Saturday, December 21, 2013

गुपचुप कहानियाँ- राबिया का बेहेनचोद भाई--11

Lovers-point गुपचुप कहानियाँ-

 राबिया का बेहेनचोद भाई--11
. रात काफ़ी हो चुकी थी....भाई बाइक पर बैठने से पहले अपने पैंट के उपर हाथ लगा....जैसे वो अपने लंड को पैंट में अड्जस्ट कर रहा हो....मैं गौर से देख रही थी....नज़रो से नज़रे मिली....हम दोनो हंस दिए....मैं दोनो पैर एक साइड में कर के बैठ गई...भाई बोला....कम से आज तो ठीक से...क्या मतलब....भाई हँसता हुआ बोला...अरी आज भर के लिए तू मेरी गर्लफ्रेंड है ना..... गंदे...च्चि...कहते हुए... मुस्कुराती हुई गाल गुलाबी करती...उसकी पीठ पर एक ज़ोर का मुक्का मारा... ज्यादा होशियारी मत दिखाओ... हाए !!! बैठ आन रबिया...प्लीज़ मज़ा आएगा....




मेरी छूट का पूरा फ़ायडा उठना चाहता था.....क्या मज़ा....बॅलेन्स अच्छा....चुप झूठे...जैसे मुझे पता नही....अम्मी को बैठा के मार्केट ले जाते थे तब......अरी यार तू कहा की बात कहा ले....तो और क्या....प्लीज़...अच्छा लगेगा... हाए !!! नही...शर्म आती है....अब इतनी रात में...कौन देखेगा... हाए !!! नही....आप बहुत बेशरम हो गये हो....क्या बेशर्मी की.....ओह हो जनाब को जैसे मालूम ही नही....पहले डिस्को...फिर डांस....अब ये....आगे पता नही क्या क्या... हाए !!! और कुछ नही....मैने मुस्कुराते हुए कहा....धीरे धीरे पता चल रहा है कितने शरीफ हो...कहते हुए दोनो पैर दोनो तरफ कर के बैठ गई....सड़के सुन-सन थी....भाई बाइक को तेज भागने लगा....झुकाई देते हुए मोड़ रहा था....लगा अब गिरी तब गिरी.... हाए !!! भाई धीरे....गिर जाउंगी....पकड़ लो ना....



हाए !!! क्या पकडूँ....उफफो.... मुझे....उफफो ओह...भाई आप सुनते क्यों नही....ठीक से बैठेगी तब ना....अब कैसे.....मेरा हाथ जो की कंधे पर था उसको अपनी कमर पर रखता बोला....थोड़ा आगे सरक कर बैठ....आगे सरक कमर को मजबूती से पकड़ लिया.... खुद भी यही चाह रही थी...फ़र्क़ सिर्फ़ इतना था की....उसके मुँह से निकली थी ये बात.....अब भाई हल्का भी ब्रेक मारता तो....चूंची को उसकी पीठ से सटा देती....उसकी कमर को कस कर जकड़ लिया था....अपने हाथो को उसकी जीन्स की बेल्ट पर रखे थी.....जैसे ही ब्रेक मारता हाथ सरका कर नीचे कर देती....कभी जाँघो पर कभी जाँघो के बीच....हथियार के उपर....गरमा गरम लंड...अफ मज़ा आ गया.. 


सख़्त हो गये मेरे निपल....उसकी पीठ पर चुभ रहे होंगे.....तभी तो लंड खड़ा था.....पीठ पर चूंचीयों की रगड़ाई ने रानों के बीच हलचल मचा दी......चूत की सुरसुरी बर्दाश्त नही हो रही थी.....दिल बेकाबू हो रहा था.....तभी फिर ब्रेक लगाया....हाथ बेल्ट से सरका....लंड दबा दिया....जो होगा देखा जाएगा....खुल्लम खुल्ला....हथेली से जीन्स के उपर से लंड पकड़ लिया....जीन्स का मोटा कपड़ा उतना मज़ा नही दे रहा था मगर फिर भी.....बाइक की रफ़्तार कम होने पर भी....छोड़ा नही....चूंची रगर्ति....लंड पकडे बैठी रही....चूत की सनसनी बेकरारी बढ़ा रही थी...चूत पानी छोड़ रही थी.....पेशाब भी महसूस.....शायद ड्रिंक्स का असर था....




