Friday, December 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI भिखारी की हवस-14

FUN-MAZA-MASTI


 भिखारी की हवस-14
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अब आगे
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 भूरे का आदमी गंगू को लेकर एक आलीशान बार कम केसीनो मे पहुँचा....वो बार कम केसीनो आज तक गंगू ने बाहर से ही देखा था, अक्सर वो वहाँ बैठकर भीख माँगा करता था, भूरे के आदमी के साथ गंगू को अंदर जाता हुआ देखकर वहाँ का दरबान भी चोंक गया, वो गंगू को अच्छी तरह से जानता था,पर भूरे के आदमी के साथ उसको अंदर जाता हुआ देखकर वो भी उसको सिर्फ़ सलाम ठोकने के अलावा कुछ नही कर सकता था..

गंगू भी अपने आप को मिल रहे ऐसे ट्रीटमेंट से काफ़ी खुश था..

अंदर पहुँचकर उसने जो नज़ारा देखा,उसकी तो गंगू ने कल्पना भी नही की थी...चारों तरफ गोल टेबल पर जुआ चल रहा था, लाखों की बाजिया चल रही थी...दारू और बियर के ग्लास हर टेबल पर थे...आधी नंगी लड़किया सर्व कर रही थी...ऐसा माहौल तो उसने एक फिल्म मे देखा था..पर असल जिंदगी मे ऐसा देखने को मिलेगा, ये उसने सोचा भी नही था.

भूरे का आदमी उसको एक झालर वाले केबिन मे ले गया..कोने मे एक बड़े से टेबल पर भूरे बैठ हुआ था...और उसके साथ ही एक मोटा सा आदमी, जिसकी घनी मूंछे थी,वो सिगार पीता हुआ अपनी गोद मे बैठी लड़की के मुम्मे दबा रहा था,जो उपर से पूरी नंगी थी..

भूरे : "भाई, ये है वो गंगू...और गंगू, ये है नेहाल भाई...''

नेहाल भाई को अपने सामने बैठा देखकर गंगू की तो हिम्मत ही नही हुई कुछ कहने की...कहाँ वो झुग्गी मे रहने वाला एक अपाहिज भिखारी और कहाँ अंडरवर्ल्ड का डॉन नेहाल भाई..

नेहाल ने उसको उपर से नीचे तक देखा और बोला : "अच्छा काम किया तूने कल...तेरी वजह से आज मेरा सिर उँचा हो गया...अगर वो माल पकड़ा जाता तो करोड़ो का नुकसान तो होता ही, मेरा नाम भी खराब होता मार्केट मे..इसलिए तुझे यहाँ बुलवाया,अच्छे आदमियों की कद्र करता है ये निहाल..''

उसका एक हाथ लगातार उस लड़की का मुम्मा दबाता रहा , और वो लड़की भी बड़े मज़े-ले लेकर अपने मुम्मे दबवा रही थी.

गंगू की नज़रें उसके उभरे हुए निप्पल्स को घूर रही थी..जो इतने लंबे थे की उन्हे मुँह मे लेकर चूसने मे मज़ा ही आ जाए कसम से.

गंगू को लड़की की तरफ घूरते देखकर नेहाल समझ गया की उसके मन मे क्या चल रहा है...उसने धीरे से उस लड़की के कान मे कुछ कहा और वो उठ खड़ी हुई, उसने एक छोटी सी स्कर्ट पहनी हुई थी...और शायद अंदर कच्छी भी नही थी...और वो मटकती हुई गंगू के पास आई और उसका हाथ पकड़कर एक कुर्सी पर बिठाया...और खुद उसकी गोद मे बैठ गयी.

नेहाल : "आज पहली बार नेहाल अपनी लड़की को किसी के साथ शेयर कर रहा है...आज की रात तू मज़े कर इसके साथ..''

