Lovers-point गुपचुप कहानियाँ-
राबिया का बेहेनचोद भाई--7
. शबू ने नीचे झुक टीट को होंठों को बीच दबा लिया.....उफ़फ्फ़....चूऊऊस..... उंगली.......पेल.... मेरी......छूटने ....वालीइीई....हुउऊउ....सीईए.. .रण्डीईईईई.... चूस्स्स्स्सस्स....मैं गइईई और शब्बो के मूह मैं ही झड़ गई....मुझे अहसास हुआ जैसे मैं हवा में उड़ रही हू....मेरी आँखे बंद हो गई...कमर अब भी धीरे धीरे उछल रही थी...पर एक अजीब सा सुकून महसूस हो रहा था.... बदन की सारी ताक़त जैसे ख़तम चुकी....ऐसा लग रहा था...हम दोनो पसीने से भर चुके थे....शबनम अभी भी मेरी चूत को उपर से चाट रही थी....मैने हल्के से उसका सिर उठा कर अपनी ओर खींच लिया.....उसके होंठों को कस कर चूमा.... हाए !!! कहा से सीखी तूने ये सारी बाजिगरी...तू नही जानती मेरी एक सहेली थी....उसकी अब शादी हो चुकी है....पर इन सब बातो को छोड़ ....
मेरी चूत भी तुझ से कुछ कह रही है....है सहेली जल्दी से आ जा.....कहते हुए वो दीवान की पुष्ट से सिर टीका लेट गई....हालांकि मैं तक चुकी थी पर मेरा फ़र्ज़ बनता था....शबनम की जाँघो के बीच बैठ उसकी चूत को उसी तरह से चाटने लगी जैसे कुछ लम्हे पहले मेरी चाटे जा रही थी....टीट को मसल कर चूसने के बाद....बुर के फांको को फैला कर....जीभ अंदर पेल कर मैं तेज़ी से घुमा रही थी....चिकनी चूत के नशीले पानी ने मेरे ठंडे जोश को फिर से गरम कर दिया था....मैं तेज़ी के साथ बुर में अपनी जीभ को अंदर बाहर कर रही थी.....शब्बो पूरी गरम हो....उईईई....आईईईईई....सीईईई...करती चिल्लाने लगी....
है मदारचूऊईईईई जम कर चूस्स्स्स्सस्स मैं....जल रही हू....उफफफ्फ़.....आग...लगा दी...मुए ने....सगाई के रोज डर कर भाग गया... हाए !!!ईिइ....पेल देता पटक कर मुझे.... हाए !!!...मैं मना करती....उफफफ्फ़..... मैं चूत छोड़ जाँघ चाटने लगी....वो और गालियाँ निकालने लगी....उफफफफ्फ़.... कुतिया .... क्यों तड़पा रही है....मैने सिर उठा कर कहा....तड़पा तो तेरा खालिद भाई गया....उसी दिन पेल देता तो....आज कहते हुए मैने अपनी उंगलियों पर थूक फेका और....उसकी चूत के गुलाबी छेद पर लगा...कच से पेल दिया....सट से दो उंगलियाँ उसकी चूत निगल गई....उसको जैसे करार आ गया...हल्की सिसकारिया लेने लगी....मैं उंगली चलाती पूछी... हाए !!! खालिद भाई का लंड जाते ही चिल्लाना बंद....मेरी बातो को समझ मुस्कुरा दी हल्की सिसकारी के साथ बोली.... साली ...साली तू खालिद भाई कहना बंद नही करेगी...
मैने हँसते हुए उंगली चलना जारी रखा...ये ले साली....सब बंद कर दिया....लंड ले....मज़ा आ रहा है... हाए !!!ईीई....सीईईईई वो गाँड उचकती चिल्लई...हा ऐसे ऐसे ही...मेरी सहेली....तुझे मेरी दुआ लगेगी....घोड़े के लंड वाला शौहर मिलेगा....ऐसे ही....तभी मैने उंगली खींच ली....
शब्बो चिल्ला उठी.....उईईईई मार जाऊओँगी मेरे को ठंडा कर.....मत तड़पा बहन की लौड़ी मादरचोदी , अरी छिनालल्ल्ल्ल्ल....जल्दी से मेरे को झड़वा दे....रंडी....मुझे उसको तड़पाने में मज़ा आ रहा था....मैं उसकी चूत को थपथपाते हुए बोली....तड़प क्यों रही है....कुतिया ....खालिद भाई का लौड़ा लेगी....हरामिन...बोल ना....खालिद भाई लंड डालो....बोल.....वो मेरा खेल समझ गई भड़क कर मेरे बालो को पकड़ मेरे चेहरे को अपनी चूत पर दबा दिया.... कुतिया ... सब समझती हू....तू तब से मेरे पीछे पड़ी है....मादरचोदी .... बाते बना रही है....उफफफ्फ़....जल्दी से मेरा पानी निकाल....मैं फिर भी शैतानी हसी हस्ती हुई....उसकी टीट को अपने अंगूठे से मसलती बोली.. हाए !!! साली....छिनाल....निकाह के बाद जब अपने खालिद भाई का लंड लेगी तो इतमीनान से चेक कर लेना....हो सकता है कही लिखा हो भाई का लंड....
