Thursday, December 26, 2013

मेरी मस्त दीदी--2

मेरी मस्त दीदी--2

 

तभी दीदी रोटियों के लिए आटा तैयार करके बोली " मुन्ना ! मेरे सर में बहुत दर्द होने लगा है जिससे कुछ भी करने की हिम्मत नहीं पड़ रही है , वैसे भूख भी बहुत लग रही है"
" दीदी तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो , मै तुम्हारे साथ अभी फटाफट रोटियां बनवा लेता हूँ , तुम बेलती जाना और मै गैस पर सेंक लूँगा और अगर तुम कहो तो रज़िया को नीचे बुला लेता हूँ  लेकिन अगर तुम बुरा न मानो तो एक बात कहूँ" मैंने अपने लिए दूसरा पैग बनाते हुए कहा
" बोल मुन्ना , मै बुरा क्यों मानूँगी , तू तो मेरा अपना भाई है सगा नहीं है तो क्या हुआ" दीदी ने प्यार से मेरे बाल सहलाते हुए कहा।
" दीदी आपके सर में दर्द सिर्फ आज की भाग दौड़ और मामी को लेकर टेंशन की वजह से हो रहा है , मै यह जो व्हिस्की लाया हूँ यह सारी मर्जों की एक दवा है , सिर्फ दो घूँट आज लेकर देखो , तुम बिलकुल ठीक हो जाओगी" मै दीदी के मक्खन लगाते हुए उनके चहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर बोला।मेरा लंड आज पूरी तरह से चूत के लिए दीवाना था , मै आज सोच चुका था कि आज मै किसी ना किसी चूत में अपना लंड डाल के रहूँगा।
" तेरा तो दिमाग खराब हो गया है , शराब से भी कोई ठीक होता है और फिर ये कितनी कडवी होती है पता नहीं लोग कैसे इस नामुराद चीज़ को मज़े ले ले कर पीते है , एक बार अब्बू ने मुझे ब्रांडी दी थी जब मुझे सर्दी लग गयी थी तो मुझसे बिल्कुल भी नहीं पी गयी थी मैंने तुरंत ही सारी की सारी थूक दी थी और फिर उसके बाद भी बहुत देर तक जी ख़राब रहा था।और मुन्ना इसे पीने के बाद नशा भी तो हो जाता है , मैंने सड़क पर कई लोगों को नशे में झूमते हुए देखा है। सो अगर मैं तेरी बात मान के किसी तरह पी भी लूं तो मुझे नशा नहीं होगा क्या और अगर अब्बू को पता चल गया तो वो मुझे तो जान से ही मार डालेंगे" दीदी ने प्यार से मुझसे रोटियाँ बेलते हुए कहा।
" दीदी , मामू ने तुम्हे नीट ब्रांडी पीने को दे दी होगी इसीलिये वह तुम पी न सकीं , मै तुम्हे कोल्ड ड्रिंक में डाल के थोड़ी सी देता हूँ जिसके ऊपर तुम बिना साँस लिए थोड़ी सी सलाद तुरंत खा लेना , फिर तुम्हे उसका टेस्ट पता भी नहीं चलेगा उसके बाद न तुम्हारे सिर में दर्द रहेगा और ना ही बिल्कुल भी थकान महसूस होगी , और तो और भूख भी खुल कर लगेगी। आप क्या सोचती है , मै क्या फालतू में ही इस कडवी चीज़ को इतनी देर से गटक रहा हूँ " मैंने गैस पर रोटी सेंकते हुए दीदी के साथ उनकी मस्त मस्त चूचियों का मज़ा लेते हुए कहा।
" लेकिन ??????? "  दीदी ने कहा
