Saturday, December 21, 2013

गुपचुप कहानियाँ- राबिया का बेहेनचोद भाई--13

Lovers-point गुपचुप कहानियाँ-

 राबिया का बेहेनचोद भाई--13
. हाए !!! क्या बताऊँ .... हाए !!! कैसे अपने ख़ालजाद भाई के साथ मौज मस्ती कर रही......धत !.....वो अब उसका शौहर है.....ठीक है वही सही....ज़रा मुझे भी.....मैं शोख अदा के साथ गोद में मचलती बोली....धत ! बदमाश.....कुछ नही बताया.....कुछ ना कुछ तो बताया होगा.....तभी तू शर्मा रही....उफफो.....भाई क्या है...साची एकदम बेशरम हो गये हो.....निकाह के बाद वो कुछ भी करे हमे क्या.....हा वो तो है.....खूब तलवे चटवा रही होगी......धत !... हाए !!! सीने भी दबा रहा होगा खूब.......इसस्सस्स बेशरम.....खूब चुम्मिया लेता होगा....दिन-रात...उफफो भाई आप बहुत बेशरम हो....मैं मछली....भाई गाँड में लंड चुभाता ठंडी साँस लेता बोला... हाए !!! क्या मज़े कर रही होगी......निकाह के बाद सभी करते है......तेरा भी निकाह हो....फिर तू भी....धत !...कहते मैने उसकी जाँघ पर मुक्का मारा.....भाई की गोद में बैठे मैं टीवी देख रही थी.....भाई कान में सरोगीशयन करते गरम बाते करता जा रहा था.....चूत सनसनने लगी थी.....निपल खड़े हो चुके थे.....भाई पेट को सहलाता...बहाने से चूची छू रहा था.....दूसरा हाथ मेरी रान पर फिरा रहा था.....मैं अंजान बनी नखड़ा करते हुए मज़ा लूट रही थी......
तभी भड़ाक भड़ाक की आवाज़े आनी शुरू हो गई....जैसे ज़ोर ज़ोर से कोई दरवाजा पीट रहा हो.....शोर-शराबे की भी आवाज़े आने लगी....मैं जल्दी से उठ कर खड़ी हो गई....मेरा कलेजा दहल उठा.... ये क्या भाई जल्दी से उठा....मैं देखता हू कहता बाहर की तरफ गया.....मैं भी उसके पीछे गई.....हमारे वाले फ्लोर पर चार फ्लॅट थे....सब अपने-अपने फ्लॅट से दरवाजा खोल बाहर निकले थे....दो पोलीस वाले भी खड़े थे.....मैने थोड़ा सा झाँक कर देखा......पता नही क्या चक्कर था....चारो फ्लॅट के दरवाजे खुले थे लोग बाहर खड़े थे.....पोलीस वाले हमारे बगल वाले फ्लॅट के दरवाजे को ज़ोर ज़ोर से पीट रहे थे......


दरवाजा खुला तो एक पोलीस वाला अंदर घुस गया......दूसरा पोलीस वाला बाहर ही खड़ा रहा रहा.....तभी उसकी नज़र दरवाजे से झँकते मेरे चेहरे पर पड़ी .....कुछ लम्हो तक वो मुझे देखता रहा....तभी बगल वाले फ्लॅट से दो लड़के और एक लड़की को बाहर निकालते हुए पोलिसवला आया......वो लड़कों और लड़की दोनो को भद्दी भद्दी गलियाँ दे रहा था......भाई को शायद पता था की मैं दरवाजे से झाँक रही हू इसलिए उसने पीछे मु ड़ कर.....जल्दी से दरवाजे को खींच दिया.....मैं दरवाजे से सट कर खड़ी हो गई.....बाहर की बाते सुन ने लगी.....तभी एक करकड़ार आवाज़ आई.....हरामखोरों.....शकल से शरीफ खानदान के लगते हो.....और घस्ती लाते हो.....जवानी की गर्मी चढ़ि है......रात भर हवालात में सड़ाउंगा तो.....लड़कों की आवज़ आई जो गिड़गिड़ाते हुए छोड़ देने के लिए कह रहे थे.....पोलीस वाले उनको और ज़यादा गालियाँ दे रहे थे.... तभी दूसरे पोलिसेवाले की आवाज़ आई.....जनाब ये बहुत हरामी छ्होकरे है....दोनो एक साथ लड़की पर चढ़े थे.....