उफफफफ्फ़....कुतिया मज़ाक उड़ाती है.....अल्लाह करे तेरा सागा भाई तुझे चोदे....अपने भाई का लंड ले तू....साली....मुझे खूब हसी आ रही थी....हा लूँगी....तू बोल ना तेरे खालिद भाई का लंड तेरी बुर में डालु.... मादरचोदी बातें करती है....इधर मैं चूत की आग से जली जा रही हू जल्दी कर्रर्र्ररर.....जल्दी कर्ररर....किसी का भी लंड डाल शब्बो भी खीझते हुए बोली...हा हरामिन डाल...डाल दे मेरे खालिद भाई का लंड....मैने कच से इस बार तीन उंगलियाँ पेल दी....चूत में उंगली जाते ही जैसे उसको करार आ गया हो...अपनी आँखे बंद कर ली उसने....मैं कच कच उंगली अंदर बाहर करने लगी....उसकी चूत भलभला कर पानी छोड़ रही थी....मेरी तीनो उंगलियाँ उसकी चूत में आसानी से अंदर बाहर हो रही थी....उफफफफ्फ़....सीईईईई....ऐसे ही ऐसे....
ही मेरी शब्बो आपा.. हाए !!! बाजी खालिद भाई का लंड अच्छा लग रहा है... हाए !!! बोल ना....मेरी शब्बो....खालिद भाई का लौड़ा कैसा है....मज़े का है...बहुत मज़े का है....वो अपनी आँखे बंद किए बडबड़ा रही थी....हा खालिद भाई चोदो ... हाए !!!.... बहुत मज़ा आ रहा है...ऐसे मरो मेरी चूत में.....मैं तेज़ी के साथ हाथ चला रही थी....शब्बो की जांघें कांप रही थी...मैं समझ गई की ये अब किसी भी लम्हे में झड़ जाएगी....ले मेरी बेगम....अपने खालिद भाई का लंड...अपनी संकरी चूत में....खा जा अपने खालिद भाई का लंड.....वो अब तेज़ी से कमर उचकाने लगी थी.. हाए !!! रबिया मेरा निकलेगा.. हाए !!! मैं झड़ जाउंगी....कुत्तीईईईईई.....जल्दी... जल्दी....हाथ... चला..सीईईई....खालिद....भाई.....का...लंड..बहन...की...लौड़ी...उई मैं.......गैिईईईई....कहती हुई वो दाँत पीसते झड़ने लगी.....उसकी आँखे बंद थी....वो तक कर वैसे ही अपनी जाँघों को फैलाए लेटी रही....
मैं भी धीरे से उठ उसके बगल में आ कर लेट गई...हम दोनो सहेलिया बेसुध हो पता नही कितनी देर वैसे ही पड़ी रही....जब आँख खुली तो देखा अंधेरा होने वाला है और शब्बो मुझे झकझोर रही है....मैं जल्दी से उठ खड़ी हुई....शबनम ने कहा बड़ी गहरी नींद में सोई थी....चल कपडे पहन....मैने उठ कर झट पट कपड़ा पहना अटॅच्ड बाथरूम में जा अपने आप को फ्रेश किया... हाए !!! बहुत ज़ोर की आँख लग गई थी...तेरा पहला मौका था ना....वैसे मज़ा बहुत आया...हा तू तो पहली बार में ही मेरी उस्ताद बन गई....मैं मन ही मन हंस दी...उस्ताद अम्मी की बेटी थी.....
कमरे से बाहर आई तो उसकी अम्मी मिली...तुम दोनो सो गये थे क्या...हा अम्मी वो ज़रा आँख लग गई थी...अपनी सहेली को सगाई के बारे में बताया....हा अम्मी...उसकी अम्मी फिर मुझ से बोली...बेटी निकाह में ज़रूर आना 10 रोज बाद है....सब को लाना...और कौन है घर में....जी मैं यहाँ भाईजान के साथ....हा हा उसको भी लाना...फिर मैं जल्दी से पीछा छुड़ा बाहर आ गई...टॅक्सी पकड़ घर आ गई...जब तक उसका निकाह नही हुआ तब तक चोरी छुपे हमारा ये खेल चलता रहा...कभी उसके घर...कभी मेरे घर...फिर उसका निकाह हो गया और वो हनिमून पर चली गई....
हमारी मस्ती का सिलसिला टूट गया....अब फिर वही रूटीन ....एक हफ्ते तक शबनम के साथ मज़ा करने की वजह से मेरा नशा कुछ हल्का हो गया था.....मगर उसके हनिमून पर जाने के बाद चूत की खुजली ने फिर से सतना शुरू कर दिया....फिर हर रोज फ़रज़ाना से कॉलेज में मिलना होता..... फिर वही...फ़रज़ाना की सड़ी गली बाते.....ये ठीक नही है....मुझे लड़कों की कोई ज़रूरत नही....उसकी बाते सुन दिल जल उठ ता था....दुनिया की सबसे शरीफ लड़की बनने का फरेब.....शराफ़त की नकली बाते.....दिल करता कमिनी का मुँह नोच लू साली का.... ....साली के मुँह से कुछ उगलवाना बड़ा मुश्किल था....मैने कई दफ़ा कोशिश की मगर हर बार...वो बातो का रुख़ इधर उधर मोर देती....ऐसे बनती जैसे लंड-चूत क्या आज तक किसी से चूची भी नही मसलवाई है....जब भी कभी कुतिया को देखती तो....उसके भाई की याद आ जाती....याद आता वो मेरा ड्रॉयिंग रूम में चुपके से घुसना.....
