Friday, December 19, 2014

FUN-MAZA-MASTI सौतेला बाप--44

FUN-MAZA-MASTI

 सौतेला बाप--44

अब आगे
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 समीर की तो कुछ समझ मे नही आ रहा था की ये एकदम से पासा उल्टा कैसे हो गया...वो तो खुद को दोषी मान कर अंदर आ गया था...ये रोज़ी को क्या हो गया जो खुद को दोषी मान रही है और उससे माफी भी माँग रही है..

तभी मुस्कुराता हुआ लोकेश अंदर दाखिल हुआ....समीर समझ गया की ज़रूर ये इस वक़ील के तेज दिमाग़ की कुछ उपज है,साले ने एकदम से पूरी गेम ही पलट दी.

समीर को कुछ ना बोलता हुआ देखकर रोज़ी एकदम से खड़ी हुई और समीर की तरफ अपनी गांड करके वो फिर से खड़ी हो गयी और बड़ी ही सेक्सी आवाज़ मे बोली : "सर ...प्लीज़....आप करिए वो फिर से...बड़ा मज़ा आ रहा था...''

पर समीर ने इस बार अपनी तरफ से पहल करना सही नही समझा...और वो मुँह झुकाए बैठा रहा...बीच-2 मे वो बियर के सीप भी ले रहा था.

रोज़ी समझ गयी की बॉस कुछ ज़्यादा ही गुस्सा हो गये हैं....वो अपनी आवाज़ मे मिश्री घोलती हुई बोली : "देखिए ना सर ...आपने जो बाइट किया था, उसका निशान कितना गहरा बन गया है...''

और उसके बाद सिर्फ़ समीर को स्कर्ट की साइड जीप खुलने की और उसके नीचे खिसकने की आवाज़ ही सुनाई दी...और फिर ताज़ा चूत के रस की गंध एक झोंके की तरह उसके चेहरे से टकराई...उसने हैरान होते हुए उपर देखा तो दंग रह गया...रोज़ी ने अपनी स्कर्ट नीचे खिसका दी थी..और सिर्फ़ अपनी पेंटी मे खड़ी होकर अपनी गांड पीछे की तरफ उभार कर समीर को दिखा रही थी..

उसने ब्लेक कलर की लैस वाली पेंटी पहनी हुई थी, जिसमे उसकी मदमस्त जवानियाँ बड़ी दिलकश लग रही थी



और सच मे उसकी गांड पर एक गहरा निशान बन गया था...समीर के 6-7 दाँत सॉफ नज़र आ रहे थे...बड़े ही गहरे थे वो...शायद समीर ने उत्तेजना मे आकर कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से काट लिया था उसके मांसल नितम्ब पर...

समीर की आँखो के सामने रोज़ी के गोरे-2 और भरंवा नितम्ब नाच रहे थे...और उनपर हाथ रखकर रोज़ी खुद उन्हे समीर के सामने परोस रही थी..

समीर ने लोकेश की तरफ देखा, जो अपनी आँखे फाड़ कर आधी नंगी रोज़ी को देखकर पलकें झपकाना भी भूल चुका था...और फिर मंद-2 हंसते हुए समीर ने फिर से उसकी कमर पर हाथ रखा और उसकी गांड को अपनी तरफ खींच कर उस जगह पर अपने होंठ रगड़ दिए, जहाँ उसने बाइट किया था..

और समीर के इस नाज़ुक प्रहार से रोज़ी तड़प उठी..

आज शायद उसकी जिंदगी में पहली बार ऐसा कुछ होने वाला था , जिसके लिए हर लड़की तड़पती है





रोज़ी लड़खड़ा सी गयी समीर ने जब उसकी गांड पकड़कर उसको झंझोरा...उसका पूरा बदन काँप सा गया...अगर लोकेश उसके आगे आकर ना खड़ा हो गया होता तो वो नीचे ही गिर जाती.

लोकेश ने भी मौके का फायदा उठाया और लड़खड़ाती हुई रोज़ी के सामने आकर सहारे की तरहा खड़ा हो गया...उसके नर्म उरोज उसके कंधे से रगड़ खाकर बुरी तरह से पिस गये.