और इतना कहकर वो उठ खड़ा हुआ और भूरे सिंह के कान मे कुछ फुसफुसाया....और फिर अपने आदमियो के साथ बाहर निकल गया.

उसके जाने के बाद भूरे ने गंगू को देखा और ज़ोर-2 से हँसने लगा.

भूरे : "साले ...तूने तो भाई पर जादू चला दिया है...इस छमिया पर तो मेरी नज़र थी इतने दिनों से...और देख , ये तेरी गोद मे बैठी हुई है...हा हा...मज़े है तेरे..''

गंगू सच मे अपने आप को किसी रियासत का राजा समझ रहा था...नेहाल भाई का खास आदमी, जिसे उन्होने अपनी रखैल दे डाली...

उसने अपनी छाती फुलाई और अपने खुरदुरे हाथ उस गोरी लड़की की ब्रेस्ट पर जमा कर ज़ोर से दबा दिया..

ऐसा लगा जैसे किसी मक्खन के गोले को हाथ मे पकड़ लिया हो उसने...उसकी उंगलियाँ अंदर तक धँसती चली गयी..ऐसी चिकनी त्वचा तो उसने आज तक नही देखी थी..और उसके शरीर से उठ रही महक भी काफ़ी नशीली थी...जैसे पूरी रात शराब मे डुबो कर रखा हो उसको...नशा सा छा रहा था गंगू के सिर पर.

भूरे ने ये तो सोचा भी नही था की नेहाल भाई गंगू को हिनल जैसी लड़की दे देंगे..

हिनल पर उसकी काफ़ी समय से नज़र थी..पर नेहाल भाई के डर से उसकी तरफ कोई आँख उठा कर भी नही देखता था...और नेहाल भाई भी काफ़ी ऐय्याश टाइप का आदमी था, उसको दूसरो के सामने सेक्स करने मे काफ़ी मज़ा आता था, या ये कह लो की अपना लंबा लंड और मर्दानगी सबके सामने दिखाने मे वो फक्र महसूस करता था.

और हिनल को भी कुछ ऐसी ही आदत पड़ चुकी थी, नेहाल के लंबे लंड से चुदाई करवाने मे उसको काफ़ी आनंद मिलता था, ख़ासकर जब उसके चमचे और बॉडीगार्ड उसकी चुदाई होते हुए साफ़ देख रहे हो...उनके खड़े होते लॅंड देखकर वो और भी ज़्यादा उत्तेजित हो जाती थी..और खूब उछल-2 कर चुदाई करवाती थी.

गंगू को देखकर एक बार तो उसने भी नाक सिकोडी, क्योंकि उसका हुलिया था ही फकिरों जैसा...पर वो नही जानती थी की वो सच मे एक भिखारी है..जब नेहाल भाई के कहने पर वो उसकी गोद मे आकर बैठी, तो उसकी बलिष्ट बाजुओं और सख़्त छाती को महसूस करके वो जान गयी की बंदे मे काफ़ी दम है...और वो खुली आँखों से ही उसके लंड को अपने अंदर लेने के सपने देखने लगी.

उधर भूरे मन मे सोच रहा था की कैसे गंगू को आज ज़मीन पर लाया जाए, साला दो दिन में एकदम से उड़ने लगा है..


उधर भूरे मन मे सोच रहा था की कैसे गंगू को आज ज़मीन पर लाया जाए, साला दो दिन में एकदम से उड़ने लगा है..

वैसे दोस्तो, देखा जाए तो हमारे आस-पास वाले लोग ही हमारी तरक्की से जलते हैं, उन्हे ये बात हरगिज़ हजम नही होती की उनके सामने पैदा हुआ इंसान उनसे भी उपर निकल जाए...ऐसी जलन की भावना ही इंसान को एक दूसरे का दुश्मन भी बना देती है..

और यही सब इस वक़्त भूरे सोच रहा था गंगू के बारे मे.