  रब्बा दो दो लड़के एक लड़की पर मैं सिहर उठी.....तभी पोलीस वाला बोला......सालो की गाँड में मिर्च लगा कर रात भर इनकी दुकान को बाजाऊँगा तो.....फिर आवाज़ आई......हा भाई तू कौन है.....वो जो लड़की तेरे फ्लॅट में है वो कौन थी......लगता था पोलीस वाला मेरे भाई से पूछ ताछ करने लगा था.....भाई की आवाज़ आई वो बताने लगा कौन है.....मगर पोलीस वाला सवाल पर सवाल दागे जा रहा था......तभी बगल की फ्लॅट में रहने वाले ज़फ़र साहिब जो अपने फ्लॅट से निकल कर खड़े थे बोले......कमाल करते है मियाँ......एक शरीफ लड़के से इस तरह सवाल जवाब करते है क्या......बेचारा सब कुछ तो बता रहा है आपको......मैं जनता हू इनको....अपनी बेहन के साथ रह कर यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते है बच्चे......इनके वालीदईन को भी जानता हू....पर आप तो मासूम के पीछे पर गये है......पोलीस वाले के आवाज़ आई.....अच्छा तो वो लड़की जो अंदर से झाँक रही थी इसकी बेहन थी......और क्या मियाँ.....मैं कहे देता हू बात उपर तक जाएगी.... हाए !!! रब्बा मैं शर्म से सिहर गई....कमीना पोलीस वाला मुझे घस्ती समझ रहा था......हरमज़ड़े की बेटी रंडी होगी.....कुत्ता सला....घर में बेहन बेटियां नही हरामी की.....सब को एक नज़र से देखता है......तभी ज़फ़र साहिब की आवाज़ आई.....ऐसे शरीफों को तंग करना छोड़ दे.....बेटे तू अंदर जा.....भाई चुप चाप अंदर आ गया.....मुझे दरवाजे के पास खड़ा देख बोला....क्या सुन रही है जा....बहुत रात हो चुकी है....सोने जा.....और दरवाजा बंद कर.....खुद वहा पर खड़ा हो गया.....मेरा मूड ख़राब हो चुका था.....बात आगे बढ़ते बढ़ते रह गई थी.....अपने कमरे में घुस कर सोने चली गई.....


सुबह उठ कर हम दोनो जल्दी जल्दी तैयार होकर यूनिवर्सिटी चले गये.....कॉलेज में ही फोन आया की शबनम वापस आ चुकी है.....शाम में उसने दोनो भाई-बेहन को खाने पर बुलाया था....कॉलेज से ही हम सीधा शबनम के घर चले गये.....वो बहुत खुश हुई....उसका शौहर भी उसके साथ था.....चाई पीने के बाद वो बोली चल कमरे में चलते है.....वही बात करेंगे.....भाई और खालिद को ड्रॉयिंग रूम में छोड़ कर हम कमरे में आ गये.....मैं भी बहुत बेसब्र थी उसकी हनिमून की कहानियाँ सुन ने को.....अंदर घुसते ही उसको बाहों में भर लिया....वो मुस्कुरा उठी....उईईई....क्या करती है.... हाए !!! जानी....बड़ी गदरा गई हो.....कहते हुए मैने उसकी चूतड़ पर एक चिकोटी काट ली.....उ....कमिनी तू कभी नही बदलेगी....कहते हुए वो बेड पर बैठ गई....मैं भी उसकी बगल में बैठ गई.....कुछ यहाँ वहा की बाते होती रही.....


 फिर वो धीरे धीरे खुद ही खुलने लगी.....मुझे मौका मिल गया.....हनिमून की मजेदार रातो की कहानियों को सुन ने को मैं वैसे भी बेताब थी.....फिर उसने सारी बाते बताई....सुन-सुन कर ही मेरी चूत पानी छोड़ने लगी.....बदन अंगड़ाई लेने लगा.....दिल कर रहा था बाहर जा कर.....किसी का भी ले लू.....मैं बोली... हाए !!! साली तूने तो अपनी कहानी सुना सुना कर आग लगा दिया.....अब मेरा क्या होगा....कैसे रातें कटेगी.....कमिनी तुझे बता कर मैं खुद गरम हो गई हू....मेरा क्या होगा.... हाए !!! तेरी गर्मी को ठंडा करने के लिए तो खालिद भाई है ना.....अर्रे यहाँ कहा मौका मिलता है.....नौ बजे तो वो वापस अपने घर चले जाएँगे....एक ही शहर में मायका और ससुराल होने का ये बहुत बड़ा नुकसान है....जानती है जब तक नही लो तब तक तो ठीक है.....मगर एक बार किसी का ले लो ना तब तो....एक बार भी अगर ना मिले ना....तो नींद नही आती....मैं हैरान होती हुई बोली....चल झूठी....ऐसा होता है क्या....तू नही जानती.....इसकी लत लग जाती है....


अब देख ना वहा हनिमून पर दिन रात मिला कर कम से कम चार बार चुदती थी.....और छेड़ छाड़ तो दिन भर चलती रहती थी.....इनका तो ये हाल था की हाथ लगते ही....अपना खड़ा हथियार पकड़ा देते थे.... हाए !!! रब्बा....बहुत मौज किया....वहा कही घूमने फिरने नही गये क्या तुम दोनो.....घूमने फिरने.....इनका घूमना फिरना सब उसी होटेल के कमरे के अंदर ही था.....बाथरूम तक में पीछा नही छोड़ते थे.... हाए !!! गुसलखाने में भी.....हा रे मेरा तो गुसल करना भी हराम कर दिया था.....आँखे फाड़ कर घुस जाते थे.....और वो सब भी दिखाने को बोलते थे.... हाए !!! उफफफफफ्फ़..... बड़े रंगीले लगते है....मुझे भी नही पता था....मैं तो सोचती थी सीधे साधे है....मगर इतने बदमाश होंगे.... हाए !!! बदमाशी दिखाई तभी तो तुझे मज़ा आया.....कहते हुए मैने एक हाथ आगे बढ़ा उसकी चूंची दबा दी.....उ क्या करती है....

