Thursday, December 19, 2013

FUN-MAZA-MASTI फुद्दी कहूं या गुद्दी

FUN-MAZA-MASTI


फुद्दी कहूं या गुद्दी

प्रेषक : गुमनाम
पान्डेय जी, सूद बांटते हैं, और बदले में कभी कभी या अक्सर ही चूत की आमदनी हो ही जाती है। कहानी है यूपी बिहार के बैक ग्राउंड की। कहने को तो विकास देश में बहुत हुआ है और लोगों को फंडिंग के बहुत सोर्स उपलब्ध हो गए हैं पर सच तो ये है कि आज भी गरीब आदमी के पास सबसे बड़ी पूंजी उसके बहू बेटियों की
इज्जत है जिसे गिरवी रख कर वह अपना पेट पालता है। प्रेम एक दिहाड़ी मजदूर है, दारू की लत अलग है, बिना दारु पिये बदन टूटता है और फिर दारु पीने पर पेट जलता है। पैसे की जरुरत गाहे बगाहे पड़ती ही रहती है और इसलिए गांव के ही पांडे जी को पकड़ के कुछ रुपया ले लिया। एक बार जब फ्री का रुपया बिना काम किये मिलता है तो फिर कर्जा लेने का मन और करता है। इसी चक्कर में दुबारा और तीबारा। अब कर्जे का बोझ कुछ इस तरह बढा कि प्रेम को भागना पड़ा गांव छोड़ कर के। बची बीबी और बेटी। सो घर में अक्सर पाँडे जी उसके पति को खोजते हुए आंए। आने पर न मिलने पर गाली गलौज और फिर वही, धमकी।

एक दिन नजर पड़ गयी प्रेम की छमिया, पर नयी नयी जवानी, किशोरी की खिलती उमर में बिकसित होते मस्त मस्त चूंचे मस्तानी गांड और फिर फटे कपड़ों में झांकती वो जवानी, तौबा तौबा, सोच के गीले हो गये कि इसकी चूत कितनी सुन्दर होगी। इतनी सुन्दर चीज अब तक छुपाए रखी, कोई गल नहीं वैसे भी पैसा तो ये देने से रही, कम से कम इसकी जवानी को ले कर मजे लेने से संतोष तो मिलता रहेगा। पांडे जी ने कहा प्रेम की बीबी से, देख, कल पैसे दे देना नहीं तो अपनी बेटी को मेर पास भेज देना, नहीं तो पुलिस बुलाउंगा और फिर केस कर दूंगा। जानती ही हो पुलिस वाले कितने जालिम होते हैं आएंगे तो तेरी तो लेंगे ही, तेरी बिटिया की भी लेन्गे और मिल जुल कर लेन्गे। और तो तेरे पास देने को कुछ है नहीं। मेरे पास भेजोगी तो इज्जत का और बुर का फालूदा तो कम से कम नहीं बनेगा। इतना सुन कर वो सोचने लगी, पर अगर पांडे के घर बिटिया को भेजूंगी तो बहुत शिकायत होगी, कम से कम वो सूद वसूलने मेरे घर आता है तो तभी कह दूंगी, थोड़ी छम्मो उसका मन बहला देगी। खैर अगले दिन अल्ल सुबह पांडे जी आ धमके। आते ही गाली शुरु कर दी, माधरचोद, पैसा तो देना नहीं है इक काम बोला था वो भी नहीं की।