गंगू तो बिजी था हिनल के हुस्न को सूंघने मे, भूरे ने सबके लिए शराब और चिकन मँगवाया और साथ ही ताश के पत्ते भी..

वो जुआ खेलने मे एक नंबर का उस्ताद था...और गंगू को जो एकदम से इतने पैसे मिले थे,उनकी गर्मी उतारकर ही उसको उसके भिखारीपन का एहसास करवाया जा सकता था.

गंगू ने शराब के दो गिलास पी लिए , अब तक हिनल ने उसके लॅंलंड को बाहर निकालकर चूसना शुरू कर दिया था, पहले तो गंगू को बड़ा ताज्जुब हुआ , पर जब वो आधी नंगी होकर बैठ सकती है तो ये काम भी आसान है उसके लिए...वो मज़े से अपने लंड की चुसाई का आनंद लेने लगा.

इतने मे भूरे ने ताश के पत्ते बाँटने शुरू कर दिए.

गंगू को कोई खास तजुर्बा नही था खेलने का, पर फिर भी शराब का नशा और जेब मे पड़े पैसों की गर्मी की वजह से उसने खेलना शुरू कर दिया.

कुल बीस हज़ार रुपय थे गंगू के पास,घर पर तो रखने की कोई जगह नही थी, इसलिए वो पैसे साथ ही उठा लाया था...10 भूरे ने ही दिए थे और 10 मुम्मेथ ख़ान ने.

4 बाजियों के बाद वो लगभग 10 हज़ार रुपय हार गया भूरे से..

अब उसका माथा ठनका ...वो तो सही से खेलना भी नही जानता था, इसलिए हार रहा था..और ऐसे ही चलता रहा तो उसके सारे पैसे ख़त्म हो जाएँगे, जिनकी गर्मी को महसूस करके वो ये भी भूल चुका था की वो एक भिखारी है.

अब तक उसका लंड भी खड़ा हो चुका था..वो सीधा तो मना करना नही चाहता था भूरे को, वरना वो उसको फट्टू समझता..इसलिए उसने बहाना किया और एकदम से हिनल को अपनी गोद मे उठा कर सेंट्रल टेबल पर लिटा दिया और उसकी टाँगो को फैला कर उसकी बुर चाटने लगा.

हिनल तो वैसे भी एक नंबर की चुड़दक़्कड़ थी, उसको तो ऐसे कामो मे मज़ा मिलता था..अपनी जवानी को सबके सामने दिखा कर वो तृप्त सी हो जाती थी..और आज उसका टेस्ट भी तो बदल दिया था नेहाल भाई ने, उसको गंगू के हवाले करके...

काफ़ी समय से सिर्फ़ नेहाल से चुदाई करवाते हुए वो भी बोर हो चुकी थी और आज ऐसे गठीले इंसान के सामने अपने आपको नंगा बिछाकर वो भी मस्ती मे झूम रही थी.

भूरे भी समझ गया की थोड़ी देर के ब्रेक की ज़रूरत है शायद गंगू को...वैसे भी खड़े लंड को जल्द से जल्द काम पर लगा देना चाहिए,वरना सही नही होता.

वो भी आराम से अपने साथियों के साथ बैठकर गंगू की चुदाई के तरीके देखने लगा..उसके और उसके साथियो ने पहले भी कई बार हिनल को नेहाल के लंबे लंड के नीचे मचलता देखा था, पर आज गंगू के लंड का स्वाद लेते हुए पहली बार देखना था सभी को.

गंगू ने हिनल की टांगे अपनी गर्दन पर लेपेटी और अपना मुँह उसकी चूत से लगा दिया..और उठ खड़ा हुआ..हिनल का नंगा शरीर उसकी गर्दन से लटककर झूल गया...पर बेचारी चीखने के अलावा कुछ नही कर सकती थी..उसकी मोटी-2 ब्रेस्ट हवा मे ऐसे उछल रही थी जैसे बाहर ही निकल आएँगी..

