Saturday, December 21, 2013

गुपचुप कहानियाँ- राबिया का बेहेनचोद भाई--9

Lovers-point गुपचुप कहानियाँ-

 राबिया का बेहेनचोद भाई--9
. फिर मैने कॉलेज से जल्दी आ कर बाथरूम के दरवाजे में एक छ्होटा सा दरार खोज लिया.....अगले दिन बाथरूम में घुस कर नंगी होकर....भाई को याद कर मूठ मारते हुए अपनी दो उंगलियों को अपनी बुर में पेल दिया......चूत जब बहुत पनिया गई और पसिजने लगी......मैने अपनी सुर्ख लाल रंग की चड्डी की म्यानी को अपनी चूत के उपर रगड़ कर अपनी चूत का सारा पानी उस पर लगा दिया.....


फिर नहा कर अपने कपडे खूंटी पर टाँग कर बाहर निकल गई.....थोड़ी देर बाद भाई बाथरूम में घुसा.....दरवाजा बंद होते ही मैं झटपट दरवाजे के दरार के पास झुक कर खड़ी हो गई.....अंदर भाई सारे कपडे उतार कर नंगा खड़ा था..... चौड़ा चिकना सीना.....मजबूत बाहें ... हाए !!! अगर जकड़ ले तो पीस डालेगा मेरे नाज़ुक बदन को.....सख्त चूतड़.....मोटी जांघें ....उईईइ.... हाए !!! रब्बा क्या मस्त नज़ारा था...खाली चेहरे से मासूम नज़र आता था.....पूरा हट्टटा कट्टा मर्द था भाई.....




हाए !!! जाँघो के बीच पेट के नीचे काली झांटें...ज्यादा नही थी...फिर भी....काले झांटों के बीच छोटे चीनी केले जैसा उसका काला लंड अपने गुलाबी सुपाड़े के साथ... हाए !!! क्या नज़ारा था......मारजवा....जिंदगी में पहली बार.....उईईइ....कितना हसीन लग रहा था.....काले लंड के उपर गुलाबी सुपाड़ा.....मैने तस्वीरो में लड़कों का सोया लंड नही देखा....जब भी देखा खड़ा लंड ही देखा था.....पर भाई का सोया हुआ हथियार... हाए !!! रब्बा बड़ा प्यारा क्यूट सा लग रहा था....गुलाबी सुपाड़ा एक चॉक्लेट के जैसा दिख रहा था......



भाई ने एक बार बाथरूम में चारो तरफ नज़र घुमाई....फिर अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए धीरे से चड्डी की तरफ हाथ बढ़ाया......मैं उपर से नीचे तक सनसना गई.... हाए !!! मेरी अम्मी....सीईईई.....उकसा लाड़ला बेटा उसकी बेटी की चड्डी के साथ कुछ करने वाला था.....मैं दम साधे देख रही थी....भाई ने धीरे से मेरी चड्डी और ब्रा को उतरा.....फिर मेरी ब्रा अपने हाथ में ले कर दो-तीन बार चूमा.....


छाती पर बाहों पर जाँघो पर हर जगह फिरया जैसे ब्रा से अपने बदन को रगड़ रहा है.....मैं देख रही थी....अपने हाथो से अपनी चूंचीयाँ सहलाने लगी.... साला सोच रहा होगा मेरी चूंचीयों के बारे में....सोच रहा होगा उसके पूरे बदन से मेरी चूंचीया .....घिस रही है... हाए !!! उसका लंड धीरे धीरे खड़ा हो रहा था.... हाए !!! मारजवा....अफ....पूरा खड़ा हो गया.... हाए !!! क्या मस्त लग रहा था भाई का खड़ा लौड़ा .....किसी सख़्त डंडे के जैसा.....खड़ा....लंबा और मोटा.....मेरी कलाई जितना मोटा होगा....ठीक से मेरे हाथ में भी नही आएगा......



हाए !!! सुपाड़ा देखते ही देखते फूल कर आलू जैसा हो गया.... मेरे मुँह में पानी आ गया.....गुलाबी सुपाड़ा चमक रहा था.....फूला हुआ.....आगे से थोड़ा सा नुकीला......फिर उसने ब्रा को अपने खड़े लंड पर फिराया और लंड के चारो तरफ लपेट दिया.....कितना हरामी था मेरा भाई.....फिर मेरी चड्डी अपने हाथो में ले कर अपने चेहरे के पास ले गया....



पैंटी की म्यानी को फैला कर उस पर लगे चूत के पानी को देखा जो अब तक सूखा नही था.....उसके होंठो पर मुस्कान फैल गई.....कुछ बुदबुडाया और फिर अपने होंठो को गीला कर म्यानी को नाक के पास ले जाकर सूंघने लगा.....अपनी सग़ी छोटी बहन की चड्डी को सूंघ रहा था भाई....बहन की चूत के ताजे पानी को सूंघ कर उसका लंड तेज़ी से उपर नीचे होने लगा......वो अपने दूसरे हाथ से मेरी ब्रा में लपेटे हुए अपने खड़े लंड को सहलाने लगा.....मुझे ज़रा भी अहसास नही था की भाई ऐसा भी करेगा.....



