Thursday, December 19, 2013

एक यादगार अनुभव

एक यादगार अनुभव

प्रेषक : टॉम हुक
यह मेरा हाल ही का अनुभव है। आशा करता हूँ कि आपको यह कहानी भी पसंद आयेगी।
मेरी पुरानी कहानियों के लिए पहले आप सब के जो मेल मुझे मिले उसके लिए आप सबका बहुत बहुत शुक्रिया। बहुत सी सहेलियों, महिलाओं, भाभियों के साथ बातें हुई हैं और एक दूसरे के अनुभव आपस में बताये। फिर जिनसे बात आगे बड़ी उनसे फोन सेक्स, वीडियो सेक्स और सेक्स करके उनको और खुद को खुश कर रहा हूँ। अब कहानी शुरू करता हूँ।
मेरा नाम अनुज (उपनाम टॉम) है और जैसा मैंने पहले भी आपको बताया है कि मुझे भाभियाँ और आँटियाँ काफी पसंद आती हैं तो बात उस दिन की है जिस दिन मैं कुछ ज़रूरी काम से दिल्ली से जयपुर जा रहा था। मैंने टिकट एक वॉल्वो बस में करवाई थी क्योंकि मैं ट्रेन से जाने के मूड में बिल्कुल नहीं था।
मैं रात को लगभग 9 बजे के आसपास बस में बैठ गया। बस में ज्यादा भीड़ नहीं थी क्योंकि एक तो बस काफी मंहगी थी और दूसरा उस वक़्त कोई खास त्यौहार जैसा कुछ नहीं था। आगे कुछ युगल और बुजुर्ग बैठे हुए थे। आखिरी सीट पर एक छोटा परिवार बैठा हुआ था। मेरी सीट बीच में थी। कुछ देर बाद आगे जाकर कुछ लोग और चढ़े बस में, उनमें एक परिवार जिसमें एक आदमी, उसकी पत्नी और 2 बच्चे थे। एक लड़का शायद 4 साल का और दूसरी एक लड़की ढाई तीन साल की।
उस परिवार की सीट मेरे बाजू वाली थी।
फिर बस चली, वो आदमी आराम से सीट पर बैठ गया था और वो औरत झुक कर अपने बैग्स सीट के नीचे रख रही थी और उनके दोनों बच्चे पीछे की सीट पर बैठ गये थे।
कि अचानक से मेरी नज़र उस पर पड़ी, उसका पल्लू नीचे गिर गया था बैग रखते वक़्त और उसके स्तन मेरी आँखों में समा गये थे। मैंने एक पल के लिये भी उनसे अपनी निगाहें नहीं हटाई। उसने मुझे नोटिस किया और बैग्स जमा कर बैठ गई।
उसने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी और क़यामत ढा रही थी उसमें वो। उसका फिगर 36-30-36 का रहा होगा। कसा हुआ सा शरीर और गोरी सी। साड़ी भी उसने नाभि के नीचे बाँध रखी थी।
हम सब आराम से बैठे हुए थे, मैंने अपना आईपॉड निकला और उसमें गाने सुनने लगा और रात धीरे धीरे गहरी होने लगी। फिर लगभग 11 बजे के आसपास बस एक ढाबे पर रुकी। मैं उतर कर शौचालय गया और कुछ स्नैक्स और कोल्ड ड्रिंक ले ली समय पास करने के लिए।
वो औरत भी अपने बच्चों को लेकर शौचालय गई पर उसने कुछ स्नैक्स नहीं लिए क्योंकि उसका पति बहुत गहरी नींद में सोया हुआ था तो वो ढाबे पर नहीं उतरा।
बस चलने के लिये तैयार थी तो मैं और फिर सब आकर बैठ गये। उसका पति खिड़की वाली सीट (विंडो सीट) की तरफ बैठा हुआ था और वो उसके बाज़ू वाली सीट पर और उनके बच्चे पीछे वाली सीट पर बैठे हुए थे। अचानक उसकी बच्ची रोने लगी कि उससे विंडो सीट पर बैठना है और वो मान नहीं रही थी। उसका पति तो खिड़की वाली सीट पर सो गया था तो मैंने कहा कि आप अपनी बच्ची को मेरी वाली विंडो सीट पर बैठा दो।पहले तो उसने मना कर दिया कि आप क्यों हट रहे हो तो मैंने उससे समझाया कि बच्चों का दिल नहीं तोड़ते, और मैं बाजू की सीट पर बैठ गया और बच्ची को खिड़की वाली सीट पर बैठा दिया।
मैंने उसकी बच्ची को स्नैक्स दिए, आईपॉड दिया जिससे बच्ची खुश हो गई। यह सब देख कर उसकी माँ भी मुझसे काफी खुश हो गई। उसने मुझसे पूछा- आप कहाँ जा रहे हो?