याद आता की कैसे साली आ उहह कर के अपने भाई से अपनी चूचियाँ मसलवा रही थी......अहसास होता की कितनी लकी है रंडी......मेरी तरह उंगली डाल कर नही तड़प रही....भाई के साथ मज़े लूट रही है....बाहर शहर की सबसे शरीफज़ादी कहला रही है.....घर के अंदर दोनो टाँग फैला कर मोटे सुपाड़े वाला लंड खा रही है.....
उसको देखते ही दिल में हुक सी उठ ती... हाए !!! मेरा भाई इसके भाई जैसा क्यों नही..... इस कामिनी फर्रू का भाई कितना समझदार है....मेरा भाई कितना जाहिल है....कैसे फसाया होगा फर्रू ने अपने भाई को.....या उसके भाई ने फर्रू को फसाया....खैर....जो भी हो .....मज़ा तो दोनो मिल कर लूट रहे है....खरबूजे पर चाकू गिरे या चाकू पर खरबूजा.....भाई को फसाने की जो तम्माना दिल के किसी कोने में पिछले एक महीने से दफ़न हो चुकी थी....फिर से जिंदा हो गई..... इतने दिनों तक उसके बारे में सोचते-सोचते अब भाईजान से मुझे इश्क हो चुका था.....जब भी सोचती की कोई लड़का मेरा बाय्फ्रेंड हो....तो भाईजान का मासूम चेहरा सामने आ जाता था.....
वो मेरे ख्वाबो का शहज़ादा बन चुका था.....इस बार ज़ेहनी तौर मैने अपने आप को पूरी तरह तैयार कर लिया.....पक्का फ़ैसला कर लिया....अब बिना लंड के नही तड़पूंगी .....अब या तो मेरी चूत में भाई खुद अपना लंड डालेगा....या मैं उसको सॉफ सॉफ बोल दूँगी.....अब या तो इस पार या उस पार....आगे अल्लाह की मर्ज़ी....
कॉलेज से आ कर लेटी थी.....दिल में हलचल थी....समझ में नही आ रहा था कैसे आगे बढूँ ....क्या बोल दूँ....धत !....सोच कर ही शर्म से लाल हो जाती....ऐसे कैसे बोल दूँ....कौन होगी जो जाकर सीधा बोल देगी.....मेरी चूत में खारिश हो रही है.....चोद दो....खास कर कोई बहन शायद ही अपने सगे बारे भाई को ऐसा बोल सकती है.....अम्मी ने कैसे फसाया होगा.....वो साली तो रंडी है....सीधा अपनी चूत दिखा.....मामू को कहा होगा चोद दो.....फिर ख्याल आता... नही....शुरू में जब दोनो कुंवारे थे.....तब अम्मी ने कुछ तो ऐसा किया होगा.....या फिर मामू ने....
फ़रज़ाना ने भी किसी ना किसी तरह ललचाया होगा....या उसके भाई ने......उसके भाई ने जो कुछ भी किया हो.....यहाँ तो सब कुछ मुझे ही करना था.....अपने भाई के लंड को अपनी सुराख का रास्ता दिखना था.....बतलाना था की....दुनिया मज़े कर रही है...आप भी क्यों तरस रहे हो....अपने मचलते लंड को प्यासा मत रखो......घर में जवानी से भरपुर बहन है.....उस से पूछो ....बात करो ....क्या पता उसकी चूत भी खारिश से भरी हो....क्या पता वो भी तुम्हारे लंड के पानी से अपनी प्यास बुझाना चाहती हो.....सोचते सोचते....धीरे धीरे स्याह अंधेरे से रोशनी की लकीर दिखाई पड़ने लगी.....फिर मेरी आँख लग गई.....शाम होते ही कॉल बेल की आवाज़ सुनाई दी...
ज़रूर भाई होगा..... मैने सबसे पहले अपना दुपट्टा उतार कर फेक दिया......समीज़ का एक बटन खोला....चूंची यों के नीचे हाथ लगा ब्रा में थोड़ा उभरा....फिर दरवाजा खोलने आगे बढ़ी.....समीज़ के उपर से पहले अपनी खड़ी चूंची यों के दिखला कर मुझे उसका रिक्षन लेना था....फिर आगे कदम बढ़ाती.....
मैने अपने गुलाबी होंठो को रस से सारॉबार कर....मुस्कुराते हुए दरवाजा खोला....और अपना सीना तान के उसके सामने खड़ी हो गई.....भाई ने एक नज़र मुझे देखा फिर अंदर आ गया......थोड़ी देर इधर उधर देखने के बाद चेंज करने बाथरूम में चला गया....धत !....लगता है इसने नोटीस नही क्या.....अब क्या करू....मैं वही बैठ गई और टीवी खोल लिया.....दुपट्टा फिर से ओढ़ लिया.....भाई बाथरूम से निकला.....सो रही थी क्या.....हाँ! कॉलेज से आकर तक गई थी.....फिर उसके सामने अदा के साथ हल्के से दुपट्टे को ठीक करने के बहाने से एक चूंची के उभर को नंगा किया.....इस बार उसकी नज़र गई......एक लम्हे को उसकी आँखे उभर पर रुकी.....फिर वो टीवी देखने लगा.....सोफे से उठती हुई बोली ज़रा सफाई कर लू.....