रंडी कहिंकी चल दिखाते हैं तुझको अब चुलबुल पान्डे की दबंगैई। इतने पर प्रेम की बीबी आई और पैर पकड़े के बोली, साहेब्ब माफ कर दो, आपके घर भेजने में ज्यादा बदनामी होगी, जाके देखो उस कमरे में मेरी बिटिया आपका इंत्जार कर रही है। इस बात पर पांडे जी खुश हुए और उसके कमरे में घुस गये। घुसते ही सिटकनी अंदर से लगा दी। बाहर से प्रेम की बीबी बोल रही थी ” रहम मालिक मेरी बेटी अभी नादान है” पर पांडे जी पर तो भूत सवार था। छम्मो अपने घुटनों में सर छुपाए, कच्ची कली सी लजाई और सहमी बैठी थी, पांडे जी ने जाकर उसको उठाया और उसकी गांड सहलाते हुए बोले, तू तो पूरी जवान है रे, चल नखरे मत कर!! और उन्होंने उसकी सलवार खोल दी, अब उसका निचला हिस्सा पूरा नंगा। गरीब को इस देश में चढ्ढी भी नसीब नहीं होती, सच तो ये है कि चढ्ढिया बहुत महंगी हो गयी हैं, अरे मजाक नहीं बाबा, जौकी की खरीद के देखो, ना उतने में एक गरीब लड़की की पूरी ड्रेस आ जाती है।

वो तो भला हो देल्ही के चोर बाजार का कि वहां की चढ्ढियां और कपड़े पहन के दिल्ली के गरीबों की बेटियां हिरोईन बनी फिरती हैं। चलिए कहानी पर चलते हैं,  खैर हम बात कर रहे थे कि छम्मो ने चढ्ढी नहीं पहनी थी और अब उसका आधा बदन नंगा था। पान्डे ने उसकी गांड सहलाते हुए दूसरा हाथ उसके चूत के बालों पर रगड़ा। “आह्ह!! साली रसीली झंटियाली बुर”, साली हरामखोरों ने छुपा के रखा था इसको, मेरे लन्ड से बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। और अपनी धोती उठा के अपना लौड़ा निकाल लिया। छम्मो ने उसे देख कर के अपनी आंखें मूंद लीं। पान्डे का दिमाग गरम, साली!! आंखें छुपाती है, और अपना हथोड़ा उसके हाथ में थमा दिया, ले मूठ मार साली। छम्मो ने मूठ मारने की जगह धीरे धीरे अपने हाथों की पकड़ लंड पर बनाई। करना ही था, पैसे के बदले में कुछ तो देना ही था। सो अब उसने हार मान ली, आंखें खोली और धीरे से बोली – जो भी करना तुम आराम से करना, प्लीज मैने ये सब  पहले कभी नहीं किया। पांडे ने लंड को गरम करते हुए छम्मो के हाथों में देकर कहा। ले अब इसे पकड़ के सहला, और जब खड़ा हो जाए तो मुह में ले लेना। पाड़े जी खाट पर लेट गये। लुंगी खोल के रख दी और फिर लेटे लेटे छम्मो से सहलवाने लगे। अब छम्मो ने देखा, सात इंच बड़ा, मोटा लंड उसकी छोटी चूत में कैसे जाएगा। पांडे जी ने लेटे लेटे उसकी झांटदार चूत में उंगली करनी शुरु कर दी। बोले ” काहें बे छम्मो, बनाती नहीं है क्या अपनी झांटों को तुम? क्या बात है मम्मी तुम्हारी रेजर के लिए पैसे नहीं देती?” चूत में उंगली जाने से गनगनाती हुई छम्मो ने  अपनी टांगे सिकोड़ी तो चूत और भी संकरी हो गयी। पान्डे ने झल्लाते हुए कहा, साली छुपाती काहे है ना देखने दे अपनी दुकान! समझ में नहीं आता, इन गरीबों को भी शरम होती है। पान्डे आज भी उसी पुरानी सामंतवादी मानसिकता का परिचय दे रहा था। खैर छम्मो ने अपनी चूत अपने मालिक के लिए खोल दी। आज वो सब कुछ था उसके परिवार का। पान्डे ने उंगली अंदर करके उसके भग, बोले तो देहात में उसे बेलकौड़ी कहते हैं उसको सहलाने लगा। लंड पर छम्मो की पकड़ बढ गयी। उसने अब रगड़ घनी कर दी, और पान्डे के मुह से निकलने लगा ” आह्ह!! साली मस्त कर रही है!! ऐसे ही कर। और उसने उसकी चूत में उंगली और अंदर ठेल दी।

