Saturday, December 21, 2013

गुपचुप कहानियाँ- नंबर वन माल--6

Lovers-point गुपचुप कहानियाँ-

नंबर वन माल--6

 जैसे ही मेरा लंड अम्मी के अंदर गया उनकी चूत मुझे आहिस्ता आहिस्ता खुलती हुई महसूस हुई और मेरा लंड टट्टों तक उस के अंदर गायब हो गया. उन्होने हल्की सी सिसकी ली और अपने दोनो हाथ मेरे बाजुओं पर रख कर अपने चूतड़ों को थोड़ा सा आगे पीछे हिलाया ताके मेरा लंड अच्छी तरह उनकी चूत में अपनी जगह बना ले. मेरे लंड के इर्द गिर्द अम्मी की चूत का दबाव ही कुछ इस क़िसम का था के मैंने बे-साख्ता घस्से मरने के लिये अपने जिस्म को आगे पीछे करना शुरू कर दिया. ये बिल्कुल क़ुदरती तौर पर हुआ था. अम्मी ने एक हाथ लंबा कर के मेरे चूतड़ पर रखा और ज़ोर दे कर मेरा लंड अपनी गरम चूत में लेने लगीं. उनकी चूत के बाल मेरे लंड को लग रहे थे. कुछ घस्सों के बाद ही मेरा लंड आसानी से अम्मी की चूत के अंदर बाहर होने लगा.




अम्मी ने फॉरन ही मेरे घस्सों का जवाब अपने घस्सों की सूरत में देना शुरू कर दिया और अपने मोटे मोटे चूतड़ों को ऊपर नीचे हिलाने लगीं. मुझे खाला अम्बरीन याद आईं जिन्होंने नज़ीर से चुदवाते हुए इसी तरह अपनी मोटी गांड़ हिला हिला कर उस के घस्सों का जवाब दिया था. अम्मी ने पहले तो मेरे घस्सों के जवाब में घस्से मारते हुए मुँह से कोई आवाज़ ना निकाली लेकिन जब मेरे लंड के झटके उनकी चूत में ज़रा तेज़ हो गए तो उन्होने दबी आवाज़ में ऊऊनहूँ……. ऊऊऊहूओन….. ऊऊऊं करना शुरू कर दिया. अपनी सग़ी माँ को चोदते हुए में पहले ही मज़े के एक गहरे समंदर में ग़र्क था लेकिन उनके मुँह से निकालने वाली ये आवाजें मुझे और भी पागल करने लगीं.




सच पूछिये तो इन आवाज़ों ने मेरे दिल को बड़ा सकूँ बख्शा और मेरे अह्तेमाद में इज़ाफ़ा हुआ क्योंके उनकी इस हूँ... हा..आँ... का मतलब यही था के अम्मी को मुझ से चुदने में मज़ा आ रहा था. कुछ देर के बाद अम्मी की साँसें तेज़ हो गईं और उन्होने नीचे लेटे लेटे अपनी गांड़ को गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया. मै समझ ना पाया के वो ये क्यों कर रही थीं . फिर अचानक ही अम्मी ने मेरा सर नीचे कर के मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये और खूब कस कर मुझे चूमने लगीं. उनके हाथों में बाला की ताक़त थी.




मेरे नीचे उनके भारी चूतड़ों की हरकत भी तेज़ हो गई. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे अम्मी की चूत ने मेरे लंड को सख्ती से अपनी गिरफ्त में जकड लिया हो. अब में समझ गया के अम्मी खलास होने वाली थीं और उनकी चूत का टाइट होना इसी बात की निशानी थी. मुझे ये देख कर बड़ी खुशी हुई और मैंने उनकी चूत में ज़ियादा रफ़्तार से घस्से मारने की कोशिश की. मै इस क़ाबिल तो हो ही गया था के अपनी अम्मी को चोद कर खलास कर रहा था. अम्मी की चूत से अब बहुत सारा पानी निकल रहा था और उनके बदन को झटके लग रही थे. जज़्बात को पागल कर देनी वाली इस हालत में मेरे लिये अपने आप को संभालना मुश्किल हो रहा था. मैंने बिला सोचे समझे अपना लंड अम्मी की पानी से भारी हुई चूत में से निकाल लिया और उनके साथ लेट गया.


