Thursday, December 26, 2013

मेरी मस्त दीदी--6

मेरी मस्त दीदी--6

ऊपर जाकर मैंने रज़िया के कमरे के दरवाजे पर नॉक करने को हाथ रक्खा लेकिन वह हल्के से धक्के से ही अपने आप खुल गया।मैंने अन्दर जा कर देखा तो ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे रह गयी।रज़िया बेड पर करवट से एक टांग पेट की तरफ मोड़े हुए लेटी सो रही थी , इस पोजीशन में उसकी स्कर्ट पलट के कमर से जा लगी थी।रज़िया की चड्डी उसकी चूत से कसके चिपकी हुयी थी।  स्कर्ट के नीचे से जांघ तो जांघ , उसकी गहरे नीले रंग की चड्डी के साथ साथ उसकी चूत की मस्त संतरे जैसी फांके क्लियर नज़र आ रहीं थीं। उसके दूधिया तरबूज जैसे चूतड़ देख कर मेरा लंड टाइट होने लगा और  मेरा दिल उसकी उस वक़्त इन संतरे की फांकों जैसी चूत को चूमने को मचल उठा। किसी तरह अपने दिल को काबू में करके मैंने उसे धीरे से आवाज़ दी लेकिन वह उसी तरह पडी सोती रही तो मै आगे बढ़ कर उसके पास बेड पर जाकर बैठ गया और धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखकर उसको हिलाते हुए कहा , " रज़िया ! उठ जा , देख बहुत समय हो गया है "
" ऊँ ऊँ ऊँ ......... अभी मुझे और सोना है , पूरी रात तो पढाई करी है " वह सोते में ही कुनमुनाई और अपने हाथ ऊपर की तरफ फैलाते हुए उसी पोजीशन में सीधी लेट गयी , उसका एक पैर का तलवा  उसकी दूसरी जांघ से लगा हुआ बेड पर था कुल मिला कर उसके पैरों की पोजीशन कुछ ।> इस प्रकार थी। ये सब देख कर मेरे ऊपर तो बिजली ही गिर पडी। इस पोजीशन में उसकी अब हर चीज़ कपड़ों के ऊपर से भी क्लियर नज़र आ रही थी। उसके केले के पेड़ के तने जैसी चिकनी और दूधिया जांघे देख कर मेरा लंड गनगना उठा। अब मुझे कंट्रोल करना असंभव लग रहा था। मैंने धीरे से उसकी स्कर्ट बिलकुल बिल्कुल उठा कर उसके पेट पर रख दी। अब उसकी पाव रोटी की तरह फूली हुयी चूत पूरी तौर से मेरी नज़रों के सामने थी। मै उसकी चूत को चूमने के लिए नीचे झुका तो मेरी निगाह दोनों फांकों के बीच के बड़े से धब्बे पर टिक गयी जो शायद उसके चूतरस से बना था। मैंने उसी धब्बे के ऊपर दोनों फांकों के बीच अपनी नाक घुसा गहरी सी सांस लेकर देखा तो चूतरस की मस्त खुशबू से मेरा लंड उसकी चूत में जाने को बेताब होकर फनफनाने लगा। मेरी इच्छा उसकी चड्डी को एक साइड करके उसकी चूत में लंड पेलने की हो रही थी। मैंने धीरे से उठ कर उसकी मस्त सीधी खडी पर्वत चोटियों पर हाथ रख कर उसे फिर से हिलाकर कहा ," रज़िया ! मेरी प्यारी बहन , अब उठ जा ... देख तो कितना सवेरा चढ़ आया है " जबकि मै मन ही मन ऊपर वाले से दुआ कर रहा था कि वह और गहरी नींद में सो जाये और मै उसकी चूत में अपना लंड ठांस कर अपना गरमागरम पानी निकाल सकूं। वो थोडा सा कुनमुना कर फिर सो गयी। अब मै धीरे से उसके पास ही बगल में लेट गया और अपना लंड पेण्ट की चेन खोल कर आज़ाद कर दिया। अब मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसके पेट पर रख कर अपने को उससे चिपका लिया।अब मेरा लंड उसकी चिकनी जांघ से रगड़ रहा था और  मै ये पूरी तरह से समझ चुका था कि रज़िया बहुत ही गहरी नींद सोती है। अब मैंने धीरे से उसका टॉप उठा कर उसकी गर्दन तक खींच दिया। उसकी बड़ी बड़ी नागपुरी संतरे जैसी दूधिया चूचियां काले रंग की ब्रा को फाड़ कर जैसे बाहर आने को उतावली थीं। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया। मेरा लंड रज़िया की चूत में घुसने को बुरी तरह से टन्ना रहा था। मुझ पर भी भयंकर रूप से वासना का भूत सवार हो चुका था। मैं धीरे से उसकी चूत को चड्डी के ऊपर से सहलाते हुए मज़े ले रहा था तभी मुझे दरवाजे पर दीदी दिखाई दी। उन्होंने गुस्से से हाथ से इशारा करके मुझे बुलाया। मरता क्या न करता , मै रज़िया के टॉप को नीचे करके बेड से उठ खड़ा हुआ। मेरी हालत ठीक वैसी ही हो रही थी जैसे बरसों से भूखे इन्सान के आगे से कोई भोजन की थाली उठा ले। मैंने भुनभुनाते हुए दीदी से आकर पूछा ," क्या है ? क्यूं बुलाया मुझे , थोड़ी देर बाद ही बुला लेती।
" पहले ये अपना लंड अन्दर कर और नीचे चल , इस अपने लंड को देखा है बिल्कुल मूसल के माफिक खड़ा है और उसकी चूत देख ...... झेल पायेगी ? जब मेरी यह हालत है कि चूत अभी तक सूज के पकोड़ा रक्खी है , ठीक से चला भी नहीं जा रहा तो रज़िया तो मर ही जायेगी " दीदी मुझे नीचे खींचते हुए बोली
लेकिन मेरा लंड कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। मैं सीढ़ियों पर ही दीदी को कस के चिपकाते हुए उनके होठों को चूसते लगा व मेरा एक हाथ उनकी गांड को तो दूसरा उनकी चूचियों को मसल रहा था। थोड़ा सा ऊँ ऊँ करने के बाद दीदी भी मेरी जीभ को लोलीपोप की तरह चूसती हुई लंड को पकड़ कर उसकी खाल को आगे पीछे करने लगीं।