जैसे ही घर पहुचे....मैने दरवाजा खोला....भाग कर गुसलखाने में गई....भाई को लगा की मुझे जोरो की पेशाब लगी है मगर....इज़रबंद में गाँठ लगाया....और बाहर आ गई....ज़ोर से बोली....अफ ...अल्लाह...ये क्या कयामत....साँझ में नही आ रहा क्या करू....समीज़ पेट पर चढ़ा रखा था....हाथ इज़रबंद के पास....भाई अपनी शर्ट खोलता....मेरी आवाज़ सुन कर पलटा....क्या हुआ.....मैं मचलती हुई उसको देख बोली....उईईई....भाई जल्दी से कैची दो ना....अरे क्या हुआ....कैंची क्यों....उफ़ हो...कुछ भी कैंची या ब्लेड....भाई इधर उधर देखने लगा...क्या हुआ बता तो सही....
ब्लेड तो होगा नही....कैंची पता नही... हाए !!! जल्दी खोजो ना....पर हुआ क्या...उफ़ हो भाई देखते नही क्या.....समीज़ उपर उठाए नंगी पेट और सलवार के इज़ारबंद को दिखती बोली....ये हो गया....गाँठ लग गई....भाई हँसने लगा....तू भी कमाल है...गाँठ कैसे लगा लिया....अभी भी बच्ची है....हसो मत...बहुत ज़ोर की लगी है....अब कैंची तो पता नही कहा रखी होगी...चल देखने दे मुझे... हाए !!!...धत !...क्या देखोगे....उफ़ !!!....खोलने का इंतेज़ाम करो....पर पहले देखने तो दे...बिना देखे कैसे...कहता हुआ भाई मेरे पास आ गया....इज़ारबंद को हाथ लगा....खोलने की कोशिश करने लगा....मेरी नंगी पेट उसके हाथो को छू रही थी....उ...भाई जल्दी.....



एक तो ऐसे ही चूंची रगड़वा कर बेजार हुई बैठी थी....उपर से....उसका हाथ.....बदन में सनसनी दौड़ गई...पेट पर हाथ लगने से गुदगुदी भी हो रही थी...थोड़ा पेट अंदर खींचा....अर्रे क्या करती है....ठीक से खड़ी रह....पर तुम पेट....इज़ारबंद कैसे खोलू फिर....वैसे वो गाँठ कम मेरी पेट देखने में ज्यादा....मैने कहा उफ़ हो...भाई छोड़ो ऐसे तो मैने भी ट्राइ किया....खुल नही रहा....तोड़ दूँ...हा तोड़ दो....इज़ारबंद मोटे कपडे का बना होता है....टूटने वाला तो था नही....पर वो पूरी कोशिश कर रहा था....इस बहाने मेरी पेट और पेरू दोनो छुने और सहलाने का मौका जो उसे मिला था....तभी वो झट से घुटनो के बल ज़मीन पर खड़ा हो गया...


क्या कर रहे हो....तू देखती जा...कहते हू उसने मुँह लगा कर इज़ारबंद के गाँठ को अपनी दाँत से पकड़ खीचा....उफ़ !!!...उसकी जीभ एक दो बार मेरे पेट से तकर गई....शायद उसने ऐसा जान बूझ कर किया था....बदन सिहर उठा....दूर से कोई देखता तो यही समझता मेरी चूत में मुँह लगाए है....मैने भी जान-बूझ कर अपने कमर को थोड़ा आगे धकेल दिया....भाई इज़ारबंद को दांतो से पकड़ खीच रहा था...पर मुझे लगा जैसे उसकी ज़ुबान ने मेरी नेवल यानी की मरकज़ को छुउआ... हाए !!! अल्लाह उसने बड़ी चालाकी से मेरी मरकज़ में अपनी ज़ुबान डाल कर घुमा दी....मेरी नाभि को चाट लिया....सनसनी से मैने पेट सीखोरा....थोड़ा पीछे हटी.....तभी वो....झटके के साथ इज़ारबंद खोल अलग हुआ....मैं समीज़ पकडे खड़ी थी....उसने मौके का फायदा उठाया....

