Thursday, December 19, 2013

मालकिन वंदना

मालकिन वंदना
[1] बेपरवाह हुस्न
वंदनाका नाम जेहन में आते ही दिलो-दिमाग़ में अजीब सी हलचल मच जाती है. साथ ही साथ ताज़ा हो उठती हैं मन की वो यादें, जो कल्पना के आकाश से जब यथार्थ के धरातल पर उतरीं तो वो मेरे अंदाज़े से कहीं ज्यादा उन्मादी थीं.
वंदना - उम्र 26 साल, 5’ 5”, दूध जैसी गोरी, छरहरा गठीला गदराया हुआ सांचे में ढला बदन, भरी-भरी चूचियाँ. जब वो जीन्स पहन के चलती थी तो उसकी गोल-गोल, मोटी लेकिन सुडौल गाँड तो जैसे जीन्स फाड़ के बाहर आने को उतावली रहती थी. मुझे पक्का यकीन है जब वंदना सड़क पर जीन्स में चलती होगी तो हर देखने वाले का लँड सख्त कर देती होगी. लड़के तो लड़के, २-२ बच्चों के बाप भी वंदना को हसरत भरी निगाहों से घूरते थे.

ये उन दिनों की बात है जब हम लोग वर्जिनिया, US में थे. वंदना से जान-पहचान मेरी बीवी मोनाली के थ्रू हुई. दरअसल, मोनाली और वंदना दोनों एक ही जगह पार्ट-टाइम जॉब करते थे. वंदना भी शादी-शुदा थी. बहुत जल्द रोहित और वंदना हमारे फैमिली फ्रेंड्स बन गए. क्यूँ की उन दोनों का ऑफिस हमारे घर के पास था, तो वो लोग भी हमारी बिल्डिंग में ही शिफ्ट हो गए.
शुरु में वंदना की ओर मेरा ध्यान नहीं गया लेकिन जैसे-जैसे हम साथ घूमने जाने लगे, मेरे ऊपर वंदना का ख़ुमार चढ़ने लगा. हद तो तब हुई जब हम लोग एक बार न्यू यॉर्क घूमने गए. वहां तो वंदना ने जैसे अपने हुस्न के सारे जलवे ही बिखेर दिए थे. स्लीव्लेस टॉप्स, मिनी स्कर्ट्स, हाई हील्स, छोटी-छोटी one-piece dresses. दिन में मिनी-स्कर्ट में घूमना और रात में छोटी, revealing, सैक्सी dresses पहन के नाईट क्लब में मस्ती करना.
एक रात तो वंदना ने काफी पी ली थी. वंदना ने उस रात सैक्सी silver कलर की one-shoulder, back-less ड्रेस पहनी हुई थी. उस ड्रेस में वंदना तो जैसे क़यामत लग रही थी. वंदना की गोरी सैक्सी कमर पूरी तरह से उघड़ी हुई थी और पहली बार मैंने उस के अधनंगे मुम्मों के इतने करीब से दर्शन किये थे. वंदना का एक चूचा (मुम्मा) तो लगभग आधा उघड़ा हुआ था और ये ही मेरे दिमाग का फ्यूज उड़ा रहा था.


क्लब में डांस करते-करते एक टाइम ऐसा आया कि रोहित ड्रिंक लेने गया था और मोनाली रेस्ट-रूम. कोई 5 मिनट के लिए मैं और वंदना अकेले थे. उस की हॉट ड्रेस ने मेरे दिमाग के साथ-साथ मेरी पैन्ट में भी तूफ़ान मचा दिया था. मेरा लँड तनकर सख्त हो गया था. नाचते हुए दो-तीन बार वंदना की सुडौल गाँड मेरे सख्त लँड को छू कर मखमली एहसास दे गयी. मेरा मन कर रहा था कि मैं वंदना को पकड़ के अपने बदन से चिपका के किस करूं और उस की अधनंगी चूचियों को दबा-दबा के चूसूँ. लेकिन... न जाने कैसे मैंने अपने आप को रोका.