समीर तो अपनी ही धुन में रोज़ी की गांड का तिया पांचा करने मे लगा था...उसके नर्म कुल्हों को जगह -2 से चूम कर..अपनी जीभ से उन्हे चाट कर अपने प्यार की मोहर लगा रहा था उसके पिछवाड़े पर..

रोज़ी ने लोकेश की बाजू ज़ोर से पकड़ ली ..और गर्म साँसे उसके चेहरे पर छोड़ते हुए वो फुसफुसाई : "देखिए ना सर ...समीर सर क्या कर रहे हैं...''

लोकेश : "तो मना कर दो ना....रोक दो उन्हे...और घर वापिस चली जाओ..''

वो जानता था की रोज़ी ये काम तो बिल्कुल नही करेगी...सिर्फ इसलिए नहीं की उसे अपनी नौकरी की चिंता थी...बल्कि इसलिए भी क्योंकि उसे भी अब वो सब अच्छा लग रहा था..और ये बात तजुर्बेदार वकील ने उसकी आँखो मे पढ़ ही ली थी...तभी उसे ऐसा करने के लिए कह रहा था जो वो खुद नही करना चाहती थी.

पर एक जवान लड़की की जिंदगी का पहला सेक्स एनकाउंटर भी बड़ी अजीब चीज़ होता है...वो जानती है की सभ्य समाज में वो सब ग़लत है...और इसलिए वो आज तक ऐसा कुछ नही कर पाई जिसकी वजह से वो अपनी या अपने घर वालो की नज़रों में गिर जाए...पर ये सेक्स होती ही इतनी कुत्ती चीज़ है की जब इसका एहसास शरीर पर होना शुरू होता है तो समाज की माँ चोदकर सब कर गुजरने का मन करता है...और फिर खुलते हैं एक नयी मौज मस्ती के रास्ते जिसपर चलकर वो कच्ची कली फूल बन जाती है..

रोज़ी के हाथ लोकेश के उपर बुरी तरह से जकड़ बनाकर अपना दबाव डाल रहे थे..लोकेश सीधा उसकी आँखो में देख कर उसकी हालत का अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था..वो जानता था की अंदर से उसकी क्या हालत हो रही है..ऐसा सुखद एहसास जब एक नवयोवना को पहली बार मिलता है तो वो क्या-2 फील करती है वो ये सब समझने की कोशिश कर रहा था.

लोकेश के घर वापिस जाने की बात का रोज़ी ने कोई जवाब नही दिया..बस अपने होंठों पर दाँत मारकर अपनी बाहर निकल रही सिसकी पर काबू पाया उसने...

समीर के हाथ उसकी कमर से उपर होते हुए शर्ट के अंदर दाखिल हो गये..और ये वो पल था जब लोकेश ने रोज़ी के शरीर मे एक बार फिर थरथराहट महसूस की....और फिर लोकेश को अपने और रोज़ी के बीच, उसके कपड़ों के अंदर से समीर के हाथ उपर की तरफ आते हुए महसूस हुए...और वो जब तक समझ पाता ,उन हाथों ने रोज़ी के दोनो स्तनों को पकड़कर अपनी गिरफ़्त में ले लिया..

रोज़ी की आँखे फैल सी गयी...उसके होंठ लरज गये...काँपने लगे वो...उसकी आँखों मे अजीब सी खुमारी उभर आई..


वो फिर बोली : "देखिए ना सर ...समीर सर तो आगे ही बढ़ते जा रहे हैं...''

अब लोकेश ने भी उसको उकसाया : "देखो रोज़ी...यहा तुमसे कोई ज़बरदस्ती नही कर रहा ...तुम चाहो तो अभी भी वापिस जा सकती हो...पर मुझे पता है ये सब तुम्हे भी अच्छा लग रहा है...बोलो...लग रहा है ना...''

रोज़ी : "हाँ ...पर ...''

लोकेश : "पर क्या ???''

रोज़ी : "वो ....वो ....सर बड़ी ज़ोर से दबा रहे हैं ....इन्हे बोलिए की थोड़ा धीरे करे....''

ये सुनकर लोकेश मुस्कुरा दिया और बोला : "तुम खुद ही क्यो नही बोल देती ...''

वो चाहता था की वो खुद खुलकर सामने आए...क्योंकि जब तक लड़की खुलकर सब ना कहे या करे, मज़ा ही नही आता..