ही ऐसे क्यों उछलती है....अब तो आदत पर गई होगी....मसलवा कर.....चुप साली....पक्की रंडी निकलेगी तू....फिर इसी तरह की बाते होती रही.....आपस में थोड़ी बहुत छेड़ छाड़ होती रही....रात के नौ बजे हमने खाना खाया और वापिस लौट गये.....

घर पहुच कर मैं ड्रेस चेंज करने के लिए अपने बेडरूम में चली गई.....चूत में बहुत खुजली हो रही थी......दिल कर रहा था की.....जाकर भाई को बाहों में भर लू और बोलू... हाए !!! भाई साली रंडी शबनम ने अपनी चुदाई के किससे सुना कर बहुत गरम कर दिया है......वो हरामजादी जब अपने खलजाद भाई का लंड अपनी चूत में पेल्वा रही है और किसी को कोई ऐतराज़ नही.....फिर तुम क्यों पीछे हट रहे हो.....लूट लो ना मेरी जवानी को.....अब कितना खोल के दिखाऊं.....आ जाओ चूत खोल के बैठी हू.....ये सब सोचते सोचते मैं खुद ही शर्मा गई....शायद ऐसे तो मैं कभी भी भाई को नही बोल पाउंगी.....शर्मो हया की दीवार.....वो भी अपने सगे भाई के साथ.....समाज ने इतनी मजबूत बनाई हुई है....की कोई चाहे भी तो नही तोड़ पाएगा......हा लड़के थोड़े बेशर्म होते है....वो चाहे तो तोड़ सकते है....और अगर कल रात वो बात नही होती तो शायद भाई तोड़ देता मगर.......मेरी ही किस्मत फूटी है.....खैर मैं सोचने लगी क्या पहनु......फिर मैने ब्लॅक कलर का मिनी स्कर्ट और वाइट कलर वाली गोल गले का टी - शर्ट पहन लिया.....मिनी स्कर्ट के अंदर से रान दिखाने का प्लान था अगर भाई नीचे कालीन पर बैठेगा तो.......बाकी का काम तो उसी ने करना था......


 भाई भी चेंज करके आ गया.....आज उसने पाजामा पहन रखा था....पतला सा सफेद कपड़ों का.....और शायद अंडरवेर भी नही था.....तभी कुछ हिलता सा नज़र आ रहा था.....खैर वो तो गोद में बैठने के बाद ही पता चलेगा.....वैसे भाई क्या सोच रहा था.....फिर से गोद में खींचेगा क्या मुझे.....भाई मेरी बगल में बैठ गया....क्या देख रही है....कुछ नही लो तुम देखो....भाई ने चॅनेल बदल कर....गाना लगा दिए....हम वही देखने लगे....फिर मैने पुछा .....कल क्या हुआ उसके बाद.....कब....मैं तो सोने चली गई....फिर क्या हुआ....वो दोनो लड़के जैल चले गये क्या......भाई हँसने लगा.....अरे कुछ नही हुआ.....ज़फ़र साहिब भी थोड़ी देर बाद अपने घर के अंदर चले गई....मैं फिर भी सुनता रहा.....वो दोनो पोलीस वालो ने उन लड़कों से 10,000 रुपये ऐंठ लिए......वो जो घस्ती थी....



भाई थोड़ा सर्माता हुआ बोला....वो भी उन पोलीस वालों से मिली हुई थी.....उसका काम ही यही है.....लड़कों को फसा कर.....फिर पोलीस वालो को चुपके से खबर कर देती.....बेचारे लड़के ......मैं मुँह बिचकाती बोली....बारे आए बेचारे लड़के .....लड़कों की तरफ़दारी तो ना ही करो....खुद ही फसने गये.....इतना ही शौक है तो....शादी कर ले......घस्तियों के साथ....बोलते बोलते मैं रुक गई.....भाई मुझे एक तक देखे जा रहा था....मैं शर्मा गई....भाई भी हँसने लगा....अरे मजबूरियाँ होती है.....फिर बेचारो का दिल कर गया.....जवान लड़के है.....मैने भाई को धक्का दिया....हा हा तुम तो ऐसा बोलॉगे ही.....कहते हुए मैं मुस्कुरई.....तो और क्या बोलू....अब उन बेचारो की कोई गर्लफ्रेंड नही होगी.....जिसके साथ कुछ .....तो बना ले ना गर्लफ्रेंड किस ने रोका है....फिर करे जो मर्ज़ी आए......भाई मेरी तरफ देखते हुए शरारत भरी मुस्कुराहट के साथ बोला.....मैं तो इतने दिनों से कोशिश कर रहा हू मगर.....क्या कोशिश कर रहे हो.....मैने आँखे नाचते पुछा ....

