Saturday, December 21, 2013

गुपचुप कहानियाँ- राबिया का बेहेनचोद भाई--8

Lovers-point गुपचुप कहानियाँ-

 राबिया का बेहेनचोद भाई--8
. फिर मैं थोड़ी देर तक उसके आस पास घूम कर यूँ ही उसको ललचाती फिर वापस अपने कमरे में चली जाती....इतने में ही मज़ा आ जाता.....किसी लड़के को अपनी जवानी दिखला कर फसाने का पहला मौका था.....



कमरे के अंदर थोड़ी देर बैठ कर अपनी उखड़ी हुई सांसो पर काबू पाती....जाँघो को भीचती अपनी नीचे की प्यासी गुलाबी रानी को दिलासा देती....फिर उठ कर किचन में जा कर खाना बनाने लगती....बीच बीच में बाहर आ कर भाई के पास आती.....वो मेरी तरफ देखता.....मैं वहा रखे तौलिए से पेशानी का पसीना पोंछती बोलती....उफ़फ्फ़ या अल्लाह कितनी गर्मी है.....बर्दाशत नही होती.....और अपने दुपट्टे को ठीक करने के बहाने बार बार अपनी खड़ी नोकदार चूंची यों को दिखती....पसीने से भीग जाने की वजह से.....पतली समीज़ के अंदर से मेरी ब्रा उसको दिखती होगी.....भाई मुस्कुराते हुए मेरी और देखता.....बात-चीत करने के बहाने उसको घूरने का ज़यादा मौका मिलता....इसलिए बोलता.....गर्मी तो है मगर तुझे कुछ ज़यादा लग रही है.....




ही ही मुझे क्यों ज़यादा लगती है कभी सोचा है....किचन में काम कर के दिखो....अपने गुलाबी होंठो को टेढ़ा कर अदा के साथ हाथ नचा कर बोलती.....तू थोड़ी देर यही बैठ जा....आराम कर ले....खाना कौन बनाएगा....कहते हुए मैं फिर वापस किचन में चली जाती.....



भाईजान मुझे किचन में जाते हुए देखते....मुझे लगता की उसकी नज़र मेरी चूतड़ों पर टिकी हुई है....मैं और ज़यादा इठला कर चलती...मटक कर अपने चूतड़ों को हिलती हुई इधर से इधर घूमती....छ्होटी सी समीज़ और चुस्त सलवार में जवानी और ज़यादा निखर जाती थी....मैं घर पर जान बूझ कर पुराने और पतले कपडे वाले समीज़ सलवार पहनती ताकि मेरा जिस्म ज़यादा से ज़यादा उसको दिखे....कपडे पसीने से भीग जाए......और बदन से चिपक जाए....फिर वो देख कर अपने आप को गरम करता रहे...


मेरी आग लगाने वाली अदाए काम करने लगी.....भाई अब मेरे आस पास ही घूमता रहता.....मेरे साथ ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त बिताने की कोशिश करता.... मुझे भी मज़ा आता.....कौन लड़की नही चाहेगी की कोई लड़का उसका दीवाना हो....उसकी हर बात का ख्याल रखे....और उसकी हर अदा पर मार मिटे .....भाई की आँखो से पता चल जाता की वो मेरी हर अदा पर अपनी जान लुटाने को तैयार बैठा है.....मैं भी पूरे घर में उसके सामने इधर-उधर इतरा इतरा कर घूमती....मुझे लगा की खाली सलवार कमीज़ से काम नही चलेगा....दो तीन स्कर्ट ब्लाउस निकाल लिया मैने.....अब कई बार सलवार समीज़ की जगह स्कर्ट ब्लाउस पहन लेती मैं...सब पुरानी थी...टाइट और छ्होटी हो चुकी थी......पहली बार मुझे स्कर्ट ब्लाउस में देख चौंक गया.....



