Monday, December 29, 2014

FUN-MAZA-MASTI आंटी के प्रति मेरी वासना-3

FUN-MAZA-MASTI

 आंटी के प्रति मेरी वासना-3



घर पहुँच कर मम्मा के हाथों की चाय पी और नहाने चला गया।
नहा कर आया, तब तक मम्मी ने गर्मागर्म परांठे बना रखे थे, मैंने और दीदी ने साथ बैठ कर नाश्ता किया फिर दीदी कॉलेज चली गई और मैंने भी थोड़ी देर बकाया होमवर्क किया।
तभी मम्मी ने एक लिस्ट देकर सुपर मार्केट से सामान लाने को कहा। सुपर मार्केट हमारे घर से कुछ दूर था, मैं अपनी बाईक निकालने पार्किंग की ओर बढ़ा ही था कि अनुभूति की कार मेरे पास आकर रुकी।
मेरे हाथ में शोपिंग बैग देख कर अनुभूति बोली- हाय प्रीत… सुपर मार्केट जा रहे हो?… बैठो… मैं भी वहीं जा रही हूँ…!
कह कर उन्होंने कार का आगे वाला दरवाजा खोल कर मुझे बिठा लिया। मैं बाहर थोड़ा शरमा रहा था, बस पूछ लिया- पार्थ का बुखार कैसा है…इज़ ही आल राइट नाऊ…?
अनुभूति ने कहा- या… ही इज़ ओके नाऊ…स्वाति ने बताया कि तुम लोगों ने कल बहुत एन्जोय किया…आई रियली मिस्ड यू अ लोट…परी भी बता रही थी कि कल की रात उसकी लाइफ की सबसे हसीन रात थी…आज स्वाति तो पीरियड में है इसलिये करेगी नहीं पर आज मैं तुमको कम्पनी दूँगी… स्वाति ने बताया कि तुम्हारा स्टेमिना भी कमाल का है… आज मुझे भी परी जैसे क्रश करोगे ना…? कह कर उन्होंने अपना हाथ जीन्स के ऊपर मेरे लिंग पर रख दिया जो रात की कल्पना से ही सख्त हो गया था।
मैंने डरते हुए उन्हें दूर हटाया और बोला- अनु… यहाँ कोई देख लेगा…रात को आऊँगा ना !
”डोन्ट वरी यार…कोई नहीं देखेगा…और हम कौन सा यहाँ सैक्स कर रहे हैं… डरो मत…मैं तुम्हारी इज्जत नहीं लूटूँगी…!” खिलखिला कर हंसते हुए अनु ने कहा और तभी हम सुपर मार्केट पहुँच गये मैंने उन्हें उतर कर अन्दर जाने को कहा और कार पार्क करके मैं भी अन्दर अपनी लिस्ट की शोपिंग करने चला गया।
हम दोनों ने लगभग डेढ घन्टे साथ में शोपिंग की और लौटते हुए हम ‘कैफ़े कॉफ़ी डे’ में भी गये, वहाँ कॉफ़ी पीते हुए अनु अपने हसबैंड के बहुत ज़्यादा बिज़ी होने की कहानी कहने लगी।
उनकी और स्वाति आंटी की लाइफ स्टोरी काफी हद तक मिलती जुलती थी और वैसे तो अनु उम्र में कम होने के कारण आकर्षण में आंटी से कहीं ज्यादा थी फिर भी मैं स्वाति आंटी को उनकी सादगी के कारण ज़्यादा पसन्द करता था और आज भी करता हूँ।
वहाँ से निकल के हम सीधे घर पहुँचे और शाम को मिलने के प्रोमिस के साथ अपने-अपने बैग्स ले कर अलग हुए। घर पहुँच कर ड्राईंग रूम में सोफे पर बैठ कर मैं टीवी देखने लगा।
तभी थोड़ी देर में मम्मी ने लंच के लिये आवाज़ लगाई तो अन्दर जा कर मम्मी और दादी के साथ बैठ कर लंच किया और रूम में गया अलार्म लगाकर सो गया। चार बजे अलार्म बजा तो उठ कर फ्रेश हो कर तैयार हुआ तभी मम्मी ने चाय के लिये बुलाया। तब तक दीदी भी आ गई थी इसलिये दोनों ने साथ बैठ कर चाय पी और थोड़ी गप-शप भी की। थोड़ी ही देर में कुछ दोस्त भी आ गये थे तो मैं उनके साथ क्रिकेट खेलने चला गया पर मन तो रात के बारे में सोच-सोच के उछल रहा था। वहीं स्वाति आंटी का फोन आया- हम सब डिनर कहीं बाहर करेंगे इसलिये आठ बजे रेडी रहना।
मैं तुरंत खेल छोड़ कर घर आया और स्नान कर तैयार हो कर टीवी पर मैच देखने लगा पर दिल तो आठ बजने का इन्तज़ार कर रहा था। लगभग सवा आठ बजे नीचे फिर आंटी का फोन आया- पार्किंग लोट में आ जाओ मैं तुम्हारा वेट कर रही हूँ… और मम्मा को यह नहीं बताना कि अनु और परी भी हमारे साथ हैं…!