भाई ने मेरी तरफ देखा.... दुपट्टे को सीने पर से हटा सोफे पर रखा......बदन तोड़ते हुए अंगड़ाई ली.........मेरी अंगड़ाई ने चूचियों को उभर कर उसकी आँखो के सामने कर दिया.....तीर जैसी नुकीली चूचियों ने अपना पहला वॉर किया......शायद उसकी आँखो में चुभ गई....तिरछी नज़र से देखा.....भाई मेरी तरफ देख रहा था.....मेरा पहला तीर निशाने पर लगा.....झारू उठा ड्रॉयिंग रूम सॉफ करने लगी.....भाई दीवान पर बैठा था.....झारू लगते हुए उसकी तरफ घूमी......हल्का सा नज़र उठा कर देखा.....वो टीवी नही देख रहा था.... मेरी तरफ घूम गया था..... लो कट समीज़.....उस पर एक बटन खुला....अंदर से झकति मेरी गोरी कबूतरे.....मतलब गोलाइयों की झलक मिल रही थी उसे....मैं सिहर उठी.....ये पहला मौका था....भाई को चूंची दिखाने का....टांगे कापने लगी.....
मैं झट से सीधी हो गई.....झारू एक तरफ रख कर किचन में चली गई....मेरा दिल धाड़ धाड़ कर रहा था.....पेशानी पर पसीना आ गया....भाई को फसाने के खेल में मज़ा आना शुरू हो गया था.....इसके बाद वो मुझे पूरी शाम अजीब सी नज़रो से घूरता रहा....
मैं कामयाब हो चुकी थी....चिंगारी दिखा चुकी....शोला भड़कने का इंतेज़ार था.....भाई को आहिस्ता आहिस्ता सुलगाना था......खेल शुरू कर दिया मैने.....अब जब भी कभी उसके सामने जाती....जान बूझ कर दुपट्टे का पल्लू सरका देती....गर्मी का बहाना कर जब-तब अपने दुपट्टे को हटा देती.....भाई तिरछी नज़रो से....कभी गर्दन घुमाते हुए बहाने से.....कभी जब मैं नज़र नीचे करके दुपट्टे को इधर-उधर करती तो....आँखे फाड़ कर देखता....मेरी बरछे की तरह तनी चूचियाँ को भाई की नज़रो में चुभाने का मेरा इरादा हर लम्हा कामयाबी की ओर बढ़ता जा रहा था.....इसको और कामयाब बनाने के लिए मैने अपनी पुरानी सलवार कमीजे निकाल ली....अम्मी वहा पहनने नही देती थी.....जब पंद्रह की थी तब पहनती थी.....अब तो बहुत टाइट हो गई थी.....
टाइट समीज़ में चूंची ऐसे उभर कर खड़ी हो जाती जैसे क्रिकेट की नुकीली गेंद हो.....टाइट समीजो ने जल्दी ही अपना असर दिखना शुरू कर दिया....भाई मेरी तरफ देखता रहता....अगर मुझ से नज़र मिल जाती तो आँख चुरा लेता....फिर थोड़ी देर बाद तिरछी आँखो से चूचियों को घूरने लगता..... जब मेरी पीठ उसकी तरफ होती तो....लगता जैसे टाइट सलवार में कसी मेरी चूतड़ों को अपनी आँखो से तौल रहा है....मैं भी मज़े ले ले कर उसको दिखती.....कभी अंगड़ाई ले कर सीने उभरती....कभी गाँड मटका कर इतराती हुई चलती ......उसके अंदर धीरे धीरे शोला भड़कना शुरू हो चुका था......भाई जायदातर कुर्सी टेबल पर बैठ कर पढ़ता.......
मैं गाल गुलाबी कर मुस्कुराती हुई जान भूझ कर उसके पास जाती और उसका कंधा पकड़ कर उसके उपर झूक कर पूछती....क्या पढ़ रहे है भाईजान....खुद ही पढ़ते रहते हो.....अपनी खड़ी चूंची के नोक को हल्के से उसके कंधे में सटाते हुए बोलती....
कभी कभी मुझे भी गाइड कर दो तो कैसा रहेगा.....वो अपना चेहरा किताबो पर से उठा लेता....मैं उसकी आँखो में झांकती....अदा के साथ मुस्कुरा कर देखती....भाई अपने सूखे लबो पर जीभ फेरता हुआ बोलता.....क्या प्राब्लम है....मैथ्स में काफ़ी दिक्कत आ रही है भाईजान....कहते हुए मैं थोड़ा और झुकती और सट जाती....चूंची का नोक उसके कंधो के च्छू रहा होता .....मेरी जांघें उसकी कमर के पास....बाहों से टच कर रही होती.....भाई अपने में थोड़ा सा सिमट जाता....मेरी घूरती आँखो के ताव को वो बर्दाश्त नही कर पता.....फिर से सिर झुका लेता और बोलता.....किताब ले आ मैं बता देता हू.....अभी रहने दो अभी तो मैं खुद ही देख लेती हू पर बाद में मदद कर दोगे ना....हा हा क्यों नही....