मगर बोला कुछ नही.....मैं भी खूब मटक मटक कर गाँड हिलाते हुए चलती....अपने उभरो को हिलती....छलकाती ....घर में घूमती......मेरी इस अदा ने उसको और दीवाना कर दिया....मेरी नंगी गोरी टांगे जो देखने को मिल रही थी उसे...सारी स्कर्ट तो छ्होटी हो कर मिनी-स्कर्ट हो गई थी.....फिर टाइट ब्लाउस मेरे हिलते कबूतर उसके पाजामे में ज़रूर हलचल मचाते होंगे.....फिर ऐतराज़ कैसा.....मेरे स्कर्ट टी - शर्ट पहन ने पर उसने कोई ऐतराज़ नही किया.....उल्टा मेरी तारीफ में कशीदे कदता.....रबिया बहुत प्यारी लग रही है.....एकदम गुड़िया जैसा.... हाए !!!....परी जैसी दिख रही है इस गुलाबी ड्रेस में......



मैने एक दिन पुछा तुम्हे मेरे टी - शर्ट और स्कर्ट पहन ने में कोई ऐतराज़ तो नही है भाई.....ना ना मुझे क्यों कर ऐतराज़ होगा भला....फिर घर में तो कोई भी ड्रेस पहन..... कहते हुए......मेरी टी - शर्ट में चोंच उठये दोनो नोकदार चूचियों को अपनी निगहों से पीने की कोशिश करता......मैं मन ही मन खुश हो रही थी......शिकार जाल में फस रहा था......
मैने अपनी हरकतों में इज़ाफ़ा कर दिया......जब वो टीवी देखता या पढ़ता रहता तो.....मैं जब नीचे झुक कर कुछ उठती तो किताबो के पीछे से मेरी गोरी टॅंगो को देखता....मैं जान बूझ कर और झुकती....ताकि मेरी स्कर्ट और उपर उठ जाए और मेरी
नंगी गोरी चिकनी जांघें उसे दिख जाए.....उसके सामने झुक झुक कर झाड़ू देती....वो मेरी समीज़ या ब्लाउस के अंदर झाँक कर चूंची देखने की कोशिश करता.....


कई बार जान बूझ कर...ज़मीन पर पेन या कुछ और गिरा कर उठती.....बार बार उसको अपनी नोकदार चूंचीयों को देखने का मौका देती.....उसकी तरफ अपनी गांड घुमा कर नीचे गिरी चीज़ों को उठती.....ताकि मेरी मस्त जाँघो का नज़ारा उसे मिले.....शबनम ने बताया था की लड़के गोरी गुन्दाज़ जाँघो के दीवाने होते है....अपनी मोटी जाँघो का नज़ारा और अच्छी तरह करवाने के लिए......भाई के सामने ड्रॉयिंग रूम में लगे दीवान पर बैठ......बार-बार अपने टाँगो का मक़ाम बदलती....कभी लेफ्ट टाँग पर राईट कभी राईट टाँग पर लेफ्ट ......इस दौरान मेरी स्कर्ट भी इधर उधर होती.....और मेरी चिकनी मोटी जाँघो का नज़ारा थोड़ा उपर तक उसको मिल जाता.....कई बार दोनो टाँग लटका कर ऐसे बैठ जाती जैसे मुझे ख्याल नही.....टांगे फैली होती.....स्कर्ट भी फैल जाती.....जाँघो का नज़ारा अंदर तक होता.....इतना अंदर तक की.....मेरी चड्डी की झलक भी उसको मिल जातीई.....


उसके पाजामे का उभर मुझे बता देता की उसकी क्या हालत है....वो कहा तक देख पा रहा है.....मुझे देख-देख कर अपने होंठो पर जीभ फेरता रहता....पाजामे के लंड को अड्जस्ट करता रहता....मैने कई बार उसको ऐसा करते पकड़ लेती.....मुझे अपनी ओर देखता पा कर वो झेप जाता....और हँसने लगता.... मैं होंठ बिचका कर मुँह घुमा लेती.....जैसे मुझे कुछ पता ही नही......



पर मैं जानती थी की उस समय मेरी चूत की क्या हालत होती.....जी करता दौड़ कर लंड को पकड़ लू और हाथ से मसल कर तोड़ कर अपनी बुर में घुसेड़ लू.....मगर मैं चाहती थी पहला कदम वही उठाए.....ताकि बाद में मुझ पर कोई उंगली ना उठे......मैं खुद उस से चुदवाना चाह रही थी.....पर मैं चाहती थी की वो मुझे खुद चोदे.....मुझे से मेरी चूत माँगे....तभी तो मेरा गुलाम बनेगा....जैसा मैं कहूँगी वैसा करेगा....किसी को कुछ बोलेगा नही....