 अम्मी चंद लम्हे ऐसे ही लेतीं रहीं. फिर उन्होने अपनी साँसें क़ाबू में करते हुए मुझ से पूछा के किया हुआ. मैंने कहा के मुझे खलास होने का डर था इस लिये घस्से मारना बंद कर दिये क्योंके में अभी और मज़े लेना चाहता था. वो एक बार फिर हंस पड़ीं और बोलीं के शाकिर तुम घंटा पहले ही खलास हुए हो. मर्द एक दफ़ा छूटने के बाद इतनी जल्दी दोबारा नही छूट सकता. इस लिये इस दफ़ा तुम खलास होने में ज़ियादा वक़्त लो गे. परेशां मत हो रफ़्ता रफ़्ता सब कुछ समझ जाओ गे बस तुम्हे थोड़े तजरबे की ज़रूरत है. चलो आओ और अपने आप को डिसचार्ज करो ताके इस काम का मज़ा तो ले सको.




मैंने उन से पूछा के किया उन्हे मज़ा आया तो उन्होने कहा के हाँ अगर उन्हे मज़ा ना आता तो तो वो दो दफ़ा खलास कैसे होतीं. मैंने कहा के अम्मी में अब पीछे से आप को चोदना चाहता हूँ. ये सुन कर वो बोलीं के तुम मुझे चोद रहे हो और जिस तरह भी चाहो करो मुझ से इजाज़त मत माँगो बल्के कभी भी किसी औरत से इजाज़त मत माँगना. फिर वो उठीं और अपनी दोनो कुहनियों के सहारे बेड पर उल्टी हो कर अपने मोटे और भारी चूतड़ों को ऊपर उठा दिया. इस तरह अम्मी ने अपनी मोटी ताज़ी गांड़ का रुख़ मेरी तरफ कर दिया. उन्होने अपनी टांगें भी फैला लीं.




मैंने उठ कर अम्मी के चूतड़ों में से झाँकते हुए उनकी गांड़ के छोटे से गोल सुराख पर उंगली फेरी तो मेरा लंड फिर अकड़ने लगा. अम्मी की चूत अब उनके भारी और उभरे हुए चूतड़ों के अंदर उनकी गांड़ के सुराख से ज़रा नीचे नज़र आ रही थी. मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रख कर उससे अपने टोपे के ज़रये महसूस किया. अम्मी ने अपने चूतड़ों को थोड़ा सा पीछे किया और मैंने अपना लंड पीछे से ही उनकी चूत के अंदर घुसेड़ दिया. अम्मी की चूत अभी तक गीली थी इस लिये मेरे लंड को उस के अंदर दाखिल होते हुए कोई मुश्किल पेश ना आई. मैंने अम्मी के मोटे चूतड़ों को दोनो हाथों से पकड़ लिया और उनकी चूत में घस्से मारने लगा.




मुझे ऊपर से अपना लंड अम्मी के गोरे चूतड़ों में से गुज़रता हुआ उनकी चूत में अंदर बाहर होता नज़र आ रहा था. वो भी मेरे लंड पर अपनी चूत को आगे पीछे कर के रगड़ रही थीं . मेरा लंड अम्मी के मोटे और गदराये हुए चूतड़ों के अंदर छुपी हुई उनकी चूत को चोद रहा था. मैंने उनकी कमर पर हाथ रखे और उनकी चूत में घस्से पे घस्सा लगाने लगा. मुसलसल घस्सों की वजह से अम्मी के चूतरों में एक इरतीयाश की सी कैफियत पैदा हो रही थी और उनके चूतड़ लरज़ रहे थे. फिर मुझे अपने लंड पर एक अजीब क़िसम का लज्ज़त-आमीज़ दबाव महसूस होने लगा. मैंने गैर-इरादि तौर पर अम्मी की चूत में घस्सों की रफ़्तार बढ़ा दी.


 अम्मी शायद जान गईं के में खलास होने वाला हूँ और उन्होने भी अपने मोटे मोटे चूतड़ों को बड़े नपे तुले अंदाज़ में मेरे लंड पर आगे पीछे करना शुरू कर दिया. इस के साथ ही मेरे लंड से झटकों में मनी निकलनी शुरू हुई और सीधी अम्मी की चूत के अंदर जाने लगी. अजीब-ओ-ग़रीब और मदहोश कर देने वाली लज्ज़त का एक तूफान था जो मेरी रग रग से उठ रहा था. बिल्कुल उसी वक़्त अम्मी की चूत ने एक दफ़ा फिर मेरे लंड को अपने शिकंजा में कस लिया और अम्मी भी मेरे साथ फिर खलास हो गईं. हम फ़ारिग़ हुए तो अम्मी ने उठ कर अपने कपड़े पहने और सोने चली गईं. मै भी खुशी और इमबिसात के आलम में बिस्तर पर लेटा और फॉरन ही मुझे नींद ने आ लिया.