इज़ारबंद पूरा खोल हल्का सा झटका दे दिया....सलवार सरसरते नीचे उतार गई....गुठनों तक... हाए !!! अल्लाह....जब तक पकड़ पाती तब तक....छोटी सी चड्डी में कसी मेरी जवानी भाई के सामने....भाई भी कम हरामी तो था नही....जल्दी से मेरी सलवार उपर उठाने का बहाना कर सलवार उपर खींचते हुए अपना हाथ मेरी चूत से सटा दिया....मेरी सांस उपर की उपर रह गई....अफ रब्बा....कसम से...मज़ा आ गया इज़ारबंद खुलवाने का....पर मौके की नज़ाकत थी....शर्मा कर उछल पड़ी ....उफ़ !!!...भाईजान...गंदे... हाए !!! छोड़ो ....अरे मैने क्या किया...धत ! जाओ...कहते हुए जल्दी से उसके हाथ से सलवार छुड़ा एक हाथ से समीज़ पेट पर पकडे दूसरे हाथ से सलवार थामे गुसलखाने में घुस गई.....बुर से ऐसे लहरा कर मूत निकली की बस....छलछलाते हुए पेशाब की मोटी धार कमोड में गिरते अपनी लालमुनिया के दाने को मसलने लगी....




बाहर निकली तो भाई ड्रेस चेंज कर बैठा था....सोए नही....बस जा रहा हू....मज़ा आया ना आज....मैं थोड़ा शरमाती चेहरा लाल कर बोली....मैं नही जानती....अरे क्या मतलब...इतनी मेहनत से घुमाने ले गया...इतना पैसा खर्च हुआ....तो मैने कहा था क्या...सब अपने मज़े के लिए....बदमाश....ठीक है तूने नही कहा था....मगर फिर भी मज़ा तो आया होगा....मैं अब तक दीवान के पास आ चुकी थी....उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया.....शरमाने का नाटक किया.. हाए !!! बोल ना...कैसा...कहते हुए मुझे अपने पास और खीचा....वो पैर लटका कर बैठा था....गुठना ठीक मेरी रानों के बीच....मैने भी हल्का सा दबा दिया....मज़ा आ रहा था....




गाल गुलाबी करते बोली...हा आया था मज़ा....भाई ने दोनो हाथ पकड़ लिया....और खींचा....रानों के बीच के घुटने को थोड़ा उपर उठा चूत से सताया.... हाए !!! तो क्या इनाम देगी....मैने मचलते हुए कहा...इनाम क्या देना....ये फ़र्ज़ है....बहन को घुमाने.....हाथ छोड़ो ना....सोने जाना है.....वो मुस्कुराता हुआ बोला पर....तू तो आज मेरी गर्लफ्रेंड है ना....हट...गंदे....अच्छा चल अपने भाई को कुछ तो दे... हाए !!! मैं क्या दूँ....हटो छोड़ो ....छोड़ दूँगा....पर थोड़ा सा....क्या थोड़ा सा....मैं ले लू...क्या लोगे....वो नही बताऊंगा ....तो मैं कैसे दूँ....

तेरा कुछ जाएगा नही....फिर भी कुछ तो....तू बस ऐसे ही खड़ी रह....मैं कहा भागी जा रही हू....हंदोनो एक दूसरे की आँखो में झाँक रहे थे....तभी उसने अपनी हथेली में मेरा सिर थाम लिया....क्या इरादा है....उसने थोड़ा सा मेरे सिर को झुकाया....उसके सिर के सामने मेरा सिर....मुझे हसी आ रही थी....तभी उसने अपने चेहरे को आगे बढ़ा मेरे होंठों को चूम लिया....छी...कहते हुए मैं इठला कर पीछे हटी....वो हँसने लगा....मैने उसकी सीने पर एक मुक्का मारा....गंदे....अपने होंठों को पोच्छने लगी....वो अभी भी हाथ पकडे था....एक और दे ना... हाए !!! छोड़ो ना....बेशरम....गंदे भाई....कहते हुए हाथ चुरा पीछे हटी....वो भी उठ कर मेरे पीछे दौरा....