भाई का हौसला अब आहिस्ता आहिस्ता बढ़ने लगा.....मेरी खुली अदाओ ने उसको हिम्मत दी....वो अब आगे बढ़ कर कदम उठा रहा था....मैं यही चाहती थी....भाई बात करते वक़्त अब मेरे कंधो पर हाथ रख देता था....उसका झेपना भी कम हो गया था.....जब कभी उसको अपनी चूंची यों को घूरते पकड़ लेती तो मुस्कुरा देता.....मैं भी अदा के साथ इतरा कर पूछती क्या देख रहे हो भाई.....


तो वो बोलता.... कुछ नही......अपनी प्यारी गुड़िया रानी को देखना गुनाह है क्या.....मैं हँसते हुए शर्मा कर....धत ! करती.......दूसरी और जाने लगती.....इस बात को अच्छी तरह से जानते हुए की वो मेरे मटकती गाँड को देख रहा होगा.....हाथ पीछे ले जाकर अदा के साथ....आराम से अपनी गाँड में फासे सलवार को निकाल....कमर हिलती...चूतड़ नाचती हुई...किचन में या बेडरूम में घुस जाती....कई बार बात करते-करते वो मेरा हाथ पकड़ लेता और मेरी उंगलियों से खेलने लगता.....मैं भी उस से बात करते हुए टीवी देखती रहती.....जैसे मुझे कुछ पता नही की वो क्या कर रहा है......
मैं अब अपने कमरे में पढ़ने की बजाए दीवान पर टीवी के सामने ही बैठ कर पढ़ाई करने लगी थी....किताब पढ़ते पढ़ते मैं पेट के बल लेट जाती थी.....मेरे इस तरह से लेटने की वजह से मेरी समीज़ के अंदर से मेरी गोरी गोलाईयां झाँकने लगती....कुर्सी पर बैठा भाई टीवी कम मेरी समीज़ की गोलाइयों को ज़यादा देखता.....मैं बीच बीच में अपने गले में चारो तरफ घुमा कर अपना दुपट्टा ठीक कर लेती.....



जब गोलाईयां नही देखने को मिलती तो मेरे पैरो की तरफ देखने लगता.....पेट के बल लेते हुए मैं अपनी टाँग को घुटने के पास से मोड़ कर उठा लेती थी.....जिसकी वजह से सलवार सरक कर घुटनो तक आ जाती थी....वो वही देखता रहता.....मैं अपनी टाँगो को अदा के सटा हिलती उसको सुलगाती रहती.......मेरे चूतड़ों पर से समीज़ हट जाती....गाँड की दरार में फंसी सलवार उसको दिखने लगती....वो चुप चाप बैठ कर अपना लंड फुलाता रहता....

कई बार अगर वो दीवान के पास बैठा होता तो मेरे पैर की उंगलियों पर हल्के हल्के हाथ फेरता....उसे शायद लगता की मुझे पता नही है......मैं भी चुप-चाप मज़ा लेती रहती.....जिस दिन स्कर्ट पहन कर पेट के बल लेटती .....भाई की चाँदी हो जाती थी......मैं दीवान पर टीवी की और मुँह कर के लेटी होती....सोफा थोड़ा पीछे टीवी के सामने होता.....भाई उस पर बैठा.....टीवी कम मेरी स्कर्ट के अंदर ज़यादा देखता.....वो बराबर कोशिश कर के दीवान की तरफ झुकता.....मेरी फैली स्कर्ट के बीच मेरी रानों को देखने की कोशिश करता......