उसने अपनी जीभ को निकाल कर मेरी चड्डी की म्यानी पर रख दिया और चाटने लगा....मेरी चूत ने एक बूँद रस टपकाया....ऐसा लगा जैसे उसने मेरी चूत पर ज़ुबान रख दी.....चूत के पानी को चाटने में उसे घिंन नही आ रही थी.....वो कभी मेरी चड्डी को सूंघता कभी चाटने लगता और धीरे धीरे अपने लंड को सहलाता जाता.....भाईजान की इन हरकतों ने मुझे दीवाना कर दिया....दिल कर रहा था अंदर घुस जाऊं और सलवार उतार चूत उसके मुँह पर रख दूँ.....


चूत ऐसे कुलबुलाने लगी की अपनी सलवार उतार कर अपनी बुर में दो उंगली डाल लेने का दिल करने लगा.......पर जाँघो को भीच एक हाथ से अपने कबूतरो को मसालते हुए खुद को तस्सल्ली दिया.....और आगे का खेल देखने लगी....थोड़ी देर बाद उसने मेरी ब्रा को लंड पर से हटा कर फिर से खूंटी पर तंग दिया.....ऐसा क्यों किया उसने......खैर वो फिर से आँखे बंद कर मेरी पैंटी को अपने मूँह में पूरी तरह से भर कर चूस्टे हुए.....तेज़ी से अपना लंड मसलने लगा....  


लंड की चमरी को उपर नीचे खीचते हुए हिला रहा था..... भाईजान मेरी चड्डी को कुत्ते के जैसे सूंघ और चाट रहे थे.....उन्हे मेरी चूत मिल गई तो क्या करेंगे......चबा जाएँगे.....खा जाएँगे....उफ़फ्फ़ ये सब सोच सोच कर मेरी चूत पसिजने लगी थी...... मैं सलवार के उपर से अपनी चूत के अनार-दाने को रगड़ते हुए.....अपनी चूची को मसलने लगी....



भाई अब जोश मे आ चुका था....चड्डी को मुँह से बाहर निकाल नाक के उपर रख सूंघते हुए खूब ताक़त लगा कर लंड हिला रहा था.....अचानक एक झटके के साथ सुपाड़े से गाढ़ा सफेद पानी फूच से निकल कर सामने की दीवार पर जा गिरा....फिर तीन चार बार और फूच फूच कर सफेद पानी निकाला....पर उतनी ताक़त के साथ नही....नीचे ज़मीन पर गिर गया....मैने पहली बार किसी सचमुच के झरते हुए लंड को देखा था....



मेरी चूत ने रस टपकाना शुरू कर दिया.....भाई एकदम पसीने से तर-बतर हो चुका था......उसके पैर काँप रहे थे.......मेरा भी यही हाल था....थोड़ी देर भाई वैसे ही खड़ा हांफता रहा फिर....उसने मेरी पैंटी को खूंटी पर टाँग दिया......मग में पानी लेकर दीवार पर लगे सफेद पानी को सॉफ किया....ज़मीन पर गिरे पानी को भी सॉफ किया....



अब मेरी समझ में आ गया की उसने लंड पर से मेरी ब्रा को क्यों हटाया.....वो नही चाहता था की ब्रा पर उसके लंड का पानी लग जाए.....वैसे अगर लगा भी देता तो मैं बुरा नही मनती.....गाढ़ी मलाई का टेस्ट मुझे भी पता लगाना था.....झड़ने के बाद उसमे खड़े होने की ताक़त नही थी वही फर्श पर बैठ गया....मेरी चूत ने भी दो चार बूँद रस टपका दिया था.....



मैं जल्दी से वहा से हट गई....कमरे के दरवाजा बंद कर जल्दी से सलवार उतरा और अपनी गीली पैंटी को उतार कर अपनी फुद्दी को देखा.....मेरी गुलाबी सहेली का रंग सुर्ख लाल हो गया था.....टीट अभी भी अपनी चोंच उठाए खड़ी थी.....मैने जल्दी से अपनी चड्डी को लपेट कर बिस्तर के नीचे छुपा दिया......कल यही चड्डी बाथरूम में छोडूंगी....


