Saturday, December 21, 2013

गुपचुप कहानियाँ- राबिया का बेहेनचोद भाई--14

Lovers-point गुपचुप कहानियाँ-

 राबिया का बेहेनचोद भाई--14
. हाए !!! नही....फिर कहा मौका मिलेगा.....चूत की फाक में पैंटी के उपर से उंगली चलाया.....बदन में बिजली दौड़ गई.....इठलाते शरमाते हुए बोली.... हाए !!! भाई हाथ हटाओ......कहते हुए अपने हाथ को फ्रॉक के उपर से भाई की हाथ पर रख दिया.....भाई मेरी गर्दन चूमता बोला....क्या हुआ.... हाए !!! यहा नही.....यहा से हाथ हटाओ......खाली हाथ ही तो रखा है..... हाए !!! नही अपने इज़ारबंद खोलने के बहाने भी हाथ लगाया था.....क्यों यहा हाथ लगाने से कुछ होता है....धत ! मार दूँगी.....बता ना कुछ होता है क्या.....धत !...बेशरम.....दिल करता होगा... हाए !!! नही नीचे बैठने दो.....कहते हुए मैने नीचे उतरने की कोशिश की......भाई एक हाथ से चूत को सहलाता दूसरी हथेली बाहर निकाल मेरी कमर पकड़ रोकता हुआ.....मुँह को कान के पास सटा सरगोशी करता बोला....क्यों ज़यादा चुभ रहा... हाए !!! धत !....मैं शरमाई....छोड़ो .....
वैसे तूने बताया नही क्या चुभ रहा है.....इससस्स....भाई... हाए !!! बता ना क्या चुभ.... हाए !!! गंदे....अच्छा चल मैं बताऊँ ....उ हू...बहुत बदमाश....बता दूँ....मैं शरमाती इठलाती सिसकी... हाए !!!... भाई सरगोशी करते कान में बोला..... लं .......न्ड....उफफफफ्फ़.... बेशरम्म...म्मममम.....धत !...बोलते हुए मैने अपना चेहरा अपनी हथेली में छुपा लिया.....भाई हाथ आगे ला मेरी हथेली को हटाता बोला.....अब बता क्या चुभ... हाए !!! इसस्स्सस्स...बहुत बेशरम हो भाई आप.....भाई हल्के से मेरे गालो को चूमता बोला....तू जानती थी इसका नाम....मैं शरमाई... हाए !!!....बता ना....जानती थी....तेरी सहेलियों ने तो बताया होगा.....मैं शरमाई अपने निचले होंठों को दांतो तले दबाया...इसस्स्स्सस्स गंदे भाई..... हाए !!! चल बोल के दिखा ना....भाई का क्या चुभ रहा है.... हाए !!! नही.....शरमाती रह जाएगी....जिंदगी का कुछ मज़ा नही ले पाएगी... हाए !!! मुझे शर्म आती है....बोल ना प्लीज़ रबिया.....प्लीज़....मैं धीरे से अपने चेहरे को हाथो से धकते कहा.....मेरे से नही होगा......कोशिश तो कर.....चूत के होंठों पर उंगली चलाया..... हाए !!! नही पहले वहा से हाथ हटाओ......पहले बोल के दिखा क्या चुभ रहा है......



अफ ...मानोगे नही.....मान जाओ मेरे अच्छे भाईजान......मान जा ना मेरी गुड़िया रानी.....मेरी खूबसूरत परी ....कहते हुए भाई ने गर्दन आगे कर मुझे देखा.....उफफफफ्फ़.....आप मुझे मत देखो.....आँखे बंद करो....ले कर लिया... हाए !!! बोल दूँ....हा बोल....इसस्स्सस्स... लं....न्ड....भाई एक दम खुशी से उछल पड़ा....गोद में और ज़ोर से कस पेट पर रखी हथेली को सीधा मेरी राईट चूंची पर रख दबाते हुए....दबोच कर मुझे बाहों में कस लिया..... हाए !!! मेरी जानेमन....मेरी गुड़िया रानी....तेरी अदाए...एक बार और बोल के... हाए !!! धत !... हाए !!! एक बार....नही....प्लीज़.....उफफो भाई....भाई ने मेरे गाल को चूम लिया... हाए !!! बता ना....थोड़ा झुझलाहट भरी मुस्कुराहट के साथ बोली....दुबारा मत बोलना....ठीक है नही बोलूँगा....मैं धीरे से बोली... लं......न्ड.....भाई और ज़ोर से कसता.....राईट चूची अपनी पूरी मुट्ठी में कस.....ज़ोर से मसल दिया.....भाई की चूची वाली हथेली पर अपनी हथेली रखते हुए....मैं एकदम दर्द और मज़े से सिसक उठी.....अफ भाई दर्द......उफ़फ्फ़....छोड़ो .....मेरे चिल्लाने पर चूची पर पकड़ ढीला कर दिया.....पर हटाया नही.....अब उसका एक हाथ मेरी चूची पर और एक हाथ मेरी चूत पर था.....दोनो हाथ शरारत कर रहे थे......



