुंगी|
अब मेरे मूड की लग गई थी| अब मरता क्या ना करता...बच्चों को प्रॉमिस जो किया था| बच्चे आये और उन्हें फटाफट तैयार करके मूवी दिखाने ले गया| शाम को आठ बजे लौटे...बच्चे बहुत खुश थे और गाडी में ऊधम मचा रखा था दोनों ने! सबसे ज्यादा टेस्टी तो उन्हें शवरमा लगा जो हमने अल-बेक से खाया था|जब हम पहुंचे तो सब घर में मौजूद थे सिवाय चन्दर भैया के|
पिताजी: अरे वाह भई...घुमी करके आ रहे हो सब!
आयुष: दादा जी..हम ने मूवी देखि! उसमें न ...वो सीन था जब....
इस तरह से आयसुह ने फिम की कहानी सुनाई| मैं बड़े प्यार से उसे कहानी सुनाते हुए देख रहा था| नेहा मेरी गोद में बैठ थी और आयुष को बार-बार टोक कर कहानी ढीक कर रही थी| इधर भौजी भी बहुत खुश थीं| ,अं समझ गया था की भौजी ने मेरे साथ जाने से मना क्यों किया था...और मैंने उस बात का कुछ समय तक तो बुरा लगा पर फिर ...छोड़ दिया|
रात के खाने के बाद भौजी मेरे पास आईं;
भौजी: Sorry !!! (कान पकड़ते हुए)
मैं: अब आपको सब को खुश रखना है तो रखो खुश!
भौजी: अच्छा बाबा...कल मूवी चलेंगे?
मैं: रोज-रोज...माँ को क्या बोलूंगा की आज आपको मूवी दिखाने ले जा रहा हूँ?
भौजी: तो फिर कभी चलेंगे|
मैं: और वो कपडे कब पहनके दिखाओगे?
भौजी: आज रात को!
मैं: मजाक मत करो!
भौजी सच...आपके भैया देर से आएंगे ... That means we’ve plenty of time togeteher!
मैं: Done पर इस बार आपने कुछ किया ना तो मैं आपसे बात नहीं करूँगा!
भौजी: नहीं बाबा..आज पक्का!
चलो भई आज रात का सीन तो पक्का था| मैंने दिषु को फोन किया और उसे प्लान समझा दिया| मैंने जल्दी से भौजी को उनके घर भेज दिया और बच्चों को अपने कमरे में सुला दिया| आज की धमाचौकड़ी के बाद वो थक जो गए थे| फिर दस बजे उसने मुझे फोन किया...उस समय मैं माँ के साथ बैठा था और टी.वी. देख रहा था|
मैं: हेल्लो...
दिषु: भाई...तेरी मदद चाहिए!
मैं: क्या हुआ? तू घबराया हुआ क्यों है? (ये सुन के माँ भी हैरान हो गई|)
दिषु: यार...मेरे चाचा के लड़के का एक्सीडेंट हो गया है...बाइक disbalance हो गई और उसके पाँव में चोट आई है| तू जल्दी से ट्रामा सेंटर पहुँच!
मैं: अभी आया!
बहाना सॉलिड था! और माँ ने बिलकुल भी मना नहीं किया| मैंने गाडी की चाभी ली और निकला गया| गाडी को मैंने कुछ दूरी पे अंडरग्राउंड पार्किंग में खड़ा किया और मैं भागता हुआ भौजी के घर पे आया और दस्तक दी|
जब उन्होंने दरवाजा खोला तो मैं उन्हें देखता ही रह गया!
उनका टॉप लाइट पिंक कलर का था और Jeans स्लिम फिट थी| ऊपर से उन्होंने हाथों पे लाल चूड़ियाँ पहनी थी जैसे की नई-नवेली दुल्हनें पहनती हैं|
मैं: WOW ! You’re looking Gorgeous !!!
भौजी: Thanks ! पसंद आपकी जो है!! अंदर तो आओ!!!
मैं अंदर आके कुर्सी पे बैठ गया|
भौजी: यहाँ क्यों बैठ गए...अंदर चलो|
अब मुझे थोड़ी घबराहट होने लगी .... खेर मैं अंदर तो चला गया| उनके बैडरूम में आज कुछ अलग महक थी.... मीठी-मीठी सी.... पर मुझ कहने से पहले ही वो बोल पड़ी|
भौजी: आपको कैसे पता की मेरे ऊपर ये इतनी मस्त लगेगी?
मैं: बस आँखें बंद कर के आपको Imagine किया!!! वैसे ये बताओ की आज बात क्या है? कमरा महक रहा है?
भौजी: आपके लिए ही है ये सब!
जिस तरह से उन्होंने ये बोला मेरे पसीने छूट गए|
मैं: मेरे लिए? समझा नहीं!