राबिया का बेहेनचोद भाई--7
. शबू ने नीचे झुक टीट को होंठों को बीच दबा लिया.....उफ़फ्फ़....चूऊऊस..... उंगली.......पेल.... मेरी......छूटने ....वालीइीई....हुउऊउ....सीईए.. .रण्डीईईईई.... चूस्स्स्स्सस्स....मैं गइईई और शब्बो के मूह मैं ही झड़ गई....मुझे अहसास हुआ जैसे मैं हवा में उड़ रही हू....मेरी आँखे बंद हो गई...कमर अब भी धीरे धीरे उछल रही थी...पर एक अजीब सा सुकून महसूस हो रहा था.... बदन की सारी ताक़त जैसे ख़तम चुकी....ऐसा लग रहा था...हम दोनो पसीने से भर चुके थे....शबनम अभी भी मेरी चूत को उपर से चाट रही थी....मैने हल्के से उसका सिर उठा कर अपनी ओर खींच लिया.....उसके होंठों को कस कर चूमा.... हाए !!! कहा से सीखी तूने ये सारी बाजिगरी...तू नही जानती मेरी एक सहेली थी....उसकी अब शादी हो चुकी है....पर इन सब बातो को छोड़ ....
मेरी चूत भी तुझ से कुछ कह रही है....है सहेली जल्दी से आ जा.....कहते हुए वो दीवान की पुष्ट से सिर टीका लेट गई....हालांकि मैं तक चुकी थी पर मेरा फ़र्ज़ बनता था....शबनम की जाँघो के बीच बैठ उसकी चूत को उसी तरह से चाटने लगी जैसे कुछ लम्हे पहले मेरी चाटे जा रही थी....टीट को मसल कर चूसने के बाद....बुर के फांको को फैला कर....जीभ अंदर पेल कर मैं तेज़ी से घुमा रही थी....चिकनी चूत के नशीले पानी ने मेरे ठंडे जोश को फिर से गरम कर दिया था....मैं तेज़ी के साथ बुर में अपनी जीभ को अंदर बाहर कर रही थी.....शब्बो पूरी गरम हो....उईईई....आईईईईई....सीईईई...करती चिल्लाने लगी....
है मदारचूऊईईईई जम कर चूस्स्स्स्सस्स मैं....जल रही हू....उफफफ्फ़.....आग...लगा दी...मुए ने....सगाई के रोज डर कर भाग गया... हाए !!!ईिइ....पेल देता पटक कर मुझे.... हाए !!!...मैं मना करती....उफफफ्फ़..... मैं चूत छोड़ जाँघ चाटने लगी....वो और गालियाँ निकालने लगी....उफफफफ्फ़.... कुतिया .... क्यों तड़पा रही है....मैने सिर उठा कर कहा....तड़पा तो तेरा खालिद भाई गया....उसी दिन पेल देता तो....आज कहते हुए मैने अपनी उंगलियों पर थूक फेका और....उसकी चूत के गुलाबी छेद पर लगा...कच से पेल दिया....सट से दो उंगलियाँ उसकी चूत निगल गई....उसको जैसे करार आ गया...हल्की सिसकारिया लेने लगी....मैं उंगली चलाती पूछी... हाए !!! खालिद भाई का लंड जाते ही चिल्लाना बंद....मेरी बातो को समझ मुस्कुरा दी हल्की सिसकारी के साथ बोली.... साली ...साली तू खालिद भाई कहना बंद नही करेगी...
मैने हँसते हुए उंगली चलना जारी रखा...ये ले साली....सब बंद कर दिया....लंड ले....मज़ा आ रहा है... हाए !!!ईीई....सीईईईई वो गाँड उचकती चिल्लई...हा ऐसे ऐसे ही...मेरी सहेली....तुझे मेरी दुआ लगेगी....घोड़े के लंड वाला शौहर मिलेगा....ऐसे ही....तभी मैने उंगली खींच ली....
शब्बो चिल्ला उठी.....उईईईई मार जाऊओँगी मेरे को ठंडा कर.....मत तड़पा बहन की लौड़ी मादरचोदी , अरी छिनालल्ल्ल्ल्ल....जल्दी से मेरे को झड़वा दे....रंडी....मुझे उसको तड़पाने में मज़ा आ रहा था....मैं उसकी चूत को थपथपाते हुए बोली....तड़प क्यों रही है....कुतिया ....खालिद भाई का लौड़ा लेगी....हरामिन...बोल ना....खालिद भाई लंड डालो....बोल.....वो मेरा खेल समझ गई भड़क कर मेरे बालो को पकड़ मेरे चेहरे को अपनी चूत पर दबा दिया.... कुतिया ... सब समझती हू....तू तब से मेरे पीछे पड़ी है....मादरचोदी .... बाते बना रही है....उफफफ्फ़....जल्दी से मेरा पानी निकाल....मैं फिर भी शैतानी हसी हस्ती हुई....उसकी टीट को अपने अंगूठे से मसलती बोली.. हाए !!! साली....छिनाल....निकाह के बाद जब अपने खालिद भाई का लंड लेगी तो इतमीनान से चेक कर लेना....हो सकता है कही लिखा हो भाई का लंड....