चूत को सहला रहा था और चूचियों को धीरे धीरे मसल रहा था.....मैं सिसकती हुई बोली.... हाए !!! अब हाथ हटाओ....मैने बोल दिया.....भाई शरारत करता बोला.... हाए !!! कौन सा हाथ नीचे वाला....या....उपर..... मैने तड़प कर चूची वाले हाथ को हटने की कोशिश करने का नाटक करती बोली.....दोनो....नीचे वाला और.... हाए !!!....भाई ने चूची को हल्के से दबाया... हाए !!! छोड़ो ....हाथ हटाओ......भाई ने चूत वाले हाथ को हटा पेट पर रखा.....मैं इठलाती बोली....उपर वाला भी....भाई मेरी गाल को चूमता बोला....कही पर तो रखने दे....नही आप बहुत बदमाश हो....दर्द होता है मुझे......अच्छा अब धीरे से दबाऊंगा ठीक है...... हाए !!! धत !...मैं दबाने को थोड़ी बोल रही हू....फिर क्या बोल रही है मेरी गुलबदन बहना.... हाए !!! बदमाश मैं....हाथ हटाने को बोल रही हू.....तूने ही कहा की मैने ज़ोर से दबा दिया है....दर्द होता है तुझे......हा कहा था पर......बीच में काट ता बोला....


ठीक है मैं धीरे धीरे मसलूंगा....अपनी गुड़िया रानी को दर्द नही दूँगा....... हाए !!! धत ! आप ना भाई बात से बात निकालते हो.....मैने कब कहा की धीरे से दबाओ मेरा सी..ना....भाई ने अपने दूसरे हाथ को पेट से हटा लेफ्ट चूची पर रखा.....मैं चौंक कर वहा हाथ ले गई......ये क्या.....वो कान में सरगोशी करते बोला.....थोड़ा सा दबाने दे ना.....नही हाए !!! हाथ हटाओ....मुझे कुछ .... हाए !!! रबिया प्लीज़....देख ना नीचे से हाथ हटा दिया है....खाली उपर ही तो रखा है... हाए !!! नही भाई....छोड़ो .....उफ़ !!!....भाई मुझे कपकपि लग रही है.....एक तरीके से ग्रीन सिग्नल दिया की....दबाओ मज़ा आ रहा है....कपकपि क्यों लग रही है... हाए !!! पता नही कैसा-कैसा लग रहा है.....उफफफफ्फ़.....अजीब सा लग रहा है.....चूची के निपल को फ्रॉक के उपर से हल्के हाथो से चुटकी में पकड़ बोला.... हाए !!! अजीब सा क्यों कर लग रहा है.... हाए !!! मुझे नही पता....भाई प्लीज़ हाथ हटाओ...उफफफ्फ़.....कहती हुई मैने अपनी आँखे बंद कर ली.....मेरी साँसे तेज चल रही थी....दोनो पैर फैला.....मैं गोद में मचलने लगी....और पीछे पलट भाई की छाती में अपना मुँह छुपा उसको कस कर पकड़ लिया.....मेरा दिल तेज़ी से धड़क रहा था.....ये पहली बार था किसी लड़के ने मेरी आनच्छुई चूचियों को अपनी हथेली में लेकर मसला था.....सहेली की हथेली और यार की हथेली का फ़र्क समझ में आ रहा था..... कुछ लम्हे तक हम दोनों चुप रहे.....मैं उसकी छाती से चिपकी रही......तभी वो धीरे से बोला..... रबिया....हू.....मज़ा आया दबवाने में.... हाए !!!...बोल ना......कितना नखड़ा करती है....उसकी छाती से चेहरा उठा....मुस्कुराती....गाल गुलाबी करती....गर्दन झुकाए मैं सीधी बैठ गई....और अपने बालो को ठीक किया....भाई फिर से पुछा ....बोल ना...अच्छा लगा ना... हाए !!! मैं नही जानती....क्यों अभी तो बोल रही थी अजीब सा... हाए !!! धत !...मुझे आपके इरादे अच्छे नही लगते....क्यों मैने क्या किया..... हाए !!! नही....आप कुछ कर दोगे... हाए !!! मैं क्या कर दूँगा....मुझे हसी आ गई....पीछे पलट भाई की छाती पर मुक्का मारती बोली....ज्यादा बनो मत.....आज आपने सारी हादे पार कर दी....