रोज़ी ने झिझकते हुए पीछे मुँह करके, अपनी गांड के अंदर घुसे हुए समीर को कहा : "सर ...आप प्लीज़ थोड़ा आराम से कर लो...मुझे उसमें कोई प्राब्लम नही होगी...''

रोज़ी ने ये बात कहकर जैसे अपने उपर एक नयी मुसीबत बुला ली..क्योंकि समीर ने समझा की उसने खुलकर उसे कुछ भी करने की छूट दे दी है..अब वो उसके साथ कुछ भी करे, उसे कोई प्राब्लम ही नही है..शायद आगे खड़े वकील ने उसे पूरी तरह से बोतल मे उतार लिया है...

इतना सोचने के साथ ही समीर ने एक ही झटके मे उसकी ब्लेक लैस वाली पेंटी को बीच मे से पकड़ा और दोनो तरफ खींचकर फाड़ दिया..

छर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर की आवाज़ के साथ रेशमी पेंटी के 2 टुकड़े हो गये...और उसकी नंगी गांड के नीचे लटकते चूत के रसीले होंठ प्रकट हो गये..रोज़ी ने अपनी चूत पर हाथ फेरकर अपने अंदर से बह रहे रस को साफ़ किया

और शॉक के मारे बेचारी रोज़ी कुछ बोल ही नही पाई...उसे विश्वास ही नही हो रहा था की इतना सभ्य सा दिखने वाला उसका बॉस एक ही झटके मे उसे इस तरहा नंगा कर देगा...और वो कुछ बोल पाती इससे पहले ही समीर की जीभ किसी साँप की तरहा लपलपाती हुई उसकी टाँगो के बीच घुसी और एक ही झटके मे उसकी चूत को डस लिया.

रोज़ी का मुँह खुला का खुला रह गया...गोल आकार मे आकर...और उसमे से गर्म साँसे निकलकर लोकेश के चेहरे को एक बार फिर झुलसाने लगी..

''आआआआआआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''

लोकेश ने भी बियर का केन एक किनारे पर रखकर अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया..वो भी फटने वाली हालत में पहुँच चुका था...उसने पेंट की जीप खोली और अपने 8 इंच के लंड को बाहर निकाल कर उसे ताजी हवा खिलाई..

पीछे से रोज़ी की चूत में अपनी जीभ को गाड़कर उसकी खुदाई कर रहे समीर के मन मे इस वक़्त सिर्फ़ काव्या ही घूम रही थी...कुँवारी चूत के रस की खुश्बू इतनी मादक थी की वो बस यही सोच रहा था की कुछ ऐसी ही महक होगी उसकी काव्या की भी...जब वो उसे चूसेगा...उसका रस निकालेगा...उसे पीएगा...आआआआआहह काश इस वक़्त काव्या होती उसके सामने...

पर रोज़ी भी कम नही थी....थी तो वो भी कुँवारी ही...और रस उसका भी मीठा ही था...वो चपर -2 करता हुआ उसकी चूत की फांको के बीच अपनी खुरदूरी जीभ फिरा कर सारा रस बटोर कर अंदर निगल रहा था...


ऐसा सुखद एहसास पाकर भला कौन सी लड़की ना बहक जाए...रोज़ी ने अपनी आँखे बंद कर ली...और उन्माद में आकर आख़िरकार उसके मुँह से एक जोरदार किलकारी निकल ही गयी...

''आआआआयययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ...... उम्म्म्मममममममममममम .....सिर्ररर........ एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .........''

उसका खुला हुआ मुँह लोकेश के इतने करीब था की लोकेश से भी सब्र नही हुआ और उसने अपने होंठ आगे करते हुए उसके खुले हुए मुँह मे डाल दिए...और अगले ही पल रोज़ी के ठंडे -2 होंठो ने उसके सख़्त होंठों को दबोच कर इतनी ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया की लोकेश को भी दर्द होने लगा...दोनों बुरी तरह से लिपट कर एक दूसरे को चूस रहे थे

वो लोकेश को उतनी ही ज़ोर से चूस रही थी, जितनी ज़ोर से उसकी चूत को समीर द्वारा चूसा जा रहा था...लोकेश ने भी उसके चेहरे को पकड़कर अपनी तरफ से प्रहार करना शुरू कर दिया..

