Saturday, December 21, 2013

गुपचुप कहानियाँ- राबिया का बेहेनचोद भाई--12

Lovers-point गुपचुप कहानियाँ-

 राबिया का बेहेनचोद भाई--12
. जब तक हम निकलते तब तक बारिश की तेज बौचारों ने हमे पूरा भिगो दिया...किसी तरह कार में आकर बैठे और चल दिए.....बारिश ने मुझे और भाई दोनो को पूरी तरह भिगो दिया था....कपडे हमारे बदन से चिपक गये थे.....मेरा टॉप मेरे सीने से चिपक चूंचीयों को और ज़्यादा उभार रही थी.....भाई बार बार कनखियो से मेरी उभरी कबूतरियों को देख रहा था....मुझे से नज़र मिली तो मुस्कुरा दिया....मैं भी मुस्कुरा दी....धीरे हाथ आगे बढ़ा उसकी जाँघ पर चिकोटिकाट लिया....भाई चौंक गया....उ....क्या करती है....मैने ज़ुबान निकाल कर दिखा दी....भाई ने मुझे आँख मार दी.....मैने फिर से ज़ुबान दिखा कहा.....गंदे....भाई ने अपना एक हाथ मेरी रानों पर रख दिया....मैं कुछ नही बोली...


घर पहुँच मैं बेडरूम घुस गई....भाई अपने कमरे में चला गया....कुछ देर सोचने के बाद...कपड़ों में से खोज कर मैने एक सफेद फ्रॉक जिस पर सुर्ख लाल छापे वाले फ्लवर्स बने थे निकाला......अभी तक फटी नही थी.....नई जैसी लगती थी....जब तक 14-15 की थी तब तलक़ पहना....फिर टाइट हो गई...चूंची बहुत अच्छी उभर कर आती.....छोटी भी हो गई.....घुटनो के उपर तक आती.....थोड़ा सा इधर उधर होते...रान दिखने लगती...नींबू जब नारंगी बन गये तो अम्मी ने पहन ने से मना कर दिया....वैसे भी कुतिया को मेरी हर ख़ुशी से जलन होती थी.....बैग में छुपा कर यहाँ ले आई... आज इसका सही इस्तेमाल होने के आसार थे....फ्रॉक ले कर मैं बात रूम में घुस गई..... आज मैने उसके लंड में आग लगा देना चाहती थी.....अपनी जवानी दिखा...तरसाने में मज़ा आ रहा था...

मैने फ्रॉक पहन लिया....मर गई रब्बा....कितना टाइट है.....लगता है जैसे दम घूट जाएगा.....खैर किसी तरह से पहन लिया.... आईने में जब अपने आप को देखा .....तो... क्या जबरदस्त टाइट फिटिंग आई थी.....जवानी ऐसे छलक कर उभरी थी की.....चूंचीयाँ उभर कर सामने की तरफ अपनी चोंच निकाल..... जैसे किसी ने फ्रॉक के अंदर ज़बरदस्ती दो सेब ठूंस दिए हो....गीला बदन होने से फ्रॉक चिपक कर बदन के सारे उतार चढ़ाव बयान कर रही थी.....छोटे किस्मीस के आकर के निपल्स ऐक दम तन कर खड़े हो उभर आए थे.....कपड़ों के रगड़ का असर था......अंदर ब्रा नही पहना था....लाल छापे वाली चड्डी पहन ली...फ्रॉक कमर के पास चिपक गाँड को और उभार रही थी......जब बाहर निकली तो देखा भाई ड्रॉयिंग रूम में हाथ में कपडे लिए मेरे बाथरूम से निकालने का वेट कर रहा था...


मैं उसके सामने मटकती हुई गुज़री तो वो.....देखता ही रह गया.....गीले बॉल...गीला बदन....उसपर चिपकी हुई फ्रॉक......उसके घूरने के लिए बहुत मसाला था.....सबसे खास बात ये थी की.....गौर से देखे तो चूंचीयों के निपल आराम से दिखते.....इठलाते हुए उसके सामने से होकर बेडरूम में गई.....बालो को सूखा कर पोनीटेल बना लिया.....स्कूल की नादान कमसिन लौंडिया लग रही थी.....चड्डी की अनचुदी सहेली को दिलासा दिया की आज पक्का लंड ले लूँगी.....आज उसको तरसाना था....इतना तरसना था की खुद ही हाथ में लंड लेकर खड़ा हो जाए की.....अब रहा नही जा रहा.....उसका डर दूर करना था.....मैं उसके पास जा कर खड़ी हो गई.....भाई क्या बनाऊं....उसकी नज़र मेरे गीले फ्रॉक में कसे चूंचीयों पर अटक गई..... लाल छापे वाला फूल मेरी राईट चूंची को आधा ढके हुए था....और लेफ्ट चूंची लाल फूल से पूरी तरह से धक गई थी....राईट चूंची का निपल सफेद फ्रॉक से नज़र आ रहा था.....
चूंची घूरने में इतना मस्त था की मेरे सवाल से चौंक गया....आ हा...क्या बोला....क्या बनाऊं भाई.....ओह...मेरा हाथ अपने हाथ में ले मुस्कुराते हुए बोला....क्या बनाएगी....कुछ स्पेशल....जो तेरे दिल में आए और जो जल्दी बन जाए....बारिश नही होती तो बाहर ही खाते...चल मैं भी मदद करता.....अरे नही तुम रहने दो....बोल कर मैं किचन में चली गई....वो भी मेरे पीछे पीछे आ गया....मैं जानती थी चूंची देखने को मिल रही है.....अभी आस पास ही रहेगा.....लंड को ताव लगा रहा होगा.... मैने शोख अदा के साथ उसके हाथ पर धक्का दिया..... हाए !!! भाई जाओ ना....नहा लो....अभी दिल नही कर रहा.... साले के दिल में तो मेरी चूची ओर गाँड घुसी है.....ज़रा इसको अपनी गाँड दिखती हू....हाथ में पकड़ा चाकू गिरा दिया....फिर नीचे झुक....गाँड उचका...चाकू उठाया....


