Saturday, December 27, 2014

Raj-Sharma-stories हवस की रात की कहानी

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 हवस की रात की कहानी

 कामिनी की उम्र 38 साल की है. उसके पति ने उसे  12 साल पहले तलाक दे दिया था. तब उसके  पास 8 साल का मेरा बेटा मनोज था. कामिनी का  एक मात्र सहारा बेटा ही है.
अब कामिनी का  बेटा मनोज 20 साल का हो गया है. वो काफी जवान और खुबसूरत है. कामिनी भी अभी तक काफी खुबसूरत और जवान दिखती थी.

मनोज को एक दूकान में नौकरी लग गयी थी. घर का खर्च वही चलाता था. कामिनी अपने बेटे के अधीन रहती थी. एक दिन मनोज को गोवा के एक होटल में नौकरी का अच्छा ऑफर आया.  वो ठुकरा नहीं सका. उसने गोवा के होटल में वो नौकरी शीघ्र ही ज्वाइन कर ली. उसे रहने के लिए समुन्द्र के किनारे सुनसान जगह पर एक कमरे का मकान भी मिल गया.
गोवा के तटों पर हजारों सैलानी अर्ध नंगे हो कर घुमा करते थे. मनोज जिस होटल में काम करता था वहाँ के कमरे में अधिकाँश विदेशी रुकते थे. वदेशी महिला एकदम कम कपडे पहना करती थी. ये सब देख कर मनोज का मन सेक्स के लिए उतावला रहने लगा था. वो किसी भी सूरत में सेक्स करना चाहता था लेकिन पकडे जाने के डर से वो सेक्स नहीं कर पा रहा था. अचानक उसे अपनी माँ का ख्याल आया और सोचा कि इस अनजान जगह में अपनी माँ को बुला कर अगर किसी तरह सेक्स किया जाय तो किसे पता चलेगा? 

वो गाँव वापस गया. वहाँ उसकी माँ को कहा कि माँ  अब वहाँ  भी अकेले मन नहीं लगता है. मैं तुझे लेने आया हूँ. कामिनी बड़ी ख़ुशी ख़ुशी उसके साथ गोवा चलने के लिए तैयार हो गयी.
गाँव से दोनों चले और पहले  शहर आये क्यों कि ट्रेन वहीँ से खुलती थी. ट्रेन अगले दिन रात में थी. मनोज ने जान बुझ कर अपनी माँ को एक दिन पहले ही शहर ले आया ताकि उसे रात में शिकार किया जाय. और गोवा में कोई ये नहीं जान सके कि ये औरत इसकी माँ है. दरअसल वो कामिनी को गोवा अपनी पत्नी के रूप में ले जाना चाहता था.
शहर पहुँचने पर उसने झूठ का कहा कि आज की ट्रेन लेट है जो अब कल खुलेगी. आज उसे यहीं होटल में रुकना होगा. माँ नेमनोज की बातों पर भरोसा कर लिया.
दोनों एक होटल में पहुंचे. मनोज के भाग्य से एक भी डबलबेड रूम खाली नहीं था. एक मात्र सिंगल बेड खाली था. मनोज ने उसे ही बुक कर लिया क्यों कि दुसरे जगह तो वो भी नहीं मिल रहा था.
दोनों रूम पहुंचे. मनोज ने सिंगल बेड पर अपनी माँ को बिठाया और कहा- माँ , और कोई रूम तो मिला नहीं..किसी तरह इसी में एडजस्ट कर लो आज की रात भर.
माँ ने कहा - कोई बात नहीं है...कोई दिक्कत नहीं होगी.
मनोज ने अपने सारे कपडे खोल दिए और सिर्फ एक अंडरवियर पहन कर बिस्तर पर लेट गया. और कामिनी ने भी अपने कपडे बदले और वो भी मनोज के बगल में ही लेट गयी.  बिस्तर काफी छोटा था. दोनों ही एक दुसरे से सट कर सोये थे. मनोज ने कम्बल लिया और उस से खुद को और अपनी माँ को ढँक लिया. उस बिस्तर पर एक ही तकिया था इसलिए दोनों ने एक ही तकिये पर सर रख कर एक दुसरे के आमने सामने लेते हुए थे. इस से दोनों का चेहरा लगभग सट रहा था. मनोज और कामिनी की साँसे एक दुसरे से टकरा रही थी.
मनोज ने कम्बल को खुद और अपनी माँ को पूरी तरह से सर के ऊपर से ढंकते हुए अपनी माँ से चिपट गया. ताकि माँ का शरीर कम्बल से बाहर ना निकले. उसने अपनी माँ को अपने से सटाते हुए कहा - माँ, ठीक से कम्बल ओढ़ लो नहीं तो ठण्ड लग जायेगी.