''आआयययययययययययययययययययययययययीीई साले, खा जा मेरी चूत को.............अहह .......हहााआ....''

गंगू तो उसकी चूत के होंठ ऐसे नोच रहा था जैसे उसको बरसो से खाना नही मिला....वो अपनी जीभ से उसकी चूत की सफाई भी कर रहा था, जिसमे से लगातार मीठा रस बाहर निकल रहा था...और उसकी गर्दन से उल्टी लटके होने की वजह से कुछ रस फिसल कर उसके पेट से होता हुआ उसके उरोजों तक भी जा रहा था...

वहाँ खड़े सारे गुंडों की हालत खराब थी...ख़ासकर भूरे की, उसका मन तो कर रहा था की उसकी चूत के रस से भीगे मुम्मे चूस कर वो भी मज़े ले , पर नेहाल के बारे मे वो अच्छी तरह से जानता था, अगर उन्हे पता चल गया तो उसका क्या हश्र होगा, ये वो जानता था.

वो सभी लोग सिर्फ़ जीभ लपलपा कर देखने के अलावा कुछ भी नही कर सकते थे..


 गंगू ने उसको आराम से टेबल पर लिटाया और उसकी गर्म चूत को गोर से देखा, जो ज़्यादा चूसने की वजह से लाल सुर्ख हो चुकी थी..

हिनल की आँखो मे सेक्स का नशा पूरी तरहा से उमड़ चुका था....वो जल्द से जल्द गंगू के लंड को अपने अंदर लेना चाहती थी..

गंगू ने उसकी टाँगो को चोडा करते हुए उसकी चूत के मुहाने पर अपना लंड रखा और धीरे से धक्का देकर अंदर दाखिल हो गया...

''उम्म्म्मममम....... सस्स्स्सिईईईईई......अहह''

उसकी चुदते टाइम ऐसी आवाज़ सुनने की वहाँ के लोगो को आदत थी....पर गंगू का लंड नेहाल के मुक़ाबले थोड़ा थिक था...और शायद लंबा भी...इसलिए आज हिनल की सिसकारियों मे एक गर्माहट भी थी...

वो अपने ही रस से भीगे स्तनों को हाथ मे लेकर निचोड़ने लगी...और उसपर लगे रस से उसने गंगू के चेहरे को पोत दिया....

अगले ही पल गंगू उसके उपर धम्म से गिर पड़ा और अपना पूरा लंड अंदर तक पेल दिया, और साथ ही साथ उसके नर्म मुलायम होंठों को बुरी तरह से चूसने लगा...

अब तो गंगू ने स्पीड से चुदाई करनी शुरू कर दी...वो खड़ा हुआ था और हिनल की टांगे उसकी कमर से बँधी हुई थी और वो ढका धक उसको पेले जा रहा था....शायद हिनल की जिंदगी की ये सबसे यादगार चुदाई बनने वाली थी....उसके मुँह से लार निकल कर साईड मे गिर रही थी....हर झटके से उसकी बड़ी-2 चुचियाँ उपर तक जाकर उसकी ठोड़ी को छूती ..और फिर नीचे आकर गंगू के चेहरे को...

ऐसे ही थपेड़ों के बीच एक जोरदार आवाज़ के साथ हिनल की चूत का ज्वालामुखी फट पड़ा...और वो कल-कल करती हुई बहने लगी..

''अहहssssssssssssssssssssssssss ...... ओह माय गॉड ....... अहहssssssssssssssssssssssssssssss ......''

पर हमारा हिन्दुस्तानी शेर अभी तक थका नही था, वो उसकी चूत का कीमा बनाने मे लगा था अपने मूसल जैसे लंड से....वो धक्के दे-देकर पूरा अंदर तक जा रहा था और उसकी हिलती हुई जवानी के कलशो को पीने की कोशिश भी कर रहा था...