भाई थोड़ा पीछे खिसक गया.....मेरा तीर निशाने पर लगा था.....पीछे खिसक फ्रॉक में कसी मेरी गाँड देख लंड पर हाथ फेर रहा था....नीचे झुकने की वजह से मेरे मस्त रान उपर तक नुमाया हो गये....बस चड्डी नही दिखी.....मैने उसकी बेकरारी को और बढ़ने के लिए अपना हाथ पीछे ले जा कर....अदा के साथ हल्के से अपनी गाँड पर हाथ फेरा और .....सीधी खड़ी हो गई....कनखियों से देखा तो भाई अपना चेहरा लाल किए....मेरी गाँड को भूखी आँखो से देख रहा था....भोसड़ीवाला ज़रूर सोच रहा होगा काश गाँड पर हाथ फेरता.....मैं अचानक पीछे घूम बोली... हाए !!! भाई क्या है...जाओ ना....खाना थोड़ी देर में बन ....हा हा जाता हूँ....मैं तो ऐसे ही....ऐसे ही क्या भाई....तो मेरी बगल में आ कर खड़ा हो गया....और हल्के से मेरी कमर में हाथ डाल दिया.....मैं एक हाथ से बर्तन पकडे दूसरे हाथ से कलछी चला रहा थी..


 मैं कुछ नही बोली....वो हल्के हाथ से कमर सहलाने लगा.....मैं इतराती हुई उसका हाथ हटाती बोली....उउउ क्या है....खाना बनाने दो....कितनी गर्मी है....इसलिए तो बोल रही हू....जाओ नहा लो.... क्या मदद करनी है....कोई मदद नही करनी....जाओ....पर गया नही....उसने फिर मेरी कमर में हाथ डाल दिया.....उईईइ....क्या है ठीक से खड़े नही रह सकते....ठीक से ही तो खड़ा हू....उः हू....गुदगुदी होती है.....छोड़ो ना....काम करने दो....मैने कहा पकड़ा है....मैं उसका हाथ कमर से झटकती बोली....ये क्या है....ओह ख्याल ही नही रहा....अरे वा....कमाल है....ख्याल ही नही रहा....उल्टी सीधी जगह घूमने जाओगे तो ऐसा ही होगा और ऐसी ही हरकते करोगे......भाई शर्मा कर हँसने लगा....बात बदलते बोला...कितनी गर्मी है....किचन में.....हा कमर में हाथ डाल... गर्मी भगा रहे थे....ओह....चल छोड़....वो बनियान पहने था....उसके सीने पर पानी की बूँद चमक रही थी....

मैने अपना हाथ से उसकी छाती को टच करते हुए कहा.......देखो कितना पसीना आ रहा है....जाओ ना नहा लो.....अरे ये तो पानी है....पसीना तो तुझे आ रहा....देख....उसने मेरे गर्दन पर आए पसीने को दिखाया....पसीना मेरे गर्दन से लुढ़क कर मेरी झीनी फ्रॉक के अंदर घुसता जा रहा था.....बिना ब्रा की फ्रॉक.......मेरी चूंची की गोलाइयों और गुलाबी निपल्स को पुरकशिश तरीके से नुमाया कर रही थी....मेरे निपल खड़े हो कर फ्रॉक को नोकदार बना रहे थे.....भाई मेरे इतने पास खड़ा था की लग रहा था अब अपनी छाती मेरे सीने से सटा देगा....होंठों पर शरारती मुस्कान ला कहा.....आपके बदन से पसीने की बदबू आ रही है....भाई झेप गया.....हट... कहा बू आ रही है.....आ रही है...सूंघ कर देखो....भाई ने अपनी कांख पास नाक ला कर सूँघा....उतनी तो नही आ रही......मुझे लग रहा है तेरे बदन से बू आ रही....हट बेशरम...