[2] रंगे हाथ
उस ट्रिप के बाद से मैं ख़यालों में वंदना को सोचने लगा. रह-रह के मेरी आँखों के सामने वंदना का अधनंगा बदन नाच रहा था. वंदना की दूध जैसी गोरी और शीशे जैसी चिकनी-चिकनी टाँगों ने मेरा दिमाग़ हिला के रखा हुआ था. जब भी मैं वंदना को मिलता, छुप-छुप के बस उसे ही देखता रहता.
उस दिन में शाम को 5 बजे घर आ गया था. मोनाली ने कॉल कर के बोला था कि उसका काम थोड़ा देर तक रहेगा और वो 8 बजे के बाद ही आ पाएगी. इस अकेले टाइम में मैं वंदना के बारे में सोचने लगा. मुझे आये हुए लगभग दस मिनट हुए होंगे कि मेरा फ़ोन बजने लगा. स्क्रीन पर वंदना का नंबर देख कर मैं थोड़ा चौंका और घबरा गया जैसे मेरी चोरी पकड़ी गयी हो. ‘...ओ माय गॉड.. इस को कैसे पता चला कि मैं इस के बारे में सोच रहा था...’ सोचते हुए मैंने फ़ोन रिसीव किया.
हैलो वंदना, कैसे हो...?
मैं ठीक हूँ भैया, आप ऑफिस से आ गए हो ?
हाँ, बस अभी आया था...” मैंने बोला. वंदना हमेशा मुझे भैया कह के बुलाती थी, जो कि मेरे लिए सबसे बड़ा टर्न-ऑफ था. लेकिन मैं कर भी क्या सकता था.
ओके, तो फिर आप चाय यहाँ पी लीजिये. मोनाली को तो आज आने में देर होगी. आप इधर ही आ जाइए...
अरे आप क्यूँ परेशान हो रही हो, आय ऍम फाइन. ऐसी कुछ भूख नहीं लग रही है. रहने दो...” मैंने फॉर्मेलिटी दिखाते हुए कहा.
नहीं नहीं, आप फॉर्मल मत बनो अभी.. मैं चाय बनाने रख रही हूँ, आप आ जाइये..
ओके मैं 5 मिनट में आता हूँ..” कह के मैंने फ़ोन काट दिया. बस इतनी सी देर की बात-चीत में मेरे लँड की सारी नसें झनझना उठीं. मैं फटाफट तैयार हो कर वंदना के घर पहुँच गया. मैंने दरवाज़ा नॉक किया तो अन्दर से वंदना की खनकती हुई आवाज़ आई, “खुला है भैया...
मैं दरवाज़ा खोल कर अन्दर आया तो फिर से वंदना की आवाज़ आई, “भैया, डोर लॉक कर देना...
वंदना के मुंह से भैया सुनते ही सारे मूड का दही हो जाता था. खैर, मैं अन्दर आया और जैसे ही वंदना पर नज़र पड़ी तो सब कुछ भूल गया.
वंदना सोफे पर बैठी थी. वंदना ने लाइट यलो कलर का गहरे गले वाला झीना स्लीव-लेस टॉप पहना हुआ था और नीचे छोटा जीन्स का शॉर्ट्स (छोटा निक्कर) पहना हुआ था.