भाई ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला....गर्लफ्रेंड बनाने और उसके के साथ कुछ करने का.....पर मुश्किल ये है की....गर्लफ्रेंड तो बन ने को तैयार है....मगर कुछ करने नही देती.....कहते हुए मेरे हथेली को हल्के से दबाया.....झटके से मैने अपने हाथ को खींचा और उसकी छाती पर मुक्का मारती बोली.....सब समझती हू मैं..... कहते हुए भाई की एक उंगली पकड़ उमेंठटी हुई बोली....ज़्यादा बकवास ना करो.....आजकल तुम भी उन्ही लड़कों के जैसे हो गये हो.....भाई को दर्द भी हो रहा था और वो मुस्कुरा भी रहा था...अरे छोड़ ना....दर्द कर रहा है.....नही छोडूंगी....बहुत बदमाश हो गये हो......मैने ऐसा क्या किया.....किया नही तो करोगे ज़रूर.....उंगली छोड़ते मैने कहा....भाई हँसने लगा....मैं क्यों इन चक्करो में पड़ने लगा.....कहते हुए उसने मेरी कमर में हाथ डाल दिया.....मैने कमर से हाथ हटते हुए कहा.....बेशरम.....जब देखो तो तब....बेहन को गर्लफ्रेंड बोलने में शर्म नही आती....भाई ने फिर से हाथ बढ़ा कमर पकड़ ने की कोशिश की.....


 मैने कमर तक पहुचने से पहले ही हाथ को झटक दिया.....और अपनी ज़ुबान निकाल कर उसको चिढ़ा या......भाई ने लपक कर अपने चेहरे को ऐसे आगे बढ़ाया जैसे वो मेरी ज़ुबान को अपने दांतो से पकड़ लेगा.....उईईइ अम्मी.....कहती हुई....मैं डरने का नाटक करती पीछे हो गई....भाई हँसने लगा.....थोड़ा मुस्कुराते थोड़ा शरमाते, रुआंसी शकल बना.....आगे बढ़ कर भाई के सीने पर एक मुक्का मारा.....बदमाश....बहाया...भाई ने मेरी कलाई पकड़ ली और अपनी तरफ खींच लिया.....मैने कलाई छुड़ाने की कोशिश की मगर.....उसने मुझे और ज़्यादा अपनी तरफ खींच लिया.....हम दोनो के चेहरे एक दूसरे के आमने सामने थे.....उसकी आँखे मेरी आँखो में झाँक रही थी.....उसकी गर्म सांसो का अहसास अपने चेहरे पर महसूस हो रहा था.....मैने अपनी नज़रे झुका ली....


हाए !!! छोड़ो .....उसने नही छोड़ा....दिल तेज़ी से धरकने लगा....गाल गुलाबी हो गये.....धीमी आवाज़ में बोली.... हाए !!! कलाई दुख रही है.....छोड़ो ना.....कलाई पकड़ कर खींचने की वजह से मैं इस वक़्त घुटनों के बल सोफे पर खड़ी थी.....बदन का पूरा भर भाई के उपर था.....तभी उसने कलाई को छोड़ लपक कर मेरी कमर को पकड़ लिया... हाए !!! ये क्या....छोड़ो ......पर मेरी कमर पर उसने अपनी बाहों को और कस दिया......मैं भाई का हाथ पकड़ छुड़ाने की कोशिश करती बोली.... हाए !!! छोड़ो ना....इसी वजह से कहती हू.....आप भी उन लड़कों के जैसे ही.....भाई गर्दन उठा कर मुझे देख रहा था.....मैं उसके उपर झुकी हुई थी....मेरा पेट उसके चेहरे के सामने.....तभी भाई ने अपने चेहरे को आगे बढ़ा.....मेरे पेट से सटा ....जब तक मैं कुछ समझती....रगड़ दिया.....गुदगुदी के मारे मुझे हसी आ गई.....मैं मचली.....पर उसने छोड़ा नही और अपने चेहरे को रगड़ता रहा मेरी पेट पर......हँसते हँसते मेरा बदन ढीला पर गया.....



भाई ने भी हाथो की पकड़ ढीली कर दी.....मैं फिसलती चली गई....पलट कर सोफे पर बैठने ही वाली थी की....उसने कमर से पकड़ .....अपनी गोद में कस लिया......मैं स्कर्ट को ठीक करते....रानों को धकते हुए बोली....गंदे.....छोड़ो .....भाई ने हल्के हाथो से मेरी कमर को पकड़ लिया.....और गर्दन को हल्के से चूम लिया.....मैं सिहर उठी....सरगोशी करता कान में बोला....बैठ ना.....कल की हमारी बाते अधूरी रह गई थी.....कौन सी बात....छोड़ो ना.....वही तेरी सहेली वाली बात.....गोद में बैठते ही अहसास हो गया की भाई अपना हथियार खड़ा कर चुका है.....गाँड को अड्जस्ट करती.....मचलती हुई....गोद से उठने का नाटक करती....ताज्जुब करते बोली....सहेली वाली बात....वो क्या थी....ठीक से बैठने दो नाआअ......ठीक से तो बैठी है.....नही सोफे पर बैठने दो.....क्यों मेरी गोद में कोई काँटे लगे है.... हाए !!! मैं नही जानती....छोड़ो मुझे अच्छा नही लग रहा.... 