मैंने मम्मी को बाहर से ही स्वाति आंटी के साथ डिनर पर जाने का कह कर घर से बाहर निकल गया और जल्दी से नीचे पहुँचा तो देखा कि सामने स्वाति आंटी, अनुभूति और परीणिति तीनों आंटी की इन्नोवा में बैठी मेरा इन्तज़ार कर रहीं थी।
मेरे पहुँचते ही आंटी ने मुझे गाड़ी की चाबी दे कर कहा- गाड़ी चला लोगे ना…? मैंने ड्राईवर को नहीं लिया… मैं नहीं चाहती कि हम लाइम लाइट में आयें…!
”हाँ…हाँ…मैं चला लूँगा…!” मैंने जवाब दिया तो आंटी ने थोड़ी दूर एक फाईव स्टार होटल में चलने को कहा जहाँ उन्होंने पहले से टेबल बुक करवा रखा था।
मेरे पास वाली सीट पर अभी भी अनु ही बैठी थी तो वो अपना हाथ पैन्ट के ऊपर मेरे लिंग पर फिराने लगी तो स्वाति आंटी ने उन्हें डांटा- इतनी एक्साइटेड मत हो अनु… वी हेव होल नाइट फोर इट…!
फिर भी उन्होंने अपना हाथ नहीं हटाया और कुछ देर में हम होटल पहुँच गये…वैले को कार की चाभी दे कर जैसे ही सब गाड़ी से नीचे उतरे तब रोशनी में मैंने उनकी तरफ देखा… गुलाबी जोर्जेट की साड़ी, स्लीवलैस ब्लाऊज़ और खुले बालों में अनुभूति कमाल की सैक्सी लग रही थी, वहीं परी भी थ्री-फोर्थ जीन्स और हाफ़ टी-शर्ट में कहर ढा रही थी…और स्वाति आंटी तो सदाबहार थी ही।
हम अन्दर गये और डिनर ओर्डर किया… अनुभूति थोड़ा ड्रिन्क करना चाहती थी पर हम सबके मना करने पर उन्होंने भी ड्रिन्क ओर्डर नहीं किया।
वहाँ डान्स भी चल रहा था तो मैंने परी के साथ थोड़ी देर डान्स भी किया…सच में बहुत वो टाईम मेरे लिये स्वर्ग की सैर के समान था। तब तक डिनर लग गया था इसलिये सबने मिल कर डिनर किया फिर बिल स्वाति आंटी ने ही पे किया और हम वहाँ से निकल कर घर पर आ गये, गाड़ी पार्क कर सब लिफ़्ट से सीधे स्वाति आंटी के घर ही गये अनुभूति रास्ते में ट्वेल्थ फ्लोर पर उतर गई, उन्होंने कहा कि वो पार्थ को सुला कर आयेंगी।
वहाँ पहुँच कर हम तुरंत बैडरूम में पहुँचे और बिना वक्त गंवाये मैंने परी को बैड पर लिटाकर होंठ से होंठ मिला चूमना शुरु कर दिया और धीरे-धीरे उसके बदन को कपड़ों की कैद से आजाद करने लगा…
कुछ ही देर में वो केवल लिन्गरी में थी तो मैं भी अपने कपड़े खोल कर उस पर टूट पड़ा।
परी भी काफी एक्साइटेड थी इसलिये उसने मुझे नीचे कर मेरे ऊपर सवार हो गई और मेरा अंडरवियर खोला तो मैंने उसे 69 पोज़िशन में आने को कहा। और वो भी अपनी लिन्गरी हटा अपनी योनि मेरे मुँह की तरफ कर घुटनों के बल बैठ कर मेरा लिंग चूसने लगी…
मैंने भी उसकी योनि में अपनी जीभ घुसा दी और होठों से उसकी योनि का स्वाद लेने लगा…