मैंने कहा- जयपुर !
तो उसने भी कहा कि वो लोग भी वहीं जा रहे हैं।
मैंने सोचा रात है, थोड़ा फ्लर्ट किया जाए तो मैंने उससे उसका नाम पूछा। उसने अपना नाम कोमल बताया। हमारी बातचीत शुरू हुई..
कोमल- जयपुर में कहाँ जा रहे हो?
मैं- एक दोस्त की सगाई में जा रहा हूँ।
कोमल- ओके.. तो आप क्या करते हो?
मैंने मज़ाक में बोल दिया- खुश करता हूँ।
कोमल ने मेरी आँखों में देखते हुए पूछा- कैसे खुश करते हो?
मैं- अरे वो तो मैंने ऐसे ही कहा आपसे। मैं एक MNC में जॉब करता हूँ।
कोमल- ओके.. नाइस... अच्छा हुआ कि आपकी कंपनी मिल गई वरना मैं तो बोर हो रही थी अकेले बैठे बैठे। मेरे भी पति तो सो गये हैं।
मैं- हाँ इतना काम, मेहनत जो करते होगे बेचारे।
फिर उसने सेक्सी मुस्कान दी, शायद वो मेरा इशारा समझ गई थी। उतने में उसकी बेटी भी सो गई थी। मैंने उससे कहा कि आपकी बच्ची सो चुकी है।
तो उसने कहा- लाइए, उसे पीछे की सीट पर सुला देती हूँ।
जब मैं उसे उसकी बच्ची दे रहा था तो मेरा हाथ उसके स्तनों से चिपक गया था और मुझे बहुत गर्म गर्म महसूस हुआ जैसे कि वो एकदम से गर्म हो चुकी है। उसने भी मेरा हाथ नोटिस किया और बच्ची को पीछे की सीट पर सुला दिया। अब रात बहुत हो चुकी थी और बस के अंदर की लाइट्स भी बंद हो गई थी, सब सोये हुए थे। मैं आईपॉड में गाने सुनने लगा तो उसने मुझसे अनुरोध किया कि वो भी गाने सुनना चाहती है क्योंकि उससे नींद नहीं आ रही थी।
तो मैंने बाएं कान का ईयरफ़ोन उसको दे दिया। हम दोनों की सीट में थोड़ी दूरी थी तो उसका ईयरफ़ोन बार बार उसके कान से निकल रहा था। तो मैंने उससे अपनी बाज़ू वाली सीट पर बैठने को कहा तो उसने हाँ कहा और अपने पति को चेक किया कि वो सो रहा है या नहीं। और फिर वो मेरे बाज़ू वाली सीट पर आकर बैठ गई।
मैं बहुत रोमांटिक गाने प्ले कर रहा था जिससे वो और भी एक्साइट हो रही थी। तो मैंने चांस लेने की सोची और बस के हल्के फुल्के झटकों का सहारा लेते हुए अपना हाथ आहिस्ते आहिस्ते उसके हाथ से स्पर्श किया। उसने कुछ नहीं कहा तो मैंने और थोड़ा ट्राई करने की सोची और बस के एक झटके में अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया जिससे उसने हल्का सा एतराज़ दिखाया और एक हल्की मुस्कान देते हुए थोड़ा हिल कर बैठ गई।
तो मैंने हाथ हटा लिया और फिर से धीरे से अपना हाथ उसके हाथ से सटा दिया और थोड़ी देर के बाद मैंने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और हम दोनों चुपचाप गाने सुनने लगे।
3-4 मिनट के बाद मुझे लगा कि वो उठने लगी तो मैंने उसके हाथ को पकड़ कर उससे अपनी तरफ खींच लिया और अपना एक हाथ उसके चूचों पर रख दिया और धीरे से प्यार से दबाने लगा तो वो बहुत धीरे से बोली- प्लीज ऐसा मत करो, कोई देख लेगा तो प्रॉब्लम हो जाएगी।
मैंने कहा- कोई नहीं देखेगा और वैसे भी सब सो रहे हैं।
तो वो मान गई।
फिर मैंने उसकी साड़ी का पल्लू हटाया और ब्लाउज़ पर से ही उसके चूचे दबाने लगा तो वो हल्की हल्की सिसकारियाँ लेने लगी। और फिर हम दोनों ने अपनी होठों को एकदूसरे के होठों से चिपका दिया और कुछ देर बाद हम दोनों की जीभ एक दूसरे के साथ चिपका चिपकी खेलने लगी।