मैं खिलखिलते हुए पूरे घर में इधर उधर भाग रही थी....बिना दुपट्टे की मेरी चूंचीया उछलती हुई....भाई मुझे पकड़ने की कोशिश कर रहा था...मैं बीच बीच रुक कर उसे अपनी जीभ निकाल दिखा देती....बड़ा मज़ा आ रहा था....भागते-भागते मैं दीवान के पीछे चली गई....वो सामने से आ गया....मैं कोने में फस गई....हँसते हुए मैने दोनो हाथ सामने ला अपने कोने में मुँह घुमा कर खड़ी हो गई......भाई पीछे से आ कर मेरी कमर पकड़ कर खड़ा हो गया.....उफ़ !!!....गरम खड़ा लंड पीछे से चूतड़ पर हल्के से सटा दिया... हाए !!! छोड़ो .... रबिया देख ना इधर.. हाए !!! नही भाईजान छोड़ो ...जाने दो....भाई ने कंधा पकड़ अपनी तरफ घुमा लिया....मैं चेहरा लाल कर नीचे गर्दन झुका लिया.....उसने मेरी ठुड्डी पकड़ उपर उठाई....मेरी आँखे गुलाबी हो चुकी थी.....मैने भाई को दोनो हाथो से धकेला....भाई थोड़ा पीछे हटा....


हाए !!! जाने दो.....भाई मुस्कुराने लगा....एक पल मुझे देखा फिर अपने गाल को मेरी तरफ बढ़ा.....एक बार बस....वो मुझे चूमने के लिए कह रहा था....मैं एक पल को उसको देखती रही फिर हल्के से मुकुराते हुए उसकी गाल को अपने रस भरे होंठों से छुआ और उसको धकेलते हुए कोने से भाग निकली.....वो फिर मेरे पीछे लपका.....ज़ुबान निकाल कर दिखा दिया....और अपने कमरे में घुस गई....भाई हँसता हुआ बाहर ही रुक गया.....बिस्तर पर लेट अपने धड़कते दिल को काबू में किया.....आज भाई ने काफ़ी दिलेरी दिखाई और मैने भी मुसस्सल उसका साथ दिया.....चूत गीली गई थी.....ऐसे ही शरमाते शरमाते एक दिन चुद भी जाउंगी....फिलहाल तो चूत के पिस्ते को मसल अपनी बेकरारी थोड़ा कम कर लू.....

सुबह उठी....तभी अम्मी का फोन आ गया....नया फरमान....कोई रहमान साहिब थे....विलायत जा रहे थे तीन साल के लिए....अपना फ्लॅट हमारे हवाले करना चाहते थे....भाई फ्लॅट की चाभी ले उनको उन्ही की गाडी से एरपोर्ट छोड़ कर वापस आया....तका मंदा.....हमे शिफ्ट करना होगा....मुझे बड़ा गुस्सा आया...ये साली अम्मी कोई ना कोई बखेरा खड़ा करती रहती है.....रात में ही सारा सामान इकठ्ठा किया....फर्निचर तो मकान मलिक का था....अहले सुबह रहमान साहिब की गाडी में अपने कपडे लत्ते और आलतू फालतू सामान डाल उनके घर की ओर नीकल लिए....शहर से थोड़ा दूर था....मगर जब फ्लॅट पर पहुचि सारा गुस्सा निकल गया....अल्लाह...क्या खूबसूरत फ्लॅट था.....दो कमरे....एक ड्रॉयिंग रूम....शानदार फर्निचर....तभी वो किराए पर नही देना चाहता था....जल्दी से सामान जमाया.....ड्रॉयिंग रूम में खूबसूरत कालीन और सोफा....बड़ा सा LCD टीवी....मज़ा आ गया....अभी तक कुँवारा था ये रहमान साहिब पर....शौकीन था.....ज़रूर अम्मी का यार होगा.....कहती है अब्बा के दोस्त है....मगर साली ने अपने हुस्न का जादू चला कर पटा रखा होगा....तभी.....गाडी भी मिल गई....भाई तो बल्लियों उछल रहा था.....



शाम तक सब-कुछ सहेज लिया हमने....आराम भी कर लिया....फिर भाई तैयार होने लगा....मुझे देखते बोला....आज कार से चलते है....मैने हँसते हुए पुछा ...कहा...बस ऐसे चलते है ना....मैं भी तैयार हो गई....जीन्स और खूबसूरत सा टॉप.....भाई ने मुस्कुरा दिया....आज सही ड्रेस पहनी है डिस्को में जाने लायक....मैने भी शोख अदा से मुस्कुराते हुए कहा तो फिर चलो....भाई पास कमर में हाथ डाल अपनी तरफ खींचता बोला....अब श
रम नही आ रही....नही...आपने बेशरम जो बना दिया.....फिर गर्लफ्रेंड बन ना पड़ेगा ....