वंदना के कसे हुए टॉप में से उस के गठीले सुडौल सैक्सी जिस्म के घुमाव दिख रहे थे. पतली कमर पे चुस्त टॉप में से बाहर को झांकते हुए सुविकसित मोटे गोल-गोल चूच्चे एकदम चमत्कारी नज़ारा पैदा कर रहे थे. झीने टॉप में से वंदना की गुलाबी रंग की चोली का साफ़ आभास हो रहा था. वंदना सोफे पर क्रॉस-लेग (एक टाँग पर दूसरी टाँग रखकर) बैठी हुई थी. वंदना के हुस्न के इस दीदार ने तो जैसे मेरी साँसें ही रोक दी थीं.
इधर ही आ जाइए...वंदना की खनकती हुई आवाज़ ने मुझे सोते से जगाया, “...मैं बस ये फिनिश कर के चाय बनाती हूँ.” मैं वंदना के साथ वाले सोफे पर बैठ गया. रह-रह कर मेरी नज़र वंदना की दूध जैसी गोरी-गोरी और शीशे जैसी चिकनी उघड़ी हुई टांगों पर जा रही थी.
रोहित अभी तक नहीं आया..?वंदना के पति को वहां न देख कर मैंने पूछा.
इन के ऑफिस में आज कोई लम्बी मीटिंग है. 10 बजे से पहले नहीं आयेंगे..” लैपटॉप से नज़र हटाते हुए वंदना ने कहा, “...और हाँ, आप की हार्ड-ड्राइव वापस देने को बोल रहे थे.” थोड़े रहस्यमय अंदाज़ में वंदना बोली.
ओ.. ओके, वो मूवीज कॉपी करने के लिए रोहित ने ली थी...” मैं बोला
हाँ, वही... काफी अच्छा टेस्ट और कलेक्शन है आप का...” फिर से रहस्यमय अंदाज़ में ने वंदना कहा
ज..जी, थैंक्स..” मैंने स्माइल के साथ बोला
और भी कुछ अच्छा है आप के पास..?” इस बार वंदना ने अपनी पैनी नज़रों से मेरी तरफ देखते हुए पूछा
न ... नहीं ... बस... वो कुछ softwares हैं...” मैं अचानक से आये इस सवाल से सकपका गया.
आप का फ़ोटोज का कलेक्शन बहुत अच्छा है..” मेरी आँखों में आँखों डाल कर वंदना ने सख्त लहजे में पूछा.
मैं हार्ड-डिस्क में मौजूद अश्लील फ़ोटो और फ़िल्मों के बारे में सोच कर सिहर उठा. मुझे लगा कि वंदना मुझे ध्यान से देख रही है. किसी तरह संभलकर मैंने झूठ बोला, “व...वो...एक... मेरे एक फ्रेंड ने दिए थे..
और वंदना ने एक दम से मेरा झूठ पकड़ लिया. गुस्से से आँखें चढ़ाते हुए वंदना ने कहा, “और मेरे एडिटेड फ़ोटोज़...? वो किस फ्रेंड ने दिए हैं आप को....?
मुझे काटो तो खून नहीं. वंदना के “ये वाले” फ़ोटो किसी को दिखाने का जोखिम मैं सपने में भी नहीं उठा सकता था. वंदना मेरी वासना के काल्पनिक जगत की मल्लिका थी. मैंने वंदना के बहुत सारे फ़ोटोज़ इकठ्ठा कर रखे थे और मैं उन्हें थोडा modify कर के वंदना के looks / face बदलकर थोडा और उत्तेजक बना कर सेव कर देता था. कुछ फ़ोटो से मैंने मस्त वाले वॉलपेपर बनाए थे जिस में वंदना को मोटे तने हुए लँड के साथ खड़ा किया हुआ था. एक पल में मेरी आँखों के सामने वो सारे फ़ोटोज़ घूम गए. मेरी सांस गले में और दिल पसलियों में अटक गया था. मुझे समझ नहीं आया कि क्या बोलूं, पूरे बदन से पसीने छूटने लगे.
मैं तुम से पूछ रही हूँ... पिछले कुछ दिनों से मुझे फ़ील हो रहा था कि तुम मुझे कुछ अलग नज़रों से देख रहे हो. पहले मैंने इग्नोर किया कि शायद मुझे ग़लतफ़हमी हो रही है, लेकिन आज भी तुम्हारी नज़र मेरी टाँगों से हट नहीं रही थी. और अब ये फ़ोटोज़... ये सब चल क्या रहा है ?” सधे हुए लेकिन बेहद सख्त़ लहजे में वंदना ने कहा.
Vandana really caught me with my pants down. मुझे लगा कि ऐसे समय पर समर्पण करना ही अच्छा रहेगा. जैसे-तैसे मैं हिम्मत जुटा कर बोला, “आय ऍम रियली रियली सॉरी वंदना, मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गयी. प्लीज फॉरगिव मी, प्लीज मुझे माफ़ कर दो...
ग़लती...” मेरी बात काटते हुए वंदना ने कहा, “...मेरे ऐसे फ़ोटो तुम ने कहाँ से और कब लिए?
मैं ये सब अभी के अभी तुम्हारे सामने डिलीट कर देता हूँ .. एंड आय स्वेअर, मेरे पास और कोई कॉपी नहीं है...
आन्सर में फर्स्ट...कहाँ से मिले...” आँखें तरेरते हुए सख्त आवाज़ में वंदना ने पूछा
..व ...वो...मैं...वो ..मैंने... वो रोहित ने एक बार अपनी हार्ड डिस्क मूवी कॉपी करने के लिए दी थी, तब.. मैं.. वो....
क्या सोच के... उफ्फ.. I cant believe... क्यूँ किया तूने ये सब? रोहित ने क्या सोच के तुझे हार्ड डिस्क दी थी और तूने अपने फ्रेंड तक को नहीं बक्शा...
I am really sorry वंदना, मैं सारे फ़ोटोज़ अभी डिलीट .....
shut-up... जस्ट shut-up ... क्या समझ रखा है तूने मुझ को... I cant believe कि तेरे दिमाग़ में ये सब चल रहा था... और डिलीट करने से क्या होगा....” बोलते बोलते वंदना का गुस्से से लाल हो गया था और आँखें जैसे आग उगल रही थीं.