उफफफफ्फ़....कुतिया मज़ाक उड़ाती है.....अल्लाह करे तेरा सागा भाई तुझे चोदे....अपने भाई का लंड ले तू....साली....मुझे खूब हसी आ रही थी....हा लूँगी....तू बोल ना तेरे खालिद भाई का लंड तेरी बुर में डालु.... मादरचोदी बातें करती है....इधर मैं चूत की आग से जली जा रही हू जल्दी कर्रर्र्ररर.....जल्दी कर्ररर....किसी का भी लंड डाल शब्बो भी खीझते हुए बोली...हा हरामिन डाल...डाल दे मेरे खालिद भाई का लंड....मैने कच से इस बार तीन उंगलियाँ पेल दी....चूत में उंगली जाते ही जैसे उसको करार आ गया हो...अपनी आँखे बंद कर ली उसने....मैं कच कच उंगली अंदर बाहर करने लगी....उसकी चूत भलभला कर पानी छोड़ रही थी....मेरी तीनो उंगलियाँ उसकी चूत में आसानी से अंदर बाहर हो रही थी....उफफफफ्फ़....सीईईईई....ऐसे ही ऐसे....
ही मेरी शब्बो आपा.. हाए !!! बाजी खालिद भाई का लंड अच्छा लग रहा है... हाए !!! बोल ना....मेरी शब्बो....खालिद भाई का लौड़ा कैसा है....मज़े का है...बहुत मज़े का है....वो अपनी आँखे बंद किए बडबड़ा रही थी....हा खालिद भाई चोदो ... हाए !!!.... बहुत मज़ा आ रहा है...ऐसे मरो मेरी चूत में.....मैं तेज़ी के साथ हाथ चला रही थी....शब्बो की जांघें कांप रही थी...मैं समझ गई की ये अब किसी भी लम्हे में झड़ जाएगी....ले मेरी बेगम....अपने खालिद भाई का लंड...अपनी संकरी चूत में....खा जा अपने खालिद भाई का लंड.....वो अब तेज़ी से कमर उचकाने लगी थी.. हाए !!! रबिया मेरा निकलेगा.. हाए !!! मैं झड़ जाउंगी....कुत्तीईईईईई.....जल्दी... जल्दी....हाथ... चला..सीईईई....खालिद....भाई.....का...लंड..बहन...की...लौड़ी...उई मैं.......गैिईईईई....कहती हुई वो दाँत पीसते झड़ने लगी.....उसकी आँखे बंद थी....वो तक कर वैसे ही अपनी जाँघों को फैलाए लेटी रही....
मैं भी धीरे से उठ उसके बगल में आ कर लेट गई...हम दोनो सहेलिया बेसुध हो पता नही कितनी देर वैसे ही पड़ी रही....जब आँख खुली तो देखा अंधेरा होने वाला है और शब्बो मुझे झकझोर रही है....मैं जल्दी से उठ खड़ी हुई....शबनम ने कहा बड़ी गहरी नींद में सोई थी....चल कपडे पहन....मैने उठ कर झट पट कपड़ा पहना अटॅच्ड बाथरूम में जा अपने आप को फ्रेश किया... हाए !!! बहुत ज़ोर की आँख लग गई थी...तेरा पहला मौका था ना....वैसे मज़ा बहुत आया...हा तू तो पहली बार में ही मेरी उस्ताद बन गई....मैं मन ही मन हंस दी...उस्ताद अम्मी की बेटी थी.....
कमरे से बाहर आई तो उसकी अम्मी मिली...तुम दोनो सो गये थे क्या...हा अम्मी वो ज़रा आँख लग गई थी...अपनी सहेली को सगाई के बारे में बताया....हा अम्मी...उसकी अम्मी फिर मुझ से बोली...बेटी निकाह में ज़रूर आना 10 रोज बाद है....सब को लाना...और कौन है घर में....जी मैं यहाँ भाईजान के साथ....हा हा उसको भी लाना...फिर मैं जल्दी से पीछा छुड़ा बाहर आ गई...टॅक्सी पकड़ घर आ गई...जब तक उसका निकाह नही हुआ तब तक चोरी छुपे हमारा ये खेल चलता रहा...कभी उसके घर...कभी मेरे घर...फिर उसका निकाह हो गया और वो हनिमून पर चली गई....
हमारी मस्ती का सिलसिला टूट गया....अब फिर वही रूटीन ....एक हफ्ते तक शबनम के साथ मज़ा करने की वजह से मेरा नशा कुछ हल्का हो गया था.....मगर उसके हनिमून पर जाने के बाद चूत की खुजली ने फिर से सतना शुरू कर दिया....फिर हर रोज फ़रज़ाना से कॉलेज में मिलना होता..... फिर वही...फ़रज़ाना की सड़ी गली बाते.....ये ठीक नही है....मुझे लड़कों की कोई ज़रूरत नही....उसकी बाते सुन दिल जल उठ ता था....दुनिया की सबसे शरीफ लड़की बनने का फरेब.....शराफ़त की नकली बाते.....दिल करता कमिनी का मुँह नोच लू साली का.... ....साली के मुँह से कुछ उगलवाना बड़ा मुश्किल था....मैने कई दफ़ा कोशिश की मगर हर बार...वो बातो का रुख़ इधर उधर मोर देती....ऐसे बनती जैसे लंड-चूत क्या आज तक किसी से चूची भी नही मसलवाई है....जब भी कभी कुतिया को देखती तो....उसके भाई की याद आ जाती....याद आता वो मेरा ड्रॉयिंग रूम में चुपके से घुसना.....