तब तक अनुभूति भी आ गई थी… वो भी तुरंत अपनी साड़ी, ब्लाऊज़ और पेटीकोट को एक तरफ फैंक कर ब्रा और पैंटी पहने ही बैड पर चढ़ गई और मेरे लिंग को चूसने में परी का साथ देने लगी। स्वाति आंटी आज सैक्स नहीं करने वाली थी पर मेरी मदद करने के लिये वो केवल ब्रा-पैंटी पहने हम सब के बीच पहुँची और परी को लिटा कर उसकी योनि को चाटने लगी।
मैंने उठ कर अनुभूति को लिटाया और उनकी ब्रा खोल कर उनके गोरे-गोरे चूचुकों को मुँह में लेकर चूसने लगा… आंटी का बैडरूम अब परी और अनु की मादक सिसकारियों से गूंजने लगा था।
कुछ देर चूसने के बाद मैं नीचे आया और धीरे से उनकी सफ़ेद पैंटी खोल उनकी क्लीन शेव्ड पुस्सी (योनि) को टांगें चौड़ी कर के जीभ डाल कर चूसने लगा…जबकि मैं एक हाथ से उनके गोरे उरोज़ों के निप्पलों को धीरे-धीरे मसल रहा था… वो भी मेरे सिर पर हाथ फिरा कर उत्तेजक आवाजों से मेरा साथ दे रही थी- वाह…प्रीत…यू आर सो स्वीट… बहुत अच्छा लग रहा है… आह… और अन्दर डालो… ऊप्स… प्रीत… लाइफ़ में आज जितना अच्छा कभी नहीं लगा…!
काफी देर चूसने के बाद मैंने उठ कर अपना लिंग उनकी योनि के छेद पर लगा कर जोर से धक्का दिया जिससे अनु की चीख सी निकल गई… पर मुझे डर नहीं था इसलिये मैंने धक्के लगाना जारी रखा। अनु की सिसकरियाँ तेज़ हो गई- वाओ… तुम्हारा डिक बहुत अन्दर तक जाता है… ये तो बहुत मोटे हैं… इसलिये आधा ही जा पाता है… प्रीत… और जोर से… करो… फ़क मी… लाईक अ होर… और हार्ड… ह्म्म… हम्म्म… आह… करते रहो… आऊच… तुम पहले मिल जाते तो… आह्ह… थैंक्स स्वाति… आज तुम्हारी वजह से ये मज़ा मुझे मिला है… बहुत मज़ा आ रहा है… प्रीत… यू आर ग्रेट… मज़ा आ गया…!
परीणिति और स्वाति आंटी भी घुटनों के बल बैठ कर उनके उरोज़ों को चूस कर उनको मज़ा दे रही थी… मैं भी परी की फ़ुद्दी में उंगली अन्दर-बाहर कर रहा था।
काफी देर करने के बाद उनकी उत्तेजक आवाजें तेज हो गई और सिसकारियों के साथ वो चरम पर पहुँच कर स्खलित हो गई पर मैं अभी तक बाकी था इसलिये अनु को छोड़कर परी पर सवार हो गया…उसकी योनि पहले से गीली थी इसलिये छेद को चौड़ा कर अपना लिंग उसकी गुलाबी चूत में डाल दिया और धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा।
आज उसे दर्द नहीं हो रहा था पर अनुभूति और स्वाति आंटी की तुलना में उसकी योनि का कसाव मुझे साफ महसूस हो रहा था जो कि सबसे ज्यादा आनन्ददायक था। अब कमरे में परी की सिसकारियां गूंजने लगी थीं- प्रीत… आज बहुत अच्छा है… दर्द भी नहीं है…वाओ… तुम बहुत अच्छे हो… करो… और जोर से करो… आई लाइक इट वेरी मच… कम ओन… क्रश मी… आउच… आहहा… उफ्फ्…!