पान्डे जीने अपना लन्ड छम्मो को पकड़ा के देसी हस्त्मैथुन का मजा लेना जारी रखा था और छम्मो की झांटदार चूत में अपनी उन्गली कर रहे थे। छम्मो कुंवारी लड़की थी इसलिए उसको दिक्कत हो रही थी, मजा तो आ रहा था पर चूत में गैर मर्द की उंगली पहली बार जा रही थी। शौच करते समय, गांड धोते समय या मूतते समय वह अपनी उंगलियां अवश्य अपनी चूत में डाल कर के हल्के मजे ले लिया करती थी पर, इस प्रकार से किसी मर्द ने अपनी उंगली उसकी चूत में न की थी। उसने अपने पैर सिकोड़े तो पान्डे ने उसे घुडकते हुए कहा ” ऐ साली, दुकान मत छिपा, देखने दे, झांटे बढा रखी हैं और लगता है तेरी मां तुझे रेजर नहीं देती छिलने को।

“तो वो बोली, इ रेजर का होता है मालिक। पान्डे हंसे और बोले कल परसों जब तुझे चोदने आउंगा तो रेजर से तेरी झान्टे बनाउंगा और फिर चोदूंगा तेरे को अच्छे से, बिना बाल वाली बुर ज्यादा मजे देती है। पर बाल वाली कुंवारी चूत का भी अपना अलग मजा है। इस बात पर छम्मो इतराते हुए अपनी चूत खोल कर बोली, पर इसमें ऐसा क्या है जिसे आप देखना चाहते हो। लो देखो। पान्डे ने अपना लंड खड़ा होते देख के कम्मो से कहा, इसको अपने मुह में ले रे। जल्दी से, और ऐसा चूस जैसे कि चाकलेट चूस रही हो। साली दांत मत चुभोना, तेरा मछली का मुन्डा नहीं है रे। अच्छे से चूसियो। छम्मो ने कहा, पर इससे तो मूतते हैं, इसे मुह में नहीं लूंगी। बहुत गंदा होता है।

पान्डे ने खिसियानी बिल्ली की तरह मुह बनाकर कहा साली, लंड से तू पैदा हुई। तेरी मां के भोसड़े में अगर लंड न गया होता तो क्या तू पैदा होती, रंडवी, भड़वी कहीं कि। चल ले मुह में वरना चूत में पेल दूंगा अभी उठ के तेरी गांड में लंड बहुत दर्द होगा तुम्हे। समझ आया कि नहीं तेरे को छिनाल। साली रंडी की बेटी चली है मुझे तरिके सीखाने। अभी तेरी मां को भी पेल दूंगा बाहर निकल के। ऐसा सुनते ही छम्मो को समझ में आ गया कि लगता है जरुर ये कोई मजेदार काम है जिसको करने के लिए यह इतना जोर दे रहा है, सही है नहीं करुंगी तो लगता है पान्डे गुस्सा हो जाएगा। और उसने लन्ड के जड़ पर पकड़ कर अपने होठ लंड के पास ले गयी।

थोड़ी हिचकिचाते हुए उसने होठों को सुपाड़े के करीब ले जाकर वापस खींचने की कोशिश की तो पान्डे जी ने उसका सर पकड़ कर के नीचे कर दिया। अब सुपाड़ा उसके होठो पर रगड़ खा रहा था। वो जानबूझ कर ऐसा कर रही थी और देक्ख रही थी कि पान्डे क्या करता है। पान्डे ने गाली दी ” सुन बे ऐ लौन्डिया ज्यादा नखरे नहीं कर नहीं तो जानती नहीं मुझे ऐसा चोदूंगा कि तेरे दोनों पैर दो महीने नहीं उठेंगे साली। कुतिया जैसे हाल कर दूंगा तेरे। सुन कर के छम्मो ने अपना मुह खोला और तीखी मछली सी गंध मारते सुपाडे को अपने मुह में लेकर के अपनी सांस रोक कर अंदर करने लगी। मोटा तगंडा लंड और बदबूदार, साला, जैसे तैसे उसने लन्ड की तीखी गंध को चाट कर हलक के अंदर किया। अब फ्रेश था मामला। पान्डे ने अपनी आंखे मूंद लीं और उसके चूत में उन्गली करना जारी रखा।