याद आता की कैसे साली आ उहह कर के अपने भाई से अपनी चूचियाँ मसलवा रही थी......अहसास होता की कितनी लकी है रंडी......मेरी तरह उंगली डाल कर नही तड़प रही....भाई के साथ मज़े लूट रही है....बाहर शहर की सबसे शरीफज़ादी कहला रही है.....घर के अंदर दोनो टाँग फैला कर मोटे सुपाड़े वाला लंड खा रही है.....
उसको देखते ही दिल में हुक सी उठ ती... हाए !!! मेरा भाई इसके भाई जैसा क्यों नही..... इस कामिनी फर्रू का भाई कितना समझदार है....मेरा भाई कितना जाहिल है....कैसे फसाया होगा फर्रू ने अपने भाई को.....या उसके भाई ने फर्रू को फसाया....खैर....जो भी हो .....मज़ा तो दोनो मिल कर लूट रहे है....खरबूजे पर चाकू गिरे या चाकू पर खरबूजा.....भाई को फसाने की जो तम्माना दिल के किसी कोने में पिछले एक महीने से दफ़न हो चुकी थी....फिर से जिंदा हो गई..... इतने दिनों तक उसके बारे में सोचते-सोचते अब भाईजान से मुझे इश्क हो चुका था.....जब भी सोचती की कोई लड़का मेरा बाय्फ्रेंड हो....तो भाईजान का मासूम चेहरा सामने आ जाता था.....
वो मेरे ख्वाबो का शहज़ादा बन चुका था.....इस बार ज़ेहनी तौर मैने अपने आप को पूरी तरह तैयार कर लिया.....पक्का फ़ैसला कर लिया....अब बिना लंड के नही तड़पूंगी .....अब या तो मेरी चूत में भाई खुद अपना लंड डालेगा....या मैं उसको सॉफ सॉफ बोल दूँगी.....अब या तो इस पार या उस पार....आगे अल्लाह की मर्ज़ी....
कॉलेज से आ कर लेटी थी.....दिल में हलचल थी....समझ में नही आ रहा था कैसे आगे बढूँ ....क्या बोल दूँ....धत !....सोच कर ही शर्म से लाल हो जाती....ऐसे कैसे बोल दूँ....कौन होगी जो जाकर सीधा बोल देगी.....मेरी चूत में खारिश हो रही है.....चोद दो....खास कर कोई बहन शायद ही अपने सगे बारे भाई को ऐसा बोल सकती है.....अम्मी ने कैसे फसाया होगा.....वो साली तो रंडी है....सीधा अपनी चूत दिखा.....मामू को कहा होगा चोद दो.....फिर ख्याल आता... नही....शुरू में जब दोनो कुंवारे थे.....तब अम्मी ने कुछ तो ऐसा किया होगा.....या फिर मामू ने....
फ़रज़ाना ने भी किसी ना किसी तरह ललचाया होगा....या उसके भाई ने......उसके भाई ने जो कुछ भी किया हो.....यहाँ तो सब कुछ मुझे ही करना था.....अपने भाई के लंड को अपनी सुराख का रास्ता दिखना था.....बतलाना था की....दुनिया मज़े कर रही है...आप भी क्यों तरस रहे हो....अपने मचलते लंड को प्यासा मत रखो......घर में जवानी से भरपुर बहन है.....उस से पूछो ....बात करो ....क्या पता उसकी चूत भी खारिश से भरी हो....क्या पता वो भी तुम्हारे लंड के पानी से अपनी प्यास बुझाना चाहती हो.....सोचते सोचते....धीरे धीरे स्याह अंधेरे से रोशनी की लकीर दिखाई पड़ने लगी.....फिर मेरी आँख लग गई.....शाम होते ही कॉल बेल की आवाज़ सुनाई दी...
ज़रूर भाई होगा..... मैने सबसे पहले अपना दुपट्टा उतार कर फेक दिया......समीज़ का एक बटन खोला....चूंची यों के नीचे हाथ लगा ब्रा में थोड़ा उभरा....फिर दरवाजा खोलने आगे बढ़ी.....समीज़ के उपर से पहले अपनी खड़ी चूंची यों के दिखला कर मुझे उसका रिक्षन लेना था....फिर आगे कदम बढ़ाती.....
मैने अपने गुलाबी होंठो को रस से सारॉबार कर....मुस्कुराते हुए दरवाजा खोला....और अपना सीना तान के उसके सामने खड़ी हो गई.....भाई ने एक नज़र मुझे देखा फिर अंदर आ गया......थोड़ी देर इधर उधर देखने के बाद चेंज करने बाथरूम में चला गया....धत !....लगता है इसने नोटीस नही क्या.....अब क्या करू....मैं वही बैठ गई और टीवी खोल लिया.....दुपट्टा फिर से ओढ़ लिया.....भाई बाथरूम से निकला.....सो रही थी क्या.....हाँ! कॉलेज से आकर तक गई थी.....फिर उसके सामने अदा के साथ हल्के से दुपट्टे को ठीक करने के बहाने से एक चूंची के उभर को नंगा किया.....इस बार उसकी नज़र गई......एक लम्हे को उसकी आँखे उभर पर रुकी.....फिर वो टीवी देखने लगा.....सोफे से उठती हुई बोली ज़रा सफाई कर लू.....
