मेरी मस्त दीदी--3
मैं भी अपने कपडे चेंज करके लुंगी बनियान में उनके बेड पर बगल में ही लेट गया। मेरी निगाह दीदी की नाइटी के ऊपर से उनकी मस्त चूत को महसूस कर रही थी। दीदी की पलकें बोझिल सी हो रही थी। अब मुझे डर लगने लगा कि दीदी कहीं नशे में सो ना जाएँ अतः मै उन्हें जगाये रखने को बोला," क्या दीदी , कितने दिन बाद तो हम मिले है और तुम्हें नींद आ रही है। लगता है आप मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं करती , कुछ बातचीत करो ना मेरी प्यारी दीदी" यह कह कर मै उनके बगल में लेट गया और मैंने प्यार जताने के से अंदाज़ में अपना एक हाथ उनकी चूची को टच करते हुए पेट पर व अपनी एक टांग उनकी टांग पर रख कर छोटे बच्चे की तरह जिद करते हुए कहा।
" धत पगले ! तू तो मुझे बहुत पसंद है , चल बता क्या बात करू" दीदी बोली
मै समझ चुका था कि दीदी अब पूरे नशे में है और अब यह सही वक़्त है उनकी छुपी वासना को जगाने का अतः मै बोला ," अच्छा अगर मै आप को बहुत पसंद हूँ तो बताइए ना कि मेरी क्या क्या चीज़ आपको पसंद है"
" तेरा सब कुछ मुझे पसंद है पगले " दीदी ने हँसते हुए कहा
" ये मेरा शरीर ? ये भी आपको पसंद है ? देखिये ना कितनी मेहनत से जिम जा जा कर यह शरीर बनाया है" मैंने शोख अंदाज़ में धीरे से अपना हाथ उनकी चूची पर रख कर टांग से टांग रगड़ते हुए कहा। क्योंकि अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था लेकिन दीदी का भी चुदने के लिए तैयार होना ज़रूरी था।
" हाँ , मैंने देखा है , बहुत गठीला शरीर निकल आया है , अब तो सारी लडकियाँ मेरे भैय्या पर मरतीं होंगी। " दीदी मेरे हाथ व टांग की गुस्ताखियों से बेखबर बोलीं
" आपने कहाँ से मेरा शरीर देख लिया ? मैंने तो आपके सामने कपडे भी नहीं उतारे" मैंने धीरे धीरे उनकी चूचियों को सहलाते हुए कहा।
" वो मैंने कपड़ो के ऊपर से ही अंदाज़ा लगा कर कहा" दीदी फुल नशे में टुन्न बोली
" अंदाजा क्यों लगाया ? मै गैर हूँ क्या , मुझसे कह नहीं सकतीं थीं कि मुन्ना ज़रा कपडे उतार मुझे तेरा शरीर देखना है" मैंने दिखावटी नाराज़गी से कहा
" अरे मुन्ना , नाराज़ हो गया क्या ? चल अब दिखा दे " दीदी मुझे खुश करतीं हुई बोली
मैंने बनियान उतार कर जानबूझ कर अपनी लुंगी भी उतार दी क्योंकि मेरा लंड फुल टायट हो कर अंडरवीअर में तम्बू बनाये खड़ा था।
मै बेड के बगल में खड़े होकर बोला " लो अच्छी तरह से देख लो मेरा शरीर , ये किसी गैर का नहीं तुम्हारे अपने प्यारे भाई का ही तो है"
" हाँ सही कहता है तू , वाह बहुत सुन्दर , क्या सीना निकल के आया है" दीदी बोली
" ओफ्फो , फिर वही बात , छूकर देख लो ना , फिर कहोगी कि मैंने तो सिर्फ देखा था छुआ कहाँ था" मैंने दाना फेंकते हुए कहा
दीदी लडखडाती हुई उठी और मेरी तरफ बढी , मैंने लपक कर उन्हें बांहों में संभाल कर सीने से चिपका कर कहा ." संभल कर दीदी , चोट लग जायेगी " यह कह कर मैंने थोड़ा सा झुक कर उन्हें बांहों में कस कर भर लिया और अपना लंड उनकी दोनो जांघो के बीच में फंसा दिया।
" हुम् म , वाकई बहुत ही शानदार शरीर है मुन्ना तेरा "
"अरे मेरी प्यारी दीदी , ये किसी गैर का नहीं तुम्हारे अपने भाई का शरीर है इत्मीनान से पूरे के पूरे शरीर को छूकर , सहलाकर देखो ना "