प्यार नही करती मुझे....धत !...ये क्या बात हुई.....प्यार करने से गोद में बैठने का क्या तालूक़......गोद में बैठने से प्यार बढ़ता है.....हट बेशरम....बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे.....नीचे उतरो.... हाए !!! बैठ ना ऐसे ही......अच्छा लग रहा है.....धत ! नही...मुझे टीवी देखने दो......मैं कहा मना कर रहा हू....देख ना टीवी....इतने प्यार से पहली बार तो गोद में बैठी है... हाए !!! धत !...मेरी उमर कोई गोद में बैठने की है......क्यों.....मैं कोई बच्ची हू.....हा बच्ची तो नही है... मज़े की जवान हो गई है.....गोद मैं मचलती इठलाती हैरान होते बोली... हाए !!! रब्बा...कितने बेशरम हो भाई....कोई अपनी बेहन के बारे में ऐसे बोलता है....अफ बेशरम....भाई हँसने लगा और गर्दन आगे बढ़ा मेरी गाल चूमते बोला.... हाए !!! इतनी तवज्जो तो रखनी पड़ती है......धत ! बेशरम....बेहन की जवानी पर नज़र....मचलती हुई बोली.....



तेरी जवानी के हिसाब से ही तो लड़का ढूँढना होगा.... हाए !!! धत !....भाई कितने बेशरम हो गये हो आप....क्यों शादी नही करनी तुझे क्या.....क्या मतलब.....मतलब अपनी इतनी खूबसूरत....पुरकशिश जवानी से लबरेज प्यारी बेहन के लिए उसी के हिसाब से लड़का ढूँढना होगा ना.... हाए !!! रब्बा बेशरम.....कैसे बोल रहे है आप भाई....कोई अपनी बेहन के बारे में ऐसे.....कमर पर अपने हाथो को कसता....गर्म साँसे फेकता.... धीरे से बोला.....क्यों बेहन खूबसूरत हो तो बोलने में क्या हर्ज़ है....हा हा आपके लिए तो कुछ भी करने में हर्ज़ नही....भाई हँसने लगा....मैने ऐसा क्या किया.....तू तो खा-म-खा मेरे से नाराज़ हो रही है.....हसो मत....एकदम बहाया हो गये हो आप....अच्छा चल मैं कुछ नही बोलता....कहता हुआ भाई चुप हो गया और टीवी देखने लगा....



हाथ से अभी भी पेट को धीरे धीरे से सहला रहा था....उसके खड़े लंड का अहसास मुझे अब पूरी तरह से हो रहा था.....लंड की गर्मी का अहसास कल से ज़्यादा महसूस हो रहा था.....शायद पाजामे के पतले कपडे की वजह से.....गरम लंड के उपर गाँड रखे मैं अंदर-अंदर सिहर रही थी....चूत अभी से पनियाने लगी थी.....भाई हल्के हल्के पेट सहलाते हुए.....बहाने से चूची के नीचे हाथ ले जाता....वो हल्के हल्के चूची छुने की कोशिश भी कर रहा था.....नीचे से चूचियों को हल्के हल्के छूते...गर्दन पर गर्म साँसे फेंकता....सरगोशी किया.... हाए !!! निकाह के बाद....तेरी सहेली....मैं गर्दन घुमा चौंकती हुई बोली...हा क्या हुआ मेरी सहेली को.....भाई मुस्कुराता हुआ पेट को सहलाता बोला.....बहुत गदरा गई है.....लगता है हनिमून.....मैने आगे कुछ बोलने नही दिया और मुँह पर हाथ रख नाटक करती बोली..... हाए !!! रब्बा.....भाईईईईईईई.....सच में आप बहुत बेशरम हो गये हो......छी !!!.....यही करने गये थे आप.....उसके यहाँ.....


 उफ़फ्फ़ ... ......नही आप बहुत गंदे हो....छोड़ो मुझे......कहते हुए मैं उठने लगी.....बैठ ना मैं कुछ कर रहा हू.....आप गंदी बाते....इसमे गंदी बात क्या है....तेरी सहेली का निकाह हुआ....आज निकाह के बाद पहली बार देखा तो.....जो लगा सो बोल दिया......छी बेशरम यही ख्याल है आपके......अब इसमे बेशर्मी वाली क्या बात हुई.....लड़कियां तो निकाह के बाद थोड़ी अलग सी दिखने लगती.....मुझे भी यही लगा.....आपको तो कुछ भी ग़लत नही लगता....मैने मुँह बिचकाते हुए कहा.....ठीक है मैं जो भी कहता हू सब ग़लत है....और तू जो कहती है सब सही...है ना.....मैं खुश होती हुई बोली....और क्या....अब जा कर आपने माकूल बात की है....भाई मुस्कुराता हुआ पेट पर हाथ कसता बोला.....शुक्रिया आपका मोहतार्मा....मैं और इतराती हुई बोली.....अब छोड़ो नीचे बैठने दो.....कहती हुई मैं उसका हाथ हटा कालीन पर बैठ गई.....भाई भी नीचे उतार कालीन पर बैठ गया.....



तुम क्यों नीचे आ गये......मेरे बगल में बैठ कंधे पर हाथ डाल कर मुस्कुराता हुआ बोला.....बेहन से दूर नही रह सकता.....मेरी प्यारी खोए की गुड़िया नीचे बैठी है और मैं उपर सोफे पर......हट बदमाश....ज़रूर आपके मन में कोई शैतानी भरा ख्याल होगा......कुछ नही बस एक बात पूछ नी थी......क्या....तू फ़रज़ाना के घर जाती थी.....हा......कभी कुछ ऐसा लगा जैसे दोनो भाई-बेहन आपस में..... हाए !!! चुप्प करो.....आप भी ना जाने क्या क्या....पर वो डिस्को जाती है भाई के साथ.....कमर में हाथ डलवाए....तुझे हैरानी नही हुई... हाए !!! छोड़ो ना उसकी बात.....बस पूछ रहा था....मुझे तो बहुत हैरानी हुई थी....हा और उसी का फ़ायदा उठा कर आप मुझे डिस्को.....मैं सब समझती हू आपके दिल में क्या है..... हाए !!! मेरे दिल क्या....मैं तो सीधा-साधा.....अच्छा सब पता है जनाब कितने सीधे साधे है... हाए !!! तू ग़लत....ग़लत क्या...मैं अपनी रौ में बोलती चली गई....ऐसे ही फ़रज़ाना के बारे में पूछ पूछ कर उगलवा लोगे की वो अपने भाई के साथ....क्या करती है.....