 उफ़फ्फ़ रब्बा....भाई कितने बेशरम.....मज़ा लेने के लिए तो बेशर्मी तो करनी ही पड़ती है....कहते हुए भाई ने मुझे बाहों में भरा....धत ! आजकल आप बहुत मज़ा लेने के चक्कर में.....सिर पर चुम्मि लेते हुए बोला......तू भी ना रबिया.....यही तो उमर है अपनी.....अच्छा चल एक बात बता....ईमानदारी से....किसका निकाह पहले होगा.....तेरा या मेरा... हाए !!! आपका...चल झूठी....सच्ची सच्ची बोल.... हाए !!! मेरा....हा पर कब होगा ये ठीक नही....भाई समझाने वाले अंदाज में बोला....और कैसे लड़के से होगा....मैं गोद में बैठे भाई की तरफ मुड़ गई....थोड़ा शरमाते....होंठों पर मुस्कुराहट लिए उसकी बातो को सुनने लगी......किस खानदान में होगा....इसका पता नही...क्यों है ना....हा भाई....तेरे जैसी खूबसूरत परी के लायक लड़का खोजना कितना मुश्किल है....ये तू नही जानती... हाए !!! धत ! भाई....फिर उसके बाद मेरा नंबर कब आएगा....कुछ आता पता ही नही..... हाए !!! अम्मी से जल्दी करने के लिए बोल.....






अम्मी किसकी सुनती है.....उसका प्लान तो मुझे विलायत भेजने का है....खैर छोड़ ये बाते....मैं तो ये कह रहा था की....अगर हम अपनी उमर के हिसाब से इस जिंदगी के बाहर को नही लूटेंगे तो.....दुनियावी दौड़ में पिछड़ जाएँगे......क्यों है....ना.....हा भाई पर.....भाई चालाकी से चुदाई के मज़े को तरक्की से ज़ोर रहा था.....पर क्या.....हम दोनो भाई बेहन है.....हम कैसे आपस में.....सारी दुनिया के लोग करते है....सुल्ताना ने तो खुद अपने छोटे भाई को फसाया था.....फिर हम ज्यादा कुछ नही करेंगे....ज्यादा आगे नही बढ़ेंगे.... हाए !!! लेकिन अगर किसी को पता चल गया तो..... किसी को पता ना चले इसलिए तो हम आपस में करेंगे.....अगर किसी बाहर वाले के साथ करेंगे तभी तो लोगो को पता चलेगा....क्यों बाहर वाले के साथ ज़्यादा ख़तरा है की नही.....हा भाई वो तो है.....फिर इस बारे शहर में ज्यादा लोग हमे जानते भी नही......हा भाई.....फिर हम लोगो के बीच चुप्पी च्छा गई.....




जैसे हम दोनो सोच रहे हो आगे बढ़े या नही.....जबकि दोनो तैयार बैठे थे आगे बढ़ने के लिए....भाई तैयार बैठा था मेरी अपना लंड पेलने के लिए....और मैं तो ना जाने कब से तैयार बैठी थी अपनी चूत चुदाने के लिए....कुछ लम्हे बाद मैं धीरे से बोली.....सच में सुल्ताना ने खुद ही अपने छोटे भाई को फसाया था.....और क्या....बड़ा खूबसूरत था उसका भाई.... हाए !!! वो खुद भी तो बहुत खूबसूरत थी....आपने उसके साथ कुछ .....नही यार मौका ही नही मिला जब तक बात आगे बढ़ाती तब तक......बड़ा अफ़सोस हुआ होगा आपको.....मैं थोड़ा हस्ती हुई बोली......क्या कर सकते है.....भाई मुँह बिचकाते बोला.....पर भाई आपको उसके और उसके भाई का पता कैसे चला......अरी बताया नही था तुझे.....मेरा दोस्त है ना जावेद....हा वही जो चस्मा लगता है.....हा वो अपनी बाजी को करता है ना.... हाए !!!....देखने से दोनो भाई-बेहन कितने शरीफ लगते है मैं बोली.....भाई हँसता हुआ बोला.....देखने से सब शरीफ लगते है......उसकी बाजी ना सुल्ताना की दोस्त है......अब दोनो ने एक दूसरे को शायद अपने राज बता रखे होंगे या पता नही क्या चक्कर था......