​ " देख देख ! तेरा लंड कैसे फनफना रहा है , जबकि रात में ही चोद चोद कर मेरी चूत का कबाड़ा किया है और अभी नौ बजे ही फिर से चोदने को फड़फड़ाने लगा। मेरी चूत तो अभी तक सूजी हुई दर्द कर रही है " दीदी मेरे लंड की खाल को कस कस के आगे पीछे करती हुई बोली। हालांकि मैंने सुबह ही उनको तीन टेबलेट जिनमे दो दर्द व सूज़न दोनों के लिये व एक एंटीबायोटिक दे दीं थीं परन्तु दवा को भी तो असर होने के लिए वक़्त चाहिए था शायद यही कारण था कि दीदी की चूत अभी भी कसक रही थी।

" देखो दीदी ! चूंकि रज़िया ने हम दोनों को चुदाई करते हुए देख लिया है इसलिए अब उसका चुदना बहुत ज़रूरी है वरना अगर कल उसने मामू या मामी को सारी बातें बता दीं तो आप अंदाज़ा लगा सकतीं है कि हम लोगों का क्या हाल होगा , इसीलिए मैं उसकी चूत को चोदने की सुबह से ही ज़ुगत लगा रहा था और शायद मैं कामयाब भी हो जाता लेकिन आपने सब गड़बड़ कर दी। दीदी ! चूत कितनी भी देखने में छोटी लगे , वह बड़े से बड़े लंड को अपने में समाने की ताक़त रखती है। हाँ जब पहली बार चुदती है तो थोड़ा सील टूटने पर दर्द ज़रूर होता है लेकिन वह दर्द चुदाई के मज़े के आगे कुछ नहीं होता , अभी बारह घंटे भी तो नहीं हुये है तुम्हारी चुदाई किये हुये और तुम इतना जल्दी सब भूल गयीं ? " मैंने दीदी को समझाने की कोशिश करते हुए कहा
" ठीक है मुन्ना ! लेकिन उसे ज़रा आहिस्ते से चोदना , मेरी तरह उसकी चूत को भी फाड़ के मत रख देना " दीदी ने डरते हुए कहा
" तुम बस बाहर का ध्यान रखना अन्दर कमरे में मैं अकेला ही रजिया को संभाल लूँगा "
फिर हम दोनों उसी पोजीशन में एक दूसरे के नाज़ुक अंगों को छेड़ते हुए नीचे की तरफ बढ़ने लगे। नीचे पहुंचते पहुंचते हम लोग सिर्फ अंडर गारमेंट्स में थे। तभी दीदी ने उचक कर मेरे होठों को अपनी जीभ से चाटने लगी। मैंने उनकी पीठ पर अपने हाथों को लेजा कर ब्रा के हुक खोल दिए जिससे उनके दोनों दूधिया कबूतर अपने पंख फडफडा कर आज़ाद हो गये। फिर थोड़ा सा झुक कर मैंने उनके तने हुए गुलाबी निप्पलों को बारी बारी चूसते हुए चुभलाना शुरू कर दिया , मैंने दोनों हाथों से कस कर उनकी मांसल गांड को पकड़ कर अपने से चिपका लिया जिससे मेरा झटके लेता हुआ लंड भी दीदी की चड्डी के ऊपर से ही उनकी चूत को चूमने लगा। मैं अपने होठों को दीदी से चुसवाता हुआ उनकी चड्डी में अन्दर हाथ डाल कर उनकी गांड को मसले जा रहा था। दीदी की चड्डी भी नीचे की तरफ उनके चूतरस से पूरी तरह भींग चुकी थी।
मुझसे अब बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था लेकिन मुझको पता था कि उनकी चूत भले ही पनीली हो रही हो परन्तु वह अभी चुदने की कन्डीशन में नहीं थी और अगर गलती से भी मेरा लंड उनकी चूत में घुस गया तो उसको भोसड़ा बनने में वक़्त नहीं लगेगा सो मैंने दीदी को उठा कर पीठ के बल बेड पर पटक कर एक झटके में उनकी चड्डी उतार कर फ़ेंक दी। दीदी की क्लीन शेव्ड चिकनी चूत रात की ज़बरदस्त चुदाई की वजह से अभी भी अच्छी खासी सूजी