एक बार तो बन चुकी हू....अब सौ बार बनउगी तब भी क्या फ़र्क पड़ेगा ... हाए !!!....क्या बात है कहते हुए भाई ने गाल चूम लिया...मैने उसको पीछे धकेला.....पर उसने हाथ नही छोड़ा...हम नीचे उतर कार में बैठ चल दिए....कोई पर्मनेंट गर्लफ्रेंड ढूंढ लो भाईजान....क्यों....रोज रोज बहन को गर्लफ्रेंड बना कर डिस्को ले जाओगे....ज़रूरत नही....ऐसा क्यों.....अब तू जो मिल गई है....वही तो कह रही हू कब तक बहन को गर्लफ्रेंड...तेरा कोई बाय्फ्रेंड है क्या....हट मैं ऐसे शोक नही पालती....तो बस हो गया ना....तू मेरी गर्लफ्रेंड....मैं तेरा बाय्फ्रेंड....धत ! कैसी बाते करते हो....बेहन-भाई कभी....



 अपनी सहेली को भूल गई क्या.......वो तो कमिनी है.....अरे आजकल बहुत लोग ऐसे है....झूठे ....मैं तो किसी को नही.....तू नही जानती ना....मैं बता ता हू....मेरी क्लासमेट सुल्ताना....पहले मेरे साथ दोस्ती थी....बाद में मुझे कूड़े में डाल...अपने भाई के साथ.. हाए !!! नही… तुम बाते बना...अरे सच कह रहा हू...मेरा दोस्त उसके परोस में रहता है...उसको कैसे पता....उसका खुद अपनी बेहन के साथ...उसकी बेहन ने बताए....हटिए भी भाईजान...आप और आपके दोस्त सब एक जैसे....हम इसी तरह की बाते करते-करते डिस्को पहुच गये...डांस फ्लोर पर....फास्ट म्यूज़िक पर...

खूब मस्त हो कर डांस किया....फिर स्लो म्यूज़िक....इस बार भाई ने हल्की रोशनी का पूरा फायदा उठाया....कस लिया मुझे अपनी बाहों में....मैं बिना ना नुकुर....उसकी बाहों में अपनी कमर उसके कमर से सताए....भाई मेरी कमर को सहलाता हुआ.....मेरी चूतड़ों पर भी हाथ फेर रहा था....मैने उसके कंधे पर अपना सर रख दिया.....हम दोनो के दिल तेज़ी से धड़क रहे थे....मेरी चूचियाँ उसकी छाती से सती हुई.....चूचियों के निपल खड़े हो मेरी बेकरारी बढ़ा रहे थे.....आज मैं भी पूरा छूट देना चाहती थी....देखती हू भाई कहा तक आगे बढ़ता है.....रगड़ ले भाई....सीने को.....खेल ले मेरी चूतड़ों से....बहुत देर तक डांस करने के बाद....खाना खा कर वापस लौट रहे थे हम.....आपस में बाते करते हसी मज़ाक करते....मेरे हाथ में आइस-क्रीम थी....भाई कार चला रहा था....गियर बदलते समय एक दो बार मेरी जाँघो से उसका हाथ छू जाता....मैने कुछ नही बोला....गियर से हाथ सरका मेरी रानों पर रखा... हाए !!! आइस-क्रीम नही खिलाएगी....आप अपने लिए क्यों नही लेते....हमेशा मेरी आइस-क्रीम में से....भाई मुस्कुराता हुआ बोला....तेरी ज्यादा मीठी होती है...वो कैसे...अपने होंठों पर ज़ुबान फेरते कहा....तेरी मीठी ज़ुबान जो छू लेती है....धत !....लो....थोड़ा ...चाट....गाल लाल करते मुस्कुराते मैने कहा....भाई मेरी तरफ देखता बोला....ऐसे नही...फिर कैसे...तभी उसने ब्रेक लगा दिया.....



हम शहरी इलाक़े से दूर आ चुके थे....गाडी सरक किनारे साइड में लगा...मैने सवालीया निगाहों से देखा....उसने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ हाथ बाध्या...मैं चौकी...क्या....पर तब तक....भाई ने अपनी उंगली से मेरे होंठों के किनारे पर लगे आइस-क्रीम को पोच्च लिया....वापस अपने होंठों के पास ले जा ज़ुबान निकाल चाट लिया...मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुराने लगा....मैं शर्म से लाल हो गई....उफ़ !!!....आप भी ना भाई...ये क्या हरकत है....बहुत मीठी थी शैतानी से मुस्कुराते बोला....धत !....कहते हुए मैं शरमाई....आई रबिया....