करीब दस मिनट तक हमने स्मूच किया। मुझे औरतों के चूचों और उनकी गांड मारने बहुत मज़ा आता है, जी करता है कि यूँ ही हमेशा स्तन चूसते रहो और गांड मारते रहो।
अब वो भी मेरा साथ देने लगी और बोली- जो भी करना है जल्दी जल्दी करो वरना मेरे हब्बी उठ जाएंगे।
अब मैं ब्लाउज़ के अंदर हाथ डालकर उसके मोटे मोटे चुच्चे दबाने लगा तो वो मस्त होने लगी। फिर मैंने उसके पल्लू को फिर से डाल दिया और उसके ब्लाउज़ के हुक खोल दिए और उसकी काली ब्रा को ज़बरदस्ती ऊपर उठा कर उसके निप्प्ल मुँह में भर लिया और दांतों से हल्के हल्के काटने लगा। फिर दूसरे चुच्चे की ब्रा भी ऊपर कर दी और उसके निप्प्ल को अपने एक उंगली और अंगूठे के बीच दबा कर मसलने लगा।
वो बहुत मस्त होने लगी पर इस बात का ध्यान रखते हुए कि हम दोनों बस में हैं वो अपनी आवाज़ को दबा ले रही थी।
फिर मैंने उसकी साड़ी को ऊपर किया और अंदर हाथ डालकर उसकी पेंटी नीचे कर दी तो देखा कि उसकी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी। उसकी चूत पर थोड़े थोड़े बाल भी थे। फिर मैं सीट के नीचे की तरफ बैठ गया और उसकी चूत को चाटना और चूसना शुरू किया। वो मेरे बाल नोचने लगी और मेरा मुँह अपनी चूत पर दबाने लगी, जैसे कि वो चाहती हो कि मैं उसकी चूत खा जाऊँ।
थोड़ी देर बाद उसने फिर से पानी छोड़ दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
फिर मैंने उससे मेरा लण्ड चूसने के लिया बोला तो उसने मना किया, बोली- वोमिट हो जाएगी।
तो मैंने उससे कोई ज़बरदस्ती नहीं की क्योंकि ज़बरदस्ती करने से सेक्स में मज़ा नहीं आता, युगल उसका आनन्द नहीं ले पाता और सेक्स तो प्राकृतिक है उसे महसूस करो और उसका आनन्द लो।
पर अभी मेरा नहीं हुआ था तो मैंने बड़ी मुश्किल से उसे इस तरह किया कि मेरा लण्ड उसकी चूत तक पहुँच जाए और फिर मैं अपना लण्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा जिससे वो पागल सी हो गई और बोली- प्लीज अब मत तड़पाओ। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रख कर हल्का सा दबाब बनाया। उसकी चूत पहले से ही काफी गीली थी जिससे लण्ड आराम से अंदर चला गया। उसके बाद मैं धीरे धीरे झटके लगाने लगा, उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था और मुझे भी। वो मुझसे जितना हो सके चिपक सी गई।
करीब दस मिनट के बाद मैंने अपने लण्ड का पानी उसकी चूत में ही छोड़ दिया। उसने बताया कि वो तब तक दो बार झड़ चुकी थी।
उसने मुझे बहुत ही प्यार से स्मूच किया और अपने कपड़े ठीक करके वापस अपनी सीट पर जाकर बैठ गई।
उसे और मुझे दोनों को यह थोड़ी देर का अहसास हमेशा याद रहने वाला था पर हमने न तो मोबाइल नंबर एक्सचेंज किये और न ही फिर से मिलने का कोई वादा किया क्योंकि उसकी अपनी एक लाइफ है और मेरी भी।
भले ही यह एक छोटा अनुभव था पर एक यादगार अनुभव था, जो शायद हम दोनों को याद रहेगा।
पता नहीं इससे बेवफाई कहेगे या ज़िन्दगी के कुछ पलों को अपने लिए जीना, पर ऐसी कुछ बातें हमेशा के लिए कुछ पल अपने नाम कर जाती हैं।
मैंने उसका नाम बदल कर लिखा है जिससे उसकी लाइफ में कोई प्रॉब्लम न हो।
फिर मिलेंगे।
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