" अरे दीदी , जो सड़क पर तुमने लोगों को झुमते हुए देखा है वो एक एक बोतल घटिया वाली शराब पीने से होता है , मै तो बढ़िया वाली व्हिस्की की बात कर रहा हूँ वो भी सिर्फ दो घूँट , दो घूँट में तो किसी को पता भी नहीं चलेगा कि तुमने मूड फ्रेश किया है , मेरी तरफ देखो तीन पैग पीने के बाद भी क्या मै झूम रहा हूँ , मेरी बात मान लो और आज मेरे कहने से सिर्फ दो घूँट मार लो तो सब ठीक हो जाएगा" मैंने दीदी के कंधे पर हाथ रख के उनके कुर्ते में झांकते हुए बड़े प्यार से मनाते हुए कहा
" हाँ हाँ मुझे सब दिखाई दे रहा है तेरी आँखे कितनी लाल हो रही है , देखना , देखना तू भी थोड़ी देर में झूमने लगेगा " दीदी बोली। वो किसी भी तरह से पटाने में ही नहीं आ रहीं थीं सो मैंने आख़िरी दांव चला ," मै तो सिर्फ एक सुझाव दे रहा था आगे तुम्हारी मर्जी और कौन सा मै तुम्हारा सगा भाई हूँ जो तुम मेरी बात मानोगी" मै बुरा मानने का नाटक करते हुये बोला।
" ऐसी बात नहीं है पगले तू जो कहे तो मै ज़हर भी पी लूंगी तूने ये बात कैसे कह दी पर यह बहुत ही कड़वी होती है। और अगर वह मुझे कडवी लगी तो मै तुरंत थूक दूंगी" दीदी ने बेमन से हामी भर दी।
उस वकत मेरा दिल बल्लियों उछल रहा था।हम दोनों ने मिल कर रोटियाँ बना लीं थीं सो मैंने वहीं किचन में अपने और दीदी के लिए दो पैग कोल्ड ड्रिंक डाल कर तैयार कर लिए। मैंने दीदी को बोला " जैसा मैंने समझाया वैसे ही करना "
दीदी ने हामी भरते हुए एक साँस में ही पैग ख़तम करके फ़टाफ़ट ढेर सारी सलाद खा कर गहरी सी साँस ली।
" ले अब तो खुश है तू" दीदी ने मुझसे प्यार से कहा
" हाँ दीदी और तुम भी देखना कि कैसे तुम्हारा सिरदर्द और थकान छूमन्तर होती है" मैंने खुश होते हुए उनके गालों को चूमते हुए कहा । मुझे आज अपना सपना अब सच होता दीख रहा था। एक पैग लगाने के बाद दीदी ने खाना लगाना शुरू कर दिया।
अचानक दीदी ने अजीब सी आवाज़ में कहा " अरे मुन्ना , ये मुझे क्या हो रहा है , अजीब सी फीलिंग हो रही है , हाथ पैर झनझना से रहे है"
"अरे दीदी , यही तो इस दवाई का कमाल है , अन्दर जाते ही सारी प्रोब्लम सोल्व , चलो मै फटाफट खाना लगवाता हूँ , क्या तुम एक घूँट और लोगी मेरी प्यारी दीदी " मैंने उनकी ठोस चूचियों को ललचाते हुए देख कर कहा।
"नहीं मुन्ना नहीं मुझे नशा हो जायेगा मुन्ना , मैंने कभी भी शराब नहीं पी और रज़िया भी घर में ही है" दीदी ने डरते हुए कहा।
" अरे दीदी , दो घूँट में भी कहीं नशा होता है और वैसे भी रज़िया ऊपर पढाई  कर रही है , नीचे मेरे और तुम्हारे अलावा है ही कौन ? मै आपका भी एक छोटा सा पैग अपने साथ ही बना लेता हूँ , आखिर अपने भाई का साथ नहीं दोगी मेरी प्यारी दीदी" मै दीदी की कमर में पीछे से हाथ डाल कर चिपकाते हुए बोला।अब मेरा लंड उनकी सलवार के ऊपर से ही उनकी जांघो के जोड़ को टच करने लगा और उनकी चूचियों को मै अपने सीने पर साफ़ साफ़ महसूस कर रहा था। उस वक़्त मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था , जी कर रहा था मै दीदी को ऐसे ही चिपका कर उनकी जांघो के जोड़ पर अपना लंड रगड़ता रहूँ।