आपको हैरानी हुई थी मगर मुझे नही हुई.....क्योंकि मैं जानती थी....की की...मैने बात को बीच में ही छोड़ दिया.....भाई को ऐसा लगा जैसे मैने अंजाने में फ़रज़ाना का राज उगल दिया....मगर मैने तो जानभूझ कर ये तीर चलाया था.....भाई अब पीछे पर गया.... हाए !!! क्या जानती थी.... हाए !!! बता ना... हाए !!! धत !...गंदे....उफफफ्फ़.... हाए !!! प्लीज़ रबिया बता ना.... हाए !!! नही आप मुझे बहका कर.....जाने क्या क्या बुलवा लेते हो.....मैने कहा बहकाया....तू तो खुद ही... हाए !!! बता ना तुझे मेरी कसम....हट गंदे...बात-बात पर.....कसम ना दिया करो.....क्या करू तू तो बताती ही नही.... हाए !!! बता ना प्लीज़....नही मुझे शरम आती है.... हाए !!! रबिया तू भी ना बहुत नखड़ा करती है....बता ना प्लीज़... हाए !!! ठीक है....आप किसी को बताओगे तो नही....मैं भला किसी को क्यों बताऊंगा ....ये हमारे भाई-बेहन के आपस की बात है.....बता ना क्या जानती थी.....वो...वो.. हाए !!! कैसे बोलू....वो अपने भाई से.....भाईजान के साथ....उफ़फ्फ़....भाई ने बात को पूरा किया....मज़े करती है....हा...वही....

मुझे तो पहले से ही शक़ था....वो अपने भाई के साथ फंसी हुई है....तू ही मेरी बात नही मानती थी.... हाए !!! तूने कुछ देखा था.....ज्यादा तो नही....वो जब कॉलेज जाने के लिए एक दिन सुबह सुबह उसके घर गई तो... हाए !!!....तो....हा क्या देखा....मैं अपना चेहरा अपने हाथो से धकते हुए बोली....उसका भाई उसको अपनी बाहों में भर कर....धत !.... हाए !!!....भाई खुश होता बाहों में कसता खींचता एक झटके से अपनी गोद में ले.....लंड को गाँड में चिपकता बोला....बाहों में भर प्यार कर रहा था... हाए !!!....धत !....वही.....भाई ने मेरे गाल पर कस कर चुम्मि काटी.....उसका रास्ता खुल गया था.... फ़रज़ाना की मिसाल दे कर वो अपना काम निकालने की कोशिश करेगा.....बाहों में कसता.....पेट पर उपर की तरफ हाथ लगा....चूची के नीचे सहलाता बोला..... हाए !!! तेरी तो सारी सहेलियाँ मज़े कर रही है.... हाए !!! धत !....और क्या....एक अपने भाई के साथ....एक अपने खलजाद भाई के साथ.... हाए !!! धत ! ऐसे ना बोलो....वो अब उसके शौहर है....जो भी है....बहुत मज़े कर रही है.....तेरी सहेलियाँ.....
ही धत !....भाई आप भी ना....छोड़ो ना गंदी बातो को....फिर वही....इसमे गंदा क्या है.....कल को तेरा भी निकाह होगा....तब भी बोलेगी गंदी बात... हाए !!! पर वो तो निकाह के बाद......लोग तो बिना निकाह के भी....पर भाई बहन थोड़ी ऐसी बाते करते....अभी अभी तो तूने ही बताया की कैसे.....फ़रज़ाना अपने भाई के साथ मज़े कर रही है.....फिर हम डिस्को जा सकते है....घूम फिर सकते है....फिर आपस में इल्म बाटने में क्या हर्ज़ है..... हाए !!! मैं इसी वजह से आपको कुछ नही बताती.....फिर ये इल्म बाटना हुआ....और क्या कल को हम दोनो का निकाह होगा....जो मुझे पता है वो मैं तुझे बताऊंगा .....फिर तू भी....हट बेशरम.....कमर को ज़ोर से भींच गोद में दबोचा.....मैं थोड़ा इठलाई मचली....वो फिर धीरे से बोला.....शबनम मज़े कर रही होगी .....है ना....धत !....उफ़फ्फ़.....भाई.....क्यों शबनम का दबा रहा होगा ना उसका शौहर.... हाए !!!...मैं शरमाई.....खूब दबवा रही होगी है....
हाए !!! भाई...मत बोलो.....दिल तो तेरा भी करता होगा.....मार दूँगी.....मार लेना....पर बता ना दबवा रही होगी ना....धत !... हाए !!! खूब मसलवा रही होगी.....मैने धीरे से कहा....मैं नही जानती....अच्छा एक बात बता तेरा सहेली फ़रज़ाना.....हा उसका क्या....वो दब्वाती होगी ना... हाए !!! छी गंदे मुझे नही बात करनी आपसे.....छोड़ो मुझे.... हाए !!! मेरी गुड़िया रानी के नखड़े हज़ार...वैसे भी तूने अभी बोला की तुझे सब पता है.....बीबी के साथ क्या क्या......मैं हँसने लगी और हँसते हुए पीछे मुड़ भाई के गालो चपत लगती बोली....गंदे....चालाक....खाली बहाने से फसाते रहते हो.... हाए !!! मैने कब फसाया.....ओह हो....बहका कर डिस्को ले गये...समंदर किनारे ले गये....ये तो ना होगा की कभी मैथ्स की किताब ले कर पुछा हो....हा रबिया बता क्या प्राब्लम है....मियाँ-बीबी के बीच क्या होता है....इसकी बाते करनी है... हाए !!! तुझे मज़ा नही आया क्या.....धत !.. हाए !!! रबिया तुझे कसम है....बता ना मज़ा आया था... हाए !!! कसम ना दो.....नही दूँगा पर बता.....मैने गर्दन नीचे कर लिया बदन को ढीला छोड़....अपनी पीठ भाई की छाती से टीका ....सर्माती हुई धीरे से बोली... हाए !!! हा.