मैं हल्के से कलछी से मरते हुए कहा......मुझ से बू नही आती....आप अम्मी की दांत खाते थे....अच्छा देख मैं सूंघ कर बताता हू....कहते हुए वो मेरे गर्दन के पास आ कर सूंघने लगे.....मैने भी अपना हाथ उठा दिया....लो सूँघो....मेरी कांख पानी से पहले से ही गीली थी...वो मेरी पानी से भीगी कांख से नाक सटा ....गहरी साँस अंदर लेते हुए खूब ज़ोर से सूंघ....वा....क्या बात है रबिया तेरे बदन से तो खुश बु.....इतर लगाया होगा .....मैं क्यों कर पर्फ्यूम लगाने लगी....तो क्या तेरा बदन ऐसे ही खुशबुदार है.....मैं शोक अदा होंठ बिचकाती बोली....और क्या....भाई हँसते हुए बोला.....एक दफ़ा और सूँघू तेरा महकता बदन.....मैने कलछी से उसको मारा...हट....बेशरम ....वो हँसने लगा.....पर एक बात बोलू....क्या....होत गुलाबी कर मुस्कुराते हुए कहा....एक दम गुड़िया लग रही है....धत !....परी लग रही है..


समंदर के किनारे घूमने के बाद से उसकी हिम्मत बहुत बढ़ गई थी....क्या भाई आप.....अर्रे नही सच कह रहा हू......स्कूल जब जाती थी....वैसी बच्ची दिख रही है इस फ्रॉक में.....बस एक फ़र्क आ गया है....मेरी चूंचीयों को घूरते बोला.....क्या फ़र्क भाई....चूंची उभार मैने पुछा ....रहने दे...बताओ ना भाई....क्या मैं पहले जैसी नही.....अर्रे नही नही....तू तो पहले से भी ज्यादा खूबसूरत हो गई....तो फिर क्या फ़र्क़....भाई मेरी कान के पास मुँह ला कर सरगोशी करते बोला.....बस तेरा सीने कुछ बड़ा....धत !...कहते हुए मैने उसको धकेला....गंदे...बेशरम ..आप कल रात से....कुच्छा ज्यादा ही....बहक गये है....भाई हँसने लगा.....सच रबिया तू इतनी खूबसूरत है....मैने शरमाने का नाटक किया....जाइए भाई आप भी ना ....

गाल गुलाबी करते होंठों पर मुस्कान लाते मैने कहा.....भाई ने मुझे शरमाते देखा तो उसकी हिम्मत बढ़ी....धीरे से आगे बढ़....मेरे गालो को चूम लिया...उईईइ...अम्मी.....मैं थोड़ा पीछे हटी.....भाई घुसताख़ी से मुस्कुराता रहा.......मैने मुँह फुलाते हुए कहा.....आप बहुत बेशरम हो गये है....जाइए मैं बात नही करती....फिर अपने गालो को पोच्छने का नाटक किया....भाई थोड़ा सरक फिर से मेरी कमर में हाथ डाल....ओह हो...मेरी गुड़िया रानी नाराज़ हो गई....कहते मेरी कमर को हल्के से दबाया... हाए !!!...समंदर किनारे भियाप ने मेरा सी...ना.....भाई कान के पास होंठ को ला सरगोशी करते बोला....अच्छा नही लगा क्या.... गर्दन नीचे कर हल्के से मुस्कुरा दिया....सरगोशी करते बोली....पर मैं आपकी बहन .....फिर भी अच्छा नही लगा क्या.....बता ना....कहते हुए उसने मेरी कमर को दबाया...

मैने एक पल उसको देखा फिर गर्दन नीचे झुका लिया.....भाई कुछ लम्हे तक वैसे ही मेरी कमर सहलाता रहा फिर बोला .....चेंज कर लेता हू......फिर रुक गया और बोला.....एक बात बोलू....अब क्या है....कान के पास मूह ला कर बोला....एक किस दे ना.....मैं झूठा गुस्सा दिखाते हुए उसको कलछी से फिर मारा....भागते हो.....बेशरम.....भाई हँसने लगा...मैं भी उसके साथ हँसने लगी और उसको धकेलने लगी....वो हँसते हुए किचन से निकल....जल्दी से गुसलखाने में घुस गया......मेरे ताजे उतरे गये पैंटी और ब्रा उसका इंतेज़ार कर रहे थे.....मैने भी मटन पकने के लिए छोड़ दिया....और ड्रॉयिंग रूम में आ कर टीवी खोल....बाथरूम के पास चली गई....दरार पर आँख लगाया तो देखा वो तो इतनी देर में पूरा नंगा हो.....नीचे बैठा मेरी ब्रा को अपनी आँखो पर लपेटे हुए....मेरी पैंटी को चूस रहा था.....दूसरे हाथ से अपने लंड को सहला रहा था...


 उफफफ्फ़ .....किसी गदहे के लंड की तरह दिख रहा था.....मैने पहले कभी गदहे का लंड नही देख था....मगर हर कहानी में पढ़ती थी की उसका लंड सबसे बड़ा होता है.....इंटरनेट पर सर्च किया तो पता चला.....मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था.....धीरे से फ्रॉक को उठा....पैंटी की साइड से उंगली अपनी चूत से सता...अपनी कुस्स के पीसते को मसलना शुरू कर दिया....दाँत पीसते अपने अनार दाने को मसलते....चूत के होंठों को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी.....दिल कर रहा था काश भाई मेरी पैंटी की जगह.....मेरे पीसते को अपने दांतो से पीस कर चबा कर खाता.....अपने गदहे जैसे लंड की मूठ मारते हुए भाई किसी गदहे की तरह से रएंक रहा था....लंड मसलते हुए वो बहुत जोश में आ चुका था.....और अपने हाथो को तेज़ी से चला रहा था......
तभी ना जाने उसे क्या सूझा पैंटी को मुँह से हटा नीचे ले गया....अपने डंडे की तरह खड़े लंड पर लपेट दिया....फिर ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा.....इतनी देर तक भाई के साथ खेलने के वजह से....बहुत ज़यादा जोश में आ चुकी थी.....तभी उसने दो-तीन ज़ोर के झटके लगाए....और रेंकता हुआ बोला....ऑश रबिया....तेरी चूत ... हाए !!!...मेरी गुलबदन....तेरी चूत ....में....उफफफफफ्फ़....ले अपने भाई का... लंड ... के साथ मेरी पैंटी पर ही अपना सफेद पानी छोड़ दिया.....भाई मेरी नाम की मूठ लगा कर पानी छोड़ रहा था....ये सब देख मैने भी अपनी टीट को कस कर दबाया....और जाँघो को भीचते हुए झड़ने लगी.....मेरे पैर कापने लगे....वहा पर खड़ा रहना मेरे लिए मुस्किल था....चुप-चाप जल्दी से...किचन में जा....गॅस बंद कर दीवान पर औंधी लेट गई.....अपनी बहकति सांसो को काबू में करने के लिए तकिये में अपना सिर छुपा लिया.....भाई शायद अब नहाने लगा था....थोड़ी देर बाद वो बाहर निकला....

मैं वैसे ही दीवान पर औंधे मुँह लेटी रही....मेरे पास आ हल्के से आवाज़ देता हुआ बोला....रबिया क्या हुआ....ऐसे क्यों लेटी है...कुछ नही भाई कहती हुई मैं उठ गई....खाना निकालु....हा निकाल...उसने शॉर्ट्स आंड टी - शर्ट पहन रखी थी.....मुझसे आँख नही मिला रहा था.....शायद मेरे नाम की मूठ मारने की जुर्म का एहसास उसे ऐसा नही करने दे रही थी....पर मैं जानती थी थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा....अभी तुरंत झड़ कर आया था....इसलिए लंड ताव में नही था....सेक्स का जुनून थोड़ी देर के लिए उतार गया था....तो मैं छोटी बहन नज़र आ रही थी....जिसके बारे में सोचना गुनाह था....फिर से जब लंड खड़ा होगा तो....नाम ले कर मूठ लगाएगा......और फ्रॉक के अंदर झाँक कर पैंटी देखने की कोशिश करेगा....


 हुआ भी वही.....खाना खाने के बाद गाँड मटकाती मैं इधर उधर घूमती रही....भाई कभी मुझे देखता कभी टीवी फिर मैं सोफे पर बैठ टीवी देखने लगी.....भाई सोफे से पीठ टीका...नीचे कालीन पर बैठा था......उपर बैठो ना....नही ऐसे ही ठीक है....और पैर पसार कर बैठ गया.... फ्रॉक मेरे घुटनो के उपर तक ही था....मेरी रान आधी से ज़्यादा नंगी...मैने हल्के से अपनी टाँगो को चौड़ा किया.....कनखियों से देख तो भाई नीचे बैठा मेरी टाँगो को देख रहा था....धीरे से खिसक कर पास आया....और हल्के से अपना हाथ मेरे पंजे पर रख दिया....धिरे धिरे दबाने लगा.....उः उउउ....क्या कर रहे हो भाई....मैं धीरे से बोली...... थक गई होगी.....तेरे पैर दबा देता हू... हाए !!!....नही छोड़ो ....पर भाई ने मेरी पिंदलियों को पकड़ हल्का हल्का दबाना शुरू कर दिया...

अच्छा लग रहा था.... हाए !!! भाई क्या आप भी....आओ उपर बैठो ना.....अच्छा नही लग रहा.....लग रहा है....पर.....पर क्या...कहते हुए मेरी पिंडली को दबाते घुटने तक पहुच गया......मेरी रानों को देखते....फिर नीचे की तरफ बढ़ने लगा.....शबनम सही कह रही थी....लड़के गुदाज़ रानों के दीवाने होते है.....मैने रानों के बीच का गॅप बढ़ा दिया.....छोटी सी फ्रॉक....थोड़ा और उपर चढ़ गई....गोरी गुन्दाज़ जांघें थोड़ी और नंगी हो गई.....भाई ने नज़र उठा मेरी तरफ देखा....मैं टीवी पर नज़र गड़ाए रही.....उसने मेरी दोनो रानों के बीच हल्का सा झाँका......फिर अपने दोनो हाथो में पैर के पंजे को उठा....धीरे धीरे मसलते हुए दबाने लगा...पैर की नाज़ुक उंगलियों को एक एक कर चटखते हुए धीरे धीरे मेरे पैर के पंजे को मसल रहा था.....साथ-साथ मेरी टाँगो के दरम्यान बने गॅप से अपने मतलब की चीज़ देखने की कोशिश कर रहा था...

पंजे को दबाते हुए मेरी टाँगो के बीच के गॅप को भी बढ़ने की कोशिश कर रहा था....उसको शायद मेरी चड्डी अभी नज़र नही आ रही होगी.....पूरे पंजे और तलवे की मालिश कर रहा था....फिर उसने मेरे बाएँ पंजे को अपनी गोद में रख लिया और दांयें पैर के पंजे को दबाने और सहलाने लगा.....उसकी गोद में रखा पंजा उसकी जाँघो पर था...उसकी शॉर्ट्स उसकी रानों के बीच उभरी हुई है.....मेरे खच्चर भाई का गधो वाला लंड खड़ा हो चुका था....दिल मेी आया की अपने पंजो को आगे बढ़ा उस पर रख दूँ.....पैर के पंजो को हल्के हल्के उसकी जाँघो पर घुमाते हुए उस तरफ बढ़ा रही थी......बदन सिहरन से भर उठा.....रानों को भीच..... अंगड़ाई ले कर.....अपने पैरों को थोड़ा सा हिलाया की लंड पर पंजा रख दूँ.....भाई को लगा मैं सोना चाहती हू....नींद आ रही है....नही भाई.....


 वो पंजे को मसलते हुए बोला.....ये ग्रीन वाली नाइल पोलिश अच्छी नही लगती... हाए !!! यही फैशन है आजकल....मुझे तो अच्छी लगती है.....मुझे वो गुलाबी चमकीली नाइल पोलिश जो तू लगती है ना...अच्छी लगती है... हाए !!! वो क्यों भाई....तेरे पैर इतने गुलाबी है ना......धत !.....सच तेरे गोरे गुलाबी पैरों पर.....आप भी ना भाई....इतने गौर से अपनी बहन को मत देखा करो.....क्यों ना देखु अपनी प्यारी गुड़िया रानी को....कोई गुनाह थोरे ही कर रहा हू....फिर अब तो मेरी गुड़िया मेरी गर्लफ्रेंड भी है.....मैने मुस्कुराते हुए भाई को प्यार से सिर पर मारा....धत ! भाई...आप लगता है सच में गर्लफ्रेंड बना कर मनोगे.....अच्छा ठीक है कल लगा लूँगी....नही रुक....क्या हुआ....रुक मैं आता हू....कहता हुआ उठ गया और मेरे कमरे में घुस गया....बाहर निकला तो उसके हाथ में मेरी गुलाबी नाइल पोलिश की बॉटल थी...

हिए क्या....अभी क्यों ले आए....अभी इतनी रात में कौन लगाएगा.....वो तब तक नीचे बैठ गया.....तू बस आराम से बैठ....ओह नही...भाई प्लीज़....नही तुम मत....वो पंजे को पकड़ प्यार से सहलाता बोला....लगाने दे ना....देख ना मैं बहुत अच्छे से....पर ग्रीन वाली को पहले हटाना पड़ेगा ना....इसी के उपर लगा देता हू....मुझे देखना है....बस.....प्लीज़.....कहते हुए उसने मेरे दोनो पंजो को उठा अपनी गोद में रख लिया.... हाए !!!....ठीक अपनी शॉर्ट्स के तंबू पर.....मेरा पंजे के नीचे भाई का फरफ़रता लंड....उ....एक पंजे को अपने हाथ में ले लिया....बारे प्यार से ....बाएँ पैर की उंगलियों को रंगने लगा.... हाए !!! कितने नाज़ुक पैर है तेरे.....देख कैसा खूबसूरत लग रहा है.....गुलाबी रंग.....कितना मुफ़ीद लग.... हाए !!! आप भी ना भाई....ठीक है लगाओ......कहते हुए मैने हल्के से अपने दाहिने पंजे को हिलाया......भाई का लंड मज़े का खड़ा हो चुका था.....कपडे के उपर से उसकी गर्मी का अहसास मेरे पंजो पर हो रहा था......मैं देखना चाहती थी भाई क्या करता है.....मैने हल्के से पंजा घुमा कर उसकी रान पर रख दिया.....भाई थोड़ा और खिसक गया.....अरे ठीक से बैठ ना...

ज़्यादा पैर इधर उधर मत कर....कहते हुए मेरे पंजे को उठा फिर से अपने लंड पर रख दिया.....उसका लंड पूरा खड़ा हो मेरे पंजो पर ठोकर मार रहा था.....मैने हल्का सा पंजा दबाया....उ...मज़ा आ गया.....भले ही कपड़ों के उपर से मगर.....लंड की गर्मी और सख्ती का अहसास हो गया.... हाए !!! कितना गर्म लग रहा था....मैने पंजे को लंड पर रख हल्का सा दबाया.....लंड सीधा खड़ा था.....ठीक से दब नही पाया.....भाई ने मेरी तरफ देखा....मैं TV देखने का नाटक करती रही.....उसने हल्के से मेरे पंजे को उठाया....फिर वापस रख दिया.....शायद उसने अपने खड़े लंड को शॉर्ट्स में अड्जस्ट किया था.....अब मेरा पंजा उसके पूरे लंड की लंबाई पर पड़ा हुआ था.... हाए !!! मेरे पंजे से थोड़ा ज़्यादा लंबा लग रहा था......शर्म लिहाज छोड़ पंजे को हल्के हल्के पूरे लंड की लंबाई पर फिरते हुए सहलाने लगी....बीच बीच में दबा देती....थोड़ी देर बाद भाई ने पैर बदल दिया...


वो बीच बीच में मेरे पैरो की खूबसूरती की बारे में बोलता भी जाता.....दोनो पैरों पर नाइल पोलिश लगाने के बाद बोला....देख कितना हसीन लग रहा है.....अभी भी मेरे पंजे उसकी गोद में थे.....मैं मुस्कुराते हुए देखने लगी... हाए !!! आख़िर आपने अपने दिल की कर ली....अब छोड़िए ....सूखने दीजिए....अरी अभी सुख जाएगा....मेरे दोनो पंजो को अपने दोनो हाथो में उठा....पैर की उंगलियों पर फूक मारने लगा.....मेरे पैर उपर उठ जाने के वजह से फ्रॉक उपर सरक गई......मेरी रानें सोफे से उठ गई....मेरी पूरी नंगी रानें मेरी चड्डी तक आराम से दिख रही थी....वो फूक मारते हुए देख रहा था.....मैने कहा ही छोड़ो ना भाई...ऐसे सुख जाएगी.....कहते हुए अपनी फ्रॉक से रानों को ढकने का नाटक किया.....हम दोनो की नज़र आपस में मिली.....वो मुस्कुरा दिया.....और मेरे पैर को अपने गोद में वापस रख दिया .....मैने पैर हटाने की कोशिश की.....पर भाई ने वापस खींच कर रख लिया गोद में.....पैर तो छोड़ो ....रहने दे ना....इतने खूबसूरत नाज़ुक पैर कालीन पर रखने लायक नही..

मैने गाल गुलाबी करते हुए कहा....ऐसे फिल्मी डाइलॉग अपनी बीबी को सुना ना.....पता नही बीबी के पैर इतने खूबसूरत हो या ना.....खूब पता है भाईजान.....आजकल के लड़के बीबी के तलवे चाटते है निकाह के बाद....चाहे बीबी कैसी भी हो... कहते हुए मैने अपने पंजे से उसके पेट के निचले हिस्से को हल्का सा दबाया.....भाई मेरा एक पंजा सहला रहा था....उसने उसको उठा सहलाता थोड़ा उपर उठा अपने सिर को नीचे झुका...चूम लिया... हाए !!! क्या कर रहे हो....वो हँसते हुए बोला....तलवे चाटने की प्रॅक्टीस कर रहा हू.....धत !....छोड़ो .....ये क्या....अफ भाई.....मेरे पंजो पर अपनी उंगली चला गुदगुदी करने लगा....मैं हस्ती हुई बोली.. हाए !!! बेशरम....उफ़ !!!....भाई छोड़ो .....अपनी बीबी के चाटना.....मेरी छोड़ो .....मैने पैर झटकते हुए छुड़ाने की कोशिश की...उफ़फ्फ़....कितने नाज़ुक....क्मसिन....पैर है तेरे....सच दिल कर रहा है चाट का खा जाऊं ....कहते हुए पैर की उंगलियों पर चूम्मिया लेने लगा..

ही गंदे....उफ़ !!!....बहाया....बेहन के पैर....उफ़ !!!....भाई छोड़ो ....शर्म करो....मैं तुम्हारी बीबी नही बहन .....पर भाई ने मेरे पैर के अंगूठे को अपने होंठों के बीच दबा लिया.....मैं पैर झटक रही थी....दूसरे पैर का पंजा जो अभी भी उसकी गोद में था उस पर ज़ोर देकर अपने पैर को खीचने का नाटक कर रही थी.....पंजो से लंड को मसलते....मैं सोफे से खिसक चुकी थी.....बस मेरी चूत और थोड़ी सी....सोफे से टिकी थी....उफ़फ्फ़....भाई ने अंगूठे को मुँह में ले लिया.....चूस रहा था जैसे....लॉलिपोप चूस रहा है.... हाए !!! उफफफ्फ़....भाई प्लीज़....आप....सही में बहुत....आप धीरे धीरे आगे बढ़ते जा....उफ़फ्फ़....सारे गंदे काम....उफ़ !!!...होंठ...मम्मे सब....भाई अब अपनी जीभ निकाल धीरे धीरे मेरे पैर को चाटने लगा.... अफ भाई छोड़ दो.....मेरा एक पैर हवा में था....एक पैर उसकी गोद में.....फ्रॉक तो कब की सिमट कर पूरी रान नंगा कर चुकी थी....छोटी सी छापे वाली पैंटी में कसी मेरी जवानी उसके सामने थी.....पर भाई मेरे तलवे चाट रहा था...


 उसने अभी इस तरफ गौर नही किया था.....भोसड़ी का तलवे चाटता रहेगा क्या....फिर बोली.... हाए !!!....भाई देखो फ्रॉक ठीक कर लेने दो....प्लीज़.....नज़र उठा कर देखा.....देखता रह गया....छोटी सी पैंटी में कसी मेरी जवानी.....मैने रान और फैला दिया......उफ़ !!!... हाए !!! भाई मैं नंगी हो गई...फ्रॉक तो ठीक.....रान चौड़ी कर चड्डी में कसी चूत दिखाती बोली......भाई सिसक उठा.....गोरी रान....फूली बुर.. ...मेरी जवानी उसको दीवाना कर गई.....बोला अफ कितनी हसीन है तू.... कहते हुए मेरी पिंदलियों को चूमा...अफ भाई....मैने जल्दी से फ्रॉक को नीचे करने का नाटक किया और सोफे से उतर.....कालीन पर दोनो पैरो मोड़ फ्रॉक को पैरो के नीचे दबा.....अपने आप को पूरा धक बैठ गई.....भाई हँसने लगा...मैं भी हंस रही थी.... गाल चूम बोला.....अल्लाह कसम रबिया....सच में तू खोए की बनी है.....धत !...बदमाश आप...


ही सच में धत !...बदमाश आप.. हाए !!! सच में तू दूध मलाई की बनी है.....खोए की गुड़िया .....क्यों छुपा रही है.....इतनी मेहनत से गुलाबी नाइल पोलिश लगाया है.... हाए !!! नही तुम बारे बदमाश हो.... हाए !!! छी....गंदे....पूरी नंगी हो गई थी मैं... हाए !!! कहा नंगी हुई थी... हाए !!! फ्रॉक उपर.....बस खाली फ्रॉक ही तो......कहते हुए मेरी कमर को दोनो हाथो से पकड़ लिया....हम दोनो कालीन पर बैठे थे......और बोला....भाई के सामने ही तो हुई.... हाए !!! धत ! बेहन क्या ऐसा करती है.... हाए !!! क्या ......भईओ को फ्रॉक उठा कर दिखा.....भाई मेरी तरफ झुकता हुआ कान के पास मुँह ला बोला.....सुल्ताना तो अपने भाई को दिखाती थी.....हट....बेशरम....पता नही कहा से सुल्ताना का किस्सा ले आए.....मैने पीछे धकेला....भाई फिर आगे सरक मेरी कमर में हाथ डाल बोला.....


तेरी सहेली फ़रज़ाना...मुझे तो लगता है वो ज़रूर दिखाती होगी......भाई के सीने पर मुक्का मार पीछे धकेलती बोली....गंदे...बकवास ना करो मेरी सहेलियाँ बहुत अच्छी है...अच्छा तभी भाई के साथ डिस्को घूम रही थी....कमर में हाथ डलवाए.....धत !..तो क्या हुआ हम भी तो गये थे.....फ़रज़ाना के नाम का फायदा उठा ले गये थे आप.....भाई थोड़ा आगे खिसक कमर को और ज़ोर से पकड़ बोला....तो कोई गुनाह तो किया नही.......मुँह बिचकाती मैं बोली....गुनाह एक दो किए हो तो बताऊँ ....मेरा सीना...दबा....छी मुझे तो बोलने में भी शरम आअती है.....उफ़फ्फ़.....आप बहुत बहक गये हो भाई.....और ये बार बार उसका नाम ले कर आगे बढ़ने की कोशिश ना करो.....अम्मी से बोलना पड़ेगा .....ये बीच में अम्मी कहा से आ गई....बोलना तो पड़ेगा ही तुम बहुत....अरी यार मैं तुम्हे अपना दोस्त समझ के कुछ बोलता हू....हा यही गंदी-गंदी बाते..... 


अरे यार ये तो मामूली बाते है जो सभी जवान लड़का लड़की आपस में करते है.....अच्छा मामूली बाते है....अम्मी से पुच्हूँगी....भाई चुप रहा....मैं फिर हस्ती हुई बोली.....अम्मी से बोलूँगी की भाईजान का निकाह करवा दो......निकाह हो जाएगा फिर अपनी बीबी की...छू....चुम्मिया लेना....और सीना दबा.....ना......कहते हुए मैने फिर से उसकी छाती पर एक मुक्का मारा.....भाई इस पर हँसने लगा फिर चुप हो गया और मेरे से सट मेरी कमर को पकडे हुए मेरी गर्दन को हल्के से किस कर लिया....उउउ...क्या करते हो......भाई धीरे से बोला......मेरा निकाह हो या ना हो......मेरे से पहले तेरा ज़रूर हो जाएगा... हाए !!! धत !....और क्या अम्मी तो तेरे लिए लड़का ढूँढ रही है.....फिर तेरा मियाँ चुम्मियाँ.... हाए !!! धत !....मार दूँगी.....भाई सरकता हुआ मुझ से चिपकता जा रहा था.....


ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे अपनी और खीच भी रहा था....उसके घुटने मेरी चूतड़ों से सट रहे थे....मैं अपने चेहरे को भाई की तरफ घूमते बोली....अम्मी से बोल दूँगी पहले भाई के लिए लड़की ढूँढ ले.....भाई ज़्यादा बेकरार है....अपनी बीबी के तलवे चा..टने कू....फिलहाल तो अपने खोए वाले तलवे चाटने दे.....कहते हुए भाई ने फिर से अपनी तरफ खींचा.....मैं भी खीचती चली गई....पर बोली हाए !!! छोड़ो ....मेरे चूत और उसकी जाँघो पर आ चुके थे....बीबी आ जाएगी तो करना.....सारे गंदे काम....भाई मासूम सा चेहरा बनाते मेरी कमर को सहलाते बोला....गंदे काम वो क्या.....हम दोनो के चेहरे एकदम पास पास थे....मैं उसकी जाँघ पर बैठी बोली.....ज्यादा बनो मत...मुझे सब पता है.... हाए !!! क्या पता है.....वही जो तुम हरकते करते हो.. हाए !!! क्या हरकत करता हू.....मेरा सी...ना दबा.....मैं थोड़ा झेपने का नाटक करती बोली.....



अच्छा नही लगा क्या.....धत !....बेशरम....बहन के साथ ऐसा करते है.... हाए !!! पर तू तो मेरी गर्लफ्रेंड......बाते ना बनाओ....वो मैं खाली डिस्को जाने के लिए.....देखा नही समंदर किनारे.....वो सब बाय्फ्रेंड-गर्लफ्रेंड थे.....तू भी तो मेरी गर्लफ्रेंड है....छी वो सब बेशरम है.....निकाह के पहले ये सब गुनाह.....भाई मुझे बातो में बहलाता हुआ गोद में कसता जा रहा था....अपनी जाँघो से खींच मुझे अपनी गोद में सरकता जा रहा था.....मैं अंजान बनी अपनी रौ में बोलती जा रही थी.....ये सब काम लोग बिबीयों के साथ....भाई ने बात पकड़ ली....बड़ी समझदार हो गई है....तभी अम्मी को तेरे निकाह की जल्दी है....धत !.....भाई ने थोड़ा और खींचा.....मैं अब उसकी गोद में आ चुकी थी....मैं थोड़ा मचली पर उसने कमर पकड़ कर दबा दिया.....और पुछा .....वैसे तेरी सहेली जिसके निकाह में हम गये थे.....हा शबनम.....उस से बात नही होती.....



होती है....अभी बाहर गई थी... हाए !!! कहा हनिमून पर......मैं शरमाती गाल लाल करती धीरे से बोली....हा.....अरे वा तब तो उसने अपने मियाँ के साथ खूब मौज.....धत !....आप भी ना भाई.....वापस आ गई.....नही फोन पर बात हुई थी... हाए !!! क्या क्या बताया उसने.....गोद में दबोचते, कमर के हाथ को राईट चूची के नीचे लगा सहलाता पुछा .....धत !....प्लीज़ बता ना.....सीधा अपने खड़े लंड पर बिठा लिया था साले ने.....मुझे बातो में उलझा......पेट पर हाथ फेरते हुए....चूची को नीचे से सहलाते...गर्दन पर अपनी गर्म गर्म साँसे फांकें रहा था.....धत !... हाए !!! बता ना..... 

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