[3] मज़बूर
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इस स्थिति में क्या करूँ | हालाँकि मेरा दिमाग़ ज़्यादा कुछ काम नहीं कर रहा था लेकिन मैं वंदना के मुंह से निकलते शब्दों में परिवर्तन साफ़ तौर पर महसूस कर रहा था | “आप” से शुरू हो कर वंदना “तुम” से होते हुए “तू” पर पहुँच गयी थी | अचानक मेरे दिमाग़ में ख़याल आया कि वंदना ये बातें मुझ से सीधे क्यूँ कर रही है? वो रोहित को बोल कर उसे ही हैंडल करने बोल सकती थी, या फिर मोनाली के ज़रिये भी बता सकती थी | लेकिन वंदना ने ऐसा न करते हुए सीधे मुझ से बात करने का निर्णय क्यूँ लिया? क्या कारण हो सकता है इस सब के पीछे, तब जबकि वंदना चाहती तो अच्छे तरीके से बिना पिक्चर में आये ही मेरी वाट लगवा सकती थी | लेकिन इस से पहले कि मैं कुछ सोच पाता, वंदना की तलवार कि धार जैसी आवाज़ मेरे जेहन को चीरती चली गयी...
I am going to talk to Monali, I think she needs to know about it..
प..प्लीज़ वंदना, मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ता हूँ.. प्लीज़ मोनाली को मत बताना...” मैं लगभग गिड़गिड़ाने के अंदाज़ में बोला | मेरा दर सामने आ गया | ऐसा लगा कि जैसे वंदना ने मेरा दिमाग़ पढ़ लिया था |
वंदना की कँटीली आँखों ने मुझे घूरा | मेरे पूरे जिस्म में खौफ़ की सिहरन दौड़ उठी | पहली बार मेरा ध्यान वंदना की आँखों पर लगे हल्के पीले रंग की eye-shadow पर गया | वंदना की eye-shadow उस के पीले कलर के झीने टॉप से बिलकुल मैच कर रही थी |
No way.. मैं definitely मोनाली को बताने वाली हूँ | In-fact, I am going to call her right away…” और वंदना मोबाइल पर मोनाली का नंबर डायल करने लगी |
मेरी गाँड फट गयी | आँखों के आगे अँधेरा सा छाने लगा | कुछ नहीं सूझा तो मैं वंदना के पैरों में गिर पड़ा और लगभग रोते हुए बोला, “प्लीज़ वंदना, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.. प्लीज भगवान् के लिए फ़ोन काट दो.. मैं कसम खा के कहता हूँ सारे फ़ोटोज़ डिलीट कर दूंगा...
अब मुझे फ़ोन रिंग होने की आवाज़ आने लगी थी लेकिन वंदना ने तो जैसे मेरी बात पर ध्यान ही नहीं दिया था | मेरी गाँड जैसे हलक में आ गयी थी | मैं वंदना के पैरों में पड़ा रोने लगा और गिड़गिड़ाते हुए बोला, “प्लीज़ वंदना.. प्लीज़.. मुझ पे रहम करो.. तुम जो कहोगी मैं करूँगा, प्लीज़ मुझे एक चांस दे दो.. प्लीज़ वंदना....
अचानक वंदना की आँखों में चमक आ गयी और उस ने मुझे घूरते हुए पूछा, “are you sure ? मैं जो बोलूंगी वो करेगा...?” अभी भी दूसरी तरफ घंटी बज रही थी |
हाँ.. हाँ... सब करूँगा...” रेगिस्तान में प्यासे को जैसे पानी का भरोसा मिला और मेरे पास कोई विकल्प भी नहीं था |