अब देसी मुखमैथुन एक कुंवारी लड़की के साथ और साथ में उसकी संकरी चूत में उंगली करने का सुख, इस अधेड़ उम्र में कहां, सब को मिल पाता है। पान्डे ने चोदनहार लंड को पूरी ताकत से उस लड़की के मुह में खड़ा होते पाया। मजा आ गया था आज उसे। हलक तक उतारने की तैयारी में उसने नीचे से अपनी गांड उचकाते हुए छम्मो के मुह में पूरी ताकत से घच्च से लंड को ठेल दिया। छम्मो गूं गूं करके थूकने लगी। और फिर झटके से अपना सिर उपर करके हलक में फंसा लंड बाहर निकाला। इसी बीच पान्डे ने उसके कुर्ते को खोल दिया, अब उसके चूंचे एक दम से बाहर आकर लंडवर्धक दृश्य उत्पन्न करने लगे। बेचारी छ्म्मो हर पल सेक्सी होती जा रही थी। अगली बार पान्डे ने उसके दोनों चूंचे पकड़ के मसलने शुरु कर दिये। जब कि वो अभी भी लंड को चूसने पर लगी हुई थी। हल्के हल्के धक्कों के साथ उसके हलक में टकराता लंड उसे देसी मुखमैथुन की कला में माहिर बना रहा था। और पान्डे को ऐसे लोन देने पर आज गर्व महसूस हो रहा था। अगर उसने इसकी मां को सूद पर पैसा न दिया होता तो क्या आज ये कुंवारी चूत और अक्षत चूंचे मसलने को मिलते? शायद नहीं और बिल्कुल नहीं। तो उसके मस्त सांवले चूंचे को मसलते हुए उसके काले निप्पल्स पर उसने अपने नाखून धंसा दिये।

नखच्छेद तो कामसूत्र का आजमाया हुआ नुश्खा है। इस आराम से होने वाले सेक्स के ट्रिक को आजमाना तो हर पुरुष का धर्म है। लंड को लगभग चूस कर खड़ा करने के बाद छम्मो अब उसका पानी निकालने पर आमदा थी, हालाकि उसे अंदाजा न था कि इसमें से क्या निकलेगा, पर वह लगभग इस काम पर पूरी तरह अनजाने में ही आमदा थी। जैसे ही पान्डे को लगा कि उसका मूठ निकल्ने वाला है, उसने नीचे से गांड उछाल कर उसके मुह में लंड पेलने की गति और भी तेज कर दी। धकाधक और फचाफच पेलते हुए उसने छ्म्मो को कहा कि अपने होठों की गिरफ्त और भी बढा ले मेरे लन्ड पर। छम्मो ने ऐसा ही किया और पान्डे ने उसके चूंचों को लगभग दूहने के अंदाज में दबाते हुए मुखचोदन करना जारी रखा। इस मुकाम पर छम्मो की चूत गीली हो चुकी थी और उसे चाहिए था लंड्। पर यह क्या, छम्मो तो हलकान हो गयी जब पान्डे का लंड गरमा गर्म पिचकारी उसके मुह में, छोड़ने लगा। उसने मुह से लंड को निकालने की कोशिश की पर बेकार, पान्डे ने पहले ही लंड का सुपाड़ा हलक में उतार दिया था। वीर्य सीधा पेट में गया। उसे तो वीर्य का स्वाद तक पता नहीं चल पाया। बस गरमाहट महसूस हुई थी। अगले भाग में पढें पान्डे ने कैसे रेजर लाकर के छम्मो की झांटदार चूत को तंदूरी मुर्गी की तरह बिना बाल का बनाया और अपने अनुभवी लन्ड से गेम बजाया।