पहले तो मुझे यकीन नही हुआ मगर फिर......हा भाई मुझे भी ऐसे क़िस्सो पर यकीन नही होता था पहले......मैं अब पूरी तरह से खुल जाना चाहती थी.....अब भाई को रोकने की जगह ऐसा दिखना था जैसे उसने मुझे राज़ी कर लिया है......और बातो बातो में अपनी चूत में उसका लंड जल्द से जल्द ले लेना है.....बात को आगे बढ़ाती बोली.......वहा अपने शहर में मेरी सहेलियाँ भी बतलाती थी.......कौन....एक तो आयशा थी फिर सादिया और भी थी.....आयशा और सादिया तो दोनो अपने बड़े भाई के साथ..... हाए !!! मुझे तो यकीन नही होता था.....सादिया ने तो अपने बड़े और छोटे दोनो भाइयों को फसा....फिर यहाँ आकर फ़रज़ाना को जब अपना सीने मसलवाते देखा तो.......भाई ने मुझे बाहों में कसा और फिर से अपना हाथ मेरी चूचियों पर रख कहा......



वही तो मैं कहता हूँ.......सारी दुनिया कर रही है.....आजकल कल का फैशन बन गया है.....बाहर इतने ख़तरे है की.....घर में करने में ही समझदारी है......हा भाई....चूची को थोड़ा और उभरा....भाई ने थोड़ा और कस कर दबाया......छोड़ ना क्या इनकी बाते.....दूसरो की बातो में क्यों वक़्त जाया करे.....हम अपना... हाए !!! भाई...लेकिन.....अब लेकिन वेकीन कुछ नही.....सीने मसला था तो मज़ा आया था ना.... हाए !!!....बता ना... हाए !!! हा....भाई ने कस कर चूची को पकड़ा.....भाई धीरे....भाई ने पकड़ ढीली की और हल्के हाथो से मसलता बोला.... हाए !!! ऐसे ही बताएगी तभी तो.... हाए !!! भाई....इससस्स....मैं सिसकी......अच्छा लग रहा है ना...कितने गठीले मम्मे है तेरे.. हाए !!! कच्चे अमरुद के जैसे.... हाए !!! भाई ईईईईस !!.....मज़ा आ रहा है ना.....मैं सिसकती बोली... हाए !!! हू...






फ़रज़ाना ऐसे ही मसलवा रही थी ना....हा भाई हाए !!!....जब तूने देखा तो तेरे भी दिल में आया होगा.... हाए !!! क्या....की कोई तेरी भी मसल... हाए !!! भाई...धत !... हाए !!! बता ना.... हाए !!! भाई....जानती है जब डिस्को में हम चिपक कर... हाए !!! हा.....हा उस दिन ना तेरा सीने जब मेरी छाती से लगा.... हाए !!! इसस्सस्स.....बदमाश....याद ना दिलाओ....क्यों मज़ा आया था ना... हाए !!! भाई...बहुत मज़ा.... हाए !!! तब से तड़प रहा था....कब अपनी प्यारी गुड़िया रानी के मम्मे.... हाए !!! इसस्स....गंदे भाई.....बेशरम... हाए !!! मुझे पता भी नही था....मेरा बड़ा भाई मेरे सीने पर....गंदी नज़र रख... हाए !!!.....भाई हँसता हुआ मेरी चूचियाँ और कस के दबाते हुए मसल....मेरी चूची के नोक को रबर की तरह से पकड़ आगे की तरफ खींचते बोला.... हाए !!! मेरी प्यारी बाहेना.....तू है ही इतनी खूबसूरत....तेरे ये मम्मे... हाए !!! अल्लाह....कयामत है....कयामत.... हाए !!! ईिइइइइ....इसस्सस्स भाई धीरे....तभी भाई लेफ्ट चूची पर से हाथ हटा मेरी रानों के बीच ले गया....

