चढ़ती जवानी
मेरा नाम आदित्य है, उम्र 23 वर्ष, रंग साँवला, गठीला बदन और मेरी खासियत है मेरे गालों के दो डिम्पल, जिनके खड्डे में फिसलने से लड़कियाँ अपने आप को नहीं रोक पाती। मैं गुजरात के बरौदा शहर के छोटे से गाँव का रहने वाला हूँ मैं पढ़ाई पूरी करके अपने गाँव में ही रहने लगा हूँ।
कुछ ही महीनों पहले की बात है, मेरे गाँव में एक लड़की रहती है आयुषी (नाम बदला है) उसकी उम्र 22 साल होगी और जवानी पूरी तरह से उसके तन बदन से महक रही थी। रसीले होंठ, दूध से भरे चूचे, नशीली आँखें, मोटे चूतड़ !
उसे देख कर ही मेरा लंड फड़कने लगता था और बस इस इंतज़ार में रहता था कि कब इस प्यासी चूत की प्यास बुझा पाऊँगा। मैं जानता था उसे पर कभी बात नहीं करता था।
पर एक दिन मेरी किस्मत का दरवाजा खुल गया, उसने मुझे फ़ेसबुक पर रिक्वेस्ट भेजी तो मैंने एक्सेप्ट कर ली। फिर धीरे धीरे हमारी बात बढ़ने लगी, हम दोनों घंटों फ़ेसबुक पर ऑनलाइन चैटिंग करने लगे। धीरे धीरे हमारी दोस्ती गहरी होती गई और हमें एक दूसरे से बात करना अच्छा लगने लगा और हम सेक्स से सम्बन्धित बातें भी करने लगे थे।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था और उससे मिलने का मन कर रहा था। एक दिन मैंने उसे गाँव से बाहर एक बड़े से मैदान में मिलने बुलाया। हम दोनों गाँव वालों की नजरों से छुपते छुपाते तय की गई जगह पर पहुँच गये।
अब उस अँधेरी रात में उस खुले मैदान में सिर्फ हम दोनों थे, एक कमसिन हसीना को अपने साथ रात में अकेला पाकर मैं बहुत ही रोमांचित हो रहा था पर फिर भी जैसे तैसे खुद पर काबू रख कर मैंने उससे अच्छे से बात की और उसे स्माइल दे रहा था, वो भी बहुत शरमा रही थी मुझे देख कर और उसकी हंसी के मीठे तीर चला कर मुझे घायल कर रही थी। अब वापस जाने का वक़्त हो रहा था पर हमारा मन मान ही नहीं रहा था इस सुहाने लम्हे को छोड़ कर जाने का !
और इतने में मैंने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया था, वो थोड़ा सा शरमाई और हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी पर मैंने हाथ थामे रखा और प्यार से उसके मुलायम से हाथों को चूम लिया तो वो सहम सी गई और झटके से हाथ छुड़ा लिया और शर्म के मारे पलकें झुका ली। उफ़्फ़, क्या नजारा था ! मेरा तो मन कर रहा था कि उसी वक़्त उस क़यामत को बाहों में भर लूँ और मेरे प्यासे लंड की प्यास बुझा लूँ !