फिर एक सॉफ चड्डी पहन ली....और अपने बैग को संभालने लगी....थोड़ी देर में भाई बाहर आया.....तौलिया आगे से थोड़ा सा अभी भी उभरा हुआ था....शायद.इतना तगड़ा मूठ मार कर भी भाई का ठंडा नही हुआ....मेरे होंठों पर मुस्कान फैल गई... हाए !!! साले भाईजान अभी तो चड्डी सूंघ कर इतना तगड़ा मूठ मारते हो....चूत दिखा दूँगी तो क्या करोगे.....साले को अब भाई से बहेँचोड़ बनाने में अब ज़यादा देर नही....



सॅटर्डे का दिन था शाम में भाई थोड़ी देर से घर आया.....मैने मुँह फुलाते हुए कहा इतनी देर क्यों लगा दी.....वो थोड़ा झिझकते हुए बोला वो वो....आज दोस्तो के साथ घूमने चला गया था......अच्छा खुद तो दिन भर घूमते रहते हो......मैं यहाँ बैठ कर इंतेज़ार कर रहि हुँ.....ये भी ख्याल नही है की बेहन घर पर अकेली बैठी होगी..... हाए !!! रब्बा आज आइस-क्रीम भी नही लाए.....अब मैने झूट मूठ का रोने का नाटक करने लगी.....अपनी आँखो में आँसू भर कर मुँह फूला लिया.....भाई एक दम से घबड़ा गया और.....और मेरे सामने आ कर मेरे चेहरे को अपनी हथेली में भर उपर उठा कर.....



मेरी आँखो में झँकते हुए बोला.....अरे रे....रो मत....चल आज तुझे घुमा देता....वही बाहर आइस-क्रीम भी खिला दूँगा......हा इतनी रात में घूमने ले जाओगे......आजतक तो कभी ले नही गये......एक आइस-क्रीम ला दिया बस.......अरी ये कोई छ्होटा शहर है क्या.....अभी नौ बजे है.....अभी तो यहाँ की नाइट लाइफ शुरू होती है.....चल आज तुझे दिखता हू.....कपडे बदल ले....प्लीज़ मेरे सामने अपना मुँह मत लटका......मेरी प्यारी बहना.....चल आज खाना भी बाहर ही खाएँगे....समंदर किनारे.....थोड़ा ना नुकुर करने के बाद मैं तैयार हो गई....


काले रंग की हाफ बाजू वाली टाइट T-shirt और टाइट जीन्स जिसको मैने शबनम के साथ जा कर ख़रीदा था में अपनी मोटी जांघें कस कर तैयार हो गई..... थोड़ा डर भी रही थी....फिर सोचा ये तो मेरी जाल में फसा हुआ खिलोना है......माना नही करेगा......भाई ने भी ड्रेस चेंज कर लिया.....बालो के लट को अपने चेहरे पर बिखड़ा कर होंठो पर सुर्ख गुलाबी रंग की लिपीसटिक लगा ली......भाई ने जब देखा तो देखता ही रह गया.....उसको ख्यालो से बाहर लाने के लिए मैने कहा....क्या भाई चलना नही है क्या....



भाई सकपका कर शरमाते हुए अपनी जीन्स को अड्जस्ट करता हुआ बोला.....ये जीन्स कब ख़रीदा .....मैं चुप रही.....इतनी देर में भाई पास आ चुका था और उपर से नीचे तक मुझे देख रहा था..... उसने फिर पुछा .......मैं अपने सुर्ख लबो को रस से भिगोती थोड़ा रुआंसा होने का नाटक करती उसके पास जा.... कान में सरगोशी करते बोली....भाई प्लीज़ दिल मत तोड़ना....शबनम के साथ ख़रीदा ....सभी पहनते है....मेरा भी दिल... हाए !!! भाई प्लीज़ हमेशा नही पहनउगी....



कहते हुए उसका कंधा पकड़ उसके उपर अपना सिर रख दिया.....मुझे इस बात का पहले से ही पता था की वो मना नही कर पाएगा.....मेरे मुँह बनाने और रुआंसा होने से वो और पिघल गया......मेरी ठोड़ी पकड़ मेरे चेहरे को उपर उठा.....मेरी आँखो में झँकते हुए बोला.....अर्रे पगली तो इसमे उदास होने की क्या बात है.... हाए !!! नही भाई कही अम्मी को......अर्रे अम्मी को कौन बताएगा.....



ही भाई सच आप नही बताओगे......क्यों बताऊंगा ....इसमे बुराई क्या है....सभी तो पहनती है....कॉलेज में......मैं तो खुद सोच रहा था तुझे गिफ्ट....मैं भाई से लिपट गई....और उसके गाल को अपने सुर्ख लबो से चूम लिया.... हाए !!! मेरे प्यारे भाईजान तुम कितने अच्छे हो.....सच भाईजान आपसे अच्छा भाई कोई नही होगा.....अपनी टी - शर्ट में कसी नुकीली चूंचीयों को भाई की सीने में दबा दिया.....