और देखते ही देखते लोकेश और रोज़ी ऐसी गहरी स्मूच मे डूब गये की उन्हे समीर का ध्यान भी नहीं रहा...लोकेश के हाथ भी फिसलकर उसकी छातियों पर आए और उसके दोनो मुम्मे उसने बेदर्दी से दबाने शुरू कर दिए..

रोज़ी ने भी लोकेश के दोनो हाथो पर अपने हाथ रखकर उन्हे ज़ोर से दबा दिया..और चिल्लाई : "और ज़ोर से.................आआआआआहह''

रोज़ी को अपनी चूत पर मिल रही गर्म जीभ की सिकाई से ऐसा एहसास हो रहा था की वो हवा मे उड़ती चली जा रही थी...हालाँकि आज से पहले उसने कई बार अपनी उंगलियों से भी चूत को रगड़कर मज़े लिए थे...पर ये एहसास अलग ही था...अब वो शायद समझ पा रही थी की लोग सेक्स मे इतने मज़े क्यो करते हैं..

लोकेश ने उसकी टी शर्ट को उपर खिसकाना शुरू कर दिया....और रोज़ी को पता भी नही चला की कब उसकी टी शर्ट भी उतर गयी...और वो सिर्फ़ ब्रा में खड़ी रह गयी...नीचे से तो वो पहले से ही नंगी थी...उपर भी सिर्फ़ नाम मात्र का परदा रह गया...लोकेश ने उसके मुम्मे मसलते हुए उसकी ब्रा के स्ट्रेप उसके कंधे से नीचे गिरा दिए..और ऐसा करते ही उसके दोनो मुम्मे उछल कर बाहर आ गये..

और तब जाकर रोज़ी ने अपनी आँखे खोली...और नीचे गर्दन करके जब उसने देखा की उसकी दोनो छातियाँ नंगी होकर लोकेश के हाथों का खिलोना बन चुकी है तो वो बुरी तरह से शरमा गयी ..पर अगले ही पल उसकी आँखे फिर से गोल होती चली गयी...क्योंकि नीचे जो उसने देखा वो उसकी जिंदगी का पहला लंड दर्शन था..

और वो भी इतने करीब से....

''ऊऊऊऊऊऊऊऊओ .............. ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह गॉड ............... ओह ..... हूऊऊऊऊऊ...''

अजीब-2 सी आवाज़ें निकालते हुए वो अपना नंगापन भूलकर लोकेश के लंड को देखे जा रही थी....और लोकेश ने उसके एक हाथ को पकड़कर जब अपने लंड पर रखा तो वो काँपने लगी....समीर को तो ऐसा लगा की वो झड़ने वाली है...पर वो तो अपने पहले लंड स्पर्श का आनंद ले रही थी..

और फिर लोकेश ने उसके सिर पर दबाव डालते हुए धीरे-2 उसे नीचे करना शुरू कर दिया...और वो खड़ी होकर घोड़ी बनती चली गयी...उसकी गांड और भी बाहर निकल आई...जिसे अब समीर और भी ज़्यादा आराम से चूस सकता था...और लोकेश के लंड के बिल्कुल उपर आकर उसने उसके 8 इंची लंड को बड़े प्यार से देखा...और फिर अपनी गर्म जीभ फिरा कर उसकी कठोरता को परखा...

और फिर अचानक उसमे जैसे कोई चुड़ैल घुस गयी....वो पागल सी हो गयी और लोकेश के लंड को अपने मुँह में लेकर ज़ोर-2 से सक्क करने लगी..

लोकेश बेचारा अपने पंजों पर खड़ा होकर उसके हर प्रहार पर चीखे मार रहा था..पर मज़ा भी बड़ा आ रहा था उसको...रोज़ी की ये पहली लंड चुसाई थी...और वो भी इतने वाइल्ड तरीके से...वो शायद ये तो जानती थी की लंड चूस कर मज़े दिए जाते हैं पर कैसे चूसा जाता है ये सीखना बाकी था अभी..पर अभी के लिए उसे बीच मे टोकना सही नही था...क्योंकि वो पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी...उसकी पीठ पर हाथ फेरकर लोकेश ने उसकी ब्रा कब उतार दी, उसे भी पता नही चला..






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