पर वक्त नहीं था, फिर हम दोनों अपने अपने घर की तरफ चल दिए और मेरे चुम्बन ने हम दोनों के अन्दर की कामवासना को जगा दिया था।
इस घटना के बाद हम दोनों एक दूसरे के साथ और भी करीब आते गए और हमारे बीच बातों का सिलसिला बढ़ने लगा। दोनों बात किये बिना रह नहीं पाते थे और उसे मेरी आदत सी हो गई थी क्यूंकि मैंने उसकी तड़पती जवानी को झंझोड़ कर रख दिया था। हमारी मिलने की चाहत बढ़ने लगी थी लेकिन गाँव में बदनामी होने के डर से मिल नहीं पाते थे।
एक दिन हमारी किस्मत पलटी और मेरी मम्मी तीन चार दिन के लिए अपने मायके चली गई। अब मैं घर पर अकेला था तो मैंने आयुषी को रात को अपने घर बुलाने की योजना बनाई। मैंने उसे काल करके सारी बात बताई और उसे रात को घर आने के लिए कहा। पहले तो वो डर रही थी पर मेरे समझाने पर वो मान गई और किस्मत से वो भी उसके घर पर अकेली थी।
आयुषी से बात करने के बाद मैं रात के सपने देखने लगा और बेसब्री से रात होने का इंतज़ार करने लगा। मैं बहुत ही ज्यादा रोमांचित हो रहा था क्यूंकि यह रात मेरी ज़िन्दगी की सबसे सुहानी रात बनने वाली थी।
मैंने इससे पहले कभी किसी चूत को नहीं चोदा था सो मेरा और मेरे प्यासे लंड दोनों की ही खुशी का ठिकाना नहीं था। इंतज़ार करते करते रात का एक बज गया और तभी आयुषी का कॉल आया, वो मेरे घर आने के लिए निकल गई थी, मैंने जाकर दरवाजा खोल दिया और उसका इंतज़ार करने लगा। कुछ ही देर बाद वो मेरे घर पर आ गई।
मैंने देखा कि उसकी सांसें बहुत ही तेज चल रही थी और डर के मारे धड़कनें बढ़ रही थी। फिर मैंने उसे सोफे पर बिठाया और मैं भी उसके पास बेठ गया। कुछ देर बाद वो नोर्मल हो गई, मैंने उसकी तरफ प्यार से देखा तो उसकी नज़रें झुक गई और वो प्यार से मुस्कुराई तो मैं तो जैसे बेसुध ही होने लगा। ठण्ड होने के कारण वो शॉल लपेट कर आई थी।
जैसे ही मैंने उसके बदन से शॉल हटाई, कुछ पल के लिए तो मैं आयुषी की सुन्दरता और उसके कमनीय बदन को देखता ही रह गया।
उसने सफ़ेद पजामी सूट पहना हुआ था और उसके बड़े बड़े मम्मे जैसे कमीज से बाहर आने को बेताब हो रहे थे और उसकी पजामी फिट होने की वजह से उसकी जांघों का नक्शा मेरी आँखों के सामने आ रहा था। वो किसी क़यामत से कम नहीं लग रही थी और उसकी नशीली आँखों का नशा मुझ पर छा रहा था।
थोड़ी देर इधर उधर की बातें करने के बाद मैंने उसका हाथ अपने हाथों में ले लिया तो वो हाथ छुड़ाने लगी पर मैंने हाथ को पकड़ कर ही रखा और धीरे से मेरे मुँह की तरफ ले जाकर चूम लिया।
वो थोड़ा डरने लगी थी क्यूंकि उसे मेरे इरादों की भनक पड़ गई थी शायद !