 भाई जैसे खुशी से उछल पड़ा....कमर को दोनो हाथ से पकड़ और कस कर गोद में दबोचा....नीचे का खड़ा लंड गाँड की दरार से होता हुआ आगे को निकाल चूत के निचले हिस्से को चूमने लगा....मैं मचली... हाए !!! भाई... हाए !!! छोड़ो कालीन पर बैठने दो ना.... हाए !!! बैठ ना.....मेरी गोद चुभती है क्या.....सोचा ज़यादा ही नखड़ा कर लिया....बात आगे बढ़ानी चाहिए....हौसला दूँगी तभी तो डालेगा......गाँड को लंड पर दबाते..... उसकी जाँघ पर चिकोटी काट बोली.....हा चुभ रहा है.....भाई एक हाथ मेरी रान सहलाता बोला... हाए !!! क्या चुभ रहा है.....धत !....मैं नही जानती....भाई मेरे कंधे पर अपनी गर्दन रखता गाल से गाल सटा ता बोला.... हाए !!! जानती तो सब है मेरी गुड़िया रानी......बस ज़रा शरमाती है... हाए !!! बता ना क्या चुभ रहा है.....उफ़ !!!....भाई....धत ! छोड़ो ......नीचे बैठने दो.. हाए !!! बता ना....तू तो खा-मा-खा शर्मा रही है.... हाए !!! धत ! नीचे बैठने दो.....वहा तेरी सहेलियाँ उठा-उठा कर दिखा रही है.....कहते मेरी जाँघ को सहलाया......



गोद में बैठे मचलने के कारण मेरी छोटी सी स्कर्ट वैसे ही उपर आ चुकी थी.....आधी से ज़यादा रान नंगी थी.....भाई ने जब अपनी हथेली को आगे सरकया तो....स्कर्ट सरक कर और उपर आ गई....रान नंगी हो गई....मैने स्कर्ट को नीचे की तरफ खीचने का नाटक किया.....रहने दे ना... हाए !!! छी मैं नंगी....नंगी कहा....खाली स्कर्ट थोड़ा सा उपर.....फिर अभी सोफे पर बैठ के दिखाया तो था तूने.....कल भी तो दिखाया था.....हट बदमाश मैने नही दिखाया था......अपने आप उपर चला गया था....आपके तलवे चाटने के चक..कर में.....जो भी हो दिखाया तो था.... कहता हाथ को थोड़ा और उपर सरका.....मेरी पूरी रान को नंगा कर दिया... हाए !!! उफ़फ्फ़....भाई.....पर वो मेरी गोरी चिकनी जाँघो को सहलाता बोला.... हाए !!! कितनी कसी हुई गदराई रान है.....कसम से.....और दूसरे हाथ को भी दूसरी रान पर रख....फ्रॉक को धीरे से उपर सरकाया....दोनो रान एकसाथ नंगी हो गई....स्कर्ट सिमट कर रानों के बीच आ गई....पैंटी ढाकी हुई थी... हाए !!! भाई उफफफफ्फ़.....छी....कहते हुए मैने जल्दी से स्कर्ट को खीच रानों को ढाका और बोली.... हाए !!! उफ़फ्फ़....भाई इसलिए मैं आपको नही बता रही थी....स्कर्ट तो मैने खींच लिया था....