" हाँ वो तो मै देख रही हूँ " दीदी गहरी गहरी सांसों के साथ बोली। मै समझ गया कि अब लोहा धीरे धीरे गरम हो रहा है सो मैंने उनकी नाइटी के ऊपर से ही अपना लंड उनकी चूत से रगड़ना शुरू कर दिया। मै उन्हें कस कर चिपका के उनकी पीठ भी सहलाता जा रहा था।अब दीदी मेरे सीने से चिपकी गहरी गहरी सांसे ले रही थी , मै समझ गया कि लोहा अब काफी गरम है सो मैंने धीरे से उन्हें बेड पर लिटा दिया और उनके बगल में लेटता हुआ बोला "दीदी हुस्न तो तुम्हारा भी लाज़बाब है , अभी जब मैंने तुम्हे नंगा देखा तब समझ में आया , हालाँकि मै ढंग से देख नहीं पाया था , मेरी प्यारी दीदी , मुझे भी अपना शरीर दिखाओ ना"
" धत बेशरम , बहनों से ऐसे थोड़े ही कहते है " दीदी लजाते हुए बोली
" इसमें बेशर्मी की क्या बात है , मै अपनी बहन का ही तो शरीर देखने को कह रहा हूँ किसी गैर से तो कह नहीं रहा और फिर अभी आपने भी तो मेरा शरीर छू छू कर देखा और भी कुछ देखना बाकी रह गया हो तो वह भी देख लो लेकिन मुझे भी आपका शरीर देखना है , मेरी प्यारी दीदी , अगर तुम मुझे वाकई गैर नहीं समझती हो व अपना ही समझती हो तो मुझे अपना शरीर ज़रूर देखने दोगी" मै बिल्कुल छोटे बच्चे की तरह जिद करते हुए उनकी नाइटी उतारने लगा।
" तू बड़ा ही जिद्दी है रे मुन्ना , चल तू भी अपने मन की कर ले वरना तू सोचेगा कि दीदी ने ज़रा सी बात के लिए मना कर दिया" दीदी ने गरम सांसों के साथ लडखडाती आवाज़ में कहा।
मै समझ गया कि दीदी अब नशे के साथ साथ गरम भी हो रही थी। मैंने फटाफट उनकी नाइटी उतार कर फ़ेंक दी। दीदी शायद नशे में भूल गयीं थीं कि उन्होंने चड्डी नहीं पहनी है।
" दीदी ये ब्रा भी उतार देता हूँ प्लीज , मुझे भी आपका सीना देखना है " मैंने ब्रा के हुक खोलते हुए कहा।
" आज तू अपने मन की कर ले मुन्ना , देख ले तुझे जो कुछ भी देखना है" दीदी ने कहा
मैंने जल्दी से दीदी की ब्रा भी उतार के फ़ेंक दी। अब दीदी पूरी तौर से मादरजात नंगी मेरी बगल में लेती थी। मै अब अपने पर कंट्रोल न कर सका और छोटे बच्चे की तरह उनकी गुलाबी चूचियों को मुंह में लेकर चूसने लगा। अब दीदी के मुंह से हल्की हल्की सिसकारियां निकालनी शुरू हो गयीं थीं। मैंने दीदी से कहा " ओ मेरी प्यारी दीदी , आज तुमने जो मेरे साथ किया है वो शायद मेरी सगी बहन भी नहीं करती , क्या शानदार चूचियां है तुम्हारी बिल्कुल बड़े बड़े नागपुरी संतरे की तरह , और चूत .. वो तो लाज़बाब है , क्या मस्त हल्के हल्के रोंयेदार चूत है आपकी " मै दीदी की चूत को सहलाते हुए बोला
" ये बहुत गलत बात है मुन्ना कि तूने मुझे तो बिल्कुल नंगा कर दिया और तू अभी तक अंडरविअर पहने है" दीदी ने शोख आवाज़ में गहरी सांसों के साथ जैसे मेरे मन की बात कह दी
" सॉरी दीदी , मै आपकी मस्त मस्त चूत और शानदार चूचियों में अपना लंड आपको दिखाना भूल गया " यह कह कर मैंने फटाक से अंडरवियर उतार कर फ़ेंक दिया। जैसे ही लंड आज़ाद हुआ वह भी फनफना के खडा हो गया।
" हाय अल्ला , कित्ता मोटा और बड़ा लंड है तेरा मुन्ना " दीदी मेरे लंड को देखकर आश्चर्य से बोली।
" अरे दीदी , हाथ में लेके इत्मीनान से देखो ना , वैसे और किस किस के लंड आपने देखे है" मैंने दीदी के हाथ में अपना लंड थमाते हुए शरारत से पूछा .......................