आज वो जल्दी फ़िनिश होने वाली नहीं थी पर मैं थक गया था इसलिये लिंग बाहर निकाल कर नीचे लेट गया और उसे ऊपर आने को कहा।
परी उठी और सैक्स को लीड करने के अंदाज मेरे ऊपर सवार हो गई, उसने अपने हाथ से मेरा लिंग अपनी योनि के छेद पर लगाया और धीरे से उसे अन्दर घुसा कर अपने नितम्बों को हिला कर सैक्स का आनन्द लेने लगी… मैं भी अपने हाथों से परी के उरोज़ों के निप्पलों को हौले-हौले मसल रहा था, जिससे उसकी आहें निकल रहीं थी…
वाह…सच में क्या आनन्द था… मैं भी सच में स्वर्ग की सैर कर रहा था।
काफी देर तक यह आनन्द लेने के बाद मैंने परीणिति को हटने को कहा और घोड़ी स्टाईल में बिठा कर उसकी योनि में अपना लिंग डाल दिया और धीरे-धीरे धक्के मारने लगा…
कुछ ही देर में परी तेज मादक सीत्कारों के साथ फ़िनिश हो गई…
अब मैं भी स्खलित होने वाला था…उसे भी यह आभास हो गया था तो उसने मुझे अन्दर नहीं छोड़ने को कहा और मैंने लास्ट मोमेंट पर अपना लिंग बाहर निकाल कर अपना वीर्य परी की पीठ और नितम्बों पर उड़ेल दिया और अपने लिंग को परी के नितम्बों पर पोंछ कर बैड पर लेट गया…
एयर कन्डिशनर चल रहा था पर फिर भी मैं और परी पसीने से नहा गये थे…परी उठ कर टायलेट में गई, अपनी पीठ को साफ कर के आई और मेरे पास लेट गई अनुभूति पहले से ही मेरे एक तरफ लेटी थी। हम तीनों बिना कपड़ों के बैड पर मखमली रजाई ओढ़े हुए सैक्स के अपने-अपने आनन्द की बात कर रहे थे।
तभी स्वाति आंटी अपना हाऊस कोट पहने हम सब के लिये केशर वाला दूध लेकर आई तो हम साथ बैठ कर दूध पीने लगे और मजाक मस्ती का दौर चलने लगा।
अनुभूति ने कहा- स्वाति…प्रीत को दो ग्लास दूध देना…आज रात को वो एक बार और मुझे हैवन की सैर कराएगा…कराओगे ना प्रीत…? सुन कर सब हंसने लगे तो मैंने जवाब दिया- श्योर…आई एम रेडी…मोर्निंग में जल्दी उठ कर करेंगे…क्यूं परी..?
परी भी बोली- सच में बहुत मजा आया आज… प्रीत… यू आर सो गुड… बट मम्मा ने आज रात को रुकने की परमिशन नहीं दी है..11 बज गये हैं… मुझे अब जाना होगा… आप लोग एन्जोय करो… मैं कल नाईट में आऊँगी… और वैसे भी अब तो जब चाहें प्रीत को बुला सकते हैं… है ना प्रीत…? कह कर वो उठी और कपड़े पहनने लगी तो स्वाति आंटी ने कहा कि वो परी की मम्मा से बात कर लेगी उसे रुकने देने के लिये पर परी नहीं मानी। उसने कपड़े पहन कर मेरी गोद में बैठ कर मुझे डीप किस किया और सब को गुडबाय बोल कर अपने घर चली गई।
अब हम तीनों सैक्स में अपनी पसंद नापसंद की बात करने लगे और काफी देर बातें करने के बाद स्वाति आंटी उठी और बोली- मुझे कुछ करना नहीं हैं… थक भी गई हूँ.. मुझे नींद भी आ रही है… मैं मीत के बैडरूम में जा कर सो जाती हूँ… अगर तुम दोनों को सुबह भी करना हो तो अलार्म लगा कर सोना… मोर्निंग में मैं ज्यादा देर यहाँ रुकने नहीं दूँगी… मेरी कामवाली बाई नौ बजे आ जायेगी… ओके… बाय… गुड नाईट…एन्जोय…!