और जब 10 मिनट के बाद गंगू के लंड ने सफेद सोना उगलना शुरू किया तो उसकी बोछार के तले दबकर हिनल का शरीर तो गायब ही हो गया...गंगू ने उसके उपर जैसे सफेद रंग का स्प्रे कर दिया हो...वो उसके गाड़े रस से भीगकर पूरी ढक गयी...

और फिर अपने बिखरे हुए कपड़ो को समेटकर उठी और गंगू को एक प्यारी सी किस्स देकर पिछले दरवाजे से उपर के कमरे मे चली गयी.

गंगू ने भी अपने कपड़े पहन लिए..उसकी आज की चुदाई देखकर भूरे को पूरा विश्वास हो गया की वो अपनी बीबी को भी ऐसे ही चोदता होगा...फिर वो ऐसी प्यासी सी बनकर क्यों घूमती रहती है...ज़रूर कोई गड़बड़ है...

और ये सब जानने के लिए उसके दिमाग़ मे एक प्लान बन ही चुका था..

उसने ज़िद करते हुए गंगू को और शराब पिलाई और साथ ही दोबारा जुआ खेलने के लिए उकसाया, एक दो बार जान बूझकर हारने के बाद वो फिर से जीतने लगा और आख़िर मे उसने गंगू को पूरा खोखला कर दिया, उसके सारे पैसे जुए मे जीतकर..

फिर शराब के नशे मे धुत्त गंगू को उसने घर तक भी छोड़ दिया..

आज भी वो नेहा को खा जाने वाली नज़रों से देख रहा था..पर वो गंगू को ऐसी हालत मे देखकर आज कुछ ज़्यादा ही चिंता मे आ गयी थी...इसलिए उसके लिए कोई जुगाड़ हो पाना संभव नही हो सका..

पर उसको भी पता था की उसकी योजना अगर सही काम कर गयी तो ये खुद ही उसकी गोद मे आकर बैठेगी...जैसे हिनल आ गयी थी आज गंगू की गोद मे.


 भूरे के जाते ही नेहा ने जल्दी से दरवाजा बंद किया और गंगू के पास पहुँची, नयी नवेली दुल्हन की तरह उसकी चूत में भी खुजली हो रही थी, वो तो कब से गंगू के वापिस आने की प्रतीक्षा कर रही थी, उसकी चूत गाड़े पानी से भरकर बाहर रिसने को हो रही थी, पर गंगू को ऐसी हालत मे फिर से देखकर वो घबरा गयी, वो समझ गयी की शायद आज भी गंगू उसको संतुष्ट नही करेगा, क्योंकि उसने शराब पी रखी थी, वो अपने होश मे नही था..

पर जिस लड़की के सिर पर चुदाई का भूत सवार हो जाए, वो इतनी जल्दी हार नही मानती, उसने गंगू की पेंट खोलकर उसे नीचे उतार दिया, और उसके अंडरवीयर को भी खींच कर बाहर कर दिया...

गंगू का सोया हुआ अजगर उसकी टाँगो के बीच आराम कर रहा था..उसके देखते ही नेहा की साँसे तेज हो गयी...और उसके हाथ अपने आप ही चूत पर पहुँच गये और वो उसे कुरेदने लगी..अभी लाइट नही आ रही थी, नेहा ने एक लेम्प जलाकर उसको टांगा हुआ था, जिसकी मद्धम रोशनी मे वो नशे मे सोए हुए गंगू को प्यासी नज़रों से देख रही थी..

उसकी उंगलियो ने हरकत की और अगले ही पल उसके ब्लाउस के हुक खुलने शुरू हो गये..अपनी ब्रा को भी उसने नोच कर अपने शरीर से ऐसे अलग किया जैसे उसमे काँटे लगे हो...खुली हवा मे आते ही उसके गोल मटोल उरोजो ने गहरी साँस ली और वो अपनी शेप मे आ गये..उसके निप्पल उबलकर उठ खड़े हुए और उसकी मांसल छातियाँ पहले से कई ज़्यादा बड़ी दिखने लगी..