मुझे लगता है साला ज़रूर उस दिन रात भर मूठ मारता होगा.....अब तो उसका ये हाल हो गया था की मेरे पास आने और मुझे छुने के लिए बहाना खोजता रहता था..... मैने अपने नखरो में भी आहिस्ता आहिस्ता इज़फा कर दिया.....सिर दर्द का बहाना करती....वो एकदम घबड़ा कर मेरे पास आ जाता कहता लाओ मरहम लगा दूँ.....सिर पर बाम कम लगता मेरे गाल और बालो को छुने में जयदा दिलचस्पी दिखता.....मैं भी चूंची उभार कर लेट जाती.....वो सिर के पास बैठ मेरी कबूतरियों को देखते हुए मरहम लगता रहता....




एक शाम जब भाई घर आया तो उसके हाथ में कोन वाली आइस-क्रीम थी....मैने पुछा हाए !!! भाईजान.... आइस-क्रीम क्यों लाए......तो भाई बोला तू कहती थी ना बहुत गर्मी है.... हाए !!! तो आइस-क्रीम खाने से गर्मी भाग जाएगी क्या..... अर्रे भगेगी नही थोड़ी कम तो ज़रूर हो जाएगी......तेरे लिया लाया हू इतने शोख से.....ले खा ना.... हाए !!! पहली बार कुछ लाए हो मेरे लिए....तू कुछ मांगती कहा है....मैं खुद से ले आया......अच्छा...



मैने शरमाते हुए उस से आइस-क्रीम ले लिया और सोफे पर बैठ.....अपना एक पैर सामने रखे स्टूल पर रख कर आइस-क्रीम खाने लगी.....भाई सामने बैठ कर मुझे आइस-क्रीम खाते हुए देखने लगा.....मैं आइस-क्रीम के गुलाबी सिरे को जीभ निकाल निकाल कर चाट ने लगी.....अपने गुलाबी रस भरे होंठो को को खोल खोल कर हल्के हल्के काट कर आइस-क्रीम खा रही थी....भाई सामने बैठा था.....उसको मेरी स्कर्ट के अंदर कसी हुई गोरी जांघें दिख रही थी.....

वो वही बैठा अपने पंत के उपर हाथ रखे मुझे आइस-क्रीम खाते हुए देख रहा था.....मैं समझ रही थी की साला सोच रहा होगा काश आइस-क्रीम की जगह मेरा लंड होता......मैं जान भूझ कर आइस-क्रीम ऐसे चूस रही थी जैसे लंड चूस रही हूँ.....फिर जीभ निकाल इतराती हुई अपने गुलाबी होंठो पर फेर रही थी.....उपर की तरफ नीचे की तरफ....


होंठो के चारो तरफ लगे क्रीम को चाटते हुए बोली.... हाए !!! भाईजान बहुत मजेदार आइस-क्रीम है.....अपने शहर में तो ऐसी आइस-क्रीम मिलती ही नही......भाई कहता.....तुझे अच्छा लगा....मैं सोच रहा था कही तुझे अच्छा नही लगे.... हाए !!! नही भाई बहुत मजेदार है.....ठीक है रोज ला दूँगा तेरे लिए... हाए !!! भाई तुमने खाया या नही......अरी मैं नही ख़ाता.....क्या भाईजान खा कर देखो ना बहुत मजेदार है....लो ...ना....लो ....लाओ मैं अपने हाथ से खिलती हू....



कहती हुई मैं इठलाती हुई उसके पास गई.....झुक कर उसके चेहरे पर अपनी गर्म गुलाबी साँसे फेंकती....आइस-क्रीम को उसके होंठों के पास लगा कर कहा....मेरा झूठा है मगर......तो क्या हुआ.....मेरी प्यारी बहन का झूठा और मजेदार होगा.....कहते हुए आइस-क्रीम को जीभ निकाल कर उपर से चाटा....तो मेरी चूत सिहर गई....झांट के बॉल खड़े हो गये.... हाए !!! कितने प्यार से चाटा.....जाँघो को भींच कर इतराती हुई बोली.... हाए !!! और चाटो ना भाई.....काट कर खाओ ना....