फिर मैं उसके और भी करीब आकर बैठ गया और उसके कंधे पर हाथ रख दिया तो वो शरमा गई, मैंने उसके हाथ पकड़ कर धीरे से खड़ा किया और उसे अपने बेडरूम में ले जाने लगा।
मैंने अपना कमरा पहले से ही केंडल और फूलों से सजा लिया था। मैंने उसे बिस्तर पर बिठा दिया पर वो कुछ समझ नहीं पा रही थी कि यह सब क्या हो रहा है, वो बड़ी ही आश्चर्य भरी नजरों से मुझे देख रही थी। मैं भी उसके पास बैठ गया और उससे प्यार भरी बातें करने लगा, और बीच बीच में उसके बदन को छूने लगा। मेरे स्पर्श से वो सहम जाती और मेरी बातें और कमरे की सजावट अब उसे रोमांचित करने लगी थी।
मैंने उसके चेहरे को पढ़ लिया था, मैंने जरा सी भी देरी किये बिना उसके मुलायम गालों को चूम लिया, उसे अपनी बाहों में भर लिया। वो खुद को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करने लगी और उतने में ही मैंने अपने होंठों को उसके होंठों से मिला दिया, उसके रसीले होठों का रस पीने लगा। उसने अपनी आँखें बंध कर ली और वो भी पूरी गरम हो चुकी थी।
आयुषी का बदन आग के गोले की तरह गर्म होने लगा था और उसकी धड़कनें बहुत तेज हो गई थी। अब वो भी मेरा साथ देने लगी और मेरे होठों को चूमने लगी।
काफ़ी देर हम एक दूसरे को चूमते रहे और आयुषी उत्तेजित होकर मुझे कस कर चूमने लगी और मेरे गाल पर काट लिया। अब मैंने उसकी छाती से दुपट्टा अलग कर दिया और उसके गले को चूमने लगा तो वो तड़पने लगी।
मैंने एक हाथ उसके मम्मे पर रख दिया और दूसरे हाथ से उसकी पीठ सहलाने लगा और उसकी ड्रेस के हुक खोल दिए। फिर दोनों हाथों से उसक बड़े बड़े मम्मे दबाने लगा तो उसे भी मजा आ रहा था। मैंने एक ही झटके में उसका ड्रेस उतार फेंका और फिर से उसे चूमने लगा।
आयुषी ने काली ब्रा पहनी हुई थी और उसके चूचे इतने बड़े थे कि ब्रा में समा नहीं रहे थे। मैं तो उसके चूचे देख कर पागल हो रहा था और उतने में ही उसकी ब्रा भी उतार फेंकी तो उसके भारी उरोज छाती पर गिर गये। मैं उसके चुचूक चूसने लगा तो सिसकारियाँ भरने लगी। मेरा लौड़ा ये सब देख कर चड्डी से बाहर आने के लिए तड़प रहा था। तभी मैंने अपने लौड़े के ऊपर कुछ महसूस किया और देखा तो आयुषी बाहर से ही मेरे लण्ड को सहला रही थी और मेरी जिप खोल कर एक ही बार में मेरी पैंट उतार दी।
मेरा 6 इंच मोटा लंड चड्डी से उभरा हुआ नजर आ रहा था।
और जैसे ही आयुषी ने मेरी चड्डी उतारी, वो मेरे मोटे लंड को देख कर देखती ही रह गई। उसने पहली बार लंड को देखा था तो बहुत ज्यादा ही मचलने लगी और मेरे लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी, वो बहुत ज्यादा उत्तेजित हो रही थी और सहलाते सहलाते अचानक से उसमे मेरा लंड मुँह में भर लिया, पूरा लंड मुँह में लेकर मजे से चूसने लगी और मैं भी जोर जोर से उसके मुँह में लंड झटके मारने लगा। पहली बार किसी ने मेरा लण्ड मुँह में लिया था और बता नहीं सकता कि यह एहसास कितना रोमांचक था मेरे लिए।
फिर मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया और उसके मक्खन जैसे बदन को ऊपर से नीचे तक चूमने चाटने लगा। चूमते चूमते उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और धीरे धीरे उसकी सलवार नीचे उतारने लगा। उसकी गोरी चिट्टी जांघों को देख कर बेकाबू हो रहा था तो झट से मैंने सलवार उतार दी और आयुषी की पेंटी के ऊपर मुँह रख दिया। उसकी पैंटी बहुत गीली हो गई थी क्यूंकि उसकी चूत ने अब तक बहुत ज्यादा पानी छोड़ दिया था।