भौजी: ओफ्फो ...आज की रात बड़े सालों बाद आई है|
मैं: (उनसे नजरें चुराते हुए इधर-उधर देखने लगा) पर ...
भौजी: (मेरी हालत समझते हुए) आप शर्मा क्यों रहे हो? ये पहली बार तो नहीं?
मैं: नहीं है...पर ....अब हालात बदल चुके हैं! What if you got pregnant?
भौजी: तो क्या हुआ?
मैं: I mean I don’t want you to have another baby!
भौजी: पर क्यों? उसमें हर्ज़ ही क्या है?
मैं: यार उस वक़्त हालात और थे...हम जानते थे की हम दूर हो जायेंगे...आपको जिन्दा रहने के लिए एक सहारे की जर्रूरत थी...जो मैं दूर रह के नहीं दे सकता था... इसलिए आयुष... (मैंने बात अधूरी छोड़ दी)
भौजी: तो अब क्या हुआ? अब तो हम साथ हैं!
मैं: Exactly ...अब हम साथ हैं...और आपको अब कोई सहारा नहीं चाहिए|
भौजी मैंने कब कहा की मुझे कोई सहारा चाहिए.... ये सात साल मैंने किस तरह काटे हैं..मैं जानती हूँ! अपनी एक बेवकूफी...जिसकी सजा...मैंने दोनों को दी| पर यकीन मानो ...मैं अपने बच्चों की कसम, खाती हूँ...मैंने ना आपके भैया और न ही किसी और को खुद को छूने दिया!
मैं: Hey ... Hey .... आप ये क्या कह रहे हो? मैं आप पर शक नहीं कर रहा .... मुझे आप पर अपने से ज्यादा भरोसा है| I don't need any proof for that! मैं ये कह रहा हूँ की अगले 2 - 3 सालों में मेरी शादी हो जाएगी, तब? आप इस रिश्ते को क्यों आगे बढ़ा रहे हो? मैं नहीं चाहता की आपकी वो हालत हो जो मेरी हुई थी! मैं रिश्ता खत्म करने को नहीं कह रहा...पर अगर हम फिर से Physical हो गए तो...मैं खुद को नहीं रोक पाउँगा ....और फिर से वो सब.... मैं नहीं दोहराना चाहता|
भौजी: You once said, की Live in the past .... Forget the future !
मैं: हाँ..कहा था...पर उस वक़्त आप प्रेग्नेंट थे... ऐसे में सुनीता का रिश्ता और वो सब.... आपके लिए कितना कहस्तदाई था ये मैं जानता था| आपको खुश रखना मेरी जिम्मेदारी थी... और मैं नहीं चाहता था की आपकी सेहत खराब हो? इसलिए उस समय मेरा वो कथन बिलकुल सही था...पर अभी नहीं!
भौजी: तो अब आपको मेरी फीलिंग्स की कोई कदर नहीं|
मैं: नहीं यार...ऐसा नहीं है... मैं आपसे अब भी उतना ही प्यार करता हूँ....पर ....oh God कैसे समझाऊं आपको?
भौजी: ठीक है...You don't want me to get pregnant right ?
मैं: हाँ
भौजी: Okay we'll use protection.
मैं: पर अभी मेरे पास कंडोम नहीं है?
भौजी: तो किसने कहा की आप ही प्रोटेक्शन use कर सकते हो| मैं कल I-pill ले लूंगी!
मैं: यार ये सही नहीं है!!!
भौजी: मैं आपको बता नहीं सकती की मैं कितनी प्यासी हूँ आपके लिए...जब से आई हूँ..आपने कभी भी मेरे साथ quality time spend नहीं किया| जैसे की आप किया करते थे|
मैं: जानता हूँ...उसके लिए मैं आपका दोषी हूँ! पर अब मैं बड़ा हो चूका हूँ...और अब ये चीजें सब के सामने नहीं चल सकती| सब आप पर उँगलियाँ उठाएंगे| और वो मुझसे कतई बर्दाश्त नहीं होगा|
भौजी: एक बार...मेरे लिए!!!