कामिनी ने भी अपने शरीर को अपने बेटे से सटा दिया और कम्बल में पूरी तरह घुस गयी.

इसी क्रम में उसकी चूची उसके बेटे के सीने में चिपक रही थी. मनोज ने अपनी माँ की चूची को अपने सीने से दबा दबा कर मजे ले रहा था. उसकी माँ की साँसे गरम हो रही थी. मनोज ने अपने हाथों को अपनी माँ के पीछे ले जा कर माँ को लपेट लिए और मजबूती से अपनी तरफ खींचने लगा.

मनोज ने कामिनी से कहा - माँ, मैं एक बात तो तुझे बताना ही भूल गया.
कामिनी - कौन सी बात.

मनोज - मैंने इस होटल वाले को तुम्हे अपनी पत्नी बताया तब जा कर सिंगल रूम मिल सका.
कामिनी - लेकिन तूने ऐसा क्यों किया?
मनोज - ऐसा नहीं करता तो आज कहीं भी कमरा मिलना मुश्किल हो जाता.. क्यों कि आज कोई परीक्षा है और चारों तरफ स्टूडेंट की भीड़ है. वो तो हमारा भाग्य अच्छा था जो हमें ये कमरा मिल गया.

कामिनी - लेकिन मैं इतनी जवान थोड़े ही ना हूँ जो तेरी बीबी दिखूंगी?

मनोज - अरे , तू अभी भी एक दम जवान दिखती है.
कामिनी - चल हट पगले..
मनोज ने अपने हाथों को अपनी माँ के पीठ पर और अधिक दबाते हुए अपनी माँ को अपने से सटाया और अपनी माँ की चूची पर दवाब बढाते हुए कहा - तू अपनी खूबसूरती के बारे में नहीं जानती.
मनोज ने कहा - माँ, तू अपने ब्लाउज खोल दे ना..तेरे ब्लाउज का बटन मेरे सीने में चुभ रहा है.
कामिनी - बेटा , मैंने अन्दर कुछ नहीं पहना है.
मनोज ने अपनी माँ का ब्लाउज का सामने का बटन खुद ही खोलते हुए कहा - माँ, गोवा में लगभग हर लड़की बिना कपडे के ही समन्दर में नहाती रहती है. मैंने कई लड़कियों को बिना कपडे के देखा है. मुझ पर कोई असर नहीं होने वाला.. तू आराम से अपने ब्लाउज को खोल ले. तुझे भी आराम मिलेगा. वैसे भी मुझसे क्या शर्माना..? आज तो मैं तेरा हसबैंड हूँ..
कहते हुए उसने अपनी माँ का ब्लाउज खोल दिया और माँ की चूची पर से हटा दिया.
कामिनी ने अपने आप को थोडा अलग किया और अपना ब्लाउज को पूरी तरह खोल दिया. अब वो ऊपर से पूरी नंगी थी. मनोज ने उसे फिर से अपने आप से सटा लिया. कामिनी ने अपने हाथों को अपने स्तन और मनोज के  सीने के बीच लगा रखा था..लेकिन मनोज ने अपनी माँ के हाथ को जबरदस्ती हटाया और कामिनी के चूची को दबाने लगा.

वो कहा -  तेरी चूची एकदम विदेशी लड़की की तरह सख्त है. इसलिए किसी को पता ही नहीं चलता कि तू मेरी बीबी नहीं है.

अब मनोज का एक हाथ कामिनी के जाघों पर था . उसने अपनी माँ के साडी को कामिनी के कमर तक उठा दिया और उसके नंगे चुतद पर हाथ फिराने लगा. इसी क्रम में उसका लंड पूरी तरह खडा हो गया.
धीरे धीरे उसने कामिनी के चूत पर हाथ घसने लगा. घसते  घसते उसने कामिनी के चूत के छेद में अपनी ऊँगली डाल दिया.  
कामिनी - बेटा , तू ये क्या कर रहा है? मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है.
मनोज - देख मेरी रानी, इस होटल में हमें कोई नहीं जानता कि हम दोनों एक दुसरे के क्या लगते हैं? अगर हम दोनों थोडा मजे कर ही लें तो किसी को क्या दिक्कत होगी? और तू कोई कुंवारी लड़की तो है नहीं की, तेरा कुंवारापन ख़त्म हो जाएगा? और तुझे बापू ने भी छोड़ दिया है..तुझे भी तो मन करता होगा ये सब करने का?
कामिनी - मन तो करता है लेकिन तू मेरा बेटा हैं ना.
मनोज - जब एक बिस्तर पर एक जवान नर और एक जवान मादा एक कम्बल में लगभग नंगे हो तो उनमे कोई रिश्ता नहीं रहता..
कामिनी तो पूरी तरह से मनोज पर आश्रित थी ही. उसके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं रहता था.
मनोज - मैंने तो ये फैसला किया है कि तुझे गोवा में भी अपनी बीबी बना कर रखूँगा. वहाँ किसे पता चलेगा?
कामिनी - क्या सच में?