कह कर आंटी लाईट बन्द कर दूसरे कमरे में जाकर सो गई… हम दोनों भी एक दूसरे को बाहों में भर के लेट गये और थोड़ी देर में नींद के आगोश में खो गये। बिना अलार्म के ही अनु साढे पाँच बजे उठ गई और फ्रेश होकर आकर मुझे जगाया और फ्रैश होने को कहा तो मैं उठ कर टायलेट में फ्रैश होने चला गया।
लौटा तो देखा अनुभूति बैड पर मेरा इन्तज़ार कर रही थी… मैं भी बिना वक्त गंवाये बैड पर चढ़ गया और अनु के तन को ऊपर से नीचे तक चूमने लगा। काफी देर चूमने के बाद अनु ने मुझे लेटने को कहा और वो मेरे लिंग को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। कुछ देर बाद मैंने उन्हें नीचे लिटाया और हमारे तन फिर से एक दूसरे में समा गये… अनुभूति की मादक सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थी…
लगभग बीस-पच्चीस मिनट बाद दोनों एक के बाद एक चरमोत्कर्ष पर पहुँच कर स्खलित हो गये… मेरा वीर्य अन्दर ही छूट गया था पर उन्होंने मुझे उठने नहीं दिया। थोड़ी देर लेटने के बाद वो उठी और मेरा हाथ पकड़ कर बाथरूम में ले गई…शावर के नीचे एक दूसरे के बदन की गहराइयाँ नापते हुए हमने एक-दूसरे को चूमते, चाटते लगभग आधे घण्टे तक स्नान किया।
फिर बाहर निकल कर दोनों ने अपने बदन पोंछे और अपने कपड़े पहन कर मैं ड्राईंग रूम में आकर बैठ गया… वहीं अनुभूति किचन में जा कर चाय बनाने लगी। चाय लेकर हम दोनों मीत के कमरे में गये और स्वाति आंटी को जगाया।
तीनों ने साथ बैठ कर चाय पी और थोड़ी गपशप भी की।
आठ बज गये थे तो मैं और अनुभूति बारी-बारी से स्वाति आंटी के घर से फिर मिलने के प्रोमिस के साथ विदा हुए…
इसके बाद अगले पांच दिनों तक रोज़ हम स्वाति आंटी के घर बारी-बारी से मिलते और मज़ा करते… मीत और अंकल के आने के बाद भी थोड़े-थोड़े दिन में हम कभी दोपहर में, कभी परी के घर तो कभी अनुभूति के घर अपनी-अपनी से सुविधा से मिल कर एन्जोय करते थे।
लगभग डेढ़ साल तक यह सब बहुत अच्छे से चला फिर मुझे अपनी स्टडी के लिये लन्दन जाना पड़ा, हालांकि हम एक दूसरे से इन्टरनेट और फोन द्वारा जुड़े हुए थे पर तन के मिलन के सुख से दूर हो गये थे। अगले दो सालों तक मैं लन्दन में रहा और अगस्त में वहाँ से लौटने के बाद फिर से उनसे जुड़ गया।
अभी नवम्बर में परीणीति की शादी हो गई है और वो अपने पति के साथ सिंगापुर में बहुत खुश है… मैं, अनुभूति और स्वाति आंटी अब भी कभी-कभी मिलकर एन्जोय करते हैं। दिसम्बर से मैं उदयपुर, राजस्थान में अपने डैडी का होटल्स बिज़नेस संभाल रहा हूँ…
कुछ समय से मैं फिर उनसे दूर हो गया पर मुझे विश्वास है कि जल्दी ही उनसे फिर मिलूँगा।









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