पर भाई का हाथ अभी भी मेरी रानों पर स्कर्ट के नीचे घुसा शरारत कर रहा था....मेरी चिकनी रानों को सहलाता भाई मुझे बातो में उलझाता बोला... हाए !!! क्या नही बता रही थी....वही फ़रज़ाना के बारे में.....अपनी सहेलियों से सीख.....अगर मैं जिद् ना करता तो तू डिस्को भी नही जाती.....भाई समझाते हुए बोला.....पर भाई मैं आपकी बेहन.....फिर वही बेहन-भाई.....मेरी बात को काट ते हुए बोला.....तू नही जानती सब अपने घरो में....घर की बात घर के अंदर....किसी को पता नही चलता... हाए !!! नही.....अच्छा बता फ़रज़ाना करवाती होगी ना अपने भाई से.....रान सहलाते भाई बोला.....मैं शरमाती गाल लाल करती बोली.. हाए !!! हा....और भी कई लड़कियां होगी ऐसी....होगी की नही.... हाए !!! हा होगी....तब फिर....मौका मिला है तो......वहा अपने शहर में तो अम्मी का कड़ा पहरा.....पर...यहाँ आज़ादी.....तेरा भी दिल करता होगा.....धीरे से बोली...क्या....कभी-कभी मज़ा लूटने का.....भाई कान से मुँह सटा बोला....करता होगा ना.....धत ! ही....तू शरमाती है....बता ना करता है की नही...

हाए !!! हा करता है....मैं अदा के साथ पीछे पलट भाई की छाती में मुँह छीपाती बोली.....भाई बाहों में कसता....अपनी छाती से चिपकता बोला.....इसलिए तो मैं तुझे घुमाने ले जाता हू.....अपनी गुड़िया के सारे सौख पूरा करना मेरा फ़र्ज़ है.....फिर तेरा निकाह हो जाएगा तो.... हाए !!! नही करना मुझे निकाह....मैं सर्माने का नाटक करती धीरे से बोली....भाई हँसता हुआ बोला....दिल तो मेरा भी करता है की अपनी इस खूबसूरत गुड़िया को कही ना जाने दूँ.....पर अम्मी-अब्बा... हाए !!! नही जाना मुझे अम्मी के पास.....मुझे अपने पास रख लो.....भाई खुश हो बाहों में कसता.....मेरे माथे को चूमता बोला....मेरी प्यारी तुझे तो मैं अपने पास.... हाए !!! कितनी खूबसूरत है....मेरी गुड़िया .....मेरा चेहरा ठुड्डी पकड़ उपर उठा कर देखता बोला.... हाए !!!.... करते छाती से अलग हो टीवी की तरफ घूम कर बैठ अपने चेहरे को हथेली से धक लिया.....बस यही कमी है तेरे में शरमाती बहुत है.....इतना शरमाईएएगी तो.....कहते हुए मेरी रानों को सहलाया और हाथ को और उपर ले गया रानों के ज़ोर के पास....



जहा से पैंटी का किनारा शुरू होता था......मैं तो चाह रही थी की हाथ को और अंदर घुसा मेरी चूत को सहलाए....चूत में उंगली डाल धीरे-धीरे कुरेदे....अपने हाथ से चूत सहला सहला कर मैं तंग आ चुकी थी....भाई मेरी दोनो चिकनी जाँघो पर....मैं सिसक उठी.....रानों पर फिसलती भाई की हथेली ने बदन की सनसनी को बढ़ा दिया....मैं नाटक करती बोली... हाए !!! भाई हाथ हटाओ....भाई मेरी मांसल जाँघो का मज़ा लेता बोला... हाए !!! रबिया कितनी चिकनी रान है.....एक दम मखन के जैसी... हाए !!! धत ! बेशरम.....सच रबिया मेरा दिल तो इस पर चुम्मिया काटने को कर रहा है.... हाए !!! इसस्स्सस्स....भाई आप....छोड़ो .....कहा पकड़ा है... हाए !!! कितनी खूबसूरत रान है तेरी....अफ आप मानोगे नही..... हाए !!! बेशरम....बेहन की रान.....पर हाथ लगते शरम नही आती.....मैं गर्लफ्रेंड सोच के हाथ लगा रहा हू..... हाए !!! धत !....भाई ने रानों के ज़ोर को सहलाया.....मैं सिसकी... हाए !!!.....मेरी पैंटी के किनारे पर हाथ फेरता बोला.....तू सरमाती बहुत है.....मैं कुछ नही बोली.....टीवी की तरफ देखती रही.....



ऐसे शरमाएगी तो कैसे चलेगा....रान की ज़ोर से हथेली आगे बढ़ा पैंटी पर रखा....मैं सिसकी.... हाए !!! भाई....अपने भाईजान से क्या शरमाना.....हाथ आगे ला चूत के उपर रखा....मैं मचली.....भाई धीरे धीरे कान में बोलता रहा....ऐसे शरमाएगी तो तेरे शौक कैसे पूरे होंगे....हू बता... मैं चुप थी टीवी पर नज़र गड़ाए....भाई ने अपनी हथेली अब चूत के उपर रख दी....मेरी गरम चूत की तपिश उसको मिल रही थी.....बातो में बहलाता अपना मतलब निकाल रहा था....अपने सारे शौक पूरे कर ले.....जहा घूमने जाना हो.....जो पहन ना हो मुझे बता मैं पूरा करुणगा.....समझी मेरे गाल को चूमा..... हाए !!! भाई.....17 की हो गई है ना तू.....हा भाई.....यही तो उमर होती है....खेलने खाने के.....है ना.....जी भाईजान.....पूरी चूत पर अपनी हथेली चिपका एक बार सहलाया.....मैं सनसना गई.....चूत के होंठ गीले हो गये... हाए !!! भाई....इसके बाद तेरा निकाह हो जाएगा.....

 

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