घर जाकर उन्होने पाश्ता बादाम और मुनक्का खाया और लन्ड  पर चंदन का लेप करके सोये। सारी रात चुदाई के हसीन सपने देखते मिस्टर पान्डेय अगले दिन नाश्ता पानी करके और दूध का गिलास गटक के छम्मो के घर पहुंचे। अपने साथ जिलेट का एक रेजर भी ले गये उसके चूत की झांटे सफाचट करने के लिए। आज वो छम्मो की घनी सतपुड़ा सी झांटों का सफाया करके अपने मोटे लन्ड को उसके उपर लैंड कराने वाले थे। आज प्रेम के घर पहुंचते ही उसकी बीबी बकरियों को लेकर चराने चली गयी और जाते जाते अंदर में पान्डे जी और उसकी बीबी को बंद करके बोली कि अंदर ही रहना, इस तरह से ज्यादा खतरा नही है नहीं तो किसी को शक हो जाएगा। पान्डे का मन प्रसन्न हो गया। ऐसी सुरक्षा के साथ लंड और ज्यादा निश्चिंत होकर खड़ा होता है और चोदने का मजा भी ज्यादा नि: शंक होकर आता है। अंदर जाते ही देखा तो आज छम्मो ज्यादा सजी संवरी लग रही थी। होटों पर लाल रंग पोते हुए आज वो नयी नवेली रंडी लग रही थी। कुंवारी रंडी, हां, यह कहना ज्यादा सही होगा। पान्डे ने जाते ही उसके चूंचे दबा दिये। वो कराही, आह्ह!! मारोगे क्या मालिक, देखते नहीं  कितने नाजुक है। पान्डे ने कहा ” हां मेरी रानी नाजुक तो हैं पर चल तेरी झांटे छील के तुझे सफाचट कर दूं। बिना बाल के तेरी चूत ज्यादा चमकदार लगेगी। छम्मो ने कहा, नहीं मुझे शरम आती है, ऐसा मत करो।

पान्डे ने उसके कपड़े पकड़ के उतरवा दिये। पूरी नंगी कम्मो आंगन में सूरज की रोशनी में चांद की तरह चमक रही थी। उसकी जवानी किसी अप्सरा को भी लजा रही थी। वैसे कहते हैं कि जवानी में तो बकरी भी करीना कपूर सी हसीन दिखती है, फिर तो वो सुन्दर लड़की थी। पान्डे ने देखा, उसके झांटें तीन तीन इंच की हो रही  थीं। और वो उनमें ही खुश थी। आंगन के चापाकल पर एक पत्थर रखा हुआ था। उसपर छम्मो को बैठने को कहा और पानी लेकर के झांटों के उपर लाइफब्वाय साबुन लगा कर उसने छम्मो की झांटों का अच्छे से मसाज किया। छम्मो को उसके हाथों की छुअन बहुत अच्छी लग रही थी। मसाज करते हुए झाग लगी चिकनी  उंगलियों को पान्डे ने चूत के अंदर करने में थोड़ा भी गुरेज न किया। उसकी इस शरारत से छम्मो को मजा आने लगा था। अब जब सारी झांटे गीली हो गयीं तो पान्डे ने अपना रेजर निकाल कर छम्मो के दोनों पैर फैला दिये, और उसकी पसरी हुई खुली चूत पर सावधानी से रेजर चलाने लगा।