 मेरी रानों पर हाथ रखता बोला....क्या...ज़रा पास आ...भाई थोड़ा आगे खिसका....मेरी आँखो में झकते सरगोशी करते बोला....मेरी गर्लफ्रेंड बनेगी.....मैं शरमाते हुए.....हल्की मुस्कुराहट के साथ उसकी आँखो में देखती बोली....वैसे कौन सी कसर बाकी है....सारे गर्लफ्रेंड वाले काम तो करवा लिया....बहन से गर्लफ्रेंड बना....अभी भी बहुत कुछ बाकी है... हाए !!! और क्या बाकी है अब....भाई ने मेरा हाथ पकड़ लिया....आइस-क्रीम खाना बाकी है....मैने बचा हुआ आइस-क्रीम उसकी ओर बाध्या....ऐसे नही....फिर कैसे....



वो अपने होंठों पर जीभ फेरने लगा... हाए !!! रब्बा क्या इरादा है....मेरे हाथो को पकड़ अपनी ओर खींच सटा लिया मुझे अपने आप से....छाती से मेरी चूंची ....चेहरा, चेहरे के सामने....गर्दन पीछे करते मैने कहा.... हाए !!! छोड़ो .....वो मेरी आँखो में झाँक रहा था....मैं उसकी आँखो में....हम दोनो के होंठ एकदम पास.....वो सरगोशी करते बोला....दे ना...बस एक....नही.. हाए !!! प्लीज़....मैने होंठों को गोल करके कहा.... नहीं छोड़ो .....हालांकि मेरे होंठ कह रहे थे....गोल कर दिया है दबोच लो.....और उसने दबोच लिया....उसके होंठ मजबूती से मेरे होंठों से चिपक गये....मैने हल्का सा धकेलने की कोशिश की....मेरे रसीले होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसना शुरू कर दिया था उसने.....
पहला मौका था किसी लड़के ने मेरे होंठों को चूसा था....इतने वक़्त से सम्भहाल कर रखा था....अपने भाई को चूसा रही थी...मदहोश हो गई....मेरे झूठा नाटक ख़तम हो गया था....मेरे हाथ अपने आप भाई के सिर के पीछे चले गये....वो बेतहाशा मेरे होंठों को चुँलाते हुए अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसा रहा था....मैने भी अपने होंठ खोल उसकी ज़ुबान को रास्ता दे दिया....हमारे होंठ और ज़ुबान एक दूसरे से सरगोशी कर रहे थे....मेरा दिल की धरकन बढ़ चुकी थी.....पैर काप रहे थे....जाँघो को भीच रखा था....चूंची उसकी छाती से दबी मसली जा रही थी...

उफफफफ्फ़......रब्बा....तकरीबन दो-तीन मिनिट तक भाई मेरे होंठों को चूमता चूसता रहा....जब अलग हुआ....मैं ही करते....पीछे हट गई....अपने होंठों को हथेली से पोंछती ...थोड़ी नाराज़गी लिए भाई को देखा... हाए !!! बेशरम....कल रात भी....क्या कल रात....कल रात में भी आपने....चू...चूम लिया था....अच्छा नही लगा क्या... हाए !!!....धत !...मैं तुम्हारी बहन ....बहन भी और गर्लफ्रेंड भी....नही...क्यों अभी तो कह रही थी....मैने गर्लफ्रेंड बना लिया है....हा सही है...आपने तो मुझे वाक़ई गर्लफ्रेंड बना लिया है.....मज़ा आ गया आइस-क्रीम खा कर....ऐसी आइस-क्रीम मिले तो हर रोज....मैं हल्के से मुस्कुरा दी.....और उसको जीभ दिखा दिया....वो हँसने लगा....घर चलने का इरादा नही है क्या....एक बार और....बदतमीज़....बेगैरत... हाए !!!....कैसा भाई है...उफ़ !!!....बेहन को गर्लफ्रेंड बना....भाई ने गाडी स्टार्ट कर दी....रात काफ़ी हो चुकी थी....मज़ा तो आया था....मगर सोचा अब ज़्यादा लिफ्ट नही दूँगी....जिस दिन चूंची पर हाथ लगा देगा उसके अगले दिन....इसको चूत मिल जाएगी....ज़यादा इंतेज़ार नही करना पड़ा.....
अगले दिन डिस्को की जगह फिर से समंदर किनारे ले गया भाई.....एक दम नई जगह थी.....चारो तरफ पत्थर और चट्टाने.....जगह जगह लड़के लड़कियां बैठे थे.....चट्टानो की ओट ले कर.....शाम का अंधेरा हो चुका था....ज्यादा कुछ पता नही चल रहा था....हम भी एक जगह बैठ गये....मैं पोटाटो चिप्स खाते इधर उधर देख रही थी.....आज मैने स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था.....भाई मुझे बैठा पानी लाने चला गया.....मैं खड़ी हो कर गौर से देखने लगी... हाए !!! रब्बा....ये क्या खुल्लम खुल्ला....मैं शर्म से लाल हो गई....लड़के लड़की आपस में एक-दूसरे की बाहों में लिपटे चिपटे .....एक दूसरे को चूम चाट रहे थे....