स्कर्ट के उपर से मेरी लालपरी के उपर रख दबाते हुए.... मेरी अनछुई फाको वाली कली को अपनी मुट्ठी में क़ैद करने की कोशिश की.....मैं एकदम से तड़प उठी... हाए !!! कर मचलते हुए.....भाई के हाथ के उपर हाथ रख सिसकी... हाए !!! भाई यहाँ नही.....थोड़ा बहुत नखड़ा तो ज़रूरी था ना... हाए !!! क्या हुआ मेरी बन्नो... हाए !!! नही यहाँ से हाथ हटाओ..... हाए !!! यही तो असल मज़ा है गुड़िया ... हाए !!! नही भाई....आप ने कहा था ज्यादा आगे नही बढ़ेंगे.... हाए !!! पर मैं कहा कुछ कर रहा हू.... हाए !!! नही आप छू... हाए !!! छुने से कुछ नही होता मेरी बहेना.....इतनी बड़ी हो गई....इतनी समझदार हो कर..... हाए !!! छुने दे ना.... हाए !!! भाई पर असल ख़तरा तो.... हाए !!! ख़तरा तो तभी है जब मैं अंदर... हाए !!! धत ! चुप करो....ये लो अब बोलती है...चुप करो....जानती सब है मगर.... हाए !!! ज़रा देखने दे ना छू कर....कैसा....होता है.... हाए !!! धत !....नही....प्लीज़ मैने आजतक नही छुआ... हाए !!! धत !...झूठे..... हाए !!! सच कह रहा हू किसी की नही.....क्यों आपकी सहेली....कौन सुल्ताना...हा उसकी तो....नही यार कहा आज तक किसी की नही.....सुल्ताना ने हाथ ही नही रखने दिया.....खाली सीने एक दो बार छुआ.....



हाए !!! उसका सीने मसला....हा एक दो बार.... हाए !!! कैसा था उसका.....तेरे से बड़ा था... हाए !!! पर उसकी उमर ज्यादा.....हा पर तेरे जीतने सख़्त नही....उसका गुलगुला सा था....तेरे तो अफ...क्रिकेट के बॉल सरीखे... हाए !!! धत ! चुप करो बेशरम....अच्छा ठीक है....पर छुने दे ना.... हाए !!! सच किसी की नही.....सच्ची मेरी प्यारी....अच्छा एक बात पुछू... हाए !!! क्या......कैसी होती है ये नीचे वाली....धत !.....मार दूँगी.... हाए !!! बता ना.....भाई भी कम नाटकबाज नही था.....इतना नादान तो था नही की उसे पता नही हो की चूत कैसी होती है......मैं मचलती हुई बोली... हाए !!! धत !....इतना सब कुछ जानते हो और.....जानता तो हू....मगर कभी देखा नही है.... हाए !!! बता ना कैसा... हाए !!! धत !...बेशरम.....अभी दो मिनिट पहले तो वहा पर हाथ लगा रखा था.... हाए !!! देख मैने अपने वाले का तो नाम भी बता दिया....फिर अपनी हथेली को फैला...इशारा करता हुआ धीरे से बोला.... हाए !!! देख....मेरा लंड ना इतना बड़ा है.....लंबा सा....बेलन के जैसा.... हाए !!! इसस्स...बेशरम....गंदे.....बदमाश....



उफफफफ्फ़ ....कितने गंदे... हाए !!! आपको ज़रा भी शर्म....अब शरम का क्या करना....देख मैने तो अपने वाले का नाम भी बता दिया... हाए !!! छुने दे.... हाए !!! नही....जिद ना करो.... हाए !!! कैसा होता है ये तो बता दे....मैं शरमाती गाल लाल करती बोली... हाए !!! मुझे शर्म आती है... हाए !!! प्लीज़ बता ना.....मैं धीरे से बोली बता दूँ... हाए !!! हा....फिर मैने दोनो हतेली की उंगलिओ को ज़ोर कर चूत का तिकोना बना दिखाते हुए कहा... हाए !!! ऐसा....फिर झट से हाथ अलग कर लिया.....भाई जोश में आ मुझे दबोचता सिसका... हाए !!! ऐसा.....मैं मचलती हुई बोली... हाए !!! हा... हाए !!! रबिया तूने मेरी बेकरारी और बढ़ा दी.... हाए !!! मैने क्या किया सब तो आप खुद ही करते हो.... हाए !!! रबिया..बड़ी तम्माना थी दिल में....किसी की छू के देखे.... हाए !!! छुने दे.. हाए !!! नही भाई.... हाए !!! रबिया मेरी प्यारी बेहन एक साथ दोनो जगह छुने से ज़यादा मज़ा आएगा....देख.....कहते हुए भाई ने झट से मेरी स्कर्ट के अंदर हाथ घुसा रानों के बीच सीधा चूत पर हाथ रख दिया.....मैं तड़प कर मचली....भाई के हाथो के उपर हाथ रख....रानों को कसने की कोशिश की पर उसने....फाको के बीच पैंटी के उपर से उंगली चलते हुए मेरी चूची को दबाया....
 