उन्होंने इतने प्यार से बोला की मेरा मन नहीं किया की मैं उनका दिल तोड़ूँ|
मैंने उन्हें अपने गले लगा लिया और उन्हें बेतहाशा चूमने लगा| उन्होंने भी मेरा पूरा साथ दिया, उनकी बाहें मेरी पीठ पे रास्ता बनाते हुए ऊपर-नीचे घूम रहीं थीं| मैंने उन्हें गोद में उठाया और पलंग पे लेटा दिया| मैं उनके ऊपर आगया और उन्होंने चूमने लगा| उनका बयां कन्धा तो पहले से ही बहार निकला हुआ था| मैंने उस पे अपने होंठ रखे तो भौजी की सिसकारी छूट गई; "स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स.....जानू" उन्होंने मेरा मुंह उठा के अपने होठों पे रख दिया और मेरे होठों को चूसने लगीं| मैंने भौजी के टॉप के अंदर हाथ डाला तो पाया की उन्होंने ब्रा नहीं पहनी है| मैं उनके स्तनों को मींजने लगा और भौजी मेरे होठों को चूस रहीं थीं| फिर मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में प्रवेश कराई और वो मेरी जीभ को अपने दाँतों से दबाने लगी| अगले दस मिनट तक हम एक दूसरे को smooch करते रहे| सालों की दबी हुई प्यास अब उभर के बहार आने लगी थी| दोनों की धड़कनें बहत तेज हो चलीं थीं| जब हमारा smooch टूटा तब हम दोनों ने एक पल के लिए एक दूसरे को देखा| भौजी के चेहरे पे उनकी एक लट आगई थी| मैंने अपने दाहिने हाथ की उँगलियों से उनकी लट हटाई और उनके होठों को एक बार और चूम लिया|
भौजी: क्या सोच रहे हो?
मैं: कुछ नहीं... आपको इस तरह अपनी बाहों में लेटा देख.... तो ....
भौजी: तो क्या?
मैं: तो ये की मुझे आप पर बहुत प्यार आ रहा है!
भौजी: तो इन्तेजार किस का है?
मैंने उनका टॉप निकाल दिया और उनके स्तनों को निहारने लगा| मैंने अपने हाथ को धीरे-धीरे उनकी छाती पे फिराने लगा...उनकी घुंडियों के इर्द-गिर्द अपनी उँगलियों को चलते हुए उनके निप्पल को दबा देता और वो कसमसा कर रह जातीं| फिर झुक के मैंने उनके बाएं निप्पल को मुंह में लिया और चूसने लगा| भौजी का हाथ अब मेरे सर पे हा और वो उसे दबाने लगीं...बालों में उँगलियाँ फिराने लगीं| मैं रह-रह के उनके निप्पल को दाँत से काट लेता और वो बस "आह!" कर के कराह उठती| मैं महसूस करने लगा था की मेरे अंदर एक आग सी भड़क उधि है...और हर पल वो आग भड़कती जा रही है| उन्हें तकलीफ देने में मुझ मज़ा आने अलग था! मैं....पहले तो ऐसा नहीं था!!! मेरा एक हाथ उनकी नाभि से होता हुआ सीधा उनकी जीन्स के अंदर घुस गया| उँगलियों ने उनकी पेंटी के अंदर घुसने का रास्ता खुद बा खुद ढूंढ लिया था| मैं ऊपर उनके बाएं स्तन को चूस रहा था और उधर दूसरी ओर मेरी उँगलियाँ भौजी की योनि में चहलकर्मी करने लगी थीं| मैंने उनके बाएं स्तन को छोड़ा और नीचे खिसक के उनके जीनस का बटन खोलने लगा|
भौजी: (आने दायें स्तन की ओर इशारा करते हुए) ये वाला रह गया!
मैं: हम्म्म्म...Patience My Dear .....उसकी बारी आएगी.....
जैसे ही उनकी जीन्स का बटन खुला और उनकी पेंटी का दीदार हुआ...अंदर की आग और भड़कने लगी| भौज ने अपनी कमर उठाई और मैंने उनकी जीन्स खींच के नीचे कर दी| उनकी जीन्स घुटनों तक आ गई थी...फिर उनकी पेंटी भी नीचे खिसका दी| अब मैंने उनकी योनि को अपनी जीभ छुआ...और भौजी सिहर उठीं; "स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स"| आज बरसों बाद उनकी योनि को छूने का एहसास.....कमाल था! मैंने उनकी योनि को चाटना शुरु किया और भौजी बुरी तरह कसमसाने लगीं| वो ज्यादा देर टिक ना पाईं और दो मिनट में ही स्खलित हो गईं| मैंने उनका योनिरस पी लिया.....अब तो मेरा बुरा हाल था.... ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मुझे aphrodisiac दे दिया हो| शरीर में चींटीयाँ काटने लगीं थीं.... लंड इतना अकड़ चूका था की पेंट फाड़ के बहार आ जाये| अंदर सोया हुआ जानवर जागने लगा| उधर भौजी अपने स्खलन से अभी उबरी भी नहीं थीं ... मैं अपने घुटनों पे बैठ गया और अपने दिमाग और दिल पे काबू करने लगा| दिमाग ने तो अब काम करना बंद कर दिया था| सामने भौजी आधी नग्न अवस्था में लेटीं थीं| मन कह रहा था की सम्भोग कर .... पर कुछ तो था जो मुझे बांधे हुए था| मैं डरने लगा था... अचानक दिमाग को किसी ने करंट का झटका मारा हो और अचानक दिमाग ने चलना शुरू कर दिया| मुझे एहसास हुआ की ये मैं क्या करने जा रहा हूँ| अगर भौजी प्रेग्नेंट हो गईं तो क्या होगा? बवाल...बवाल...और सिर्फ बवाल! अच्छी खासी जिंदगी तबाह हो जाएगी...मेरी..उनकी...और बच्चों की! खुद को उस समय रोक पाना ऐसा था जैसे की Suicide करना! आप मारना नहीं चाहते पर हालत आपको मजबूर कर देते हैं..उसी तरह मैं खुद को रोकना चाहता था पर शरीर साथ नहीं दे रहा था| अब दिमाग और जिस्म में जंग छिड़ गई थी| शरीर लोभी हो गया था और दिमाग अब उनके हित की सोचने लगा था| मैं छिटक के उनसे अलग हो गया! और अपने कपडे ठीक करने लगा....तभी माँ का फोन आ गया|
मैं: हेल्लो माँ ...