 मैं तो सनसना गई....खुले आम दुपट्टे के नीचे हाथ छुपा कर लड़कियां अपनी चूंची दबवा रही थी.....लड़के अपनी गोद में रुमाल रख कर मूठ मरवा रहे थे....तभी भाई वापस लौटा....उसके एक हाथ में आइस-क्रीम और दूसरे में पानी की बॉटल थी....आइस-क्रीम मुझा थमा दिया...मैने धीरे से कहा... हाए !!! भाई चलो....क्यों क्या हुआ....चेहरे को शर्म की लाली से भरते हुए कहा....कैसी जगह है...नही बैठना यहा.....पर हुआ क्या...देखो खुले आम सब आपस में.. हाए !!! मुझे तो शर्म आ रही है......क्या देखु....दिख नही रहा...कैसे सब चूम....चा......उफफफ्फ़ देखो उधर...मैने एक तरफ इशारा करते हुए दिखया...एक लड़की आराम से अपनी समीज़ के अंदर हाथ घुस्वाए मसलवा रही थी... हाए !!!...भाई...कितने बेशरम है सब...


अब आए है तो थोड़ी बैठ ते है ना....प्लीज़.....क्या प्लीज़....और आप क्या देख रहे हो ऐसे आँखे फाड़ के.....मैने हल्का सा हँसते हुए कहा....एक लड़का एक लड़की की चूमि लेते उसकी चूंची पर हाथ फेर रहा था....शर्म नही आती... हाए !!! रब्बा कितनी गंदी जगह है....अच्छा..मत देख पर थोड़ी देर तो बैठ जा.....मेरे कंधे को पकड़ बैठने की कोशिश करता हँसते हुए बोला....मैं थोड़ा नाटक करने के बाद बैठ गई....भाई हंस रहा था...मैने उसके कंधे पर एक मुक्का मारा....हसो मत.....बहुत बेशरम हो गये हो आप.....और मुझे भी...मैने आइस-क्रीम खाना शुरू कर दिया.....एक पत्थर पर बैठी थी....भाई बार बार कनखियों से मेरी उभरी हुइ चूंचीयों को घूर रहा रहा था......तभी हवा का एक तेज झोका आया....पता नही कैसे मेरी स्कर्ट को उठा मेरी रानों को नंगा कर दिया...

मेरी गोरी चिकनी राणे शाम के हल्के अंधेरे में....देखा भाई मेरी तरफ देख रहा था.....मैने अपनी स्कर्ट ठीक करते हुए शरमाई......वो मुझे लगातार देख रहा था.....क्या है....भाई थोड़ा झेप गया....और सामने देखने लगा....लड़की अपने होंठों के बीच दबा...चिप्स खिला रही थी अपने यार को......भाई एक तक देख रहा था.....मैने सरगोशी करते हुए पूछा....आइस-क्रीम खानी है.....मुस्कुराते हुए देखने लगा...तू खिला दे....मैने हँसते हुए उसकी तरफ आइस-क्रीम बढ़ा दिया....ऐसे नही.....फिर कैसे.....सामने देख....मैं हँसने लगी...छी बेशरम...यही करने यहाँ लाए हो.....मैने उसकी बाँह पर चिकोटी कटी.... और आइस-क्रीम का एक बड़ा सा टुकड़ा काट अपने होंठों के बीच दबा लिया....और उसकी ओर देखने लगी.....भाई के लिए इशारा काफ़ी था...