पूरा बदन सनसना गया.....जवानी के इस अनोखे मज़े का स्वाद पहली बार किसी लड़के के साथ ले रही थी....उपर से सगे भाई के साथ जिस्मानी लुत्फ़ उठाने की गुनाह का लज़्ज़त भी बड़ा अनोखा मज़ा दे रहा था......मेरी आँखे नशीली हो बंद होने लगी....मैने सिसक कर अपने चेहरे को भाई की छाती में च्छुपाया.....भाई बारी बारी से दोनो चूंचीयों को मसलते....चूत की फाको में धीरे धीरे उंगली चला रहा था....मेरी पतली सी छापे वाली चड्डी....के उपर से उसकी उंगलियों की सरसराहट का अहसास...चूत की अनछुई और अनचुदी फाको के उपर पुरकशिश महसूस हो रही थी.....तभी भाई सरगोशी करते बोला... हाए !!! रबिया....बन्नो....हू...अच्छा लग रहा है....मैने अपना चेहरा उसकी छाती में और ज़यादा घुसेड़ा .... हाए !!! बता ना....मैं सिसकती हुई बोली... हाए !!! भाई सीई....उफफफ्फ़....अच्छा लग रहा है ना.... हाए !!! भाई आपके हाथो में जादू.....मैं कहता था ना...नीचे असल मज़ा.... हाए !!! हा भाई.....पर ज़यादा आगे नही.... हाए !!! मुझे ख्याल है मेरी गुड़िया .....





मैं अपनी गुड़िया को ख़तरे में नही पड़ने दूँगा.....चूत सहलाने और चूचियों के मुस्सल्सल मसले जाने से.....मेरा जिस्म दहक उठा.....मेरी चूत पानी छोड़ने लगी....मैं सिसक उठी.... हाए !!! भाई....इसस्स्सस्स......उफफफफफ्फ़.....भाई मेरी तड़प को देख और ज़ोर से मेरी चूची को दबाने मसलने लगा.....मेरी चूत की फाको को सहलाना छोड़....पूरी चूत को अपनी मुट्ठी में दबोच लिया.....उईईईई....आम...ममिईिइ.....सीईईई...भाई ही....छोड़ो .....पर भाई ने अपने गर्दन आगे बढ़ा मेरी कान के लाउ को अपने होंठों को बीच दबा चूसना शुरू कर दिया......चूत को सहलाते हुए हाथ को......रानों के ज़ोर तक ले गया और.....पैंटी के किनारे से अपनी उंगली अंदर घुसा दी.....मैं अब ना तो कुछ बोलना चाह रही थी ना ही उसे रोकना चाह रही थी......दोनो रानों को फैला.....चूची मसलवाते भाई की छाती में चेहरा घुसेड़े अपना मज़ा लूटना चाहती थी.....भाई ने चूत के होंठों तक अपनी उंगली पहुचा दी.....अब उसकी उंगली मेरी नंगी चूत के उपर थी.....थोड़ी देर तक टटोलने और झांटों पर उंगली फेरने के बाद.....उसको मेरी चूत के छेद और फाको का अंदाज लग गया....






मेरी नंगी फाको पर उंगली चलते हुए मेरी चूचियों को बारी बारी से अदल बदल कर दबाने लगा.....मैं सिसक रही थी.....सनसनी की वजह से अपनी जांघें सिकोड़ रही थी.....भाई बार बार मेरी जाँघों को दूसरे हाथ से खोल देता.....वापस हाथ को चूची पर ले जाकर....दोनो चूंचीयों को बारी बारी से मसलते.....चूत की फाकॉ के बीच अपनी आग लगाने वाली उंगलियों को रगड़ रहा था.....मेरी आँखे इस अनोखे मज़े को पा बंद होने लगी....तभी भाई ने चूची पर से अपनी हथेली हटा मेरे सिर को पकड़ा....मुझे अहसास भी नही हुआ....कब उसने अपने गर्म होंठ मेरे तपते लबो से चिपका दिए.....मेरी नाज़ुक गुलाबी होंठों को अपने होंठों के बीच ले चूसने लगा....मैं भी अब अपने आप को रोकना नही चाहती थी......बगैर किसी नाज़-नखड़े के होंठों के बीच अपनी होंठों को दे दिया....नीचे भाई की उंगलियाँ मेरी बुर की कुँवारी होंठों के साथ छेड़ छाड़ कर रही थी.... उपर और नीचे दोनो जगह की होंठों के साथ एक साथ शरारत का मज़ा अनोखा था....भाई दोनो होंठों को अपने होंठों के बीच दबा चूसने लगा.....मैने अपनी जीभ को भाई के मुँह में धकेला.....उसने लपक कर पूरा मुँह खोल....जीभ को होंठों के बीच दबा.....चूसना शुरू कर दिया.....
थोड़ी देर बाद मेरी होंठों के बीच अपने जीभ को तेल कर.....चारो तरफ घुमाते हुए....मेरी गुलाबी होंठों को रस को इतनी ज़ोर से चूसा की बस मेरी तो जान निकल गई.... हाए !!!........होंठों के चुसाई के अनोखे लज़्ज़त ने हम दोनो को कुछ लम्हो तक उलझाए रखा....मैं बेजार हो चुकी थी....थोड़ी देर बाद जब भाई ने अपने होंठों को मेरे लबो से अलग किया तो......हम दोनो की साँस उखड़ चुकी थी.....मैने अपनी आँखे खोली.....भाई का चेहरा एक दम लाल पड़ गया था.....सीधा मेरी आँखो में देखता एक बेशर्म मुस्कराहट के साथ बोला.....कैसा लगा मेरी गुड़िया .... हाए !!!....सीई.....भाई... हाए !!! मेरी जान....मेरी प्यारी बहन .....तेरे होंठ नही शहद के प्याले है.....