" धत बेशरम , वो तो कभी कभी किसी किसी का सड़क के किनारे पेशाब करते चुपचाप लंड देखा है या फिर एक बार अब्बू का देखा था , छूकर तो आज पहली बार देख रही हूँ " दीदी ने शरमाते हुए बताया
" जी भर के देखो मेरी प्यारी दीदी , आखिर तुम भी तो मुझे अपनी चूत और चूचियों से मज़ा लेने दे रही हो तो भाई होने के नाते मेरा भी तो कोई फ़र्ज़ बनता है " मैंने उनकी मलाईदार चूत को सहलाते हुए कहा। मै समझ चुका था कि दीदी अब पूरी तरह से गरम हो चुकी है और अब मुझे सिर्फ उनकी चूत को चुदने के लिए तैयार करना था। सो मैने दीदी के होंठो को चूसते हुए उन्हें अपने सीने से कस कर चिपका लिया और लंड को उनकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा।
" मेरी प्यारी दीदी , तुम मेरा लंड चूसना पसंद करोगी क्या ?" मैंने दीदी से पूछा
" आज मै सब पसंद करुंगी मुन्ना , आज तो तूने मेरी सारी मन की मुरादे पूरी कर दी मेरे राजा " दीदी कामुक अंदाज़ में बोली
" ज़रा मुझे भी तो बताओ मेरी प्यारी दीदी , तुम्हारी क्या क्या मन की मुरादे है " मैंने दीदी को चुदने के लिए तैयार करते हुए कहा
" हर लडकी एक उमर के बाद यह सब करना चाहती है जो तू मेरे साथ कर रहा है " दीदी बोली।
दीदी शायद अभी भी थोडा शरम की वजह से यह नहीं कह पा रहीं थीं कि वो चुदासी है व चाहती है कि मै अपना लंड उनकी चूत में पेल कर उन्हें खूब चोदूं लेकिन मै उनके बिना कहे ही सारी बात समझ गया। मै उठ कर दीदी की चूत के ऊपर मुंह करके उल्टा लेट गया अब मेरा लंड दीदी के होंठो को छू रहा था।
" लो दीदी , अब मै आपकी चूत चूसूंगा और आप मेरा लंड चूसो" यह कह कर मैंने दीदी की चूत में उंगली करते हुए उनकी फुद्दी को चूसना शुरू कर दिया। दीदी ने भी मेरे लंड को मुठ्ठी में लेकर सटासट चूसना शुरू कर दिया। दीदी अब फुल मस्ती में आ चुकी थी वह उचक उचक कर अपनी फुद्दी चुसवा रही थी। मै भी दीदी की चूत में गपागप उंगली करते हुए उनकी फुद्दी चूस रहा था। यह करते करते हम दोनों ने ही पानी छोड़ दिया जिसे हमलोगों ने तुरंत ही चाट लिया।
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