आगे बढ़ मेरे होंठों से अपने होंठों को ज़ोर दिया उसने.....मेरे होंठों को अपने होंठों में दबोच लिया....मैं कसमसाई..उफ़ !!!....बेतहासा चूसने लगा....होंठ की बीच की आइस-क्रीम होंठों की गर्मी में कब की पिघल चुकी थी....अब तो बस हम दोनो के होंठों के बीच की गर्मी बची थी....उसके मुँह से लार निकल मेरे होंठों को गीला कर रही थी.....वो अपनी ज़ुबान मेरे मेरे होंठों के बीच गदर घुमा रहा था....तभी मुझे अहसास हुआ की मेरे सीने पर कुछ ......भाई का हाथ मेरे मम्मो के उपर था.....मेरे एक माममे को पकड़ सहला रहा था....वो अपने होंठों से मेरे होंठों को दबोचे मेरे सिर को एक हाथ से पकडे...दूसरे हाथ से मेरी चूंची को हल्के हल्के मसल रहा था हाथ फेर रहा था....पूरे सीने पर हाथ फिरआते....

दोनो चूंची को बड़ी बड़ी से हल्के हल्के दबा रहा था....मैं उसका हाथ हटाने की कोशिश कर रही थी....मगर मेरी कोशिश नकली थी....क्योंकि मैं हटाने की जगह उसके हाथो को अपनी चूंचीयों पर दबा रही थी.....मैं चाह रही थी की वो और ज़ोर से मसले.....मुझे जिंदगी में पहली बार अपनी गुन्दाज़ गोलाइयों को मसलवाने का मौका मिला था.....मज़ा आ रहा था...मुँह से गुगीयाने की आवाज़ निकल रही थी....पर ये मेरी सिसकारियाँ थी.....नीचे की सहेली गुदगुदी से भर चुकी थी....मैं भाई को मन ही मन गलियाँ दे रही थी.... हाए !!! मसल साले ...मसल ना भोसड़ी के....तेरी बहन की चूंची है....बहुत तड़पीं है...ये करारी चूंचीयाँ....ज़ोर से मसल डरता क्यों है.....कोई तेरे उपर ज़बरदस्ती का मुक़ादम नही करने जा रहा.....मगर साला गांडू .... डर डर के हल्के हल्के मसल.....जाँघो के बीच की सहेली को आग से भर .....मुझे छोड़ा तो मैं.. हाए !!! अल्लाह करती.....हाथो की कैंची बना अपने टॉप के उपर रख अपनी चूंचीयों को धक लिया...

ओह भाई....उसकी तरफ देखा....भाई मुस्कुरा रहा था...एक बेशर्म मुस्कुराहट उसके चेहरे पर खेल रही थी.... मेरा सीना धक-धक कर रहा था....मैने नज़रे झुका ली....भाई सरक कर मेरे पास आ गया...उसने फिर से मुझे बाहों में भर लिया....मैं निकालने की कोशिश की...उउउ...छोड़ो .... हाए !!! रबिया....अच्छा नही लगा....ओह भाई तुम बहुत गंदे हो....तुमने मेरे मम्म....छी...गंदे....बहन के साथ ऐसा करते....भाई मुस्कुराते हुए बोला.....गर्लफ्रेंड के साथ....मैं उसकी छाती पर मुक्का मारती बोली....हट बदमाश.....गर्लफ्रेंड-गर्लफ्रेंड बोल-बोल के सब कुछ कर लेना....सब कुछ करने देगी....वैसे सब-कुछ का मतलब जानती है....धत !....मैने शर्मा कर उसकी छाती में मुँह छुपा लिया.....भाई ने मुझे और ज़ोर से बाहों में कस लिया....हम कुछ पल तक वैसे ही बैठे रहे.....भाई मेरी बाहों को सहला रहा था....तभी बारिश की बूंदे गिरने लगी.....मैं धीरे से बोली....बारिश आएगी.....घर चले.....भाई ने मेरी आँखो में देखा....ठीक है चल....पर खाना....घर पर ही...






















    

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