"देख मुन्ना , मैंने तेरे कहने पर एक बार शराब पी ली पर अब तू प्लीज जिद मत कर , मुझे तो अभी से ही पता नहीं कैसा महसूस हो रहा है " दीदी ने धीरे से अपने को मेरी बांहों से छुडाते हुए कहा।
" अरे दीदी ये क्या तुमने शराब शराब लगा रक्खी है , ये शराब नहीं अच्छी वाली व्हिस्की है व्हिस्की और जो तुम अजीब सा महसूस कर रही हो ना वो सारी थकान और टेंशन दूर होने की फीलिंग है " मैंने फिर से उन्हें अपने सीने से लगा कर अपना लंड रगड़ते हुए कहा
" तू बहुत शैतान और जिद्दी हो गया है मुन्ना अपनी बात दूसरों से जिद्द करके मनवाना तो तेरी पुरानी आदत है , चल तेरी बात रखते हुए मै सिर्फ दो घूँट ही और ले लेती हूँ  परन्तु उसके बाद किसी भी कीमत पर नहीं लूंगी" दीदी मेरी बांहों से निकल कर खाना लगाते हुए बोली
मैंने अबकी बार दीदी का और अपना पटियाला पैग बना कर दीदी को देते हुए अपनी आँखों में आती शैतानी चमक छुपाते हुए कहा " दीदी इसे भी वैसे ही पी जाओ जैसे पहला पिया था"
"ठीक है शैतान " दीदी ने कह कर वह पैग भी पीकर बुरा सा मुंह बनाते हुए फटाफट ढेर सारी सलाद खा ली। मैंने भी अपना पैग ख़तम करके एक पैग और लिया फिर हम दोनों खाना खाने बैठ गए। खाना खाते हुए मेरी निगाह उनकी चुचियों पर ही टिकी थी। वह जब भी खाने के लिए थोड़ा सा झुकती थी तो कुर्ते के वी शेप गले से उनकी आधी मस्त दूधिया चूचियां नुमाया हो जाती थी। यह सीन देख कर मेरा लंड टायट हो रहा था।
" तेरा ध्यान कहाँ है मुन्ना ?" दीदी ने हल्की सी लडखडाती आवाज़ में पूंछा।
"कुछ नहीं दीदी , बस आपके बारे में ही सोच रहा था" मैंने सकपकाते हुए ज़बाब दिया।
"मेरे बारे में ? क्या यह सोच रहा है कि मै नशे में तो नहीं हो गयी ? तो तू बिल्कुल सही सोच रहा है ... मुझे अजीब सी फीलिंग हो रही है , दिल में गुदगुदी हो रही है व हाथ पैरों से कंट्रोल ख़तम हो रहा है" दीदी ने खाना ख़तम करते हुए कहा।
दीदी की यह बात सुनकर मेरा दिल बल्लियों उछलने लगा , मै समझ गया कि दीदी अब नशे में पूरी तरह टुन्न हो चुकी है। अब मुझे सिर्फ उसे चुदने के लिए तैयार करना था सो उसी प्रयास में दीदी को मक्खन लगाते हुए बोला ,"अरे कोई नहीं दीदी , यही तो इस दवा का असर है कि इन्सान सारी थकान व सारी टेंशन भूल कर मस्त हो जाता है , चलो मै आपको बेड तक ले चलता हूँ " मै मन ही मन बहुत खुश हो रहा था। आज मुझे दीदी की चूत में अपना लंड क्लीअरली पिलते हुए दिख रहा था।मैंने दीदी को बांह पकड़ कर सहारा देते हुये उठाया। दीदी चलते हुए लडखडा रही थी , उन्होंने कस  कर मेरी बांह पकड़ रखी थी। मैं उनकी बांह कम पकड़ रहा था अपनी उँगलियों से उनकी चूचियों को टच ज्यादा कर रहा था , अचानक मैंने सहारा देने के बहाने उनके चूतड पर हाथ रख कर हल्के से दबा दिया जिसको दीदी ने कोई नोटिस नहीं लिया। शायद अब उन्हें अच्छी तरह नशा हो चुका था। अब तो मेरा मन बल्लियों उछल रहा था व लंड भी दीदी की मस्त चूत के दीदार के लिए दीवाना हो रहा था। मैंने दीदी को बेडरूम में ले जाकर कहा ," दीदी , आप तब तक कपडे चेंज करके नाईट ड्रेस पहनो मै टॉयलेट होकर आता हूँ"