kiss my feet...” सर्द लहज़े में वंदना ने हुक्म सुनाया
क्..क...” और मेरी आवाज़ हलक में दब के रह गयी क्यूँ कि वंदना ने उँगली उठा कर मुझे चुप रहने का इशारा किया |
हाँ मोनाली... कैसी है..?वंदना ने फ़ोन पर पूछा | दूसरी तरफ से मेरी बीवी ने कुछ कहा जो मुझे नहीं सुन रहा था | लेकिन वंदना ने अपनी शेरनी जैसी आँखों से घूरते हुए अपनी उँगली से अपने पैरों की तरफ इशारा करते हुए मुझे आदेश दिया |
मैं अभी तक असमंजस में था कि क्या करूँ कि तभी वंदना की खनकती हुई आवाज़ मेरे कानों में पड़ी, “अच्छा सुन, मुझे तुझ से कुछ बात करनी थी...” जान-बूझ कर वंदना ने sentence अधूरा छोड़ दिया और मेरी तरफ बहुत गुस्से से देखते हुए एक बार फिर अपने पैरों की तरफ इशारा किया, जैसे मुझे ये आखिरी मौका दे रही हो |
मैं हैरान-परेशा, कुछ भी समझ नहीं आया कि क्या करूँ | मेरा दिल हलक में आ गया था | वंदना ने अगर मोनाली को बता दिया तो..... नहींहींहींहीं..... मुझे हर हाल में वंदना को रोकना होगा. और कोई रास्ता अब मुझे नज़र नहीं आ रहा था |
लवी भैया की शिकायत...” और इस के आगे वंदना कुछ बोलती, मैंने तुरंत अपना मुंह वंदना के पैरों के नज़दीक लाकर उस के मखमली पैरों को kiss किया | वंदना के पैरों से strawberry की हल्की-हल्की ख़ुशबू आ रही थी, जो कि शायद उस के moisturizer की थी | एक बारगी तो मुझे ऐसा लगा जैसे वंदना के खुशबूदार मुलायम पैरों का स्पर्श मुझे मदहोश कर देगा |
... करनी है..वंदना ने अपनी बात पूरी की तो मेरे होश ही उड़ गए | मुझे कुछ नहीं सूझा, दिमाग़ पूरी तरह बंद | कुछ समझ नहीं आया तो वंदना के मुलायम पैरों को लगातार चूमता चला गया और फिर सर उठा कर दोनों हाथ जोड़ कर वंदना की और ऐसे देखा जैसे रहम की भीख मांग रहा हूँ | वंदना ने पुनः उँगली से अपने पैरों की तरफ इशारा किया और मैं सर झुका कर फिर से वंदना के मखमली पैर चूमने लगा
... देख ना, मुझे मालूम था कि तू लेट आने वाली है इस लिए मैंने लवी भैया को चाय पे बुलाया और ये आने को तैयार ही नहीं थे | अभी २ मिनट पहले आये हैं...” कितनी तेजी से वंदना ने बात पलती, मैं तो हैरान ही रह गया, “...ओके. ठीक है, तुम दोनों लोग डिनर इधर ही कर लेना | काम के बाद तू इधर ही आ जाना... ओके, बाय ...” कह कर वंदना ने फ़ोन काट दिया |


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वंदना के इरादे क्या थे? वंदना ने ये मामला अपने हाथ में क्यों लिया? क्या रोहित या मोनाली को इस सब के बारे में पता था? लवी के भविष्य में क्या छुपा था? क्या वंदना लवी को अपना पालतू कुत्ता बनाने वाली थी?
इन सब सवालों के जवाब मिलेंगे कहानी के अगले भाग में

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