उफफफफ्फ़ ....कहते हुए एक और हल्की चुम्मि.....अपनी सांसो काबू में करते मैने शर्मा कर.. हाए !!! किया और.....अपना चेहरा उसकी छाती में छुपा लिया.....भाई ने तब तक दूसरा हाथ मेरी फ्रॉक के नीचे घुसा दिया.....एक हाथ से मेरी पैंटी की म्यानी को अलग करते हुए.....मेरी चूत को पूरा नंगा कर दिया.....मैं रान सिकोड़ते हुए....सिसकी....मगर उसने मजबूती से अपने दूसरे हाथ की बीच वाली उंगली को सीधा मेरी चूत के फूल सरीखे छेद पर लगा....हल्का सा दबा दिया....उसकी उंगली का एक पोर मेरी बुर के अंदर घुस गया.....मैं सिसक उठी.... हाए !!! भाई ये क्या.....उंगली है बन्नो....कोई मेरा लं....कहते हुए उसने थोड़ा और दबाया.....मेरी कसी हुई फुद्दी में उसकी आधी उंगली घुस गई.....मैने बेसुध हो....रानों को उसकी हाथो पर कस लिया.....सिसियाती हुई बोली... हाए !!! भाई उफफफफ्फ़...ये क्या कर रहे हो....उफफफफ्फ़ बहुत.....छी....... हाए !!! मेरी प्यारी....अभी सही हो जाएगा मेरी डार्लिंग बहना....देख कितना मज़ा आ रहा होगा.....खाली उंगली ही तो डाल रहा....ले...थोड़ा और....कहते हुए कच से उंगली निकाल....वापस फिर से चूत में घुसेड़ दिया....रान कसने से चूत कस गई थी....उंगली भी मुश्किल से जा रही थी.....
हल्के दर्द का अहसास हुआ.....मैं सिसकी.. हाए !!! भाई दर्द..... हाए !!! कभी उंगली नही डाला...खुद से.. हाए !!! धत्त्त....मैं ऐसे...काम....नही....उफ़फ्फ़....भाई दर्द....रान को फैला ना...आराम से जाएगा.....मज़े की पानी छोड़ रही है....देख.....उंगली निकाल उस पर लगे पानी को दिखता बोला... हाए !!! सस्स्सिईईईई...धत !....तभी भाई ने उंगली पर लगे पानी को अपने होंठों के पास ला जीभ निकाल चाट लिया.... हाए !!! ये क्या भाई....उफफफ्फ़....मेरी प्यारी का रस है....छी गंदे....ऐसे कैसे बर्बाद कर दूँ... हाए !!! मेरी बहन का रस भरी जवानी का पहला रस.....उफ़फ्फ़...मजेदार...कहते हुए उसने फिर से चूत में उंगली पेल दी....गोद में बैठे बैठे ही मैने सारा काम करवा लिया था....चूंची मसलवाने से लेकर चूत में उंगली डलवाने तक.....भाई को बिना चूत दिखाए....एक तरह से उस से फुद्दी चुदवा रही थी....मैने अपनी रानों को ढीला किया तो....भाई ने सक-सक करते हुए चार पच बार लगातार...बुर में उंगली अंदर बाहर किया.....मेरा पूरा बदन ऐंठ गया....रान फैलाए बुर में उंगली डलवाने लगी....