भाई ने हल्के दाँत से आइस-क्रीम का एक टुकड़ा काट लिया..... मेरी चूंची के गुलाबी निपल खड़े हो गये.....इसस्स....फिर नखरा करती हुई उछलती हुई इतरा कर बोली.....उूउउ.. हाए !!! पूरा नही खाना.....थोड़ा सा....खाली चाटो....तो भाई हँसने लगता....कहता अच्छा अब तुम खाओ..... तुझे खाते देख मेरा दिल भी भर जाएगा.....मैने हँसते हुए आइस-क्रीम से बड़ा सा टुकड़ा काट लिया ......फिर वापस भाई के मुँह से आइस-क्रीम सटा दिया.....भाई बोला अरी रहने दे.....

क्या भाई लो ना थोड़ा सा और....लो चाटो ना... हाए !!! थोड़ा सा चाटो....उपर लगी क्रीम.....बड़ी मजेदार है....अपनी जीभ निकाल उसने हल्के से क्रीम चाटे ......उ.....चूत ने दो बूँद रस टपका दिया..... हाए !!! अच्छा लगा ना भाई.....और लो ना.....खाली क्रीम चाटो.....उपर से.....उईईई....बदमाश भाईजान.....थोड़ी क्रीम मेरे लिए भी छोड़ो ......जाओ मैं नही देती अब.....सारी खा गये तुम तो.....भाई हँसने लगा...फिर मैं खाने लगती.....फिर खुद माँगता......




रबिया थोड़ी सी दे ना.....नही मैं नही देती तुम काट लेते हो.... हाए !!! नही खाली चाटूँगा....हल्का सा चाटूंगा....नही तुम काट लेते हो... हाए !!! नही...चटा दे ना.....थोड़ा सा.....खाली उपर से चाटूंगा.....मैं फिर इठलाती हुई उसके मुँह के पास आइस-क्रीम देती....लो चाटो.....उपर... हाए !!! काटना नही....ठीक से चाटना.....नही तो दुबारा नही दूँगी.. हाए !!! हा ऐसे ही चाटो....हा बस उपर से...लो थोड़ा और.. हाए !!! हा....लो जीभ लगा कर....बदमाशी नह्ी...ठीक से चाटो ना....अफ...गंदे तुम मनोगे नही... हाए !!! काट लिया... हाए !!!....ऐसे ही चलता रहता......उस दिन के बाद से भाई हर रोज आइस-क्रीम ले कर आता.....ऐसे आइस-क्रीम खा कर चूत ऐसे सुलगने लगती की बाथरूम में जाकर दो मिनिट तक मूत ती रहती थी मैं.....कच्ची बुर रस टपकाते.....पेशाब की तेज धार छोड़ती....
भाईजान को फंसाने के लिए अपनी हरकतों में धीरे-धीरे इज़ाफ़ा कर रही थी......इंटरनेट पर अकेले में बैठ उसमे से अपने मतलब की चीजें निकाल लेती......लड़कों को कैसे तड़पायें फंसायें...... तड़पने तद्पाने के इस खेल में मज़ा आ रहा था....सुबह मैं भाई से पहले नहाने जाती थी....पहले तो मैं अपने कपडे उसी वक़्त सॉफ कर लेती थी....मगर अब मैं अपने कपडे वही बाथरूम की खूंटी पर टाँग कर चली आती थी....सलवार समीज़ के उपर अपनी छोटी सी पैंटी और ब्रा रख देती.....ताकि भाईजान को आसानी से दिख जाए.....फिर मैं बाहर आ जाती....फिर जब वो नहा कर आता तो मैं गौर से देखती...... एक दो दिन तो कुछ नही हुआ......




मगर उसके बाद मैने देखा की जब वो नहा कर तौलिया लपेटे बाहर आता तो उसका तौलिया आगे से थोड़ा उभरा हुआ होता......चेहरा सुर्ख लाल होता......मुझ से नज़र मिलाने से कतराता.....मैं समझ गई की भाई का ऐसा हाल मेरी चड्डी और ब्रा का कमाल है......पर करता क्या है भाईजान मेरी चड्डी और ब्रा के साथ......अपना औज़ार इसके उपर रगड़ता है.....क्यों ना बाथरूम के दरवाजे में कोई दरार ढूँढ कर अंदर का मुजाहिरा किया जाए......इस से मुझे उसका लंड देखने का मौका भी मिल जाता.....
 
 
 
 
 

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator