Thursday, December 19, 2013

दीवाना-2

दीवाना-2

मैं आर्यन हूँ, यह कहानी मेरे जीवन का वो सच है जिसे मैं भूल नहीं सकता। कहानी उन दिनों की है, जब मैं 22 साल का था। मुझे 5-6 साल से याहू चैट का चस्का लगा था। याहू पर पहले भी कई लड़कियाँ चोद चुका था सो मैं इन बातों में मास्टर बन गया था... परीक्षा के दिनों 2 महीने याहू छोड़ना पड़ा, और पढ़ाई करनी पड़ी तो लड़कियों से मिलना भी बंद हो गया... खैर परीक्षा तो ख़त्म हो गई, और पुरानी गर्लफ़्रेन्ड्ज़ से बोर हो गया और सोचा- चलो याहू पर नया माल पकड़ा जाए !
कई दिनों के अथक प्रयास से मुझे किसी चैटरूम में एक लड़की मिली। उसने अपना नाम तनीशा बताया था और रूम में बतिया रही थी कि बड़ी दुखी हूँ और स्यूसाइड करना चाहती हूँ यह सब.. मैंने उसको प्राइवेट चैट पर बुलाया और बातें करने लगा। समझाने लगा और सहारा देने लगा। मैं बातों में होशियार था ही, और चान्स मारने में तो उस्ताद हूँ, मैंने चान्स मार कर उसका नंबर माँग लिया। । लड़की नागपुर की रहने वाली थी, उम्र 22 साल, 32-24-32 की फिगर, गोरा रंग और आवाज़ उसकी ऐसे थी जैसे मानो रस से मीठी कई दिन ऐसे ही चैट और फोन कॉल्स पर समझाने-बुझाने में निकल लिये। और वो दिन आया जिसका मैं बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था- सेक्स की बातें। ग़ज़ब की सेक्सी आवाज़ थी उसकी। सेक्सी सेक्सी बातें करके मेरा लंड सलामी देने लगता और मैं मूठ मार लेता, करे भी क्या, वो साली तो गर्म करती थी पर चुदाई कहाँ कर सकते थे फोन पर !
ऐसे ही कई दिन गुज़र गये। रोज़ रोज़ बातें करके मुझे वो अच्छी लगने लगी, मुझे गहरा प्यार हो गया। किसी कम्प्यूटर क्लास लगाने के बहाने से मैं नागपुर आ गया और वही रहने लगा फ्लैट लेकर। और उसको बताकर मिलना का वक़्त तय किया और माँ कसम जब उसके साथ पहली बार मुलाकात हुई तो मैं हक्का-बक्का रह गया।
कयामत थी यारो ! फोटो में ठीकठाक लगती थी, पर सामने देख कर उसे लफ़्जों मैं बयां नहीं कर सकता। वो सुंदर चेहरा वो गुलाबी ओंठ, वो उड़ती केश-लटाएँ ! उस दिन वो गहरे गुलाबी रंग का कुर्ता और जीन्स पहन कर आई थी... क्या लग रही थी.. मन तो किया साली को यही सड़क पर पटक कर चोद दूँ... हय्य... कैसे तैसे करके मन को संभाल लिया, क्या करता ! पहली मुलाकात जो थी।
हमने काफ़ी देर बातें की। आज भी याद है मुझे हम सीतबर्डी में पहली बार मिले थे। वेस्टसाइड के माल के सामने !
2-4 दिन ऐसे ही बीत गये। एक दिन मैंने किसी बहाने से उसे अपने कमरे पर बुला लिया, इधर उधर की बातें करके मैंने उसका हाथ पकड़ लिया, और 'लव यू !!' बोल दिया..
"आई लव यू तनीशा..!!! मैं तुम्हारे प्यार में पागल हो गया हूँ...!!!"
अचानक हुए हमले से वो चकरा गई। मैंने आव देखा ना ताव और उसके गुलाबी ओंठ पर अपने ओंठ लगा दिए। ना जाने कितने दिनों से इसी मौके का मैं इंतज़ार कर रहा था..!!! एक प्यार भरे चु्म्बन करके मैं अलग हो गया.. वो मुझसे दूर होकर मुँह फेर कर बैठ गई। कुछ देर तक कुछ नहीं बोली। मैंने सोचा कि शायद चुपचाप बैठना ही ठीक है..
कुछ देर बाद में मैं फ़िर बोला- तनीशा..!! आइ लव यू सो मच..!! मैं तुम्हें बहुत चाहता हूँ..!!
उस पर वो बोली- पर मैं किसी और से बहुत प्यार करती हूँ.!! और उसको जलाने के लिए मैं देर रात तक चैट किया करती थी और सेक्स चैट करती थी.. उसके और मेरे बीच झगड़ा हुआ है और इस वजह से मैं डिप्रेशन में थी.. और तुमने मुझे इससे बाहर निकाला !! थैंक यू.. !! पर मैं और कुछ नहीं सोचती..!!!
"मैं यह बात तुम्हें पहले ही बताना चाहती थी.. पर यह सब इतना जुल्दी हुआ कि बताने का समय ही नहीं दिया तुमने..!!"
"कुछ दिन पहले हम मिले और तुम सब छोड़ कर यहाँ आ गये, मैं तुमसे प्यार नहीं करती, ना आगे मिलना चाहती हू.. तुम सब भूल जाओ और यहाँ से चले जाओ.." इतना कह कर वो रोते चली गई।
वो अपनी स्कूटी से निकल गई.. और मैं देखता ही रह गया।
6 दिन तक वो मुझसे नहीं मिली.. मैसेज भी नहीं, कॉल भी नहीं... पर जाएगी कहाँ...??
मैं भी पक्का खिलाड़ी था.. सोचा कि उसे सेंटी बातें करके मिलने बुलाऊँ.. और कुछ ऐसा चक्कर चलाऊँ कि लड़की भी रहे और चुद भी जाए।
और आख़िर में जीत कमीनों की ही होती है.!!
वो पट गई.. कई दिन तक हम बस किस पर ही अटक रहे थे। बड़े नखरे कर रही थी।
मैंने सोचा- साली वर्जिन है..!!
मैं मन ही मन बोलता... जाएगी कहाँ..?? आज या कल तो चोद ही लूँगा..!!!
और वो दिन आ गया..
मैं रूम पार्टनर के लैपटॉप पर पॉर्न साइट्स देख रहा था, दोपहर का वक़्त था... और बाहर मौसम भी ठीक ना था...
उसका कॉल आया- सुनो मैं तुम्हें अपना घर दिखाना चाहती हूँ !! तुम तैयार रहना, मैं लेने आ रही हूँ..!!!
दोस्तो एक तो मैं दूसरे सिटी में तो अब कहाँ बाइक लेता..?? घर वाले पैसे भेजते, उसमें मैं मस्ती मारता। खैर वो तो बचपना था।
मैंने तैयार होकर उसको मेसेज किया- आई एम रेडी..
और कुछ देर बाद वो मुझे लेने आ गई.. मैंने उसके आते ही उसको पकड़ कर एक चुम्मा उसके होंठों पर कर दिया तो वो शरमा कर बोली- बैठो, जल्दी जाना है..!!
और हम चल दिये। घर पहुँच कर देखा तो घर पर कोई नहीं था और सर्दियों का मौसम था..!! सब बाहर गये थे और देर रात आने वाले थे.. हमने घर देखा और उसके बेडरूम में आ गये.. मैंने भी मौका देख उसको पीछे से जकड़ लिया और गर्दन पर चुम्बन करने लगा।
दोस्तो, एक बात बता दूँ कि अधिकतर लड़कियों को गर्दन पर चुम्बन करना, चाटना पसंद होता है।
और मेरे हाथ उसकी कमर पर, पेट पर फ़िरने लगे। फिर हमने टाइटॅनिक मूवी जैसे काफ़ी देर किस्सिंग की और मेरे लंड ने सलामी देके फड़फड़ाना शुरू कर दिया। मानो जैसे लंड पैंट फाड़ कर आज़ाद होना चाहता हो... !!!
मैंने अपने कपड़े उतार कर उसको बिस्तर पर लिटा दिया और किस्सिंग करते करते एक एक करके उसके भी कपड़े उतारना शुरू किया अब तो यह ज़ाहिर था कि लड़की थोड़ा नखरा करेगी, पर वो चलता है। ऐसे वैसे करके मैंने उसके कपड़े उतार दिए और अब वो सिर्फ़ ब्रा पैंटी में थी...
मैं तो उसके संतरे देखने के लिए तरस रहा था..क्या नज़ारा था दोस्तो.. सुना तो था नागपुर के संतरे बड़े मशहूर है.. मैंने कहा- आज नागपुर के संतरे देख रहा हूँ !
कमाल के संतरे थे ! 32" के होंगे एकदम गोल गोल और रस से भरपूर लग रहे थे.. काले काले निप्पल मुझे जैसे अपनी और आकर्षित कर रहे हो..!! और मैं टूट पड़ा उसके संतरों पर ब्रा हटा कर !
"आआहह ज़रा धीरे करो !! दुख रहा है.!! आराम से करो..!! कही भागे थोड़े ही जा रहे हैं..??"
काफ़ी देर रसपान करने के बाद मैंने उसकी कच्छी निकाल दी और उसकी चूत के दर्शन हुए.. हाय ! गुलाबी चूत और उससे टपकता उसका रस.. मैंने हल्के से उसकी चूत को मसल दिया और अपने जीभ अंदर घुसा कर चाटने लगा और 'आहह.. आहह.. आआहह..' करते वो मज़े लेने लगी... उसकी चूत के ओंठ को कभी दांतों से चबाता कभी चूसता रहा... और फिर उसके ओंठ पर ओंठ रख कर उसके साथ जम कर चूमाचाटी की और वो मेरी और मैं उसकी जीभ चूसने लगा...
करीबन 15-20 मिनट के इस खेल में मैं कई बार उसके संतरे दबाता और उसकी चूत मसल देता..
कसम से यारो, उसको नंगा कर खेलते वक़्त मेरे तो होश उड़ गये थे.. इसी दौरान उसने मेरी अंडरवीयर कब निकाल दी, मुझे पता भी नहीं चला.. मैं चौक गया और मैं समझ गया कि यह भी कम खिलाड़ी नहीं है !!!
अब बारी थी मेरे लंड महराज़ की, भला उसे कैसे सुख ना देता??
तनीशा ने देखते ही देखते मेरा 6 इंच का लंड मुँह में ले लिया और गपगप उसे लोलीपॉप जैसे चूसने लगी और मैं बस उसकी चूत को चाटते हुए 'आआअहह... आअहह... आआआहह...' कर रहा था, कभी वो चूसती, कभी मस्ती में काट लेती और करीब दस मिनट बाद मैं शहीद हो गया.. और निढाल होकर में पड़ा रहा... इसी दौरान वो एक बार झड़ गई थी और थक़ कर मेरे बगल में लेट गई, दोनों की साँसें फूल रही थी..
"कैसा रहा??" मैंने मस्ती में पूछा।
और उसने बेशर्मी से कहा- अभी कुछ किया ही कहा तुमने??
और यह सुनते ही मैंने उसके चूत में उंगली करना शुरू कर दिया, पहले एक, फिर दो और तेज़ी से हाथ चला कर उसको तड़पा रहा था..
कुछ देर बाद हम फ़िर 69 पोजिशन में आ गये। 5 मिनट में मेरा लंड लोहे की तरह कड़क होकर तन गया.. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
और मैंने वक़्त ना ज़ाया करते उसके चूत पर अपने लण्ड का सुपारा रगड़ते हुए लंड अंदर घुसा दिया। पहले भी वो चुद चुकी थी तो लंड अंदर तक घुसता गया...