आज मैने ब्रा भी नही पहना था....भाई मेरे इस अचानक प्यार से थोड़ा सकपका सा गया....पर फिर अपने आप को संभालते हुए मेरी कमर में हाथ डाल सहलाते हुए बोला.... जब दिल करे पहना कर.....यहाँ कौन रोकेगा....मैं भी तो अपनी आज़ादी के मज़े लूट रहा हू....तू भी मज़े कर.....फिर एक हाथ से मेरी ठुड्डी पकड़ मेरे चेहरे को उपर उठा मेरी झील सी गहरी आँखो में झँकते हुए बोला......वैसे एक बात कहूँ .....बड़ी प्यारी लग रही है....फ़िल्मो की हेरोईएन जैसी....


मैने धत ! करके अपनी नज़रे नीचे झुका ली....भाई का एक हाथ अभी भी मेरी कमर में था.....मेरी साँसे तेज हो गई थी.....तेज सांसो के साथ मेरी चूंचीयाँ भी उठ बैठ रही थी.....हम इतने पास थे की भाई की गर्म सांसो का अहसास अपनी गुलाबी गालो पर महसूस कर रही थी.....भाई की अगली हरकत का इंतेज़ार कर रही थी.....भाई ने हल्के से मेरा गाल चूम लिया.... हाए !!! अल्लाह.....मछली की तरह मचल कर भाई के बाहों से खुद आज़ाद किया.....और अपनी दोनो हाथो से अपने चेहरे को धक खड़ी हो गई.....



मेरे कान लाल हो चुके थे.....भाई ने सोचा उसने कुछ गड़बड़ कर दिया....घबड़ाता हुए मेरे चेहरे को अपने हाथो में ले बोला....स...सॉरी...वो मैने....वो मेरी हथेलियों को मेरे चेहरे से हटाने की कोशिश करने लगा....थोड़ा नाटक करते हुए मैने हथेलियों को चेहरे पर से हटा दिया....और गर्दन नीचे कर खड़ी हो गई....चेहरा पूरा सुर्ख लाल...आँखे नीचे झुकी हुई......



भाई ने देखा मैं रो नही रही तो उसकी हिम्मत बढ़ी और मेरी ठुड्डी पकड़ उपर करते हुए मेरी आँखो में झँकते हुए बोला....सॉरी...रबिया....वो तू इतनी प्यारी लग रही थी......मैं उसका हाथ हटा बोली...धत !...आप बारे बदमाश हो छोड़ो .....मैं दूर ज़ाने का नाटक करने लगी तो भाई ने मेरा हाथ पकड़ लिया....अर्रे रुक तो सही....हाथ छुड़ाने कोशिश करते थोड़ा शरमाने का नाटक करते हुए बोली.... हाए !!! नही छोड़ो आप बहुत ख़राब हो.....अरे क्या रबिया प्लीज़ नाराज़ मत हो....इतनी प्यारी लग रही थी इसलिए.....धत !....हाथ छोड़ो ...उई अल्लाह कितनी ज़ोर से कलाई पकड़ी है.....छोड़ो ना भाई..... चलना नही है क्या.....

हा हा चलना है ना...चलो....हाथ छोड़ता हुआ भाई बोला......फिर हम दोनो बाहर आ गये.....बाइक पर मैं जान-बूझ कर दोनो पैर एक तरफ करके बैठी.....मैं अपनी तरफ से कोई मौका नही देना चाहती थी.....भाई ने बाइक स्टार्ट करते हुए पुछा ....ठीक से बैठ गई ना.....हा हा ...साला सोच रहा होगा काश मैं दोनो पैर दोनो तरफ करके बैठती.....फिर हम समंदर किनारे पहुचे....थोड़ी देर तक ऐसे ही ठंडी हवओ का मज़ा लेते रहे....वही एक छोटे से रेस्टोरेंट में खाना खाया....फिर भाई ने एक आइस-क्रीम ख़रीदा और मुझे दिया.....



मैं लेकर खाने लगी.....भाई एक तक मुझे देख रहा था....अंजन बनती हुई मैं बोली....क्या है..... भाई मुस्कुराते हुए बोला....कुछ नही....अपने होंठों पर जीभ फेरने लगा..... मैं मुस्कुराते हुए बोली...आइस-क्रीम खाओगे क्या.....उसने मुस्कुराते हुए मेरी और देखा....मैने आँखे नचा कर जीभ निकाल कर दिखा दिया......भाई की हिम्मत बढ़ी.....मेरा हाथ पकड़ आइस-क्रीम थोड़ा सा चाट लिया....मैं बच्चो की तरह उछल कर नाटक करते हुए बोली....उउउ.....मैं नही देती अपना क्यों नही लिया......तेरा झूठा खाने की आदत हो गई है ना.....मैने शरमाने का नाटक किया......हट गंदे.....फिर प्यार से आइस-क्रीम उसके मुँह से लगा दिया.....
 
 
 
 

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