"ठीक है मुन्ना , लेकिन मेरी नाइटी वार्डरोब से निकाल कर देता जा" दीदी ने बुरी तरह से लडखडाती आवाज़ में कहा।
मै दीदी को नाइटी देकर अटैच्ड बाथरूम में घुस गया , मैंने जानबूझ कर दरवाजा खुला छोड़ दिया और दरवाजे के पीछे से छुप कर दीदी को कपडे बदलते हुए देखने लगा। दीदी ने बड़ी मुश्किल से सलवार का नाडा खोल कर सलवार उतार पाई फिर कुरता उतारने लगी। मैंने नीचे देखा कि दीदी ने चड्डी नहीं पहन रक्खी थी। यह देख कर अब मेरा लंड कंट्रोल से बाहर होने लगा सो मैंने पेंट की चैन खोल कर अंडरवीयर से लंड को बाहर निकाल कर सहलाने लगा , मानों उसे तसल्ली दे रहा था कि चिंता मत करो आज तुम्हे दीदी की चूत में ज़रूर पेलूँगा। अचानक दीदी कुरता उतारते हुए लडखडा गयी , मैंने मुनासिब मौक़ा जान कर पीछे से कमर में बांहे फंसा कर दीदी को थाम लिया। दीदी पूरी तरह से नंगी खाली ब्रा में मेरी बांहों में थी। मैंने भी दीदी की गांड से अपना लंड जो में सहला रहा था पीछे से चिपका दिया था।
" हाय अल्ला , मुझे जल्दी से नाइटी दे" दीदी ने बुरी तरह से शरमाते हुए कहा।
" कोई बात नहीं दीदी , अगर आपकी तबियत सही नहीं है तो इसमें शर्माना कैसा ? आखिर बीमारी में डाक्टर के सामने भी तो कभी कभी हमें नंगा होना पड़ता है और फिर मै कोई गैर तो हूँ नहीं आखिर आपका प्यारा सा भाई ही तो हूँ।" यह कह कर मै अपना लंड दीदी की गांड से रगड़ने लगा और अपने हाथों से उनका चिकना पेट सहलाता जा रहा था।
" नहीं पगले , मुझे बहुत शरम आ रही है , मुझे जल्दी से नाइटी दे " दीदी ने लडखडाती आवाज़ में कहा। मैंने बेमन से दीदी को छोड़ कर नाइटी उठा कर दी। मेरा लंड अभी भी पेंट की चेन के बाहर निकला फनफना रहा था। उस वक़्त मेरा मन कर रहा था कि दीदी को उठा कर बेड पर पटक दूँ और एक झटके में ही पूरा लंड उनकी मस्त चूत में ठांस दूँ लेकिन मै पूरे सब्र से काम ले रहा था क्योंकि ज़रा सी ज़ल्दबाजी सारे बने बनाये खेल को चौपट कर सकती थी। दीदी ने नाइटी पहन ली थी। मैंने उन्हें सहारा देकर बेड पर लिटा दिया और किसी तरह ठूंस ठांस कर अपने लंड को पेंट के अन्दर कर बेमन से के चेन लगा ली। मै दीदी से बोला " दीदी क्या मै थोड़ी देर आप के कमरे में ही रुक जाऊ ? अभी मुझे नींद नहीं आ रही है"
" अरे इसमे पूछने की क्या बात है , तू तो मेरा छोटा सा प्यारा शैतान भाई है। अब देख ना , तूने मुझे ही आज शराब पिला दी पर कुछ भी कहो , ये चीज़ बड़ी शानदार है , मेरा पूरा शरीर जैसे फूल सा नाज़ुक हो गया है व शरीर में एक अजीब सी गुदगुदी हो रही है" दीदी ने लडखडाती आवाज़ में पूरा प्यार ज़ताते हुए कहा।

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