मैंने आयुषी की गीली चूत पर से पेंटी उतर फेंकी और आयुषी की गुलाबी और हल्की सी फूली हुई चूत को देखने लगा और चूत चाटने लगा। मैं जुबान से उसकी चूत से निकले पानी की एक एक बूंद चाट गया और जुबान से ही उसकी चूत चोदने लगा।
वो जोर जोर से सिसकारियां भरने लगी.. आआईई..ऊऊ..ऊम्म्म...सीईईईई... उससे अब रहा नहीं जा रहा था ओर मेरा सर पकड़ कर खुद ही झटके मारने लगी तो मैंने भी अपनी गति बढ़ा ली और वो सिसकारियाँ भरती हुई मेरे मुँह में ही झड़ गई।
मैंने उसकी चूत का सारा रस गटक लिया और वो शांत हो गई तो मैं उसके पास लेट कर आयुषी के बदन को चूमने लगा। मैंने एक हाथ उसकी बुर पर रख दिया और ऊपर से ही उसकी चूची सहलाने लगा तो वो थोड़ी देर बाद फिर से उत्तेजित होने लगी और उसकी सांस फूलने लगी, उसने मुझे बोला- आ मेरे राजा, अपनी रानी की प्यास जल्दी से बुझा दे ! कब से मेरी चूत तुझसे चुदवाने के लिए तड़प रही है।
मेरा लंड भी एक अरसे से किसी चूत की प्यास बुझाने के लिए बेक़रार था तो मैंने जल्दी से अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रख दिया और रगड़ने लगा। आयुषी ने अपनी आँखें बंद कर ली और मैंने अपने लौड़े का मुण्ड उसकी चूत में डाल दिया पर उसकी चूत बहुत टाईट होने के कारण आसानी से जा नहीं रहा था।
आयुषी ने मेरा लंड हाथ में पकड़ कर अपनी चूत पर रख लिया और मैंने जोर से धक्का मारा तो लौड़ा चूत के अन्दर चला गया। आयुषी को दर्द होने लगा था, मैंने मेरे लौड़े को और जोर से धक्का दिया तो लंड आयुषी की चूत फाड़ कर पूरा अन्दर घुस गया।
आयुषी दर्द के मारे चिल्लाने लगी और उसकी चूत से खून बहने लगा।
मैंने लंड को उसकी चूत में ही रहने दिया और कुछ देर बाद आयुषी का दर्द कम हो गया तो मैं उसे धीरे धीरे चोदने लगा। मेरा मोटा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर-बाहर करने लगा और आयुषी दर्द के साथ साथ मजा भी बहुत आ रहा था। करीब पांच एक मिनट तक चोदने के बाद मैंने अपनी गति बढ़ा ली ओर जोर जोर से आयुषी की चूत चोदने लगा।
आयुषी चिल्ला रही थी- हाय मार डाला रे ! तेरे मोटे लौड़े ने तो मेरी जान निकाल दी ! आज जी भर कर चोदना मेरी बुर को ! मेरी चूत फाड़ दे मेरे राजा.. आआऐईईइ.. ऊऊओ.. ऊऊम्म्म... आह..आह..आह.. ऊउफ़्फ़... सीईईइ... आआआऐईईईइ..
आयुषी की सिसकारियाँ सुनकर मैं और जोश में आकर उसकी चूत का बुरा हाल कर रहा था और हम दोनों चरमसीमा पर पहुँच गए। आयुषी झड़ गई ओर मेरा लंड आयुषी की बुर के पानी से गीला हो गया और मैं भी जोर जोर से झटके मार कर आयुषी की चूत में ही झड़ गया। आयुषी की बुर मेरे वीर्य से भर गई, उसकी चूत से लाल-सफ़ेद पानी बहने लगा। हम दोनों शांत हो गए और एक दूसरे को साफ करके लिपट कर लेटे रहे। थोड़ी देर बार एक बार फिर से मैंने आयुषी का काम किया और वो सुबह का उजाला होने से पहले ही रात के अँधेरे में वापस अपने घर चली गई।
मेरी ज़िन्दगी का यह पहला अनुभव मैं कभी नहीं भूलूँगा और मुझे अपना अनुभव आप सबके साथ शेयर करते हुए खुशी हो रही है। आपको मेरी कहानी कैसी लगी,
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