इस वाकये के कोई तीन दिन बाद में घर के सहन में मेज़ कुर्सी डाले इम्तिहान की तैयारी कर रहा था के अंदर कमरे में फोन की घंटी बाजी. अम्मी ने आवाज़ दी के शाकिर ज़रा देखो किस का फोन है. मै उठ कर अंदर गया और फोन का रिसीवर उठा कर हेलो कहा. दूसरी तरफ़ से किसी आदमी ने हमारा फोन नंबर दुहराया और पूछा के किया ये शाकिर का घर है. मैंने कहा जी हाँ में शाकिर ही बोल रहा हूँ. वो आदमी अचानक हंस पडा और बोला मेरे गैरतमंद जवान मुझे नही पहचाना में नज़ीर बोल रहा हूँ पिंडी वाला नज़ीर. ये सुन कर मुझे तो जैसे करेंट लगा और मेरे जिसम से ठंडा पसीना फूट पड़ा.
नज़ीर से बात करते हुए मेरे ज़हन में हल्का सा खौफ तो ज़रूर था मगर इस से कहीं ज़ियादा मुझे गुस्से और नफ़रत ने मगलूब कर रखा था. मैंने उससे गंदी गालियाँ देते हुए कहा के अगर उस ने दोबारा यहाँ फोन किया तो में पोलीस से राबता करूँ गा. ये कह कर मैंने फोन का रिसीवर क्रेडल पर दे मारा.

में फोन बंद कर के पलटा तो अम्मी परैशानी के आलम में कमरे में दाखिल हो रही थीं . उन्होने पूछा के तुम किस से लड़ रहे थे? में कुछ कहना ही चाहता था के फोन फिर बज उठा. मैंने लपक कर रिसीवर उठाया तो दूसरी तरफ नज़ीर ही था. वो बोला के फोन बंद करने से पहले ये सुन लो के मेरे पास तुम्हारी और तुम्हारी खाला की नंगी वीडियो फिल्म है और अगर तुम ने मेरी बात ना सुनी तो में वो फिल्म तुम्हारे बाप को भेज दूँ गा.

मैंने अम्मी की तरफ देखा के उनकी मोजूदगी में नज़ीर से कैसे बात करूँ. फिर मैंने सोचा के अम्मी को चोद लेने के बाद मेरे और उनका रिश्ता वो नही रहा जो पहले था और अगर में उन्हे सारी बात बता भी देता तो इस में कोई हर्ज ना होता. मैंने नज़ीर से कहा के तुम बकवास करते हो बंद कमरे में किस ने फिल्म बना ली. नज़ीर बोला के होटेल में लोग औरतों को चोदने के लिये भी लाते थे इस लिये होटेल के कुछ मुलाज़िम कमरों में बेड के सामने टीवी ट्रॉली के अंदर छ्होटा कॅमरा ख़ुफ़िया तौर पर लगा देते थे ताके लोगों की चुदाई की फिल्म बना सकैं. तुम्हारी फिल्म भी ऐसे ही बनी थी. यक़ीन नही तो जहाँ कहो आ कर तुम्हे दिखा दूँ. मैंने सवाल किया के अगर फिल्म बन रही थी तो तुम ने मोबाइल से हमारी तस्वीरें क्यों लीं. उस ने जवाब दिया के फिल्म तो मुझे पता नही कितनी देर बाद मिलती और में तुम्हारी खाला को उसी वक़्त चोदना चाहता था. मेरा गुस्सा झाग की तरह बैठने लगा. मैंने कहा अभी बात नही हो सकती वो कुछ देर बाद फोन करे.



 मैंने फोन रखा तो अम्मी फ़िकरमंद लहजे में बोलीं के शाकिर ये किया मामला है? किस का फोन था? मैंने कहा अम्मी एक बहुत बड़ी मुसीबत में फँस गया हूँ और समझ नही पा रहा के किया करूँ. अम्मी ने कहा साफ़ साफ़ बताओ किया क़िस्सा है? तुम गुस्से में गालियाँ दे रहे थे और किसी फिल्म का ज़िकर भी था. आख़िर हुआ किया है?