मनोज - हाँ कामिनी  ... अब देख ना , अगर तू मेरी पत्नी बन कर गोवा में रहेगी तो मैं तुझे माँ कह कर तो नहीं बुला सकूँगा. तुझे कामिनी कह के बुलाऊंगा. तुझे बुरा तो नहीं लगेगा ना?

कामिनी - नहीं तू मुझे किसी भी नाम से बुलाएगा मुझे बुरा नहीं लगेगा.

मनोज - तो ठीक है तू अभी से ही मेरी पत्नी हुई. अब से ही मैं तुझे कामनी कह के बुलाता हूँ ताकि गोवा पहुँचते पहुँचते मुझे तुम्हे कामिनी कहने की आदत हो जाय.

कामिनी - ठीक है. बेटा

मनोज - देख कम्मो ..तू भी मुझे बेटा मत कहो. सिर्फ मनोज कहो. वो भी अभी से ही.

कामिनी - ठीक है मनोज.

मनोज ने ख़ुशी से कामिनी के चूत में ऊँगली अन्दर बाहर करते हुए कहा - ये हुई ना बात कम्मो..अब से तू मेरी बीबी..और मैं तेरा पतिदेव बन के रहेंगे...तुझमे अभी बहुत जवानी बांकी है.तेरी जवानी और खूबसूरती को बेकारनहीं जाने दूंगा.  कम्मो, तू मेरी बीबी तो बन गयी लेकिन बीबी वाला काम नहीं कर रही है तू.

कामिनी - मनोज अब तो तू मुझे बीबी मान चूका है तो जो करना है कर ले.

मनोज उसके चूत को पनियाते हुए  कहा- कम्मो, तेरी चूत तो बड़ी मस्त है रे.

मनोज ने अपना अंडरवियर भी  खोल दिया और नंगा  हो गया. मनोज का लंड अपनी माँ के खुबसूरत बदन को देख कर दोहरा हुए जा रहा था. वो कामिनी के बदन पर चढ़ गया और उसके होठ को चूसने लगा. कामिनी ने कोई प्रतिरोध नहीं किया. मनोज एक हाथ से अपनी माँ की चूची को दबा रहा था. फिर वो कामिनी की पूरी साड़ी और पेटीकोट को  खोल दिया. अब कामिनी पूरी तरह नंगी हो चुकी थी. उसके चूत को उसका बेटा सहला रहा था. कामिनी को ये सब पूरी तरह से अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन वो मजबूर  थी. वो मजबूर हो कर अपना शरीर अपने बेटे के हवाले कर चुकी थी..अब मनोज को जो मर्जी हो उसके साथ कर सकता था.

मनोज ने अपनी माँ के पैरो को फैलाया और चूत को सहलाते हुए कहा - कम्मो , तू कब से नहीं चुदवाई है?

कामिनी - जब से तेरा बापू मुझे छोड़ कर गया है तब से..

मनोज - यानि पिछले बारह साल से तूने किसी से नहीं चुदवाया है?

कामिनी - नहीं जी, तब से मैं भी प्यासी हूँ. 

मनोज - आज तेरी बरसों की प्यास बुझा देता हूँ.

कामिनी की चूत ना चाहते हुए भी गीली हो चुकी थी.

मनोज ने अपने लंड को कामिनी के चूत में डाल दिया. कामिनी की आँख में लाज के मारे आंसू निकल गए.. लेकिन मनोज को उसके आंसू नहीं बल्कि उसकी चूत दिख रही थी.

मनोज ने अपनी माँ को जी भर कर रात भर जबरदस्ती चोदा. बेचारी कामिनी एक बार उफ्फ तक नहीं की.
सुबह होते होते कामिनी भी अपने आप को मनोज के प्रति पूरी तरह मन से पति मान चुकी थी. जब वो दोनों गोवा की ट्रेन में बैठे तो किसी को भी अंदाजा नहीं था कि ये दोनों पति पत्नी नहीं थे.

गोवा में भी दोनों पति पत्नी बन कर ही रहने लगे. 2 महीने में कामिनी तो भूल ही चुकी थी कि मनोज उसका सगा बेटा है. वो मनोज को ही अपना पति मान ली. उसके लम्बे आयु के लिए कामिनी ने करवा चौथ का व्रत करना भी शुरू कर दिया.
एक साल बाद ही कामिनी मनोज के बच्चे की माँ भी बन चुकी थी.








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