माँ: बेटा क्या हुआ? वहां सब ठीक तो है ना?
मैं: जी...मैं अभी ड्राइव कर रहा हूँ....दिषु के भाई को पलास्टर चढ़या है| दस मिनट में घर पहुँच जाऊँगा|
माँ: ठीक है बेटा... आराम से गाडी चलाइओ|
मैं फोन कटा और भौजी की तरफ देखा ...वो हैरानी से मेरी तरफ देख रहीं थीं|
भौजी: आप जा रहे हो?
मैं: हाँ
भौजी: पर क्यों? अभी तो.....
मैं: sorry .... I can't !!! प्लीज !!!
मुझे उन्हें इस तरह छोड़ के जाने का दिल नहीं कर रहा था....बहत बुरा लग रहा था! पर अगर मैं वहां रुकता तो शायद वो हो जाता जिसका मुझे उम्र-भर पछतावा रहता| मैं घर पहुंचा और कमरे में जाके देखा तो बच्चे सो रहे थे| शरीर में अब भी आग लगी थी...मन तो किया की मुट्ठ मार के शांत हो जाऊँ पर मन स्थिर नहीं था| मैंने सोचा की ठन्डे पानी से नहा लेता हूँ| आखिर नहाने के बात थोड़ा फ्रेश महसूस करने लगा और अपने बिस्तर में घुस गया| नींद तो सारी रात नहीं आई...बस बच्चों को देखता रहा| सुबह उठा...और भौजी से नजरे नहीं मिला पा रहा था| नाश्ता करके काम पे निकल गया|
शाम को जब मैं लौटा तो पिताजी, मैं और चन्दर भैया एक साथ बैठे चाय पी रहे थे और अगले प्रोजेक्ट के बारे में discuss कर रहे थे| मैंने सब की नजर बचा के भौजी को देखा| मेरी नजर जैसे ही उन पर पड़ी, उन्होंने इशारे से मुझे अलग बुलाया| मैं नहीं उठा...और बातों में लगा रहा| मैं जानता था की उन्हें क्या बात करनी है| तभी कुछ हिसाब-किताब के लिए पिताजी ने मुझे और चन्दर भैया को अपने कमरे में बुलाया| चन्दर भैया तो एकदम से उठ के उनके पीछे चले गए| मैं चाय खत्म कर के जैसे ही उठा, भौजी तेजी से मेरी तरफ आइन, मेरे हाथ से चाय का कप लिया और टेबल पे रखा और मेरा हाथ पकड़ के खींच के मेरे कमरे में ले आईं|
भौजी: अब बताओ की क्यों मुझसे नजरें चुरा रहे हो? और कल रात क्या हुआ था आपको?
मैं: अभी जाने दो...पिताजी बुला रहे हैं| बाद में बात करते हैं!
भौजी: ठीक है....
मैं पिताजी के पास आया| उनसे बात हुई तो पता चला की हमें एक बिलकुल नया प्रोजेक्ट मिला है| ये first time है की हमें Construction का काम मिला है| आज तक हम केवल रेनोवेशन का ही काम करते थे| पिताजी ने काम की जिम्मेदारियां तीनों में बाँट दीं| चन्दर भैया को plumbing का ठेका दिया और उसमें से जो भी Profit होगा वो उनका| इसी तरह मुझे carpentry और electrician का काम सौंपा| उसका पूरा प्रॉफिट मेरा| और पिताजी खुद construction का काम संभालेंगे| उसका प्रॉफिट उनका! ये पहलीबार था की पिताजी ने इस तरह सोचा हो! काम कल से शुरू होना था और मुझे एडवांस पेमेंट लेने NOIDA जाना था| अब उनसे बात कर के मैं अपने कमरे में लौटा तो देखा भौजी वहीँ कुर्सी पे बैठीं हैं| बच्चे पलंग पे बैठे अपना होमवर्क कर रहे थे|
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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