"हाय आआआहह... आआआअहह आहह आआआअहह" की आवाज हुई और चूत लंड के मिलाप की आवाज़ सारे कमरे में गूंजने लगी.. मैं ज़बरदस्त धक्के मार रहा था और मेरा लंड उसकी बच्चेदानी को टकरा रहा था और वो चूतड़ उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी.. उसकी चूत और मेरे गोलियों के टकराव से थप ठप थप ठप की आवाज़ हो रही थी।
क्या सुरमयी वातावरण हो गया था... रोमांचित वातावरण में चुदाई का कार्यक्रम जोरों शोरों से चल रहा था... हर धक्के में वो "आआअहह.. आआआहह... आआहह...!!! करके मेरे लंड को मानो चूत में घुसाते जा रही थी.. बच्चेदानी तक़...
10-15 मिनट चोदने के बाद मैंने उसको घोड़ी बना कर के उसके पीछे से अपना लंड चूत में घुसा दिया और पहले आसमानी धक्के के साथ धपाधप धक्के पर धक्के लगाने लगा.. मेरे लंड के ज़बरदस्त हर धक्के पर 'कम ऑन.. फक मी.!!! फक मी हार्ड... !! ओह येस, राइट दयर, फक मी!!! राइट दयर ऑन माइ जी-स्पॉट... ओह येस... !!! फक मी, आई अम ऑल यौर्स..!!! आआहह... आआअहह..येअह !!! फक मी हनी...; की आवाज़ का शोर रूम में होने लगा.. वैसे भी घर पर कोई नहीं था तो मैं धक्कों में रहम नहीं खा रहा था... मैं तो जैसे मानो सातवें आसमान पर था... हम दोनों ने सुर पकड़ लिया था.. और चुदाई के समुंदर में गोते खा रहे थे...
और जैसे जैसे वो बोलती, मेरे धक्के और तेज़ और तेज़ होने लगे... 'येस !!! यू वांट मोर?? हाँ ना? टेक दिस यू डिक ईटर..!!! आआ आआअहह... आअहह... फक फक फक... !!! ओह गॉड यू आर टू सेक्सी... आआअहह आआहह... यू वाँट मोर...??? आआहह... आहह... !!!" मेरे मुंह से निकलने लगा... लगातार चुदाई में वो 2 बार झड़ गई और थक़ गई निढाल होने लगी... पर मैं कहाँ हथियार डालने वाला था.. और आगे 5 मिनट के ज़बरदस्त धक्कों के बाद " आइ अम कमिंग... आआहह... आअहह... आअहह... !!!" करते मैंने हथियार डाल दिए... और निढाल होकर उसकी पीठ पर गिर गया और पता नहीं हम कब सो गये.. और कुछ देर बाद आँख खुली और देखा तो श्याम के 7:45 बज गये थे... हम दोनों बाथरूम में गये और वहाँ साथ में शावर का मज़ा लिया.. मैं उसके संतरे और चूत के साथ खेल रहा था.. काफ़ी देर नहाने के बाद हम बाहर आए और कपड़े पहन कर हॉल में चले आए.. चुदाई के बाद भूख तो लगी थी..
"चलो !! मैं तुम्हें रूम पर छोड़ देती हूँ, जाते जाते डिनर भी कर लेंगे... !!!" तनीशा ने कहा...
उस पर मैं बोला," डिनर तो करते है मेरी जान.. पर मुझे आज यहीं रात गुज़ारनी है..!!!"
पहले तो उसने बहुत मना किया पर मैं कहाँ मानने वाला था..???
आख़िर वो मान गई और बोली- चलो, पहले खाना ख़ाकर आते हैं.. हम खाना ख़ाकर आ गये और देखते ही होश उड़ गये.. उसके घर वाले आ गए थे और इन्तजार कर रहे थे उसकी.. उसने मेरी पहचान करा दी और चाय पीकर बाहर बैठ गये बात करने के लिए..
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