रखी थी फिर भी दीदी की चूत में सुबह की अपेक्षा बहुत आराम था। मैंने बड़ी ही फुर्ती से अपने कपड़े उतार कर फेंकते हुए दीदी को अपने नीचे दबोचे लिया। मैं उनके होंठो के रस को चूसते हुए दोनों हाथों से चूचियों को इस तरह मसल रहा था जैसे रोटी बनाने के लिए लेडीज़ आटे को मसलतीं है। मेरे लंड को भी उनकी चूत की खुशबू शायद लग गयी थी सो वह भी थोड़ा इधर उधर मुंह मार कर अब ठिकाने पर पहुँच कर बुरी तरह झटके खाने लगा था लेकिन मैं चूत की हालत की वजह से अपने ऊपर कंट्रोल रखे था। मैंने बेड पर घुटनों के बल बैठ कर दीदी के होठों पर लंड का सुपाड़ा टिका के एक झटके में आधे से ज्यादा लंड उनके मुंह में ठांस दिया।
ऑक . क . क .... की आवाज़ के साथ दीदी ने फुर्ती से लंड बाहर खींचने के बाद सटासट चूसना शुरू कर दिया। मैं एक हाथ से उनके सिर को पकडे हुये दूसरे हाथ से उनकी चूचियों को बारी बारी मसल रहा था। दीदी एक हाथ से मेरा लंड थामे चूस रहीं था और दूसरे हाथ से भकाभक अपनी चूत में उँगली कर रहीं थीं। मज़े की मस्ती में मेरी व दीदी दोनों की ही आँखे बंद हो चुकीं थीं। इसी पोजीशन में थोड़ी देर के बाद मेरे लंड ने गाढे गाढे वीर्य की पिचकारी दीदी के मुंह में चला दी। दीदी भी शायद झड चुकीं थीं क्योंकि अब वह दोनों हाथो से पकड़ कर मेरे लंड को चाट चाट कर साफ़ कर रहीं थी।अब हम दोनों नंगे बेड पर पड़े अपनी साँसे दुरुस्त कर रहे थे  लेकिन मेरा लंड झड़ने के बाद भी सीधा खडा रह रह कर झटके ले रहा था , उसका सुपाड़ा एक छोटे टमाटर की तरह सुर्ख लाल हो रहा था जैसे चोद ना पाने के गुस्से से अपना चेहरा लाल करके मुझे घूर रहा था। दीदी अभी तक आँखे बंद किये पडीं गहरी गहरी साँसे ले रहीं थी। हाँलांकि पूरी रात सो न पाने और ऊपर से इतनी मेहनत की थकान के कारण मेरी भी आँखे बंद हो रहीं थीं लेकिन मेरे पास रजिया को चोदने का सिर्फ आज का ही वक़्त था , कल तो सबको अस्पताल से आ ही जाना था। और फिर पता नहीं चुदने के बाद रजिया की क्या हालत होती , मुझे यह भी तो देखना था सो मैंने फटाफट उठ कर अपने कपडे पहने और दीदी को उसी हालत में नीचे छोड़ कर मैं फिर ऊपर रज़िया के कमरे की तरफ चल दिया।  लेकिन मेरा लंड झड़ने के बाद भी सीधा खडा रह रह कर झटके ले रहा था , उसका सुपाड़ा एक छोटे टमाटर की तरह सुर्ख लाल हो रहा था जैसे चोद ना पाने के गुस्से से अपना चेहरा लाल करके मुझे घूर रहा था। दीदी अभी तक आँखे बंद किये पडीं गहरी गहरी साँसे ले रहीं थी। हाँलांकि पूरी रात सो न पाने और ऊपर से इतनी मेहनत की थकान के कारण मेरी भी आँखे बंद हो रहीं थीं लेकिन मेरे पास रजिया को चोदने का सिर्फ आज का ही वक़्त था , कल तो सबको अस्पताल से आ ही जाना था। और फिर पता नहीं चुदने के बाद रजिया की क्या हालत होती , मुझे यह भी तो देखना था सो मैंने फटाफट उठ कर अपने कपडे पहने और दीदी को उसी हालत में नीचे छोड़ कर मैं फिर ऊपर रज़िया के कमरे की तरफ चल दिया।
 

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