मैंने अम्मी को अपने और खाला अम्बरीन के साथ पिंडी में पेश आने वाला वक़ीया तमाम तर तफ़सीलात के साथ बयान कर दिया. सारी बात सुन कर अम्मी जैसे सकते में आ गईं. लेकिन उन्होने मुझे खाला अम्बरीन को चोदने की कोशिश पर कुछ नही कहा. कहतीं भी कैसे वो तो खुद अपने भानजे को चूत देती रही थीं . कुछ देर गुम सूम रहने के बाद उन्होने कहा के नज़ीर को हमारे घर का नंबर कैसे मिला? मैंने कहा कमरों की बुकिंग के वक़्त होटेल के रिजिस्टर में हमारे घर का पता और फोन नंबर ज़रूर लिखवाया गया होगा. नज़ीर खुद तो उस रात नोकरी छोड़ कर भाग गया था मगर वहाँ उस के साथी तो हूँ गे जिन्हो ने उससे हमारा नंबर दे दिया होगा.

अम्मी ने सर हिलाया और कहा के किया वाक़ई होटेल वालों ने कोई फिल्म बनाई हो गी? मैंने कहा मुमकिन है नज़ीर झूठ ही बोल रहा हो. उन्होने कहा के तुम ने मोबाइल फोन वाली तस्वीरें तो ज़ाया कर दी थीं जिन के बगैर वो तुम्हे ब्लॅकमेल नही कर सकता लेकिन वो फिर भी यहाँ फोन कर रहा है जिस का मतलब है के उस के पास कुछ ना कुछ तो है.

अम्मी ठीक कह रही थीं . कुछ सोच कर वो बोलीं के में अम्बरीन से बात करती हूँ. नज़ीर ने अम्बरीन को चोदा था इस लिये अब भी वो उस से मिलना चाह रहा हो गा ताके फिर उसे चोद सके. मैंने उन्हे बताया के नज़ीर ने उनके बारे में भी उल्टी सीधी बातें की थीं . वो हैरत से बोलीं के नज़ीर ने तो उन्हे देखा ही नही वो उनके लिये यहाँ कैसे आ सकता है. मैंने कहा के उस ने खाला अम्बरीन को देख कर अंदाज़ा लगाया हो गा के उनकी बहन भी खूबसूरत हो गी. अम्मी ने एक गहरी साँस ली लेकिन खामोश रहीं.


 हम दोनो गहरी सोच में ग़र्क थे. अचानक अम्मी ने पूछा के शाकिर किया तुम अम्बरीन को चोदने में कामयाब हुए? मैंने कहा नही अम्मी पिंडी से वापस आने के बाद अभी तक शर्मिंदगी के मारे में उन से मिला तक नही. अम्मी तंज़िया अंदाज़ में मुस्कुराईं और कहा के जब तुम ने अपनी सग़ी माँ को चोद लिया तो फिर खाला को चोदने की खाहिश पर क्यों इतने शर्मिंदा हो. मै ये सुन कर खिसियाना सा हो गया. वो कहने लगीं के हमें इस मसले का कोई हल निकालना है वरना बड़ी बर्बादी हो गी. अम्बरीन से बात करनी ही पड़े गी. मैंने उन से इतेफ़ाक़ किया.

उन्होने खाला अम्बरीन को फोन किया जो कुछ देर बाद हमारे घर आ गईं. अम्मी उन्हे अपने बेडरूम में ले गईं और मुझे भी वहीं बुला लिया. मै अंदर गया तो देखा के वो दोनो बेडरूम में पड़ी दो कुर्सियों पर साथ साथ बैठी थीं . नज़ीर के फोन की वजह से में परेशां था मगर फिर भी अम्मी और खाला अम्बरीन को यों इकट्ठे बैठा देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. मै दिल ही दिल में सर से पाओं तक दोनो बहनो का मुआयना करने लगा.

अम्मी और खाला अम्बरीन के खद्द-ओ-खाल एक दूसरे से बहुत मिलते थे. दोनो के बाल, आँखें, नाक, माथा और गालों की उभरी हुई हड्डियाँ बिल्कुल एक जैसी थीं . अलबाता अम्मी के होंठ खाला अम्बरीन के होठों से ज़रा पतले थे और दोनो की ठुद्दियाँ भी कुछ मुख्तलीफ़ थीं . मजमूई तौर पर दोनो बहनो के चेहरे देख कर गुमान होता था जैसे वो जुड़वाँ बहनें हूँ. और तो और खाला अम्बरीन अम्मी को नाम ले कर ही बुलाती थीं बाजी या आपा नही कहती थीं .