वो खिसककर गंगू के करीब पहुँची और अपने मुँह से गर्म साँसे छोड़ती हुई वो गंगू की टाँगो के बीच लेट गयी, उसके दोनो मुम्मे उसके घुटनो की कटोरियों पर पिसकर अंदर की तरफ घुस गये..और उसने अपनी लपलपाती हुई जीभ को सीधा लेजाकर गंगू के लंड के उपर रख दिया और उसको नीचे से उपर की तरफ ऐसे चाटना शुरू कर दिया जैसे वो लंड नही कोई आइस्क्रीम हो..

इंसान भले ही होश मे ना हो पर उसके शरीर के साथ जो कुछ भी हो रहा होता है, वो उसका दिमाग़ तुरंत महसूस कर लेता है और उसके अनुसार ही प्रतिक्रिया करता है.. गंगू के साथ भी यही हुआ, वो अपने नशे की दुनिया मे डूबा हुआ था और उसके लंड ने नेहा की गर्म जीभ के साथ मिलकर गाने गाना शुरू कर दिया, एक मिनट के अंदर ही अंदर गंगू का घोड़ा बेलगाम सा होकर नेहा के मुँह मे रेस लगा रहा था..

नेहा बड़े ही चाव से उसके लंड को चूस रही थी, उसको चाट रही थी, अपने होंठों के बीच उसकी बॉल्स को लेकर अपने दांतो से चुभला रही थी..गंगू भी बीच-2 मे कसमसा कर नशे से उभरने की कोशिश कर रहा था, क्योंकि बेहोशी मे ही सही, उसको ये एहसास हो ही चुका था की उसके लंड को कोई चूस रहा है, और उसके सपनो मे इस वक़्त लच्छो थी, जो उसके लंड को नहाते हुए चूस रही थी..

नेहा ने जल्दी से अपना घाघरा भी उतार कर अपने जिस्म से अलग कर दिया, नीचे उसने कच्छी भी नहीं पहनी थी, जिस वजह से ऐसा लग रहा था जैसे उसकी टाँगो के बीच की टंकी खुली रह गयी है और उसमे से ढेर सारा पानी बहकर बाहर आ रहा है...उसने अपनी चूत से रिस रहे पानी को अपनी हथेली मे भरा और उसको गंगू के लंड से चोपड़ कर उसको चिकना बना दिया और फिर थोड़ा उपर होकर उसने अपनी ब्रेस्ट को उसके लंड के चारों तरफ लपेटा और उसको टिट फक्क करने लगी..ऐसा उसने उस दिन अस्तबल मे रज्जो को करते हुए देखा था..हर बार वो गंगू के उपर निकल रहे लंड के सिरे को चाट लेती और फिर वो उसकी छातियों की गहराई मे खो जाता..

उसकी चूत मे फिर से पानी इकट्ठा होकर बहने लगा..वो घूम कर 69 की पोजिशन मे आ गयी..और जैसे ही उसने अपनी गीली चूत को गंगू के मुँह के उपर रखकर दबाया, गंगू की गर्म जीभ निकलकर उसके अंदर दाखिल हो गयी और वो बड़े ही मज़े से उसे चाटने लगा...

उसके मुँह से एकदम से निकला : "अहह ....... लच्छो ....''

नेहा समझ गयी की वो इस वक़्त उस छोटी लड़की के बारे मे सोच रहा है...और कोई बीबी होती तो उसका अभी के अभी रिमांड ले लेती, पर ये नेहा थी, जो अपनी यादश्त भूलकर ये भी भूल चुकी थी की एक पत्नी की जिंदगी मे किसी दूसरी औरत की बात करना भी कितना बड़ा जुर्म है..पर वो इस वक़्त अपनी ही मस्ती मे डूबकर अपनी चूत चटवा रही थी और उसका लंड चूस रही थी.




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