भाई ने मेरी तरफ देखा.... दुपट्टे को सीने पर से हटा सोफे पर रखा......बदन तोड़ते हुए अंगड़ाई ली.........मेरी अंगड़ाई ने चूचियों को उभर कर उसकी आँखो के सामने कर दिया.....तीर जैसी नुकीली चूचियों ने अपना पहला वॉर किया......शायद उसकी आँखो में चुभ गई....तिरछी नज़र से देखा.....भाई मेरी तरफ देख रहा था.....मेरा पहला तीर निशाने पर लगा.....झारू उठा ड्रॉयिंग रूम सॉफ करने लगी.....भाई दीवान पर बैठा था.....झारू लगते हुए उसकी तरफ घूमी......हल्का सा नज़र उठा कर देखा.....वो टीवी नही देख रहा था.... मेरी तरफ घूम गया था..... लो कट समीज़.....उस पर एक बटन खुला....अंदर से झकति मेरी गोरी कबूतरे.....मतलब गोलाइयों की झलक मिल रही थी उसे....मैं सिहर उठी.....ये पहला मौका था....भाई को चूंची दिखाने का....टांगे कापने लगी.....
मैं झट से सीधी हो गई.....झारू एक तरफ रख कर किचन में चली गई....मेरा दिल धाड़ धाड़ कर रहा था.....पेशानी पर पसीना आ गया....भाई को फसाने के खेल में मज़ा आना शुरू हो गया था.....इसके बाद वो मुझे पूरी शाम अजीब सी नज़रो से घूरता रहा....
मैं कामयाब हो चुकी थी....चिंगारी दिखा चुकी....शोला भड़कने का इंतेज़ार था.....भाई को आहिस्ता आहिस्ता सुलगाना था......खेल शुरू कर दिया मैने.....अब जब भी कभी उसके सामने जाती....जान बूझ कर दुपट्टे का पल्लू सरका देती....गर्मी का बहाना कर जब-तब अपने दुपट्टे को हटा देती.....भाई तिरछी नज़रो से....कभी गर्दन घुमाते हुए बहाने से.....कभी जब मैं नज़र नीचे करके दुपट्टे को इधर-उधर करती तो....आँखे फाड़ कर देखता....मेरी बरछे की तरह तनी चूचियाँ को भाई की नज़रो में चुभाने का मेरा इरादा हर लम्हा कामयाबी की ओर बढ़ता जा रहा था.....इसको और कामयाब बनाने के लिए मैने अपनी पुरानी सलवार कमीजे निकाल ली....अम्मी वहा पहनने नही देती थी.....जब पंद्रह की थी तब पहनती थी.....अब तो बहुत टाइट हो गई थी.....
टाइट समीज़ में चूंची ऐसे उभर कर खड़ी हो जाती जैसे क्रिकेट की नुकीली गेंद हो.....टाइट समीजो ने जल्दी ही अपना असर दिखना शुरू कर दिया....भाई मेरी तरफ देखता रहता....अगर मुझ से नज़र मिल जाती तो आँख चुरा लेता....फिर थोड़ी देर बाद तिरछी आँखो से चूचियों को घूरने लगता..... जब मेरी पीठ उसकी तरफ होती तो....लगता जैसे टाइट सलवार में कसी मेरी चूतड़ों को अपनी आँखो से तौल रहा है....मैं भी मज़े ले ले कर उसको दिखती.....कभी अंगड़ाई ले कर सीने उभरती....कभी गाँड मटका कर इतराती हुई चलती ......उसके अंदर धीरे धीरे शोला भड़कना शुरू हो चुका था......भाई जायदातर कुर्सी टेबल पर बैठ कर पढ़ता.......
मैं गाल गुलाबी कर मुस्कुराती हुई जान भूझ कर उसके पास जाती और उसका कंधा पकड़ कर उसके उपर झूक कर पूछती....क्या पढ़ रहे है भाईजान....खुद ही पढ़ते रहते हो.....अपनी खड़ी चूंची के नोक को हल्के से उसके कंधे में सटाते हुए बोलती....
कभी कभी मुझे भी गाइड कर दो तो कैसा रहेगा.....वो अपना चेहरा किताबो पर से उठा लेता....मैं उसकी आँखो में झांकती....अदा के साथ मुस्कुरा कर देखती....भाई अपने सूखे लबो पर जीभ फेरता हुआ बोलता.....क्या प्राब्लम है....मैथ्स में काफ़ी दिक्कत आ रही है भाईजान....कहते हुए मैं थोड़ा और झुकती और सट जाती....चूंची का नोक उसके कंधो के च्छू रहा होता .....मेरी जांघें उसकी कमर के पास....बाहों से टच कर रही होती.....भाई अपने में थोड़ा सा सिमट जाता....मेरी घूरती आँखो के ताव को वो बर्दाश्त नही कर पता.....फिर से सिर झुका लेता और बोलता.....किताब ले आ मैं बता देता हू.....अभी रहने दो अभी तो मैं खुद ही देख लेती हू पर बाद में मदद कर दोगे ना....हा हा क्यों नही....
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