में अम्मी और खाला अम्बरीन को नंगा देख चुका था और जानता था के दोनो के बदन भी कम-ओ-बैश् एक जैसे ही थे. वो तक़रीबन एक ही क़द की थीं और दोनो ही के बदन गदराये हुए लेकिन बड़े मज़बूत और हट्टे कट्टे थे. अम्मी 38 साल की और खाला अम्बरीन 36 की थीं और अपनी उमर की वजह से उनके बदन पर बिल्कुल सही जगहों पर गोश्त हुआ चढ़ा था. उनके कंधे चौड़े चक्ले और तवाना थे. कमर चौड़ी और बिल्कुल सीधी थी जिस के बीच की लकीर कमर पर गोश्त होने की वजह से काफ़ी गहरी थी. इतने मज़बूत कंधे और चौड़ी चकली कमर शायद उनके बहुत ही मोटे मोटे और भारी मम्मों का वज़न उठाने के लिये ज़रूरी थे.


 दोनो बहनो के मम्मे उनके बदन का नुमायाँ तरीन हिस्सा थे जिन पर हर एक की नज़र सब से पहले पड़ती थी. उनके मम्मे मोटे, भारी, तने हुए और बाक़ी बदन से गैर-मामूली तौर पर आगे निकले हुए थे. दोनो ने अपने बच्चों को ज़ियादा देर दूध नही पिलाया था और शायद इस लिये भी उनके मम्मे इतने मोटे और तने हुए थे. मैंने अम्मी के मम्मे उन्हे चोदते वक़्त बहुत चूसे थे जबके खाला अम्बरीन के मम्मों को पिंडी में खूब टटोला था. मुझे लगता था के अम्मी के मम्मे खाला अम्बरीन से एक आध इंच बड़े थे. लेकिन देखने में दोनो के मम्मे एक दूसरे से बड़ी हद तक मिलते थे. दोनो के सूजे हुए मम्मों के निप्पल काफ़ी बड़े साइज़ के थे. खाला अम्बरीन के निप्पल लंबाई में अम्मी के निपल्स से कुछ कम थे और उनके साथ वाला हिस्सा बहुत बड़ा था जबके अम्मी के निप्पल बहुत लंबे थे मगर उनके साथ का हिस्सा खाला अम्बरीन के मुक़ाबले में कुछ छोटा था.

अम्मी और खाला अम्बरीन के पेट भी नरम-ओ-गुन्दाज़ थे. खाला अम्बरीन का पेट मामूली सा निकला हुआ था लेकिन अम्मी का पेट तो था ही नही. हालंके अम्मी के तीन बचे थे और खाला अम्बरीन के दो. दोनो की चूतों में भी काफ़ी मुमासिलत थी. मैंने खाला अम्बरीन को नही चोदा था लेकिन अम्मी की चूत के हर अंग से वाक़िफ़ हो चुका था. दोनो की चूतें मोटी और सूजी हुई थीं और उन पर बाल भी थे. उनकी रानें भी बाक़ी बदन की मुनासीबत से मोटी और भारी थीं . मम्मों के बाद दोनो ही के बदन का बहुत ही ख़ास हिस्सा उनके मोटे और बड़े भारी चूतड़ थे जिनकी बनावट भी एक जैसी थी. औरतों के चूतड़ ज़रा भारी ही होते हैं लेकिन अम्मी और खाला अम्बरीन के चूतड़ गैर-मामूली मोटे और चौड़े थे.

में इन ख़यालों में डूबा हुआ था और अम्मी खाला अम्बरीन को बता रही थीं के उन्हे पिंडी वाले वक़िये का ईलम हो चुका है और ये के नज़ीर ने यहाँ फोन किया था. ये सुन कर खाला अम्बरीन के चेहरे का रंग अर गया. कहने लगीं बस यासमीन ये बे-इज़्ज़ती क़िस्मत में लिखी थी लेकिन उस कुत्ते को ये नंबर कैसे मिला? अम्मी ने उन्हे होटेल के रिजिस्टर के बारे में बताया और कहा के अब पुरानी बातें छोड़ो और ये सोचो के अगर नज़ीर के पास कोई नंगी फिल्म है तो वो उस से कैसे ली जाए. हम तीनो बातें कर रही थे के फोन की घंटी बाजी.




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