घनी झांटों से ढकी चूत को वाकई साफ करना एक कठिन काम था पर सावधानी से करते हुए पान्डे ने छम्मो की चूत को चमका दिया। काली झांटों के हटते ही उसकी गोरी चूत नुमाया होने लगी। इसे देख कर वो एक दम से अचरज से भर गयी। चूत की गुलाबी फांकें बता रहीं थीं कि इसकी कोशिकाएं एक दम अन छुई हैं और किसी भी प्रकार का घर्षण इनसे नहीं हुआ है। खुद पान्डे की मुह में पानी आ गया। अब सारी झांटों को उसने खुद बटोरा और नाले में बहाने के बाद छम्मो को नहलाना शुरु किया। खुद भी वह आंगन में नंगा हो गया और दोनो ने बालटी का पानी एक दूसरे पर उडेल कर एक दूसरे को नहलाया। छम्मो शुरु में डरती थी पर अब उसे पान्डे का यह व्यवहार अच्छा लगने लगा। पान्डे का भी एटिट्यूड बदला सा था, उसने खुद आज छम्मो की सफाई की थी और उसे नहला के उसके चूंचे मल रहा था। काले काले निप्पलों वाले पहाड़ जैसे चूंचों से झरता पानी पान्डे को अमृत जैसा लग रहा था।

उसने छम्मो को कहा कि अपने सर पर पानी डाले और फिर अपनी जीभ वह छम्मो के भग पर लगाकर उस रिसते झरने के पानी को पीने लगा। उसकी चूंचियों के घाटियों से बहता पानी जैसे जैसे छन छन कर के नाभि के रास्ते से चूत के पास पहुंचता, छम्मो के भग में आकर वह टोटी की शकल ले लेता। वहीं भग की टोंटी से पानी को पीने का जतन करते पान्डे को अतीव आनंद मिल रहा था। पन्द्रह मिनट तक यह रस पीने के बाद आंगन में खाट पर छम्मो को लिटा कर उसने अपना लंड आखिर उसके चूत के दरवाजे पर रख ही तो दिया। आज चमकती दमकती फुद्दी का कंवारापन मिटने वाला था और छम्मो कली से फूल बनने ही वाली थी। बस एक धक्के के साथ वो औरत बन जाती। पान्डे ने कहा ” देख छम्मो आज मैं तुझे जीवन का सबसे ज्यादा मजा देने वाला हूं, तू बस अपनी आंखें मून्द ले।’ जैसे कम्मो ने आंखें मूंदी, पान्डे ने उसके मुह पर हाथ रख दिया और एक जोरदार वार अपने लन्ड से उसके चूत के अंदर किया।

भाले जैसा तीक्ष्ण पर मुग्दर जैसा मोटा लंड उसके कौमार्य  को विनष्ट करता अन्दर जा कर तबाही मचाने लगा। छम्मो कराही, कसमसायी, आंखों में आंसू भर आए। चूत से झिल्ली के फटने का खून बह कर जमीन पर गिरने लगा। पान्डे ने धक्के धीरे धीरे तेज करते हुए, खुद भी कराहने लगा। आह्ह!! तेरी टाइट चूत को क्या कहूं, फुद्दी कहूं या गुद्दी कहूं। मां की लौड़ी इतनी सख्त छेद तो पहले कभी नहीं देखा। और उसके चूंचे मसलते हुए चोदने लगा। चूंचे मसलने से गीली होती चूत धीरे धीरे लन्ड को अपने अन्दर एडजस्ट कर गयी और फिर पान्डे ने आराम से अपनी मारुति उसके रोड पर दौड़ानी शुरु कर दी। कल वो छम्मो को अपना वीर्य पिला चुका था और आज उसके चूत में पिलाने की बारी थी। धकियाते हुए उसने उसके निप्पल मसलने का काम जारी रखा। कड़े काले निप्पल देसी चूंचों की पहचान होते हैं और जवानी की शान होते हैं। छम्मो अब लंड को अंदर पाकर बहुत खुश थी, जितना कठिन उसने सोचा था, यह काम उतना कठोर न था।







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