नशा इतना बढ़ गया की....मुँह से सिर्फ़ गुगीयाने की आवाज़ निकल रही थी.....भाई गाल चूमता....गर्दन आगे बढ़ा होंठों पर चुम्मिया लेता....गाँड में लंड चुभाता हुआ....कच-कच उंगली पेल रहा था.....बहन की अनचुदी कसी हुई फुद्दी उसकी उंगली को लपक कर दबोच रही थी
....तभी अचानक दर्द का अहसास हुआ....उईईइ.....भाईजान....धीरे....मेरी संकरी चूत के मुँह पर भाई की दो उंगलियों ने ठोकर मारी थी.....तभी ये दर्द....उफ़फ्फ़.....उसने अपनी दो उंगलियाँ एक साथ मेरी बुर में घुसरेने की कोशिश....किसी जवान मर्द की दो उंगलियाँ लड़की की उंगली से तो मोटी ही होंगी....मेरी चूत को एक उंगली की आदत थी....पर भाई ने दो उंगालियाँ....मैं सिसक उठी... हाए !!! भाई....हटो....भाई समझदार निकला...

झट से दो की जगह एक उंगली पेल...अपने अंगूठे को मेरी चूत के पिस्ते पर लगा दिया.....उंगली से बुर चोदते हुए वो मेरी टीट को मसलने लगा....दर्द की जगह बदन में सनसनी की तेज लहर दौड़ गई....भाई ने उंगली की रफ़्तार बढ़ा दी....मैं गाँड को गोद में खड़े लंड पर रगड़ते हुए....उचका उचका कर....उंगली कच-कच ले रही थी.....आँखे बंद.....पर नशे से भारी....लग रहा था जैसे....मेरा निकल जाएगा....टीट मसलने की वजह से कुछ ज्यादा ही.... हाए !!! भाई सीईईईई.... उफफफफफफ्फ़..... आप.... उफफफफ्फ़.... ये क्या......उफ़ !!!....मैने भाई के हाथ को कंधे के पास पकड़ लिया....चेहरा उस तरफ घुमा....कंधे पर दाँत गड़ाए.......सस्स्सिईईई... करती.... झड़ने लगी....



मेरी आँखे बंद थी......साँस फूल चुका था.....गहरी साँसे लेते भाई के कंधे को पकडे...उसकी छाती में मुँह च्छुपाए.....बैठी रही.....भाई चुप चाप हल्के हल्के मेरे सिर और बालो को चूम रहा था.....कमरे में हम दोनों की तेज चलती सांसो के अलावा और कोई आवाज़ नही आ रही थी.....तभी भाई बोला..... रबिया.... रबिया....अपनी बंद आँखो को खोलते....धीरे से अपने सिर को उठा भाई का मुस्कुराता चेहरा देखा और.....वो सीधा मेरी आँखो में झाँक रहा था.....जल्दी से मुँह घुमा.....शरमाती अपने चेहरे को झुका झट से उसकी गोद से उठ खड़ी हो गई....भाई ने हाथ पकड़ लिया....क्या हुआ कहा जा रही है....शरमाती....नज़रे झुखाए....हल्के से हाथो को खींचती बोली... हाए !!! गुसल....भाई ने हाथ छोड़ दिया....आँखो के कोनो से देखा.....पाजामे में भाई का लंड तंबू बना रहा था.....



बाथरूम में कमोड पर बैठते हुए पैंटी उतार....झुक कर अपनी नीचे की सहेली को देखा.....पहली बार किसी लड़के का हाथ लगवा.....अभी तक झंझना रही थी.....भाई की उंगली से चुदी....मेरी गुलाबी सहेली....अपना रंग बदल गुलाबी से लाल हो गई थी.....भाई ने मुट्ठी में भर मसाला था.....चूत का उपर का हिस्सा थोड़ा सा और उभर गया था....लगता था जैसे.....टीट अभी भी खड़ी थी....हाथ लगा कर देखा.....उफ़फ्फ़....एक दम गरम....टीट पर हाथ रखे छलछला कर मूतना शुरू कर दिया....पहली बार इतनी तेज धार के साथ मूत रही थी....बदन में मीठी सी लहर दौड़ रही थी..... छलछला कर मूतने के बाद....धीरे से पैंटी को खींच उपर किया....आगे के प्लान के बारे में सोचते....अपनी सहेली और हाथो को धो कर....बाहर निकली....भाई अभी भी नीचे बैठा....टीवी देख रहा था.....डाइनिंग टेबल के पास रखे टवल से हाथ पोचहते धीरे से बोली....भाई मैं सोने जा रही हू....भाई जल्दी से पलटा....अरे रुक ना....प्लीज़ मैं इंतेज़ार कर रहा था....यहा आ ना....अब क्या है भाई....सोने जाने दो...
 
 

 

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